On para-lok

On para-lok 1973-03-25

Location
Talk duration
60'
Category
Public Program
Spoken Language
English

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

The post is also available in: English, Turkish.

25 मार्च 1973

Public Program

Cowasji Jehangir Hall, मुंबई (भारत)

Talk Language: English

सार्वजनिक कार्यक्रम तीसरा दिवस

जहाँगीर हॉल मुंबई 24-03-1973

हम जागरूकता पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं। जैसा कि मैंने आपको पहले बताया है - एक बिंदु पर इसकी खोज को यह कहकर रोक दिया कि हम आगे नहीं जा सकते। स्वयं हमारे अस्तित्व में, हमें नकारात्मकता और सकारात्मकता अनुकम्पी और परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र में प्राप्त है। यहां तक ​​कि धर्म की खोज में, जब हम इस ओर अपना चित्त ले जाना शुरू करते हैं, तो हम इस की खोज बाहर से शुरू करते हैं। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारे साथ कुछ गलत है, बल्कि यह हमारी विकसित होती आदतों से हम तक आया है। उदाहरण के लिए, एक मछली बाहर आई और सरीसृप बन गई और रेंगने लगी। इसने मिट्टी को महसूस किया, मिट्टी की कठोरता और चलना शुरू कर दिया। उसी तरह, हर विकासवादी छलांग बाहर जाने से हुई है। लेकिन अब आंतरिक विकास होना है, क्योंकि उस उपकरण के पूर्ण विकसित होने का अंतिम चरण प्रस्तुत है। वास्तव में, अब यह विकास नहीं है, बल्कि यौगिकता (जुड़ने कि क्षमता का विकास) है जिसे घटित होना है। उदाहरण के लिए, मैं एक टेप रिकॉर्डर लेती हूँ, भारत से सिंगापुर ले जाती हूं उस दौरान की रिकार्डिंग शुरू करती हूँ और फिर उसी उपकरण को उन्नत भी करना शुरू करती हूँ और फिर, मैं पुनरावृति करती हूँ (replay)। आपके भीतर जो कुछ भी आपके साथ हुआ है, उसे रिकॉर्ड कर (replay) पुनरावृति करना ही यौगिकता है। इसके साथ, हर अभिव्यक्ति के बारे में जागरूकता, जो शुरुआत में निर्जीव हो गई थी, स्पष्ट हो जाती है।

मनुष्य में, जब चेतना की किरण इस मस्तिष्क के प्रिज्म से होकर गुजरती है, तो वह अपवर्तित हो जाती है और हमें तीन प्रकार की ऊर्जाएँ मिलती हैं। उसमें से, अनुकम्पी sympathetic को दो मिली हैं; एक दायीं है; दूसरी बायीं तरफ है। एक दायें हाथ वाले व्यक्ति (अब मैं केवल दाएं हाथ वाले व्यक्ति की बात करुँगी ),के अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र का बायां हिस्सा अवचेतन का भंडार है। या मुझे कहना चाहिए कि यह वह प्लग है जिसके माध्यम से हम अपने अवचेतन से अंतर्ज्ञान प्राप्त करते हैं। अवचेतन का यह आधा भाग उस सब को ग्रहण कर संग्रहित करने वाला घर है जो हमारे विचारों में, हमारी स्मृति में, और पूरी दुनिया में मर चुका है। जब हम मरते हैं, तो वास्तव में हम मरते नहीं हैं; सबसे आश्चर्य की बात, कुछ भी नहीं मरता है। हमारे अस्तित्व का केवल एक बहुत छोटा हिस्सा जो पृथ्वी तत्व के माध्यम से प्रकट होता है, मर जाता है। अन्यथा, हम वातावरण में रहते हैं, परलोक में, जैसा कि वे इसे कहते हैं, (नरक और स्वर्ग के बीच में, आप कह सकते हैं), पर- लोक में, जहाँ आप उन्हें देख सकते हैं यदि आप ऐसी दृष्टि विकसित कर लें। वे मौजूद हैं।

अब, हम यहाँ बैठे हैं, एक और दुनिया है, जहाँ हमें इन कपड़ों को छोड़कर यहाँ जाना है। फिर, हम इस दुनिया में वापस आते हैं। यह परलोक, या हम कह सकते हैं कि मृतकों की दुनिया मौजूद है। अंतर यह है कि एक तरफ जब हम यहां बढ़ते हैं, वहाँ वे छोटे और छोटे होते जाते हैं जब तक कि वे एक अवस्था पर नहीं पहुंच जाते हैं जहां वे छोटे, अत्यंत छोटी छड़ी बन जाते हैं। उन्हें अपने अधूरे विचारों को प्रकट करने और कार्यान्वित करने की इच्छाशक्ति मिली है। मान लीजिए, एक डॉक्टर जिसने कुछ महान दवा का आविष्कार किया है और मर जाता है। वह चयन करने के बाद किसी में अभिव्यक्त हो सकता है, और लोगों का भला करने की कोशिश कर सकता है। लंदन में, डॉक्टर लैंग का एक बहुत बड़ा संगठन है जो लंबे समय पहले मर गया था। और एक दिन युद्ध के मैदान में लड़ रहे एक सैनिक को अचानक लगा कि उसके दिमाग में कोई घुस गया है। जब किसी को झटका लगता है, तो उस पल का उपयोग वे उसके मानस में प्रवेश करने के लिए कर सकते हैं - मानस जो अति-सचेत है। जब उन्होंने शरीर में प्रवेश किया, तो उन्होंने उस आदमी से कहा कि, "तुम जाओ और मेरे बेटे को मिलो जो लंदन में है और तुम उसे बताओ कि मैं एक माध्यम के रूप में तुम्हारे शरीर में काम करूंगा"। इसलिए उसने जाकर बेटे से कहा, बेटा इस पर विश्वास नहीं कर सका। तो, उन्होंने उसे कई गुप्त बातें बताईं, जो बेटे को नहीं पता थीं और उन चीजों को भी, जिन्हें कोई नहीं जानता था, लेकिन केवल बेटा जानता था । इससे बेटे को यकीन हो गया और उसने डॉक्टर लैंग का एक बहुत बड़ा संगठन शुरू कर दिया। मैं कई ऐसे लोगों से मिली हूं जो की उनकी मदद से ठीक भी हुए हैं।

अब, जब एक डॉक्टर आपके स्व को उस परलोक से जोड़ता है; (उदाहरण के लिए, यदि मेरा लॉस एंजिल्स में किसी के साथ संबंध है, तो मैं वहां स्थित अन्य लोगों से भी खुद को जोड़ सकती हूं), आप कुछ अन्य डॉक्टरों को भी आने और अच्छा करने के लिए इलाज करने में मदद के लिए कह सकते हैं। यही वह है जिसे आध्यात्मिक उपचार spiritual healing के रूप में जाना जाता है जो हमारे दिमाग में होता है। मेरी एक शिष्या है जो कई वर्षों से इस तरह का काम कर रही थी। और, उसे करने के लगभग सोलह साल बाद, वह बहुत अस्थिर महसूस करने लगी, और वह मुझे मिलने आयी| जब मैंने उसे अपने हाथों को मेरे तरफ रखने के लिए कहा, तो मैंने पाया कि वह बहुत बीमार हो गई है। तो, मैंने उससे पूछा, “क्या बात थी? क्या आप कोई आध्यात्मिक उपचार कर रही हैं? ”। स्वाभाविक रूप से, पहला जवाब था, "आप कैसे जानते हैं, माताजी?" मैंने कहा, "इसे भूल जाओ।" तब मुझे उसे बहुत स्पष्ट रूप से बताना पड़ा, "आपको अपने मानस पर स्थित इस चीज से छुटकारा पाना चाहिए"। मेरी जानकारी में, माध्यम के रूप में काम करने वालों में, वह स्त्री सबसे विवेकशील है। उसने कहा, "माताजी, मैं बिलकुल इसे नहीं चाहती। कृपया यह सब हटा दें। मैं सिर्फ सर्वोच्च, परम चाहती हूं ”। मैंने कहा, "यदि तुम ऐसा चाहती हो, तो तुम इसे प्राप्त करोगी"। उसे मिल गया, और उसने आध्यात्मिक उपचार की अपनी शक्ति खो दी जिसके कारण उसके हाथ काँप रहे थे | और उसे प्राकृतिक उपचारात्मक शक्ति और जागरण शक्ति मिली, और वह मेरी सबसे प्रिय शिष्यों में से एक है। और एक दिन वह अपनी चिकित्सा शक्ति में बहुत आगे चली जाएगी, , इस वजह से [स्पष्ट नहीं]।

तो, हमारे पास ऐसे लोग हैं जो अच्छाई कर सकते हैं, और वे आपके माध्यम से अभिव्यक्त होना चाहते हैं। लेकिन, किसी को यह सोचना चाहिए कि डॉक्टर लैंग अपने बेटे पर क्यों नहीं आए? क्योंकि वह नहीं चाहता था कि लंबे समय में उसका अपना बेटा पीड़ित हो। जब कोई भी माध्यम के रूप में कार्य करता है, तो वह व्यक्ति सहज योग के लिए ठीक नहीं है, क्यों कि आप स्वतंत्र नहीं हैं।

पहले, आपको परलोक संबंधी इन सभी आकांक्षाओं से पूरी तरह से मुक्त होना होगा, और केवल तभी आप अपने अस्तित्व की सुंदरता, महिमा को महसूस कर सकते हैं। एक व्यक्ति जो बंधनों में है, उसे राजा नहीं बनाया जा सकता है और सिंहासन लेने का अनुरोध नहीं किया जा सकता है।

हमारे देश में, युगों से, "मोहिनी विद्या" (सम्मोहन) और "पर लोक विद्या" (दूसरी दुनिया) पर लोग काम करते रहे हैं। और अमेरिका में, मैंने लोगों को जादू-टोना करते देखा है। अमेरिकी लोगों के बारे में एक बात बहुत अच्छी है कि वे बिल्कुल ईमानदार हैं। अगर वे जादू-टोना कर रहे हैं, तो वे कहते हैं कि हम जादू- टोना कर रहे हैं। उन्होंने दूसरा नाम नहीं लिया और चुड़ैल ने स्वयं को देवी नहीं कहा। वे ऐसा नहीं करते।

अब, इस तरह का काम करना, जैसे यह किया जाता है, एक बहुत लंबी बात है। लेकिन, मैं आपको संक्षेप में बता सकती हूं। जैसा कि मैंने आपको बताया है, कामेच्छा, जिसमें वह सब कुछ है जो आप में मृत है, आपका सारा अवचेतन मन, सीधे आपके सौर जालक solar plexus के साथ जुड़ा हुआ है। उसी तरह, दाहिने हाथ की ओर और बाएं हाथ की तरफ, दोनों अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र,sympathetic nervous systems, सीधे आपके सौर जाल, मणिपुर चक्र के साथ जुड़े हुए हैं। कोई भी डॉक्टर गारंटी दे सकता है और कह सकता है कि, अगर यह है।

लेकिन दुर्भाग्य से, परानुकम्पी parasympathetic ऊपर लटका हुआ है। वेगस तंत्रिका, vagus nerve जो कुंडलिनी को रीढ़ की हड्डी में ले जाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, सौर जाल और वेगस तंत्रिका के बीच एक शून्य है। इस शून्य को धर्म की महान प्रणालियों में वर्णित किया गया है और लोगों ने पुस्तकों के बाद पुस्तकें लिखी हैं। इसलिए जैसे ही आपका चित्त भी धर्म पर जाता है, आप अपने अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र sympathetic nervous systems,पर बढ़ने लगते हैं, या तो दाईं ओर या बाईं ओर।

अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र sympathetic nervous systems,में दाईं ओर गति करने से, बेशक, दाएं बाजू वाले right sided आदमी, कामेच्छा में जाते हैं। कामेच्छा काम बिंदु sex point से "मूढ़ा" ( (medulla oblongata) तक जुड़ा हुआ है, "मूढ़ा" ( (medulla oblongata) मस्तिष्क के नीचे की वह जगह है, जो यहां आपके आज्ञा चक्र को छूती है। इसलिए, किसी भी प्रयास को करने से, आप कामेच्छा में जाने की उस उलझन में पड़ सकते हैं - जो कि, आपका स्वयं से और परम से पहले से मौजूद संबंध है।

दूसरा पक्ष, अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र है जो आप के द्वारा किसी भी आपात स्थिति में कार्य करने की प्रतीक्षा कर रहा है। जैसा कि मैंने आपको कल बताया था कि, यदि कोई आपात स्थिति है कि, अगर हाथ में जलन होती है, तो यह इतना अधिक कार्यशील होना शुरू कर देगा, कि यह अति कार्यरत हो जाएगा, और एक असाध्य स्थिति पैदा हो सकती है। अब देखें दोनों चीजें, कैसे वे आपके विनाश के लिए हैं।

अब, जब आप लोगों को सम्मोहित होते हुए देखते हैं - जो ईमानदार होते हैं वे कहते हैं कि हम सम्मोहन कर्ता हैं अथवा, हमारे पास सम्मोहित करने वाला अमुक व्यक्ति और वह सब है, बहुत ईमानदार लोग इस दुनिया में भी हैं, हर कोई धोखेबाज़ नहीं है। इसलिए, वे स्पष्ट रूप से बताते हैं कि हम लोग हैं जो सम्मोहित करने वाले हैं। जब वे सम्मोहित करते हैं, तो आप अचानक अपने अवचेतन मन में डूब जाते हैं, चेतन मन उसमें डूब जाता है, और आप बाहरी दुनिया के लिए बेहोश हो जाते हैं। और वहां आप उस व्यक्ति की मांगों के अनुसार कार्य करना शुरू करते हैं जो आपको सम्मोहित कर रहा है। अब, तुम ऐसा क्यों करते हो? अगर वह कहे कि तुम कूदना शुरू करो, तुम कूदना शुरू कर दोगे। अगर वह कहता है कि आप बीमार महसूस करने लगते हैं, तो आप घबराया हुआ महसूस करने लगते हैं। अगर वह कहे कि तुम एक हजार गिनना शुरू कर दो, एक से एक हजार, तो तुम करने लगोगे।

एक लड़की थी जो इस तरह की चीज़ करने के लिए बहुत उत्सुक थी और जब उसने पूछा तब मैंने कहा, "कृपया मत जाओ"। वह नहीं सुनेगी - वह वहां गई, और सज्जन ने उसे एक से एक हजार तक गिनने को कहा। वह एक बहुत ही मासूम लड़की थी, और मुझे पता था कि उसके साथ क्या हुआ था। तो, ठीक इस सब के बाद मैं उसे देखने के लिए गयी, मैंने पाया कि वह निढाल हो गई थी। यह ऐसा है, जैसे अपने मन को बंद करना - चेतन मन, जिसके माध्यम से आप मुझे सुन रहे हैं, बस स्विच ऑफ हो जाता है। आप एक अवचेतन में भी जा सकते हैं।

अनुकम्पी sympathetic की तरफ कोई भी गति परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र parasympathetic nervous system और कुंडलिनी के खिलाफ है। इडा और पिंगला दो अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र हैं जिन पर लोग काम करते रहे हैं। और यही कारण है कि वे कभी भी अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त नहीं कर पाए। क्योंकि परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र parasympathetic nervous system के लिए, आपको शून्य को दिव्य प्रेम से भरना होगा। यांत्रिक कार्य कर के, आप परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकते, एक सरल तथ्य है जिसे आपको समझना चाहिए।

[किसी साधक से अ श्रवणीय प्रश्न या टिप्पणी]।

श्री माताजी: मुझे खुशी है कि आपने मुझे कहा। अब, जब हम अपने प्रयासों के माध्यम से कामेच्छा से जुड़े हुए हैं, जब कोई व्यक्ति भगवान के लिए रोना-धोना शुरू करता है, तो वह देख सकता है कि देवता से माला आ रही है और खुद माला पहन सकता है। यह बहुत संभव है। इतना हैरान होने की कोई बात नहीं है। निर्भर करता है कि, वह परलोक से कितना जुड़ा हुआ है । बहुत सारे संत ऐसे हैं जिन्हें बोध प्राप्त नहीं है, जो मर चुके हैं और कहना चाहते हैं कि ईश्वर है। वे इसे कार्यान्वित कर सकते हैं। लेकिन अगर वे आत्मसाक्षात्कारी है तो फिर वे कभी दुसरे लोगों के मानस के अंदर प्रवेश नहीं करेंगे |

वे उन्हें इस तरह के कुछ संकेत दे सकते हैं। लेकिन, यदि वे आत्मसाक्षात्कारी हैं तो वे मानस में कभी प्रवेश नहीं करेंगे, चूँकि उन्होंने अपनी स्वतंत्रता हासिल कर ली है इसलिए वे दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं।

अब, यदि आप अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली देखें आप आश्चर्यचकित होंगे, कि अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र के लक्षण है कि, - आप अधिक तेज श्वासोच्छवास, अधिक नाड़ी दर, ज्यादा तेज धड़कन और आपकी आंत पर दबाव पाते हैं, जिससे कब्ज इत्यादि होता है और वैसी ही चीजें होती हैं। तो, मोहिनी विद्या, जिस तरह से वे इसे सीखते हैं - सबसे पहले, वे बुरे जिन्नों (जो मर चुके हैं) पर महारत हासिल करते हैं । यदि वे किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जानते हैं जो एक दुष्ट प्रतिभा है, तो ऐसे लोग जो उनकी शैतानी विदधा से लाभ उठाना चाहते हैं, उनकी मृत्यु की प्रतीक्षा करते हैं और मरने पर "श्मशान" में जाते हैं। चूँकि मरे हुए - जब वे मर जाते हैं, तो शरीर बना रहता है, लेकिन आत्मा कम से कम तेरह दिनों के लिए मंडराता है; । यह तुरंत जन्म नहीं लेता है। कुछ लोगों को पाँच सौ साल भी लगते हैं क्योंकि वे विशेष दुष्ट [अश्रव्य] हैं।

तो, जो आत्मा वहां मंडरा रही है, उसे इन लोगों ने उस की कामेच्छा के माध्यम से पकड़ लिया है और वे उस आत्मा के कुछ हिस्से को मृत शरीर के एक हिस्से को हटाकर निकाल लेते हैं। उदाहरण के लिए, वे खोपड़ी की हड्डी निकाल सकते हैं। वे उस (मृत) की राख भी ले सकते हैं, क्योंकि जब आत्मा को पुनर्जन्म लेना होता है, तो उस के पास पूरा शरीर होना पड़ता है। इसके लिए उस राख की आवश्यकता होती है, और अगर इन लोगों द्वारा इन राख को नियंत्रित रखा जाता है, तो वे (बुरी आत्माएं) लंगड़े हाथों या लंगड़े पैरों के साथ पैदा होंगी और एक समस्या होगी। इसलिए, वे वहां मंडराते रहते हैं और फिर, वे (बुरी आत्माएं) आत्मसमर्पण कर देती हैं और अपनी अधीनता पूरी तरह से स्वीकार कर लेती हैं।

अब, ये लोग जनता के बीच आते हैं और घोषणा करते हैं कि हम आपको चमत्कार दिखा सकते हैं। वे कर सकते हैं, क्यों नहीं? क्योंकि, हमारे लिए चमत्कार कुछ मूर्खतापूर्ण है। उदाहरण के लिए, मेरा एक रिश्तेदार आया और उसने मुझे बताया कि किन्ही साधुजी ने उसे एक अंगूठी दी है।

मैंने उस पर हँसते हुए कहा, "आपके पास कितनी अंगूठियाँ हैं?"। वह बहुत अमीर आदमी है।

उन्होंने कहा, "मेरे पास दस हीरे के छल्ले हैं"।

मैंने कहा, “उसने तुम्हें ग्यारहवीं अंगूठी दी है। क्या आप अंगूठी माँगने गए थे? ”। उन्होंने कहा, "नहीं, नहीं, मैं उनसे कुछ बहुत दिव्य माँगने गया था"।

मैंने कहा, “फिर तुमने यह अंगूठी क्यों स्वीकार की? आपको बाहर फेंक देना चाहिए था। ” आपको बताना चाहिए था कि मुझे यह अंगूठी नहीं चाहिए। "आपने क्यों स्वीकार किया?"

उन्होंने कहा, "ठीक है, अब मैं इसकी परवाह नहीं करता, लेकिन आप इसके बारे में कुछ करें"।

अब, ये हमारे द्वारा किए गए प्रयोग हैं, आप भी आकर देख सकते हैं। यह सब आपके लिए खुला है। यह एक प्रयोगशाला है जो आप सभी के लिए खुली है, खुले दिमाग के साथ आने और देखने के लिए। सिर्फ छींटाकशी करने और हंसने के लिए नहीं। लेकिन, समझ के साथ देखना, पूरी मानवता का भला करना है। तो, मैंने उससे कहा।

उन्होंने कहा कि, "अब आप मुझे आत्मसाक्षात्कार दें"।

मैंने कहा, "मैं नहीं कर सकती"।

उन्होंने कहा, "क्यों?"

मैंने कहा, "आपको वह अंगूठी निकालनी होगी"।

उन्होंने कहा, "मैं नहीं करूंगा"।

फिर, मैंने कहा, "मैं तुम्हें बोध नहीं दे सकती"। फिर जब मैंने शुरू किया; मैंने उससे कहा, "सब ठीक है, तुम मेरे सामने हाथ रखो"। और उसने थरथराना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “यह क्या है? मैं क्यों हिला रहा हूं? ”।

मैंने कहा, "अब तुम अंगूठी निकाल लो"। तुरंत झटके आना बंद हो गए।

उन्होंने कहा, "इसे दूर फेंक दो"।

मैंने कहा, “आपको पता होना चाहिए कि अंगूठी आप बाजार में खरीद सकते हैं, लेकिन क्या आप बाजार में ईश्वर को खरीद सकते हैं? आप अपने मस्तिष्क का उपयोग क्यों नहीं करते? आप बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हैं। आप को क्या हुआ?"

सभी "चमत्कार" ऐसे काम कर रहे हैं। दूसरे दिन, सबसे आश्चर्य की बात यह है कि संयोग से ऐसे वक्त पर ऐसा होना था, जब मुझे इस विषय पर बोलना ही था, कि पंजाब से एक सज्जन श्री शर्मा आए और माताजी के बारे में पूछ रहे थे। और मेरे कुछ लोग वहाँ थे और उन्होंने पूछा , "माताजी की उम्र क्या है?"

उन्होंने कहा, "वह पचास हैं"।

“नहीं, लेकिन मुझे एक माताजी के बारे में पता है जो चार साल की हैं और वह खुद को कुछ कहती हैं और सभी [अश्रव्य / सिनेमा] के लोग उनके पीछे हैं। उसके बारे में क्या, वह कहाँ है?”

”उन्होंने कहा,“ हम नहीं जानते ”। वह उसके बारे में बहुत पूछताछ करने लगा।

इसलिए उन्होंने सोचा कि वह सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) से है या इसलिए वह ऐसा पूछ रहा है। फिर उन्होंने कहा, "अब, तुम कल यहाँ ध्यान के लिए आओ और तुम माताजी से मिलोगे"। किसी कारण या अन्य कुछ से , मैं फिर से यहाँ वापस आयी। और उसने मुझे देखा और कहा, "नहीं, नहीं, नहीं, नहीं - ये वो माताजी नहीं हैं जिनके बारे में मैं बात कर रहा हूं"।

फिर वह मुझसे कहता है, एक लड़का था, एक सज्जन जो मुझे मिलने आए थे और उनसे कहा था कि, “आप इस नए उद्यम में एक हजार या एक हजार पाँच सौ रुपये का निवेश करें। यह एक उद्यम है। आप कृपया मेरे पास यह धन जमा करें। और मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं, मैं आपको एक महीने के भीतर, इसकी दोगुनी राशि लौटा दूंगा ”।

उन्होंने पूछा, "कैसे?"

वह बोला, "मेरी एक बेटी है जो चार साल की है और वह चमत्कार कर रही है"। उसने अपनी आँखों से देखा कि वह चीज़े वगैरह हवा से प्रकट कर रही है। अब चार साल का बच्चा कुछ भी सकारात्मक नहीं कर सकता, मेरा मतलब चेतन स्थिति में। लेकिन, छोटा बच्चा इसे उठा रहा था; जो भी आप उससे पूछते हैं, वह इस तरह कर रही है और इस तरह प्रकट कर दे रही है।

इसलिए वह आश्चर्यचकित था, और उसने धन दिया; पैसों के साथ तुरंत आगे।

अब उस व्यक्ति ने मुझे बताया कि, "वह सज्जन गायब हो गया था और जब मैंने नाम पढ़ा, 'माताजी ' तो मैं पूछताछ करने आया।"

मैंने कहा, “मुझे आपसे किसी भी धन की आवश्यकता नहीं है। लेकिन भगवान का शुक्र है कि आप यहां हैं। कल तुम अपने ध्यान के लिए आओ। शायद एक हजार पांच सौ इतनी बड़ी राशि नहीं है। अगर आपको अपना आत्मसाक्षात्कार मिलता है, तो आप हमेशा के लिए बच जाते हैं।

अब, यह पता लगाने की विधि में मेरी खोज है कि मेरी इस जागरूकता को दूसरों को कैसे प्रदान किया जाए, मैं इन गुरुओं में से कई के पास गई हूं। उनमें से कुछ का वर्णन करने की कोशिश करूंगी, और अब आप अपने दिमाग का उपयोग करें और देखें कि क्या होता है।

सबसे पहले, मेरे बचपन में, मेरे पिता ने मुझे बताया कि एक साधु / फकीर है जो आया है और जो कुछ महान चमत्कार कर रहा है। तो, मैं सज्जन को देखने गयी। और जो मैंने पाया; उसके हाथ में एक "चिमटा" था, आप चिमटा जानते हैं? मुझे लगता है कि अंग्रेजी में इसके लिए कोई शब्द नहीं है। तो वह उस कठोर चीज का उपयोग कर रहा था, जो उसके पास आए प्रत्येक व्यक्ति को मार सके। फिर मैंने कहा, "ये किस तरह का व्यक्ति है - मैं अभी यह सहन नहीं कर सकती। यह नामुमकिन है"।

असल में वह जो कर रहा था वह उस आदमी को मारते हुए, और एक शैतान को उसके ऊपर डाल दिया, दूसरे व्यक्ति पर दूसरे शैतान को। कुछ समय बाद, मैंने पाया कि लोगों ने अपनी अंगूठी निकाली, अपना सब कुछ निकाल लिया और उसको समर्पित कर दिया। तुरंत मैंने अपने हाथ उसकी ओर रखे और पता चला कि वह एक नकारात्मक व्यक्ति था। आप एक नकारात्मक व्यक्तित्व को कैसे पहचानते हैं? वो भी मैं बताने जा रही हूँ। बहुत आसान। मैं अवश्य तुम्हें सारी तरकीबें दे दूंगी।

फिर मैं हरिद्वार में एक अन्य व्यक्ति के पास गयी। वह मेरे ससुर के स्थान पर, वह अद्भुत चमत्कार कर रहा था। जैसे ही उसने मुझे देखा, वह कांपने लगा। बिल्कुल कंपकंपी। वह बोला, "माँ, माँ"।

मैने कहा आप क्या कर रहे हैं?"

उसने कहा, “मैं इससे छुटकारा पाना चाहता हूं। कृपया मुझे इस सब से बचाएं। मैं अब बीमार हूं, मैं बिल्कुल बर्बाद हो गया हूं, कृपया मुझे इससे बचाएं ”।

मैंने कहा, "क्या आप सुनिश्चित हैं कि आप इस के बाद सब बंद कर देंगे ?"

उसने कहा हाँ"।

आप हैरान हो जाएंगे; पाँच मिनट के भीतर ही उस की सारी विकृतियाँ दूर हो गईं। और उसे बहुत बाद में आत्मसाक्षात्कार भी हुआ; लगभग दो साल पहले।

उसी तरह, मैं पुणे गयी - एक सज्जन थे, एक "मांत्रिक" (तांत्रिक) जो मुझे मिलने आए थे। उसी समय। वह एक श्री मोरे के साथ रह रहा था और उसने मुझसे कहा कि, "माताजी, अब मैं इससे तंग आ चुका हूं। मैंने कई लोगों को ठीक किया है। लेकिन अब मेरा सिर बहुत भारी है और कृपया मुझे इस सब से बचाएं ”।

तो मैंने उनसे पूछा, "क्या आपने हमेशा के लिए छोड़ देने का फैसला किया है?" उन्होंने कहा, "माताजी, मुझे इस जीवन में बचाएं। मैं अब उस माध्यम का उपयोग नहीं करूँगा। अब मैं इसे अलग से देख पाता हूं। शुरुआत में, मुझे नहीं पता था कि यह एक ऐसा माध्यम था जो मेरे गुरु ने मुझ पर डाला था। अब मैं इसे अलग से देख रहा हूं, मैं अपने गुरु को भी कभी-कभी देख सकता हूं। लेकिन मैं दिन-रात सो नहीं सकता। मैं एक भयानक समय से गुजार रहा हूँ।

मैंने कहा, “यदि आप ने तय कर लिया हैं, तो आपको आत्मसाक्षात्कार होने वाला है। तुम चिंता मत करो ”

और उसे पांच मिनट के भीतर अपनी प्रतीति मिल गई। हैरानी की बात है। शायद वह सचमुच तंग आ गया था और वह बहुत ईमानदार था। मैंने उससे कहा, "तुमने चीजों को देखने और चीजों के बारे में बताने की अपनी सारी शक्ति खो दी है "।

वह भविष्य बताता था, वह चीजों को देख सकता था। वह उनसे कहता था कि तुम्हारे पिता कहां गए हैं, तुम्हारा बेटा कहां खो गया है। इसलिए उन्होंने बाहर जाकर मिस्टर मोरे को बताया कि, "यह कैसे संभव है, माताजी कह रही हैं कि, उन्होंने मेरी सारी सिद्धियाँ छीन ली हैं। यह संभव नहीं है। क्योंकि, मैंने पच्चीस साल तक ऐसा किया है।

उन्होंने कहा, "सब ठीक है, तो आप अपने मंत्र शुरू कीजिये"।

पाँच मिनट के भीतर ही उसे पता चला कि उसने अपनी सारी शक्तियाँ खो दी हैं।

तब मोरे ने उससे कहा, "तुम चिंता मत करो। अब, आपको दिव्य गुण मिल गये हैं। हर्षित और प्रसन्न रहें कि यह दिव्य प्रवाहित है, और आप यह बिना इस अहसास के कर रहे हैं कि यह आप कर रहे हैं। कितना बड़ा आनंद है - अपनी खुद की गरिमा और स्वतंत्रता में खड़े हो जाओ, और इन मूर्खतापूर्ण भौतिक चीजों पर निर्भर मत करो जो वैसे भी विनाशी हैं”।

लेकिन, नकारात्मकता जो राक्षसों के रूप में उत्पन्न होती है, उनमें एक चीज नहीं है जो हमारे पास है - वह है प्रेम। उन्हें किसी से कोई प्यार नहीं है।

फिर अपनी खोज के दौरान, मैं इतने सारे लोगों के पास गयी। उन्होंने कहा तुम मेरी शिष्य बन जाओ।

मैंने कहा, “ठीक है। मैं आपका शिष्य बन जाऊंगी ”।

मैं एक सज्जन के पास गयी। उन्होंने कहा, "आपको संन्यास लेना होगा"।

मैंने कहा, "मैं ऐसा नहीं करूंगी"।

उन्होंने कहा, "क्यों?"

मैंने कहा, "क्योंकि मैं एक संन्यासिनी हूं"।

उन्होंने कहा, “यह सच है। लेकिन फिर भी, आपको पोशाक (गेरू वस्त्र) लेना होगा। मैंने कहा, "मैं नहीं करूंगी"।

उन्होंने कहा, "क्यों" ?.

मैंने कहा, "यह मेरे दिल को चोट पहुँचाएगा, यह मेरे परिवार को चोट पहुँचाएगा, यह मेरी माँ, पिता, सभी को चोट पहुँचाएगा। तुम क्यों चाहते हो कि मैं उन्हें अकारण चोट पहुँचाऊँ? "

इसलिए, उसने तुरंत मुझे सहानुभूति के साथ सम्मोहित करना शुरू कर दिया। उसने कहा, "लेकिन क्या आप अपने पति से खुश हैं? क्या वह आप से ठीक व्यवहार कर रहा है? ”।

मैंने कहा, "आप नहीं जानते कि वह मेरे साथ कैसा व्यवहार करते हैं।"

फिर उसने एक और चाल शुरू की, “उसे रोने दो। उसे बिलखने दो। वह क्या करेगा? आखिरकार, वह रोएगा-धोएगा और ठीक हो जाएगा। ”

मैं हैरान थी। कि वह अपने पति के प्रति मेरे प्यार, और उनके प्रति मेरे सम्मान को भी नहीं देख सका। जिस तरह से उसने सुझाव दिया - मैंने उससे कहा, “आप मेरे पति के खिलाफ ऐसी बातें कैसे कहते हैं, जिन्हें मैं पच्चीस साल से जानती हूं। और तुम चाहते हो कि मैं यह बकवास चीज़ अपने सारे परिवार को दुखी करते हुए अपने शरीर पर स्वीकार करूं| तुम्हे मानव जाती से कोई प्रेम नहीं है|

ऐसे भी लोग हैं जो की जा कर अपने माता-पिता को धमकी देते हैं कि.”अगर आप हमें पैसा नहीं देंगे तो हम सन्यास ले लेंगे| हम मर जायेंगे| हम नग्न हो जायेंगे| यह एक अन्य तरीका है अपने पालकों के प्रति अपनी दबंगता दिखने का| हमारे युवा अगर इस तरह सोचते हैं कि, अपने माता-पिता से विद्रोह कर के, उन्हें दुःख दे कर और परेशान करके वे बहुत सुंदर कर रहे हैं-उन्हें पता होना चाहिए यह करने का उचित तरीका नहीं है| जो अपने माता-पिता को प्यार नहीं कर सकते वे दुनिया में किसी को प्यार नहीं कर सकते|

संसार के सभी आशीर्वाद केवल माता-पिता के माध्यम से आते हैं| जिन्होंने अपने माता-पिता का अनादर किया-बेशक, यदि माता-पिता कुछ गलत कह रहे हों तो मैं समझ सकती हूँ| लेकिन आप को हमेशा जानबूझ कर उन्हें दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए| हमारे पास ऐसे बच्चों के इस देश में उदाहरण हैं –मेरे इस महान देश में जहाँ हर कही चैतन्य भरा पड़ा है| हमने श्रवण के बारे में सुना है| विट्ठल का सारा ही मंदिर एक व्यक्ति के समर्पण पर बनाया गया है जो वहां स्थित है|

ये नकारात्मक लोग आप को परमात्मा ने जो कुछ भी सुंदर दिया है उससे विद्रोह करना सिखाते हैं| आप के माता-पिता, पति, पत्नी, के विरोध में आप को बताना यह पहला तरीका है जिससे वे आप पर प्रहार करते हैं, ताकि आप के सारे सुंदर रिश्ते खत्म हो जाएँ|

यह ठीक तरीका नही है| धर्म तो प्रेम पर खड़ा होता है|

और वे यह कैसे करते हैं? शैतानी आत्माओं को आप में डाल कर| ताकि आप पैसा और जो कुछ आप के पास हो वो आप उनके चरणों में समर्पित कर दें| तथा वे जीवन में सुख-सुविधाओं का आनंद उठाएं| यहाँ तक कि वे इतने मुर्ख लोग हैं जो क्यों नहीं समझते कि विलासिता और सामायिक प्रसिद्धि में कोई आनंद नहीं है?

एक अन्य साधुजी थे जिन्होंने मुझसे कहा कि, “आप पिछले जन्म में मेरी पत्नी थीं”|

मैंने कहा, “बढ़िया,मैं आपके बारे में उस तरह नहीं देखती”| जो साधू स्त्रियों से मेलजोल करते हैं उनकी यह बहुत ही सामान्य बात है-आप देखिये महिलायें सामान्य स्त्री होती हैं| यदि कोई व्यक्ति उनके पति के विरोध में कुछ कहता है, हाँ, हाँ, कोई है जो उनसे सहानुभूति करता है| थोड़ीसी सहानुभूति से आप किसी स्त्री को जीत सकते हैं कितनी बुरी बात है| तो वह मुझे कहता है कि, पिछले जन्म में आप मेरी पत्नी थी|

मैंने उसे कहा,”महाशय, पिछला जन्म मृत हो कर जा चूका है| यदि आप मुझे इसलिए कुछ करने को कह रहे हैं चूँकि पिछले जन्म में आप मेरे पति थे तब वर्तमान वाले पति का क्या जिन से मैंने विवाह किया है?आप इस बारे में क्या सोचते हैं?” बेशक, इस बात से वे बहुत नाराज़ हो गए| मैंने कहा,’मेरे लिए पति के अलावा आप को भी मिलकर सभी, मेरे बच्चे हैं|”

तब लोगों तक पहुँच बनाने कि दूसरी विधियाँ हैं|यह है उनकी कमजोरियों का फायदा उठाना| उन्हें इस तरह से सम्मोहित करना कि उनका अवचेतन स्वत: ही उनका वर्चस्व स्वीकार करना शुरू कर दे| सबसे पहले, आप किसी को तेज़ श्वास लेने को कहते हैं| जैसे ही आप तेज़ श्वास लेना शुरू करते हैं, आप अनुकम्पी sympathetic ट्रिगर में पड जाते हैं; यह एक स्वचालित प्रक्रिया है| और तब तत्काल शैतानी सम्मोहन किया जाता है| उस व्यक्ति को एक ऐसा नेकलेस जिस पर शैतान सवार होता है दिया जाता है| अब यह शैतान उस सज्जन के साथ उसके घर जाता है और वहां का सब हाल बताता है |

हमारे ग्रुप में एक महिला थी – खुद हमारे समूह में, जो पहले से ही उपरी समस्या से ग्रस्त थी| वह मेरे पास आई| शुरुआत में, देखिये, मैं यह विषय बिलकूल भी शुरू करना नहीं चाहती थी| उसको धन्यवाद् कि, इस बारे में अब मैं स्वतंत्र हूँ| वह मेरे पास आयी और बोली कि,”माताजी मैं आप का भूतकाल देख पाती हूँ”| पहली बार, मैं जान सकी कि, उसके सर पर शैतान बैठा है| शैतान नहीं तो कोई संत पर, आप मुक्त नहीं हो|

आत्मसाक्षात्कार के बिना यदि आप कुछ देख रहे हो तो यह कोई अच्छी बात नहीं है| सबसे पहला,ऐसे व्यक्ति कि शायद ही जाग्रति होती है-हमारे समूह में केवल दो ऐसे मामले हैं जिन्हें ऐसी भयानक ढंग से जाग्रति हुई, कांपना वगैरह| दोनों पूर्णत: अबोध थे| तो उसने अपने आप में साहस जुटाया| और जब मैं अमेरिका गई उसने सब को कहना शुरू कर दिया –कि में यह हूँ| में इस का अवतार हूँ, मैं उस का अवतार हूँ वगैरह| और क्या क्या वो बता रही थी?तुम्हारा खोया हुआ पुत्र कहाँ है? तुम्हारा खोया हुआ धन?

जिन भी लोगों ने मुझ से आत्मसाक्षात्कार पाया था वे अपने चैतन्य गंवाने लगे| वे नहीं समझ पाए कि हो क्यों रहा है| तब उनमे से एक ने जरा सोचा,”क्या वह आत्मसाक्षात्कारी भी है?” और जब उसने पता लगाने कि कोशिश कि, वो आत्मसाक्षात्कारी नहीं थी वरन वो उन्हें भयानक भूतकाल दे रही थी| तो उस व्यक्ति ने पूरा मामला अपने हाथों में लिया और लोगों से कहा कि, “आपको देखना चाहिए कि, ईश्वर कि रूचि किस बात में है? क्या ईश्वर कि रूचि आप को यह बताने में है कि आप के पिता क्या थे? जब कि पिछले जन्मों में आप के कितने ही पिता हो चुके हैं| या आपने अपना पैसा कहाँ गंवाया अथवा सट्टे में आप पैसा कमाए?” ऐसे लोग घोड़ों का नम्बर बताने में अच्छे होते हैं| भविष्य नहीं, बल्कि वे जाकर घुड़सवार से अपने माध्यम से पता लगाते हैं|

तो इस स्त्री ने ऐसा करना शुरू किया | और जब मैं वापस आई तो जाना कि अधिकतर शिष्यों के सर भारी हैं| मैंने कहा, “आप लोग क्या करते रहे हो”? और जब मैंने उस महिला को देखा, मैंने खुद पता लगाया, अपने आप कि, वो पारलौकिक शरीर को बहुत ख़राब तरीके से संभाल रही थी, उन्हें छड़ी से पीट-पीटकर| ऐसा किसी बोध प्राप्त व्यक्ति के लिए संभव नहीं| यहाँ तक कि सबसे ख़राब जिन्न के लिए भी, वे ऐसा नहीं कर सकते| यह ऐसा है कि कृष्ण भी किसी के शरीर का वध कर सकते हैं, यह अलग बात है, लेकिन वे व्यक्ति कि पिटाई नहीं कर सकते | और इन सभी पारलौकिक शरीरों ने उस से बदला लिया तथा वे सब उसके घर में बस गए| अब उसने लोगों को बता शुरू किया कि कल आप के घर में क्या हुआ था, परसों क्या हुआ था, मैं भूतकाल में क्या थी वगैरह|

ऐसा इस हद तो हो सकता है कि, हमारे दादर के एक कार्यक्रम में, जो कई लोगों ने देखा कम से कम सौ लोग वहाँ रहे होंगे कि, एक नौकरानी जो एक साधारण महाराष्ट्रियन नौकरानी थी, मेरे दर्शन को आई और थर थर कांपने लगी, और जो महिला उसके पास थी वो भी कांपने लगी, तब मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे पूछा, “तुम यहाँ क्यों आई”| उसने अपनी आवाज़ बदल ली और सुंदर मराठी और संस्कृत शब्दों का उपयोग किया| वह बोली,”मैं यहाँ आप के दर्शन के लिए आया”|

चारों तरफ से लोग पूछने लगे,”माताजी कौन है और क्यों तुम उनके दर्शन को आये”? आप को आश्चर्य होगा कि,उसने मेरा और मेरे पिछले जन्मो का वर्णन करते हुए पचास श्लोकों का एक व्याख्यान दिया| मैंने कहा,”तुम इस औरत को छोड़ कर जाओगे या नहीं”? वह बोली, “मैं यहाँ आपकी महिमा गाने और लोगों को आप कौन हैं बताने आई हूँ”| मैंने कहा.”बेहतर है कि तुम इसकी फ़िक्र छोड़ो और बेहतर तुम यहाँ से चले जाओ”| यह सत्य वाकया है जो लोगों ने देखा है| आप भी यह देखेंगे| अगर आप मेरे पास आते हैं ऐसी कई चीज़ें| तो जब मैंने उसे कहा कि, ‘मुझे तुम्हारी मदद कि आवश्यकता नहीं है- तुम वापस अपना जन्म लेकर आओ तथा अपना आत्मसाक्षात्कार पाओ”| उसने यह स्वीकार किया| तब से महिला पूरी तरह ठीक है|

एक बार मेरी बेटी कि आया रात में जा रही थी| तो मैंने उसे कहा कि,”रात को १२ बजे नहीं जाना, आज कल राक्षसों ने बम्बई का वातावरण बहुत ख़राब कर दिया है”| उसने मेरा भरोसा नहीं किया, वह चली गई| अगले दिन मेरी बेटी ने मुझे फोन किया और कहा, माँ, क्या करें, वह बहुत उल्टियाँ कर रही है, बहुत ख़राब महसूस कर रही है,और उसका शरीर बुरी तरह काँप रहा है”| मैं बोली,”तुम उसे समुद्र कि तरफ हाथ करके मेरा नाम लेने को कहो”| पांच मिनट में वह ठीक हो गई| और जब वह वापस आई तो उसने मुझे कहा कि, “दो व्यक्ति मेरे शरीर से बाहर जाते हुए और आप को माला अन्य सभी चीज़ें पहने बैठे हुए मैंने देखा”|

तो कई ऐसे मनोविकार मामले हैं, जिन्हें डॉक्टर ठीक नहीं कर सकते या असाध्य रोग जोकि, परलोक संबंधी आकांक्षाओं के कारण होते हैं| और इस मुम्बादेवी, महालक्ष्मी के महान शहर में जितनी इजाज़त आप इन राक्षसों को अपना काम करते रहने की देंगे, आप के बच्चों को नुकसान पहुँचाने के लिए ये उतने ही स्वतंत्र होंगे|

एक अन्य बाबाजी है जो कि लोगों को सम्मोहन में ले जाते हैं| वे लोगों को दो सप्ताह तक भूखा मारते हैं| अब यदि कोई मांसाहारी हो तो वे उसे सख्ती से शाकाहारी बनने को कहते हैं कि, तुम्हे सिर्फ दही पर ही रहना चाहिए| अब व्यक्ति कमजोर हो जाता है, और वे अवश्य उसे मंत्रमुग्ध कर देते हैं, और एक शैतान उस में रख देते हैं, और वह व्यक्ति कांपने लगता है और कहता है कि मैंने वायब्रेशन पा लिए हैं|

परन्तु नासिक में, उनकी एक शिष्या बहुत साहसी थी और वह मुझसे बोली, “माताजी, इसके बावजूद कि वे कहते हैं कि यह दिव्य है, मुझे उन पर भरोसा नहीं है| चूँकि मैं वसा नहीं खाती, मुझे भयानक सिरदर्द होता है, मेरे अंदर उस आनंद का कोई स्थान नही है जो आप के शिष्य पा रहे हैं”|

एक अन्य प्रकार है जो कि शैतान को डालते हैं इसके माध्यम से-जो मणिपुर चक्र के माध्यम से डालते हैं बेशक, अधिक खतरनाक हैं| चूँकि वे आपको खाने के लिए कोई भभूत देते हैं; भूत अंदर चला जाता है| आप भभूत मुश्किल से ही निगल पाते हैं| ऐसे लोग हाथों में इतनी जलन देते हैं कि उनके हाथों में फफोले विकसित हो जाते हैं| हमारे पतंजलि सेठी जिन्होंने उनपर एक लेख लिखा था स्वयं उनके हाथ जल गए| ऐसे कई लोग हैं जो आप को इस बारे में बता सकते हैं|

इसलिए सम्मोहन, जो बहुत ईमानदारी से इन लोगों ने बांटा है, वो केवल उनकी दौलत बढ़ने में मददगार है| अब ये सज्जन अमेरिका में थे तब मैं भी वहां थी| तो एक दिन मैं एक सार्वजनिक बगीचा देखने गई, जहाँ उनके कई शिष्य पर्चे वगैरह बांट रहे थे| तो, मैंने चंदुभाई को उन में से कुछ इकठ्ठा करने को कहा कि, मैं उन्हें देखना चाहूंगी| तो अब चंदुभाई जो माहिर हैं, बोले “माताजी उन सबके आज्ञा चक्र उलटी दिशा में घुमे हुए हैं”| यदि कोई पागल व्यक्ति हो, यदि आप किसी पागल व्यक्ति को देखें, यदि आप आत्मसाक्षात्कारी हों, आप सीख जायेंगे आज्ञा चक्र कि गति कैसे पहचानना, आप जानेंगे, कि सभी पागलों का आज्ञा चक्र विपरीत दिशा में घुमा रहता है|

कुण्डलिनी को कुछ नहीं हुआ,परन्तु चक्र अनुकम्पी पक्ष में घुमा हुआ है, जिसके माध्यम से कामेच्छा जुडी होती है, और आप एक भुत के प्रभाव में आ जाते हैं| तो मैं एक सज्जन को एक तरफ ले गई| वह बोला, “नहीं, मैं पहले ही उसके द्वारा बर्बाद हो चूका हूँ| उसने मुझे एक चीज़ दी है जो मुझे रोज़ जरूर लेनी पड़ती है”| और वह व्यक्ति पूरी तरह से घबराया हुआ और पसीना-पसीना था|

मुझे भरोसा है कि, बाद में इन सज्जन ने अमेरिका में बहुत धन बटोरा, बेचारे अमेरिकन,में तुम्हे बताती हूँ, कभी कभी मुझे दुःख होता है क्योंकि वे सच्चे लोग हैं| उसने कई लोगों का आखरी पैसा तक भी ले लिया और उन्हें पागल लोगों कि तरह यहाँ ले आया, अब वे लोग उसके कपडे धो रहे हैं, उसके पैर धो रहे हैं, वे हर चीज़ कर रहे हैं|

एक व्यक्ति जो आध्यात्मिक रूप से सचेत हो वह कैसे इतना अधिक चित्त अपने भोजन, अपने कपडे, अपने सामान, अपने जायदाद कि तरफ रख सकता है? पदार्थ के सोंदर्य पक्ष को छोड़ कर अन्य सब कुछ अनुपयोगी है| एक सर दर्द है| बहुत सारी चीज़े होना एक सर दर्द है| परन्तु, जो सम्मोहित लोग हैं उन लोगों को कुछ भी नहीं कहा जा सकता| यदि आप उन्हें कुछ भी कहो वे भाग जायेंगे| वे नहीं सुनेंगे, कुछ नहीं करेंगे, बहरे बने रहेंगे| यह ऐसे स्वभाव का लक्षण है जो हर सकारात्मक चीज़ को अस्वीकार कर देते हैं| “ओह,हम तो खुश हैं, हम आनंद मैं हैं”|-हम खुश हैं, हम मज़े में हैं|

ऐसे कुछ गुरु हैं जो आप को छह सात घंटों के लिए मंत्रमुग्ध करते हैं| यह सब क्या बकवास चल रहा है? क्या सात घंटे केवल मंत्रमुग्ध रहने के बाद क्या यह संभव है कि आप, आप ही बने रहें? आप का सामान्य स्व? नहीं| यदि आप आत्मसाक्षात्कारी हैं, आप हमेशा के लिए आत्मसाक्षात्कारी हो| हर क्षण के लिए आप आत्मसाक्षात्कारी हैं और उस समय, हर समय आप ध्यानस्थ हैं|

ऐसा कोई क्षण नहीं होता है जब जब आप सामूहिक रूप से सचेतन ना हों| मान लो इन में से कोई व्यक्ति रेल में यात्रा कर रहा हो, अचानक वे कोई भारीपन पाते हैं; एक सामने खड़े व्यक्ति कि कुंडलिनी जागृत हो गयी है| बोरडी में हमारी बढ़िया म्यूजिक पार्टी थी| वहां दो तीन लोग आये थे और जब गायकों ने गायन शुरू किया उनकी कुंडलिनी ऊपर उठ गई| बेशक, मैं आत्मसाक्षात्कार के लिए वहां नहीं थी, पर उनकी कुंडलिनी उठी|

और यह सब बहत भारीपन हो गया क्योंकि उन पर कुछ पारलौकिक चीज़ बैठी थी| और वे नहीं जानते कि वे उसी प्रकार दिखाई देने लगे और कांपने लगे| और वे समझ भी नहीं पाए| कभ-कभी यह इतना अजीब हो जाता है| जिस तरह से लोग अभिनय करने लगते हैं| क्योंकि भूतों और शैतान में शर्म का कोई अहसास भी नहीं होता है| वे छोटे बच्चो पर भी मंडराते हैं| वे आप को अपने प्रति इतना गुलाम बना लेते हैं कि आप बहुत ही घटिया व्यवहार करने लगते हैं|

कल्पना करें, एक अच्छे परिवार कि अच्छी लड़की नग्न हो रही है-और उसके फोटो बहुत ऊँचे दामों पर अमेरिका में बेचे जाते हैं| लोग कहते हैं कि, बार में कैबरे देखने के बहुत सारे पैसे देने से मुफ्त में इस तरह कैबरे देखना बेहतर है| क्या यह किसी भी तरह धर्म है आप जरा इस पर विचार करें| आप लोगों के दिमाग को हुआ क्या है?

अब ये राक्षस लोग, यदि मैं वर्णन करती हूँ, तो आप हैरान होंगे कि वे कैसा व्यवहार करते हैं। और इस कलियुग में, वे कैसे आ सकते हैं, रावण या महिषासुर के रूप में वे आ चुके है। रावण एक बहुत शक्तिशाली उपदेशक था और उसका अपना एक बहुत बड़ा पुस्तकालय था। और अपने भाषण से वह लोगों को इतना मंत्रमुग्ध कर देता था कि वे भयानक अवस्था में चले जाते थे। उसके भीतर वह शक्ति थी। और जब सीता ने उसे अपने करीब आने की अनुमति नहीं दी, तो वह ऐसा नहीं कर सका था; सीता कि शुद्धता और पवित्रता और उसकी दिव्य शक्तियों के कारण। । वह उसे धमकी देता था कि अपने अगले जन्म में मैं तुम्हारे देश की प्रत्येक महिला की पवित्रता को नष्ट कर दूँगा।

यह सब; महिषासुर अपने कर्मों के कारण जब मां काली द्वारा मारा गया तो उसने मारे गए अपने सभी लोगों से वादा किया कि मुझे कलयुग में पुनर्जन्म लेने दो और मैं इस काली माई को देखूंगा, फिर मैं उसे रोकूंगा।

यहां तक ​​कि पूतना, जो कृष्ण द्वारा स्तन चूसने के दौरान बहुत मोटी व्यक्ति बन गई थी, वह आपको विभाजित करने, आपको निर्देशित करने और पापों के इस रास्ते पर ले जाने के लिए यहां आई है।

अपने शातिर दिमाग के कारण जल चुकी होलिका, जिसने प्रहलाद को मारने की कोशिश की थी, वह फिर से इस कलियुग में वापस आ गई है जो आपको पता चल जाएगा। जैसा कि मैंने आपको बताया, एक महिला है; यदि आप उसे छूते हैं, तो वह जमीन पर गिर जाती है। तो उन्होंने पूछा, "यह क्या है"। उन्होंने कहा, "वह इतनी पवित्र है कि आप उसे छू नहीं सकते"। यदि गंगा नदी वैसी ही हो जाती है, तो पापियों को भगवान ही बचायें। कि अगर आप किसी को छूते हैं, तो उस व्यक्ति को नीचे गिरना पड़ता है।

एक अन्य दिन मैं किसी ऐसे व्यक्ति से मिली जिसने मुझसे एक विशेष महिला के बारे में मेरी राय पूछी। मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहती थी। मैंने कहा, “सब ठीक है, लेकिन वह सिर्फ भक्ति के बारे में बात कर रही है। यह विभक्त अवस्था में है ”। क्योंकि मैं उस समय सीधे तौर पर कुछ नहीं कहना चाहती थी।

वही सज्जन, जिनके पुत्र को बोध हुआ, वह उस स्त्री देखने गया। जहां उन्होंने पाया कि उनके शिष्यों को कोई जागृति प्राप्त नहीं थी। वे पहचान सकते हैं, यहां तक ​​कि आप पहचान कर सकते हैं। तो उन्होंने कहा कि, "ऐसा कैसे है कि, पच्चीस साल से आप इस महिला के साथ हैं, और आपको जाग्रति प्राप्त नहीं हुई है?" इसलिए उसने उन्हें जाग्रति देने की कोशिश की। चूँकि उनके सिर पर परलौकिक शरीर सूक्ष्म रूप से सवार थे, इसलिए वास्तव में उन्हें बहुत कंपकपी के साथ प्राप्ति हुई| जिन लोगों को कंपकपी के साथ प्राप्ति होती है उसका यही मतलब है|

इसलिए उन्होंने जाकर उससे कहा, “यह क्या है? पच्चीस वर्षों से आपने हमारा जीवन बर्बाद किया है? ”। तो उसने कहा, “ठीक है। उस लड़के को यहाँ बुलाओ ”। और लड़के को बुलाया गया था, और उसने सिर्फ उसकी आँखों में देखा। लड़का बोध प्राप्त तो था किन्तु केवल निर्विचार जागरूकता तक, परे नहीं। आपको परे जाना होगा - संदेह रहित ( निर्विकल्प) जागरूकता में, तभी आप इन सभी सूक्ष्म पारलौकिक परेशानियों को पूरी तरह टाल सकते हैं। लेकिन, निर्विचार जागरूकता के साथ, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हम पर एक सूक्ष्म समस्या है, और हमें इसे दूर करना चाहिए। हम इसे हटा सकते हैं। लेकिन हम इसे देख सकते हैं, और हम इसे हटा सकते हैं।

तो इस लड़के को वह परेशानी हुई और उसने उल्टी करना शुरू कर दिया। आप देखिये, स्वाभाविक रूप से, जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से विकसित होता है, तो वह खुद में कुछ भी नकारात्मक बर्दाश्त नहीं कर सकता। जो कुछ भी उसके अंदर था उसे उल्टी कर बाहर करने लगा। और जब वह घर आया, तो वह जैसे मरने ही वाला था। सौभाग्य से, मैं अमेरिका से आयी थी। तुरंत मुझे पता है कि वह व्यक्ति कौन था जिसने चाल चली है। क्योंकि मैं उन सभी को जानती थी, हर एक-एक को। मैं उनकी सारी चाल जानती हूं। और मैं बिलकुल अकेली हूँ, फिर भी, मैं उन्हें प्यार से बचाने जा रही हूँ।

क्योंकि प्रेम में सारी नकारात्मकता को निगल जाने की शक्ति है जैसे कि प्रकाश में अंधकार को निगल जाने की शक्ति है। लेकिन अंधेरा नुक्कड़ और कोनों में गायब हो सकता है और खुद को छिपा सकता है। और फिर से सतह पर उभर सकता है। इसलिए जहां अंधकार हो उसका पता लगाने के लिए और सुनिश्चित करने के लिए कि वह सब इस कलियुग में नष्ट हो जाए, तुम वहां हो ताकि पूर्ण सतयुग का उदय हो । यह आप, बुद्धिमान और अभिजात और आधुनिक वर्ग पर है, इसे खुद देखें और पता करें कि मैं जो कह रही हूं वह सच है या नहीं।

मैं आपको अपने स्वयं के प्रयोगों और उनके द्वारा किए गए प्रयोगों के द्वारा दर्शा सकती हूं, जो उन्होंने पुस्तक में वर्णित किए हैं, जो कि कृपया आप खरीद लें और देखें कि उसमें क्या लिखा गया है। आप आकर उन लोगों को देखें, जो भयानक काम वे कर रहे हैं। स्वाभाविक रूप से, एक प्रश्न जो बहुत समझदारी से पूछा जा सकता है और मैं इसे स्वीकार करती हूं। "आप भी लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले हो सकती हैं"। हां बिल्कुल। "या आप भी कोई राक्षसी का अवतार हो सकती है"। हाँ, संभव है। अब कैसे समझाया जाए?

जैसा कि मैंने आपको बताया है, कि कामेच्छा अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र sympathetic nervous system में है। और उस परानुकम्पी parasympathetic तंत्रिका तंत्र के साथ, पलक पूरी तरह से शिथिल हो जाती है, पूरा शरीर शांत महसूस करता है और सारा अस्तित्व ही पूर्ण पूर्णता महसूस करता है।परानुकम्पी parasympathetic के साथ, पहली चीज, यह कैंसर में मदद करता है, क्योंकि कैंसर अनुकम्पी sympathetic का परिणाम है। लेकिन आप पर परानुकम्पी parasympathetic कि कार्यशीलता का सबसे बड़ा संकेत यह है कि जब आप अपनी आँखें बंद कर लेते हैं, तो परानुकम्पी parasympathetic किसी दैवीय शक्ति द्वारा उत्तेजित होता है तब पलकें पूरी तरह से शिथिल हो जाती हैं, और आंखों में पुतली पूरी तरह से काली हो जाती है।

मेरे बच्चों की आंखें मेरी जैसी होनी चाहिए। नहीं तो मुझे इतने सारे बच्चों का पता कैसे चलेगा, मेरे पास कितने बच्चे हैं, हजारों। और योग-शास्त्रों के अनुसार, सहस्रार, यह भाग ब्रह्मरंध्र है, फॉन्टानेल हड्डी, यहां पीठ हैं। जिन लोगों को आत्मसाक्षात्कार होता है, वे अपनी हड्डी की जांच यहां कर सकते हैं, और यह पूरा हिस्सा नरम हो सकता है, जैसे [अश्रव्य]। पीठ पर भी आप कोमलता पाएंगे, कभी-कभी यह इतना अधिक हो जाता है, कि इसका वर्णन करना भी मुश्किल होता है। लेकिन वर्णन करने के लिए कुछ भी नहीं है। यह धड़कने लगती है। यह आप सम्मोहन से नहीं कर सकते। यह सिर्फ इस स्तर [अश्राव्य] है; अंदर - मैं आपको नहीं बता रही हूं।

तो, एक और सवाल है जो पूछा गया था। बेशक, उन्होंने सोचा कि यह बहुत बुद्धिमानी थी और मुझे लगता है कि यह एक बड़ा मददगार है, कि, “जब हम आप कि तरफ हाथ रखते हैं, तो हम जलते हैं। लेकिन जब आपके शिष्य हमारे तरफ हाथ रखते हैं, तो वे जलन महसूस करते हैं। अब, कौन सकारात्मक है और कौन नकारात्मक है ”?

यह एक जटिल प्रश्न है। तो इसके लिए, हमें एक ऐसे व्यक्ति का उपयोग करना होगा, जो पागल है। पूर्ण रूप से स्वीकार्य पागल या मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित व्यक्ति। उस व्यक्ति को मेरी तरफ या मेरी तस्वीर कि तरफ हाथ रखने के लिए कहें और कुंडलिनी उठायें, वह इतना हिलना शुरू कर देगा। अब, आप एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति से हाथ रखने और ध्यानस्थ होने को कहें, जबकि एक व्यक्ति जो नकारात्मकता से पीड़ित है, हिलना और जलाना शुरू कर देगा। जो प्रमाणित पागल व्यक्ति है और नकारात्मक व्यक्तित्व है, वह जो हीन भावना से ग्रस्त है और भय और नकारात्मकता के इन सभी लक्षणों से उसका का उपयोग प्रयोग के लिए किया जाना चाहिए, [अश्रव्य]।

एक सज्जन मेरे उनके यहाँ जाने का [अश्राव्य] पूरा फायदा उठाना चाहते थे। उसने मेरी तस्वीर और वह सब का उपयोग किया और उसने ; बहुत खुलकर ;यह भी कहा कि वह मेरी शिष्या थी। बेशक, मैंने स्वीकार किया कि, “तुम मेरे गुरु हो सकते हो अगर तुम मुझे कुछ संवेदनशील दे सको। और फिर मुझे कुछ सन्देश मिला, उन्होंने कहा कि तुम मुझे यह कहने दो कि मैं तुम्हारा गुरु हूं। मैंने कहा कि अगर तुम चाहो तो मैं उन्हें बता दूंगी, लेकिन मुझे नहीं लगता कि तुमने कुछ अनोखा किया है। अब भी वह इसके लिए [अश्रव्य / भुगत रहा है। वह लोगों को बता रहा है कि वह मेरा काम कर रहा है; यदि ऐसा है, तो स्वीकार किया। यदि ऐसा है, तो वे लोग जब मेरे पास आते हैं तो ऐसा कैसे होता है कि उनके शिष्य, जब वे मेरे पास आते हैं, तो उन्हें जागृति देना भी असंभव है?

इन गुरुओं में से कोई भी, अगर वे ईश्वरीय कार्य कर रहे हैं, तो यह ऐसा कैसे है कि, सहज योग में, वे पूर्ण विफल हैं? जबकि मासूम बच्चे इसे पाने वाले पहले हैं। अगर किसी को जागृति मिली है, तो जागृति आपको तत्क्षण आती है| इन लोगों का काम भूतों द्वारा किया जाता है। ऐसे गुरु कुंडलिनी को इस हद तक खराब करते हैं; देखिए मुझे तीन साल तक ऐसे गुरु से आये लोग मिले हैं, बेचारे, मुझे खेद है कि उनकी उत्थान कि क्षमता खो गयी है (अश्रव्य)। यह मेरे पूर्ण अस्तित्व को तोड़ देता है और मुझे कभी-कभी मुझे तोड़ देता है जिस तरह से मैं देखती हूं कि मेरे बच्चे खराब कर दिए गए हैं। उनकी कुंडलिनी इन ठगों द्वारा आहत कर दी गई है।

अगर वे पैसा कमाना चाहते हैं, तो उन्हें कमाने दें। [अश्रव्य वाक्य]। यहां तक ​​कि अगर वे धर्म के नाम का उपयोग करना चाहते हैं, तो उन्हें करने दें - आखिरकार, उनके द्वारा धर्म का नाम खराब होने वाला नहीं है। कोई बात नहीं | लेकिन कुंडलिनी के साथ क्यों खेलते हैं? और इन लोगों का स्थायी रूप से नुकसान कर देते हैं। और उनके अगले जीवन और अगले जीवन और अगले जीवन के लिए उनमें से शैतान बनाते हैं। सिर्फ अपने प्रचार के लिए, आप इसे करना चाहते हैं। क्योंकि प्रेम नहीं है। क्योंकि आप अपने क्षणिक फायदे कि बात सोचते हैं जो पैसा और जनता है।

आपको मेरे बच्चों से कोई प्यार नहीं है, जो युगों से प्रेम की मांग कर रहे हैं और इस मोड़ पर जब वे मुझे ढूंढने आए थे, उन्होंने यह जहर पी लिया है। यह जहर काम करता है, लेकिन फिर भी, जैसा कि मैंने आपको बताया था, कि प्यार समुद्र के तल की तरह है और समुद्र तल से भी बड़ा बनने कि समुद्र कि सारी कोशिश भी सफल नहीं हो सकती है।

इसलिए मैं कहती हूं कि अब इन लोगों को मारने का कोई फायदा नहीं है। ख़त्म। वे वापस आ जाते हैं। उन्हें रूपांतरित करना और प्रेम का कुछ जीवन देना बेहतर है। वे प्रेम की बात करते हैं, वे धर्म की बात करते हैं, वे उन सभी महान सत्य की बात करते हैं जो लिखे गए हैं। हर धर्म में आप ऐसे लोगों को पैसे के लिए घूमते हुए पाएंगे, और इससे कुछ कमा सकते हैं।

आपके पास दूसरा मस्तिष्क होना चाहिए जो वास्तविक स्व होना चाहता है। मैं चाहती हूं कि आप मुझ पर बिल्कुल विश्वास न करें; वह अंधविश्वास और अपने सुन्दर अस्तित्व का आत्मसमर्पण मुझ पर नहीं करें, क्योंकि आप के आत्मसाक्षात्कार पाने के पहले मैं आपके लिए और कुछ नहीं बस एक साधारण व्यक्ति ही हूँ। मैं तुम्हारे बोध प्राप्त होने से पहले तुम्हारे जैसी ही हूं। जब आप मेरे पास आते हैं, तो ज्यादा से ज्यादा यह मंदिर जाने जैसा ही होता है, जहाँ आप सामने हाथ रखते हैं और कोई वायब्रेशन नहीं पाते हैं।

लेकिन एक बार जब आपको आत्मसाक्षात्कार हो जाता है, तो न केवल मैं, बल्कि सभी मंदिरों का एक अर्थ होता है। सभी धर्मों का एक अर्थ है। इन सभी पुस्तकों का एक अर्थ है। इसीलिए, सबसे पहले, बोध प्राप्त करें। बोध के साथ, आप न केवल एक रचनात्मक शक्ति विकसित करते हैं क्योंकि यह प्रेम है, बल्कि जागृति शक्ति है और आत्मसाक्षात्कार देने की शक्ति जो आप को प्राप्त करना है। चूँकि शायद मैं शहर में हूं, इसलिए मेरे शिष्य आत्मसाक्षात्कार देने में सक्षम नहीं हो पाए। लेकिन जिस दिन मैं बॉम्बे से चली जाती हूं मुझे यकीन है कि वे सभी ऊंचे और अधिक ऊंचे उठने वाले हैं।

और एक माँ के लिए, सबसे बड़ा गौरव है, जिस दिन वह अपने बच्चों को अपनी शान में बढ़ती हुई देखती है।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

Cowasji Jehangir Hall, Mumbai (India)

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