Interivew 1999-04-26
26 अप्रैल 1999
साक्षात्कार अटाकोय मरीना होटल इस्तांबुल तुर्की डीपी-रॉ
Interview
Istanbul, Ataköy Marina Hotel (Turkey)
Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Draft
देवियो और सज्जनो, शुभ संध्या। दुनिया भर के सत्तर देश सहज योग के बारे में जानते हैं और उनमें सहज योग केंद्र हैं। आज हमें सहज योग की संस्थापक श्री माताजी निर्मला देवी से बात करने का अवसर मिला है। हमें यह साक्षात्कार देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। अति सुंदर। हमें यह साक्षात्कार देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।प्रश्न : पहला प्रश्न यह है कि सहज योग क्या है? सहज योग क्या है? श्री माताजी: सहज योग को आप सर्वव्यापी दिव्य शक्ति के साथ स्वतः मिलन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। प्रश्न : आपके अनुसार यह सहज योग किस प्रकार के लोगों को संबोधित करता है? आप कह सकते हैं कि सहज योग के श्रोतागण कौन हैं? श्री माताजी: वे सभी जो सत्य की खोज कर रहे हैं।प्रश्न: सहज योग किस प्रकार मनुष्य की सहायता कर सकता है और किस स्तर पर... श्री माताजी: मेरा मतलब है, यह हमारे विकास की आखिरी सफलता है जो हमारे भीतर त्रिकोणीय हड्डी पर स्थित एक शक्ति के कारण घटित होती है। दरअसल, आश्चर्य की बात यह है कि यूनानियों को इसके बारे में पता था। यूनानियों ने इसे सैक्रम कहा, जिसका अर्थ है पवित्र हड्डी। तो, वे इसके बारे में जानते थे, इससे यह पता चलता है। मुझे नहीं पता, ग्रीस में अब सब कुछ ख़त्म हो गया है। तो, हम नहीं कह सकते, लेकिन वे इस हड्डी को सैक्रम कहते हैं। और उस त्रिकोणीय हड्डी में एक शक्ति निवास करती है जिसे हम कुंडलिनी कहते हैं, क्योंकि यह कुंडलियों में है, साढ़े तीन कुंडल में है। और यह शक्ति जागृत होकर हमारे शरीर के छह केंद्रों से होकर गुजरती है। हमारे शरीर में ये छह केंद्र पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र से बने होते हैं और यह शक्ति इसे जागृत करती है, एकीकृत करती है और जागरूकता की विशेष ऊर्जा प्रदान करती है।प्रश्न: तो, हम कह सकते हैं कि सहज योग... यहाँ सहज योग और प्राचीन ग्रीस के बीच एक संबंध है।श्री माताजी : अवश्य। प्रश्न : हम जान सकते हैं कि सहज योग दुनिया में कब शुरू हुआ? श्री माताजी: मेरे जीवन में? प्रश्न: जी। श्री माताजी : इसकी शुरुआत 1970 में हुई।प्रश्न: किस कारण से आपने सहज योग शुरू किया? आपने सहज योग की रचना क्यों की? श्री माताजी : मैं ऐसा नहीं कहूंगी। क्योंकि हमारे देश में लोग जानते थे, कई देशों में जानते थे, आपके देश में भी जानते थे कि यह शक्ति है और इसे जागृत करना है। और आम तौर पर यह कार्य एक व्यक्ति से एक व्यक्ति के बीच हुआ करता थे। इसी तरह हमारे यहां तुर्की में और अन्य स्थानों पर सूफी हैं। लेकिन वास्तव में मैंने जो किया वह एक ऐसा रास्ता और तरीके की खोज थी जिसके द्वारा हम सामूहिक रूप से आत्म साक्षात्कार दे सकें। यह मेरी खोज है। प्रश्न: सहज योग और अन्य प्रकार के योग के बीच क्या अंतर है? श्री माताजी: मेरा मतलब है, वे बहुत सारे योगों के बारे में बात करते हैं, मुझे नहीं पता। लेकिन यह बहुत सतही है और यह सिर्फ मानसिक है। उनमें से अधिकतर ऐसे ही हैं। यहाँ तक कि जिस राजयोग की वे बात करते हैं वह भी वही है। वह आपके भीतर घटित होता है। जब कुंडलिनी ऊपर उठने लगती है, तो ये सब बातें जो वे कहते हैं, आपके भीतर घटित होती हैं। आप इसे बाहर से नहीं कर सकते.प्रश्न: तो, जब कोई सहज योग का अभ्यास करता है तो उसमें यह बदलाव लाता है।श्री माताजी: क्योंकि ये छह केंद्र जिनके बारे में मैंने आपको बताया था, वे हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक अस्तित्व के लिए जिम्मेदार हैं। और एक बार जब वे जागृत हो जाते हैं तो निश्चित रूप से हमारे भीतर एक बदलाव आता है। हम एक परिवर्तित व्यक्तित्व बन जाते हैं।प्रश्न: जी। ग्रीस में, आधिकारिक धर्म ग्रीक रूढ़िवादी ईसाई धर्म है। और अधिकांश लोग ईसा मसीह के संदेश पर विश्वास करते हैं। सहज योग और ईसा मसीह के बीच क्या संबंध है? सहज योग और ईसा मसीह के संबंध के बारे में आप कह सकते हैं। श्री माताजी: हाँ, यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह हमारे एक केंद्र पर रहते हैं, जो ऑप्टिक चियास्मा के बीच है। और यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने ही स्वयं को सूली पर चढ़ाकर उस चक्र को खोला था। वह हमारे भीतर पांचवां चक्र है, और यह बहुत अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करता है। मेरा मतलब है, मुझे छठा कहना चाहिए, क्योंकि हम सबसे निचले चक्र पर विचार नहीं कर रहे हैं। लेकिन जब यह खुलता है, तो आप क्या देखते हैं, कि यह कुंडलिनी, यह शक्ति, छेद कर सकती है और लिम्बिक क्षेत्र में जा सकती है। लिम्बिक क्षेत्र से, फिर यह फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र को छेदती है, जो आपको बपतिस्मा का वास्तव में एहसास कराती है। यह सिर्फ बातें या इस तरह की चीज नहीं है, यह हकीकत है।प्रश्न: क्या कुण्डलिनी का यथार्थी-करण होना कठिन है? श्री माताजी: नहीं, यह क्षण में होता है। यदि कुंडलिनी जागृत है, और यह आपको आपके फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र के माध्यम से सर्वव्यापी शक्ति से जोड़ती है। प्रश्न: आप कैसे कह सकते हैं कि सहज योग का धर्म के साथ संबंध है? श्री माताजी: मेरा मतलब है, एक तरह से सभी धर्म एक समान हैं। आप देखिए, हमने अपनी अज्ञानता से उन्हें अलग बना दिया है, हम लड़ाई और वह सब कर रहे हैं । धर्म एक ऐसी चीज़ है जो धार्मिकता की हमारी जन्मजात समझ है, आप ऐसा कह सकते हैं। प्रश्न: मैं एक प्रश्न के साथ समाप्त करना चाहूँगी। यूनानी लोगों के लिए आपका क्या संदेश है?श्री माताजी: यूनानी, क्या मुझे इसे धारण करना चाहिए? आवश्यक नहीं। यूनानी बहुत प्राचीन संस्कृति वाले हैं और वे भारतीय संस्कृति से बहुत मेल खाते हैं। लेकिन वे अब अपनी संस्कृति भूल गए हैं और बहुत अधिक पश्चिमीकृत हो गए हैं, आप देखिए, यही समस्या है। अब भारत में भी यह हो रहा है। अन्यथा, उनकी आदिम मां एथीना थी, उनके पास वे सभी चीजें थीं जो हमारे देश में थीं। इसलिए, यदि वे अपनी पुरानी संस्कृति और अपने पुराने धर्म को अपना सकते हैं, तो वे सहज योग के बहुत करीब होंगे । उन्होंने अपनी परंपरा खो दी है। यदि वे अपनी परंपराओं और अपनी मूल संस्कृति को फिर से पा सकें, जैसा कि एथीना के मामले में था, तो हम कह सकते हैं कि वे सहज योग के बहुत करीब हैं। प्रश्न: जहाँ तक मुझे एहसास हुआ, सहज योग बहुत सरल है और यह न केवल मनुष्य के लिए बल्कि समाज के लिए भी बहुत उपयोगी है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। हमें आशा है कि हम आपसे जल्द ही ग्रीस में मिलेंगे।श्री माताजी: बहुत बहुत धन्यवाद। भगवान आपको आशीर्वदित करे। सहज योग 70 देशों में संचालित होता है, उनमें से एक ग्रीस है, जहां एथेंस और वोलोस दोनों में इसके केंद्र हैं, ।