Mooladhara and Swadishthan

Mooladhara and Swadishthan 1981-03-25

Location
Talk duration
83'
Category
Public Program
Spoken Language
English

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

25 मार्च 1981

Public Program

Maccabean Hall, Sydney (Australia)

Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Draft

1981-03-25 मूलाधार और स्वाधिष्ठान, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया

सत्य के सभी साधकों को हमारा नमस्कार।

उस दिन, मैंने आपको पहले चक्र के बारे में थोड़ा बहुत बताया था, जिसे मूलाधार चक्र कहते हैं और कुंडलिनी, जो त्रिकोणाकार अस्थि, जिसे sacrum (पवित्र) कहते हैं, में बची हुई चेतना है। जैसा मैंने आपको बताया था कि यह शुद्ध इच्छा शक्ति है, जो अभी तक जागृत नहीं हुई है और न ही आपके अंदर अभी तक प्रकट हुई है, जो यहाँ पर उस क्षण का इंतजार कर रही है जब वह जागृत होगी और आपको आपका पुनर्जन्म देगी, आपका बपतिस्मा। या आपको शांति देती है। या आपको आपका आत्म-साक्षात्कार देती है। यह शुद्ध इच्छा है कि आपकी आत्मा से आपका योग हो। जब तक यह इच्छा पूर्ण नहीं होगा, वे लोग जो खोज रहे हैं, काभी भी संतुष्ट नहीं होंगे, चाहे वे कुछ भी करें।

अब, यह पहला चक्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि या सबसे पहला चक्र था जिसका निर्माण किया गया, जब आदिशक्ति ने अपना कार्य करना शुरू किया था। यह अबोधिता, जो कि पवित्रता, का चक्र है। इस पृथ्वी पर सबसे पहली वस्तु का निर्माण किया गया वह पवित्रता थी। यह चक्र सभी मनुष्यों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जानवरों में अबोधिता है, उन्होंने उसको खोया नहीं है, जबकि हमारे पास अधिकार है या हम काह सकते हैं, हमारे पास यह स्वतंत्रता है कि हम इसका परित्याग करे दें। हम यह कर सकते हैं, हम अपने तथाकथित स्वतंत्रता के विचारों के द्वारा किसी भी प्रकार से इसको नष्ट कर सकते हैं।

इस चक्र के पास हमें सुबुद्धि प्रदान करने की शक्ति है। सुबुद्धि एक ऐसा शब्द है जिसे समझाया नहीं जा सकता है। सुबुद्धि, क्या अच्छा है और क्या बुरा है कि समझ के बीच का संतुलन है। जहां आप सचमुच समझते हैं कि आपके लिए क्या अच्छा है, आपकी आत्मा के लिए, वही सुबुद्धि है और जब यह चक्र सचेत है और नष्ट नहीं हुआ है, तब आप वास्तव में जान सकते हैं, कि सुबुद्धि क्या है।

उदाहरण के तौर पर, जिस व्यक्ति का यह चक्र अत्यधिक विकसित है, आपको बता सकता है कि यह उत्तर है या दक्षिण, क्योंकि धरती माता में जो चुंबकीय शक्ति है। यह चक्र धरती माता के तत्व से बना है। धरती माता में जो चुंबकीय शक्ति है, वह इस चक्र में स्थित है। जब पक्षी सुदूर साइबेरिया से ऑस्ट्रेलिया तक उड़ते हैं, तो वे इस चक्र के मदद से करते हैं, क्योंकि उनको पता है कि वे उत्तर की ओर जा रहे हैं या दक्षिण कि ओर। उनके अंदर यह आंतरिक सुबुद्धि है जानने कि किस दिशा में जाना है और इसलिए हमें यह जानना चाहिए कि यह चक्र भी हमारे अंदर है, लेकिन हमने निर्णय लेने का अपना विवेक खो दिया है क्योंकि हमने अपने अंदर की चुंबकीय शक्ति खो दी है।

एक अबोध व्यक्ति वास्तव में एक चुंबक की तरह होता और या आकर्षित करता है; वह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जैसे एक फ़ूल, मधुमक्खी को अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसी कुछ मछलियाँ है, जिनके अंदर उनको वास्तविक चुंबकीय क्षेत्र मिला है और कुछ में तो उन्होंने पाया है कि कुछ मछलियों में तो एक सामान्य चुंबक ही मिला है, जिसके द्वारा वे जानती हैं कि वे उत्तर, दक्षिण, पूर्व या पश्चिम की ओर जा रही हैं।

जैसा कि मैंने आपको पिछली बार बताया था, हमारे अंदर यह चक्र कई तरीकों से नष्ट किया जा सकता है। अगर आप ऊपर से देखेंगे, एक नीली रेखा नीचे आ रही है; यह हमारी इच्छा शक्ति है, जिसके द्वारा हम इच्छा करते हैं और यह मानव की भावनात्मक पहलू है। अगर कोई व्यक्ति अपने भावनात्मक पक्ष को नजरंदाज करता है या अपने भावनात्मक पक्ष का आदर नहीं करता है, तब यह चक्र अचेत हो जाता है, यह पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। इस आधुनिक समय में, भावनात्मक पक्ष को मानव अच्छे से नहीं समझ सके हैं। मुझे यह कहते हुए खेद है, लेकिन यह बहुत बड़ा सच है कि जब आप इस चक्र को नष्ट कर देते हैं, तो पहली चीज जो आरंभ होती है वह नपुंसकता या अधिक गतिविधि है, जैसे बलात्कारी और वे सब बनते हैं, क्योंकि यह चक्र उपेक्षित है। परमेश्वर की दृष्टि में दोनों चीजें समान हैं; कोई भी अति गलत है।

वे लोग जो कहते हैं कि आप सेक्स के माध्यम से प्रबुद्ध हो सकते हैं, वे वास्तव में - मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या कहना चाहिए, क्योंकि वह आपकी मां है जो वहां बैठी है; वह केवल आपकी, माँ है, उसका कोई अन्य बच्चा नहीं है और वह पवित्र से भी पवित्र है। वह आपके भीतर पवित्र आत्मा है और यदि आप अपनी मां पर सेक्स करना चाहते हैं, तो मुझे नहीं पता कि लोग यहां इसे समझते हैं या नहीं। भारत में यह असंभव है; हम इस बकवास को नहीं समझ सकते। तो यह आपकी माँ के लिए उसी प्रकार का अपमान है।

जैसे कुछ लोग मदर मैरी का अपमान करने की कोशिश करते हैं, क्राइस्ट को उनके साथ एक बहुत ही अजीब स्थिति में दिखाकर । यह कुछ ऐसा है जो हम कह सकते हैं कि ऐसा तब होता है जब आप इस तरह से बात करना शुरू करते हैं। अपनी ही माँ के साथ ऐसा करना बहुत बड़ा पाप है, जो कुंडलिनी है और यही कारण है कि, उस दिन मैंने आपको बताया, मैंने देखा है कि कुछ लोगों की कुंडलिनी है, जो हर समय अपना सिर पटकती रहती है और अपने पूरे शरीर को तोड़ती- मरोड़ती रहती है और बस इतना असहाय महसूस करती है क्योंकि वह इतनी कमजोर हो गई है क्योंकि एक व्यक्ति से पवित्रता गायब हो गई है। पवित्रता का हमारा विचार इतना विकृत हो गया है और इसके ऊपर अब हमारे पास हमें यह बताने के लिए गुरु हैं कि यह करना एक बहुत अच्छी बात है, आप स्वर्ग जाएंगे। वास्तव में वे बहुत ईमानदार हैं वे कहते हैं कि आप अथाह गड्ढे में जाएंगे और अथाह गड्ढे का मतलब नरक है।

इसके लिए गुरु की आवश्यकता क्यों है? असल में आपने इस कला में महारत हासिल कर ली है। मेरा मतलब है, इंग्लैंड में जब मैं गई, तो मैं चकित रह गई कि वे इस बारे में सेक्स करते हैं... मेरा मतलब है कि वे सेक्स और सेक्स और सेक्स की बातें करते हैं, सुबह से शाम तक। मुझे समझ नहीं आता है। जैसे सभी नपुंसक लोग बात करते हैं। इस तरह वे हर समय सेक्स के बारे में बात करते रहते हैं; यह सेक्स के अलावा कुछ भी नहीं है; यह बहुत गंदा है, इतना गंदा है। वे जानवरों के साथ सेक्स, बच्चों के साथ सेक्स, उसके साथ सेक्स की बातें करते हैं... मुझे नहीं पता कि मनुष्यों के साथ क्या हो रहा है, वे इतने गंदे कैसे हो सकते हैं? मुझे आश्चर्य नहीं होगा कि कुछ समय बाद हमारे ड्राइंग रूम के अंदर हमारे बाथरूम होंगे। आप देखिए कि हमारी व्यक्तिगतता की तरह कुछ है, हमारे ड्राइंग रूम की तरह कुछ जहां हम लोगों से मिलते हैं। आप इन चीजों के बारे में कैसे बात कर सकते हैं, और आप इन चीजों पर कैसे चर्चा कर सकते हैं जो इतनी निजी हैं, और इतनी पवित्र हैं, और इस तरह आप उन्हें खो देते हैं या आप उन पर संतुलन खो देते हैं।

यह उन चीजों में से एक है जो हमारे साथ हो रही है क्योंकि भगवान ने हमें भीतर स्वतंत्रता दी है, हम वह कर सकते हैं जो हम चाहते हैं। लेकिन हमने अपनी विवेक-बुद्धि खो दी है। हमने खो दी है। मुझे नहीं पता कि यह औद्योगिक क्रांति क्यों है, या मुझे नहीं पता कि किसे दोषी ठहराया जाए, लेकिन हमने यह समझने की अपनी विवेक-बुद्धि खो दी है कि ये चीजें हानिकारक हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो हम तार्किक रूप से कह सकते हैं, हममें बीमारियाँ क्यों विकसित होती हैं? खुले सेक्स के साथ, सभी नाविकों के लिए, आप जानते हैं कि कानूनन, हर बंदरगाह में यौन जीवन से होने वाली सभी प्रकार की जटिलताओं के लिए इंजेक्शन प्राप्त करने की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा क्यों है कि आप हर मिनट स्वस्थ महसूस नहीं करते हैं? आप अपना सारा स्वास्थ्य खो देंगे, आपके चेहरे से सारा आकर्षण चला गया है, आप धंसे हुए हैं और आप बहुत भयानक दिखते हैं। यह एक बहुत अच्छा संकेत है, बस अभ, यह देखने के लिए कि प्रकृति इसके साथ कैसे प्रतिक्रिया करती है। इसलिए किसी को यह समझने के लिए बुद्धिमान होना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें यह चीज दी है, अपमानित होने के लिए नहीं, बल्कि हमारे लिए एक अच्छे, सामान्य विवाहित जीवन जीने के लिए, और न कि इस तरह की चीजों में अपनी ऊर्जा को बर्बाद करने के लिए।

लेकिन जब लोग इसके बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो यह और भी बदतर होता जाता है। फिर क्या होता है, कि वहां से यह दूसरी तरफ ध्यान केंद्रित हो जाता है और यह पीले पक्ष में जाता है, मस्तिष्क में जाता है। जब आप इसके बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो निश्चित रूप से यह है कि आप नपुंसक बन जाएंगे। निश्चित रूप से, इसमें कोई संदेह नहीं है कि बहुत ही शुरुआती अवस्था में। क्योंकि यह एक सहज चीज है। और जब आप इसके बारे में सोचना शुरू करते हैं, जब आपकी आंखें यहां-वहां घूमने लगती हैं, यह निश्चित है कि आपका ध्यान किसी ऐसी चीज़ पर चला गया है जो इतना स्थानीयकृत है, जो बहुत अलग है और जो केवल उस समय होता है जब आप एक प्रकार की भावनात्मक सहजता पर होते हैं।

लोगों से इन चीजों के बारे में बात करना दकियानूसी लगता है लेकिन यदि आप इसके बारे में सावधान नहीं हैं, आपको अमेरिकी युवा लोगों के आंकड़ों का पता लगाना चाहिए और आप आश्चर्यचकित होंगे कि उनमें से कितने भयानक बीमारियों से पीड़ित हैं। जब मैं अमेरिका गई थी तो मैंने जाना कि मेरे पास आने वाले दस में से नौ युवा इन भयानक बीमारियों से पीड़ित थे और उनमें से अधिकांश नपुंसक थे। यह एक चौंकाने वाला सच है। किसी को इसका जैसा है वैसे ही सामना करना पड़ेगा, बजाय यह कहने के, “ओह! मैं ठीक हूं, मैं ठीक हूं।” चीजों को देखने का यह तरीका नहीं है। हमें उन आंकड़ों को देखना होगा जो हमारे सामने रखे जा रहे हैं, और यह जानने के लिए कि इसमें कुछ गलत है और अपनी सुबुद्धि से आपको इसके बारे में कुछ निष्कर्षों पर पहुंचना होगा।

दूसरा केंद्र, जिसे मैं स्वाधिष्ठान केंद्र कहती हूं, भी हमारे भीतर एक बहुत ही महत्वपूर्ण केंद्र है।

पहला केंद्र हमारे सभी उत्सर्जन क्रियाओं की देखभाल करता है; इसमें चार पंखुड़ियां हैं। इसी प्रकार श्रोणि स्नायु जाल (Pelvic Plexus), जो उसके द्वारा व्यक्त होता है, जो हमारे भीतर एक स्थूल स्नायुजाल है, उसमें भी चार उप स्नायुजाल (sub-plexuses) होते हैं।

एक अन्य केंद्र है वह है स्वाधिष्ठान केंद्र जो दूसरा केंद्र है। दूसरे केंद्र में छह पंखुड़ियां हैं और यह प्रदान करता है या यह स्थूल में व्यक्त करता है, महाधमनी स्नायु जाल (Aortic Plexus) को जिसमें छह उप स्नायु-जाल हैं। अब यह केंद्र आधुनिक समय में हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है; यह अत्यंत महत्वपूर्ण है और मुझे लगता है कि इस केंद्र की उपेक्षा बहुत सारी समस्याएं पैदा कर सकती है।

अब यदि आप देखें तो यह केंद्र मस्तिष्क से जुड़ा हुआ है और यह केंद्र हमारी क्रियाशीलता के लिए जिम्मेदार है, यह हमारी रचनात्मकता का केंद्र है। जब हम भविष्य के बारे में सोचते हैं, जब हम कोई शारीरिक कार्य करते हैं, तो हम उस उद्देश्य के लिए इस केंद्र का उपयोग करते हैं और हम को यह समझना होगा कि इन दिनों हम बहुत सारी बीमारियाँ उत्पन्न कर रहे हैं क्योंकि हम समझ नहीं पाएं है कि इस केंद्र का कार्य क्या है।

इस केंद्र का सबसे महत्वपूर्ण कार्य सिर में ग्रे पदार्थ के उपयोग के लिए वसा कोशिकाओं को परिवर्तित करना है। जब हम भविष्य के बारे में हर समय बहुत अधिक सोचते हैं, हम योजना बनाते हैं, हम बड़ी विस्तृत योजनाएं बनाते रहते हैं। क्या होता है कि इस अभागे केंद्र को आपके मस्तिष्क के उपयोग के लिए, एक के बाद एक नई कोशिकाओं का उत्पादन करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

इसके अलावा इसे कई अन्य कार्य करने पड़ते हैं। इसे आपके यकृत (Liver) की देखभाल करनी होती है, इसे आपकी प्लीहा (spleen) की देखभाल करनी होती है, इसे आपके अग्न्याशय (pancreas), आपके गुर्दे (kidney) और महिलाओं के गर्भाशय (uterus) की देखभाल भी करनी होती है। अगर आप बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं, अगर आप अपनी सोच को रोक नहीं सकते हैं, हर समय आपका दिमाग सोचता रहता है, एक तरह की सोच प्रक्रिया आपके नियंत्रण के बिना शुरू हो जाती है, तो इस बेचारे केंद्र को वह सब काम करना पड़ता है, आपका जिगर खराब हो जाता है।

जब आपका जिगर खराब होता है तो आपको पता होना चाहिए कि यकृत हमारे भीतर सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है क्योंकि यह हमारे चित्त को पोषण देता है। यह चित्त, जब भी यह खराब हो जाता है, यह खराब होता है क्योंकि हमारे भीतर कुछ जहर होते हैं; ये शारीरिक जहर हो सकते हैं, ये मानसिक जहर हो सकते हैं, ये भावनात्मक जहर हो सकते हैं। किसी भी तरह के जहर हैं, विशेष रूप से शारीरिक और भावनात्मक, वे इस जिगर में जाते हैं जो इन्हें अलग करता है। इस जिगर का कार्य इसे अलग करना है।

लेकिन जब आप इसे पर्याप्त ऊर्जा नहीं दे रहे हैं, आप सोचने के लिए उपयोग कर रहे हैं, तो यह अभागा केंद्र पीछे छूट जाता है; इसका कोई पोषण नहीं है, कोई भी इसकी देखभाल नहीं करता है और यह सुस्त हो जाता है। जब यह सुस्त हो जाता है, तो सारी गर्मी यकृत में जमा हो जाती है, और ऐसे व्यक्ति को सिरोसिस (यकृत की एक बीमारी) होने तक कोई बुखार नहीं चढ़ता है और वह मर जाता है। जब सोच बहुत ज्यादा चलती है, तो लोग बहुत ज्यादा सोचते-सोचते थक जाते हैं। तो वे सोचते हैं, "चलो कुछ ऐसा करते हैं जो हमें सोचने से दूर ले जाएगा, जो हमें बाहर से एक झटका देगा।" इसलिए वे किसी प्रकार की नशीली दवा, या पेय, या शराब और वे सब लेते हैं।

दुनिया के तमाम संतों ने कहा है कि शराब जीवन के लिए बहुत खतरनाक है। कारण यह है कि यह हमारी चेतना के खिलाफ जाता है। यह एक तथ्य है; आप जानते हैं कि पेय लेने के बाद हमारी चेतना धुंधली या उत्तेजित हो जाती है। यह सामान्य बात नहीं है। यही कारण है कि उन्होंने ना कहा था।

सहज योग में मैं यह नहीं कहती कि ऐसा मत करो और वैसा मत करो। मैं केवल इतना चाहती हूं कि आप सहज योग में आएं, अपना साक्षात्कार प्राप्त करें और फिर आप इसको नहीं मांगेंगे। यह ऐसा करने का एक बेहतर तरीका है। लेकिन उन्होंने आपसे क्यों कहा – उदाहरण के लिए, यदि आप मोजेज़ को पढ़ते हैं, तो मोजेज़ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ये कठोर पेय हैं, बहुत स्पष्ट रूप से। मुझे नहीं पता कि लोग पढ़ते हैं या नहीं और उनसे बचा जाना चाहिए। मुझे नहीं पता कि यहूदी ऐसा करते हैं या नहीं। उन्हें नहीं लिया जाना चाहिए, उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से यह कहा था। अब्राहम ने वही बात कही थी कि शराब अच्छी नहीं है।

इन सभी ईश्वर के दूतों ने इसके बारे में क्यों कहा? क्योंकि वे सभी हमारे उस हरे स्थान में पैदा हुए हैं; वे सभी इस हरे स्थान में रखे गए हैं जहां हमें अपना धर्म मिलता है, जो दस है। हमारे भीतर दस धर्म हैं, जैसे सोने का धर्म है कि वह धुंधला नहीं होता। इसी प्रकार मनुष्य के भी दस धर्म हैं।

इन दस धर्मों का प्रतिनिधित्व महान पैगंबरों द्वारा किया गया है। इस सिद्धांत को आदिगुरु कहा जाता है संस्कृत भाषा में, Primordial Master। उन्होंने इस धरती पर अब्राहम, मोजेज़, लाओत्से के रूप में, कन्फ्यूशियस, सुकरात के रूप में अवतार लिया है, हाल ही में वह शिरडी के साईं नाथ के रूप में रहे हैं, और अन्य महान लोग जैसे नानक, जनक रहे हैं। ये सभी महान संत इस धरती पर हमें यह बताने के लिए आए थे कि मध्य में कैसे रहना है, हमें अपने धर्म को कैसे रखना है, मनुष्य कैसे बनना है। जैसे कार्बन की चार संयोजकताएं (Valency) हैं, उसी प्रकार हमारे पास भी दस संयोजकताएं (Valency) हैं। हमें अपने भीतर उन दस संयोजकताओं को बनाए रखना होगा; हमें यही बताने के लिए वे आए थे।

लेकिन अगर कोई कहता है कि आप को नहीं पीना चाहिए, तो आधा हॉल खाली हो जाएगा। यदि आप कहते हैं कि आप स्वच्छंद सेक्स नहीं कर सकते हैं, तो पांच लोग बाहर निकल जाएंगे। यही समस्या है। यहां कोई भी इसे पसंद नहीं करता है, इसके बारे में कुछ भी जानना नहीं चाहता है, लेकिन यह करना एक खतरनाक बात है। जो भी हो, आपको मध्य में रहना होगा। आपको मध्य में होना चाहिए, और मध्य में कैसे रहना है, अति में नहीं जाना है, संतुलन में होना है, और एक संतुलित जीवन सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन अगर आप नहीं भी रहे हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

कुंडलिनी इस समय में ऐसी शक्ति है कि आपने जो कुछ भी किया होगा, आपको अपना साक्षात्कार आराम से मिल जाता है। यह तो एक अलग बात है, लेकिन मैं आपको जो बताने की कोशिश कर रही हूं, वह यह है, इसीलिए इन लोगों ने ऐसा कहा।

मोहम्मद साहब एक और हैं जिन्होंने कहा कि पीओ मत। वह उनमें से एक है, वह वही है; कोई अंतर नहीं है, मोजेज़ और मोहम्मद साहब के बीच कोई अंतर नहीं है; मैं चैतन्य लहरियों से आपको यह साबित कर सकती हूं। चैतन्य लहरियों के माध्यम से आप स्वयं जान सकते हैं कि वे एक ही लोग थे, एक ही बात कही थी। किसी भी तरह का कोई अंतर नहीं है। केवल लोग ही लड़ रहे हैं। मुझे नहीं पता क्यों, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इन दोनों के बीच लड़ने के लिए क्या है। वे एक समान थे, एक ही बात का उपदेश देते थे, और जब मोजेज़ ने नदी को पार किया और पुल बनाया गया, तो वह पुल उस पुल है का प्रतीक है जो कुंडलिनी हमारे भीतर इस भवसागर को पार करने के लिए हमारे अंदर बनाती है।

यह बहुत प्रतीकात्मक है। उन्होंने आपको यह बताने के लिए इतनी मेहनत की है धर्म क्या है, हमें मध्य में कहां रहना है, क्योंकि यदि आप धर्म में हैं, जैसा कि उन्होंने कहा, तो इस कुंडलिनी का केवल एक धागा ही उठता है। यह एक धागा नहीं है जिसे उठना चाहिए। असल में मैंने लोगों में देखा है कि यह पूरी इस तरह से ऊपर चली जाती है और कई लोगों में यह ऊपर ही रह जाती है, लेकिन परेशानी यह है कि यह (एक धागा) उठता है क्योंकि उठने के लिए कोई जगह नहीं है। हमने स्वाधिष्ठान के बारे में जान लिया है और एक अन्य चक्र के साथ जो मध्य में है, जिसे नाभि चक्र कहते हैं जिसका (अंग्रेजी में) अर्थ है Navel Centre।

जब आपके चक्र में रुकावट आती है, तो स्वाभाविक रूप से कुंडलिनी, हालांकि यह पूरी ताकत से उठती है, सभी चीजें, सभी धागे नीचे गिर जाते हैं और केवल एक या दो किसी तरह ऊपर जाते हैं और सहस्रार को खोलते हैं, यह सोचकर कि कम से कम अगर मैं वहां खोल दूंगा तो अन्य, नीचे कृपा बरसेगी और शायद यह और अधिक खुल जाएगा।

इसलिए यह समस्या है। इसलिए उन्होंने कहा कि आप एक ऐसा जीवन व्यतीत करें जो संतुलित और संयमित है और यही उन्होंने उपदेश भी दिया है। अब देखते हैं कि जब हम अति में जाते हैं तो क्या होता है।

मध्य में, जैसा कि हमने देखा है, हमारे भीतर धर्म है। अब अगर आप इस तरफ या उस तरफ से जाने की कोशिश करते हैं, तो क्या होता है, देखते हैं। इस तरफ से परे अवचेतन है; यदि आप जाते हैं, तो आप सामूहिक अवचेतन में प्रवेश करते हैं। दूसरी ओर, यदि आप चलते हैं, तो यह अति चेतन (Supra Conscious) है, आप सामूहिक अति चेतन (Collective Supra Conscious) में प्रवेश करते हैं।

इस तरफ वे सभी लोग बाईं ओर हैं, ये वे लोग हैं जो अभी भी असंतुष्ट हैं, बहुत धूर्त, कपटी, भयानक लोग हैं, जो मर चुके हैं, जो जन्म नहीं लेना चाहते हैं और जो अभी भी लोगों को पूरी तरह से यातना देना चाहते हैं। ये दूसरे के कार्यों में बाधा डालने वाले हैं, वे आपको पकड़ सकते हैं, वे आपको पकड़ कर कब्जा कर ही लेते हैं।

दाईं ओर हिटलर जैसे लोग हैं जो बहुत महत्वाकांक्षी हैं, जो अपनी महत्वाकांक्षाओं और इस तरह की चीजों से मर गए हैं। वे अभी भी वहां मौजूद हैं। जब आप अति में जाते हैं, तो आप या तो इस तरफ प्रवेश करते हैं या उस तरफ प्रवेश करते हैं और आप बस भूतग्रस्त हो जाते हैं। यह एक बहुत ही खतरनाक क्षेत्र है जिसमें आप प्रवेश कर रहे हैं।

हाल ही में मैं बीबीसी का एक कार्यक्रम देख रही थी और कुछ डॉक्टरों ने एक बहुत ही दिलचस्प बात की खोज की थी। उन्होंने कहा कि कैंसर कुछ प्रोटीनों से शुरू होता है जिसे वे प्रोटीन 58, प्रोटीन 56 या ऐसा ही कुछ कहते हैं। जब ये प्रोटीन हमारे भीतर कुछ अज्ञात क्षेत्रों से हम पर हमला करते हैं जो हमारे निर्माण के बाद से हमारे भीतर बने हैं। ये क्षेत्र क्या हैं? यह मैं इतने सालों से कह रही हूं कि बाईं ओर और दाईं ओर, दो चरम सीमाएं हैं।

जब हम दाईं ओर जाते हैं तो हम क्या करते हैं - दाईं ओर वह क्षेत्र है जहां आप बहुत अधिक सोचते हैं, जहां आप भविष्य में खुद को प्रक्षेपित (प्रोजेक्ट) करते हैं। इसी प्रकार आप आगे बढ़ते रहते हैं, फिर आप एक ऐसे व्यक्ति बनने लगते हैं जो वर्तमान की तुलना में भविष्य में अधिक रुचि रखता है। मध्य वर्तमान है। अब आप अपने दिमाग को उस [भविष्य] में प्रक्षेपित करना शुरू करते हैं, जब आप अपने दिमाग को उसमें बहुत अधिक प्रक्षेपित करने लगते हैं, तो आप उस ओर जाना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही जो भी सादा और सख्त जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति है, वह सोचता है कि यदि आप बहुत सख्त जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति हैं, तो आप ब्रह्मचर्य का जीवन जीते हैं और यह सब निरर्थक बात है। यदि आप ब्रह्मचर्य का जीवन जीते हैं, तो यह आपकी बिल्कुल भी मदद नहीं करेगा। इसके विपरीत, ऐसा व्यक्ति एक अत्यंत शुष्क व्यक्तित्व बन जाता है और अंततः दिल का दौरा पड़ने से मर जाता है और ऐसा व्यक्ति इतना हठी होता है, इतने गर्म स्वभाव का होता है कि आपको ऐसे व्यक्ति से मिलने से पहले एक बहुत बड़ा डंडा लेना चाहिए।

वे इतने कोसने वाले होते हैं, अन्य लोगों के स्वास्थ्य या किसी भी चीज़ से इतने अनजान होते हैं कि वे किसी को भी कोसते रहते हैं और यह उनका काम है कि वे इसे कोसते हैं और उसे कोसते हैं और उसे कोसते हैं। वे बेहद शुष्क लोग हैं। वे भगवान के नाम पर सामाजिक कार्य कर सकते हैं या वे गरीबों के लिए पागलों की तरह काम करेंगे; वे सोच रहे हैं कि वे गरीबों को बचा रहे हैं और यह और वह कर रहे हैं और जब आप उन्हें किसी अन्य समय देखते हैं, तो आप निस्संदेह ही जान जाएंगे कि ऐसा व्यक्ति पूरी तरह से आग से जल रहा है।

उनके पास एक बहुत ही खराब जिगर है, बहुत गर्म स्वभाव है; उनके पास कोई मिठास नहीं है, उनके पास कोई चुंबकत्व नहीं है। सभी लोग उनसे दूर भागते हैं और वे उबले हुए अंकुरित बीजों की तरह होते हैं, हर किसी के सिर पर बैठे हुए। ऐसा करो, वैसा करो, तुमने ऐसा नहीं किया है, तुम क्या कर रहे हो? वे खुद नहीं सोएंगे और किसी को सोने नहीं देंगे। वे सोचते हैं कि हर किसी को उनके अंगूठे के नीचे काम करना चाहिए और ये वे लोग हैं जो बहुत अहंकारी होते हैं जैसा कि वहां दिखाया गया है, वे लोग हैं जो दाहिने ओर बढ़ते हैं।

धर्म के बारे में कोई भी कठोर विचार आपको इस तरफ ले जा सकता है और यह तपस्या मनुष्य के लिए बहुत खतरनाक है क्योंकि यह आपको समष्टि से काट देती है। ऐसा व्यक्ति दाहिने ओर के किसी प्रकार के व्यक्तित्व के फंदे में फंस सकता है या भूतग्रस्त हो सकता है।

मैं एक ऐसी महिला को जानती हूं जो भारत में बहुत प्रसिद्ध है और जिसे एक बड़ा पुरस्कार मिला है और यह और वह अपने सामाजिक कार्यों के लिए। मैंने उसे पहली बार एक हवाई जहाज पर देखा था जब उसके पास कोई पुरस्कार और वह सब नहीं था। वह अपने साथ किसी तरह का अजीब सामान लेकर आई और वह सामने की सीट पर बैठना चाहती थी। तो एयर होस्टेस ने कहा, "मुझे खेद है, यह कुछ बच्चों के लिए आरक्षित है जो बीमार हैं और उन्हें इस विमान से जाना है और हम आपको यह नहीं दे सकते हैं और (उनकी) मां वहां है।"

वो माँ से लड़ने लगी, कितनी बार उसने उन्हें कहा और तुम अपने बारे में क्या सोचते हैं और यह और वह और वो बस इधर से उधर और वहाँ से वहाँ कूद रही थी और वो प्लेन को जाने नहीं दे रही थी। आधे घंटे तक वह वहां बैठने के लिए लड़ रही थी और उसने एयर होस्टेस के लिए जितनी गालियां इस्तेमाल कीं, मैं हैरान रह गई।

और वह एक ऐसी महिला होनी चाहिए जिसे शांति पुरस्कार या ऐसा कुछ दिया जाना चाहिए था ? मुझे नहीं पता, उसके चेहरे पर कोई शांति नहीं थी, न ही उसके आस-पास और जिस तरह से वह व्यवहार कर रही थी हर कोई बहुत परेशान था। यह वास्तव में चौंकाने वाला था ऐसे व्यक्तित्व को देखना जो इतने गर्म स्वभाव का था और चीजों के बारे में इतना नुकताचीनी करने वाला था और वह उसके साथ बहस कर रही थी, "यह मेरी सीट थी और यह यह थी और यह वह था।" भगवान का शुक्र है, फिर उन्होंने उसे बाहर निकाला और विमान वहां से रवाना हुआ। लेकिन मैं आपको बता रही हूं, ऐसे लोग पागलपन कि हद तक गर्म स्वभाव के हो सकते हैं और वहां आपकी उपस्थिति से इतने अनजान हो सकते हैं कि आपको उनसे बहुत बहुत सावधान रहना होगा।

ऐसे लोग जीवन में बहुत, बहुत सफल लग सकते हैं और जब वे चलते हैं तो बिल्कुल भावनाहीन होते हैं और सभी प्रकार की चीजें, लेकिन उन्हें यह महसूस करने में समय नहीं लगता है कि यह सब बेवकूफी है। इस तरह का अहंकारी व्यवहार आपको मूर्खता के अलावा कहीं भी नहीं ले जा सकता है। एक व्यक्ति बेहद बेवकूफ हो सकता है और वह नहीं जानता कि वह कितना बेवकूफ है, क्योंकि यही गलत है।

एक सज्जन हमसे मिलने आए और उनकी एक पत्नी थी जो केवल सोलह वर्ष की थी और वे अस्सी वर्ष के थे। स्वाभाविक रूप से, मैंने सोचा कि वे दादा होने चाहिए, इसलिए मैंने कहा, "क्या यह आपकी पोती है?

तो मेरे पति ने मुझे चुटकी ली और कहा, "यह उसकी पत्नी है।

मैंने कहा, "सच में? " मैंने कहा, "मुझे खेद है, मुझे नहीं पता था कि यह आपकी पत्नी थी।"

"क्या गलत है, मेरे पास दो साल की भी एक पत्नी हो सकती है । इसमें गलत क्या है?"

मैंने कहा, "कुछ भी गलत नहीं है, केवल एक चीज यह है कि लोग आप पर हंसेंगे, बस।"

सभी प्रकार की बेवकूफ चीजें लोग इस दुनिया में करते हैं, और वे सोचते हैं कि "क्या गलत है?" यह अपनी मूर्खता के साथ चलने का सबसे अच्छा तरीका है, जब तक कि उन्हें पता न चले कि आप अब तक के सबसे महान बेवकूफ व्यक्ति हैं। अब यह मूर्खता इस अहंकार के ऊपर जाने और आपके मस्तिष्क को पूरी तरह से घेरने से आती है। आप कुछ और नहीं देख सकते, आप बस अपने आप को, मेरा कमरा, मेरा घर, मेरा, मेरा, मेरा, को देखते हैं। आप यह नहीं देख सकते कि अन्य लोग भी हैं कि आप दूसरों के प्रति किसी प्रकार के संबंधों के ऋणी हैं, कि आपको उनके प्रति दयालु होना है, कि आपको उनके साथ चीजों को बाँटना है। आप हर समय अपने बारे में सोचते हैं और ऐसे लोग अति चेतन शैली वालों से भूतग्रस्त हो जाते हैं।

ऐसे लोगों में अध्यात्म में क्या होता है, उन्हें लगने लगता है कि उनका शरीर यहां पड़ा हुआ है और वे ऊपर जाकर पेड़ में बैठ जाते हैं; उन्हें लगता है कि यह साक्षात्कार या प्रबुद्ध होना है - बस कल्पना कीजिए। यह और कुछ नहीं बल्कि एक अति-चेतन आत्मा ने प्रवेश किया है और शरीर को दूर ले जाकर वहां रख दिया है।

मैंने आपको बताया था कि अमरीका से आने वाले तीन अमरीकी थे और वे बहुत बड़े वैज्ञानिक माने जाते थे। वे मुझसे मिलने आए और उन्होंने कहा, "माँ, आपको हमें एक बात सिखानी होगी।"

मैंने कहा, "क्या?"

"हम उड़ना चाहते हैं।"

मैंने कहा, "उड़ना? आप पहले से ही उड़ रहे हैं। आप क्या उड़ान भरना चाहते हैं? "

उन्होंने कहा, "नहीं, लेकिन हम ESP (Extra Sensory Perception/परा संवेदी अनुभूति) के साथ उड़ान भरना चाहते हैं।"

मैंने कहा, "तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम इन आत्माओं के गुलाम हो जाते हो और तुम इन आत्माओं के गुलाम बनना चाहते हो।"

"हाँ, जो कुछ भी है, गुलामी या कुछ भी, हम इसे प्राप्त करना चाहते हैं और हम इसे प्राप्त करना चाहते हैं जिसके द्वारा आप उड़ते हैं।"

मैंने कहा, "क्यों?"

उन्होंने कहा, "क्योंकि रूस ऐसा कर रहा है, और रूसी ESP के साथ प्रयोग कर रहे हैं, इसलिए हमें भी ऐसा करना चाहिए।"

मैंने कहा, "यदि वे नरक में जा रहे हैं, तो क्या आप भी नरक में जाओगे?"

उन्होंने कहा, "हां। क्या गलत है?"

मैंने कहा, "कुछ भी गलत नहीं है। भागते-कूदते जाओ, आप वहां बहुत तेजी से पहुँच सकते हैं। लेकिन जहां तक मेरा सवाल है तो मैं इसके पक्ष में नहीं हूं। मैं तुम्हारे जीवन को हमेशा के लिए बर्बाद नहीं करने वाली हूं।" मैंने पूछा, "तुम्हें मेरे पास किसने भेजा है?"

उन्होंने कहा, "एक पातंजलि।" पातंजलि नाम का एक व्यक्ति है जो एक पत्रकार है।

मैंने कहा, "इस पातंजलि ने तुम्हें भेजा है? "

"हाँ, उसने हमें आपके पास भेजा है।" यह वह व्यक्ति था जो अपने शरीर को छोड़ देता था, और सभी स्थानों पर दौड़ता था। वह पत्रकार था, इसलिए किसी को पता चलने से पहले ही उसे खबर मिल जाती थी, और वह अपने घर से बाहर भाग जाता था और पत्नी इतनी हैरान थी कि एक दिन वह कुछ रेत लेकर आया और उसने कहा, " क्या तुम जानती हो कल मैं कहाँ था? मैं [अस्पष्ट] समुद्र तट पर था। वहाँ से मैं तुम्हारे लिए रेत लाया हूँ।" वह इतना डर गई थी और वह किसी भी भगवान या ईसा मसीह या किसी की भी तस्वीर के सामने हिलता था, वह इस तरह हिलता था, इसलिए वह मेरे पास लाई। उसने कहा, "यह आदमी हिल रहा है। मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है। वह परेशान है, यह पार्किंसंस की बात है। मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है, और यहां रात में, वह गायब हो जाता है, मैं सब कुछ बंद कर देती हूं और फिर भी वह गायब हो जाता है, मुझे नहीं पता कि क्या करना है, यह बहुत खौफनाक

उसने कहा, "कभी-कभी मैं पेड़ पर जाकर बैठ जाता हूं।"

मैंने कहा, "सच में? " तो मैंने उसे बताया, "तुम भूतग्रस्त हो।"

उसने कहा, "माँ, कृपया इसे हटा दो। मुझे यह बकवास नहीं चाहिए। किसी को नहीं पता कि मैं कल कहाँ पहुँच जाऊंगा। मैं कहीं भी हो सकता हूँ, हवा में लटका हुआ। मैं ऐसा नहीं करना चाहता और शायद मेरा शरीर वापस नहीं आएगा।"

अब लोग यही कर रहे हैं, आत्माओं को बाहर निकाल रहे हैं। जब वे किसी व्यक्ति से आत्मा निकालते हैं तो वे इसे अपने पास रखते हैं। जैसे कि बच्चे, छोटे-छोटे बच्चे भी नींद में ही मर जाते हैं। यदि कोई माँ यहाँ है और उसका अमेरिका में एक बच्चा है, और वह कहती है, "मैं अपने बच्चे से किसी माध्यम द्वारा बात करना चाहती हूं," तो यह एक बहुत ही खतरनाक बात है। कभी भी इन माध्यमों के साथ न खेलें, बहुत खतरनाक। और ऐसी मां जिसे मैं स्विट्जरलैंड में जानती हूं, उसने एक बच्चे के साथ ऐसा किया और बच्चे की अमेरिका में, नींद में मृत्यु हो गई। क्योंकि दूरी ऐसी है कि जहाँ दिन है वहाँ रात है; वह दिन में ऐसा कर रही थी और बच्चा सो रहा था। उसने बच्चे से बात की, उसने उसकी आवाज़ सुनी, उसने सब कुछ किया ... और बच्चे की मौत हो गई।

आत्माओं से सरोकार रखने वाले इन लोगों के पास कभी न जाएं; यह दुनिया के सभी महान लोगों द्वारा कहा गया है, लेकिन हमें कोई चिंता नहीं हैं। वे कहते हैं, "क्या गलत है? हम आत्माओं के पास जाते हैं, ESP के पास जाते हैं, हमारे बुजुर्गों के पास जो मर चुके हैं, हमारे भाइयों और बहनों के पास।" अब उन्हें परेशान क्यों करें वे मर चुके हैं। उन्हें मुक्त होने दीजिए। वैसे भी, जब वे इस धरती पर थे आपने उनके जीवन को यातनाएं दी थी। आप उन्हें क्यों नहीं छोड़ देते हैं? उन्हें जाने दो और उन्हें जन्म लेने दो। लेकिन हम संतुष्ट नहीं हैं। हम कहते हैं, "नहीं, हमें उनसे बात करनी है। हमारे पास séances ( एक प्रकार की मीटिंग जिसमें किसी माध्यम के द्वारा मृत आत्माओं से बातचीत की जाती है।) हैं, हम हाथ पकड़ते हैं, आत्माओं को बुलाते हैं और ऐसा करते हैं।"

लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके साथ क्या होता है? सबसे पहले कोई साक्षात्कार नहीं मिलता है। ऐसे लोगों के लिए बहुत मुश्किल है। अगर आपको साक्षात्कार मिल भी जाए और वह सब भी, तो भी आपको बहुत सारी समस्याएं हैं। मैंने लोगों को पागल होते देखा है, क्योंकि ये आत्माएं गंदी चीजें हैं।

मान लीजिए कि आपने मुझे बुलाया है। मैं एक भारतीय हूं, इसलिए अब आप भारत के संपर्क में हैं। आपको पता होना चाहिए कि आप भारत के संपर्क में हैं और इन क्षेत्रों से आने वाले लोगों पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है और आप सिर्फ भूतग्रस्त हो रहे हैं। वे आपके ऊपर कब्जा कर लेते हैं, आपके परिवार पर, सब चीजों पर और यह एक तथ्य है कि ये भयानक चीजें जो कार्य करती हैं या जो आपको बुलाती हैं या जो यह दिखाने की कोशिश करती हैं कि वे आपकी मदद कर रहीं हैं, वे लोग हैं जो सिर्फ आपसे पैसे ले रहे हैं।

लेकिन वे आपसे भी बदतर अपराधी करार दिए जाएंगे। जो लोग माध्यम हैं, जो clairvoyant हैं, उन्होंने इन चीजों का उपयोग किया है और यह सब। हम तिब्बत से इन गुरुओं को बुलाएंगे, ऐसा कुछ भी नहीं है।

जो कोई भी एक साक्षात्कारी आत्मा है वह कभी किसी में नहीं आएगा। कोई गुरु किसी में नहीं आ सकता, मुझसे लिखवा लो, क्योंकि वे स्वतंत्रता का मूल्य जानते हैं। वे ऐसा कभी नहीं करेंगे। यह बहुत ही नीच कार्य है। उनके लिए जो मरे हुए हैं और आप जो जीवित हैं, परमेश्वर द्वारा बनाई गई इतनी सुंदर चीज है। आप इन सभी निरर्थक चीजों और काले जादू, तलिस्मा से ग्रस्त हो जाते हैं और मुझे नहीं पता कि आप जैसे शिक्षित लोग इसे कैसे ले सकते हैं। मैं कहूँगी कि आप भोले हैं। क्योंकि भारत में हम यह जानते हैं, हम यह सब जानते हैं, हम यह सब भौतिकीकरण और सभी व्यवसाय जानते हैं, हम बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।

बेशक, सभी युवा अब नहीं जानते हैं। क्योंकि मैं एक प्राचीन व्यक्ति हूं, हम सभी इसके बारे में जानते थे; हमने इसे भानुमती (इंद्रजाल की जानकार रानी का नाम) कहा, हमने इसे प्रेत विद्या, शमशान विद्या, भूत विद्या कहा; इसके बारे में किताबें और किताबें हैं, ये चीजें क्या करती हैं। आप उन्हें काला जादू, वूडू और सभी प्रकार की चीजें कहते हैं, लेकिन आपको इसके बारे में कोई ज्ञान नहीं है।

उदाहरण के लिए, हम अपने सभी मृत शरीरों को चर्च में रखते हैं। मुझे नहीं पता कि किसने बताया, यह बाइबल में कहां लिखा है? मुझे समझ में नहीं आता, आप को अपने मृत शरीरों को चर्च में क्यों रखना चाहिए? ठीक है, यदि आप शवों के लिए एक चर्च चाहते हैं, तो उन्हें शवों के साथ रहने दें। आप जीवित लोग हैं। तुम वहाँ लाशों के ऊपर क्यों बैठते हो और सारे भूतों और इन शैतानों को अपने ऊपर क्यों बुलाते हो और उन्हें अपने सिर पर क्यों बैठाते हो?

केवल एक साक्षात्कारी आत्मा ही एक व्यक्ति है जिसे चर्च में दफनाया जाना चाहिए; केवल एक साक्षात्कारी आत्मा। भारत में, यह एक रिवाज है कि एक साक्षात्कारी आत्मा को छोड़कर सभी लोगों को जला दिया जाता है, क्योंकि वे कभी भी किसी पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करते हैं, वे कभी परेशान करने की कोशिश नहीं करते हैं। इसके विपरीत, वे कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं। वे ऐसे लोग नहीं हैं जो सिर्फ आपके जीवन को परेशान करने के लिए या आपको कुछ प्रोत्साहन देने के लिए आएंगे।

कभी-कभी आपको उससे बहुत खुश भी महसूस करते हैं क्योंकि आपको लगता है कि आपकी जिम्मेदारी ले ली गई है, उन्होंने आपकी जिम्मेदारी ले ली है और आप काफी राहत महसूस करते हैं। शुरुआत में आप काफी अच्छा महसूस करते हैं; यह एक अच्छी अनुभूति है, "ओह, मुझे शांति महसूस होती है," आप सोचते हैं, क्योंकि कोई और आपके घर में आ गया है और वह आपके सारे घर का उपयोग करने जा रहा है और आप पीछे रह जाएंगे। और फिर आप हास्यास्पद हो जाते हैं। ऐसे लोग आपको मुंह में ऐसे कपड़ा डालते हुए मिलेंगे, ऐसे दिखते हैं, और वे बहुत भयभीत और डरे हुए होते हैं। बेशक, मेरे सामने वे इस तरह हिलते हैं, सभी प्रकार की चीजें होती हैं।

अब इसे लेकर एक और विचारधारा है। यदि आप कहते हैं कि ये लोग भूतग्रस्त हैं और यह और वह हैं, तो बाईं ओर वाले और भी बदतर हैं। बाईं ओर वे हैं जो भूतों के व्यवसाय में जाते हैं, बहुत ज्यादा, लेकिन भूतों के व्यवसाय दो प्रकार के होते हैं। कोई अति चेतन दे सकता है, और कोई अवचेतन भी दे सकता है। और अवचेतन बहुत आसानी से उपलब्ध है क्योंकि ये सभी आत्माएं दूसरों के काम में बाधा डालने वाली हैं, और अवचेतन क्षेत्र में वे बाधाएं डालती हैं, और बहुत क्षुद्र और धूर्त और गंदे लोग होते हैं।

उदाहरण के लिए, एक महिला शादी के बिना युवा मर जाती है। वह एक विवाहित महिला को परेशान करना चाहती है, वह ईर्ष्या करती है। और इसीलिए हमारे जीवन में कुछ नियम-कायदे हैं, समझना चाहिए, जिससे आपको इन सब बातों से बचना चाहिए। अपने मनोवैज्ञानिकों को लें क्योंकि उनके मनोवैज्ञानिकों को नहीं पता कि वे किसका सामना कर रहे हैं। वे पागल लोगों का इलाज करते हैं। मैंने आपको फ्रायड के बारे में बताया था, वह आधा-अधूरा था क्योंकि वह केवल इच्छा की इस शक्ति के बारे में जानता था जिसे उसने संस्कार (conditioning) और वह सब कहा था। लेकिन वह नहीं जानता था कि एक और है जो हमारा अहंकार है। उसने कहा कि आप अपने सारे संस्कार (conditioning) निकाल दीजिए; अपने पास कोई संस्कार (conditioning) नहीं रखें। तो आप कहां जाएंगे? आप "क्या गलत है" में उतरते हैं? अहंकार उन्मुख है। फिर आप यह कहकर एक और पंथ बनाते हैं कि हमें अपने पंथ को नष्ट करना चाहिए। आप अपने आप से यह कहते रहते हैं, "ओह, आप कुछ भी अच्छा नहीं करते हैं, आप बेकार हैं, हर समय अपने अहंकार को मारते रहो।" तो तुम एक एकांतवासी बन जाते हो। ये दोनों चीजें इस केंद्र के अति में जाने से होती हैं। इस केंद्र के द्वारा आप या तो बाईं ओर जाते हैं या दाईं ओर।

अब असली बात क्या है? यह रचनात्मकता का केंद्र है। रचनात्मकता और परमात्मा का ज्ञान। परमात्मा का ज्ञान यह है कि जब आप अपना साक्षात्कार प्राप्त करते हैं, तो आपको पवित्र आत्मा (Holy Ghost) की ठंडी चैतन्य लहरियाँ मिलती हैं और आपको यह जानना होगा कि दूसरों की कुंडलिनी को कैसे उठाया जाए, और आपको यह जानना होगा कि खुद को कैसे ठीक किया जाए। आपको यह जानना होगा कि इन सभी केंद्रों को कैसे जानना है और आपको अपने मन में आने वाले सभी परम तत्त्व के प्रश्नों का पता लगाना होगा।

आपके साथ ऐसा होना चाहिए। यह साक्षात्कार होना चाहिए क्योंकि यह आपका अधिकार है, जो आपके पास है। अब आप एक मानव हैं और आपको एक अति मानव बनना है। मैं इसके बारे में कुछ नहीं कर रही हूं। जैसा कि मैंने कहा, मैं सिर्फ आपके बैंक खातों को भुना रहा हूं। लेकिन अगर बैंक खाते बाईं या दाईं ओर इतने अधिक हैं तो यह मुश्किल है। आपको बहुत सारे ग्रेस मार्क्स देने होंगे और एक तरह के ओवरड्राफ्ट हैं।

इसलिए यह समझना होगा कि बेहतर होगा कि मध्य में रहें। इन चीजों में न जाएं। क्यों, क्यों, किसलिए? इन बातों से आपको क्या हासिल होगा? क्या आप अपनी आत्मा के पास जाएंगे? क्या आप स्वयं बन पाएंगे? क्यों, बस एक छोटे से खेल के लिए यहाँ, एक छोटे से खेल वहाँ? आप इन भयानक लोगों के पास क्यों जा रहे हैं? वे आपको इतने भयानक चरम पर ले जाएंगे कि शायद आप वापस नहीं आ पाएंगे।

लंदन में मुझे आश्चर्य हुआ कि एक डॉक्टर था जिसे मैं रिश्ते से जानती थी और वह मुझसे मिलने आया और उसने कहा, "मैंने अपनी सारी नौकरियां खो दी हैं, सब कुछ क्योंकि मैं बहुत अवसाद की बीमारी (डिप्रेशन) से ग्रस्त हूं। मैं काम नहीं कर सकता। मुझे नहीं पता कि मेरे साथ क्या होता है। मैं बहुत अवसाद में हूं। मैंने काम करने का उत्साह खो दिया है। मुझे कुछ भी महसूस नहीं होता, मैं बस कहीं चला गया हूं। मैं बहुत अवसाद में हूं। और हर बार जब मैं काम करने की कोशिश करता हूं तो मैं फिर से उदास हो जाता हूं। मैं बहुत थक गया हूँ।" मैंने उससे पूछा कि क्या वह इन तांत्रिकों के पास और इस तरह के व्यक्ति में से किसी के पास गया था और उसने कहा, "कभी नहीं। लेकिन मेरे दादा तांत्रिक थे।" वह यह काला जादू का धंधा करते थे और अब देखो कि पोता इसकी वजह से त्रस्त है। बाद में वह ठीक हो

हमारे यहां एक ऑस्ट्रेलियाई है जो एक रूसी डॉक्टर था, उसकी दादी को उसके शुरुआती जीवन में बच्चे को कब्रिस्तान ले जाने की आदत थी। उसे यह अच्छी तरह से याद है और कुछ समय बाद वह इतना उदास हो गया कि उसकी नौकरी चली गई, वह काम नहीं कर सकता था। उसे सिरदर्द हो जाता था और हर तरह की चीजें होती थीं। उसके हाथों में ऐंठन आ जाती थी। जब वह मेरे पास आया तो वह ठीक हो गया लेकिन इसमें कुछ समय लगा क्योंकि बचपन में इन आत्माओं का बहुत सारा प्रभाव था ।

इसलिए यह समझना होगा कि मरे हुओं को अपने से कैसे दूर रखा जाए। तुम्हें वर्तमान में होना चाहिए, भूत में नहीं। जो भी मरा है, वह खत्म हो गया है। क्या आपने कभी बंदर को देखा है, अगर बंदर का बच्चा मर जाता है, तो मौत से पहले बंदर चिल्ला रहा होगा और चीख रहा होगा और हर तरह की चीजें कर रहा होगा। जैसे ही वह मरता है वह चला जाता है। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप कुत्तों और इतनी सारी चीजों के साथ देख सकते हैं, यह इसके बारे में परेशान नहीं है, यह जानता है कि यह चला गया है। इसलिए कहा जाता है कि अगर कोई मर चुका है तो भगवान के बारे में सोचो और तुम गाने गाओ और ऐसी सब चीजें करो और उसमें ज्यादा लिप्त मत हो। लेकिन हम उन सभी चीजों को भूल गए हैं और जिस तरह से हम कभी-कभी मृत चीजों के लिए करते हैं, यह इतना दूर है। वास्तव में हम में से अधिकांश सोचते रहते हैं, तब जब हम यह सब करते हैं, हम सब कुछ करते हुए अतीत में जीते रहते हैं। हम अतीत में रहते हैं और ऐसे लोग कुछ भूत-प्रेत और चीजें भी देखते हैं और उनमें से कुछ जो ऐसे थे, उन्होंने मेरा अतीत देखा है और मेरे सामने हिल रहे हैं, वे सभी मेरे सामने इस तरह हिलते हैं। वे कांपते रहते हैं, वे सीधे नहीं बैठ सकते, वे इस तरह हिलते रहते हैं, वे ऐसे ही हिलते रहते हैं, हर समय उनके शरीर हिलते रहते हैं, उनका अपने शरीर पर कोई नियंत्रण नहीं होता है।

इसलिए यह समझना होगा कि ये चीजें इंसान के लिए बेहद खतरनाक हैं। हम इंसान हैं, हम लाश नहीं हैं, हम ऐसे नहीं हैं। लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि जो लोग इन चीजों में लिप्त होते हैं, वे प्रोटीन, जो डॉक्टरों ने कहा है, द्वारा पकड़े जाते हैं, ये मृत आत्माओं के अलावा कुछ भी नहीं हैं। वे प्रोटीन कह रहे हैं क्योंकि वे समझ नहीं पा रहे हैं। ये मृत आत्माएं हैं, कैंसर मृत आत्माओं के हमले के कारण ही होता है। मुझे एक भी ऐसा मामला नहीं मिला है जिसका मैंने इलाज किया है, और मैंने कई लोगों का इलाज किया है, जिन्हें आत्मा का प्रभाव नहीं हुआ हो।

अब साक्षात्कार में, जब आपको अपना साक्षात्कार मिलता है, तो आप इस या इस पर पकड़ लेते हैं, ये दो स्वाधिष्ठान हैं जिन्हें चिह्नित किया गया था। मुझे आशा है कि आप इस तरह अपने हाथ रखेंगे। जब मैं आपसे बात कर रही हूं तब भी आपको अपना साक्षात्कार मिलेगा। कृपया, ऐसे, और दोनों पैरों को सीधे जमीन पर रख दें, ठीक इसी तरह।

अब मैं आपको बता रही थी कि जब आप इस तरह से हाथ रखते हैं, तो पहले ठंडी हवा बहने लगती है। लेकिन जब आपको अपना साक्षात्कार मिल जाता है तो आप इसे परखने के लिए किसी पर हाथ रखते हैं, आप यहाँ पकड़ लेते हैं। इसका मतलब है कि यह अनधिकृत है। परमात्मा का अनधिकृत कार्य अवचेतन क्षेत्र हो सकता है, अति चेतन भी हो सकता है, मनोवैज्ञानिक या कोई भी हो सकता है, इस पर पकड़ सकता है। जब आप अपने मन पर काम करते हैं। आपका मन वहाँ प्रति-अहंकार है, नीला वाला मन है। जब आप स्वयं, किसी न किसी तरह किसी व्यक्ति के पास गए हों या खुद का काले जादू से कुछ लेना-देना हो, तो आप इस उंगली को पकड़ लेते हैं, यह बायाँ स्वाधिष्ठान है, जैसा कि हम इसे कहते हैं। जब आप इसे पकड़ते हैं तो आपको कहना होगा कि आप दिव्य कार्यप्रणाली में विश्वास करते हैं, परमात्मा के शुद्ध कार्यप्रणाली में विश्वास करते हैं और इसे निर्मला विद्या कहा जाता है। निर्मला का अर्थ है शुद्ध, अपनी कुंडलिनी को कैसे जगाया जाए, इसकी तकनीक का शुद्ध ज्ञान। जब आप ऐसा कहते हैं, तो यह ठीक हो जाता है और आत्माएं आपको छोड़ देती हैं। ऐसे कई लोग हैं जो मेरे पास आए हैं जो पागल हो गए थे, और वे कहते हैं, "कुंडलिनी से आप पागल लोगों को कैसे ठीक करती हैं? आप इसके बारे में क्या करती हैं?" कुछ नहीं, मैं बस उन्हें कुंडलिनी जागरण देती हूं। फिर जब कुंडलिनी जागती है, जब वह इस केंद्र में जाती है, जो हमारे भीतर दूसरा केंद्र है, तो प्रबुद्ध ज्ञान प्राप्त होता है। वहां रचनात्मकता के देवता जाग जाते हैं और प्रकाश के साथ, आपके भीतर का यह अंधकार बस गायब हो जाता है, बस चला जाता है।

मिर्गी को ठीक किया जा सकता है। यदि कोई मिर्गी से पीड़ित है तो उस व्यक्ति को ठीक करने का एक बहुत ही सरल तरीका है। बेहद सरल है। जब आप अगली बार आएंगे तो मैं आपको बताऊंगी कि ऐसे व्यक्ति को कैसे ठीक किया जाए। यह बहुत सरल है।

सहज योग एक सहज जीवंत क्रिया है जिसके द्वारा आप कुंडलिनी जागरण के उप-फल (by product) के रूप में लोगों को ठीक कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि मैं यहां एक चिकित्सक के रूप में हूं और मैं कहती जा रही हूं और, "मुझे उपचार के लिए दस डॉलर दें।" ऐसा नहीं है। ये तो सिर्फ यह है कि जब कुंडलिनी जागृत होती है आप ठीक हो जाते हैं। आपको एक अच्छा स्वास्थ्य मिलता है क्योंकि कुंडलिनी इस केंद्र से गुजरती है जो शारीरिक पक्ष के लिए जिम्मेदार है। अगर आपका शारीरिक पक्ष ठीक है तो आपकी सेहत ठीक है। लेकिन आपके भीतर कुछ और भी चीजें हैं। आपका भावनात्मक पक्ष है और आपका मानसिक पक्ष भी है और आपके पास सबसे ऊपर आध्यात्मिक भी है। इन सभी चीजों को कुंडलिनी जागरण के माध्यम से प्रबुद्ध किया जाना है।

पहली चीज जो आपके साथ होती है वह यह है कि आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है, इसमें कोई संदेह नहीं है। पक्षाघात (paralysis), कैंसर, मधुमेह जैसी सभी प्रकार की चीजें - मधुमेह सहज योग से ठीक हो जाता है। यह मुझे आपको समझाना होगा कि मधुमेह कैसे ठीक होता है।

मधुमेह उन लोगों को होता है जो बहुत अधिक सोचते हैं। इसलिए इस केंद्र को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और यह बाईं ओर पर स्थित अग्न्याशय पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाता है। इस वजह से बाएं हाथ का पक्ष जम जाता है और दाहिने हाथ का पक्ष बहुत मेहनत कर रहा होता है। अब आप अपने मधुमेह का इलाज कैसे करते हैं? एकमात्र तरीका यह है कि, यदि आप एक आत्मसाक्षात्कारी आत्मा हैं, तो आप अग्न्याशय को चैतन्य देते हैं और एक व्यक्ति को संतुलन देते हैं। इसे संतुलित करने का एक तरीका है। यदि आप चीज को संतुलित कर सकते हैं, तो लोग अपने मधुमेह से स्थायी रूप से छुटकारा पा लेते हैं।

आर्थराइटिस भी ठीक हो सकता है, लेकिन अब मुझे आपको तिल्ली (spleen) के बारे में बताना होगा जो हमारे भीतर एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज है और मुझे लगता है कि आप में से हर किसी को इसे पूरी तरह से समझना चाहिए। तिल्ली, हम नहीं जानते कि यह हमारे भीतर कितना महत्वपूर्ण है। यह स्पीडोमीटर (गति मापने वाला यंत्र) है। यह हमारी रफ्तार की देखभाल करता है। जिस तरह से इन दिनों हम इतना तेजी से कार्य करते हैं, हम वास्तव में इसे टेलीस्कोप जैसे कर रहे हैं। हम टेलीस्कोप जैसे बात करते हैं। हम टेलीस्कोपिक जैसे चलते हैं। हम बहुत तेज तर्रार लोग हैं। और यह तेजी हमारे पास तब आती है जब हमारी तिल्ली पागल हो जाती है।

तिल्ली पागल कैसे हो जाती है? यह बहुत सरल है। अब तिल्ली का कार्य नई लाल रक्त कोशिकाएं बनाना है, आपके सामने आने वाली सभी आपात स्थितियों को सामना करने के लिए लाल कोशिकाएं। उदाहरण के लिए, आप अपना खाना खा रहे हैं और यह एक आपातकाल है। आपको लाल रक्त कोशिकाओं की अधिक आवश्यकता होती है। इसलिए यह तिल्ली अधिक लाल रक्त कोशिकाएं बनाना शुरू कर देती है। लेकिन साथ ही आपके पास 9 बजे की खबर है और आप कुछ भयानक सुनते हैं। एक और आपातकाल बना दिया गया है। फिर अचानक आप अपना खाना खाते हैं और दौड़ते हैं। तीसरा आपातकाल बनाया गया है।

यह बेचारी तिल्ली बिल्कुल पागल हो जाती है। यह नहीं जानती कि कब कौन सी रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करना है। यह नहीं जानती कि आपके साथ क्या करना है क्योंकि अचानक आपके पास तीन या चार चीजें एक साथ होती हैं। आप अपना नाश्ता करेंगे, कार में एक पैर रखेंगे, किसी से बात करेंगे। उस तरफ आप किसी को यह कहते हुए सुनते हैं, "अंदर जाओ, अंदर जाओ।" और यह सब साथ-साथ चल रहा है। इस बेचारी तिल्ली को नहीं पता कि किस ओर आगे बढ़ना है। तो यह पागल हो जाती है। और फिर हमला किसी तरह आता है और रक्त कैंसर स्थापित हो जाता है। ब्लड कैंसर तेजी का नतीजा है। इसलिए बहुत सावधान रहना होगा कि हमारी तिल्ली ठीक रहनी चाहिए। मैं आपको एक माँ के रूप में चेतावनी दे रही हूँ। मैं इन समस्याओं को जानती हूं। हमने ब्लड कैंसर को ठीक कर दिया है लेकिन यह एक भयानक बीमारी है और एक बार जब यह खत्म हो जाती है, वे कहते हैं कि एक सप्ताह के भीतर यह खत्म हो जाती है। हमने ब्लड कैंसर के कई मामलों को ठीक किया है, जिनके लिए यह कह दिया गया था कि वे आठ दिनों के बाद मार जाएंगे। इस तरह का वे एक प्रमाण पत्र देते हैं - आठ दिनों के बाद या एक महीने के बाद, ऐसा प्रमाण पत्र आपको अस्पताल में मिलता है, आप मर जाएंगे।

लेकिन सहज योग में इन्हें ठीक करने की कोशिश की जा सकती है। वे ठीक हो गए हैं और जब वे डॉक्टरों के पास गए, "ओह," उन्होंने कहा, "मुझे पता है, यह वास्तव में उल्लेखनीय था लेकिन हम विश्वास नहीं कर सकते कि यह सहज योग से हुआ।" यहां तक कि अगर एक डॉक्टर ठीक हो जाता है तो वे कहेंगे, "ओह, यह डॉक्टर अब पागल हो गया है। वह इस तरह की बात कर रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है?" यहां उन्होंने प्रमाणित किया है कि व्यक्ति आठ दिनों में मरने जा रहा है और वहां वह ठीक हो गया है और दो साल बाद भी स्वस्थ है। वे कहेंगे कि कुछ तो होना चाहिए। वे स्वीकार नहीं करना चाहते क्योंकि यह उनके ज्ञान को चुनौती देता है।

लेकिन मैं यहां उनका पेशा छीनने के लिए नहीं आई हूं। उनके पास बहुत सारे रोगी हो सकते हैं। मैं यहां लोगों को ठीक करने के लिए नहीं हूं। यहाँ तो बस मेरे पास आने वाले साधकों, जो साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए आए हैं, को ही दिव्य कृपा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन्हें बहुत अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। साधक होने के कारण वे ठीक हो जाते हैं। वे परमेश्वर के सेवक हैं, उन्हें ईश्वर के दूत बनना है। जब वे इस युग में ईश्वर के दूत बन जाते हैं, तो उन्हें उसी तरह दूसरों को परिवर्तित करना होगा, और वे उन्हें भी ईश्वर के दूत बनाएंगे।

यह बात विलियम ब्लेक ने करीब सौ साल पहले कही थी। उन्होंने इन सब बातों का वर्णन अपनी किताब मिल्टन में किया है। आप हैरान रह जाएंगे। वे भविष्यवाणी की ऐसी सीमा तक चले गए थे, कि वे ऐसा द्रष्टा थे कि उन्होंने सरे हिल्स में जहां मैं रहती थी, उसका भी वर्णन किया है। सरे हिल्स में सबसे पहला प्रकाश स्तम्भ जलाया जाएगा, और उन्होंने यह भी कहा है कि हमारा आश्रम खंडहर में कहां होने जा रहा है क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने खंडहरों में एक टूटी-फूटी जगह खरीदी, नींव लैम्बेथ वे में रखी जाएगी और वहीं यह है। हमारा आश्रम, यह लैम्बेथ वे में आया है और यहां उसके गुंबद में [अस्पष्ट] प्यार के ऊर्जा का गुंजन होगा। यह यरूशलेम बनने जा रहा है। जरा सोचिए, सौ साल पहले

लेकिन इंसान चीजों के प्रति संवेदनशील नहीं होता है। मैं उनकी प्रदर्शनी देखने गई थी। वह एक महान कलाकार थे। मैं हैरान रह गई। वे सिर्फ देख रहे थे कि कैसे उन्होंने नग्न महिलाओं को नरक में दिखाया है, जरा सोचिए। क्या आप इसे देखने के लिए वहाँ गए थे? ये इस प्रकार है जैसे हम फूलों की प्रदर्शनी देखने गए थे और वहां आप सारी कीचड़ और गंदगी उठा रहे हैं। क्या यह सुंदर चीजों को देखने का तरीका है? सुंदरता के लिए देखें और सुंदरता के बारे में सोचें और फिर आप स्वयं सुंदर हैं। आपको जीवन में इन बदसूरत चीजों की इच्छा क्यों करनी चाहिए? आप किसी ऐसी चीज़ की इच्छा क्यों नहीं करते हैं जो इतनी सुन्दर है और वही तुम्हारी आत्मा है।

यह दूसरा केंद्र है जो मैंने आपको बताया है। यह वह है जो हमारे मजहब को हमारे आंतरिक धर्म के अर्थ में सीमित करता है। वैसा धर्म नहीं जिस तरह से आप समझते हैं, क्योंकि ये सभी धर्म एक ही पेड़ पर फूलों की तरह हैं, उनको लोगों ने तोड़ा और वे कहते हैं, "यह मेरा है।" "यह मेरा है।" "यह मेरा है।" और उन्होंने इन फूलों को बहुत बदसूरत बना दिया है और ऐसे फूल सड़ जाते हैं।

सारा ध्यान आत्मा बनने पर होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है, तो शेष परमेश्वर का कार्य नहीं है। ईश्वर का काम सिर्फ आपकी कुंडलिनी को जगाना है। यह जीवित कार्य है क्योंकि यदि वह जीवित परमेश्वर है, तो उसे जीवित कार्य करना होगा। उसका काम एक छोटे से फूल को फल में बदलना है, जिसे आप नहीं कर सकते। उसी तरह आप कुंडलिनी को स्पंदित नहीं कर सकते, लेकिन सहज योग में आने पर यह स्पंदित हो जाएगी। आप अपनी खुद की आँखों से देखेंगे कि यहाँ पर स्पंदन को उठता देखेंगे और आप अपने बपतिस्मा को होते हुए देख सकते हैं। यह बहुत से लोगों द्वारा लिखा गया है और उन्होंने कहा है, जैसा कि कालिदास ने कहा है। हमारे एक महान कवि कालिदास थे जिन्होंने लगभग तीन, चार सौ साल पहले सहज योग का वर्णन किया था।

और हमारे पास आदि शंकराचार्य थे जिन्होंने ये सब बातें बहुत स्पष्ट रूप से कही हैं जो मैं आपको बता रही हूं। लेकिन यह ज्ञान कुछ लोगों तक सीमित था। यहां तक कि कृष्ण ने भी एक ही अर्जुन से बात की। क्राइस्ट ने कुछ लोगों की भीड़ से बात की और उन्होंने उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया क्योंकि वे उन्हें समझ नहीं पाए थे कि वे क्या बात कर रहे थे। उन्हें क्रूस पर चढ़ाने के लिए क्या था। वे उन्हें पहचान नहीं पाए। मूसा - कितने लोगों ने उन्हें पहचाना? इब्राहीम - कितने लोगों ने उन्हें पहचाना? उन्हें कभी पहचाना नहीं गया, कभी समझा नहीं गया, यही समस्या थी, और यही हम को समझना होगा।

अब पहचानने, समझने का समय आ गया है। अपने आप को पहचानें कि आप आत्मा हैं – यह शरीर नहीं, यह मन नहीं, यह अहंकार नहीं – लेकिन आप आत्मा हैं। और ना ही गुरु, तथाकथित। जो आपको आध्यात्मिक अनुभूति नहीं देता है, वह गुरु नहीं है, गुरु नहीं है। आपको समझना चाहिए। आपको समझना चाहिए कि यह गुरु की बात है। आदि गुरु जो आपको केंद्र में रहने के लिए कहता है, जो आपको धर्म के नाम पर की जाने वाली सभी चीजें बताता है। धर्म के नाम पर सभी ने एक ही बात कही है। अब मैं ऐसा कुछ नहीं कहती क्योंकि मुझे पता है कि स्थिति को कैसे संभालना है।

हमारे पास लंदन में एक डॉक्टर था जो एक शराबी था जो मेरे पास आया था। उसे उसका साक्षात्कार मिला और अगले दिन उसने इसे छोड़ दिया। वह बस इसे नहीं लेना चाहता था। उन्होंने कहा, 'अब मैं खुद का लुत्फ उठा रहा हूं। मैं बोर नहीं हूं। मुझे यह याद भी नहीं है।‘ लेकिन वह जर्मनी गया और दो-तीन महीने बाद उसने कहा, "मुझे एक शराब पसंद थी। मुझे कोशिश करने दीजिए, कि वह कैसी है।" इसलिए उसने जाकर वह शराब पी। जब उसने उसे पिया तो उसे उल्टी की तरह महसूस हुआ, बिल्कुल। उन्होंने कहा कि उससे बदबू आ रही थी।

फिर मुझे आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि चोरी मत करो, गंदा मत बोलो, ऐसा मत करो - कुछ भी नहीं। मेरी एक दोहती है, जो एक साक्षात्कारी आत्मा है। दो बच्चे, दो दोहतियां साक्षात्कारी आत्माएं हैं और उनमें से एक आई। बाद में उसने कहा, "दादी, क्या आपको नैतिक विज्ञान नामक इस बेवकूफ चीज को पढ़ना पढ़ा?"

मैंने कहा, "नहीं, क्यों?"

"यह मूर्खतापूर्ण है ना? वे हमें झूठ नहीं बोलने के लिए कहते हैं, चोरी मत करो। क्या हम नौकर हैं? हमें झूठ क्यों बोलना चाहिए? उन्हें हमें ये सब बातें बताने की क्या जरूरत है? मुझे यह पसंद नहीं है।"

तो छोटी कहती है, "ओह, वे बेवकूफ लोग हैं। वे ऐसा कैसे कह सकते हैं? हम ऐसा क्यों करेंगे?"

वहां कोई प्रलोभन नहीं है। हमें आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि प्रलोभन नहीं है। आप जागृत हैं। आपका धर्म स्थापित है, आपका धर्म जागृत है।

हम इंसान हैं। अगर हमें गंदी गली से गुजरना है तो हम ऐसा नहीं कर सकते। हम भयानक महसूस करते हैं, हम अपनी नाक बंद करते हैं, हम गंदगी और गंदगी की बदबू महसूस करते हैं। लेकिन आप एक घोड़ा लें, [अस्पष्ट], वह बहुत अच्छी तरह से चलता है, वह परेशान नहीं है, उसे बदबू नहीं आती है। उसी तरह आपकी जागरूकता प्रबुद्ध हो जाती है। फिर जो भी पाप है, वह आपको पसंद नहीं है। आपको बस वह पसंद नहीं है। जो कुछ भी आपको आत्मा से दूर ले जाता है, आप इसे पसंद नहीं करते क्योंकि आप अपने चैतन्य खो देते हैं।

अब एक और केंद्र भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमारे कुशल क्षेम के लिए है, जिसे नाभी चक्र कहा जाता है, जिसके बारे में मैं आपको अगली बार बताऊंगी क्योंकि पहले से ही मैंने आपको काफी विस्तार से बताया है। इसके अलावा मैं आज आपसे प्रश्न भी लेना चाहूँगी। लेकिन, पिछली बार की तरह, सवाल पूछते ही नहीं जाना है और ना ही एक ही व्यक्ति पूछते जाए। एक व्यक्ति को केवल एक प्रश्न और एक समझदार प्रश्न पूछना चाहिए क्योंकि आप साधक हैं। अपना समय बर्बाद मत करो और दूसरों का समय बर्बाद मत करो, ठीक है?

बहुत-बहुत धन्यवाद।

साधक: क्या पुनर्जन्म आवश्यक है जब तक कि शरीर को आत्म-साक्षात्कार न मिल जाए?

श्री माताजी : फिर से आप अतीत के बारे में सोच रहे हैं। चिंता क्यों करें? आपने कई बार जन्म लिया है, इसमें कोई संदेह नहीं है। अब, इस बिंदु पर आप कहां हैं? पुनर्जन्म की कोई आवश्यकता नहीं है। कौन गिनने जा रहा है? अमीबा से लेकर इस स्थति तक आपने कितनी बार जन्म लिया है मुझे नहीं पता। भूल जाओ। इस समय आपको अपनी आत्मा को प्रबुद्ध करना ही होगा। अतीत के बारे में भूल जाओ। वे मुझसे पूछेंगे, खासकर भारत में, "क्या मैं एक राजा था? क्या मैं यह था? क्या मैं ऐसा था?" मैंने कहा, "मुझे इतिहास की परवाह नहीं है।"

एक लड़का था, बहुत विद्वान, जो आया और मुझसे पूछा, "क्या मैं अपने पिछले जन्म में नेपोलियन था?"

मैंने कहा, "क्यों?"

वह बोल, "भले ही मैं था, मुझे मत बताना, अन्यथा मैं समुद्र में कूद जाऊंगा।"

मैंने कहा, "नहीं। क्यों? आपको ऐसा क्यों लगता है?"

उसने कहा, "क्योंकि मैं बहुत अहंकारी हूं। मेरा अहंकार पर्वताकार है और एक और बात यह है कि मैं चित्रकला में बहुत अच्छा हूं। इसलिए मुझे लगता है कि ये दोनों का मिश्रण केवल नेपोलियन में ही संभव हैं।"

मैंने कहा, "नहीं, नहीं, तुम नेपोलियन नहीं थे, तुम चिंता मत करो।"

उसने कहा, "अन्यथा मैं समुद्र में कूद जाऊंगा और एक और जन्म लूंगा।"

इसलिए इन बातों की चिंता न करें। यह भटकाने वाला हो सकता है। हर जगह एक बड़ा नाटक चल रहा है: "मेरा आखिरी जीवन क्या था? किसी ने कहा कि तुम मिस्र में थे।" इससे क्या फर्क पड़ता है? चाहे आप मिस्र में थे या टिम्बकटू में, इससे क्या फर्क पड़ता है? यह एक बड़ी कहानी चल रही है। लोग पैसे बचाते हैं। अब मुझे इस बारे में बताइए और वो इन बातों के बारे में बहुत अच्छे से बता भी रहे हैं। आपको उस व्यक्ति से पूछना चाहिए, "आप पिछली बार क्या थे?" जरूर गधा रहा होगा। वरना वह इसके लिए पैसे क्यों ले रहा है?

साधक: क्या आपने सर आर्थर की अपोकैलिप्स [अस्पष्ट] पढ़ी है।

श्री माताजी : हाँ। बाबा, मैंने पढ़ा है । मैं नहीं जानती कि मैं क्या कहूं। मुझे नहीं पता कि उसने कैसे लिखा। इसमें कोई ईमानदारी नहीं है। बहुत सारी किताबें हैं। मैंने इतनी बड़ी किताबें लिखी देखी हैं। मुझे आश्चर्य हुआ कि वह बिना कुछ जाने इतनी बड़ी किताबें कैसे लिख सकता है। वह बहुत अस्पष्ट है, विरोधाभासी है। मुझे हमेशा पश्चिमी लोगों के लिए एक आदर रहा है कि वे ईमानदार थे, चाहे उन्होंने गलत किया हो या चोर थे, वे इसके बारे में ईमानदार थे। लेकिन यह एक, मुझे नहीं पता कि कुंडलिनी के बारे में एक शब्द जाने बिना लिखने की इतनी हिम्मत उसे कहां से मिली। भयानक, बिल्कुल। ये सभी किताबें, बहुत सारी। यह एक किताब मैंने पढ़ी थी कि एक गांव से आने वाले व्यक्ति ने प्लग में हाथ डालकर कहा कि मुझे झटका लगा है। वह कुछ भी नहीं जानता है, वे इतने भोले हैं, न केवल भोले बल्कि, उसके मामले में, मुझे लगता है, वह हकदार नहीं है, वह उपयुक्त नहीं है। आपको बहुत पवित्र व्यक्ति होना होगा। ऐसा करने के लिए आपको करुणा बनना होगा, आपको प्रेम बनना होगा, आपको पवित्र होना होगा।

यह सब पैसा कमाने वाले प्रस्ताव है। कुंडलिनी के बारे में लिखो क्योंकि यह अज्ञात है। इन दिनों सब कुछ धन कमाने वाला प्रस्ताव है, ईश्वर के नाम पर, धर्म के नाम पर, कुंडलिनी के नाम पर, सभी श्रेणियों के नाम पर क्योंकि ऐसा कोई अधिकारी नहीं है जो आपको पकड़ सके, और आप कौन हैं? जो लोग साधक हैं, जो सच्चे साधक हैं, जो भोले हैं, जो सीधे हैं, सरल हैं, [अस्पष्ट] हैं। यदि आपने बहुत सारी किताबें पढ़ी हैं, तो मुझे आपके साथ समस्या होगी।

सबसे पहले आपको इन सभी किताबों को समुद्र में फेंकना होगा। आपके दिमाग में सभी किताबें हैं और आप खो गए हैं। आपका स्वयं खो गया है। मैं वास्तव में आपको बता रही हूं, यह बिल्कुल सच है। यह जो यहां खड़ा है, अपना मुंह लेकर। इसने मुझे कुछ समय के लिए इतना बुरा समय दिया था। और झटके और उसके साथ सभी प्रकार की चीजें हुईं जब वह पहली बार मेरे पास आया था। इसने A से लेकर Z तक, शुरू से लेकर आखिर तक सभी किताबें पढ़ी थीं। कोई किताब नहीं है जो उसने छोड़ी थी। मैंने कहा, "अब, कम से कम मेरे पढ़ने के लिए एक किताब तो छोड़ दो।"

साधक: क्या जागृत होने और साक्षात्कार प्राप्त करने में कोई अंतर है?

श्री माताजी : बहुत अच्छा प्रश्न। जागरण और साक्षात्कार प्राप्त करने में अंतर है, यह सच है। यह जागती है, यह गुजरती है। आप कई लोगों में अपनी नग्न आंखों से देख सकते हैं। यदि कोई रुकावट है, तो आप इसे देख सकते हैं। यह विभिन्न चक्रों से होकर गुजरती है; आप इसे देख सकते हैं। कुछ लोगों में यह इतनी धीमी गति से चलती है, अन्यथा इसमें केवल एक क्षण लगता है। लेकिन अगर कोई रुकावट है तो आप इसे देख सकते हैं और जागृति हो गई है। लेकिन सहस्रार का भेदन साक्षात्कार है जहां आपको हाथों में ठंडी हवा महसूस होती है। यदि आपको हाथों में ठंडी हवा नहीं महसूस होती है तो कम से कम आपको यहां ठंडी हवा महसूस होती है, कम से कम। कभी-कभी यह चक्र कई लोगों में बहुत खराब होता है। तो आप इसे हाथों में महसूस नहीं करते हैं, लेकिन आपको यह यहां महसूस होती ही है। लेकिन फिर भी यह सिर्फ शुरुआत ही है, सिर्फ अंकुरण है। जैसा कि ईसा मसीह ने कहा था, "कुछ लोग यहाँ और कुछ वहाँ गिर गए।" ऐसा ही होता है।

इसलिए जागृति इसका अंत नहीं है, यह सिर्फ शुरुआत है। यह शुरू हो गई है और फिर साक्षात्कार स्थापित हो जाता है। सबसे पहले जब कुंडलिनी इस चक्र पर जाती है तो आपको निर्विचार समाधि नामक एक अवस्था मिलती है, जहां आपके मन में कोई विचार नहीं होता है। इसे पाना बहुत आसान है। यह ईसा मसीह का चक्र है। यह इससे ऊपर जाती है। जब यह मूसा और अब्राहम के इन सभी केंद्रों से गुजरती है और उन सब से, यह ईसा मसीह के चक्र से गुजरती है, यह इस ब्रह्मरंध्र, तालू हड्डी से गुजरती है, जब आप अपना बपतिस्मा प्राप्त करते हैं, तो आप हाथों में ठंडी हवा महसूस करते हैं।

लेकिन इसे एक उन जगहों पर वापस शोषित किया जा सकता है जहां कोई समस्या है। क्योंकि मेरे साथ मैंने देखा है कि लोग इसे ऐसे ही प्राप्त कर लेते हैं, यह बाढ़ में आई हुई नदी की तरह बहुत तेज बहती है। ऐसा होता है, लेकिन फिर कभी-कभी यह वापस आ जाती है। लेकिन एक बार जब यह जागृत हो जाती है तो यह जागृत हो जाती है। आपको इसे स्थापित करना सीखना होगा।

यह एक बहुत अच्छा सवाल है, मेरे बच्चे।

साधक: एक विचारधारा है जो जागृति को एक स्थिर प्रक्रिया के रूप में वर्णित करती है। आपने जो वर्णन किया है वह एक गतिशील प्रक्रिया है।

श्री माताजी: हाँ, यह स्थिर नहीं है; ऐसा कैसे हो सकता है? यह एक जीवंत प्रक्रिया है। आप सामूहिक रूप से सचेत हो जाते हैं। आप ऐसे हो जाते हैं। आप वास्तव में गतिशील हो जाते हैं क्योंकि आपकी चेतना का अब एक नया आयाम है। आप सामूहिक रूप से सचेत हो जाते हैं, आप एक और व्यक्तित्व महसूस करने लगते हैं, आप अपने स्वयं को महसूस करना शुरू कर देते हैं, आपको कुंडलिनी को उठाने की शक्ति मिलनी शुरू हो जाती है; आप नहीं जानते कि आपको कितनी शक्तियां मिलती हैं।

यह इस तरह है: जैसे, आप एक बड़ा, बहुत बड़ा एक टेलीविजन लाते हैं। अगर मैं कहूं कि यहां संगीत है, यहां गीत है, यहां नाटक है - यह एक मिथ्या है। हम कुछ भी नहीं देख सकते हैं। आप एक टेलीविजन लाते हैं और इसे बिजली के स्रोत में जोड़ते हैं, आप चमत्कार देखते हैं। यही वह है जो आप हैं; आप वास्तव में गतिशील हैं, तुरंत। गतिशील शब्द नहीं है; यह वर्णन करने के लिए कोई शब्द नहीं है कि आप कैसे बनाए गए हैं। यह बहुत खूबसूरती से किया गया है। एक बार जब आप मुख्य स्रोत से जोड़ दिए जाते हैं तो आपकी सभी शक्तियां बहने लगती हैं। इसका कोई अंत नहीं है। यह बहुत चमत्कारी है, बहुत अद्भुत है।

काश आप मेरी एक तस्वीर देख पाते जो उन्होंने ली है जिसे आप समझा नहीं पाएंगे; मुझे लगता है कि अगली बार मैं इसे साथ ले कर आऊँगी। आप इतने प्रभावकारी व्यक्तित्व के हो जाते हैं। यदि आपने मेरी पुस्तक में देखा है, एडवेंट, एक व्यक्ति है, एक बहुत ही साधारण व्यक्ति है। वह एक माली था, उसे साक्षात्कार मिला और उसने कभी कैमरा संभाला नहीं था या वह नहीं जानता था कि कैमरे को कैसे संभालना है। उसने एक बार कैमरा लिया और मेरी तस्वीर ली और वह एक अद्भुत तस्वीर है जो उसने ली है। तब से उसने पाया है कि वह बहुत अच्छी तरह से तस्वीरें ले सकता है, वह बहुत अच्छी तरह से पेंट कर सकता है, वह बहुत अच्छा गा सकता है। और आप वास्तव में इतने ऊर्जा से भरे और कभी ना थकने वाले हो जाते हैं, कला का उत्पादन करते रहते हैं। फिर भी, मनुष्य, जैसा कि वह है, वे अहंकार में फंस जाते हैं, प्रति अहंकार में फंस जाते हैं। लेकिन, मुझे कहना होगा, मोहम्मद साहब वह हैं जिन्होंने हमें बहुत सी बातें बताई हैं, बहुत सारे रहस्य बताए हैं, इन सभी चीजों से कैसे छुटकारा पाया जाए। उन सभी ने सहज योग के ज्ञान में इस हद तक इजाफा किया है कि हमें उन सबके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए।

साधक: श्री माताजी, मन या चेतना और आत्मा में क्या अंतर है और आत्मा या चेतना जो मन नहीं है?

यह एक ऐसा विषय है जिस पर मैं बाद में विस्तार से चर्चा करूंगी। लेकिन आत्मा वह है जो हृदय में रहता है जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रतिबिंब है। आत्मा को जानने से ही तुम सामूहिक रूप से सचेत हो जाते हो और इसीलिए तुम्हें पता चलता है कि सार्वभौमिक परमेश्वर हैं। यह एक सरल जवाब है और दूसरा माया है, वह काली चीज है जिसे आप वहां देखते हैं। वह एक माया है जो आदतों (conditioning) के जैसा है जिसे प्रति अहंकार (super ego) कहा जाता है। और बुद्धि वही है जो इस तरफ है, अहंकार है, Mr Ego। तो यह सब हमारे भीतर सीमित चीजें है। तो यह चीज बहुत अलग है और यह इसके केंद्र में है। यह बहुत अलग बात है। तो इन सभी चीजों को मैं बाद में समझाऊंगी जब मैं इन सभी बिंदुओं पर चर्चा करूंगी।

साधक: क्या आप अंगूठे के बारे में पहले जो कह रहीं थीं उसे दोहरा सकती हैं?

श्री माताजी : हां, ये अंगुलियां, जैसा कि आप वहां देख रहे हैं, उन चक्रों के हमारे भीतर सांकेतिक हैं। अंगूठे को देखें तो इस उंगली का रंग वैसा ही है। इसलिए जब आपको उंगलियों पर जलन होती है या आपको सुन्न महसूस होती हैं; सुन्न होना बुरा है क्योंकि सुन्न होना मृत्यु का एक संकेत है, या मृत्यु की ओर या मृत्यु के बारे में सोच है। मैंने स्वीडन के लोगों को देखा है, उन सभी लोगों की उंगलियां सुन्न हैं। वे एक पंथ हैं और मैंने कहा, "क्या कर रहे हो? " उन्होंने कहा, "हम योजना बना रहे हैं कि आत्महत्या कैसे की जाए।" यह उनकी संपन्नता का परिणाम है। युवा लोग, 17 से 21 तक सिर्फ आत्महत्या करना सीख रहे हैं और स्विस और स्वीडिश के बीच प्रतिस्पर्धा है और इन दिनों स्विस अधिक हैं।

यह उंगली, यह अंगूठा इस चक्र के लिए जिम्मेदार है। यदि आपके जिगर में कोई समस्या है तो आप इसमें स्पंदन को महसूस करेंगे। नाभी केंद्र है। आप इसे देख सकते हैं। आपको किताब मिल गई है। कृपया इन लोगों से पुस्तक खरीदें, जो निश्चित रूप से, बहुत मामूली कीमत पर है जो कुछ भी उन्होंने छपाई के लिए दिया है और इसको पढ़ें और खुद देखें कि यह क्या है।

साधक: इतने सारे ईश्वर के दूतों के इतना कुछ लिखने के बाद, ऐसा क्यों है कि यह इतना छिपा हुआ है और सत्य को देखना बहुत मुश्किल हो गया है?

श्री माताजी : यह बहुत कठिन है। मनुष्य, वास्तव में, मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या कहना चाहिए क्योंकि वे कभी नहीं समझते कि ईसा मसीह क्या हैं - उन्होंने उन्हें चार साल तक भी जीवित रहने नहीं दिया। क्या करा जाए? इब्राहीम, मूसा आप जानते हैं कि उन्होंने उनके साथ क्या किया। सभी ईश्वर के दूतों के साथ आपने क्या किया। भारत में बहुत सारे अच्छे गुरु हैं। जम्मू में मैं एक बहुत अच्छे को जानती हूं और इंग्लैंड में भी मैं एक को जानती हूं लेकिन वे छिपे हुए हैं। वे इसे ठीक नहीं करना चाहते हैं। मैंने उनसे कहा, मैंने उनमें से एक को अमेरिका जाने के लिए कहा, बहुत बहलाने फुसलाने के बाद। मैंने उन्हें पैसे दिए। मैंने कहा, "कृपया, जाओ और उनके साथ काम करो। मैं अमेरिका नहीं जा सकती हूँ।"

तीन दिनों के भीतर वह न्यूयॉर्क से भाग गया और उसने कहा, "माँ, मैं इन लोगों का कुछ नहीं कर सकता। वे अपनी आत्मा नहीं चाहते हैं। वे अन्य चीजें चाहते हैं, वे पैसा चाहते हैं, वे यह चाहते हैं, वे वैसा चाहते हैं।" वे पहले कभी नहीं समझते थे, वे पहले कभी नहीं पहचानते थे। इसलिए ईसा मसीह ने एक बात कही थी कि, "तुमने मेरे विरुद्ध जो कुछ भी किया है, मैं तुम्हें क्षमा कर दूँगा। लेकिन पवित्र आत्मा के खिलाफ कुछ भी माफ नहीं किया जाएगा।" क्योंकि तुम जान लोगे कि पवित्र आत्मा क्या है।

अहंकार के लिए मान्यता देना सबसे कठिन चीज है। आज एक औरत थी जिसने कहा, "आपको ऐसा क्यों करना चाहिए?"

मैंने कहा, "अगर आप ऐसा कर सकती हैं तो मुझे बहुत खुशी होगी। कल्पना कीजिए, मैं एक खुशहाल विवाहित महिला हूं। मेरे बच्चे और पोते-पोतियां हैं। अगर कोई ऐसा कर सकता है, तो मुझे बहुत खुशी होगी। आपको ऐसा क्यों करना चाहिए? आपको अपने अहंकार के प्रति चुनौती क्यों महसूस होती है? बेहतर होगा कि आप इसे करें। मुझे तो कुछ भी मालूम नहीं है। कई चीजें जो मुझे नहीं पता, जैसे मैं गाड़ी नहीं चला सकती, मैं टाइप नहीं कर सकती, मैं कई चीजें नहीं कर सकती। लेकिन इनके बारे में मुझे बुरा नहीं लगता है। अब मुझे यह काम आता है। अगर मैं इसे मुफ्त में कर रही हूं, तो नुकसान क्या है? अब यदि आप यह कर

उसने कहा, "मुझे नहीं पता।"

मैंने कहा, "मुझे यह करने दो।" वे आहत महसूस करते हैं, आप देखिए, कि मुझे ऐसा करना पड़ रहा है। लेकिन आप इसे खुद कर सकते हैं। लेकिन सबसे पहले, अपने आप को प्रबुद्ध करें। अगर मां खाना बनाना जानती है, तो उसे खाना बनाने दें। यह एक भीषण कार्य है। प्रत्येक रात आप 1 बजे, 2 बजे सोते हैं, और सुबह लगभग 4 बजे उठते हैं। पता नहीं किसकी...तरह काम करना पड़ता है। और अंत में आप पाते हैं कि लोग आपको चुनौती दे रहे हैं, "आपको ऐसा क्यों करना चाहिए?" इंग्लैंड में हर तरह के लोग हैं। किसी ने मुझसे पूछा, "आप भारत की गरीबी क्यों नहीं हटाती हो?" जरा सोचिए।

मैंने कहा, "अब, मैं यहाँ गरीबी या कुछ भी दूर करने के लिए नहीं हूँ। मैं यहां आत्म-साक्षात्कार देने आई हूं।" मैंने कहा, "लेकिन मुझे माफ करें, लेकिन आप मुझसे ऐसा सवाल क्यों पूछना चाहिए? क्योंकि भारत में हमारी गरीबी के लिए कौन जिम्मेदार है? कौन है? मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए। मैं यहां इंग्लैंड में आपकी धरती पर बैठी हूं। भारत की गरीबी के लिए कौन जिम्मेदार है? ऐसा सवाल आप मुझसे पूछ रहे हैं? आप कृपया उत्तर दीजिए। उन्होंने तीन सौ साल हम पर शासन किया और अब कौन मुझे सिखा रहा है कि मुझे जाकर भारत की गरीबी दूर करनी चाहिए। वे अभी भी आते हैं। दूसरा सवाल जो उठता है। महान विद्वान व्यक्ति, उसने कहा, "आपकी जनसंख्या समस्या के बारे में क्या? आप इसे हल क्यों नहीं करते?"

मैंने कहा, "मुझे खेद है, आप इसके लिए भी ज़िम्मेदार हैं।"

उसने कहा, "कैसे? हम आपकी जनसंख्या कैसे बढ़ा सकते हैं?"

मैंने कहा, "आप हैं।"

उसने कहा, "कैसे?"

मैंने कहा, "बहुत सरल है। आपके इस महान देश में हर दिन माता-पिता द्वारा दो बच्चों को मार दिया जाता है। [अस्पष्ट] बच्चों को माता-पिता द्वारा मार दिया जाता है। अब आपके इस देश में कौन सा मूर्ख जन्म लेना चाहेगा? हमें भार उठाना पड़ता है। क्योंकि तुम्हारे पास अच्छे माता-पिता, अच्छी माताएं नहीं हैं, माताएं मुक्त हो रही हैं, पति आवारा हो रहे हैं। कौन जन्म लेना चाहेगा और आपकी जन्म दर नेगेटिव में है। कौन बढ़त सहन करेगा क्योंकि अंतिम निर्णय शुरू हो गया है और लोग अपना जन्म ले रहे हैं और हमें भारत में भार उठाना पड़ रहा है और हम ऐसा अधिक जनसंख्या के लिए कर रहे हैं। हमें क्या करना चाहिए?

अंततः, यह एक अभिशाप है। यह एक तथ्य है। यदि आपके पास अच्छे परिवार नहीं हैं, यदि आपके पास प्यार नहीं है, यदि आपके पास अच्छे घर नहीं हैं, तो आपके लिए बच्चे क्यों पैदा हो रहे हैं? क्या आप उन माता-पिता के यहाँ पैदा होंगे जहां पिता एक शराबी है और माँ मुक्त है? मुझे समझ में नहीं आता कि ऐसे लोग बच्चे पैदा क्यों करें। वे नहीं करते हैं। जर्मनी में वे एक महिला को बच्चा पैदा करने के लिए बहुत पैसा देते हैं लेकिन वे पैदा ही नहीं करना चाहती हैं। उनके बड़े अजीब विचार हैं। भारत में अगर किसी महिला को बच्चा नहीं होता है, तो वह उन सभी पवित्र स्थानों, सभी संतों के पास जाएगी और वह बच्चे को पाने के लिए सब कुछ करेगी। फर्क देखते हैं? तो हमारी अधिक जनसंख्या के लिए कौन जिम्मेदार है? कृपया आप मुझे बताइए।

इसलिए, ईश्वर के दूत जिम्मेदार नहीं हैं, यह मनुष्य हैं। वे सुनना नहीं चाहते हैं एक... मुझे। मुझे नहीं पता कि आप में से कितने वास्तव में जमेंगे। लेकिन मैं इसे सुनिश्चित करूंगी; मैं काफी चालाक हूं। मेरे पिछले जन्मों में इस बारे में बहुत कुछ सीखा था। मैं काफी माहिर हूं।

साधक: एक बच्चा जो एक ऐसे घर में पैदा होता है जिसे वे अच्छा घर कहती हैं, पूर्ण संतुलन, धर्म आदि के साथ, ऐसा दो साल का बच्चा कैंसर से क्यों मर जाता है?

श्री माताजी : यदि मैं बालक को देख सकूं तो मैं आपको बता पाऊंगी, क्योंकि यह बहुत काल्पनिक मामला है जो आप मुझे दे रहे हैं। मैं बच्चे को देखना चाहुंगी। मैं यह नहीं कह रही हूं कि आपको कैंसर हो जाता है क्योंकि आप एक बुरा जीवन जीते हैं - बिल्कुल नहीं। कभी-कभी बहुत अच्छे लोगों भी ये हो जाता है। वे इससे प्रभावित होते हैं।

उदाहरण के तौर पर, एक मां है जो बहुत सख्त है। "ऐसा मत करो" "वैसा मत करो" "तुम सुबह जल्दी क्यों नहीं उठते?" यह, वह हर समय बच्चे को जल्दी जल्दी करना। बच्चे को नहीं पता कि क्या करना है। यह अनुशासन। तभी घर में कोई आता है, "तुमने ऐसा क्यों कहा? तुमने इस चीज को क्यों तोड़ दिया? क्यों?" यह कालीन बच्चे की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है? यह सोफा बच्चे से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इससे बच्चा परेशान हो जाता है। यह बहुत आम बात है।

बच्चे पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है, न ही उचित गरिमा दी जाती है। उसके साथ अभी भी किसी ऐसे व्यक्ति की तरह बर्ताव किया जाता है जैसे वह एक सरदर्द हो। ऐसे बच्चे को रक्त कैंसर हो सकता है, अगर मां बेहद सख्त हो। कुछ बच्चे धीमे होते हैं; इसलिए उन्हें धीमा रहने दें। कुछ लोग सुबह जल्दी उठते हैं, कुछ थोड़ी देर से उठते हैं। उन्हें बचपन से ही इतना अच्छा नागरिक क्यों बनाया जाए। मैंने कुछ ऐसे लोगों को देखा है जो वास्तव में महान नागरिक हैं। बच्चों को खेलने दीजिए। उन्हें खुद का आनंद लेने दें और आप उनका आनंद लें। उन्हें फूलों की तरह जीने दीजिए। वे नहीं करते हैं। हम उन्हें अनुशासित करने की कोशिश करते हैं और यह अनुशासन इन सभी देशों में किशोरवस्था की समस्या के लिए जिम्मेदार है।

साधक: इसका बहुत कम उम्र में पता चला था, एक गणेश समस्या।

श्री माताजी : अरे, नहीं। मेरे बच्चे, समझने की कोशिश करो, मुझे पता है कि तुम इसके बारे में परेशान हो। लेकिन अगर मैंने उसकी दशा देखी होती तो मैं और भी सवाल पूछती। मैं कह रही हूं, यह बहुत काल्पनिक है। यह कुछ ऐसा भी हो सकता है। लोग पता लगा सकते हैं, वे इलाज नहीं कर सकते हैं और ऐसे कई मामले हैं, कई मामले हैं। कुछ महान आत्माएँ हैं जो इस पृथ्वी पर पैदा हुई हैं; वे दूसरों का बोझ उठाते हैं और मर जाते हैं। यह भी संभव है। कुछ भी हो सकता है। अगर मैंने बच्चे को देखा होता, तो मैं आपको बता देती। लेकिन अभी, मरीज़ मेरे सामने नहीं है, इसलिए यह बहुत काल्पनिक है। आप इसे समझते हैं, समझे आप।

लेकिन अगर मैंने बच्चे को देखा होता जैसा कि मैंने आपको बताया था- आप आश्चर्यचकित होंगे, हाल ही में किसी ने मुझे एक बच्चे की तस्वीर दिखाई जो आत्म-साक्षात्कारी था। यह एक परिपक्व बच्चा है। और उसकी मां तलाक ले रही है और पिता शराबी है। यह बेचारा बच्चा क्या करेगा? जरा सोचिए। वह आत्म-साक्षात्कारी बच्चा है। वह अपने माता-पिता से बोझ हटा सकता है और उसके साथ कुछ हो सकता है, यह हो सकता है। ऐसा कई बच्चों के साथ होता है जब वे अपने माता-पिता का बोझ हटाते हैं, खासकर जब माता-पिता हर समय झगड़ा कर रहे होते हैं। बच्चे बोझ उठाते हैं। इसलिए वे पागल हो जाते हैं, ऐसा हो सकता है। आप देखिए, उनके साथ कुछ भी हो सकता है।

हिंसा की चीजें हैं और हिंसा केवल एक और तरह का कब्जा है। बहुत सी बातें हैं। आप इसके लिए भगवान को दोष नहीं दे सकते। मुझे पता है कि आपकी चिंताएं ठीक हैं, लेकिन आप नहीं जानते कि घर में कौन था, यह कैसे हुआ, आप नहीं कह सकते, आप समझिए। यह किसी तरह की बात हो सकती है, ठीक है? यदि आप मुझे पूरा मामला बताते हैं, निजी तौर पर, मैं आपको बताऊंगी कि कारण क्या था, ठीक है?

श्री माताजी: आह, बस, यही मैं करने जा रही हूँ। वह लाखों डॉलर का सवाल है।

मैं कभी नहीं कहती कि आपके गलत कामों या किसी भी चीज के कारण ये चीजें होती हैं, ऐसा नहीं। यह कोई भी कारण हो सकता है। लेकिन कुछ कारण ये हैं: एक व्यक्ति भुखमरी के कारण मार सकता है, सामाजिक समस्याओं के कारण, कोई भी किसी कारण से मार सकता है। यदि आप बच्चे को धूप में डालते हैं तो उसे लू लग सकती है; यदि आप उसे ठंड में डालते हैं तो वह मर सकता है या कुछ भी हो सकता है। ऐसा नहीं है कि आप सभी को मरना है, यह भी निश्चित है। लेकिन बीमारी है... तर्क का एक और तरीका यह है कि आपको कुछ बीमारियां क्यों होती हैं।

यह पूरी तरह से नहीं है, इसके और भी कारण हैं, लेकिन अधिकतर ये कारण हैं। इसे देखने का यही तर्क संगत तरीका है। ऐसा नहीं है कि आप बुरे लोग हैं, बिल्कुल नहीं। आप ऐसे लोग हैं जो बहुत खो गए हैं। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि अगर आप गलती करते हैं, जैसे, अगर आप गर्म पानी अपने हाथ पर डालेंगे तो यह जल जाएगा, इसमें जलाने की क्षमता है। उसी तरह यदि आप अनजाने में किसी विषय को लेकर अपने मन की समझ के कारण कुछ गलतियाँ करते हैं, तो ऐसा होगा, ऐसा कई बार होता है।

साधक : यदि किसी चक्र को दुर्घटना में क्षति हो जाए, आपका कोई गंभीर दुर्घटना होजाए और रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाए, तो क्या होगा...

श्री माताजी : यदि यह क्षतिग्रस्त है तो समस्या है लेकिन फिर भी मैंने इसे सहज योग में देखा है। हमारे पास ऐसे लोग हैं जिन्हे मांसपेशियों संबंधित समस्या है (Spastic) और जिनकी पीठ की हड्डियाँ की समस्या हैं, जिनकी पीठ की हड्डियाँ टूटी हुई हैं। वे सीधे हो गए और उन्होंने शुरू... कल हमारे पास ऐसा ही एक मामला था। एक सज्जन थे जो चलते समय लाठी का प्रयोग करते थे, बचपन से ही लंगड़ा कर चल रहा था; वह बिना सहारे के चल नहीं सकताथा। अब वह बिना सहारे के चलता है; वह अपने पैर नहीं खींचता; वह अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। तो, यह अभी भी हो सकता है। तो अगर यह क्षतिग्रस्त है तो भी आपको चिंता नहीं करनी चाहिए। हमें इस पर कार्य करना होगा। कृष्ण ने कहा है, कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, इसका अर्थ है कि आपको काम करना है, आपको इसे पूरा करना है, फल की चिंता मत करो। यही मेरा रवैया है: अगर मैं ऐसा नहीं करती हूँ, तो तुम मुझे जोर से नहीं मारोगे, है ना? अगर मैं यह नहीं कर सकती, तो मैं कर ही नहीं सकती हूँ। मैं अभी तक कुछ नहीं बेच रही हूँ और न ही मैंने तुमसे कुछ लिया है। मैं कोशिश करूंगी और कोशिश करती रहूँगी। मैं केवल यही कह सकती हूँ । ठीक है? काफी उचित है?

साधक : क्या आप अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग उपचार प्रक्रियाओं का उपयोग करती हैं या यह एक ही प्रक्रिया है?

श्री माताजी : नहीं, कुंडलिनी मूल चीज है। लेकिन यह विभिन्न चक्रों से होकर गुजरती है और विभिन्न चक्रों और देवताओं को कैसे जगाना है, यह हमें आपको बताना होगा। यही आपको सीखना है और कुछ चीजें जैसे चैतन्यित जल और चैतन्यित कुछ चीजें आपको खाने के लिए दी जाती हैं। उदाहरण के लिए जिगर वाले लोगों को चीनी खानी चाहिए, जो गन्ने की चीनी है और जो चैतन्यित है। फिर डायबिटीज के मरीजों को नमक का सेवन करना पड़ता है जो कि चैतन्यित होता है। कुछ ऐसी चीजें भी जल्दी ठीक होने में मदद करती हैं। तो, इस तरह की कुछ चीजें बहुत ही सरल और बहुत सस्ती हैं।

एक बार मैंने एक महिला से कहा कि, "तुम एक किलो चीनी लाओ।" और वह हैरान थी। उसने सोचा कि मैं उससे चीनी लेने जा रही हूँ और चीनी का बाज़ार लगाऊँगी। तो आपको चीनी को चैतन्यित करना है और चीनी को घर ले जाकर आप इसे खा सकते हैं। यह बहुत सरल है; सभी बहुत ही सरल तरीके। मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि रविवार को खाली रखें। मैं आपके लिए अवश्य ही मौजूद रहूँगी और मैं आपको बताऊंगी कि कैसे कुंडलिनी को ऊपर उठाना है और कैसे साक्षात्कार देना है और लोगों को कैसे पढ़ना है। लेकिन हम अभी तक बीमारियाँ ठीक करने वाले नहीं हैं, हम साक्षात्कारी आत्माएं हैं।

साधक : क्या आप मुझे बता सकती हैं [अस्पष्ट]

श्री माताजी : आपने गले में क्या पहना है?

वारेन: उसने सिर्फ कुछ मनके पहने है। वह जानना चाहती है कि उसने ऐसा क्या गलत किया है जिससे उसे....

श्री माताजी : नहीं, जरूरी नहीं है उसने कुछ गलत ही किया होगा। मैं उसे पूरातरीका क्या है, बताऊंगी । लेकिन मैं आपको बताऊंगी कि क्या होता है, दुर्घटनाएं कैसे होती हैं। दुर्घटनाएं होती हैं क्योंकि कुछ आत्माएं हैं जो परेशान करने की कोशिश कर रही हैं। वे वहाँ हैं। नकारात्मक लोग जो वहां हैं, जरूरी नहीं कि आपने कुछ गलत किया हो। भगवान और नकारात्मक शक्तियों के बीच एक बड़ी लड़ाई चल रही है और वे हमेशा एक साधक को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेंगे। बचपन से ही साधक पर आक्रमण होता है, जितना अच्छा साधक, उस पर उतना अधिक आक्रमण । यह बहुत आम है,मैंने देखा है। लेकिन मैं इसे ठीक करने के लिए यहां हूं। मुझे पता है ऐसा होता है। यह बहुत बुरा है लेकिन वे इसे कर रहे हैं और वे इसे हर समय करते हैं। वे [अस्पष्ट बस इंतजार कर रहे हैं] तब भी जब आपको अपना साक्षात्कार प्राप्त हो जाता है। जब आप बाहर जाएंगे तो वे आपको पकड़ लेंगे और वे आपके दिमाग में विचार डाल देंगे। वे हर तरह की चीजें करते हैं।

तो यह एक विचार है कि आप अपने दिमाग से निकाल लें कि जो भी दर्द या कोई परेशानी है वह आपकी गलती या किसी गलती के कारण है। यह नकारात्मक शक्तियां हो सकती हैं जो आप पर कार्य कर रही हैं जो इसे अंजाम दे रही हैं। सड़क पर भी आपको एक जगह ऐसी होगी, जहां आप हमेशा एक दुर्घटना देखेंगे। लेकिन अगर आप एक साक्षात्कारी आत्मा हैं, अगर आप दुर्घटना में पड़ जाते हैं तो आप मुसीबत में नहीं पड़ते और कोई भी नहीं: अगर आप कार में हैं, बस में हैं या ट्रेन में भी हैं। यह कई लोगों का अनुभव है; आप हमेशा बचाए जाते हैं। यही अंतर है क्योंकि सभी गण आपकी देखभाल करते हैं।

साधक : नकारात्मक शक्तियां लोगों को नुकसान क्यों पहुंचाना चाहती हैं?

श्री माताजी : अच्छा होगा कि आप जाकर उनसे पूछें। उन्हें दूसरों को दुख देने देने में मज़ा आता है; उन्हें दूसरों को चोट पहुँचाने में मज़ा आता है; वे विनाश करना पसंद करते हैं, वे विनाशकारी शक्तियां हैं, जो कार्यान्वित हैं। वे सभी हमें कई तरह से नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें उनके प्रति सचेत रहना होगा और समझना होगा कि वे बहुत धोखेबाज हैं और वे बहुत आकर्षक हैं। तुम नहीं जानते कि विनाश बाहर से क्यों नहीं आने वाला, तुम्हारे भीतर से आने वाला है। इन सब बातों को समझना होगा। सहज योग के माध्यम से जब आपके पास प्रकाश होता है तो आप उन्हें देखना शुरू कर देते हैं और वे इसे कैसे अंजाम देते हैं।

साधक : हमें अपनी रक्षा कैसे करनी चाहिए ?

श्री माताजी : हाँ, यह बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए मैं कह रही हूँ कि जहां यह कह रहे हैं, वहा आपको जरूर आना चाहिए। हम आपको सब कुछ सीखाएंगे। बहुत सारी चीजें सीखाने की हैं, है कि नहीं? बचाव कैसे करें, यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह महत्त्वपूर्ण है। आपकी रक्षा की जानी है, इसमें कोई संदेह नहीं है।

अब, क्या यह खत्म हो गया है? मुझे लगता है कि अब उनके लिए बहुत हो गया है। आइए कुंडलिनी जागरण करें, ठीक है?

आपको अपने जूते निकालने होंगे क्योंकि धरती माता भी हमारी बहुत मदद करती है।

वह तारा है, आह? जूनिपर। यह चक्र।

वॉरेन: डेविड का सितारा।

श्री माताजी : यह डेविड का तारा है। यह चक्र पांचवां है। यह वाला है। लेकिन कितने समझते हैं? यही समस्या है।

Maccabean Hall, Sydney (Australia)

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