
Public Program 1996-12-10
Langue actuelle: Hindi. Discours disponibles en : Hindi
Le discours est également disponible en : Anglais
10 दिसम्बर 1996
Public Program
Lucknow (भारत)
Talk Language: Hindi | Transcript (Hindi) - Reviewed
जो लोग आप से कहते हैं कि आप पापी हैं, आप गुनेहगार हैं बिल्कुल गड़बड़ हैं ये |
अब.... |
अब आप राइट हैंड मेरे और करे, सर झुकना होगा जरूर| सर झुका के अब राइट हैंड मेरी और ,लेकिन आप सतर्क ह पुरी तरह, बेहोस नही| अब दोनों हाथ आकाश की और करे| और एक सवाल इन तीनो में से इन तीन सवालो में एक सवाल आप; मुझे आप माँ कहिये चाहे श्री माताजी कहिये आप; मन में मन में पूछिए आप |
मां ये क्या परम चैतन्य है; तीन बार या सवाल पुछिये | दूसरा सवाल आप पूछ सकते हैं इस बार; माँ क्या ये परमात्मा की प्रेम शक्ति है| और तीसरा सवाल आप पूछ सकते हैं; क्या माँ ये रूह है? क्या यह वह रूह है जो रूहानी (आध्यात्मिक) होने की बात करती है? ये रूह है? सवाल पुछेये आप |
अब हाथ नीचे करिये| आप लोगों से मुझे ठंडी हवा आ रही है; कमाल के लोग हैं जिन लोगों के हाथ में, हथेलि में , उनगलियों में या तालु से ठंडी या गरम हवा आएगी ठंडी या गरम दोनों में से; ये जान लीजिए आपका संबंध आपका कनेक्शन; इन चारो तरफ फेलि हुई शक्ति से हो गया है| जैसा इसका (माइक) कनेक्शन अगर मैन से नहीं तो ये किसी काम का नहीं ; वैसे हम थे ,लेकिन अब कनेक्शन हो गया है| और यह पुरी समय बहेगा|
ऐसे लोग जिन्होन महसुस किया है; अनुभव किया है कृपा दोनों हाथ ऊपर कीजिए! वाह वाह ! इस लखनऊ को,लोगों को हमारा नमस्कार| अब तो हो गए आप साधु हो गए संत| अब पीछे नहीं हटना|
थोड़ी हिम्मत की जरुरत है थोड़ी समय देने की जरुरत है; सबसे अहम बात हो गई, कमाल है |
साधक- श्री माताजी की जय.........
ये कह रही थी यदि गाना बजाएंगे अगर उसपर आप ताली बजाएंगे तो वाइब्रेशन खुल जाएंगे |