Dharm Va Adharm 1975-01-20
1 जनवरी 1970
Public Program
(भारत)
Talk Language: Hindi, Marathi | Transcript (Hindi) - Draft
1975-0000-DHARM VS ADHARM-HINDI
हमारे अंदर जो मशीन री है उसके सात पर्दे हैं उनको इस तरह से आप जाग्रत करना हैं। अब जब हम मशीनरी की बात करते हैं तो उन लोगों को ऐसी मशीनरी याद आती है जो की जीवन्त नहीं है; लेकिन एक जीवन्त मशीनरी, उसके लिए इसे जाग्रत करना पड़ता है, जाग्रत करना हैं। लेकिन बहुत से लोग ये भी नहीं समझ पाते हैं कि इन वाइबरेशन से क्या कुछ नहीं किर सकते? मैंने आपको कहा है कि जब आपके अंदर से पूर्णतया वाइबरेशन अगर बह रहे हैं और उस मैं जरा सी भी रुकावट नहीं हो तो आप बिल्कुल सम्पूर्णत: आनन्द मैं हैं; आपकी शारीरिक, मानसिक, और बौद्धिक कोई सी भी समस्या हो, आप पूर्णतया स्वस्थ हों; अगर आपके शरीर से वाइब्रेशन पूर्णतया पूरे जोर से बह रहे हैं।
आप साक्षी स्वरूप निर्विचार हैं, संकेत है, इन्डिकेशन, ये संकेत है, इन्डिकेशन कि आप पूरी तरह से वो चीज हो गए जो वो शक्ती है। अब जिनके नहीं बहते हैं, जो आधे अधूरे रह जाते हैं, जिन्ह में कमी रह जाती है वो दोष उनका अपना स्वयं का है, वाइब्रेशन का भी नहीं है, सहजयोग का भी नहीं है। मैंने कहा था शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक. आपके षडरिपु जो हैं वो भाग जाते हैं, आपके शरीर मैं रिपु नहीं रहते हैं, लेकिन आपके काम आते हैं। आप जब चाहें तब आप नाटक कर सकते हैं गुस्सा होने का, जो भी नाटक चाहें आप कर सकते हैं।
आपकी बुद्धी दूरगामी हो जाती है। आप अगर रियलाजेशन के बाद गीता पढ़ें तो आप समझ सकते हैं कि गीता का अर्थ क्या है? गीता क्या कह रही है? ज्ञान का जो तत्व है उस पर आप उतरते हैं। यह सिर्फ इंडिकेशन मात्र नहीं है, यह भी सोचना चाहिए, यह आपके लिए इंडिकेशन है, आपके लिए संकेत है जो बह रहा है। जैसे कि गाड़ी चल रही, कैसे आगे जा रही, पीछे से धुआँ निकल रहा है, यह उसका संकेत मात्र है। लेकिन गाड़ी.. चल रही है, यह क्यों? और किसलिए ? यह भी सोचना होगा। जब आप आनंद मैं न थे, जब आपके अंदर से वाइब्रेशन नहीं बह रहे थे तब आपका कोई भी अनुदान, कंट्रीब्युशन नहीं था लाइफ मैं, कोई कंट्रीब्युशन नहीं, आप सिर्फ ले रहे थें, आप नेचर से ले रहे थें, आप जो प्रकृति है उसे ले रहे थें। आप खाना खाते थे, आप इस धरती की मूल्यवान चीजों को आप इस्तेमाल करते हैं सारी जो कुछ भी प्रकृति की बनाई हुई वस्तुएँ हैं उनको आप इस्तेमाल करते रहे हैं। उपयोग करते रहे हैं । आपका कुछ उसे देना नहीं हुआ, सिर्फ लेना ही हुआ; आप खाना खाते थे, आप कपड़े पहनते थे आप घ़रों में रहते थे, उस सब चीजों में, जो कुछ भी आपने ईंट use मैं लाई होगी, उस सब में आपने नेचर से, प्रकृति से कुछ लिया है, कुछ दिया नहीं। लेकिन जब आपके अंदर से वाइब्रेशन बहने लग गए तब आप देना शुरु कर देते हैं। किस तरह से आप प्रकृति में देते हैं उसको समझ लेना चाहिए। अभी आज एक अंडेमान से आये थे दोनों husband-wife, वो मुझे बताने लगे कि हमारे बाग में चीकू के पेड़ पे बड़े मुश्किल से उसमें सौ चीकू लगते थे, और उसमें बिलकुल कोई जायका नहीं होता था, कुछ नहीं होता था, और हमने सिर्फ माता जी, आप हमारे घर एक बार आयी थी, और आपके पैर धोकर तो उसका पानी डाला था, और फिर हम लोगों ने वाईब्रेशन दिये, उस जगह मैं तो हमारे यहाँ करीबन दो तीन रोज में एक हजार चीकू आ जाते हैं। और वो आज लाये थे दिखाने के लिए। कितनी अच्छी सुंदर सुगंध आ रही थी। और उनके यहाँ केले के पेड़ थे, उसमें एकदम केले लग गए। मतलब ये कि इस कदर हमारे यहाँ ईतनी हरियाली हो गई, की बड़ा आश्चर्य लगता है। उसी जमीन मैं, उसी सीजन मैं, वहाँ कोई खाद नहीं डाला-कुछ नहीं डाला, सिर्फ वाइब्रेटिड पानी डाला, और अपने वाईब्रेशन दिए और वहाँ प्रकृती देखो कैसे हो गई । अब आप जब आपके अंदर में वाईब्रेशन आ गए तब आपको देना होगा; आप वाईब्रेशन दे रहे हैं माने आप चैतन्य बहा रहे हैं अपने अंदर से और आप प्रकृति में चैतन्य डाल रहे हैं। आप अंजाने मैं, आपको पता नहीं हैं आप जानते नहीं इस बात को। जैसे कि पहले जंगलों में ऋषि मुनी जाते थे और वहाँ जाकर ध्यान धारणा करते थे। कि वो प्रकृति की जो शांती है, उसका जो संतुलन है, जो हार्मोनि है, उसका जो बेलेंस है, उसमें एकाकार होए और उससे उनके अंदर उनकी प्रचिती हो जाए, उनके चक्रों पे थोड़ा असर आ जाय, कि ऐसे सुन्दर, उस पर, स्थल में बैठ करके, उनका हृदय आनंदित हो जाय, और वहां रहने से हो सकता है कि उनके अंदर की कुंडिलिनी शक्ति जागृत हो जाए और वो उस परम तत्व को पाएँ। लेकिन रियलाइजेशन के बाद मैं आप इस चीज से, इन वाईब्रेशन से इस कदर अलंकृत हो जाते है कि आप स्वयं एक दाता हैं, आपमैं स्वयं ज्ञान आ जाता है और आप प्रकृति में ये दान देते हैं। जहां भी आप जाते हैं, आप को पता नहीँ है, लेकिन आपको देखतें ही साथ आपके वाईब्रेशन्स पाकर के फूल, पत्तियां, पेड़, पक्षी, जानवर, (अस्पष्ट) उस चैतन्य को महसूस करते हैं, फील करते हैं उससे उनको प्रचिती आती है और उनको आनंद होता है।
हमारे यहाँ आपने देखा होगा एक कुत्ता था सफेद रंग का एक, आप लोगों को याद होगा उसकी जाति बहुत छोटी सी थी और उसका खाने पीने का भी इतना ठिकाना नहीं रहता था लेकिन उसकी बहुत अच्छी तंदरुस्ती थी और जब उसको डॉक्टर के पास हम ले जाते थे तो वो कहता था कि ये कौन सी जाति का है वो स्ट्रीट डॉग था, यह इतना बड़ा हो गया है और इतना इसको समझ है और सब कुछ है और इसका इतना फर्स्ट-क्लास इसकी हेल्थ है, इसको आप अगर किसी शो मैं भेजिए तो इसको हमेशा फर्स्ट प्राइज मिलेगा। कुछ अजीब सी चीज और उसके साथ खुद देखा इसके वाईब्रेशन्स, वो वाईब्रेशन्स की वज़ह से वो कुत्ता भी इतना पुष्ट और इतना पुष्ट। आपको पता हो अगर कि घोड़े होते हैं, घोड़ों को सब चीज समझ में आती हैं। और वो रात मैं कोई भूत उत देखें तो वो बड़े जोर जोर से चीखना शुरू कर देते हैं। अगर कभी कभी कुत्ते रोते हैं तो आप समझ लीजिए कि उन्होंने कोई ऐसी चीज को देखा है, तभी वो रोते हैं, उन्हें दिखाई देता है। उनको महसूस होता है। उनको आँख में दिखाई नहीं देगा, लेकिन अंदर से महसूस होता है। वो रोएँगे, पता नहीं क्यों रो रहा है, लेकिन वो रोएँगे। इसी तरह से जिस आदमी से वाईब्रेशन्स आते हैं, उसको कुत्ते, बिल्ली, सांप, सब लोग जानते हैं। बच्चे पहचानते हैं। आपका दान पूरा हो जाते हैं। अब आप प्रकृति में आनंद ले कते हैं। प्रकृति को उसे भी प्रेरित कर सकते हैं, क्योंकि आपके अंदर मैं यह चीज बह रही है। फिर आप ये कहेंगे की ये तो ओल परवेडिंग है, ये सभी जो दूरस्तिथ हैं, फिर मा ऐसा क्या है कि जब सब दूरस्तिथ है तो हरेक पेड़, चीज, पत्विया इसको क्यों हम खाएं।
यही बात उस मनुष्य की है, इसको समझ लेना चाहिए, कि मनुष्य क्यों बड़ा मुख्य हैं? बड़ा विपरीत हैं? मानव को इतना महत्व क्यों हैं? क्यों माँ आपके बार बार चरणों में झुक रही है? क्यों आपके साथ इतनी मेंहनत कर रही है? हाँलाकि आप लोग बहुत ही धीमे चलने वाले लोग हैं. क्यों? इसकी वज़ह यह है कि मनुश्य की अंदर से गुजर कर के ये वाईब्रेशन्स जो हैं वो ऐसे हो जाते हैं कि सारे पृथ्वी इसको ले सकते हैं, अपना सकते हैं। जैसे कि आप पास कोई गाय है, गाय! आपने देखा हैं कि घास खाती है, पानी पीती है और जब उसका दूध होता है तो बच्चा उसको पी करके पल सकता है। अगर उसको घास खाने को दो तो बच्चे को बच्चा खायगा भी नहीं। पानी पे तो वो पनप नहीं सकता है; लेकिन वो गाए के अंदर जा करके ही उसका दूध बनता है जो पीकर के बच्चा बड़ा होता है। इसी प्रकार एक रियालाइज्ड आदमी में घुस करके ही ये वाईब्रेशन्स एक विशेष दायरा, एक अति सूक्षतम दायरा आपने अंदर धारण कर लेते हैं जो अती से भी अती सु सुक्ष्मतम में भी कार्य करते हैं। माँने प्रोपाइन जिसे कहते हैं, बिल्कुल उसको, अति सूक्ष्म हो जाते हैं। मनुष्य के अंदर घुसते ही, कैपिलरी मैं घुसते ही ये वाईब्रेशन्स बिल्कुल ऐसे श्रवण मैं आ जाते हैं. वो इस योग्य हो जाते हैं की ऐबजोरब हो सकें। कितनी कमाल की शुजा है। दूसरी बात कि प्रकृति ने भी ऐसे ऐसे अपने स्थान बनाए हैं ऐसे अपने अपने स्थान बनाए हैं कि जहाँ पर इस तरह के वाईब्रेशन्स तृप्त हैं। मतलब यह है कि वो इन्सान नहीं है लेकिन जैसे कुछ पत्थर हैं; उन पत्थरों में प्रकृति ने ये वाईब्रेशन्स भरे हैं, उनको आकार रूप भी दिया हुआ हैं जैसे अपने यहाँ के महंचे जो प्रकृति में हैं आप जानते हैं और गणेश हैं, और महालक्ष्मी जी हैं और हुमारे महादेव जी हैं। और ऐसे जो जो भी जगह बनाई हुई हैं, इसमें प्रकृति ने वाईब्रेशन्स भरे हैं तो वो वाईब्रेटिड हैं; लेकिन वो भी वाइबरेशन जो बह रहे हैं इसकी अवेयरनेस , इसकी हैंडलिंग, इसका ऐबजोरप्शन आप लोगों से ज्यादा नहीं है। आप इस बात को समझ लीजिए एक ऐबजोरप्शन है अती सूक्ष्म। पढ़ा लिए अती सूक्ष्म । वो एक ऐबजोरप्शन हैं अती सूक्ष्म।
सूक्ष्म से सूक्ष्मतं। इसको आप पहले अपने अंदर ऐबसोरब करते हैं और फिर आप उसको बढ़ाते हैं। आल परवेडिंग चीज आपके अंदर से बह रही हैं, ठीक है, लेकिन वो आपके अंदर में श्रवण होती हैं और कोई नो कोई चीज आपका अनुदान इसके अंदर है, तभी वो इतनी सूक्ष्म हो जाती हैं कि लोग इसको अपना प्राशाँच होगी। अब अपना महत्व आप समझ लीजिए। जब तक ये मनुष्यों के अंदर से गुजर नहीं जाएगी, तब तक मॉलिकुलर चेंज नहीं आती है?
पर यह होता क्या है, यह आपको सोचना चाहिए, कि मां यह कैसे होता है? जो आल परवेडिंग पावर मनुष्य के अंदर से जाती है तो वो कौन सी विशेष चीज़ कर देती है? वो क्या चीज़ पा लेती है? यह आपको देखना है। जब आप विराट के ओर दृष्टि करें तो विराट चीज क्या है? मैं उसके लिए एक मिसाल के तोर पे आपको समझा रही हूँ: कि आप एक प्रकाश या लाइट एक तरफ रखें और उसके सामने एक चित्र रखें दाईं तरफ और यहाँ पे आप उसके सामने स्क्रीन रखें तो आप देखेंगे कि बड़ा सा स्क्रीन तैयार है और उस स्क्रीन पर पूरा इसी का बड़ा सा रूप भी तैयार है।
जब ये दो चीज हो जाती हैं तो ये परमात्मा और ये उसकी शक्ती हैं और ये विराट। इस विराट के अंदर ही जो इस शक्ती के minute से minute, छोटे से छोटे, शुक्ष्म से शुक्ष्तम जो भी क्रियेशन्स हैं वो सब दिखाई देंगे। क्योंकि वो बड़ा हो जायें, एनलार्ज हो जाए, बड़ा हो जायें।
अब यह बड़े मॉडर्न तरीके से मैंने समझाया हैं, तो यह एक दम नहीं होता है क्योंकि इसके डाइमेंशन बहुत ज़्यादा हैं, पर तो भी आप लोगों के समझाने के लिए मैंने इस तरह से समझाया है, जिसे आप लोगों समझें बात। अब वो जो विराट, जो प्राइमॉर्डीअल भी है, उसके अंदर सब जो कुछ शक्तियां हैं, वो सब शक्ति छोटी सी नजर आती है लेकिन उसके प्रॉटैक्कशन से आपको पता चल सकता है कि वो कितना बड़ी हैं; जो माईक्रोस्कोपिक है, वो कितना बड़ा प्रमाण है। अब उस विराट के अंदर आप भी हैं और आप इसमें क्या अनुदान दे रहे हैं और किस तरह से आप वहाँ काम कर रहे हैं ये आपको देखना है। ( मराठी : अस्पष्ट) विराट के उपर से नीचे तक उपर के शरीर में अंग अंग स्थान हैं, उदय स्थान हैं, उदय में उपर का स्थान हैं, प्रेम है, सब कुछ है जैसे हमारा है, पर बहुत बड़ा, और उसी में धर्म भी है, उसी में हरे एक चीज़ है और उसी में विष्टा भी है, उसी में वेस्ट प्रेशर भी है जिसको आप लोग बाधा या नेगेटिविटी कहते हैं वो भी विष्टा है। और उसमें दो गण भी हैं, राक्षसगण भी हैं, भूतगण भी हैं,जैसे जैसे उनकी स्थिती बढ़ते जाती हैं, पाँव से बढ़ते बढ़ते वो उपर दिशा में विराजते आए हैं।
जेसे ही आज आप पार हो जाते हैं, आप देवगण में हैं, अब आप देवगण हो गये हैं, आप देवता लोग हैं, आप संत नहीं हैं, आप देवता हैं। चेंज का तो मतलब है वो जोकि देवता गण में जाने वाले हैं। और जो निर्विकल्पता मैं उतर गए, वो पूर्णतया देवता हैं, वो देवता हैं। और देवता की यह शक्ति ऐसी है, कि वो जो परमात्मा का जो आल परवेडिंग पावर है, वो जैसे कि उनका रक्त है समझ लीजिए, वो उनके अंदर से फलो करता है उसमें वो अपना देवत्व भी डालते हैँ। देवत्व डालने का मतलब है की एंटी-बॉडी डाल देते हैं। यानि एंटीबॉडीज। अगर ह्यूमन लेवल पर बात करना है तो ऐसे कहेंगे कि ब्लड मैं एंटीबॉडीज भी वीक हैं। वो देवत्व जो है वो रक्त को ऐसा कर देता है, ऐसा सूक्ष्म कर देता है की वो अंदर तक, हरेक सेल के अंदर तक जा सके। आप उस दशा मैं हैं की जहां आपको देवत्व को कहना चाहिए की आपको लक्ष्मी दें। अब आपको सोचना चाहिए की आप इस विराट शक्ति मैं कितना बड़ा कार्य कर रहे हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं अपने मैं भी जो अभी इस चीज को समझ नहीं पाए कि कितनी बड़ी चीज है। इसकी वजह है, जैसा की आप लोग कहते हैं कि आपकी माया है, मा! लेकिन मेरी माया से भी ज्यादा ये आप लोगों का ही पागलपन है, कि इस चीज का अस्तित्व क्या है, आप इस चीज को सॉल्व नहीं कर रहे हैं। और शायद आपके तारने के लिए ही मैने इस शरीर की धारणा करी है। की आप इस चीज को accept करें, बुद्धि से नहीं, हृदय से एक्सेप्ट करें और समझ लें की आप कौन से स्थान पर बैठें हैं। आपका स्वरूप क्या है, आपकी आज दशा क्या है। जैसे ही आप जान लेंगे की आपकी आज ये दशा है, होता क्या है? जैसे ही आप जान लेंगे की आज मैं राजा हो गया हूँ, सोचने का तरीका बदल जाता है; इसका छोटापन, इसका अधूरापन, इसका पागलपन उसको भी सब गौण हो जाता है। अब वो राजा के स्थान पे बैठा है। वो वाइब्रेटड पालना, आसान आप लोग सोचते है, ऐसा नहीं है बहुत महनत करी है आप लोगों ने पूर्व जन्म मैं, आप लोग बजह महनत करी है, और जिनकी आधी अधूरी रही किसी वजह से उनको अब पूरी करनी पड़ेगी इस जन्म मैं। लेकिन आप लोगों मैं ऐसे भी हैं जो ऐसी कड़ी मेहनत कर के आए थे कि इस बार पार हो गए, तो पार। कुछ लोगों की आधी अधूरी चल रही थी किसी वजह से, किसी कारण से, लेकिन वो भी शारीरिक वजह से है। उसका सारा तरीका, उसका पूरा know how हमने आपको बताया। और हम बताएँगे, हरेक चीज आपको बताने आई हूँ। हर चीज को खोलने वाले हैँ, लेकिन अब भी माया बहुत चीज़ में है।
अब एक साहब का खत आया हमारे पास मैं, वो यहां हमसे बहुत नाराज हैं, अमेरिकन से यहां आए थे नाराज हो करके, वो गए कहीं पर पांडिचेरी मैं, वहाँ कोई गुरु वशिष्ठ नाम के आदमी हैं और वह हमारे बारे में सब कुछ जानते हैं। उन्होंने सब भरके उन्हें बताया, उन्होंने उनसे बोला कि तुम जानते नहीं, तुम जा करके उनके पाउं छूओ तुमनें समझा नहीं कि वो कौन से जगह से हैं। जैसे घगरगर महराज कहते हैं, ऐसे उन्होंने सब हमारे बारे में बात कही। लेकिन आप लोग इसको नहीं मानने करेंगे, इतना जितना वो लोग मानने करेंगे और उसको समझेंगे; उस मान्यता में कुछ छल नहीं, लेकिन जितनी अपनी मान्यता को आप आत्मसात कर रहे हैं। लेकिन आप लोगों मैं ऐसे भी हैं जो ऐसी कड़ी मेहनत कर के आए थे कि इस बार पार हो गए, तो पार। कुछ लोगों की आधी अधूरी चल रही थी किसी वजह से, किसी कारण से, लेकिन वो भी शारीरिक वजह से है।
इसका मतलब है कि आपको सभ्यता का खात्मा। जितनी आपकी आँख खुली है उतनी आपकी मान्यता आई। उस मान्यता में आपका लेना देना कुछ नहीं है, होना होना कुछ नहीं हैं, जितनी आपकी आँख खुली है उतनी आप मान पा रहे हैं। आपकी जब आँख ही नहीं खुली हुई तो आप माँनेगे कैसे। जिनकी आँख खुली हुई है, वो जहां भी बैठे हैँ वो समझ रहे हैं। लेकिन आपकी आधी अधूरी आँख खुली हुई हैं, इसलिए उसकी जो मान्यता है वो अधूरी है। जो गुरुओचित्त ने पॉन्डिचेरी में वहाँ से बैठ करके हमें जाना, वो आप हमारे सामने बैठ करके भी और हमको जान करके भी और हमारी बात सुन करके भी नहीं जान पाए और उन्होंने वहां से टेप भर कर के भेजा तो जान करके माँ के सामने सुनाना और सब को सुनाना कि माँ ये चीज़ है, और माँ ये साक्षात हैं। ये से जब हीं गड़भाराग कहते हैं। Because पीने खाने के नियम बनाते हैं कहते हैं। इसलिए इन vibrations का महत्व समझिए। ये ऐसे चीज़ थे, हमें अभी हम बताते हैं, वो कहते हैं क्योंकि उनकी आँख पूरी खुल गई है। ये तो उनकी आँख पूरी खुलने का साक्षात है, हमारा क्या हम जो हैं तो हैं। आपके देखने ना देखने से तो हम नहीं बिदलने वाले, आपके समझने न समझने से तो हम नहीं बदलने वाले। इसलिए आपका साक्षात कितना हुआ? आपने कितना जाना हैं वो देखिए। यह भी एक indication है संकेत। यह भी एक संकेत है। आपके असंग का यह एक संकेत। अब आप समझ रहे हैं होंगे कि इन vibration से ही सृष्टि जागृत हुई। सारी सृष्टि को वाइब्रेशन जा सकते हैं, आपको अंटी बॉड़ींज वहाँ जाते हैं। देवत्व मानें अंटी बॉड़ींज है और राक्षसत्व मानें अंटी जीनी हैं; अंटी जीनी जो है वो राक्षसत्व हैं, और देवत्व हैं इसका नाम है अंटी बॉड़ींज और इन दोनों का युद्ध भी चलते रहते हैं। आपके शरीर मैं बहने वाले इस देवत्व को आप दे सकते हैं, normally आदमी नहीं दे सकते। जिन्होंने इन vibrations को पाया है, वही दे सकते हैं, ओर लोग नहीं दे सकते। इसलिए इन vibrations का महत्व समझिए। इन vibrations के कारण ही आप इस संसार मैं दे सकते हैं। इससे पहले आप दे नहीं सकते थे, सिर्फ ले सकते थे; प्रकृति से आप ने लिया, सृष्टि से आपने लिया, घर आके आपने लिया, आकाश से आपने लिया। सारे पंच महाभूतों से आपने लिया है, और आप जी रहे हैँ। और अब आप दे रहे हैं, और दे क्या रहे हैँ- देवत्व ! आपकी अपनी तत्व है। जहां दस सहजयोगी हैं, वहाँ भी देना पड़ता है। इसी लिए मैं आप से कहती हूँ की अब आपको नई दृष्टि मिल गई, नई प्राइऑरटी होंगी। आप वहाँ बैठे हैं जहां देवता गण हैं, जहां हनुमान बैठे हैं। आपको नहीं दिखाई देते, मैं क्या करू,
लेकिन जो देखने वाला है, उसे दिखाई देंगे। यहाँ पर सारे सिरंजीव बैठे हैं। सब के सब यहाँ बैठे हुँये हैं। अभी मेरे, मेरे साथ आये। वाकई तुम्हारे साथ यहाँ, सब तुम्हारे उपर तैनात हैं। सब चले आये हैं, गणेश जी बैठे हैं। सब बैठे हैं, बैठे हुँये पोजीशन में। सब के सब यहाँ बैचे हुँये हैं और आपको अशीर्वदित कर रहे हैं। मैं तो यहीं सोचती थी कि कैसा मेरा प्रेसतिज है कि आप मेरे पास ऐसे हाथ करके बैठे होगे और आपकी कुंडिलिनी जाकर के ब्रह्मरंद्र खोल ले। इम पॉसिबल बात है, कैसे हो सकता है, कोई आदमी कहे हो ही नहीं सकता पर हुआ है आपका। उसका कारण, उसका कारण यह है तो आपके अंदर में देवत्व है, आप सब देव लोगों को कहिए इसका आप ध्यान करें; हरे एक ध्यान में, हरे एक प्रोग्राम में मैं आपको समझा रही हूं। अगर आप अलग अलग बैठ जाएं और अपने घर में ही ध्यान करें और कहें मैं अपनी पूजा करता हूँ या मैं अपना ध्यान करता हूँ इसे कोई मतलब नहीं रहेगा, मैं आपको बता रही हूँ क्योंकि ये जाग्रत होना पड़ेगा और ये जाग्रत संग मैं हीं होगा, सब चीज सिर्फ संग में ही होगी। कलयूग में संग में ही शक्ति होने वाली है, ये दिखावा अभियान है, सब जिसका जन्म जनमांतर का पाया है, आज संग नहीं आपका। इसे संगति तौर से सब लोग साथ बैठ करके ध्यान करें, दिया करें, अर्चन करें; अलग किए हुए चीज़ का अगर आपको एक फल मिलता है, तो साथ बैठे होँ इस चीज़ों का हजार गुना ज्यादा आपको फल मिलेगा और आप ताँसेंगें। मैंने खुद देखा जो लोग रोज़, हर बार प्रोग्राम में आते थे वो बहुत बड़ी हाईट पर गए, और जो लोग कभी आये, नहीं आय वो कोई (अस्पष्ट.। जोट) और जो कभी नहीं आते उनके तो वाइब्रेशन युही चल रहे हैं। अब आप कहेंगे माताजी, हम तो आपकी बड़ी पूजा करते हैं, और फोटो रखते हैं, कुछ फायदा नहीं। दूसरी चीज़ देना करना पड़ेगा, जब तक आप अपने वायब्रेशन्स लोगों को देंगे नहीं आपको इसका लाभ पता नहीं चलेगा। क्योंकि जब तक आदमी, मैं तो बहुत बार झेलती हूँ (अस्पष्ट- कि शैंस्पिति बुची नहीं आती), उसे मैं किसी बाजू वाले का उसका हाथ रखवाती हूँ, उसका जलता है तो उसको समझ मैं आता है। मैंने आपसे कहा था जितने बार आपका हाथ दान के लिए उठेगा उतने बार आपकी कुंडिलिनी उठेगी, उतने बार आपके अंदर ज्यादा जगेगा, उतने बार आप प्रचरित होगे, आपका खेल बढ़ेगा, आप उठेगे। आपकी स्तिथि नहीं, आप उपर आगये, कोई बात नहीं, लेकिन अभी जो लोग जानते हैं, जो लोग देखते हैं, जो लोग समझते हैं उनके पांस आप पहुँचे नहीं, हालांकि मैं आप को चेलेंज देती हूँ, हालांकि कि आप सारा कुंडिलिनी के बारे मैं जानते हैं, आप सब कुछ आप समझते हैं। आपको इतना कोई भी नहीं जानता, जितना आप लोग; कोई भी नहीं। भले ही शंकराचार्य जी भी नहीं जानते थे, जितना हालांकि बहुत बड़े हैं, आप उनके पाँव की धुल के बराबर भी नहीं लेकिन वो भी इतना नहीँ जानते थे, जितना आपने जाना है। उसकी वजह आपने जाना है, पर सिर्फ मेंटली जाना है, अंदर से कुछ नहीं जाना होगा, मेंटली जाना है क्योंकि मैंने बतादिया की इस उंगली पर यह आता है, उस उंगली पर यह आता है, ऐसा होता है वैसा होता है; सब पढ़ा दिया रटा दिया। आपको वो तो पढ़ा दिये गए, लेकिन अंदर से? अंदर से कुछ नहीं! अंदर से अभी पहुचना है, अंदर से इसका साक्षात बहुत होना है। किसी में कुछ गलत आइडियाज है, किसी में कुछ अधुरापन है, किसी में कुछ है वो सब चला गया है, क्योंकि उनको बिचारों को कुछ मालूम ही नहीं था.। वो कुछ जो उन्होंने पाया, वो अपनी महनत को, अपने को बिल्कुल पूरी तरह के समर्पित करके। आपका समर्पण बहुत, बहुत, बहुत क़म है। बहुत ही क़म। और इसी कारण आपके, आप सोचो, आप छोटी सी चीज वायब्रेशन को समझ नहीं पा रहे हैं और इसकी महानता को समझ नहीं पा रहे हैं। इन वायब्रेशन के बारे में ही शंकराचार्य ने कहा है कि मिलियन्स और मिलियन्स मैं से कभी एक आध आदमी को कभी होता है, और बहुत से लोगों में एक आधे को होता है, उन्होंने कहा था। और वहाँ जो बच जाएंगे यहाँ पर जब देखेंगे कि नहीं नहीं नहीं नहीं सब चारा, पर वो मुझे पहचनेगे, वो मुझे जानेंगे और तब कहेंगे कि यह तो बात है, अब हमारे जमाने में तो था नहीं, यहाँ माँ हैं, वो कहेंगे, तुम लोग नहीं तो कहते। क्योंकि तुम्हारी आँखें अभी भी अंदर से खुली नहीं। तुम्हारे अंदर वो साक्षात प्रमाँण है, वो बात आज को तुमने जानना है। यह सब मेंटली तुमने मुझे जाना है, क्योंकि मैं बहुत बड़ी बड़ी बातें तुमको समझाती हूं, क्योंकि तुमको सारा मैं उसका साक्षात कराती हूं, उस बात का तुमको प्रमाण देती हूं; ऐसे ऐसी बातें बताती हूं जो तुमने सुनी नहीं और उसको तुम देखते हो की हाँ, हाँ। मेंटली तुमने मुझे माना हुआ है, लेकिन अंदर से नहीं बात। अंदर से जब तुम मुझे जानोगे वो बात करोगो कि ऐसा ही है। यह साइमल्टेनियस चीज है, जैसे ही तुम अपने को जानोगे, वैसे मुझे भी जानोगे; वो उसका संकेत, वो उसका संकेत है। अगर कोई आदमी अंधा है तो आपको दिखाई देता हे वो पकड़ पकड़ के जा रहा है। कोई आदमी ज़रा सा पीछे चल रहा है तो आप समझेगे की आधा अंधा है, लेकिन कोई अगर सीधे चला जा रहा हे तो संकेत है कि वो अंधा नहीं। यह संकेत है और उस संकेत से ही मनुष्य पहचाना जाता है। यह संकेत ही उसका इशारा है कि वो आदमी अंधा नहीं है। एक बार ऐसा हुआ कि एक आदमी ने ऐसा कहा कि मैं अंधा हूँ, मुझे कुछ दिखाई नहीं देता है; और उसका कचेहरी में उसके दावा हो जाता है कि उन्होंने कहा कि यह आदमी अंधा नहीं है, उसको दिखाई देता और यह झूठ बोलता है। तो उन्होंने कहा कि अच्छा, यह कैसे पहचाना जाएगा? तो यह तो बहुत मुश्किल है यह कहता है मुझे दिखाई नहीं देता और आप कहते हैं कि यह झूठ बोलता है की यह अंधा है। तो उन्होंने कहा कैसे पता चलेगा? तो जो जज़् साहब थे बड़े होशियार, जो उन्होंने एक बाल उठाकर फ़ौरंन उस पर फेंकी, तो वो अंधा था नहीं, तो उसने एकदम से बाल पकड़ लिया और समझ गये कि यह अंधा नहीं हैं। यह संकेत है, वो संकेत है, तुम लोगों का जो भी बर्ताव है, जो भी तरीके हैं, जो भी ढंग है, यह सेंकेत है कि तुमने कितना सत्य बोल। बाहर कहने की कोई जरूरत नहीं, किसी और को कहने की कोई ज़रूरत नहीं। यह अंदर का संकेत है, और तुम अपने ही को धोखा देते हो, तुम अपने ही से चालबाजी कर रहे हो, तुम अपने से ही से आर्गयु कर रहे हो, तुम अपने ही के पिछे पड़े हुए हो। अगर ये छोंड़ दो, तुम मेंटली अकसेप्ट नहीं करो, बहते चलो, बहते चलो, अपने हृदय को बढ़ाओ, आपको आश्चर्य होगा, लेकिन बहुत ही सूक्ष्म, हमारे जीते जी बहुत कुछ हो सकता है, सोचना होगा, और बहुत कुछ बन सकता है। लेकिन इसी मामले में कभी संतोष नहीं करना कि मैंने बहुत कुछ पा लिया। बाकी सब में संतोष कर लो, बहुत ज़रूरी है। पर सिर्फ इसमें कहना है नहीं, अभी तक हमने पहचाना नहीं, अभी अंदर से वो साक्षातकार नहीं हुआ, अभी तक हमने अपने को जाना नहीं है, उसका संतोष है। एक बहुत बड़ी अंदर से जागृति की जरूरत है, एक महसूस करने की जरूरत होगी। और तुम्हों लोगो को भगवान ने खोजा है उस महान मनवनतर के लिए, उस महान काम के लिए, जिसे द्रांसफॉर्मेशन ऑफ विराट कहते हैं। एक युग से दूसरा युग बदलने के लिए परमात्मा ने तुम लोगों को लगाया हुआ है। तुम लोग उस व्हील पे बैठेंगे। उस व्हील के चक्के से तुम लोग भी घूम रहे हो। अब आप से... इसलिए सामान्य, साधारण, दिखने वाले लोगों की इतनी अंदर से जागृति होनी चाहिए। इतनी अंदर से महसूस होना चाहिए। (अस्पष्ट)
(मराठी)