अद्वितीय खोज - टीवी (तिथि अज्ञात, स्थान अज्ञात)

अद्वितीय खोज - टीवी (तिथि अज्ञात, स्थान अज्ञात) 1970-01-01

Talk duration
10'
Category
Public Program
Spoken Language
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1 जनवरी 1970

Public Program

Talk Language: English

अद्वितीय खोज - टीवी (तिथि अज्ञात, स्थान अज्ञात)

श्री माताजी : सच्चाई यह है कि हम यह शरीर, यह बुद्धि, भावनाएं, यह अहंकार, कंडीशनिंग (प्रतिबंधित/ संस्कार ) नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। और दूसरा सत्य यह है कि एक सूक्ष्म, सर्वव्यापी दिव्य शक्ति है जो सभी जीवंत कार्य कर रही है।

उद्घोषक: 1970 में श्री माताजी निर्मला देवी ने सहज योग की स्थापना की, जो ध्यान के लिए एक ऊर्जस्वी तकनीक है जो हमें हमारी सीमाओं से परे ले जाती है। हमारे भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा के जागरण के माध्यम से, हम अपने जीवन के सभी पहलुओं, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक के एकीकरण का अनुभव कर सकते हैं । 40 से भी अधिक देशों के हजारों लोगों ने इस ज्ञानोदय का अनुभव किया है। दुनिया में सच्ची शांति केवल मनुष्य के आंतरिक परिवर्तन के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकेगी। सहज योग, अनूठी खोज है।

श्री माताजी : मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। सत्य एक ऐसी चीज है, जिसे बदला नहीं जा सकता। इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। कोई भी अपने केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर इसकी सच्चाई महसूस कर सकता है। सच क्या है? सच्चाई यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, आप यह मन नहीं हैं, आप यह बुद्धि नहीं हैं, आप ये संस्कार या अहंकार नहीं हैं, लेकिन आप शुद्ध आत्मा हैं। यह ही सत्य है। दूसरा यह है कि यह पूरा ब्रह्मांड एक बहुत ही सूक्ष्म ऊर्जा से आव्रत है, जिसे परमात्मा के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति कहा जाता है। या संस्कृत भाषा में इसे परमचैतन्य कहते हैं।

ये दो चीजें हैं जिन्हें हमें पाना है, और यही एक बार जब हम जान जानते हैं कि यह क्या है, तो इस सच्चाई को आप अपने केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर महसूस कर सकते हैं। ऐसा होने के लिए, हमारे भीतर पहले से ही हमारे अस्तित्व के भीतर एक तत्व व्यवस्था है, एक शक्ति है जो कुंडलिनी की अवशिष्ट शक्ति है। इसे कुंडलिनी कहा जाता है क्योंकि यह साढ़े तीन कुंडलियों में कुंडलित होती है। यह त्रिकोणीय हड्डी में स्तिथ है जिसे त्रिकास्थि कहा जाता है। इससे पता चलता है कि यूनानियों को पता था कि यह एक पवित्र अस्थि है। अब, यह वह ऊर्जा है जिसे जागृत करना है, और जब यह जागृत होती है, तो यह 6 बहुत सूक्ष्म ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से ऊपर उठती है और फॉन्टानेल अस्थि क्षेत्र क भेदन करती है। और फिर आपको ऐसा लगता है जैसे आपके फॉन्टानेल अस्थि क्षेत्र से ठंडी-ठंडी हवा निकल रही है। लेकिन यह स्रोत के साथ एक कनेक्शन (संपर्क) की तरह है, जैसा कि हमारे पास के हर उपकरण मैं होता है। ऐसा होने के साथ, आप एक तरह से आत्म-साक्षात्कारी व्यक्ति बन जाते हैं जिससे आप अपने केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में अपनी जागरूकता में एक नया आयाम विकसित करते हैं।

जिससे आप अपने स्वयं के इन चक्रों के केंद्रों को महसूस कर सकते हैं और दूसरे के भी। तो आपको स्वयं को जान पाते हैं, आपको दूसरों के बारे में भी ज्ञान मिलता है, उनकी समस्याएं क्या हैं। इस प्रकार, आप सामूहिक रूप से जागरूक हो जाते हैं, जैसा कि जंग ने कहा है कि मानव जागरूकता का अगला चरण सामूहिक रूप से जागरूक होने जा रहा है।

तो आप सामूहिक रूप से जागरूक हो जाते हैं, यह होने का सवाल है, यह सिर्फ एक प्रमाण पत्र नहीं है, यह अभ्यास नहीं है। सहज, 'सह' का अर्थ है साथ, और 'ज' आपके साथ पैदा हुआ। इसके अलावा, सहज का अर्थ है सहज। योग का अर्थ है इस सर्वव्यापी ईश्वरीय शक्ति के साथ मिलन। उस उत्थान को प्राप्त करने के लिए सहज योग हर इंसान का अधिकार है। विकासवादी प्रक्रिया में, हम उस चरण में आ गए हैं जहां हम मनुष्य हैं। लेकिन हमारे पास जो ज्ञान है वह निरपेक्ष नहीं है, पूर्ण ज्ञान प्राप्ती के लिए, हमें विचार से परे [एक] नए आध्यात्मिकता में ऊंचा उठना होगा। और यह एक नया आयाम है जिसे आप सहज योग के बाद प्राप्त करते हैं, जिसके द्वारा आप सत्य, पूर्ण सत्य को महसूस करते हैं, और हर कोई एक समान महसूस करता है। कुंडलिनी के जागरण के साथ, बहुत सी चीजें भी होती हैं, क्योंकि यह आपके सभी चक्रों (केंद्रों) का पोषण करती है। चक्रों के पोषण से तुम पाते हो कि अचानक तुम्हारी सेहत सुधर जाती है। निश्चित रूप से सहज योग ने कैंसर जैसे कई मनोदैहिक रोगों को ठीक किया है, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन यह केवल तभी होता है जब कुंडलिनी ऊपर उठती है और आपके फॉन्टानेल अस्थि क्षेत्र का भेदन करती है।

फिर केवल यही होता है, और यह इस तरह से काम करता है जो निश्चित रूप से आपको दिखाता है कि कुछ नया हुआ है। लेकिन इसके अलावा आपको अपनी मानसिक शांति मिलती है। कई मानसिक रोगी ठीक हो चुके हैं। इसके अलावा, आप अपनी बुद्धि को अचानक तेज पाते हैं क्योंकि आप जिस मस्तिष्क का उपयोग कर रहे हैं वह थोड़ा सा हिस्सा है लेकिन, आत्मा के प्रकाश आपके मस्तिष्क में आते ही आप चीजों को बहुत गहराई से देखना शुरू कर देते हैं और उन्हें बहुत बेहतर समझने लगते हैं। यह इतनी उल्लेखनीय बात है, कि यह हम सभी के लिए विकासवादी प्रक्रिया में सफलता की अंतिम छलांग के रूप में होना है। चूंकि यह सहज योग कोई नई चीज नहीं है, यह सदा से रहा है, लेकिन यह केवल एक गुरु से एक शिष्य तक प्रेषित हुआ था। केवल बारहवीं शताब्दी में, किसी ने इसके बारे में जन साधारण के लिए बहुत स्पष्ट रूप से लिखा था, और अब यह व्यावहारिक होता जा रहा है और दुनिया भर में हजारों लोग साक्षात्कारी हो रहे हैं।

परमात्मा आप सबको आशिर्वादित करें।