The Left Side Problems of Subconscious

The Left Side Problems of Subconscious 1982-05-13

Location
Talk duration
80'
Category
Public Program
Spoken Language
English

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

13 मई 1982

Public Program

Christchurch House, Brighton (England)

Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Draft

"बायाँ पक्ष: अवचेतन की समस्याएं"

होव, ब्राइटन के पास, यूके,१३ मई १९८२।

[पहले तीन मिनट बिना आवाज के हैं]

लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया कि अच्छी जड़ताएँ (कंडीशनिंग) हो सकती है। उसी तरह, आप में अच्छी आदतें और बुरी आदतें हो सकती हैं। आदतें यदि आपके उत्थान को रोकती या बाधित करती हैं, तो वे आपको स्थिर करने में मदद भी कर सकती हैं। जड़ता (कंडीशनिंग) आपके पास उन पदार्थों से आती है जिनके साथ हम दिन-प्रतिदिन का व्यवहार कर रहे हैं। जब कोई इंसान पदार्थों को देखता है, तो वह उन पर अतिक्रमण करता है और वह उस पदार्थ को अपने उपयोगउद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। वह अपने उपयोगउद्देश्य के लिए पदार्थों के रूपों को बदलता है। वह आराम के रूप में, या जीवन में मदद या मार्गदर्शक के रूप में पदार्थो का उपयोग करने के लिए अभ्यस्त होने लगता है। जितना अधिक आप पदार्थ पर निर्भर होना शुरू करते हैं, उतना ही आपकी सहजता समाप्त हो जाती है, क्योंकि आप निर्जीव के साथ व्यवहार कर रहे हैं। पदार्थ, जब निर्जीव हो जाते है, तभी हम उस से व्यवहार करते हैं। जब यह जी रहा होता है तो हम इसके बारे में ज्यादा परवाह नहीं करते हैं। इसलिए उस पदार्थ की जड़ता हमारे भीतर तब बैठ जाती है जब हम उस पदार्थ को अपने प्रयोजन के लिए प्रयोग करने लगते हैं।

लेकिन हम अन्यथा कैसे अपना अस्तित्व बनाये रख सकते हैं, यह सवाल लोग पूछ सकते हैं। अगर भगवान ने हमें यह भौतिक चीजें और इन पदार्थों को इस्तेमाल करने के लिए दिया है, तो क्या हमें उनका उपयोग नहीं करना चाहिए? और क्या हमें उनका आनंद नहीं लेना चाहिए? लेकिन वास्तव में हम आनंद नहीं लेते.. आत्मसाक्षात्कार से पहले आप किसी भी पदार्थ का आनंद नहीं ले सकते। आप केवल एक आदत बना सकते हैं और आत्मसाक्षात्कार से पहले उस पदार्थ के गुलाम बन सकते हैं। यह एक सिद्धांत है, अर्थशास्त्र का मूल सिद्धांत कि, सामान्य रूप से मांग कभी भी तृप्त नहीं होती है। यानी आज आप कालीन जैसा कुछ खरीदना चाहते हैं। ठीक है, आपने इसे खरीदा है। तो अब वह कालीन सिरदर्द बन गया है, चूँकि इस पर आपकी मालकियतअधिकार है, आपको इसकी देखभाल करनी होगी। आपको इसका बीमा कराना होगा, आपको इसकी चिंता करनी होगी कि यह खराब न हो जाए, सबसे पहले। और दूसरी बात, आप वास्तव में कुछ और खरीदने के मूड में आ जाते हैं। अब आपने कालीन खरीद लिया है, समाप्त। फिर आप कुछ और पाना चाहते हैं, फिर आपके पास अमूक चीज़. होना चाहिए। वरना, तो आपके पास वह... होना चाहिए। अन्यथा, तो यह आपको तृप्त नहीं करता है; यह आपको आनंद नहीं देता है। पदार्थ कभी आनंद नहीं दे सकता। यह आत्मा है जो आपको आनंद देती है।

और जब उत्थान होता है, जब तुम आत्मा बन जाते हो, तब पदार्थ हमारे भीतर एक दूसरी ही मूल्य प्रणाली धारण कर लेता है; पदार्थ की मूल्य प्रणाली बहुत अलग है। जैसा कि मुझे यकीन है कि जेसन ने आपको बताया होगा कि जब आपको अपना बोध प्राप्त होता है, तो आप हाथ में ठंडी हवा महसूस करने लगते हैं। पदार्थ के संबंध में एक साक्षातकारी आत्मा होना बहुत सहायक है, क्योंकि तुरंत आप जान जाते हैं कि आपके लिए क्या अच्छा है और आपके लिए क्या बुरा है। उदाहरण के लिए, आप कुछ ऐसा खाते हैं जो आपके लिए अच्छा नहीं है: तुरंत आप अपने वायब्रेशन खो देंगे और गर्म हो जाएंगे। यहाँ तक कि, देखने पर भी ऐसा हो सकता है। आप एक ऐसी कुर्सी पर बैठना चाहते हैं जिस पर कोई बहुत गलत किस्म का व्यक्ति बैठ चुका हो, तुरंत आपको लगेगा, "ओह, इस जगह में कुछ गड़बड़ है।" तुम्हारे स्पंदनों से, जो एक पक्की बात है, एक परम वस्तु है। और यह जड़ता यह कंडीशनिंग केवल तभी खत्म हो सकती है - इन आदतों पर तभी विजय पायी जा सकती है जब आप आत्मा बन जाते हैं, क्योंकि आत्मा हमेशा पदार्थों पर हावी होती है। और आत्मा को पदार्थों के उस प्रभुत्व पर विजय प्राप्त करनी है।

दरअसल, आत्मा पर किसी चीज का प्रभुत्व नहीं हो सकता। लेकिन मेरा मतलब यह है कि, यह ढका हुआ है, जैसे सूरज बादलों से ढका हो सकता है। उसी तरह हमारे ऊपर पदार्थों का बोलबाला, या हम कह सकते हैं कि हमारी पदार्थों की सारी दासता, हमारी अपनी आत्मा पर इस अर्थ में हावी हो जाती है कि, हम इसे ढँक देते हैं। बादल हैं, हम आत्मा को नहीं देख पाते। हम इसे महसूस नहीं कर पाते। सहजता जो आत्मा की सुंदरता है, हम किसी व्यक्ति में महसूस नहीं करते हैं। तो, किसी व्यक्ति का आंकलन करने में, हम क्या परख करते हैं? वह व्यक्ति कैसा दिखता है, उसने कौन सी पोशाक पहनी है, वह कैसे चलता है, उसके औपचारिक तरीके क्या हैं, क्या वह "धन्यवाद", "सॉरी" कहना जानता है या नहीं, आप देखिए? ये सभी चीजें हमें बहुत प्रभावित करती हैं। उसके पास कैसी कार है, कैसा घर है। शायद हम चूक जाएँ, शायद हम किसी संत को ही चुक जाएँ। हम ईसा-मसीह को फिर से गँवा भी सकते हैं क्योंकि वह एक बढ़ई का पुत्र था। हम कैसे जान सकते हैं कि ईसा-मसीह कौन है? क्या यह पता लगाने का कोई तरीका है कि ईसा-मसीह कौन है? बहुत से लोग अब बात कर रहे हैं "ईसा-मसीह आने वाले है, वह टेलीविजन पर आने वाला है।" तुम वहाँ किसी को भी ईसा-मसीह के रूप में रख सकते हो। हम इसे कैसे पहचानने जा रहे हैं? उनके पहनावे से या उन्होंने किसी तरह का काम किया है? क्राइस्ट के अधिकांश चित्र और उनकी अधिकांश मूर्तियाँ जो मैंने देखी हैं, वे तो क्राइस्ट के स्वरुप के नजदीक भी नहीं हैं, क्राइस्ट के आस-पास भी नहीं, आप देखते हैं। वे भयानक चीजें हैं। मुझे नहीं पता कि वे क्या हैं।

तो आप कैसे पता लगाएंगे कि यह मसीह है या नहीं? या यह किसी प्रकार का धोखेबाज़ व्यक्ति है या ऐसा कोई व्यक्ति है जो हमें वास्तविकता से भ्रमित करने के लिए जानबूझकर आया है। सच्चाई क्या है, इसका पता लगाने का कोई रास्ता नहीं है क्योंकि हम हमारे पास स्थित भौतिक रूपों के ज्यादा ही अभ्यस्त हैं। उदाहरण के लिए, कला के बारे में हमारा विचार भी उसी तरह ढाला गया है। हमें इस तरह की कला पसंद है। यदि आप उनसे पूछें, "क्यों?" "क्योंकि, आप जानते हैं, इसमें इस तरह की एक चीज है - सद्भाव", या हो सकता है, "यह अधिक आनुपातिक है" और वह सब। लेकिन तुम्हें कैसे पता?" आप जानते हैं क्योंकि आपने कुछ किताबें पढ़ी हैं या हो सकता है कि आप ने किसी से समझ लिया हों की यह कला है यह सुन्दर है वगैरह| मेरा मतलब है, आप किसी चीज़ को सुंदर के रूप में ब्रांड कर देते हैं, लेकिन क्या यह वास्तव में है? यदि यह सौंदर्य है, तो यह आत्मा होना चाहिए, क्योंकि आत्मा सौंदर्य है और सौंदर्य आत्मा है। तो क्या यह सुंदरता है? आप कैसे पता लगाते हैं कि यह कला सुंदर है या नहीं?

उदाहरण के लिए, नारीत्व की सभी प्रचलित अवधारण के अनुसार, मुझे नहीं लगता कि मोनालिसा एक सुंदर महिला है। मेरा मतलब है कि आजकल जिस तरह से आप मच्छर जैसी महिलाओं को देखते हैं, उन्हें खूबसूरत माना जाता है। तो वे मोनालिसा को इतनी खूबसूरत कैसे कहते हैं? उसके अंदर क्या है? उस पेंटिंग को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे होंगे क्यों? उसके पास क्या है? केवल वायब्रेशन ही आपको बताएंगे कि यह चैतन्य का उत्सर्जन करती है। यह आपकी जानकारी के बिना आपकी आत्मा को आकर्षित करती है। आपको इसकी जानकारी नहीं है। यह आपकी आत्मा को आकर्षित करती है। इसलिए उस पेंटिंग को सर्वत्र सराहा जाता है। लेकिन जब यह जड़ताकंडीशनिंग सामूहिक हो जाती है, ऐसी कोई भी कंडीशनिंग सामूहिक हो जाती है और आप स्वीकार करते हैं कि "यह वह रूप है जो सुंदरता है; यही वह रूप है जो वास्तविकता है; यह वह रूप है जो सहजता है”, तब भ्रम शुरू होता है। उलझन वहीं से शुरू होती है, जब वह सामूहिक चीज बन जाती है।

उदाहरण के लिए मैं कुछ गुरुओं के कुछ अनुयायियों से मिली। जब मैंने उनसे पूछा, "आपको क्या लगता है कि आपका गुरु सच्चा है, उसने क्या दिया है? उन्होंने कहा, 'चूँकि मैं अपनी कुर्सी पर बैठकर अपने आप ही कूदने लगता हूं। मैं ऐसा नहीं करता लेकिन ऐसा होता है, यह स्वतःस्फूर्त होता है।" और मेरी उपस्थिति में, जिस तरह से उसका शरीर काँप रहा था, वह कितना भयानक था। ऐसे व्यक्ति के लिए किसी को भी जबरदस्त करुणा और चिंता होगी, कि आप पांच मिनट भी सीधे नहीं बैठ सकते ...

महिला: क्षमा करें, यह सहज नहीं था, यह घबराहट थी।

हां, मैं यही कह रही हूं...

महिला: आप जो बोलती हैं उसमें आप बहुत गलत हैं।

क्या?

महिला: हर बात के बारे में।

आप कहाँ से आई हैं?

महिला: सड़क से।

तो यह बात है। बेहतर है अब चली जाओ।

महिला: चिंता मत करो। मैं जा रही हूँ।

उस ओर देखो। वह अब शराबखाने जाएगी।

सूक्ष्मताओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए, समझे? अगर आपको इस बात की पुष्टि हो गई है - अब मान लीजिए कि कोई कूदना शुरू कर देता है और वह कहता है, - जैसा कि वह कहती है कि, यह सच है, घबराहट, इसका मतलब है कि आप का अपनी नसों पर नियंत्रण नहीं हैं, है ना? क्या आपको ऐसा नहीं लगता? आप नियंत्रण में नहीं हैं, आपने नियंत्रित नहीं किया है। सहजता एक ऐसी चीज है जो आपको गुलाम नहीं बनाती। यही वह बिंदु है जिसे मैं समझाने की कोशिश कर रही हूं। यह नहीं बनाती है! यह आपको गुरु बनाती है। स्वतःस्फूर्त आपको किसी चीज का गुलाम नहीं बल्कि मालिक बनाना चाहिए। वह महिला TM(ट्रांसेडेनटल मेडिटेशन)से आई होगी क्योंकि TM के लोग उसी तरह उछलते-कूदते हैं। और वे मिरगी के लोगों के रूप में नष्ट हो जाते हैं। मैंने उनमें से बहुतों को ठीक किया है। मुझे नहीं पता कि वहां से कोई आया है या नहीं। यहां तक ​​​​कि स्कॉटलैंड में उनकी ही अकादमी के प्रमुख, फ्लाइंग स्क्वॉड अकादमी, जैसा कि मैं इसे कहती हूं, जहां लोग तीन हजार का भुगतान करते हैं - अब यहां बैठे यह सज्जन उनमें से एक हैं जिन्होंने पीड़ा भोगी है। जब वे पीड़ित होते हैं तो वे जानते हैं कि यह क्या है। एक अन्य दिन हमने किसी ऐसे व्यक्ति को देखा जिसे इस तरह की आवृत्ति की मिर्गी है। बेचारा बच्चा, मुश्किल से छब्बीस साल का था, जवान आदमी, जिसे अपने जीवन का आनंद लेना चाहिये, ऐसे आघात में जी रहा था, आप सोच भी नहीं सकते। और अगर गुरु के पास जाने वाले किसी व्यक्ति के साथ ऐसा हो रहा है, और आपने इसके लिए भुगतान भी किया, यह आत्मा के पास कहीं भी कैसे हो सकता है?

यही मैं आपको बताने की कोशिश कर रही हूं कि, आत्मा आपको सहजता प्रदान करती है जिसमें आप मालिक हैं। आप स्वयं के स्वामी हैं, पूर्ण स्वामी हैं, किसी भी प्रकार की दासता नहीं है, कोई आदत नहीं आ रही है। सारी आदतें छूट जाती हैं। आप इतने सहज हो जाते हैं कि मुझे आपको बताने की जरूरत नहीं है। आप बस सभी आदतों को छोड़ देते हैं और आप स्वयं के स्वामी बन जाते हैं। आपके साथ ऐसा होना चाहिए। इसके बजाय, यदि आप उन चीजों में लिप्त हैं जो आपको गुलाम बनाती हैं, तो आप कुछ समय के लिए इसे पसंद करेंगे क्योंकि आप इन के सामने असहाय हैं। लेकिन अगर आप वास्तव में बैठ कर देखेंगे, तो आप जान जाएंगे कि यह वह चीज नहीं है जो आप चाहते थे। आप खुद के मालिक बनना चाहते थे।

अब यहाँ इस मानचित्र में जैसा कि हम दिखाते हैं कि हमारे पास दो शक्तियाँ हैं, बाएँ और दाएँ शक्तियाँ। बायीं शक्ति वह शक्ति है जो हमें जड़ताकंडीशनिंग देती है - बाईं ओर, अवचेतन, सामूहिक अवचेतन। यह हमें जड़ताकंडीशनिंग देता है। अब, यदि आप उस सब को नकारने की कोशिश करते हैं, तो दाहिना पक्ष और भी बुरा है। यह हमें कर्म देता है, लेकिन कर्म से हम बहुत अहंकारी बन सकते हैं। इसलिए दोनों तरह से परेशानी हो सकती है। मान लीजिए आप कहते हैं कि "ठीक है, मेरे पास किसी भी प्रकार की कोई जड़ताकंडीशनिंग नहीं है। ऐसा करने में गलत ही क्या है? ऐसा करने में क्या गलत है?" और अगर तुम बस इसी विचार के साथ चलते हो, उस स्वतंत्रता के साथ, वह स्वेच्छाचारीता होगी, वह स्वतंत्रता नहीं हो सकता। क्योंकि स्वतंत्रता के पीछे विवेक होना चाहिए। तो दोनों तरफ, दोनों तरफ की गतिविधियाँ गलत हैं। तो क्या ठीक है, बीच में? किसी भी चीज से बद्ध नहीं होना है और अहंकार उन्मुख नहीं होना है। लेकिन इसे कैसे किया जाए यह समस्या है। समस्या यह है कि इसे कैसे किया जाए। सहज होना

ही बिल्कुल मुक्त होना है।

अब मैं इन दो शक्तियों को एक कार में एक ब्रेक और एक एक्सेलरेटर के रूप में मानूंगी। अब तुम दोनों शक्तियों का प्रयोग करते हो। आप पहले ब्रेक का उपयोग करते हैं, आप एक्सेलरेटर का उपयोग करते हैं। आप इन दो शक्तियों को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। लेकिन, शुरुआत में यह समझना मुश्किल है कि आप इन शक्तियों का उपयोग कैसे करें। धीरे-धीरे, अभ्यास के साथ आप इसे कर लेंगे। आप कार चलाना जानते हैं, आप अच्छे ड्राइवर बनते हैं। अच्छा ड्राइवर बनने के बाद भी आप ड्राइविंग के मास्टर नहीं हो गए हैं| लेकिन फिर तुम मास्टर भी बन जाते हो। तो, आज हमारे भीतर का मास्टर, हमारे भीतर आत्मा है। लेकिन आत्मसाक्षात्कार से पहले हम मास्टर नहीं हैं क्योंकि मास्टर हमारे चेतन मन में नहीं आया है। यह हमारे चेतन मन में व्यक्त नहीं हो रहा है। इस अर्थ में कि हम इसकी शक्तियों से सशक्त नहीं हैं।

आत्मा मौजूद है; इसकी अपनी शक्तियाँ हैं। लेकिन हमने अपने भीतर उन शक्तियों को महसूस नहीं किया है। एक बार जब हम आत्मा की शक्तियों को महसूस कर लेते हैं, तो हम अपनी शक्तियों से सशक्त होते हैं जो वहां मौजूद हैं। शक्तियां हमारे भीतर हैं। ये हमारी अपनी शक्तियाँ हैं। हमें किसी से उधार नहीं लेना है, ना ही किसी से मांगना है, वे हमारे ही अंदर हैं। आत्मा हमारे भीतर है - केवल एक चीज कि, आत्मा को हमारी चेतना में प्रकाश देना है। इसे हमारी चेतना में आना होगा।

साधारण चिकित्सा शब्दावली में हम देख सकते हैं, जैसे कि आत्मा को हमारे मध्य तंत्रिका तंत्र में, हमारे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में अभिव्यक्त होना चाहिए, ताकि हमें पता चल सके कि हम क्या कर रहे हैं। ऐसा नहीं हो कि, हम बस कुर्सी पर कूदना शुरू कर दें, या कुछ लोगों ने कहा, "ओह, हम इसे करना शुरू कर देते हैं।" यह सम्मोहन है। यह सही नहीं है। आप चेतन मन में नहीं हैं। आप यह सम्मोहन के वशीभूत कर रहे हैं। सम्मोहन बाहरी शक्ति से आ सकता है। यह आपका बल नहीं है, आपकी जागरूकता, आपकी समझ, आपकी शक्ति। यह किसी और का है क्योंकि आप इसे नहीं कर रहे हैं। जिस प्रकार पदार्थ में हम पर हावी होने की शक्ति है, उसी प्रकार कुछ भौतिक चीजें हैं, मुझे कहना चाहिए, जो बहुत खतरनाक हैं, जिन्हें रखा गया है। उदाहरण के लिए अब कैंसर, कैंसर को ही ले लीजिए, कैंसर आप पर हावी हो जाता है। यह बहुत गंभीर बात है। कैंसर आप पर हावी होता है; आप कैंसर को मात नहीं दे सकते। एक बहुत ही ठोस उदाहरण लें। अब यह कैसे होता है? डॉक्टर कहते हैं, इस तरह, उस कारण। हम, सहज योग कैंसर का इलाज कर सकता है, निश्चित रूप से, यह सौ प्रतिशत ठीक कर सकता है, इसने ठीक किया है। कई सहजयोगियों ने कैंसर को ठीक किया है। कैसे? बहुत सरल है। कि तुम स्वयं के स्वामी बन जाते हो और रोग पर भी विजय पाते हो। आप सब कुछ मास्टर करते हैं। चूँकि गुरु तुम्हारे भीतर ही है, वह तुम्हारे चेतन मन में नहीं आया है, एकमात्र कड़ी बची है, और जब ऐसा होता है तो योग होता है, मिलन होता है। अब हमें खुद को पूरी तरह से आत्म-साक्षात्कार तक सीमित रखना चाहिए, ईश्वर के बारे में मैं अगली बार बताऊंगी। आत्म-साक्षात्कार का अर्थ है अपनी आत्मा को अपने चेतन मन में लाना। अब कैंसर कैसे होता है? आइए यहां देखें कि क्या होता है। यह बायीं पक्ष की गतिविधि के कारण होता है। अब बाईं ओर की गतिविधियाँ भावनात्मक आघात, भावनात्मक समस्याएं, भावनात्मक उथल-पुथल, भावनात्मक असुरक्षा हैं - किसी भी तरह की असुरक्षा आपको बाईं ओर ले जा सकती है। ये भयानक गुरु थोड़ा अधिक बायीं तरफ गति करवा सकते हैं क्योंकि वे आपको सम्मोहित करते हैं।वे आपको बाईं ओर ले जाते हैं। वे आप में कुछ भूत डालते हैं या मुझे नहीं पता कि वे क्या करते हैं, लेकिन वे आपको बाईं ओर ले जाते हैं। इनमें से कोई भी एक गतिविधि जो ईश्वर द्वारा अधिकृत नहीं है करने से, आप बाईं ओर जाते हैं, चूँकि आप मध्य में उत्थान नहीं कर पाते। तो या तो आप बाएं जाएं या दाएं। जब आप इन चीजों की अति करते हैं, जैसे काला जादू - आपके पास यहां एक और चीज है जो मैंने सुनी है, किसी प्रकार के संगठन का प्रमुख - और वह व्यक्ति आप देखिये, वह आदी था - वह घर में हर चीज़ को घूमता हुआ देखता था। वह सहज योग में आया और उसका पानी का जग वहां चल रहा था और यह चीज़ वहां चल रही थी और वह यह समझा नहीं सका कि उसके कमरे में क्या हो रहा था। वह बैठा था और उसने देखा कि कुछ इधर से उधर जा रहा है। ऐसा होता है। वो क्या है? वह क्या है जो इस तरह का काम कर रहा है जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते। फिर से हम उसी बिंदु पर आते हैं - कुछ ऐसा जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते। तो आप उस दायरे में प्रवेश कर जाते हैं, उस क्षेत्र में जहां आप किसी अन्य के द्वारा नियंत्रित होते हैं और आप खुद के नियंत्रण में नहीं होते हैं। और जब आप उस क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं, तो मैंने हमेशा देखा है कि सभी कैंसर रोगी इससे प्रभावित होते हैं। सबसे आश्चर्यजनक। वे जागरूक नहीं हैं; वे नहीं जानते कि वे इसमें कैसे प्रवेश करते हैं।

एक महिला के लिए, मान लीजिए, वह अपने पति या शायद कुछ अन्य के बारे में असुरक्षा से पीड़ित है, या शायद वह सोचती है कि उसका पति उसे कभी भी छोड़ सकता है। वह उससे प्यार करती है। यह जो कुछ भी है। ऐसी महिला को स्तन कैंसर हो सकता है, क्योंकि वहां के एक केंद्र में, जिसे आप यहां देख सकते हैं, हृदय का चक्र - जिसे हम मध्य हृदय कहते हैं, असुरक्षाएं घर कर जाती हैं, । अब अगर यह चक्र खराब हो जाता है, अगर कोई महिला किसी भी चीज के लिए असुरक्षित महसूस करती है, तो वह आसन शिकार है - उस पर हमला होने की संभावना है और वह कैंसर में जा सकती है।

इसलिए हमें जीवन को समग्रता में समझना होगा, एक तरह से नहीं। जीवन पर कुल प्रभाव, जीवन का कुल प्रभाव, जीवन के साथ कुल संबंध को समझना चाहिए। अब यह कोई डॉक्टर नहीं जानता। क्या वह जान पाएगा कि जब वह रोगी का इलाज करता है, जैसे स्तन कैंसर, तो क्या उसे पता चलेगा कि यह महिला असुरक्षित है? एक और बीमारी है - एनोरेक्सिया - कई लड़कियां इससे पीड़ित हैं। वे मरीज़ बस खाते नहीं हैं। वे खाना ही छोड़ देते हैं। अब, आप नहीं जानते कि ऐसा क्यों होता है। डॉक्टर इसका इलाज नहीं कर सकते; कोई इसका इलाज नहीं कर सकता। क्या कारण है? एक लड़की का रिश्ता, एक बेटी का पिता के साथ। जैसे, पिता मर जाता है और बेटी पिता को नहीं देखती है, या वह दिल से पिता से प्यार करती है लेकिन वह इसे व्यक्त नहीं करती है, या पिता और बेटी के बीच कोई बुरा रिश्ता आता है, आपको यह बीमारी एनोरेक्सिया हो जाती है। आप चकित होंगे लेकिन डॉक्टरों के लिए यह समझ पाना असंभव है - हमारे यहां कुछ डॉक्टर बैठे हैं - किसी भी चिकित्सा विज्ञान के लिए इस के नजदीक भी जाना असंभव है। क्योंकि वे एक मनुष्य को उसकी समग्रता में नहीं देखते। यह एक बहुत ही नाजुक यंत्र है जिसे भगवान ने बनाया है। जिस प्रकार हम दूसरों के प्रति कठोर होते हैं, जिस प्रकार हम कभी-कभी दूसरों को कष्ट देने का प्रयास करते हैं, दूसरों को असुरक्षित महसूस कराने का प्रयास करते हैं, वह अनुचित, अन्यायपूर्ण है। हमारे ज्ञान के बिना हम वास्तव में उन्हें एक जबरदस्त असुरक्षा देते हैं। और ऐसी असुरक्षाएं ऐसे असाध्य रोगों की शुरुआत कर सकती हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं है।

तो समग्रता को समझने के लिए, हमारे साथ क्या होना चाहिए? हमें उस अवस्था को प्राप्त करना चाहिए जहां हम समग्रता देख सकें। जैसे अगर मुझे अभी देखना है, उदाहरण के लिए, पूरा ब्राइटन, मुझे क्या करना चाहिए? मुझे एक विमान पर जाना चाहिए और इसे उस ऊंचाई से देखना चाहिए। मैं पूरा देख सकती हूं। उसी तरह अपनी जागरूकता में, अपनी समझ में, आपको उस बिंदु तक पहुंचना चाहिए जहां से आप संपूर्ण को देख सकें। यदि आप संपूर्ण नहीं देख सकते तो, आंशिक दृष्टि, या हम कह सकते हैं, जितना कुछ आप देखते हैं वह भ्रम पैदा कर सकता है, समस्याएं पैदा कर सकता है और उनमें से कुछ बहुत, बहुत गंभीर प्रकृति की हो सकती हैं। क्योंकि मनुष्य होने के नाते हम नहीं जानते कि हम क्या हैं। यह मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या है, कि वे कहेंगे, "मुझे यह पसंद नहीं है।" अब यह "मैं" कौन सा है? क्या वह तुम्हारी आत्मा है, या वह तुम्हारा अहंकार है? ऐसा कौन सा हिस्सा है जो इसे पसंद नहीं कर रहा है? या यह आपकी जड़ताकंडीशनिंग है, क्योंकि आप एक विशेष तरीके से पले-बढ़े हैं इसलिए आपको यह पसंद नहीं है? आप में से कौन सा हिस्सा इसे पसंद नहीं कर रहा है? और आप चकित होंगे कि यह आपकी आत्मा नहीं है। क्योंकि अगर आत्मा को पसंद है, तो आप कैसे जानेंगे? यह केवल आपके वायब्रेशन के माध्यम से है। जब आप चैतन्य महसूस कर सकते हैं, तब ही आप कहेंगे, "हां, मेरी आत्मा इसे पसंद करती है", क्योंकि चैतन्य उत्सर्जित हो चुके हैं।

इसलिए हम अभी भी मनुष्य के रूप में एक परिवर्तन के दौर में हैं। हमने उस अवस्था को प्राप्त नहीं किया है जिसे 'आत्म-साक्षात्कार की अवस्था' कहा जाता है जहाँ आप आत्मा बन जाते हैं - बनना ही बिंदु है। जहाँ आप आत्मा बनते हैं, आप जानते हैं कि आपको क्या पसंद है। आप वास्तव में जानते हैं कि आपको वास्तव में क्या पसंद है, क्योंकि अब आप वास्तविकता हैं, तब आप कोई कंडीशनिंग नहीं हैं, आप अब अहंकार नहीं हैं बल्कि आप वास्तव में वही हैं, और वह आपकी आत्मा है। और आश्चर्यजनक रूप से यह आत्मा एक सामूहिक प्राणी है, और यह भी कि, हमारे भीतर कोई कृत्रिम सामूहिकता नहीं है कि, "ठीक है, हम सभी ब्राइटन के हैं इसलिए हम एक हैं" या "हम एक गली के हैं इसलिए हम एक हैं।" यह ऐसा नहीं है, लेकिन कुछ ऐसा है जो आप हैं, बिल्कुल आप एक सामूहिक प्राणी हैं! और आप अपने भीतर उस सामूहिकता को महसूस करने लगते हैं जो इन विभिन्न चक्रों के साथ काम करती है। और आप इसे महसूस कर सकते हैं - अन्य लोगों, आप दूसरों को अपनी उंगलियों पर महसूस कर सकते हैं। क्या तुम विश्वास करोगे? बाइबिल में लिखा है कि आपके हाथ बोलेंगे। इन दिनों का वर्णन यह है कि आपके हाथ बोलेंगे। लोग क्यों नहीं जा कर और पता लगाते हैं कि यह कैसे होता है? आपके हाथ कैसे बोल सकते हैं? ऐसा होता है कि आपकी उंगलियों पर आप महसूस करना और समझना शुरू कर देते हैं कि वास्तविकता क्या है, सुंदरता क्या है, आनंद क्या है, प्यार क्या है। यही बयां पक्ष होता है जो हमें प्राप्त है और आखिरकार इस बाएं पक्ष की समस्याओं से हमें शारीरिक पीड़ा होती है।

बाईं ओर की समस्याओं का होना बहुत दर्दनाक है - यह बहुत, बहुत दर्दनाक है। दर्द को समझाया नहीं जा सकता, कोई समझ नहीं सकता, कोई इसका इलाज नहीं कर सकता, आप किसी को नहीं बता सकते और लोग सोचते हैं कि आप उपद्रव कर रहे हैं, वे आपको मनोवैज्ञानिक उपचार देते हैं। तुम बस यह नहीं समझ पाते कि यह दर्द तुम्हारे भीतर क्यों है। और यह दर्द आपको बायीं ओर से आता है, अवचेतन से। अवचेतन से परे सामूहिक अवचेतन है, और यह सामूहिक अवचेतन वह है जहाँ, सृष्टि में शुरू से लेकर आज तक जो कुछ भी बनाया गया है वह आपके भीतर है। और एक बार जब तुम अवचेतन में चले जाते हो, तो तुम वहीं खो जाते हो। आप अवचेतन की इस शक्ति से इतने अधिक दबाव में आ जाते हो कि, इसे समझना आपके परे है, इससे बाहर निकलना आपके परे है और इसके आगे नहीं झुकना आपके बस के बाहर है। और यह बढ़ता ही जाता है।

जैसे मैंने कुछ लोगों से पूछा: "जब आप जानते थे कि आप इसे नहीं कर रहे थे, कोई और कर रहा था, तो आप ऐसा क्यों करते रहे? फिर भी तुमने ऐसा क्यों जारी रखा?” उन्होंने कहा: "माँ, हम कंबल के नीचे थे, अंधेरा था, हमें नहीं पता था कि हम कहाँ जा रहे थे और बस और आगे बढ़ रहे थे।"

और जैसा कि मैंने आपको पिछली बार कहा था, दोषी महसूस करना सबसे बड़ी बाधा है। सबसे बड़ी रुकावट है क्योंकि एक बार जब आप दोषी महसूस करने लगते हैं तब - बाईं ओर का यह विशुद्धि चक्र अवरुद्ध हो जाता है और - यह बहुत मुश्किल है। और आप नहीं जानते कि आप दोषी क्यों महसूस कर रहे हैं। हर समय आप दोषी महसूस कर रहे हैं लेकिन आप नहीं जानते कि आप दोषी क्यों महसूस कर रहे हैं, आप में ये दोषी भाव क्यों आ रहे हैं? यह कि, अपराध बोध की यह भावना आपको आनंद से, किसी भी चीज का आनंद लेने से, सहज होने से दूर रखती है। क्यों? और यह बताता है कि क्यों हम कभी-कभी बिना किसी कारण दुखी होते हैं। दरअसल, ईश्वर ने हमें दुखी होने के लिए नहीं बनाया है। उसने हमें इतनी खूबसूरती से, इतनी सावधानी से बनाया है। उसने हमें इतने प्यार और करुणा के साथ बनाया है, हमें अकारण दुखी महसूस करने के लिए नहीं बनाया है। वह हमें कोई रोग नहीं देता, कोई समस्या नहीं। लेकिन हमने इन चीजों को बाएं या दाएं चरम पर जाकर खुद ही किया है।

जैसा कि आज मैं केवल बाईं तरफ के बारे में बात कर रही हूं, मैं कहूंगी कि अकारण दुखी महसूस करना भी गलत है, अपने साथ अन्याय करना है। जो लोग बायें तरफ़ा हैं उन्हें पता होना चाहिए कि वे आत्मा हैं, कि वे वह सुंदरता हैं जिसे प्रकट होना है, जिसे स्वयं को व्यक्त करना है। कि वे वे लोग नहीं हैं जिन्हें हर समय कष्ट सहना पड़ता है और दुखी लोगों की तरह रहना पड़ता है। वे नहीं हैं। लेकिन चूँकि वे अपने ऊपर इतना कुछ ओढ़ लेते हैं, अपने ऊपर इतना कुछ भार ले लेते हैं, वे ऐसे हो जाते हैं। और उस असर से बचने के लिए वे कुछ अन्य आदतों को अपना सकते हैं, आप देखिए। बहुत से लोग शराब का सेवन इसलिए भी करते हैं क्योंकि वे जीवन के कष्टों को सहन नहीं कर सकते, वे इसे सहन नहीं कर पाते। इसलिए वे इसे लेते हैं। लेकिन एक बार जब आपके भीतर आत्मा जागृत हो जाती है, तो आप इतने मजबूत हो जाते हैं, आप इतने हर्षित, इतने सहज हो जाते हैं कि ये सभी चीजें छूट जाती हैं, वे सभी चीजें, तथाकथित बीमारियां, तथाकथित आदतें, बस छुट जाती हैं और आप एक नया खिलता हुआ व्यक्तित्व बन जाते हैं।

अब इन चक्रों को अपने भीतर रखे जाने की मूल बातें - आप इसके लिए भगवान को जिम्मेदार मान सकते हैं, "उन्होंने बायीं तरफ हमें ये चक्र क्यों दिए, इसकी क्या आवश्यकता थी? उन्हें ये लेफ्ट साइड नहीं देना चाहिए थी, तब हम जाने के लिए मध्य में ही होते।" लेकिन परेशानी यह है कि मनुष्य को अपनी स्वतंत्रता में यह जानना होगा कि अपने साथ कैसे व्यवहार किया जाए। उन्हें थोड़ा कठिन तरीके से विवेक सीखना है। उन्हें चरम पर जाकर यह अहसास करना होगा कि उन्होंने क्या झेला है। उन्हें इसका एहसास करना होगा क्योंकि अगर उन्हें वास्तव में, बिल्कुल स्वतंत्र बनना है तो उन्हें अपने विवेक में ऊपर उठना होगा। यदि वे विवेकवान लोग नहीं हैं, तो वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते क्योंकि वे स्वच्छंद लापरवाह लोग होंगे।

अर्थात, ऐसे मनमाने लोग हैं, जो किसी भी कानून या नियम को नहीं समझते हैं, अगर आप उन्हें इंग्लैंड में पायें, तो हमें उन्हें जेल में डालना पड़ता है। उसी प्रकार जिन मनुष्यों के भीतर वह विवेक नहीं है - दुखों से ही सीखते हैं, लेकिन हमें दुख नहीं मांगना चाहिए। जब हम दुख मांगते हैं, तो हम वास्तव में गलतियों को शुरू करने के लिए कह रहे हैं। अगर आप गलतियां नहीं करेंगे तो आपको कैसे नुकसान होगा? इसलिए जब हम दुख मांगते हैं तो पहले तो हम गलतियां कर रहे होते हैं। तो जो हमें मांगना चाहिए वह हमारी आत्मा के अलावा और कुछ नहीं है। अगर आप गलतियां नहीं करेंगे तो आपको नुकसान कैसे होगा? इसलिए जब हम दुख मांगते हैं तो हम गलतियां कर रहे होते हैं। तो जो हमें मांगना चाहिए वह हमारी आत्मा के अलावा और कुछ नहीं है। और यदि आप अपनी आत्मा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं, तो यह तो आपकी अपनी ही है और आपको इसे प्राप्त करना है, यह आपके अपने अधिकार में है कि आप इसे प्राप्त करने जा रहे हैं। इसमें ऐसा कहीं नहीं है कि मैं आप पर कोई अहसान कर रही हूं या आपके लिए कुछ खास कर रही हूं, यह सब वहीँ पर पूर्व से ही स्थित है। आप एक दीप की तरह हैं जिसे सिर्फ प्रबुद्ध होना है क्योंकि मैं एक प्रबुद्ध दीप हूं और आप एक प्रबुद्ध दीप बन जाते हैं, आप अन्य दीपों को भी प्रबुद्ध कर सकते हैं। यह बहुत सरल है। यदि आप एक प्रबुद्ध दीप बन जाते हैं, तो आप दूसरों को भी प्रबुद्ध कर सकते हैं। फिर आपको किसी और चीज के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप स्वयं एक प्रबुद्ध दीप बन जाते हैं, यही बात है। यह सब वहाँ है ही, यह सब आपका अपना है, आपको बस इसे प्राप्त करना है। यह बहुत ही सरल है।

कुछ भी बहुत जटिल नहीं है जैसा कि ये लोग इसे प्रस्तुत करते हैं या कुछ भी जिया कि, इन दार्शनिकों ने आपके प्रस्तुत किया है। ऐसा कुछ नहीं। यह बहुत सरल है, यह आपके भीतर है, यह सहज है, यह एक जीवंत प्रक्रिया है, जिस प्रकार जीवंत प्रक्रिया में आप मानव बन गए हैं, आप महा मानव बनने जा रहे हैं। यह बिल्कुल स्वतःस्फूर्त है, आप इसके लिए भुगतान नहीं कर सकते। आप कैसे भुगतान कर सकते हैं? मेरा मतलब है, यह बेतुका है! यदि यह एक जीवंत प्रक्रिया है तो आप भुगतान कैसे कर सकते हैं? आप बड़े होने के लिए पेड़ को कितना भुगतान करते हैं? मेरा मतलब है किसी भी जीवित वस्तु में, क्या हम कुछ भी भुगतान करते हैं? हम अपनी नाक को सांस लेने के लिए कितना भुगतान करते हैं? क्या हम इसके लिए भुगतान कर सकते हैं? यह बेतुका है, यह हास्यास्पद है। क्या हम इसके लिए भुगतान कर सकते हैं? हम नहीं कर सकते, यह एक जीवंत प्रक्रिया है, हमें बनना है, अंडे को चूजा बनना है। अब आप मुर्गी बनने के लिए अंडे का कितना भुगतान करते हैं? या अंडा मुर्गी बनने के लिए माँ को कितना भुगतान करता है? यह हास्यास्पद है, लेकिन हम यह कभी नहीं समझते कि जीवंत चीजें इतनी सहज हैं। हम जीवंत चीजों का कभी अवलोकन नहीं करते हैं, हम पदार्थ के साथ जीते हैं, हम निर्जीवों के साथ रहते हैं, जीवित चीजों के साथ नहीं। यदि आप एक पेड़ का अवलोकन शुरू करें, तो आप एक फूल का अवलोकन करना शुरू करते हैं कि वह कैसे फल बनता है। तुम यह देख भी नहीं सकते क्योंकि यह इतनी धीमी गति से करता है, तुम फूल को फल बनते भी नहीं देख सकते। अचानक आप पाते हैं कि सब सामने आ रहा है। जैसे जब मैं भारत से लंदन आयी तो मैंने पाया कि सभी पेड़ नग्न थे, बिल्कुल सूखी लकड़ियों की तरह, बिल्कुल सूखी लकड़ियों की तरह। एक सप्ताह के भीतर, मुझे जो दिखाई देता है वह है हरा रंग आ रहा है; और दूसरे सप्ताह के भीतर यह सब हरा-भरा था, आप इस पर विश्वास नहीं कर सकते। हम कभी ध्यान भी नहीं देते, हम इसे मान लेते हैं, यह हो रहा है। यह कैसे होता है? यह एक चमत्कारी बात है। यदि आप इसे देखते हैं, तो यह चमत्कारी है! कैसे ये फूल, उदाहरण के लिए विशेष फूल केवल पेड़ विशेष पर ही आते हैं और दुसरे तरह के फूल दुसरे वृक्ष विशेष पर| यह कैसे होता है? उन्हें कौन चुनता है? उन्हें आकार विशेष में कौन रखता है? वह सब कौन आयोजित करता है? और व्यक्ति को इसे ही समझना है और यही ईश्वर की सर्वव्यापी शक्ति है जो सभी जीवंत कार्य करती है। और एक बार तुम वह बन जाओ - आत्मा - तब यह शक्ति तुम्हारे भीतर बहने लगती है। आप अपने माध्यम से बहती इस शक्ति को उसी तरह महसूस करते हैं जैसे कि ईसा-मसीह को जब स्पर्श हुई थी और उन्होंने कहा कि कोई शक्ति किसी के पास गई है, उस तरह से।

तुम बस उस शक्ति के प्रवाह के माध्यम बन जाते हो। लेकिन आप इसे संचालित करने, इसे प्रबंधित करने, इसे समझने के लिए सशक्त हैं। आप इसके बारे में पूरी तरह से जानते हैं, आप इसे देना जानते हैं, आप जानते हैं कि इसे कैसे कार्यान्वित करना है, आप जान जाते हैं कि दूसरों को कैसे ठीक करना है, कैसे खुद को ठीक करना है। आप अपनी मशीनरी का पूरा काम जान जाते हैं। इसके अलावा, आपको अपनी मशीनरी की सभी समस्याओं को दूर करने की शक्ति भी मिलती है। यह बहुत शानदार है, पूरी बात बहुत शानदार लगती है क्योंकि हमने इसे पहले कभी नहीं देखा है। लेकिन जब हम इन सभी फूलों को अचानक फल में बदलते देखते हैं तो हमें यह कुछ विशेष शानदार नहीं लगता। यह आवाज नहीं करता है। लेकिन हम मनुष्य को फल बनते देखते हैं, तो यह बहुत ही शानदार लगता है, "ऐसा कैसे हो सकता है?" ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। केवल एक ही व्यक्ति को बोध होता था और यह भी कितनी कठिन बात थी और किसी को नहीं मिली। आज कैसा है? मैं कहती हूं, यह खिलने का समय है, जिसका वादा किया गया है, जिसकी पहले ही भविष्यवाणी की जा चुकी है। आपके देश के एक महान कवि विलियम ब्लेक ने भी इसकी भविष्यवाणी की है। उसने कहा कि ऐसे समय आएंगे, जब परमेश्वर के लोग पैगंबर बनेंगे और इन पैगंबरों को दूसरों को पैगंबर बनाने का अधिकार होगा। मेरा मतलब है कि ब्लेक से ज्यादा सटीक कोई नहीं हो सकता, मैं आपको बताती हूं। वह यह कहने के लिए बहुत महान थे कि ऐसा होगा और हमें यही उम्मीद करनी है। जब हम किसी के पास खोजने जाते हैं। क्या हम पैगंबर बन गए हैं? और एक पैगंबर क्या होता है? पैगंबर एक ऐसा व्यक्ति है जो एक सामूहिक प्राणी है और जो इसके बारे में सब कुछ जानता है, जो स्वामी है।

हम पैगंबर को गुरु कहते हैं। और वही बनना है : स्वामी! और वह महारत बहुत सरल है क्योंकि यह सब आपके भीतर निर्मित ही है बस इसे जोड़ना है। जैसे टेलीविजन सेट जैसी किसी भी चीज को मुख्य विधुत स्त्रोत्र से जोड़ा जाना है, यह सब अंतर्निहित है, यह वहां है, यह बस काम करना शुरू कर देता है। वैसे ही आप वो हैं, आप वो हैं। बस इसे जोड़ा जाना है। आपकी जाति, समुदाय, नस्ल, राष्ट्रीयता, आकार, ऊंचाइयां कुछ भी हो, कुछ भी हो, कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आप सभी के भीतर यह महान चीज है, यह पुनर्जन्म की शक्ति है और आपको फिर से जन्म लेना है, और तुम फिर से पैदा हो जाओगे। आज क्यों नहीं?

गुस्सा करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि लोग कभी-कभी गुस्सा हो जाते हैं क्योंकि उन्हें यह पसंद नहीं है कि कोई उन्हें कुछ ऐसी बात बताए, जिसका उन्हें खुद बुरा लग रहा हो। उन्हें यह पसंद नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि कोई शराबी है और वह बहुत अधिक पीता है, तो वह शराबी है, उसे यह पसंद नहीं है और उसे बुरा लगता है, और यदि कोई उससे कहता है, यहां तक ​​कि सबसे कोमल तरीके से भी कि "बेहतर होगा कि आप शराब पीना छोड़ दें", उसे यह पसंद नहीं है। लेकिन मैं जो कह रही हूं वह यह नहीं है कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, मैंने कहा कि ऐसा होगा कि यह बस छूट जाता है। मैं यह नहीं कहती, "तुम यह मत करो" या "ऐसा मत करो", लेकिन यह बस हो जाता है। और आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि समस्या क्या है और समस्या को कैसे दूर किया जाता है। इसलिए मुझे बात करनी पड़ती है, नहीं तो इसके बारे में बात करने की कोई जरूरत नहीं है, यह बस काम करता है। यह सिर्फ इसलिए काम करता है क्योंकि आप इसे पाने के लिए तैयार हैं और आप इसे प्राप्त करते हैं। मैं कुछ नहीं करती। मैं सिर्फ एक उत्प्रेरक हूं, मुझे कहना चाहिए कि यह काम करता है।

मुझे आशा है कि, इससे पहले कि हम किसी भी प्राप्ति के लिए आगे बढ़ें, आप मुझसे इसके बारे में कुछ प्रश्न पूछेंगे। अगर आपके पास कोई प्रश्न हैं, तो कृपया पूछिए। आपको पूछना चाहिए।

हाँ?

आदमी : आप जो कह रही हैं और जो गुरु महाराज जी कह रहे हैं उसमे कोई फर्क है...

कौन?

आदमी: गुरु महाराज जी|

अब, मैं आपको एक बात बताती हूँ। जब आप किसी गुरु की बात करते हैं तो मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहती। ठीक है? वह पहली बात मैं आपको बताती हूँ। परन्तु मैं तुम से कहूंगी कि, अपने आप से पूछो या किसी से पूछो, उस ने किसी के लिये क्या किया है? क्या वह आपको कोई शक्ति, या किसी को भी शक्ति देने में सक्षम है? ठीक है? अब, मैं आपको उन सभी को बता सकती हूं जो यहां हैं जो आत्मसाक्षात्कारी हैं, जो यहां हैं, वे दिखने में आपके जैसे ही हैं। बेशक आप चेहरे से यह पता लगा सकते हैं कि वे बहुत शांत और बहुत प्रसन्न लोग हैं। लेकिन वे लोगों को ठीक कर सकते हैं, वे लोगों को बोध दे सकते हैं, वे लोग जो आपके साथ गलत है और जो खुद के साथ भी कष्ट है, सब कुछ समझते हैं। तो उसने आपकी जागरूकता के लिए क्या किया है? कुछ भी तो नहीं।

अब, उनके शिष्यों, उन्होंने क्या हासिल किया है? आप उनसे पूछिए, "इस व्यक्ति की कुंडलिनी कहाँ है? इस महिला की समस्या क्या है या उसके दिमाग में क्या चल रहा है?" वे नहीं कह पाएंगे। यदि आप यह भी नहीं समझ सकते कि किसी अन्य व्यक्ति के साथ या अपने साथ क्या गलत है, तो आप कैसे मदद करने जा रहे हैं? ऐसे सभी लोग, वे करते क्या हैं? देखिए। समझने की सरल बात यह है कि वे आपको मंत्रमुग्ध कर सकते हैं। आप थोड़ी देर के लिए खुश महसूस कर सकते हैं, यह शराब पीने जैसा है, आप जानते हैं, यदि आप पीते हैं, तो आप खुश महसूस करते हैं। लेकिन शराब पीकर तुमने हासिल क्या किया? क्या हम गुरु बन गए हैं? वे सब ऐसे ही हैं। आप देखिए, यह सज्जन, इसलिए स्पष्ट रूप से क्योंकि उन्होंने रोल्स रॉयस के लिए पूछा था। एक पैगंबर के लिए रोल्स रॉयस क्या है? मेरा मतलब है कि इससे क्या फर्क पड़ता है? आप मेरी बात पर गौर करें? यह इतना स्पष्ट है, मेरा मतलब है कि यह तार्किक रूप से इतना स्पष्ट है। सबसे पहले, जो कोई भी आपसे पैसे लेता है, वह एक परजीवी है, उतना ही सरल। और सभी वस्तुओं में से रोल्स रॉयस की मांग करना, क्या आप समझ सकते हैं? आपको ईसा-मसीह का उदहारण प्राप्त है। आप ईसा-मसीह के जीवन से देख सकते हैं। क्या वह आपकी रोल्स रॉयस की परवाह करेंगे?

ऐसे व्यक्ति के लिए - वह एक राजा है, उसे परवाह नहीं है कि उसके पास रोल्स रॉयस है या नहीं, वह जमीन पर सोता है या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसा व्यक्ति किसी भी चीज़ की परवाह नहीं करता, क्योंकि वह आराम में है, उसे अपना आराम मिला है। वह स्वाभिमानी व्यक्ति हैं। क्या आपको लगता है कि वह कुछ भी मांगेगा? मेरा मतलब है कि यह इतना स्पष्ट है, आप लोगों के लिए यह इतना स्पष्ट है। लेकिन जब मैं इस गुरु (जिसके बारे में आप जिक्र कर रहे थे )के लोगों से इस बारे में कुछ भी बात करती हूं, तो उन्होंने कहा: "माँ, हमने उन्हें धातु दी और वह हमें आत्मा देते है।" क्या ऐसा कोई विनिमय संभव हो सकता है? क्या आप अपनी आत्मा खरीद सकते हैं? अपने तर्क का प्रयोग करें, ठीक है? ईश्वर ने हमें समझने के लिए दिमाग दिया है, तार्किक रूप से हम उसका उपयोग कर सकते हैं। क्या आप खरीद सकते हैं, क्या आप आत्मा खरीद सकते हैं? क्या यह इतना आसान नहीं है? हम इसके लिए भुगतान नहीं कर सकते, मेरे बच्चे, हम नहीं कर सकते।

अगर आप मुझे एक फूल देना चाहते हैं, तो ठीक है। यह सिर्फ आपके प्यार की अभिव्यक्ति है, और बस इतना ही। लेकिन तुम मुझे खरीद नहीं सकते। आप नहीं कर सकते। तुम्हारा प्यार मुझे खरीद सकता है, ठीक है, यह अलग बात है। लेकिन आप मुझे धातु और पैसे से नहीं खरीद सकते, है ना? रोल्स रॉयस क्या है? मेरा मतलब है कि मुझे नहीं पता कि ये सभी ताज और चीजें क्या हैं। वे किस चीज़ के लिए अच्छे हैं? वे तुम्हें आनंद नहीं देते। जाओ और उन लोगों से पूछो जो मुकुट पहनते हैं। एक अन्य दिन मैं श्रीमती थैचर के साथ था। बेचारी, वह बहुत दुखी थी। हाँ वह थी! तुम्हें पता है कि, मैंने उसे

एक तरह से शांत करने का प्रयास किया, उसके वायब्रेशन। वह बहुत दयनीय थी। हम टेबल पर आमने-सामने बैठे आपस में बातें कर रहे थे। और मैं क्या कर रही थी बस उसे संतुलित करने का प्रयास - बेचारी, वह बहुत परेशान थी, वह बहुत थी। तो, आपको समझना चाहिए, आप बहुत सरल लोग हैं, आप प्राचीन काल के साधक हैं। आप आज के साधक नहीं हैं, प्राचीन काल के साधक हैं। और इस बार तुमसे पहले भी वादा किया गया है। और अब आपको इसे खोजना होगा। अब आपको अपना तर्क सीधा रखना चाहिए। मेरा मतलब है कि कोई भी जो रोल्स रॉयस की मांग करता है, मेरा मतलब है कि यह एक स्पष्ट उदाहरण है जो मैं कहूंगी, कोई गुरु नहीं हो सकता। यह सबसे अधिक स्पष्ट है, बिल्कुल ... में से एक है लेकिन कुछ सूक्ष्मतर भी हैं। वह इतना सूक्ष्म नहीं है। आप कुछ ही समय में इससे बाहर निकल जाएंगे, मुझे पता है, आप सभी। लेकिन जो सूक्ष्म हैं, वे और भी बुरे हैं। उनमें से कुछ शायद पैसे भी नहीं मांगते, शायद नहीं। मैं किसी के बारे में नहीं जानती, लेकिन कुछ हो सकते हैं क्योंकि मैंने किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सुना है जो अब भारत में पैसे नहीं लेता है। उसने यहाँ पैसा कमाया है और अब वह भारत चला गया है और वह उनसे पैसे नहीं लेता है। लेकिन जिसने सच में पैसे नहीं लिए हैं, एक शख्स जिसे मैं जानती हूं, महिलाओं का इस्तेमाल कर रहा है। उसे पैसे वाले भाग में कोई दिलचस्पी नहीं है, वह आपकी महिलाओं का उपयोग कर रहा है। आप देखिए तो, यह इस प्रकार है, आपको समझना चाहिए। उसकी दिलचस्पी आपकी आत्मा में नहीं है, बल्कि आपके बटुए में या आपकी महिलाओं में है। कल्पना कीजिए। लोगों की इन गंदी आदतों के साथ पवित्रता को कैसे जोड़ा जा सकता है? इसका मतलब है कि वे स्वयं अपनी इच्छाओं के नियंत्रण में हैं जो ईश्वर विरोधी हैं।

ये सभी ईश्वर विरोधी गतिविधियां हैं। और तुम लोग के इतने सरल हृदय के होने के कारण, मैं तुमसे कहती हूँ, तुम बहुत सरल हृदय के हो! यदि आप किसी भारतीय से कहते हैं कि एक गुरु रोल्स रॉयस लेता है, तो वह कहेगा "एह।" वे तुरंत रद्द कर देंगे। वे इस आदमी को जानते हैं, वे कैसे कर सकते हैं? भारत में किसी गुरु को कोई नहीं देगा। गुरुओं को कभी-कभी लोगों को लुभाने के लिए पहले भुगतान करना पड़ता है। पश्चिमीकृत भारतीय, यह थोड़े अलग है; लेकिन जो असली भारतीय हैं, वे, आप देखिए कि वे ऐसे लोग हैं जो माताओं के साथ रहते हैं और वे जानते हैं कि कौन क्या है, आप समझे। कोई भी उन्हें धोखा नहीं दे सकता, वे बहुत व्यावहारिक लोग हैं। हाँ, मेरे बच्चे?

महिला: क्या आप विश्वास के द्वारा चंगे हो सकते हैं?

ओ, आस्था दो प्रकार की होती है, जिसे हम संस्कृत में 'श्रद्धा' कहते हैं, वह उससे भिन्न है जिसे आप आस्था कहते हैं। अंग्रेजी में वे इसे "अंध विश्वास" के रूप में और दूसरे को विश्वास के रूप में उपयोग करते हैं। ठीक है? हम इसे ऐसे समझ सकते हैं। अब, अंध विश्वास यह है, कि "मुझे ईश्वर में विश्वास है और ईश्वर मुझे ठीक कर देगा।" यह एक आस्था है। ठीक है? एक और श्रद्धा है जो प्रबुद्ध है जहां मैं कहती हूं कि आप आत्मा हैं जब आप जुड़े होते हैं। अब, यदि आप कहते हैं कि "मुझे भगवान में विश्वास है", तो जब मैं आपको सच बताती हूं तो आपको दुख नहीं होना चाहिए, ठीक है? क्योंकि अगर यह अंध विश्वास है तो इसका मतलब है कि आप अभी तक शक्ति से जुड़े नहीं हैं। जुड़े नहीं हैं।

देखिए, अब मान लीजिए कि मैं कहना शुरू करती हूं, "क्राइस्ट, क्राइस्ट, क्राइस्ट, क्राइस्ट!" ईसा-मसीह मेरी जेब में नहीं है। मैं एक प्रधानमंत्री या रानी से बिना प्रोटोकॉल या संबंध या किसी प्रकार के, आप देखिए, पद या, हम कह सकते हैं, एक अधिकार के बिना नहीं मिल सकती। है ना? अब जब हम ऐसे किसी के बारे में बात करते हैं, तो कुछ लोग जपते रहते हैं, "राम, राम, राम, कृष्ण, कृष्ण", आप देखिए, ये सभी अवतार हैं और क्राइस्ट भगवान के पुत्र हैं। वह एक राजा का पुत्र है और आप उनसे नहीं मिल सकते। आप उसे बस यूं ही पुकार नहीं सकते। वह तुम्हारी आवाज़ सुनने नहीं बैठा है, वह तुम्हारा सेवक नहीं है। ठीक है?

अब, उस तरह का विश्वास रखने के लिए जब आप जुड़े नहीं होते हैं, यदि आप स्वस्थ हो जाते हैं, तो आप किन्ही अन्य एजेंसियों द्वारा चंगे किये जाते हैं, न कि ईसा-मसीह द्वारा। लेकिन अगर आप एक आत्मसाक्षात्कारी हैं और फिर आप स्वास्थ्य पाते हैं, तो यह ईसा-मसीह द्वारा किया जाता है। मैं आपको एक अंतर बताऊंगी, उपचार का एक बहुत ही साफ़-स्पष्ट अंतर। हमारे पास इंग्लैंड में है - हमारे पास था, अब मुझे नहीं पता कि आपके पास वह है या नहीं, यह एक संगठन है जिसे 'स्वर्गीय डॉ लैंग का अंतर्राष्ट्रीय उपचार केंद्र' कहा जाता है। अब यह डॉ. लैंग मर चुका था, मेरा मतलब है कि वह स्वर्गवासी था लेकिन, उसका उपचार केंद्र था। आप देखिए, और यह सज्जन मर गया और उसने कब्ज़ा लिया वियतनाम में एक आदमी, एक सैनिक को , उसका अपना बेटा नहीं बल्कि एक सैनिक। अब इस सिपाही से इस डॉ. लेंग ने कहा- मेरा मतलब है, वे बहुत ईमानदार लोग हैं, अंग्रेज होने के नाते, वे ईमानदार हैं और वे सच कहते हैं, आप देखिए। वे यह नहीं कहते हैं कि "हम इसे ईश्वर के माध्यम से करते हैं" या ऐसा ही कुछ भी। तो उन्होंने कहा कि कई डॉक्टर हैं - मुझे आशा है कि डॉक्टरों को कोई आपत्ति नहीं होगी - जो मर चुके हैं और जो बहुत महत्वाकांक्षी थे वे अभी भी लोगों को ठीक करना चाहते हैं। और "वह मेरे बेटे के पास वापस जाए और उसे वह सारी कहानी बताए कि, मैं आप में आया हूं और मेरा बेटा विश्वास करेगा।" तो उसने कहा, "वह मुझ पर कैसे विश्वास करेगा?"

उन्होंने कहा, "नहीं, नहीं। मैं आपको कुछ रहस्य बताऊंगा जो केवल वह और मैं, हम दोनों ही साझा करते हैं। तो वह निश्चित रूप से आप पर विश्वास करेगा।"

तो यह व्यक्तिसैनिक मान गया। वह एक बहुत ही स्वस्थ व्यक्ति था, वास्तव में इस आत्मा ने उसमें प्रवेश तब कर लिया जब वह किसी सदमे में आ गया था, कुछ ऐसा जो उसने देखा जिसने उसे युद्ध में सदमा दे दिया और यह आत्मा प्रवेश कर गई। और वह उस आत्मा द्वारा किसी तरह इंग्लैंड ले जाया गया जहां वह अपने बेटे से मिला और उसने पूरी कहानी बताई। और बेटे को विश्वास करना पड़ा क्योंकि वह इतने सारे रहस्य जानता था। और उन्होंने इस उपचार केंद्र की शुरुआत की।

अब मुझे स्वर्गीय मिस्टर लैंग के बारे में कैसे पता चला, यह बात है। उन्होंने एक महिला को ठीक किया जो भारत में थी - बहुत समय पहले - यह 1970 की बात है जो मैं आपको बता रही हूँ। और वह मुझे मिलने आई, और वह कांप रही थी, घबराई हुई थी, वह ऐसी है। मैंने कहा, "यह क्या है?"

उसने कहा, "मैं किसी एक बीमारी से बीमार थी और मैं एक ऑपरेशन से डरती थी और मुझे इस संगठन के बारे में पता चला, मैंने उन्हें लिखा और उन्होंने मुझे यह कहते हुए लिखा कि 'इस समय इस तारीख को हम आपके शरीर में प्रवेश करेंगे।" खुले तौर पर, मेरा मतलब है कि वे यह नहीं कहते कि "हम ईश्वर हैं" या ऐसा ही कुछ भी। "हम आपके शरीर में प्रवेश करेंगे और आप थोड़ा कांपते हुए महसूस करेंगे, कोई बात नहीं, और आप सो जाएंगे और हम इसे ठीक कर देंगे।" और उसने कहा, "मैं उस बीमारी से ठीक हो गई।"

लेकिन तीन साल के बाद, पूरा शरीर कांपने लगा और वह इसे और सहन नहीं कर सकी और वह मुझसे मिलने आई। इस तरह मुझे डॉ. लैंग के बारे में पता चला, आप देखिए, कि उन्होंने कब्ज़ा रखा था - इस बेचारी को तीन साल तक प्रताड़ित किया गया, उसने बहुत कुछ सहा। और फिर वह मुझसे मिलने आई। तो लैंग के शरीर में प्रवेश करने के बाद - डॉ लैंग - छह साल बाद वह मुझसे मिलने आई क्योंकि तीन साल वह ठीक थी, और तीन साल बाद यह शुरू हो गया। और इस तरह मुझे उन सभी आत्माओं का पता चला जो उसमें प्रवेश कर चुकी थीं, डॉक्टर और वह सब। यह एक भयानक मामला था। बेशक वह बाद में ठीक हो गई, इसमें कोई शक नहीं। क्योंकि जब आप आत्मा बन जाते हैं, तो आप अपने किले में होते हैं, कोई भी आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता है। आप कुछ ऐसा बन जाते हैं जो दूषित नहीं होता है, बाध्य नहीं होता है, कोई भी हावी नहीं हो सकता है। और इस तरह वह ठीक हो गई।

तो विश्वास के साथ, अगर कोई कहता है, "ओह, तुम ठीक हो जाओगे" आप देखिए और वे चीखना और चिल्लाना शुरू कर देते हैं और यह और वह, और अचानक आप महसूस कर सकते हैं, शायद एक भूत है। वे कभी-कभी इन भूतों को अदल-बदल भी देते हैं, यह बहुत आश्चर्यजनक है। वे एक भूत को बदल कर दूसरा रख सकते हैं। मैंने ऐसे मामले भी देखे हैं। मैंने भूतों में हर तरह की चीजें देखी हैं। एक अन्य दिन, केवल आठ दिन पहले, क्या वह नहीं था, मैरी, जब यह करिश्माई साथी आया था? आठ दिन पहले फ्रांस में एक सज्जन आए थे। युवा साथी, लगभग चौबीस साल का करीब तो होना चाहिए। वह इतना अधिक आंदोलित था और रोने लगा और एक अजीब तरह की चीज जो मैंने कभी नहीं देखी, एक भूत, उसमें प्रवेश की हुई। पूरा बदन काँप रहा था। और मेरा मतलब है कि वह नीचे गिर गया, वह रोने लगा, बिलखने लगा, सब कुछ हुआ। और उन्होंने कहा कि "मैं करिश्माई आंदोलन में गया जहां मुझे यह मिला, और कई लोग इसे प्राप्त करते हैं।" और उन्हें लगता है कि उनमें होली घोस्ट का प्रवेश हो गया है। अब जरा कल्पना कीजिए। होली घोस्ट आपको दुखी कैसे कर सकती है ? मुझे नहीं पता कि ये विचार कहाँ से आते हैं। और बेचारा बच्चा, तुम्हें पता है, उसने बहुत कुछ सहा। अब वह ठीक है। लेकिन उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह ठीक हो सकता हैं, क्योंकि उन्होंने सोचा ... और फिर वे कहते हैं, "ये आपके पाप हैं और आपको अपने पापों से छुटकारा पाना है और इसलिए आप पीड़ित हैं, जो आपके साथ क्या हो रहा है, आपने बुरे कर्म किए हैं, और यह और वह। लेकिन कुंडलिनी के उठने पर आपके बुरे कर्म और उन सभी चीजों का समाधान हो सकता है। इसके लिए विशेष रूप से एक चक्र है जिसे वास्तव में यहां ईसा मसीह द्वारा सुशोभित किया जा रहा है। क्या आपने उन्हें इस चक्र के बारे में बताया? ठीक है। तो यह चक्र है, कि जब कुंडलिनी उस से गुजरती है - इसलिए वे कहते हैं कि आपको इससे गुजरना है - वह जागृत हो जाता है, और जब वह जागृत होता है तो ये दो गुब्बारे जो दिखाई दे रहे हैं, वे अहंकार और प्रति अहंकार के हैं, आपकी सभी बाईं ओर की कंडीशनिंग और समस्याएं और दाईं ओर की समस्ययाएं शोषित कर ली जाती है| इसलिए उन्होंने कहा कि वह हमारे पापों के लिए मरा। उन्हें प्राचीन भारतीय शास्त्रों में महाविष्णु के रूप में वर्णित किया गया है, लेकिन आप देखते हैं कि जब मिशनरी भारत गए तो उन्होंने ईसा-मसीह की एक बहुत ही गलत छवी प्रस्तुत की, बिल्कुल गलत छवी, इसलिए वे अभी भी महाविष्णु के आने की उम्मीद कर रहे थे। और यह ऐसा ही है। मिशनरियों के अनुसार, वह किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में माना जाता है, जो लोगों को धर्मान्तरित करता है और वह सब बकवास है। लो देखो? क्या वास्तविक बात यह नहीं है कि, उसे हमारे भीतर जागृत होना है। ऐसा खुद उसने कहा। उन्होंने कहा, "मुझे तुम्हारे भीतर पैदा होना है।" और यह वही है। जब कुंडलिनी उठती है, तो वह हमारे भीतर उस केंद्र को जागृत करती है और हमारी सारी कंडीशनिंग और अहंकार शोषित कर लिया जाता है, यहां फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र में एक रास्ता बनायाई जाता है जिसके माध्यम से कुंडलिनी गुजरती है और आप अपने सिर से ठंडी हवा को बाहर आते हुए महसूस कर सकते हैं। यह वही है। और आप इसे अपने हाथों में महसूस करते हैं। ऐसा नहीं है कि आप किसी के पीछे पागल हैं, आपने देखा? यह ऐसा नहीं है। ऐसा नहीं है, आप देखिए, ऐसा कुछ भी नहीं है। आप महान आध्यात्मिक मूल्य के स्वाभिमानी, सामान्य, प्रतिष्ठित व्यक्तित्व बन जाते हैं, जो आप हैं। ठीक है? तो यही है जो श्रद्धा है और अंध विश्वास है। हाँ, मेरे बच्चे।

व्यक्ति: यह अवधारणा बहुत कठिन लगती है कि आत्म-साक्षात्कार में कुछ व्यक्तिगत प्रयास शामिल नहीं है| क्या यह वास्तव में किसी को भी प्रभावी रूप से प्राप्त हो सकता चाहे वह कितन ही भौतिकवादी हैं? क्या मैं यही समझ रहा हूँ?

हाँ, यह देखने में बहुत कठिन प्रतीत होता है और लोग कितने भौतिकवादी हैं यह भी निःसंदेह सत्य है, लेकिन आत्मा पदार्थ से कहीं अधिक बलवान है। और जब उसे व्यक्त करना होता है, तो वह उस सब को पूरी तरह से कुचल देता है और आ जाता है। अब, हमारे पास यहां, आप में से अधिकांश अंग्रेज लोग हैं, मुझे कहना चाहिए, वे बहुत ही पश्चिमीकृत, बहुत भौतिकवादी लोग थे, मुझे कहना चाहिए, मेरा मतलब है कि उस दुनिया में रहते हुए, वे भौतिकवादी नहीं भी हो सकते हैं क्योंकि अगर वे साधक नहीं हैं, तो वे मेरे पास नहीं आए होते। लेकिन एक नए प्राणी का जन्म हुआ है।

यदि आप एक अंडे को देखते हैं तो आपको लगता है, "ओह, यह कितनी कठोर चीज है!" लेकिन अगर यह सही समय पर सही समझ से टूट जाए तो पक्षी बन जाता है। क्योंकि एक जीवंत प्रक्रिया ही सब कुछ है, केवल अंतिम सफलता प्राप्त करनी होती है। जाहिर तौर पर यह मुश्किल लगता है, लेकिन मेरे लिए ऐसा नहीं है। शायद मुझे काम पता है। ठीक है? जी हाँ, ऐसा लगता है... कुंडलिनी के बारे में कई लोगों ने तरह-तरह की बातें भी कही हैं। मुझे कहना होगा कि कुछ किताबें मैंने देखी हैं जो डरावनी हैं। आप देखिए कि, जब आप काम के जानकार नहीं हों, सब कुछ नहीं जानते - मान लीजिए कि अगर किसी व्यक्ति को कार चलाना नहीं आता है, तो आप देखिए, और वह कार में बैठ जाए तब वह जिस तरह से वर्णन करता है वह भयानक होगा। आप कभी कार के पास भी नहीं फटकेंगे, है ना? यह ऐसी बात है। जो अधिकृत नहीं है और काम करना नहीं जानता उसे नहीं करना चाहिए। लेकिन आपके साथ ऐसा होता है, कि आप आत्मा बन जाते हैं, आप अपने गुरु बन जाते हैं और आप इस कला में निपुण बन जाते हैं - इस कला के गुरु ! हाँ, मेरे बच्चे? मैं आपको सुन नहीं पायी?

प्रश्न: आपने पहले सम्मोहन का उल्लेख किया था और आपने यह भी कहा था कि आपने स्वयं को उत्प्रेरक के रूप में माना... क्या आपको नहीं लगता कि सम्मोहनकर्ता भी स्वयं को उत्प्रेरक के रूप में मानता है?

हां बिलकुल सही। हाँ, हाँ, कोई शक नहीं! हां, हां यह सच है, लेकिन अंतर यह है कि सम्मोहनकर्ता आपको अपने वश में कर लेता है। वह आपको, आपकी जागरूकता को कोई शक्ति या कोई नया आयाम नहीं देता है, आप देखिए? दोनों में जबरदस्त अंतर है। तुम देखो, तुम्हारे भीतर तुम्हारी अपनी शक्ति है। कहो, उदाहरण के लिए, ठीक है, तुम्हारी आत्मा वहाँ। अब मैं उत्प्रेरक हूं, आप देखिए, आप चम्मच का इस्तेमाल जहर देने के लिए कर सकते हैं या इसका इस्तेमाल अमृत देने के लिए कर सकते हैं। ठीक है? तो अगर तुम अमृत देते हो, तो यह बहुत अच्छी बात है; और यदि आप जहर देते हैं, तो यह भयानक है। यह इस प्रकार है। अब सम्मोहनकर्ता सम्मोहन का उपयोग करता है - वह कैसे सम्मोहित करता है यह मुद्दा है। वह जो करता है वह आपको आपके अवचेतन में, आपके सामूहिक अवचेतन में धकेलता है, जहां वह आप पर हावी हो जाता है। आप उसकी शक्ति के अधीन हैं। यदि वह कहता हैं, तुम बच्चे की तरह हो जाओ तो, तुम बच्चे की तरह हो जाते हो। "आप एक छोटी बोतल चूसते हैं", आप इसे करते हैं। यह सब क्या है? लेकिन यहां आप इस अर्थ में आत्मा बन जाते हैं कि आप सामूहिक रूप से जागरूक हो जाते हैं। यह कोई सम्मोहन नहीं है क्योंकि आप स्वयं इसे महसूस कर सकते हैं।

अब, उदाहरण के लिए, आप दस बच्चों को लेते हैं जो साक्षात्कारी आत्मा हैं। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो साक्षात्कारी आत्मा होते हैं, छोटे बच्चे भी। और आप उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के पास ले जाते हैं जो किसी परेशानी से पीड़ित है, ठीक है? अब तुम उनकी आंखें बांधो और उनसे पूछो, "इस सज्जन की क्या समस्या है?" वे वही उँगलियाँ उठाएँगे, सब एक ही उँगलियाँ उठाएँगे, कहते हैं "यह जल रहा है।" आप देखते हैं, क्योंकि आप जो जलन, सुन्नता या ठंडी हवा की अनुभूति महसूस करते हैं - , एक स्पंदनात्मक प्रकृति की एक नई जागरूकता आपके भीतर पैदा होती है। ऐसा सम्मोहन से नहीं होता।

इसके विपरीत, सम्मोहन के बाद आप इतना थका हुआ और समाप्त महसूस करते हैं जैसे कोई आपके घोड़े की सवारी कर रहा हो। यह बिलकुल दूसरा ही तरीका है। और आप अपने आप में विकसित होने लगते हैं और समझते हैं, आप उन लोगों को ठीक कर सकते हैं जिन्हें आप समझते हैं कि कौन से चक्र हैं जो पकड़ रहे हैं, आप समझते हैं कि दूसरे व्यक्ति के चक्र कौन से हैं जो पकड़ रहे हैं। शुरुआत में कभी-कभी लोगों को भ्रम होता है, मैंने देखा है कि, वे नहीं समझ पाते हैं कि, ये चक्र मेरे हैं या तुम्हारे| लेकिन हमारे पास ऐसी विधियाँ और तरीके हैं जिनसे आप भेद कर सकते हैं। आप देख सकते हैं कि आपके कौन से चक्र पकड़ रहे हैं और कौन से चक्र दूसरे व्यक्ति पकड़ रहे हैं। आप यह भी जानते हैं कि उन्हें कैसे ठीक किया जाए, आप यह भी जानते हैं कि कैसे दूसरों को आत्मसाक्षात्कार देना है, और उन्हें अपनी शक्तियों से सशक्त बनाना है। यह ठीक विपरीत है। लेकिन उत्प्रेरक भयावह भी हो सकता है, और उत्प्रेरक बस स्वर्गीय भी हो सकता है।

प्रश्न: क्या कोई व्यक्ति अपने स्वयं के प्रयास (...) से स्वयं को आत्मसाक्षात्कार कर सकता है?

उनके अपने प्रयास से? ओह, मुझे नहीं लगता कि यह संभव है, आप देखते हैं, क्योंकि जैसे केवल एक प्रज्वलित दीप है, जो एक अन्य दीप को प्रज्वलित कर सकता है। लेकिन मैं जो कह रही हूं, वह यह है कि, मान भी लें की बुद्ध की तरह, तो उन्हें अपनी अनुभूति तब हुई जब वे बिल्कुल थके हुए थे और उन्हें इसे प्राप्त करना ही था। बेशक, होली घोस्ट ने ही ऐसा किया था। वह उस पर ऐसा नहीं कर सकता था, लेकिन उसे वहां बोध हुआ क्योंकि यह एक अलग परिस्थिति थी जिसे उसे जीना था, उन्हें ईश्वर के बारे में बात नहीं करनी थी, उन्हें पूरी चीज़ के बारे में बात नहीं करनी थी। क्योंकि लोग ईश्वर जैसी बड़ी-बड़ी बातें करने में और हर तरह के देवताओं के बारे में बात करने में इतने लगे हुए थे, यह, कि, एक बड़ा भ्रम था। और उस समय किसी ऐसे व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कारी किया जाना था जो इसे केवल सर्वसुलभ करता और कहता कि, "केवल आत्म-साक्षात्कार! ईश्वर या अन्य कुछ भी बात मत करो, इसे भूल जाओ।" इसलिए उन्हें ऐसा इस तरह बोध हुआ। लेकिन तुम उसी तरह बोध प्राप्त नहीं कर सकते - बल्कि तुम बाधा ग्रसित हो सकते हो। आप नहीं कर सकते।

कोई जो एक प्रबुद्ध आत्मा है, ऐसी प्रबुद्ध आत्मा आपसे पैसे नहीं लेती है। आम तौर पर, आप देखते हैं, लोग आपको बोध नहीं देना चाहते हैं। जो आत्मसाक्षात्कारी हैं उनमे से निन्यानबे प्रतिशत आप पर पत्थर फेंकेंगे, उन्हें आपसे कोई लेना-देना नहीं होगा क्योंकि उनके मनुष्य को लेकर अनुभव भयावह हैं। अगर तुम जाओ और उनसे बात करो, तो वे मुझसे कहेंगे, उन्होंने मुझसे कहा कि "बारह साल रुको। देखो, माँ, वे सब तुम्हें खत्म कर देंगे, वे तुम्हें मार डालेंगे, वे ऐसा करेंगे।" मनुष्यों के साथ व्यवहार करना बहुत जोखिम भरा है क्योंकि वे बहुत अहंकारी होंगे और वे आपको कभी स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन अगर आप इसे ऐसे समझें कि, यदि कोई जानता है, तो वह मददगार है, है ना? और बोध संभव नहीं है, स्वयं करना संभव नहीं है। यह मुमकिन नहीं है। क्योंकि अगर एक मोमबत्ती, जो प्रज्वलित नहीं है, खुद को प्रज्वलित करना भी चाहती है, तो कोई लौ या ज्योत लाना होगी, है ना? यह इतना आसान है।

लेकिन वास्तव में इसका बुरा नहीं मानना ​​चाहिए। देखो, मुझे गाड़ी चलाना नहीं आता, किसी ने गाड़ी चला कर मुझे यहाँ पहुँचाया। मुझे बुरा नहीं लगा कि उसे मुझे पहुँचाना पड़ा, है ना? और मैं केवल एक काम जानती हूं। मैं बहुत से काम नहीं जानती। बहुत से काम जो मैं नहीं जानती, मुझे नहीं पता कि बैंक कैसे संचालित किया जाता है, मुझे नहीं पता कि चेक कैसे लिखना है, मैं कई चीजों में निराशाजनक हूं। मुझे नहीं पता कि कैन कैसे खोला जाता है, हो सकता है। लेकिन मुझे पता है कि कुंडलिनी कैसे खोलनी है। ठीक है? तो अगर मुझे एक काम पता है, तो आपको बुरा क्यों मानना ​​चाहिए? आखिर हम हर चीज के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं, है न? तो क्यों नहीं, अगर मुझे यह काम आता है, तो इसमें क्या हर्ज है? और आपको भी आ जायेगा। आपको भी पता चल जायेगा। लेकिन इसे खुद से नहीं किया जा सकता है। लेकिन वास्तव में इसमें आप किसी चीज के लिए बाध्य नहीं हैं। मैं इसे सिर्फ इसलिए करती हूं क्योंकि मैं इसे प्यार करता हूं। यह बस उत्सर्जित होता है, उस तरह भी देखा जाये तो मैं नहीं करती, मैं बस बह रही हूं, मुझे नहीं पता कि यह कैसे होता है, बस यह बह रहा है।

मैं सिर्फ प्यार के लिए प्यार करती हूँ। बस, आप विश्वास नहीं कर पाते कि ऐसा व्यक्ति मौजूद हो सकता है, लेकिन मैं वास्तव में ऐसी ही हूं, मैं ऐसी हूं। कभी-कभी आप भी महसूस कर सकते हैं, कुछ सहजयोगियों को लगता है कि मैं बहुत दयालु हूं और मुझे लोगों और इस तरह की चीजों के प्रति सख्त होना चाहिए, आप देखिए, वे आ कर और मुझे इसके बारे में कुछ ज्ञान बताते हैं। आप देखिए उन्हें लगता है कि मैं इतनी व्यावहारिक नहीं हूं, लेकिन सबसे व्यावहारिक बात यही है। हाँ, मुझे पता है कि वे गलतियाँ करते हैं क्योंकि वे नहीं जानते कि वे अंधेरे में चल रहे हैं। अगर आप अंधेरे में चल रहे हैं, तो आप किसी चीज पर टकरायेंगे ही। तब आप केवल इतना कर सकते हैं कि उनके लिए दया करें क्योंकि वे देख नहीं सकते, वे अंधे हैं। है ना? आपको कोई क्रोध या गुस्सा कैसे हो सकता है?

और इसके अलावा, मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि किसी के भी साथ चाहे जो हो गलत पहचान न करें। आपको अपनी आत्मा तक पहुंचना है, यही मुख्य बात है। यदि आप अभी भी किसी के बारे में सोचते हैं, तो देखिये, उस महिला की तरह - मुझे नहीं पता, शायद किसी ने उसे यहां भेजा होगा, हो सकता है। मुझे नहीं पता कि उसे गुस्सा क्यों आया। मैंने उसे आहत करने के लिए कुछ नहीं कहा। शायद वह भूत ग्रस्त है। मुझे नहीं पता कि वह मुझसे क्यों नाराज़ हो गई है, और वह बस उठ गई और यह कहकर चली गई कि "तुम सब कुछ झूठ बोल रही हो।" मैं तुमसे झूठ क्यों बोलूं? मुझे तुमसे कुछ नहीं लेना है। लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्योंकि वह संवेदनशील नहीं है, वह दिव्यता के प्रति संवेदनशील नहीं है। वह नहीं समझती कि कौन परमात्मा है, कौन नहीं। मैं उसे दोष नहीं देती। उसे संवेदनशीलता प्राप्त नहीं हुई है। यह एक क्षमता है। मैंने देखा है कि अब विभिन्न प्रकार के सहजयोगी मेरे पास आए हैं। उनमें से कुछ ऐसे क्षमतावान हैं कि, आप को विश्वास भी नहीं हो पाता। वे बोध पा जाते हैं, वे जानते हैं कि यह क्या है, वे हीरे की तरह ही आदर्श रखते है, वे इसे प्राप्त करते हैं और इसमें उतर जाते हैं। वे जबरदस्त लोग हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो पीछे रह जाते हैं। उनमें से कुछ जिन्हें बोध हो जाता है लेकिन फिर भी वे हर तरह के संदेह करते रहते हैं।

कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उन सभी को प्यार करती हूँ।

हाँ, मेरे बच्चे? वह एक सहज योगी है? तो वह अब क्या बात कर रहा है? उसने क्या कहा?

वह कह रहा है माँ, अगर बोध से पहले हम इतने भयानक व्यक्ति थे कि हमने हर किसी जिससे भी हम मिले को कैंसर दे दिया या ऐसा कुछ, तो बोध के बाद उसका प्रभाव दूर हो जाता है या क्या होता है?

याह। मुझे पता है, बहुत सी बातें हुई हैं। हमारे पास ब्राइटन में कोई था, आपको याद है - वह अभी यहाँ है, मुझे लगता है - जो नशे में था जब वह अंदर आया था। आप देखिए, शुरूआत में वह मुझसे बहुत नाराज था। उसने कहा, "मैं इस परेशानी से कैसे छुटकारा पा सकता हूं? मैं आप पर विश्वास नहीं कर सकता", और वह सब। और वह बिलकुल ठीक है, बिलकुल ठीक है। उसका परिवर्तन बहुत सुंदर है, आप नहीं कर सकते... है ना?

योगी: हाँ, मैं हूँ।

परमात्मा आपका भला करे। वह अब बहुत प्यारा है। एक अन्य दिन वह मुझसे मिलने आया। मैंने कहा, “देखो। वह बहुत प्यारा है।" वह बहुत प्यारा आदमी था, है ना? लेकिन किसी चीज ने उसे खड़ा कर दिया था, उसे परेशान कर दिया था, आप देखिए, कि वह शराबी हो गया, आप देखिए। वह ठीक है। और करुणा ही आपको यह समझा सकती है कि इसका एक कारण है - वह बहुत प्यारा व्यक्ति है, बहुत प्यारा व्यक्ति है, बेशक। लेकिन उसके साथ कुछ गलत हो गया था। यह सब ठीक है।

तो ऐसा होता है, यह सच है। सहजयोगीयों को इस बात का अहसास है। निश्चित रूप से, मुझे कहना होगा, कुछ लोग थोड़ा बहुत बहक जाते है, कोई फर्क नहीं पड़ता। वे उबर जाएंगे, वे सभी उबर आएंगे, मुझे इस पर यकीन है। हर कोई इसके लिए बना है। वास्तव में, परमात्मा तुम्हें बोध देने के लिए उत्सुक हैं—तुम्हारे मुकाबले कहीं अधिक, बहुत अधिक चिंतित। अगर आज हजार लोग होते, तो मैं उन्हें बेहतर आत्मसाक्षात्कार देती। लेकिन बहुत कम लोग वास्तविकता को अपनाते हैं, अब आप देखिए। वह गुरु महाराज, हजारों उनके पीछे पागल हैं, है न? उसने गरीब लोगों को कुछ नहीं दिया। लेकिन वास्तविकता के लिए, बहुत कम लोग हैं।

जैसे, एक अन्य दिन किसी ने मुझसे एक प्रश्न पूछा, "माँ, आप 'सबके साथ' ऐसा क्यों नहीं करती?" मैंने कहा, "वे, 'सब लोग' कहाँ हैं? वे गुमशुदा हैं। वे कहां हैं? इस ब्राइटन में, कितने हैं? यहाँ कितने हैं? ठीक है? यही समस्या है। लोगों को वास्तविकता से प्यार करने में 'समय' लगता है, समय । यह इतनी खूबसूरत चीज है। और यहां तक ​​कि उन्हें बोध हो भी जाता है, फिर वे छोड़ देते हैं, आप देखिए। वे कहते हैं, "ओह, मैं अभी ठीक हूँ। मैं ठीक हूँ।" एक साल बाद वे दिखाई देंगे। वह तरीका नहीं है। आपको इस कला में महारत हासिल करनी होगी, बिल्कुल इसमें महारत हासिल करनी होगी। यह सब मुफ़्त है, बिल्कुल मुफ़्त, अब वे सब यहाँ बैठे हैं | वे ऐसा कह सकते हैं कि, क्या आप आत्म-साक्षात्कार के बारे में कुछ और बात करेंगी और, आप जानते हैं, इसे बढ़ाने के लिए क्या आवश्यक है? हाँ, हाँ, मैं अपने अगले व्याख्यान में एक-एक करके इस पर आऊँगी।

अब मैं बाईं ओर, दाईं ओर, और फिर मध्य की बात कर रही हूं, और फिर निश्चित रूप से आत्मा के बारे में भी, निश्चित रूप से, सौ बार, यही मुझे करना है। लेकिन मुझे तुम्हारा निर्माण शने: शने: करना है। ठीक है? निश्चित रूप से मैं करुँगी। आपको विश्वास नहीं होगा, मुझे लगता है कि मैं लंदन में पहले ही पांच सौ व्याख्यान दे चुकी हूं, कम से कम। और यह समाप्त नहीं होता है। हर बार जब वे कहते हैं, पिछली बार जब मैंने बात की थी तो उन्होंने कहा था, "माँ, यह बिल्कुल नया आयाम था जिसके बारे में आपने बात की थी", आप देखिए। मुझें नहीं पता। 'केरी' ने मुझसे कहा कि पहली बार उन्होंने मेरे व्याख्यान से अपने वायब्रेशन को इतना छुआ, मुझे नहीं पता कि मैंने उन्हें इतना क्या छुआ। हाँ, यह आश्चर्य की बात है। वह ऑस्ट्रेलिया से है। ऑस्ट्रेलियाई अच्छा करते हैं। बहुत तेज काम। तो क्या अब सारे सवाल खत्म हो गए हैं? क्या हमारे पास होना चाहिए?

कर्म का क्या?

एह? कर्म? कर्म तब होते हैं जब आप कोई भी काम या कुछ भी अपने दाहिने पक्ष की क्रिया से करते हैं तो उसका प्रभाव आपके भीतर अहंकार के रूप में जमा हो जाता है क्योंकि आपको लगता है कि आप इसे कर रहे हैं। दरअसल, हम कुछ खास नहीं करते हैं। हम जो करते हैं वह एक निर्जीव कार्य है। जैसा कि मैंने कहा था कि हम एक मरे हुए पेड़ से एक कुर्सी बनाते हैं। हम इतना ही करते हैं। हम जो काम करते हैं वह एक विचार है जो हमारे पास है की हम काम कर रहे हैं। आप क्या काम कर रहे हैं? क्या आप इस फूल को फल में बदल सकते हैं? हम उसमें सुगंध भी नहीं डाल सकते। तो यह मिथक, आप देखते हैं, हमारे भीतर अहंकार के रूप में काम करता है जैसा कि यहां दिखाया गया है, जिसके बारे में मैं कल बोलूंगी, ठीक है? और यही है कि हम सोचते हैं कि हम यह काम, वह काम कर रहे हैं, और यह अहंकार सोचता है कि अगर तुमने बुरा काम किया है या अच्छा काम किया है तो हमें इसके परिणाम का सामना करना होगा।

आप देखिए, बाघ को ऐसा नहीं लगता। अगर बाघ को खाना है, तो उसे मारना ही होगा। यह जानवर को मारता है, खाता है, समाप्त करता है। यह बैठ नहीं जाता है और शोक मनाता है कि, "हे भगवान, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे शाकाहारी बनना चाहिए।" इसमें कोई, कोई, कोई भी कर्म जमा नहीं होता है, ठीक है? लेकिन हम इंसान करते हैं। क्यों? क्योंकि हम बंद हैं। हम बंद हैं। यहां देखें, हम बंद हैं। वे खुले हैं। वे कुछ भी करें, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन हम इस बात से परेशान हैं कि हम क्या करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि हम करते हैं। और जब, जैसा कि मैंने कहा, यह चक्र खुल जाता है, वह हमारे कर्मों को शोषित कर लेता है, और तथाकथित कर्म कुछ और नहीं बल्कि पाप हैं, आप देखिए। बाइबल की भाषा में हम इसे पाप कह सकते हैं, आप देखिए। और वे सभी हमारे भीतर जागृत शक्तिशाली देव ईसा-मसीह द्वारा शोषित किये गए हैं। और तुम उससे परे निकल जाते हो क्योंकि कर्म करने वाला अहंकार है। जब तुम्हारा अहंकार समाप्त हो जाता है, तो कर्म कहाँ होते हैं? वे भी खत्म हो गए हैं।

तब आप यह नहीं कहते, "मैंने यह किया।" आप क्या कहेंगे, "माँ, यह काम नहीं कर रहा है, यह ऊपर नहीं जा रहा है।" अब ये 'यह' क्या है? यह तीसरा भिन्न व्यक्ति बन जाता है। "यह बह रहा है। वायब्रेशन नहीं आ रहे हैं।" आप देखिए, आप ऐसा नहीं कहते, "मैं - मैं यह बोध कर रहा हूं। मैं कुंडलिनी चढ़ा रहा हूं”, वे ऐसा नहीं कहते हैं। वे कहते हैं, "यह नहीं चढ़ रही है।" आप अन्य व्यक्ति बन जाते हैं। वह तीसरा व्यक्ति आत्मा है। जहाँ आप यह नहीं कहते कि "मुझे यह करना चाहिए।" भले ही यह आपका बेटा है, आप कहेंगे, "माँ, यह बेहतर है कि उसे आत्मसाक्षात्कार हो।" ठीक है। आप देखेंगे। प्रयत्न। यह कार्यान्वित नहीं होता है। ठीक है, तो क्या मुझे सर्टिफिकेट देना चाहिए? उन्होंने कहा, ''आप सर्टिफिकेट कैसे दे सकती हैं मां, कैसे? कुंडलिनी, कुंडलिनी नहीं उठी है। ” हर कोई जानता है, आप देखते हैं, चाहे वह आपके पिता, माता, बहन - कोई भी हो - अगर उन्हें बोध नहीं है, तो वे जानते हैं कि उन्हें बोध नहीं हुआ है, तो क्या? वे बस जानते हैं।

और मेरी यह पोती, जो थी - वह अभी यहाँ है - वह एक जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी है, और वह मुश्किल से लगभग पाँच साल की थी, मेरे ख्याल से, जब वे लद्दाख गए थे। और एक लामा मुंडा सिर और वह सब पहने हुए और वह सब कुछ लिए बैठा था। सब उनके पैर छू रहे थे। और माता-पिता भी जो की आत्मसाक्षात्कारी नहीं हैं| मेरी बेटी का आत्मसाक्षात्कार नहीं हुआ, इसलिए उसने भी उनके पैर छुए। वह नातिन अब और नहीं सह सकती थी, यह उसके लिए बहुत अधिक था। वह एक ऊंचे ब्लॉक पर बैठी थी। वह गई, अपने हाथ पीछे रखे और उसकी ओर देखा, मुड़कर कहा, " हर किसी को अपने पैर छूने के लिए कहने का तुम्हारा क्या मतलब है? तुम साक्षात्कारी आत्मा भी नहीं हो! अपनी इस पोशाक को पहनकर और अपना सिर मुंडवाकर आपको लगता है कि आप लोगों को आपके पैर छूने के लिए कह सकते हैं?" पांच साल की छोटी बच्ची, फिर भी समझती है। एक बार भारत में हमारा एक कार्यक्रम था जब उन्होंने मुझे मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया और इस रामकृष्ण पूजा के लिए -जो कि एक आत्मसाक्षात्कारी थे - और रामकृष्ण आश्रम के एक सज्जन, जो कि प्रमुख थे, अपने बड़े नारंगी वस्त्र के साथ बैठे थे, आप देखिए, वहां बैठे हैं। और मेरी, एक अन्य पोती, वह आगे की पंक्ति में बैठी थी। वह उसे और सहन नहीं कर सकती थी इसलिए वह वहाँ से चिल्लाई, "माँ, जिसने मैक्सी ड्रेस पहनी हुई है, दादी, कृपया उसे बाहर निकलने के लिए कहो, वह हम सभी को गर्मी दे रहा है।" तो आप देखिए, ऐसे कई सहज योगी थे जो उस व्यक्ति से आ रही गर्मी महसूस कर रहे थे और वह सोचता है कि वह एक बहुत ही आध्यात्मिक व्यक्ति है। और वह खड़ी हो गई, उसने कहा, "उसे जाने के लिए कहो, उसने मैक्सी पहन रखी है।" उसे समझ में नहीं आया कि यह एक प्रकार का वस्त्र या उस तरह की चीज थी। बच्चे भी जानते हैं कि कौन साक्षात्कारी आत्मा हैं और कौन नहीं, अगर वे जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी हों। ऐसे कई बच्चे हैं जो इन दिनों जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी हैं। न्याय का समय, यह न्याय का समय है। बेशक इसके बारे में मैं आपको बाद में बताऊंगी।

यदि मैं आपसे कुछ प्रश्न पूछूं तो क्या आपको कोई आपत्ति है?

यह सब ठीक है, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन क्या होता है, यदि आप बहुत अधिक प्रश्न पूछते हैं तो कभी-कभी यह मानसिक गतिविधि बन जाती है और कभी-कभी आगे आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति में देरी हो सकती है। तो मैं आपको सलाह दूंगी कि, यदि यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है, तो बेहतर है कि इसे दूर ही रखें क्योंकि, आप देखिए, प्रश्न का उत्तर देना भी केवल मानसिक स्तर पर है। मैं बहुत आगे की बात कर रही हूं, आप देखिए। तो, यह तार्किक रूप से कुछ है यदि आपने मुझे समझ लिया है - ठीक है, चलो इसे लेते हैं। अगर यह कार्यान्वित होता है, तो काम करें। अगर यह कार्यान्वित नहीं होता, तो कोई बात नहीं। मैं यहां तीन-चार दिनों के लिए हूं, और हम इस पर काम करने जा रहे हैं। ठीक है?

इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने दिमाग को शांत रखें। अपने मन से कहो कि, "तुमने पहले भी कई प्रश्न पूछे हैं, आपने बहुत सी बातें सोची हैं, अब समय आ गया है कि आप अपने स्वयं के अस्तित्व का आशीर्वाद प्राप्त करें।" ठीक है? यदि आप मन को ऐसा कहेंगे तो यह शांत हो जायेगा। मन एक बहुत ही अदभूत चीज़ है। अगर मन जानता है कि आप क्या चाहते हैं, और, अगर आपकी चाहत वास्तविकता है, तो यह आपका साथ देता है और आपकी बहुत मदद करता है। वही मन जो भटक ​​सकता है, तुम देखो, वह कभी-कभी गधे की तरह होता है।

जैसे ईसा-मसीह ने गधे शब्द का इस्तेमाल सिर्फ मन की तरफ इशारा करने के लिए किया कि, अगर आप इसे भटकने देंगे तो यह आपको हर तरह की चीजों में ले जाएगा, लेकिन अगर आप इसे नियंत्रित करते हैं, तो यह आपको वहां ले जाता है जहां आपको जाना है। तुम बस उसे चुप करा दो। मन के स्तर पर मौन रहना बेहतर है। और इसलिए मैंने आपके प्रश्नों का उत्तर दिया क्योंकि बाद में जब कुंडलिनी का उत्थान होता है, उस समय मन को नहीं उठ खड़ा होना चाहिए, है ना, यह कहने के लिए कि, "मैंने यह प्रश्न नहीं पूछा है।" इसीलिए। बस इसे शांत करने के लिए अन्यथा - इसकी कोई आवश्यकता नहीं है - लेकिन, बस इसे शांत करने के लिए, मैं यह करती हूँ। ठीक है? तो सबसे अच्छी बात यह है कि अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना सबसे अच्छी बात है, अन्यथा यह मन काफी परेशान करने वाला सामान है। यह ठीक उस समय पर आ सकता है, जब आप अपनी अंतिम सफलता हासिल करने जा रहे हों तो यह रुकावट भी बन सकता है। ठीक है? इसलिए यदि आपका कोई तत्काल प्रश्न है जिससे आप वास्तव में उत्पीड़ित हों तो, आप मुझसे अवश्य पूछें। लेकिन अगर यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है, तो बस छोड़ दें। क्या यह बहुत महत्वपूर्ण है? फिर यह सब ठीक है। उसे इस बात का एहसास हो गया है। अब बस एक बात आपसे विनती करनी है, अगर आप बुरा न मानें तो हमें अपने जूते निकालने होंगे, क्योंकि धरती माता के पास इतना कुछ है, आप देखिए, इसलिए हमें हर तरह से उनकी मदद लेनी होगी।

[सत्यापित भाग नहीं]

सिर्फ अपने पैरों को जमीन पर रखने से बहुत मदद मिलती है। आपको अपने मोज़े निकालने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन यह आपके पैरों को जमीन पर रखने में बहुत मदद करता है, और अपने हाथों को इस तरह रखने के लिए, जैसा कि मैंने आपको बताया, यह सभी अनुकंपी केंद्र हैं, जैसा कि उसने आपको बताया भी होगा, आप महसूस करते हैं कि यहां प्रवाह चल रहा है, निर्बाध ... बस इस तरह से अपने हाथ रखो और अपनी आंखें बंद कर लो।

आपको अपनी आंखें बंद रखनी होगी। यह सम्मोहन के विपरीत है। बस अपनी आँखें बंद रखो क्योंकि जब कुंडलिनी उठती है, तो वह तुम्हारी पुतली को फैला देती है। जब वह आपकी पुतली को चौड़ा करती है, तो एक सेकंड के लिए दृष्टि में थोड़ा अंतर होता है, सेकंड का भी एक विभाजन। लेकिन, अगर आपकी आंखें खुली हैं तो यह नहीं उठेगी, यह बिल्कुल नहीं उठेगी। इसलिए आंखें बंद रखो, बिल्कुल बंद रखो।

अब पहली बात यह है कि हमने हमेशा ऐसा होते देखा है, यह अपराधबोध का व्यवसाय किसी अज्ञात से आ रहा है, इसलिए बेहतर है कि अपना दाहिना हाथ अपनी गर्दन के बाईं ओर और बाएं हाथ को मेरी ओर रखें, बिना अपनी आंखें खोले . बायाँ हाथ मेरी ओर। बायाँ हाथ मेरी ओर। हथेली के साथ ऊपर की ओर। बाएं। हाँ, ऐसे ही, और आपको कहना चाहिए कि "माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।" यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक बहुत बड़ी बाधा है।

बस कहो, "माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।"

साधक : माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।

श्री माताजी: फिर से, कृपया

साधक : माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।

श्री माताजी: फिर से, कृपया।

साधक : माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।

श्री माताजी : अब हम वही हाथ पूरी पिछली गर्दन के दूसरी तरफ रख सकते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण केंद्र है, मैं इसके बारे में बाद में बात करूंगी, जिस तरह से मैं इसे कर रही हूं, यदि आप चाहें तो आप स्वयं देख सकते हैं। जिस तरह से मैं इसे कर रही हूं, बाएं हाथ मेरी ओर और दाहिना हाथ पीठ पर, गर्दन पर पूरी कशेरुका पर, गर्दन का आधार, आप देखिए। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण केंद्र है जिसके बारे में मैं आपको बताती हूँ। हाँ, ऐसे ही। इसे दबाने की कोशिश करें और अपना सिर पीछे कर लें। थोड़ा सा।

अब आप इस दाहिने हाथ को हृदय पर रखें, थोड़ा ऊपर, और अपनी उंगलियों से दबाएं। बायाँ हाथ मेरी ओर, पूरी तरह से। अब आपको तीन बार कहना है, "माँ, मैं आत्मा हूँ"।

साधक : माता, मैं आत्मा हूँ। माँ, मैं आत्मा हूँ। माँ, मैं आत्मा हूँ।

श्री माताजी : अब वही दाहिना हाथ, आप इसे अपने पेट पर, बायीं ओर नीचे की ओर धकेलें। और अब आप कहते हैं, "माँ, मैं अपना गुरु हूँ, मैं अपना स्वामी हूँ।" बस यही कहो।

साधक : माँ, मैं अपना गुरु हूँ। माँ मैं अपनी मालिक हूँ।

श्री माताजी: फिर से।

साधक : माँ, मैं अपना गुरु हूँ। माँ मैं अपनी मालिक हूँ।

श्री माताजी : पांच बार। फिर व।

साधक : माँ, मैं अपना गुरु हूँ। माँ मैं अपनी मालिक हूँ।

श्री माताजी : वह चलेगा। अब अगर आप अपना दाहिना हाथ अपने सिर के ऊपर रखते हैं, तो ऊपर। इसे छूना नहीं, थोड़ा ऊपर से धीरे-धीरे, [दर्शकों में एक महिला को ] क्या आप महसूस कर रही हैं? [एक योगी के लिए] वह करेगी देखना। [ बगल में एक महिला को] क्या आपको समस्या हो रही है?

महिला: हां, मेरे पास...

श्री माताजी : ओह ठीक है, अपना दाहिना हाथ मेरी ओर रखो... [ पास में खड़े एक योगी को ] तुम्हें इसकी जरूरत नहीं है, वह इसे कार्यान्वित करेगी । हाँ। मैं इसे ठीक कर दूंगा। ठीक है? बस, हाँ, ऐसे ही, यह काम करेगा।

ठीक है। अब आप महसूस कर सकते हैं कि आपके सिर से फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र से शीतल हवा निकल रही है जहां यह नरम है। ठंडी हवा। पहले गरमी आ सकती है। लेकिन आपको बोध पाने के लिए माँगना होगा क्योंकि मैं आपकी स्वतंत्रता को पार नहीं कर सकती, आप समझें? यह आपकी स्वतंत्रता है कि आप आत्मसाक्षात्कार होना चाहते हैं या नहीं। तो आपको कहना होगा "माँ, कृपया मुझे मेरा आत्मसाक्षात्कार दें।" आपको इसके लिए प्रार्थना करना होगी | बस माँगना है। बस इसके लिए मांगे।

साधक : माँ, कृपया मुझे मेरा आत्मसाक्षात्कार दें।

श्री माताजी: फिर से, कृपया।

साधक : माँ, कृपया मुझे मेरा आत्मसाक्षात्कार दें।

श्री माताजी: फिर से, कृपया।

साधक : माँ,कृपया मुझे मेरा आत्मसाक्षात्कार दें।

श्री माताजी : अब बस इसे महसूस करो। क्या आप इसे अपने सिर के ऊपर महसूस कर रहे हैं? उम्म।

Christchurch House, Brighton (England)

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