बाएं तरफ की समस्याओं का मूल 

बाएं तरफ की समस्याओं का मूल  1981-10-18

Talk duration
118'
Category
Public Program
Spoken Language
English

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

The post is also available in: English, German.

18 अक्टूबर 1981

Public Program

Heartwood Community Center, Santa Cruz (United States)

Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Draft

बाएं तरफ की समस्याओं का मूल

1981-1018 सांता क्रूज़, (यूएसए)

कल रात आप सभी से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई और मैं सोच रही थी कि मैं आप तक इतनी सहजता से कैसे पहुँच सकी हूँ। आपसे मिलन के क्षणों को संजोना बहुत अच्छी बात थी। मैं कल तुम्हारी समस्याओं के लिए तुम्हारे अस्तित्व में गयी। ग्रेगोइरे ने कहा कि आप सभी को ज्यादातर बाईं ओर की समस्या है, ना कि दाईं तरफ की। इसका मतलब है कि अहंकार इतना नहीं है जितना कि आपकी बाईं ओर की समस्या है और बाईं ओर की समस्या आपके तक कुछ गलतियों के कारण आती है जो आपने अपनी खोज के दौरान की हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, इसे हल किया जा सकता है।

बाएं तरफ की समस्या का मूल इसलिए आता है क्योंकि मुझे लगता है कि आपको अपने माता-पिता का प्यार बचपन में भी नहीं मिला। सबसे बड़ी समस्याओं में से एक माँ की समस्या है, कि जब आप बच्चे थे, तो आपने उस सुरक्षा को महसूस नहीं किया था। यह एक माँ का पक्ष है। बाईं बाजु माता का पक्ष है। एक और बात यह हो सकती है कि जब आप समाज में गए तो उन्होंने जीवन के बारे में अपने स्वयं के मानदंडों और विचारों से आप में भेद पैदा करने की कोशिश की। सफलता के बारे में उन का विचार एक साधक के विचार से बहुत अलग है। क्योंकि एक साधक को केवल तभी सफलता मिल सकती है जब उसने सत्य को जान लिया हो। यही वह खोज रहा है। और अगर एक साधक बच्चे का जन्म एक ऐसे परिवार में होता है जो नहीं जानता कि खोज क्या है - वे सिर्फ पैसे या ऐसा ही कुछ तलाश रहे हैं और जो कि एक साधक के लिए बहुत सतही और बेतुका है - उनमें अवचेतन मन में धीरे-धीरे अंतर बढ़ता है और वह सोचने लगता है कि क्या हम पागल हैं या हमारे साथ कुछ गड़बड़ है या हम कुछ अजीब लोग हैं? हमारे साथ क्या हो रहा है? यह कैसे है कि हम बाकी लोगों से इतने अलग हैं जो पागलों की तरह दूसरे काम कर रहे हैं और इतने अधिक लिप्त हैं और हमें उसमें मजा नहीं आता?

तो बायाँ पक्ष उस झिझक (आत्म संशय )को अपने भीतर जमा करना शुरू कर देता है। तब आपको कुछ ऐसे मित्र ढूंढते हैं जो आपके जैसे हैं या एक ही भाषा बोलने वाले लोगों को ढूंढते हैं, कि वे साधक हैं और उन्हें कुछ खोजना है। लेकिन दूसरा अंतर तब शुरू होता है जब आप समूह बन जाते हैं। यह पूरी बात उन लोगों को पता चल जाती है जो बाजार में बेच रहे हैं, जो सिर्फ अपने पैसे को नए रास्तों पर चलाने की कोशिश कर रहे हैं जहां वे कुछ पैसे कमा सकते हैं। तो इन लोगों को जब ऐसे समूह के बारे में पता चलता है, जो अभी भी अनिश्चित है, यह नहीं जानता कि कहाँ जाना है, क्या करना है। यह एक बहुत ही कमजोर समाज है क्योंकि कुछ भी स्थापित नहीं है। अगर उन्हें पता चलता है कि ये लोग अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, दूसरे लोग जो पैसे और उन सभी चीजों की तलाश कर रहे हैं, तो वे यह बात समझते भी हैं लेकिन वे यह भी नहीं समझ पाते कि उन्हें क्या करना चाहिए।

इसलिए, यह उनके जीवन का एक बहुत ही जोखिम भरा प्रकार है। और उस जोखिम में पहली चोट तब आती है जब वे अपने माता-पिता को छोड़ देते हैं। उनके प्रति माता-पिता के रवैये के कारण उन्हें खामियाज़ा भुगतना पड़ता है। और अमेरिका में माता-पिता, मुझे आश्चर्य हुआ, वास्तव में अपने बच्चों के प्रति बिल्कुल भी दयालु नहीं हैं। उनके पास केवल अधिकार हैं, उनका कोई कर्तव्य नहीं है, मुझे एस लगता है। मेरा मतलब है कि यह भारत में बिल्कुल उल्टा है। यहां उनका अपने बच्चों के लिए कोई कर्तव्य नहीं है। वे अमीर लोग हैं, वे आपकी जरूरतों का ख्याल नहीं रखते, कुछ भी नहीं।

दूसरे दिन किसी ने मुझे एक कहानी सुनाई कि अगर बेटा पार्टी कर रहा है या कुछ और और वह अपने दोस्तों के साथ आनंद ले रहा है, तो अगर वह थोड़ा जोर से संगीत बजाता है, तो दूसरे घर में मां पुलिस को बुलाती है और उनसे इस शख्स को गिरफ्तार करने के लिए मांग करती है। मैं भारत में इस व्यवहार की कल्पना भी नहीं कर सकती। इसके विपरीत अगर माँ को पता है कि लड़कों की पार्टी होने वाली है तो वह उनके लिए कुछ अच्छा तैयार करने और उन्हें खुश करने के लिए पूरी तरह से लग जाएगी और वह वहां से गायब हो जाएगी ताकि उसके आयु वर्ग के लोग आनंद ले सके। यह भारत में एक बहुत ही सामान्य प्रथा है।

मुझे लगता है, युद्ध के कारण ऐसी बहुत सी चीजें अंदर रेंग कर आ चुकी हैं। युद्ध के कारण आपके माता-पिता परेशान हो गए और वे परेशान हो गए। आइए इसके बारे में उनकी कुछ प्रशंसा भी करें। तो वे सभी बहुत टूटे हुए और परेशान थे और उनकी नसें चटक गई थीं। आइए इसे ऐसे ही मान लें। तब तथाकथित, भौतिक उन्नति, आपके औद्योगिक विकास के माध्यम से आई। ठीक है।

इससे उन पर भी ऐसा दबाव बन जाता है। मेरा मतलब है कि अगर किसी के पास टीवी है, तो आपके पास टीवी होना चाहिए। यदि आपके पास टीवी नहीं है, तो आप एक गए गुज़रे व्यक्ति हैं। अगर उसके पास कुछ प्लास्टिक है, तो आपके पास कुछ प्लास्टिक होना चाहिए। उनके पास कुछ नाइलॉन हैं; आपके पास कुछ नाइलॉन होना चाहिए। देखिए, हर समय इन चीजों को जमा करने की होड़ थी। और वे इन फालतू चीज़ों को अधिक से अधिक बनाने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि वे मशीने भूखी चीजें हैं, आप जानते हैं। इसलिए, वे सारी धरती माता का उपभोग कर रहे थे और इसे इन सभी निरर्थक चीजों में परिवर्तित कर रहे थे, जिनके अब पहाड़ बन गए है। और यह आपके लिए एक बड़ी समस्या है कि इनका निपटारा कैसे किया जाए। और घरों के लोग इस तरह के एक निरर्थक खोज में दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश कर रहे थे। आप देखिए, आपके लिए यह पूरी बात एक अराजकता थी।

क्योंकि आप अपने भीतर एक भिन्न, अलग जागरूकता के साथ पैदा हुए हैं। चूँकि आप इस तथ्य के प्रति जागृत हैं कि भौतिक चीजें आपको आनंद नहीं देने वाली हैं। और यही बात अपने बड़ों को समझाना आपके लिए मुश्किल था। और बुजुर्ग भी फ्रायड के अजीब से विचारों में पड़ गए, मुझे कहना चाहिए। और सभी लोग ऐसी बेतुकी बातों के बारे में किताबें लिखने लगे - अपने बच्चों के साथ कैसे पेश आयें और उनके प्रति कैसा बर्ताव करें। यह कुछ बेतुका है! जब मैं सुनती हूं तो मुझे विश्वास नहीं होता कि क्यो कि यह चौंकाने वाला है।

मेरा मतलब स्विट्ज़रलैंड में एक लड़की थी, उसने मुझसे कहा कि, " केवल डेढ़ महीने का मेरा बच्चा उसके बेडरूम में मर गया"। मैंने कहा, "उसके बेडरूम में? मैं नहीं समझ पायी। वो कैसे?"

उसने कहा, "हम अपने बच्चों को अपने साथ नहीं सुलाते।" मेरा मतलब है कि मैं यह बात नहीं समझ सकती। बस मैं नहीं समझ सकती, आप उन्हें कैसे छोड़ सकते हैं? अगर आपके बच्चे आपके साथ नहीं हैं तो आप सो नहीं पाते। तुम बस सो नहीं सकते। तुम बहुत चिंतित होते हो। और यह कुछ ऐसा है, जो आपने बचपन से देखा होता हैं। अगर आपको दूसरे कमरे में छोड़ दिया जाता है, तो आपको लगता है, मेरा मतलब है कि आप अवश्य डरे होना चाहिए। वैसे भी, मुझे नहीं पता कि आपके साथ क्या हो रहा होगा। मेरा मतलब है कि जब मैं आपको साक्षात्कार देती हूं, तो मुझे आपकी भी चिंता होती है कि, "अब इन बच्चों का क्या होगा जिन्हें साक्षात्कार मिला है?" मुझे आपकी देखभाल करने के लिए, इसे मजबूत करने के लिए, इसे प्रबंधित करने के लिए, आपको विकसित करने के लिए यहां किसी को छोड़ना होगा। नहीं तो आप भयभीत हो सकते हैं। यह वास्तव में है, ऐसा है। इससे व्यक्ति बहुत ज्यादा परेशान महसूस करता है और किसे दोष दें? आप देखिए, आप किसी को दोष नहीं दे सकते। पूरी बात, हम कह सकते हैं, ऐसी थी। इसलिए, इसे वैसे ही स्वीकार करें जैसे यह है। लेकिन इसने आपको बायीं ओर नुकसान पहुंचाया है।

तो, मैं कहूंगी कि शुरूआत से आपके जन्म के समय से ही आपके मानस में समस्या शुरू हो गई थी। अब आपने अपनी मर्जी से जन्म लिया। आपने इन माता-पिता से पैदा होने का फैसला किया। आपने उन्हें समझदार लोग समझा। शायद आप गलत हैं। और फिर, आपने इस महान देश में अपना जन्म लिया, जिसमें इसके बारे में कुछ महानता भी है, इसमें कोई संदेह नहीं है, जो अब मैं आपको बताऊंगी कि इस देश की महानता क्या है, आप इस देश में क्यों पैदा हुए।

और फिर तीसरी बात, कि आपको अपने स्वभाव के साथ रहना था, आप दूसरे लोगों के स्वभाव को नहीं अपना सकते थे। और दोनों के बीच का अंतर, इतना बड़ा अंतर था कि आप इसे देख नहीं सकते थे, और आपको इससे बाहर निकलना होगा। और एक बार जब आप अपने घर से बाहर हो जाते हैं, तो आप उन लोगों द्वारा पीड़ित होने के प्रति पूरी तरह से असुरक्षित हो जाते हैं जो आप पर हमला कर रहे हैं। क्योंकि आप अभी इतने परिपक्व नहीं हुए हैं कि उनका सामना कर सकें। तुम काफी छोटे हो और तुम पर अचानक हमला हो जाता है, तुम्हारी अबोधिता पर हमला होता है।

तो अब आपको अपने बच्चों के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन अब बच्चे बहुत शक्तिशाली लोग होने जा रहे हैं। अब यहाँ बैठे हुए बड़े-बुजुर्गों को देखो, जैसे बड़ी-बड़ी बूढ़ी माँएं, तुम देखो। वे चीजें देख रहे हैं। जब मैं वापस गयी, तो ये दो लड़के, एक बिना कमीज़ के और दूसरा कमीज़ वाला वहां खड़े थे। मैंने कहा, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" उन्होंने कहा, "हम उन सभी बदमाशों की निगरानी कर रहे हैं जो अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं [श्री माताजी हंस रहे हैं] और हम आपको उनसे बचा रहे हैं।"

ये दो छोटी चीजें, एक तो केवल इतनी बड़ी थी [आकार दिखा रही थी]। फिर भी, उन्होंने लड़ने के लिए अपने सारे खिलौने वहीं रख दिए हैं। जितने भी बदमाश अंदर जा रहे हैं और वे सब वहीं खड़े हैं, दोनों।

तो यह ऐसा है। निःसंदेह इन महान बच्चों का जन्म होना है, लेकिन बीच में आपकी पीढ़ी है जो मेरे लिए एक बहुत महत्वपूर्ण पीढ़ी है क्योंकि आप उस महान राज्य, ईश्वर के राज्य की नींव हैं। तो आप भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। आपको सबसे पहले यह कहना है, "माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।" कुछ भी अपने ऊपर न लें। आप किसी भी चीज़ के लिए खुद को दोष न दें, पहली बात।

दूसरी बात यह है कि लेफ्ट साइड आपको एक तरह की भिन्नता देता है जो एक ऐसा दुष्चक्र है। या हो सकता है कि भिन्नता के कारण आपको अपनी अनुभूति न हो। अगर आपको अपना साक्षात्कार मिल भी जाए, तो आप थोड़ा-थोड़ा आते-जाते जाते हैं, थोड़ा-थोड़ा हर समय चलते रहते हैं और आप और अधिक विचलित हो जाते हैं। फिर दुष्चक्र शुरू होता है। यह अंतर आपको फिर से चैतन्य महसूस करने से रोकता है। आप अपने आप को दोष देना शुरू करते हैं और खुद से नफरत करते हैं और फिर से यह एक बहुत ही बुरे दुष्चक्र में चला जाता है।

तो आप सभी के लिए सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अपने विश्वास पर पूरा भरोसा रखें, कि आपको कुछ परे की तलाश करनी है। यह पहला विश्वास होना चाहिए कि तुम्हें कुछ और खोजना है और इसमें तुम जो कुछ भी कर रहे थे वह गलत हो सकता है। कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन तुम्हारे लक्ष्य उचित थे और तुम्हारे लक्ष्य सही थे।

दूसरी बात जो आपको अपने आप में जाननी है, वह यह है कि आप ये सब चीजें नहीं हैं, जैसे आप सांसारिक चीजें देखते हैं, लेकिन आप आत्मा हैं। विश्वास करो कि तुम हो। आप अब तक फेल हुए हैं इस वजह से झिझक ना रखें। कोई फर्क नहीं पड़ता। जो कुछ भी हुआ है, आखिरकार अगर आप इसे ढूंढ लेते हैं, तो आप इसे पा लेते हैं। तो दूसरी बात जो आपको जाननी है वह यह है कि आप आत्मा हैं।

कल मैं धीरे-धीरे आपके बाएं हिस्से को सुदृढ़ कर रही थी जिसके बारे में आप जागरूक नहीं है। शायद आपको लगता है कि आप बहुत अहंकारी हैं। कुछ लोग इस तरह सोचते हैं और सोचते हैं की यही अहंकार है। लेकिन ज्यादातर आपका जो अहंकार था वह भी खत्म हो गया है क्योंकि जिस तरह से वे उस पर टकरा रहे थे, वह दर्दनाक रहा है और यह आपके भीतर एक अपराध बोध बन सकता है। "ओह, मुझे यह नहीं करना चाहिए था, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, मुझे नहीं करना चाहिए था ..." इन चीजों के बारे में चिंता करने का कोई फायदा नहीं है। उस पर वापस जाने का कोई फायदा नहीं है। बाएं हिस्से के कारण, जो सहज योग में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पक्ष है, प्रभावित होता है और यह स्वाधिष्ठान [मूलाधार?] चक्र से शुरू होता है। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं आपको आपके चक्रों के बारे में बताने जा रही हूं लेकिन अधिकतर बाईं ओर से संबंधित। बाईं ओर, जैसा कि ग्रेगोइरे ने "एड्वेंट" नामक एक पुस्तक लिखी है, जिसमें उन्होंने इसे माँ के विरुद्ध पाप के रूप में वर्णित किया है और दाहिनी ओर, वे कहते हैं, पिता के विरुद्ध पाप। आपको जन्म देने वाली मां नहीं, बल्कि आदि शक्ति माँ। परमेश्वर के प्रेम की शक्ति। उसके विरुद्ध पाप बाईं ओर है और पिता के विरुद्ध पाप दाहिनी ओर है।

जो देश अब विकसित हो रहे हैं, जैसे भारत, वे आपकी शैली में विकसित होने की कोशिश कर रहे हैं। उनके पास प्लास्टिक और नाइलॉन और सब कुछ होने वाला है। फिर वे नशा करेंगे, फिर हिप्पी बनेंगे और फिर ऐसा होगा और फिर मुझे उन्हें बोध देना होगा। इस सारे चक्कर में पड़े बिना वे मेरी बात नहीं मानने वाले हैं। वे इसे शॉर्ट सर्किट नहीं करना चाहते। तो उन्हें इसके साथ आगे बढ़ने दें। वे अब विकास कर रहे हैं। ये सभी देश जो विकास कर रहे हैं, उनको आकर आप को देखना चाहिए और आपसे मिलना चाहिए और जानना चाहिए कि विकास ने आपको क्या दिया है। इस तरह की सामग्री ... आप इसे बहुत अच्छी तरह समझ रहे हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे। यदि आप उन्हें बताते हैं तो वे विश्वास नहीं कर सकते।

आपको आश्चर्य होगा कि जब मैं भारत जाऊंगी तो मुझे उनके लिए नायलॉन की साड़ियां लेनी होंगी। हालाँकि हमें भारत में बहुत सुंदर रेशम मिलते हैं, लेकिन वे नहीं सोचते कि इस में बहुत कुछ है। वे सोचते हैं कि आप उनके लिए कुछ नाइलॉन क्यों नहीं लाते? लेकिन वे नहीं समझते हैं और यही बात मैंने तुमसे कही है, कि कुंडलिनी भारत में है, लेकिन वे जाग्रत नहीं हैं। आप लोगों को पदार्थ के मूल्य की असलियत पता चल गयी है। आप लोगों ने महसूस किया है कि पदार्थ आपको आनंद नहीं देता है। आपको इससे आगे जाना होगा, खासकर नाइलॉन और प्लास्टिक से। कम से कम इतना तो आप समझे। लेकिन आप किसी भी परिष्कृत भारतीय परिवार में जाएं, वे स्टेनलेस स्टील में खाना देंगे। हालांकि उनके पास पीतल हो सकता है, वे सोचते हैं कि स्टेनलेस स्टील महान है। सभी अमीर लोग अपना स्टेनलेस स्टील निकाल लेंगे, भले ही उनके पास चांदी हो।

तो, यह वह स्थिति है जिसमें वे लोग हैं, जबकि आप उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहां आप पदार्थ के सौंदर्य को अनुभव करते हैं। तो आपने दाहिनी ओर, काफी कुछ हासिल किया है और आपको उस शैली पर विश्वास होना चाहिए कि कम से कम आप इन सभी मानव निर्मित चीजों की व्यर्थता को समझें। यह हासिल करना भी बहुत बड़ी बात है कि आप कुछ ऐसा पाना चाहते हैं जो ईश्वर निर्मित हो। एक बार जब आप उस बिंदु पर आ जाते हैं तो आपको यह भी जान लेना चाहिए कि अगर आपको यह आत्मसाक्षात्कार होना है तो यह मानव निर्मित नहीं हो सकता, इसे ईश्वर का बनाया हुआ होना चाहिए।

अब यहाँ लेफ्ट साइड महत्वपूर्ण है इसलिए मैं लेफ्ट साइड की बात करूंगी। लेकिन आपको इसके बारे में आहत महसूस नहीं करना चाहिए क्योंकि मुझे आपको गलतियों और ऐसी बातों को समझाने के लिए इंगित करना है जिन्हें दोहराया नहीं जाना चाहिए। लेकिन, जैसा कि मैंने आपको बताया है दाहिनी ओर की गलतियाँ वे लोग करते हैं जो विकसित हो रहे हैं। तो मैं आपको उल्लेख करूंगी उस हिस्से को करने के लिए जो दाएं तरफ होता है जब हम दाएं तरफ गलती करते हैं।

हम क्या करते हैं हम यह विश्वास नहीं करते कि परमेश्वर है जो तुम्हारा पिता है। तुम भूल जाते हो कि तुम्हारे ऊपर एक पिता है और वही तुम्हारी देखभाल करने वाला है। तो आपको पैसा कमाने की बहुत चिंता से किसी भी अनैतिक, किसी भी कुटिल तरीके को अपनाने की ज़रूरत नहीं है। पैसे की चिंता करना, अपने स्वास्थ्य की चिंता करना बेतुका है। कृष्ण ने कहा है, "योगक्षेम वहाम्याहं।" उन्होंने कहा कि यदि आप अपने योग को प्राप्त करते हैं तो आपको अपना क्षेम मिलता है, जिसका अर्थ है आपका कल्याण। दूसरे दिन किसी ने मुझसे पूछा, "लक्ष्मी का मार्ग क्या है?" सबसे पहले अपने योग को प्राप्त करना है। उन्होंने क्षेम योग क्यों नहीं कहा? उन्होंने कहा, "योग-क्षेम वहम्याहं।" पहले आप अपनी ईश्वरीय शक्ति से एकाकार हो जाएँ और फिर आपके कल्याण की देखभाल की जाती है। अगर मैं आपको इसकी कहानियां सुनाऊं तो भी आपको विश्वास नहीं होगा कि यह आपके क्षेम को भी किस हद तक देखता है। आप मिस्टर फोर्ड नहीं बनते क्योंकि यह पागलपन है। आप एक ऐसे व्यक्ति बन जाते हैं जिसे प्रदान किया जाता है, जिसकी देखभाल की जाती है और जिसे कभी भी इस बात की कमी महसूस नहीं होती है कि आपके पास पैसा नहीं है। यही वह क्षेम है जिसमें आपका स्वास्थ्य सुधरता है, भौतिक चीजें सुधरती हैं, योग मिल जाने पर सब कुछ सुधर जाता है, जिसका वादा श्री कृष्ण ने छह हजार साल पहले किया था। मैं कुछ नया नहीं कह रही। यह लगभग छह हजार साल पहले कहा गया था।

तो आप एक सच्ची आत्मा बन जाते हैं। एक साकार आत्मा बनकर आप महसूस करते हैं कि आपके पिता, सर्वशक्तिमान ईश्वर, पूरी दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति हैं। उसके पास सब कुछ है। यह कहाँ से आता है? यह उससे आता है। जिस धन को हम धन समझते हैं वह वास्तव में धन नहीं है। जो वह आपको देता है, जो वह आपको प्रदान करता है वह चमत्कारी है।

मैं आपको इसके लिए एक उदाहरण दूंगी: लंदन में लड़कों और लड़कियों के रहने के लिए हमारे पास कोई जगह नहीं थी। वे एक आश्रम बनाना चाहते थे। एक महिला ने एक जगह खरीदी थी क्योंकि उसने अपनी पिछली जगह बेच दी थी। उसने लैम्बेथ वेले (चेल्सम रोड) में एक जीर्ण-शीर्ण जगह खरीदी। आपको आश्चर्य होगा कि विलियम ब्लेक ने कहा है, चूँकि मैंने वहां नींव रखी थी, और उन्होंने कहा, " लैम्बेथ वेले में नींवे रखी जाएगी।" उन्होंने कहा कि इंग्लैंड जेरूसलम बनने जा रहा है। कल्पना कीजिए, यह विलियम ब्लेक और उनकी भविष्यवाणियां। सबसे पहले मैं सरे हिल्स में रही। उन्होंने लिखा है कि सबसे पहले सरे हिल्स में दीप जलाया जाएगा। क्या आप इस आदमी पर विश्वास कर सकते हैं, वह भविष्यवाणी करने में कितना अच्छा था? जो भी हो, यह आश्रम बहुत कम लड़के-लड़कियों के लिए ही कमरे उपलब्ध करा सका था और उनके लिए एक बड़ी समस्या थी। तो उन्होंने कहा, "माँ, हमें रहने के लिए कुछ और जगह चाहिए और हम क्या करें?"

मैंने कहा, "आप इसके लिए प्रार्थना करें। सिर्फ मांगे।"

और एक लड़के के मन में यह विचार आया कि हमें सहकारिता बनानी चाहिए। वे सहकारिता बनाने को तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा, "माँ, सहकारिता में अच्छी जगह पाने में 10 साल लग जाते हैं। यह बेकार है।"

मैंने कहा, "यदि आप ऐसा कहते हैं। बस, आगे बढ़ो।" इसलिए उन्होंने एक सहकारिता का गठन किया। क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि एक महीने के भीतर उन्हें एक बड़ी इमारत, 15 बड़े बेडरूम और बड़े हॉल वगैरह वाला एक होटल उनके रहने के लिए मिल गया, पूरी इमारत के लिए प्रति सप्ताह केवल 70 पाउंड के भुगतान पर | बिस्तर और लिनन और कटलरी और क्रॉकरी और वह सब कुछ जो आप सोच सकते थे, जहां लगभग 25 लोग आसानी से रह सकते थे। कृष्ण अष्टमी के दिन हमने 16 शादियां की थीं। और ये सभी नवविवाहित जोड़े उस होटल में बहुत अच्छी तरह से रुके, कुछ भी भुगतान नहीं किया, क्योंकि आपको वहां भुगतान नहीं करना है। लेकिन इन लड़कों ने क्या भुगतान किया, मुझे नहीं पता कि उन्होंने आपस में क्या किया। लेकिन यही क्षेम है। और उस जगह पर इतना खूबसूरत माहौल। हर कोई शुद्ध ज्ञान और शुद्ध प्रेम का आनंद ले रहा है।

अब हम बाईं तरफ से संबोधित हैं और जब मैं चर्चा करूँगी, तो अधिकतर व्यवहार करूँगी उन चक्रों के बारे में जिनका संबंध बाईं ओर से हैं, बजाय कि दाईं ओर से, जो भौतिक कल्याण का पहलू है और यह भी कि किस तरह आप अपना शारीरिक स्वास्थ्य उपलब्ध करते हैं। इसके माध्यम से कल्याण।

जैसा कि आप यहां देख रहे हैं, पहला चक्र बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि आप देखते हैं कि संबंध बाईं ओर स्थापित है और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण केंद्र है, आपकी मासूमियत का चक्र है। इस धरती पर ईश्वर ने जो पहली चीज बनाई, वह थी अबोधिता और यह मासूमियत एक देवता में सन्निहित है जिसे हम श्री गणेश कहते हैं। इस देवता को बहुत समय पहले बनाया गया था, इस धरती पर कुछ भी शुरू होने से बहुत पहले, जिसे आप अल्फा और ओमेगा कह सकते हैं, और उन्होंने इस धरती पर प्रभु यीशु मसीह के रूप में अवतार लिया। मुझे बताया गया था कि मुझे सावधान रहना होगा क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जो यीशु मसीह में विश्वास नहीं करते हैं। लोगों की यह एक बहुत बड़ी कंडीशनिंग है क्योंकि वे ऐसे परिवारों में पैदा होते हैं जो ईसा-मसीह में विश्वास नहीं करना चाहते हैं। आप इसे पसंद करें या नहीं, वह मौजूद है। वह न केवल मौजूद है बल्कि इकलौता वही है जो वास्तव में हमें आज्ञा चक्र से रास्ता दे सकता है।

तो पहला वाला हमारी अबोधिता का चक्र है। और मासूमियत के इस केंद्र को वहां उस स्थिति में रखा गया जहां शारीरिक स्थूल रूप में, हमारे श्रोणि जाल में प्रकट होता है, जो शरीर के उत्सर्जन क्रिया की देखभाल करता है। जिस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस सूक्ष्म केंद्र की चार पंखुड़ियाँ हैं, उसी प्रकार पेल्विक प्लेक्सस (श्रोणि जाल) के लिए चार उप-जाल हैं। पता नहीं कितनों ने यहां चिकित्सा शास्त्र पढ़ा हैं। लेकिन पेल्विक प्लेक्सस में चार उत्सर्जन उप-जाल होते हैं। उनमें से एक यौन क्रिया के लिए जिम्मेदार है।

यौन क्रिया संबंधी जो विचार हमारे पास आया है वह मिस्टर फ्रायड जैसे लोगों का है। अब उनके जीवन को देखें कि उन्होंने किस तरह का जीवन व्यतीत किया। उसके अपनी ही मां से खराब संबंध थे। वह एक विकृत शख्स है। दूसरे, उसकी भावना को देखो। आपको खुद उसके जीवन में, किसी व्यक्ति का प्रकाश देखना चाहिए। फिर दूसरी बात यह कि उन्हें सालों तक कैंसर था और कैंसर से उनकी मौत हो गई। तो, शारीरिक रूप से वह विकृत था, मानसिक रूप से वह एक विकृत था। जिसका आप अनुसरण करने का प्रयास करते हैं, आपको उस व्यक्ति को भी देखना चाहिए| यह बहुत तार्किक है। अब आप उसके जीवन को उसी तरह ही देखें जैसे वह है। उन्होंने आपको सिखाया, "यदि आप सेक्स के बारे में खुद को संस्कारित करने की कोशिश करते हैं और अगर आप किसी से शादी करते हैं और आप एक व्यक्ति से शादी करते हैं और फिर आप संलग्न होते हैं, तो यह एक सामाजिक संस्कार बद्धता है।" लेकिन वह आधा अधुरा समझा हुआ था। क्योंकि आप केवल अपना बाएं पक्ष ही नहीं हैं। यदि आप ऐसा कहते हैं कि, "अगर मैं ऐसा करूँ तो इसमें क्या गलत है? अगर मैं ऐसा करूँ तो क्या गलत है?" अगर आप इसी प्रकार ही चलते जाते हैं, तो आप दूसरे पक्ष को भूल रहे होते हैं जो कि अहंकार पक्ष है। तब अहंकार पक्ष विकसित होता है, और तब तुम पागल व्यक्ति बन सकते हो। तब यौनाचार आपकी समस्या बन सकती है।

आज यौनाचार आधुनिक लोगों में एक ऐसी ही समस्या है। हमें इसका सामना करना चाहिए। शायद आप नहीं जानते कि आज अमेरिका के कितने प्रतिशत युवा नपुंसक हैं। जितना अधिक तुम नपुंसक हो जाते हो, एक दुष्चक्र निर्मित हो जाता है और तुम्हारे लिए कामवासना इतनी महत्वपूर्ण हो जाती है कि तुम सोचते हो कि तुम्हें सिर्फ एक यौन बिंदु बनना है। अब कोई इंसान नहीं बल्कि एक सेक्स प्वाइंट है। हर समय आप सेक्स, सेक्स, सेक्स, सेक्स की बात करते हैं। क्या ज़रुरत है? यह इतनी सामान्य बात है। इसे हर जानवर जानता है, हर कोई जानता है। इसकी शिक्षा किसी को नहीं दी जाती है। भारत में हम इसके बारे में कभी बात नहीं करते हैं और जितना आप यहां पैदा कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा बच्चे वहां पैदा कर रहे हैं।

एक और कारण है कि हम अधिक बच्चे पैदा करते हैं कि इसका भार हम पर ही होना चाहिए क्योंकि बच्चे यहाँ पैदा नहीं होना चाहते। हालात इतने खराब हैं, इंग्लैंड में दो बच्चों की हत्या हो जाती है। क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? यह अनुमत है। माता-पिता द्वारा हर हफ्ते दो बच्चों की हत्या कर दी जाती है। मैं भारत में किसी एक माता-पिता के बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकती जो ऐसा करेगा जबकि हमारे पास गरीबी है और हमारे पास सब समस्या है। लेकिन कोई भी मां अपने ही बच्चे को नहीं मार सकती। अगर उसके 12 बच्चे भी हैं, तो भी उसे कोई आपत्ति नहीं होगी। मन की कोई बात ही नहीं है, वह उनसे प्यार करती है। वह उनमें से एक भी बच्चे को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती। हमारे यहाँ ऐसी एक अन्य अति है। जैसे कि, हम अपने बच्चों की खातिर अपना देश भी बेच सकते हैं। हम उस सीमा तक अति पर हैं। लेकिन मुझे कहना होगा कि बच्चे भारत में पैदा होना चाहेंगे, यहां नहीं। इसलिए हम अपने ऊपर भार ढो रहे हैं।

लेकिन, मुख्य बात यह है कि हमारे यौन संबंधी विचारों को वास्तव में इस तथाकथित संस्कार हीनता द्वारा कुशिक्षित किया जा रहा है। जब वे कहते हैं कि अपने आप को संस्कारों में मत बाँधों, वास्तव में वे आपको सुसंस्कार विहीन बना देते हैं, वे सोचते हैं, लेकिन वे आपको ऐसा कहकर और अधिक जड़ बना रहे हैं, "यह करो, वह करो।" यौन-क्रिया, आपको इससे दूर भागने की जरूरत नहीं है। आपको इससे बाहर निकलने की जरूरत नहीं है। बिल्कुल नहीं। लेकिन यौन-क्रिया के बारे में समझदार विचार विकसित किए जाने चाहिए और आपको बहुत अच्छा वैवाहिक जीवन जीना होगा। दाम्पत्य जीवन आप पर देवी की कृपा है। वह गृहलक्ष्मी है। जिस तरह से आप अपनी महिलाओं के साथ व्यवहार करते हैं, महिलाएं आपके साथ उसी तरह व्यवहार करती हैं... यह एक प्रतिक्रिया है। पुरुषों ने उनके साथ इतना घटिया व्यवहार किया और अब यहां महिलाएं पगला हो रही हैं। आप पुरुषों के बिना कैसे रह सकते हैं? यह नामुमकिन है। अगर आपको लगता है कि आप पुरुषों के बिना रह सकते हैं, तो दुर्भाग्य से आप गलत हैं। यह एक गलत विचार है, आप ऐसा नहीं कर सकती। और पुरुष महिलाओं के बिना नहीं रह सकते। अब आप ऐसा कह सकते हैं कि ऐसे लोग हैं - मैं भी चकित थी, एक और आश्चर्यजनक बात जो मैंने सुनी वह यह थी कि कैलिफोर्निया में 65% लोग समलैंगिक हैं। यह कुछ चौंकाने वाला है क्योंकि यह विकृति है। अब ऐसा क्यों होता है?

मेरे पास न्यूयॉर्क में एक लड़का था जो मेरे पास आया और जो एक छोटे लड़के की तरह था, उसकी मूंछें और सब कुछ था, लेकिन वह एक महिला की तरह बात कर रहा था। मैंने पूछा, "इस शख्स के साथ क्या गलत है?"

पहले तो मुझे समझ में नहीं आया और फिर उन्होंने मुझे बताया, "माँ, वह कुछ ऐसा है, यह है, वह और वैसा है।"

लेकिन असल में उस पर एक महिला द्वारा बाधित था। मैंने उस बाधा को हटा दिया और फिर उसने कहा कि, "अब मैं एक आदमी की तरह दिखता हूं और महसूस करता हूं," और तब वह पूरी तरह से अलग ही तरीके से चलने लगा। उसने अपनी चाल और सब कुछ बदल दिया। यह सिर्फ उस पर एक महिला का कब्जा था।

इसलिए वह स्त्री के समान व्यवहार कर रहा था, और पुरूष का संग, स्त्री के संग के बजाय ढूंढ़ रहा था, जो कि, उसे ढूँढना चाहिए था। जो कि ऐसा करना सामान्य बात है और वह असामान्य हो गया। अब जब वे असामान्य हो गए तो उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है, कोई उन्हें यह बताने वाला नहीं है कि यह असामान्य है। ऐसा कहने में कुछ भी गलत नहीं है जो आपको कहना चाहिए कि, "यह पाप है, यह अवैध है।" इसे कोई सुनने वाला नहीं है। अगर आप इंसानों से कहेंगे कि यह गलत है तो वे आपके सिर पर बैठेंगे। वे इसे कभी नहीं करेंगे। उन्हें कभी मत बताना कि यह गलत है। उन्हें बताओ, "यह सही है, इसके साथ आगे बढ़ो," और वे पीड़ित होंगे और फिर वे आएंगे। हमारा आधुनिक समाज इसी दिशा में काम कर रहा है। "आप समलैंगिकता चाहते हैं? अनुमति है। आप हत्याएँ चाहते हैं? अनुमति है। आप जो चाहते हैं वह आप करें।" उनके पीछे यह भावना है कि एक बार जब आप उन्हें वह करने की अनुमति देते हैं जो उन्हें पसंद है, तो या तो वे पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे, एक बार और हमेशा के लिए, सिरदर्द दूर हो जाएगा, या एक बार जब उन्हें पता चल जाएगा, तब वे वापस सामान्य स्थिति में आएंगे। मुझे लगता है कि इसमें नहीं जाने वाले हर किसी के लिए इस बात का मूल सिद्धांत यही होना चाहिए और यह जानना चाहिए कि 65% लोग ऐसी बेतुकी चीज से पीड़ित हैं जो आनंद देने वाली नहीं है। यह कभी खुशी देने वाला नहीं है। यह सिर्फ अहंकार को सहलाया जाना है। क्योंकि कुछ महिलाओं ने मुझसे कहा, "माँ, ये पुरुष इतने हावी होने वाले हैं और वे इतने भयानक हैं और इसलिए हमें उनसे कोई लेना-देना नहीं है। और वे हमें इधर-उधर धकेलने की कोशिश करते हैं और हमें परेशान करने की कोशिश करते हैं इसलिए हमारा उनसे कोई लेना-देना नहीं है। हम महिलाएं इकट्ठी होंगी। ”

मैंने कहा, "तरीका यह नहीं है। आपको पता होना चाहिए कि उन्हें कैसे संभालना है।" वे बहुत प्यारे हैं, बेहद प्यारे हैं। वे बच्चों की तरह हैं। लेकिन उन्हें समझने के लिए आपको एक वास्तविक मां बनना होगा। वे इतने प्यारे हैं कि आप सोच भी नहीं सकती। वे बेहद प्यारे और अच्छे इंसान हैं।

पुरुषों के बारे में भी, मैं कहूंगी कि जिस तरह से वे महिलाओं को देखते हैं, वह उन पर हावी होने वाला ढंग है और ऐसा ही सब कुछ। उस तरह की महिलाओं को संभालने के और भी तरीके हैं। आप इसे मैनेज कर सकते हैं। आप रोमांस के मीठे तरीके भूल गए हैं।

आप लोगों का रोमांस आप लोगों के द्वारा पहने जाने वाले विग पर निर्भर करता है! यदि कोई महिला एक विशेष प्रकार का विग पहनती है तो पुरुष को प्यार हो जाता है। उसके मात्र विग बदल देने से प्यार खत्म हो जाता है। यदि आपके एक-दूसरे के साथ अपने संबंधों के बारे में इस तरह के कृत्रिम विचार हैं - यदि यह मात्र आपके पसंद के बाल, आपकी पसंद की आंखें वगैरह के संबंध में हैं - तो यह टिकेगा नहीं।

लेकिन यह भावना कि हम एक-दूसरे के हैं और हमें एक-दूसरे से प्यार करना है, तो फिर आप एक-दूसरे में इन दोषों को नहीं देखते। आपको ये समस्याएं नहीं मिलती हैं। बिल्कुल नहीं। आपको हर समय अपने पति के साथ रहने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आप अलगाव का आनंद लेती हैं और फिर आप मिलन का भी आनंद लेती हैं। ऐसा नहीं है कि अगर आप उससे दूर हैं तो आप दोनों अलग हैं... बिलकुल नहीं। यह वास्तव में एक ऐसी प्यारी सी बात है जो आपके साथ, आप सभी के साथ तब होती हैहो सकती है जब आपको बोध प्राप्ति हो जाती है। एक बार जब आपको आत्मसाक्षात्कार हो जाता है, तो आप ऐसी सहज स्थिति में आ जाते हैं कि पूरी बात ही सहज हो जाती है क्योंकि यह एक परम बिंदु है। यही वह चीज है जो आपके सभी असंतुलनों, आपकी सभी समस्याओं को दूर कर देती है और आप वास्तव में जानते हैं कि प्रेम क्या है, आनंद क्या है।

यह वह वही ग्रेगोइरे है जो यहां आया था, उसने यहां हर तरह की बेतुकी बातें कीं। आज, दूसरे दिन वह मुझसे कह रहा था कि, "माँ, आप सभी विभिन्न टुकड़ों को बहुत अच्छे एकीकृत तरीके से एक साथ जोड़ने में माहिर हैं।" और यह सच है लेकिन ऐसा यह आप में मौजूद आत्मा ही करती है। जो भी यह सब इतना बदसूरत, भद्दा और बिखरा हुआ दिख रहा है उसे वापस से सुंदर रूप में लाता है। और जितना भी रोमांस के बारे में आपने सुना होगा, अब वह वैसा रोमांस अपनी पत्नी के लिए करते हैं। वह इतना रोमांटिक है कि कोई विश्वास नहीं कर सकता कि वह एक आधुनिक व्यक्ति है। मान्यता ऐसी हो गई है कि, एक आधुनिक व्यक्ति को अपनी पत्नी के प्रति रोमांटिक नहीं होना चाहिए। वह किसी और की पत्नी के बारे में रोमांटिक हो सकता है, लेकिन अपनी नहीं।

यह प्रेम के बारे में हमारे विचारों का बेतुकापन है। क्यों न किसी और की चीजों का आनंद लेने के बजाय अपनी चीजों का आनंद लें। भारत में, मान लीजिए कि आपको कोई भारतीय मिल जाता है, वह ठग हो सकता है। वह तुम्हारे घर आ कर और तुम्हारा सामान लेकर भाग सकता है। लेकिन अगर घर में आपको कोई पश्चिमी पुरुष मिल जाए तो वह आपकी पत्नी के साथ ही भागेगा। आप नहीं जानते कि वह क्या करेगा। वह बहुत मीठी बातें करेगा और तुम्हारी पत्नी के साथ भाग जाएगा और वह सोचेगा, "ओह, मैंने इतना बड़ा काम किया है। वह मुझसे प्यार करती है। ”और उसे इस बात की परवाह नहीं रहती है कि परिवार की पूरी व्यवस्था खत्म हो गई है।

हमारा एक लड़का था, एक पत्रकार जो 26 साल का था और उसका दोस्त 24 साल का था और उसने दोस्त को अपने घर बुलाया। उसकी मां 48 साल की थी और वह दोस्त के साथ भाग गई थी। और चार बच्चे पीछे रह गए और पिता को नहीं पता था कि क्या करना है। उसने तलाक लिया और उसने घर का बंटवारा कर लिया। बच्चों को जगह-जगह फेंक दिया जाता है। मेरा मतलब है कि यह बेतुका है। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? और वह मेरे पास आई कि, "ओह, मुझे उससे प्यार हो गया है, माँ।"

मैंने कहा, “यह छोटा लड़का, जो तुम्हारे बेटे से छोटा है। आप कैसे उसके प्यार में हो सकती हैं? ऐसी बात पर विश्वास करने के लिए आपको पागल होना पड़ेगा।" और उस शख्स को शायद उसके पैसे में दिलचस्पी थी। मुझे नहीं पता कि उसकी क्या दिलचस्पी थी। लेकिन वे प्यार में थे, माना जाता था की उन्हें प्यार में होना चाहिए। पता नहीं ये कैसा प्यार है। देखें कि आप अपने परपोते के प्यार में कैसे पड़ सकते हैं। यह बहुत ही बेतुका है ये अस्सी साल के लोग आपके साथ नकल करने की कोशिश कर रहे हैं। एक पब में जाना और कांपते हाथों से आप की तरह नाचना और अगले पल सब कुछ कांपते हुए गिर जाना। इन छोटे बच्चों से प्रतिस्पर्धा करने जैसा क्या है? आप बड़े हो गए हैं, आप परिपक्व हैं, आप समझदार हैं, आप समझदार हैं। आनंद लो इसका। यह अजीब बात है। इस आधुनिकता में हम वास्तविकता से बहुत दूर जा चुके हैं। इसलिए हम आनंद और आनंद से दूर हैं।

सेक्स को उसके सही उद्देश्य के लिए और उसके सही बिंदु पर इस्तेमाल किया जाना है, जिसका अर्थ है मूलाधार पर। ईसा-मसीह ने एक बात कही। उन्होंने कहा, लिखा है, “तू व्यभिचार न करना। मैं कहता हूं, कि तेरी आंखें भी व्यभिचारी न होंगी। क्योंकि वह जानते थे कि ऐसा होगा और उन्हें उस बिंदु पर तैनात किया गया है जहां वह आंखों को नियंत्रित करते है। आजकल हम सेक्स आंखों से भी करने लगे हैं, यह छेड़खानी का धंधा। तुम्हें इससे क्या मिलता है? इस लड़की को देख रहे हैं। उस लड़की को देख रहे हैं। आपको क्या मिल रहा है? आपकी आंखें खराब हो गई हैं। आपका चित्त भंग हो गया है। आप बर्बाद हो चुके हैं और निढ़ाल हो गए हैं। और जब तक तुम 20 लड़कियों को देखोगे तब तक तुम बैठ जाओगे और कहोगे, "हा। यह बुढ़ापे की तरफ बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है।" और फिर आप ब्यूटी क्लीनिक में जाते हैं और जवां दिखने की कोशिश करते हैं। इन लड़कियों को इस तरह देखने की क्या जरूरत है? वे सब तुम्हारी बहनें हैं। हृदय में पवित्रता रखो। अपना चित्त इतना बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। एक भारतीय के लिए हम चीजों को देख रहे होंगे और आप महिलाओं या पुरुषों को देख रहे होंगे। एक बिंदु पर आप अपनी पसंद करने का काम पूर्ण कर लें। आप इसे अंजाम तक पहुंचा कर खत्म करें और फिर इसका आनंद लें।

गुरु खरीदारी में भी आप यही काम करते हैं। तुम अब मेरे पास आए हो, मैंने तुमसे सच कहा है। लेकिन कल एक और गुरु आता है और तब आप सोचते हो कि, "चलो चलते हैं और देखते हैं।" यदि आपके पास अपने बारे में इस तरह का तुच्छ विचार है, तो सहज योग आपके काम नहीं आने वाला है। आपको इसके साथ स्थापित होना होगा। आपको इसे कार्यान्वित करना होगा। आपकी आत्मा को पूरी तरह से उजागर किया जाना है और आपकी पूर्ण चेतना में लाया जाना है। तुम्हें सचमुच निपुण बनना चाहिए। जब तक और जब तक आप निपुण न हों, आपको हार नहीं माननी चाहिए और सिर्फ उन्हें देखने के लिए इन लोगों के पास नहीं जाना चाहिए क्योंकि इससे आप अपना चित्त खराब कर लेते हैं।

इसलिए अपनी वैचारिकता के साथ यौन क्रिया रत होना आपको नपुंसकता की ओर ले जाता है। अगर खाना मुंह से खाना चाहिए और नाक से खाना शुरू करते हैं तो मुंह बर्बाद हो जाएगा क्योंकि यह जम गया है और नाक भी बर्बाद हो जाएगी और आप खा भी नहीं पाएंगे। जो कुछ भी करना है, जिस भी तरीके से आपको उस अंग को उस चीज़ पर कार्यरत होने देना चाहिए। इसलिए सेक्स में सहजता खो जाती है। आप इसके बारे में सोचते हैं, इसके बारे में योजना बनाते हैं। आप योजना कैसे बना सकते हैं? मैं बस यहबात समझ नहीं पाती। आप हर उस चीज के बारे में योजना बनाते हैं जो इतनी सहज है और इसलिए ऐसी समस्या है। और लोग यहां ऐसे बात करते हैं जैसे कि सेक्स कुछ अलग ही चीज़ हो। यह बस वहीं है, यह मौजूद है और आपको इसके बारे में सीखने की जरूरत नहीं है। यह सब वहाँ है। और इसके बारे में बात करने की भी आवश्यकता नहीं है। यह आपके और आपकी पत्नी के बीच आपकी अपनी निजी और पवित्र चीज है। बस इतना ही। ना आगे कुछ, ना पीछे कुछ। यह बहुत पवित्र चीज है। यह जितना पवित्र होता है उतना ही अधिक आनंद मिलता है। मैंने भारत में ऐसे लोगों को जाना है जिनकी उम्र 90 वर्ष है और जो अभी भी बहुत प्रबल हैं।

एक सज्जन मुझसे कहने आए कि "माँ, मेरी पत्नी की मृत्यु हो गई है और मैं अभी भी हूँ ... मुझे नहीं पता।"

मैंने कहा, "सब ठीक है।" मैंने उससे कहा, "आप कैसे प्रबंधन करते हैं?"

उसने कहा, "उसके विरह में मैं रहता हूँ।" इस तरह वे जीते हैं। और वे खुद को प्रबंधित करते हैं। जबकि यहां लोग बहुत कम उम्र में ही थक कर खत्म हो जाते हैं।

तो हमें समझना होगा कि सहज योग में आप प्रयास करें। यह कार्यान्वित हो जाएगा। साथ ही धीरे-धीरे आपका चित्त भी एकाग्र होगा। आप बहुत मध्य में होंगे और आप इतने सुंदर तरीके से अपनी मासूमियत को विकसित पायेंगे। आपको फिर से अपनी अबोधिता मिल जाएगी। क्या तुम विश्वास करोगे? पूरी तरह से तुम इतने भोले और इतने सरल हो जाते हो कि तुम्हे खुद पर आश्चर्य होता है। जहां तक ​​पैसे का सवाल है, आपकी मासूमियत बरकारर है, इसमें कोई शक नहीं। फिर भी आप उस बिंदु पर बरकरार हैं।

उस बिंदु पर भारतीय नहीं हैं। जहां तक ​​भौतिक चीजों का संबंध है आप निर्दोष हैं। उदाहरण के लिए आप इन भयानक गुरुओं को सारा पैसा देने में भी कोई आपत्ति नहीं करते हैं, यदि आपको अपनी प्राप्ति हो सके। लेकिन इस मुद्दे पर मुझे लगता है कि मासूमियत से तात्पर्य मूर्खता करना नहीं है। आप अपनी बोध प्राप्ति के लिए पैसे कैसे दे सकते हैं? यह एक साधारण सी बात है। आपको समझना चाहिए कि आप अपनी बोध प्राप्ति के लिए पैसे नहीं दे सकते। कोई भी जो कहता है, "अब मुझे वाय्ब्रेशन मिले हैं।" कुछ लोग किसी के पास जाते हैं और गर्माहट महसूस करते हैं। तब वे अधिक से अधिक गर्म महसूस करना चाहते हैं। यह गर्मी उस आदमी से आ रही है और हर समय आपकी गर्मी को बढ़ाने वाली है और यह बढ़ती और बढ़ती ही जा रही है और इस आदमी द्वारा आपके चक्र पूरी तरह से बर्बाद होने वाले हैं। इसे कम करना होगा। इसे शीतल अवस्था पर आना होगा और आपको शीतल अवस्था को महसूस करना होगा। अगर आप शीतल अवस्था महसूस नहीं कर पाते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि यह आदमी बिल्कुल गलत है। गर्मी महसूस होना स्वच्छ अवस्था होने का संकेत नहीं है। उदाहरण के लिए, जब आप यहां गर्मी महसूस कर रहे हैं, तो इसका कारण यह है कि सफाई हो रही है। एक बार सफाई कार्य खत्म हो जाने के बाद ठंडी हवा का प्रवाह होना चाहिए और आपको ठंडी हवा का अनुभव करना चाहिए।

कुछ लोगों को बिल्कुल ठंड लग सकती है, जैसे फ्रोजन। यह भी अच्छा संकेत नहीं है। इसका मतलब है कि आप बाएं पक्ष से ग्रसित हैं। आप में से कुछ लोग ऐसा महसूस कर सकते हैं। बात ठंड लगने की नहीं है। बल्कि यह ठंडी बयार का एहसास है, एक हवा की तरह का एहसास है जो आपको मिलता है। मेरे फोटोग्राफ से भी आपको मिल जाएगा। इस तरह आपको खुद का आंकलन करना होगा। आप खुद को परखें, खुद को स्थापित करें, अपने चक्रों को साफ रखें और आप चकित रह जाएंगे कि आप पूरी कला के माहिर कैसे बन जाते हैं। आप हजारों लोगों को, आप में से प्रत्येक को, आत्मसाक्षात्कार देने में सक्षम होंगे।

तो अब दूसरे चक्र में जब हम आते हैं तो आपकी खोज़ का चक्र है। और हम इसे दूसरा चक्र कहते हैं, क्योंकि इसमें से तीसरा चक्र निकलता है। यह वह चक्र है जिसमें तुम खोजते हो। यह शुरूआत से ही प्रारंभ होता है जब आप एक इंसान हुए थे तो आपको इस बात का एहसास नहीं था कि आप हजारों-हजारों सालों में इस अवस्था पर आए हैं। सबसे पहले, किसी भी जानवर के रूप में, आप जो करते हैं वह भोजन में परमात्मा की तलाश करते है। सब कुछ नाभी के स्तर पर होता है जहां आप केवल भोजन की तलाश कर रहे हैं, अपना भरण-पोषण कैसे करें, अपनी देखभाल कैसे करें। अन्य खोज़ बाद में शुरू होती है। कुछ जानवर यह समझकर अधिक सतर्क होने लगते हैं कि आपको अधिक बुद्धिमान होना है। इसलिए वे सत्ता में तलाश करने लगते हैं। वे अन्य जानवरों पर अधिकार करना चाहते हैं और उन पर काबू पाने की कोशिश करते हैं ताकि वे उन्हें खा सकें, इसलिए वे सत्ता की तलाश में हैं। फिर खोज और भी सूक्ष्म और सूक्ष्म होती जाती है, कि जैसे मनुष्य धन में, संपत्ति में और वस्तुओं में खोज करना शुरू कर देता है, वैसे ही वे धन में खोजने लगे। जानवरों के पास संपत्ति नहीं है, भगवान का शुक्र है, क्योंकि संपत्ति का मतलब ही सिरदर्द है। आपके पास बीमा होना चाहिए, आपके पास यह होना चाहिए, आपके पास यह होना चाहिए। तो मनुष्य को संपत्ति और ये सभी चीजें मिलने लगती हैं और वे इस खोज में पड़ने लगते हैं। लेकिन अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण खोज अति विकसित लोगों की ही होती है, वह है आत्मा की खोज, ईश्वर की खोज। यही वो असली चीज है जो हमारे साथ घटित होनी चाहिए। जब आप परिपक्वता के उस बिंदु पर होते हैं तब यह घटित होता है।

अब उस से जो दूसरा केंद्र निकलता है... असल में वह यहां चित्र में प्रदर्शित नहीं किया गया है परन्तु यह उसी में से निकलता है, वह केंद्र जिसे स्वाधिष्ठान कहा जाता है, वह चक्र है जिसके द्वारा आप सोचते हैं। आप भविष्य के लिए नियोजन करते हैं। आप इसके माध्यम से अपनी कार्रवाई करते हैं। हम जो कुछ भी करते हैं वह सोचने, सोचने, सोचने के अलावा कुछ नहीं है। योजना बनाना एक ऐसा अभिशाप है जिसके बारे में हम कुछ नहीं करते। हम सिर्फ योजना बनाते हैं और इसे किताब में रखते हैं। हमें लगता है कि हमने इसकी योजना बना ली है, यह पहले ही हो चुका है। जब कि ऐसा है नहीं। अब यह सोच भविष्य का एक ऐसा दायरा देती है जिसमें हम प्रवेश कर जाते हैं। जब हम सोचना शुरू करते हैं, तो हम नहीं जानते कि हम खुद को किस प्रकार असंतुलित कर लेते हैं।

इस क्षेत्र में (भवसागर) आदि गुरुओं का तत्व रहता है, जैसा कि ग्रेगोइरे ने आपको बताया है। अब, जब आप सोचना शुरू करते हैं, तो यह केंद्र - पीले रंग का केंद्र - आपके पेट की चर्बी को आपके मस्तिष्क के उपयोग के लिए परिवर्तित कर देता है। अब लोग इन दिनों वसा के इतने खिलाफ हो गए हैं कि इसके बारे में बात करना वाकई खतरनाक होगा। यदि आप किसी वसा का सेवन नहीं करने जा रहे हैं तब, आप अपने मस्तिष्क की कोशिकाओं का replacement प्रतिस्थापन कहां से लाएंगे, मुझे बताएं? वैसे भी आपका लीवर अक्षम है अत: आप जो भी वसा लेते हैं, आप कितनी भी मात्रा में वसा ले सकते हैं, आपका कोई वजन नहीं बढ़ेगा, कोशिश कर देखें, क्योंकि वह वसा आपके उस मस्तिष्क के लिए आरक्षित की जाती है जो हर समय सोचता है। क्या आप जानते हैं कि यह मस्तिष्क वसा कोशिकाओं से बना है? संस्कृत में इसे मेघ कहते हैं। और पूरी चीज़ को मेधी कहा जाता है, यहां तक ​​कि मस्तिष्क भी। यहां तक ​​कि आपकी नसें भी वसा कोशिकाओं से बनी होती हैं। अब जब आप इसे नहीं लेते हैं, किसी भी रूप में वसा जो भी हो - मुझे बताया गया है कि यहाँ बहुत सारा मक्खन पड़ा हुआ व्यर्थ जा रहा है। मैं यह नहीं कहती कि तुम उसका पहाड़ खाओ। मैं जो कह रही हूं वह यह है कि यदि आप किसी भी प्रकार का फैट नहीं लेते हैं, तो आप अपने शरीर को, मस्तिष्क और आपकी नसों के लिए आवश्यक उस चर्बी से वंचित रखते हैं। यदि आप शरीर में वसा नहीं लेते हैं तो आप एक नर्वस व्यक्ति होंगे। अन्य क्या है जो आपकी नसों के लिए पूर्तिकर्ता है ? आप इस के लिए क्या आपूर्ति करने जा रहे हैं?

इसलिए आप पाते हैं कि, ज्यादातर, इस मुद्दे को पश्चिमी या भारतीय बनाना बहुत आसान है। आप उन्हें किसी भी विपत्ति के आगे खड़ा कर दें। एक भारतीय चुपचाप देखता रहेगा। अन्य बहुत परेशान होकर काम करेगा। कारण यह है कि तुम्हारी नसों का कोई पोषण नहीं हुआ है। वह बर्बाद हो गयी है क्योंकि आप कोई वसा नहीं लेते हैं। थोड़ा लो। मैं नहीं कह रही बहुत ज्यादा लो। अगर मैं कुछ कहती हूँ तो तुम मोटे पहाड़ में कूद जाओगे। ये मुद्दा नहीं है। लेकिन बस वसा से पूरी तरह बचना एक गलत विचार है। यह असंतुलन पैदा करता है। इस बेचारे चक्र को दोहरा काम करना पड़ रहा है। इसे न केवल मस्तिष्क को वसा की आपूर्ति करनी होती है, बल्कि दाहिनी ओर आपके लीवर की भी देखभाल करनी होती है। जब यह बाएं तरफ जाता है आपके अग्न्याशय, आपकी तिल्ली, आपके गुर्दे और गर्भाशय को कार्यान्वित करता है। ये सब काम इस बेचारे को करना है।

अब अगर आप हर समय सोच रहे हैं, सोच रहे हैं, सोच रहे हैं तो यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि कैसे यह उन सभी वसा ग्लोब्यूल्स को मस्तिष्क में आपूर्ति करने के लिए हर जगह से प्राप्त कर सकता है और अगर यह नहीं मिलता है तो यह एक खतरनाक बात है। लेकिन अगर यह मिल भी जाता है तो यह अन्य अंगों के लिए समस्या पैदा कर रहा है जिसकी देखभाल उसे करनी होती है। इस तरह लोगों को मधुमेह हो जाता है। चीनी खाने से आपको मधुमेह नहीं होता है। यह पूरी तरह से गलत विचार है। मुझे नहीं पता कि डॉक्टरों ने ऐसा काम क्यों शुरू किया है। उदाहरण के लिए, भारत में लोग गांवों में प्रतिदिन कम से कम आधा किलो चीनी लेते हैं। वे चावल खाने से ज्यादा चीनी खाते हैं। मुझसे यह जान लो। लेकिन किसी को भी मधुमेह नहीं है। क्यों? क्योंकि वे सोचते नहीं। वे जो भी चीनी लेते हैं उसका उपयोग उनके लीवर के लिए किया जाता है। अगर आप अपने लीवर को जरा भी शुगर नहीं देते हैं, तो अब किसी से भी पूछ लें कि लीवर कैसे काम करता है। लीवर ही वह है जो आपके सारे जहर को बाहर निकाल देता है। अब इस जहर को पानी के द्वारा लीवर से बाहर निकालना है। उपर से अब अगर आप पानी लेकर पी लें तो क्या होता है कि हाइड्रोजन भारी हो जाती है। मेरा मतलब है कि इसमें तीसरा H जोड़ा जाता है और H2O अर्थात पानी की पूरी प्रणाली जिसे तटस्थ neutral होना है, इस तरह हो जाती है और आप इसमें कोई गर्मी अवशोषित नहीं कर सकते। तो सारी गर्मी जो जहर है, लीवर में जमा हो जाती है, आपको हर तरह की लीवर की समस्या हो जाती है। व्यावहारिक रूप से अधिकांश पश्चिमी लोगों को लीवर की समस्या है। लेकिन वे इसे तब तक नहीं जान पाते, जब तक उन्हें इस की जांच नहीं करवा लेते। जब तक वे किसी बहुत घातक चीज की कगार पर नहीं पहुँच जाते हैं, तब तक उन्हें लीवर के बारे में पता नहीं चलता। अब यह हाइड्रोजन जो इसे नीचे खींच लेती है, तीर की तरह बन जाती है, जिगर से कुछ , गर्मी शोषित नहीं करती और ऐसे व्यक्ति को कभी कोई बुखार नहीं होता है। कैंसर भी उसी तरह काम करता है। कैंसर में भी एच बहुत नीचे चला जाता है हालांकि यह लेफ्ट साइड की समस्या है, जो मैं आपको बताती हूँ। लेकिन ऐसा ही होता है कि पानी के माध्यम से शरीर की गर्मी को बाहर निकाला नहीं जा सकता है। तो पानी एक भारी पानी बन जाता है, आप ऐसा कह सकते हैं। लेकिन आत्मसाक्षात्कार के बाद हाइड्रोजन इस प्रकार से ऊपर निकल जाती है और आपको सारी गर्मी महसूस होती है और जिन लोगों का लीवर खराब होता है उन्हें दाहिनी तरफ भयानक गर्मी का अहसास होता है।

अब आपको उस गर्मी को बेअसर करने के लिए कार्बोहाइड्रेट्स लेने होंगे। अगर आपको चीनी पसंद नहीं है, तो चावल खाएं - मेरा मतलब है कि अगर आपके सिर पर किसी तरह की चीज है। यह भी एक उद्यम है, मैं आपको बता दूं। ये खाद्य सामग्री की दुकाने भी एक अन्य व्यापार है जो बहुत सूक्ष्म है। जैसे आपके पास गुरुओं के अन्य उद्यम थे, फिर आपके पास छुट्टियां थीं। कोई विचार आया होगा। फिर ये गायक, संगीतकार, ये चारों? बीटल्स। उन्हें बनाने वाले को आप जानते हैं, उनके चाचा ने मुझे कहानी सुनाई है, उन्होंने यह कैसे किया। यह सब लोगों को दीवाना बनाने की पैंतरेबाज़ी थी और वह पागलपन अभी भी जारी है। आप देखते हैं कि लोग उसमें चलते जाते हैं। यह सब स्वयं-सुझाव वगैरह अन्य बातें है जो वे इसे कार्यान्वित करते हैं, वे मनोवैज्ञानिक हैं। और वे जानते हैं कि लोगों को कैसे प्रभावित करना है और कैसे हावी होना है। वे इसे आपकी कमजोरियों पर लागू करते हैं, जैसे आप भोजन के बारे में नहीं जानते।

कुछ स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ जो मैंने खाए, वह मनुष्यों के लिए नहीं थे, यह भैंसों के लिए थे, मैंने महसूस किया। सच में। कुछ खाद्य पदार्थ इतने कड़े और इतने कठोर थे। मेरे पेट में ऐसा दर्द हुआ। मैंने कहा, "यह इंसानों के लिए नहीं है, यह भैंसों के लिए है।" तुम भैंस नहीं हो, तुम इंसान हो। आपको ऐसा खाना खाना चाहिए जो आपके पेट के लिए सुपाच्य हो। बेशक इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इस सफेद ब्रेड का उपयोग करना चाहिए जो आपकी आंत को सुस्त बना देता है। लेकिन आपको ऐसी सख्त चीजों का सारा चारा नहीं खाना चाहिए,जैसा कि आप जो कुछ भी काटते हैं, क्योंकि आप विटामिन को संरक्षित करना चाहते हैं। तुम सब कुछ काट दोगे और सब कुछ ऐसे ही खाओगे। जापानी इस मामले में सबसे बुरे हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है जो वे नहीं खाते। मेरा मतलब है कि जैसे वे खाते हैं आप उस तरह से खाना नहीं खा सकते। उन्होंने मुझे एक विशेष भोज में सबसे पहले जो परोसा, वहां राजकुमारी थी और अन्य सब, उसके चारों ओर इन सभी काई के साथ एक खोल था। हम भारतीयों के लिए तो इन बातों को लेकर थोड़ा गड़बड़ होता ही है और मेरी बेटी ने कहा, "इसमें क्या है?"

उन्होंने कहा, "जीवित चीज़ |" हम सब डरे हुए थे। "जीवित" क्या है। उन्होंने कहा सीप या कुछ और जो अंदर जीवित रहता है। और उन्होंने इसे थपथपाया और यह उसी तरह करने लगा और, हे भगवान, आप इसे कैसे खाते हैं? और जापानियों ने बस इसे घुमाकर निकाला और खा लिया। और वे सब कुछ गलत-सलत खाते हैं।

एक लड़का था जो मूंगफली खा रहा था। हमने उससे पूछा, “तुम क्या खा रहे हो? उसने कहा। "मैं इन मेंढकों को खा रहा हूँ।" वह सिर्फ उन्हें छीलकर अच्छे से खा रहा था। क्या आप कल्पना कर सकते हैं? इस तरह वे ऐसा भोजन खाते हैं जो मानव शरीर के लिए नहीं है। तुम्हें खाना बनाना है, लेकिन तुम्हारी औरतें अपनी मुक्ति में इतनी व्यस्त हैं कि खाना नहीं बनातीं। आपको अपने पतियों को संभालने के लिए खाना बनाना सीखना चाहिए। यदि आप खाना बनाना जानती हैं, तो यह बहुत आसान है।

हमारे सहज योग केंद्र में, हम उन्हें खाना बनाना सिखाते हैं, क्योंकि अगर आप खाना बनाना जानते हैं तो आप निपुण हैं। आप देखिए, पुरुष वास्तव में इतने सरल होते हैं। मैं बहुत अच्छा खाना बनाती हूं। मैं एक उत्कृष्ट रसोइया हूँ ऐसा मुझे कहना चाहिए। लेकिन एक सज्जन मुझसे मिलने आए, वे एक जर्मन थे और उन्होंने मुझे बताया कि किसी एक कार कंपनी के एक अध्यक्ष है उन्होंने मुझसे कहा कि, "यदि आप सबसे अच्छा चिकन खाना चाहते हैं, तो श्रीमती श्रीवास्तव को खाना बनाने के लिए कहें" - वह है मेरा दूसरा नाम - "और वह एक उत्कृष्ट रसोइया है।" मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ कि मैं इतना अच्छा चिकन पकाती हूं। और वह पूरे रास्ते चल कर आया और वह मुर्गे को अपने साथ ले आया। और वह मेरे साथ खाना बनाने और खाने के लिए आया था और वह खुद भी एक बहुत बड़ा आदमी था और मुझे आश्चर्य हुआ कि वह सिर्फ चिकन पकाने का तरीका सीखने आया था। उसने कहा, "मेरी पत्नी खाना बनाना नहीं जानती।" जरा सोचिए वह कितना लाचार था।

भोजन के मामले में सभी पुरुष असहाय हैं। यदि आप उन्हें अच्छा खाना पका कर दें... लेकिन वे कह सकते हैं, "ओह, हम कुछ भी खा सकते हैं।" लेकिन ऐसा नहीं है। यदि आप उनके स्वाद और अन्य बातों को जानती हैं और यदि आप उन्हें संभालना जानती हैं, तो उन्हें संभालना बहुत आसान है।

किसी ने मुझसे कहा कि भारतीय पुरुष बहुत बड़े कायर होते हैं। मैंने कहा क्यों?"

"क्योंकि वे खाना बनाना नहीं जानते। इसलिए वे तलाक नहीं लेते हैं।" ऐसा नहीं है। वे बहुत बुद्धिमान हैं। रोज पत्नी बदलने से क्या फायदा। एक पत्नी आपकी आदतों के बारे में सब जानती है, वह आपके लिए खाना बनाना जानती है। वह सब कुछ जानती है। यह एक अच्छा विचार है कि हम साथी के रूप में बहुत अच्छी तरह से चलते हैं। हर बार यदि आप बदलते हैं, भगवान जाने, वह एक काइयां के रूप में आ सकती है, वह कुछ भी आ सकती है। आप किसी के साथ अपना दिमाग गँवा सकते हैं, कोई आपका हाथ तोड़ सकता है और दूसरा आपका पैर तोड़ सकता है। एक को जानना और उसे इस जीवन भर के लिए संभालना बेहतर है। अगली बार कम से कम आप उस प्रकार का सामना न करें। यह एक साथ रहने का एक बहुत ही सरल और बुद्धिमान तरीका है, यह समझना कि केवल एक ही जीवन में, यदि आप एक व्यक्ति के साथ रहते हैं तो आप उस प्यार, उस ध्यान, उस समझ को विकसित करते हैं क्योंकि मनुष्य मूल रूप से बहुत अच्छे हैं। अगर आप किसी के साथ दो दिन रहते हैं, तो आप उस व्यक्ति की सतही चीजें ही देख पायेंगे। यह संभवतः ठीक नहीं हो । इसलिए किसी व्यक्ति को गहराई तक जानने के लिए यह आवश्यक है कि आप उस व्यक्ति के साथ प्रेमपूर्ण देखभाल के साथ रहें, आप उस व्यक्ति को देखें और आपको पता चलेगा कि वह व्यक्ति कितना सुंदर है। वह कभी-कभी इतने खूबसूरत होते हैं कि आप हैरान रह जाते हैं।

एक अन्य दिन मुझे किसी चीज़ के लिए अस्पताल जाना था। मैं कभी अस्पताल नहीं जाती, लेकिन कुछ हुआ और मेरी जान के पीछे पड़े डॉक्टर ने कहा, "तुम्हें यह करना होगा, तुम्हें वह करना होगा," और मेरे पति यह नहीं समझ पाए, वह बहुत परेशान थे। उन्होंने मुझे ऐसा कभी नहीं देखा था। तो वह वापस अपने कार्यालय चले गए, उन्होने अपना सिर इस तरह रखा और वह वहां बैथे थे, कोई काम नहीं किया या कुछ भी नहीं किया। जब वह वापस आये तो मैं उनसे नाराज थी। मैंने कहा, "तुम्हारा यहाँ न होने का क्या मतलब है? मैं यहाँ थी और वहाँ अन्य लोग भी थे और...” लेकिन वास्तव में मुझे पता था कि वह क्या कर रहे थे। तो मैंने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि तुम भाग गए हो, कायर। आप यहाँ खड़े नहीं हो सकते। ”

उन्होंने कहा, "यह सच है। तुम्हें पता है, मैं यह नहीं देख सका।"

और फिर उनके सचिव ने मुझे बताया। "वह भयानक था। वह मुझसे बात नहीं करेंगे, वह मुझे कुछ भी करने की अनुमति नहीं देगा।" यही हुआ भी। तो, एक आदमी को समझना... प्यार करना कितनी बड़ी बात है। मुझे नहीं पता कि आपको इसका एहसास है। प्यार करना, देना बहुत अच्छी बात है। यह कुछ भी पाने की अपेक्षा बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। देना, मुझे नहीं पता कि आपने कोशिश की है या नहीं। मेरे पूरे जीवन में, मैंने देने के अलावा कुछ नहीं किया है और मुझे लगता है कि मैं इसके बारे में बहुत खुश हूं। खुशी का असली स्रोत सिर्फ देने में है, कहीं से लेने में नहीं। यह देना बहुत अच्छी बात है और आपको आश्चर्य होगा कि आपके पास किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होगी। यही तो समझना है। लेकिन मुझे किन चीजों को बचाना चाहिए, मुझे कौन सी चीजें देनी चाहिए यह विचार करने योग्य ही नहीं है। इसमें सोचने का क्या है? अगर किसी को पसंद है, तो ले लो। कोई फर्क नहीं पड़ता। यह काम करता है।

अब दूसरा केंद्र भी लक्ष्मी केंद्र का है, क्योंकि आपने मुझसे पूछा था कि लक्ष्मी कैसे प्राप्त करें। अब यह लक्ष्मी का केंद्र है, चूँकि लक्ष्मी इस चक्र की देवी हैं और जो देवता इसका पुरुष पक्ष है, वह गतिज पक्ष है। शक्ति संभावित पक्ष है और गतिज पक्ष पुरुष पक्ष है। लक्ष्मी नारायण की शक्ति है। नारायण वह देवता है जिसे आप विष्णु कहते हैं। इसलिए विष्णु केवल इसलिए अवतार लेते हैं क्योंकि वे हमारी खोज के लिए और हमें हमारी उच्च जागरूकता देने के लिए आते हैं। हमेशा विष्णु के पहलू ही अवतरित होते हैं और इसी तरह हम एक के बाद एक विकसित होते रहे हैं।

उदाहरण के लिए, जब नूह की नौका को बनाया गया था, तो वह विष्णु ही थे जो डॉल्फिन मछली के रूप में आये थे और उसने नूह की नाव को बचाया था। और इस तरह हम बच गए। फिर यह कछुआ रूप में आया कि मछलियां किनारे पर आ जाएं और धरती माता पर रेंगने लगें। इसी तरह ही एक नेता हमेशा पैदा होता है और वह नेता ईश्वर का पहलू है, अवतार है।

अब, बहुत से लोग कहेंगे, "हमें इसमें विश्वास नहीं है।" बहुत सारे ऐसे हैं। "हमें विश्वास नहीं है। हम इस पर विश्वास करते हैं और हम इस पर विश्वास करते हैं।" आप कैसे ऐसा कहते हैं? सबसे पहले यह जान लें कि आप ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आप किसी चीज के लिए बद्ध हैं। आपके पास एक निर्धारण है। जब आप कहते हैं, "मैं इसमें विश्वास करता हूं" या आप कहते हैं, "मैं इसमें विश्वास नहीं करता," आप अपनी पूर्ण जागरूकता तक नहीं पहुंचे हैं, है ना? हम कैसे परख कर सकते हैं? आप आकलन नहीं कर सकते। आपको वह बनना है। एक बार जब आप वह बन जाते हैं, तो बस हाथ खोलते हैं और प्रश्न पूछते हैं कि, "क्या विष्णु अवतार थे? क्या यह देहधारण का पहलू था जो हमें हमारी अनुभूति देता है?" आपको अधिक शीतल हवा और अधिक शीतल बयार प्राप्त होने लगेगी और तब आपको पता चलेगा कि ऐसा ही है। लेकिन विष्णु के बारे में यह तथ्य कि, उनका अस्तित्व हैं, आप अपने बोध के बाद ही जान पाएंगे। जब आप कुंडलिनी को ऊपर उठाते हैं और कुंडलिनी नाभी के इस बिंदु पर रुक जाती है, तो आपको उनका नाम लेना होगा। यदि आप उनका नाम नहीं लेते हैं, तो यह नहीं उठेगी।

इसलिए मंत्र बहुत बड़ा विज्ञान है। सबसे पहले यह जानना कि कुंडलिनी कैसे चल रही है। आप कह सकते हैं कि मंत्र इस तरह है ... इसे एक बहुत ही स्थूल उदाहरण देने के लिए, यह एक टोल की तरह है जिसका आप हर बिंदु पर भुगतान करते हैं। तो जब तुम किसी फाटक पर जाते हो, तो अब तुम्हें उस से होकर गुजरना पड़ता है। फिर आप एक टोल का भुगतान करते हैं। लेकिन कोई आपको एक मंत्र देता है। बोध से पहले इसका कोई अर्थ नहीं है। क्योंकि आपने आगे बढ़ना शुरू ही नहीं किया है। अगर आपकी कार अभी तक नहीं चली है, तो आप टोल का भुगतान कैसे कर सकते हैं? आप किसको टोल दे रहे हैं? आप केवल गुरु को टोल दे रहे हैं, जो बेतुका है। आपको उस बिंदु पर जाना है जहां आपकी कुंडलिनी रुक गई है जिसे आप स्वयं देख सकते हैं और महसूस कर सकते हैं। और फिर उस समय आपको उस विशेष मंत्र को बोलकर कुंडलिनी को ऊंचा उठाना होगा। फिर उच्च स्तर पर और उच्च स्तर पर। मंत्र कैसे बोलना है, यह एक विज्ञान है। यह सब, कुछ ही समय में आपका हो सकता है। एक महीने के भीतर आप सभी सहज योग के विशेषज्ञ हो जाएंगे।

जब मैं ऑस्ट्रेलिया गयी, तो मुझे लगता है कि मैं बमुश्किल एक महीने के लिए वहां थी, और 15 दिनों के भीतर, टेलीविजन से ये लोग और जो भी मुझसे मिलने आए उन्होंने कहा कि, "क्या आपके शिष्य सभी विद्वान हैं?"

मैंने कहा, "बिल्कुल नहीं। किसने कहा तुमसे ये?"

"ओह, वे बहुत कुछ जानते हैं।"

मैंने कहा, "क्योंकि वे अब ज्ञान बन गए हैं।" जब आप कुंडलिनी जागरण और वह सब कुछ देना शुरू करते हैं तो आप दूसरों से सीखना शुरू करते हैं। आप सीखना शुरू करते हैं कि क्या हो रहा है, यह कहां जा रही है, यह कैसे काम कर रही है, इसे कैसे संभालना है। जब तक आप कार चलाना शुरू नहीं करेंगे, तब तक आप कार के निपुण मालिक कैसे बनेंगे? उसी तरह, आपको सब कुछ जानना होगा, और उसके बारे में विचार नहीं करना अपितु उस पर काम करना होगा। तब लोग विश्लेषण करने लगते हैं, “ऐसा यह कैसे हो सकता है? ऐसे कैसे हो सकता है?" यह विश्लेषण नहीं है। यह वास्तविकता में कार्य करना है। चीज़ आपके हाथ से बह निकलती है और आप चकित होते हैं, "हे भगवान, कुंडलिनी उठ रही है।" हां। आप देख सकते हैं कि यह उपर आ गई है। बोध करा सकते हैं। जिन्हें कल बोध हुआ, वे आज साक्षात्कार दे सकते हैं। उस बारे में आप क्या कहेंगे? तुम वह शानदार हो। लेकिन यह जान लें कि आपको धूर्त लोग नहीं होने चाहिए। वे कहते हैं कि अमेरिकी बहुत धूर्त लोग हैं। इस चरित्र से सावधान रहें। तो सभी के पास एक संकेत है। इस तरह, आपके पास एक संकेत है कि आप धूर्त हैं। जबकि अंग्रेज कठोर अखरोट जैसे हैं। तो सावधान रहें। कुटिल मत बनो। अपनी आत्मा पर स्थिर हो जाओ। इसे कार्यान्वित करो। इसके बारे में सीखें और इसे स्थापित करें।

मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि माइकल इतनी दूर लॉस एंजिल्स से आए हैं। मुझे खेद है कि मैं आपको फोन नहीं कर सकी। दूसरे दिन मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा था। और आपको यहां देखकर मैं बहुत खुश और प्रसन्न थी कि आप यहाँ इसे कार्यान्वित करने के लिए आए हैं।यह ऐसा ही होना चाहिए है।

हर चक्र के बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है। और आप जानते हैं कि मैंने अकेले लंदन में कम से कम 500 व्याख्यान दिए हैं। और मेरे व्याख्यान के टेप हैं। ये उपलब्ध हैं। हम हमेशा की तरह कोई मुनाफा नहीं कमाते हैं, लेकिन आपको मुफ्त टेप लेकर हमारा शोषण भी नहीं करना चाहिए। आपको टेप के लिए ही भुगतान करना चाहिए। इन लोगों से कुछ टेप खरीदें। हम आपको भेजेंगे, आप इसे कॉपी कर सकते हैं और इसे दूसरों को दे सकते हैं जिस तरह से आप इसे प्रचलित करना चाहते हैं। तुम कर सकते हो। किसी भी चीज पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन एक बात तय है कि आप को उसे मुनाफे पर नहीं बेचना चाहिए। जैसा कि मैं इसे लाभ के लिए नहीं बेचती, आप भी इसे लाभ के लिए नहीं बेचें। ना तो शिष्य का शोषण हो ना ही आपके सामने खड़े गरीब गुरु का।

तो हम दूसरे चक्र तक जाते हैं हमारे भीतर जो बहुत महत्वपूर्ण है। केंद्र है... मुझे नहीं लगता कि मैं इसे आज पूरा कर पाऊंगी, पूरी बात, लेकिन इस बिंदु पर मैं रुकूंगी और आज रात मैं इन दो अन्य चक्रों और आत्मा के बारे में बात करूंगी।

तो, यह केंद्र हृदय का चक्र है। यहां जगदंबा, ब्रह्मांड की जननी निवास करती हैं, जो अकेली हैं। वह अकेली है। उनके साथ कोई पुरुष देवता नहीं है| वह माँ है। और वह उन लोगों की देखभाल करती है जो इस भ्रम के सागर में संघर्ष कर रहे हैं। वह वही है जो रक्षक है। वह अवतार लेती है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 1000 बार अवतार लिया है लेकिन उन्होंने कई बार अवतार लिया है। यह जगदम्बा उस समय वहाँ रहने वाली है। जब आप बच्चे थे, जैसे कि लगभग 12 साल की उम्र तक, वह उरोस्थि की हड्डी में एंटीबॉडी बनाती है। और ये एंटीबॉडीज पूरे शरीर में फैल जाती हैं और आपको बाहरी समस्याओं से बचाती हैं। अब, जिन लोगों को इसकी समस्या है, खासकर महिलाओं में, वे जीवन में असुरक्षा से आती हैं। यदि आप असुरक्षित हैं, तो आपकी दिल की धड़कन तेज हो जाती है और इस की अति होने पर ऐसी महिलाओं को स्तन कैंसर हो सकता है। यदि आप इसे फिर से स्थापित कर सकते हैं, तो स्तन कैंसर कुछ ही समय में ठीक हो सकता है।

अब जो अन्य महत्वपूर्ण केंद्र हैं, वह दोनों तरफ पिता और माता का है। अब पिता, दाहिनी ओर, श्री राम का हैं। इस धरती पर आए श्री राम और सीता। वे मध्य में स्थित नहीं हैं, इसलिए आप बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि उन्हें इसके उत्क्रांति भाग के बारे में परवाह नहीं हैं। लेकिन वे विशेष रूप से इस धरती पर जीवन के राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति के सही आचरण को स्थापित करने के लिए आए थे। एक आदर्श, एक दार्शनिक या एक परोपकारी राजा कह सकते हैं, कैसा होना चाहिए? उन्होंने उस के प्रतीक श्री राम को स्थापित करने की कोशिश की, और वे लोग जो पिता की समस्या से पीड़ित हैं - मान लीजिए कि पिता की मृत्यु बहुत पहले हो गई है - उन्हें ऐसी समस्या है। और इसका लक्षण है कि आपको अस्थमा हो जाता है। यदि आपको पिता की कोई समस्या है - यदि आपके पिता की मृत्यु जल्दी हो गई है या यदि आपके पिता आपको प्रताड़ित कर रहे हैं या यदि आप अपने पिता के प्रति सम्मान नहीं रखते हैं या यदि आप एक बुरे पिता हैं - तो पितृत्व, इसे जब चुनौती दी जाती है, तो आपको ग्रसित होते है इस सांस लेने में समस्या से और अस्थमा विकसित होता है। यह उस दाहिनी ओर के हृदय और विशुद्धि के संयोजन के साथ भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर यह दाहिनी तरफ का हृदय होता है।

अब, बाईं ओर, माता की बात है पार्वती, सदाशिव की पत्नी हैं, जो माता के रूप में अपने रूप में निवास करती हैं, अन्नपूर्णा, या वह जो भोजन देने वाली हैं। जब वह आप में होती है, तो आप पाते हैं कि यदि आप दो लोगों के लिए भी खाना बनायें, फिर भी यह उतने ही लोगों के लिए चलेगा, जितने भी इसे खाना चाहते हैं। यह ऐसा होता है। इस के जागृत होने पर यह देवता आते हैं। यह काम करता है।

यह स्वाधिष्ठान चक्र ब्रह्मदेव और सरस्वती द्वारा शासित है। जो छात्र हैं, उनके लिए इसे प्राप्त करना आवश्यक है, क्योंकि वे आपकी कलाओं जैसे संगीत, नृत्य और उन सभी चीजों के देवी-देवता हैं। साथ ही वे आपको सत्य की शक्ति भी देते हैं, इस अर्थ में कि, यदि आपके पास एक अच्छा स्वाधिष्ठान है, तो यदि आप कुछ कहते हैं तो वह सच हो जाता है। आपकी वाणी, आपकी जुबान, आपकी वाणी, आपकी जुबान जो आप बोलते है वही सच हो जाता है, यही इसकी ताकत है। जैसा कि मैंने तुमसे कहा था, लक्ष्मी तत्व से तुम्हें अपना ऐश्वर्य मिलता है। आप जहां भी जाते हैं, आप समृद्धि लाते हैं। आप किसी भी घर में जाएं, लोगों को संपन्नता मिलती है। आप जो कुछ भी छूते हैं उससे लोग बेहतर हो जाते हैं। सारी समस्याएँ दूर हो जाती हैं और यदि आपको इस स्थान पर समस्या है, तो आप जो भी प्रयास करें, आप कभी भी अमीर नहीं बनेंगे। यह हमेशा एक समस्या होगी और आपको नुकसान और इस तरह की चीजें होंगी।

अब बाईं ओर की नाभी वह केंद्र है जिसे अक्सर नशीले पदार्थों के कारण आप पकड़ लेते हैं। मुझे आपको चेतावनी देनी चाहिए कि बाईं ओर की नाभी आपको पैसे की भी समस्या देती है, हमेशा पैसे के साथ। क्योंकि अगर आपको लेफ्ट साइड समस्या हो गई है तो लक्ष्मी लुप्त हो जाती है। यदि आप बाईं ओर अधिक जाते हैं तो यह और भी बुरा होता है। तो शराब और ये सभी चीजें आपको ऐसी स्थिति में ले जाती हैं जहां आप पैसे खोना शुरू कर देते हैं और आप उससे बहुत गरीब हो सकते हैं। दाहिनी ओर नाभी वह है जो आपको लीवर की समस्या देती है और आपको एक बहुत ही दबंग स्वभाव देती है, हो सकता है, या एक स्वभाव जिससे आपको बहुत गुस्सा आता हो। बाईं ओर की नाभी में एक और बहुत गंभीर समस्या है जिसमें आपकी तिल्ली spleen प्रभावित हो जाती है। उदाहरण के लिए, जो लोग बहुत झटकेदार प्रकार के हैं, वे अपना भोजन कर रहे हैं और फिर वे काम पर भाग रहे हैं। ऐसा दायें पक्षीय लोगों के साथ भी हो सकता है, क्योंकि वे बहुत तेज गति के लोग होते हैं। वे काम कर रहे हैं और फिर वे खाना खाना चाहते हैं और साथ ही कुछ के बारे में सोचते जाते हैं। वे एक ही समय में कई चीजों में भाग लेंगे और इस प्लीहा spleen को सभी आपात स्थितियों की देखभाल करनी होगी और रक्त कोशिकाओं की आपूर्ति करनी पड़ती है।

व्यक्ति के इस प्रकार के उन्मत्त स्वभाव के कारण क्या होता है कि तिल्ली उन्मत्त हो जाती है और फिर रक्त कैंसर जैसी गंभीर बीमारी आ जाती है। यह इसके अलावा कुछ भी नहीं है, चूँकि एक ईसा-मसीह-विरोधी है जो इस देश में आकर बस गया है। यहाँ नीचे। वह नियमित 666 है जो आपको ब्लड कैंसर भी देता है। तो, यह एक बहुत ही गंभीर बात है और ये सब चीजें तभी होती हैं जब आप इसके बारे में जागरूक नहीं होते हैं। इसे आपके कुंडलिनी जागरण से ठीक किया जा सकता है। यही एकमात्र तरीका है जिससे आप ठीक हो सकते हैं, सहज योग। इससे बच निकलने का और कोई रास्ता नहीं है। लेकिन आपको सबसे पहले यह जानना होगा कि अपनी कुंडलिनी का प्रबंधन कैसे करें, इसे कैसे बढ़ाएं। लेकिन पहली चीज जो आपको करनी है, वह यह है कि आप अपने कुछ निर्धारणों को छोड़ दें। क्योंकि यह एक नया रास्ता है जिसमें आप प्रवेश कर रहे हैं। और किसी भी वैज्ञानिक की तरह आपको अपने आप को बिल्कुल खुला रखना चाहिए और खुद अपने लिए देखना चाहिए और खुद अपने लिए जानना चाहिए कि आपको हर चीज को इस तरह से समझना है कि वह तार्किक हो। यह तार्किक भी होना चाहिए और आपकी स्पंदनात्मक जागरूकता के माध्यम से होना चाहिए, न कि आपकी सोच से। पहले आपको इसे इस तरह से समझना होगा और तार्किक रूप से आप देखेंगे कि यह सच है। तो, यह आप ही हैं जिससे आप खुद की परख करते हैं। आप ही सब कुछ समझते हैं। यह आप ही हैं जो विकसित होते हैं। और यह आप ही हैं जो विकसित होता है और चीजों को भी देखता है।

इसलिए मैं तुम्हें यह देती हूं, ये सब बातें तुम्हारे साथ घटित होने के लिए, तुम्हारी अपनी बुद्धि के भीतर और तुम्हारी अपनी स्वतंत्रता में। ये सब कार्यान्वित होना चाहिए। लेकिन अभी मैं यह नहीं कहूंगी, "ऐसा मत करो और वह मत करो।" आप ऐसे ही त्याग देंगे। क्योंकि एक बार जब आप अपनी आत्मा को पा लेते हैं तो आप कभी उकताते नहीं हैं। आपके पास इसके लिए समय नहीं है। आप अपने आप का बहुत आनंद प्राप्त कर रहे हैं। आपके पास किसी भी चीज़ के लिए समय नहीं है। धूम्रपान करना भी आप भूल जाते हैं। इस तरह मैं बहुत चाल बाज़ शख्स हूं। मैंने सोचा कि "ऐसा मत करो," यह कहने का कोई फायदा नहीं है, नहीं तो वे मेरे कार्यक्रमों में कभी नहीं आएंगे। उन्हें आने दो और फिर मैं इसे प्रबंधित कर लूंगी। तब आप वास्तव में इन निरर्थक बातों, निरर्थक आदतों पर पैसा बचाना शुरू कर देंगे जो आपको मिली हैं। आप उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। यह तरीका बस काम कर जाता है।

तो कुछ समय के लिए, मुझे लगता है कि आज यह ठीक है। लेकिन शाम के समय मैं आपको बाकी सब कुछ बता दूंगी। हम भाग्यशाली हैं कि यहां दो लोग हैं जो यहां रहने के लिए हैं-वह लंदन में थीं और माइकल मेरे साथ थे - जो सांताक्रूज में रुके रहने का फैसला कर रहे हैं। वह वही है जो मुझे यहां ले आई। यह वही है जिसने ये सभी विचार दिए। मेरा मतलब है कि अब यह उसकी जिम्मेदारी है कि आप सभी को सही रास्ते पर लाया जाए और आपके अहंकार को चुनौती दिए बिना उसे ऐसा करना चाहिए, क्योंकि यह खतरनाक भी हो सकता है। चूँकि वह आप में से एक है और इसलिए आपको यह पसंद नहीं भी आ सकता है कि - वह आपको कुछ बता रही है। तो बुरा मत मानना। तुम भी उसके जैसे हो जाओगे। ऐसा है कि, उसके बारे में कुछ आक्रामक महसूस न करें। यह बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि मेरे साथ तक तो चलता है, क्योंकि सबसे पहले मैं एक मां हूं और कुछ भिन्न भी हूं। लेकिन उसके लिए आप को लगेगा कि वह बिल्कुल आपकी तरह है। तो कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम उसके जैसे बन जाओगे। और आप बहुतों को बोध भी दे सकते हैं। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। परमात्मा आप पर कृपा करे।

तो, कोई सवाल? मैं उनका जवाब दूंगी।

साधक : जब आप दूसरे चक्र की बात कर रही थी, जो वहाँ हरा है?

श्री माताजी : नहीं, वह जो पीला रंग है, जो हमें उत्थान का मार्ग देता है। कि यह वृताकार घूमता है। यह कमल के समान है। क्या आपने कमल का तना देखा है जिसमें डंठल होता है? डंठल तीसरे चक्र में है। यह वहाँ से निकलता है। और यह चारों ओर घूमता है, हर जगह आपूर्ति करता है। यह नीचे झुक सकता है। तो यह वह चक्र है जो लचीला है, स्वाधिष्ठान। जो वास्तव में डेविड का तारा, तारा है। यह वही है जिसे मूसा ने और इन सब बातों को उन्होंने बनाया है। इसका यह क्रॉसिंग मूसा के पार करने का प्रतिनिधित्व करता है, वह समुद्र जिसे उसने पार किया था। वह सब यहाँ दर्शाया गया है क्योंकि यह भ्रम का सागर है जिसे आप पार करते हैं। यह स्वयं मूसा का कार्य है।

साधक : क्या आप आत्म-चेतना और आत्म-साक्षात्कार में अंतर स्पष्ट करेंगे?

श्री माताजी : मुझे नहीं पता कि आत्म-चेतना क्या है। लेकिन आत्म-साक्षात्कार और आत्म-ज्ञान एक ही है। लेकिन शब्द आत्म-चेतना, मैंने अपनी भारतीय अंग्रेजी से जो सीखा, उस आधार पर मैं कहूंगी कि आप अपने बारे में बहुत जागरूक हैं। कि आप अपने शरीर के बारे में बहुत खास हैं और आप हैं... इसके लिए अंग्रेजी भाषा में एक और शब्द है। वह जो घमंड है? कुछ। यह अलग है। आत्म ज्ञान - आत्म बोध - स्वयं का ज्ञान।

साधक : कल रात मैं घर गया था - मैं कल रात यहाँ था- [अस्पष्ट] और मैं सोने के लिए बिस्तर पर चला गया। यह डरावना था।

श्री माताजी: क्यों? क्या हुआ?

साधक : मुझे बुरे सपने आ रहे थे।

श्री माताजी : पहले दिन ऐसा हो भी सकता है। क्योंकि चारों ओर आत्माएं हैं। वे आपको रोकने की कोशिश करेंगे।

साधक : जो आया वह मेरी मां की छवि थी और वह खुद को मार रही थी।

श्री माताजी: तुम्हारी माँ?

साधक : हाँ।

श्री माताजी : यह कुछ भी हो सकता है। कभी-कभी जब आप सोते हैं... आपको सबसे पहले तो बहुत गहरी नींद आई होगी। यही एक बात होती है। लेकिन जब आप उस नींद से बाहर आते हैं तो कभी-कभी आप शुरुआत में अपने अवचेतन क्षेत्र से गुजरते हैं। और ऐसा आभास होता है कि आप अपनी सुषुप्ति में जाग रहे हैं, यानी आपकी गहरी नींद में, ऐसा नहीं है। लेकिन आपको बस वही याद रहता है जो आपने अपने वर्तमान अवचेतन मन में देखा है और आप उसे छूते हैं। लेकिन बाद में आपको इससे छुटकारा मिल जाता है। कोई दिक्कत नहीं है। होता है।

साधक : कल रात भी आपने शराब पीने के बारे में कहा था और जब लोग शराबी हो जाते हैं, तो क्या उन पर नकारात्मक शक्तियां का कब्ज़ा हो जाता हैं?

श्री माताजी : ज्यादातर उनको ऐसा हो सकता हैं क्योंकि वे बाईं ओर जाते हैं। यदि आप पीते हैं, तो आप बाईं ओर जाते हैं। आप एक कमजोर स्थिति में हैं, इसलिए, चूँकि आप एक ऐसे क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं जो आपके लिए अज्ञात है, जो सामूहिक अवचेतन है। और लोग आप पर हमला कर सकते हैं, यह संभव है। जैसे कि, खुद माइकल आत्मसाक्षात्कार के बाद आपको बता सकता था, उसने उन्हें, जिस भी तरह वे वहां थे, देखना शुरू कर दिया। वह उन्हें देख पाता था। और तब वह उनसे बेहतर तरीके से लड़ पाया था क्योंकि अगर आप कुछ अलग बन जाते हैं तो आप बेहतर तरीके से उनसे लड़ पाते हैं। अन्यथा वे तुम्हारे अंदर तब तक रहते हैं जब तक तुम पागल न हो जाओ। आप नहीं जानते कि वे वहां हैं।

साधक : और भी, क्या यह माँ से बच्चे को स्थानांतरित भी होता है?

श्री माताजी: बहुत बहुत, इसमें कोई शक नहीं। आप कभी-कभी उन्हें अपने दोस्तों से भी शेयर करते हैं। यही वह बात है जो लोग नहीं जानते हैं कि, जब वे अन्य रूहों वगैरह का सामना करते हैं, वे नहीं जानते कि खुद को इससे बचाने का एक तरीका है। आपको रक्षा करनी है। यह बहुत सूक्ष्म है। वे बिल्कुल बीमारियों की तरह हैं। वे फैलते हैं और वे आप पर हमला कर सकते हैं। वे आप में आ सकते हैं। यह बहुत सरल है। होता है। जैसा मैंने कहा, उन्होंने और उनकी पत्नी ने अभी-अभी अपनी शादी की घोषणा की है। और वह किसी अतीन्द्रिय दृष्टी वाले अथवा उसी तरह के किसी व्यक्ति के पास गई थी। वे सब उसमें थे। वह नहीं जानती थी। उसे उसका आत्मसाक्षात्कार हो गया, ठीक है। जिस दिन शादी की घोषणा हुई, वे इसे बर्दाश्त नहीं कर सके। उसकी पत्नी की वह खुशी, इसलिए वे सब उस पर वापस आ गए। वह इतनी ग्रसित हो गई; वह पागल की तरह दिखने लगी, पागलों की तरह बात करने लगी। यह एक बड़ी समस्या थी। सब ठीक करने के लिए उन्हें लंदन आना पड़ा। ...

हाँ, वे वहाँ हैं। आप इससे लड़ सकते हैं। यह मुश्किल नहीं है। हम इसे करने की विधि जानते हैं। तो बस चिंता मत करो। सब ठीक हो जायेगा।

श्री माताजी: अब ये सज्जन, आपको क्या कहना है?

साधक : कल आपने बात की कि कैसे आपका शरीर भगवान का मंदिर है और मैं देख रहा हूं कि आप कोका कोला पी रही हैं। आपको इसमें क्या पसंद है?

श्री माताजी : मेरे साथ यह बिल्कुल ठीक है। मैं जहर भी ले सकती हूं, कोई बात नहीं। तुम मुझसे अपनी तुलना नहीं करो, ठीक है? मुझे जहर भी पीना होता है। मुझे ये सब काम करने हैं। इसलिए मुझसे अपनी तुलना न करें। लेकिन यह कोका कोला इतना भी बुरा नहीं है जितना लोग बात करते हैं। मैं आपको बता सकती हूँ। यह बहुत बुरा हुआ करता था। लगभग 2 साल पहले वे जो बना रहे थे, उससे पहले मैं वह नहीं ले सकती थी। लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं है। साथ ही मुझे लगता है कि शायद किसी तरह की दुश्मनी है जो बहुत लोकप्रिय है। शायद लोग कुछ कहना चाह रहे हैं। लेकिन जब मैं इसे लेती हूं तो मेरे साथ कुछ भी गलत नहीं होता है। अगर यह जहर होता, तो मुझे पता होता कि यह जहर है। लेकिन इसमें कुछ भी इतना गलत नहीं है। चूँकि, मुझे नहीं पता कि वे मुझे क्या देते हैं, मैं पीती हूं, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन निश्चित रूप से शराब नहीं। अगर मैं शराब पी भी लूं तो मुझे कुछ नहीं होगा। लेकिन मैं इसे नहीं लूंगी क्योंकि मुझे इसकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। मैं पहले से ही आत्माओं में हूँ। मुझे इसकी आवश्यकता नहीं है। लेकिन अब, मैं इसे लूंगी। मुझे नहीं लगता कि इस कोका कोला में कोई गड़बड़ी है। एक जमाने में यह खराब हुआ करता था। मुझे यह कभी पसंद नहीं आया। लेकिन अब मुझे कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि जो कुछ भी उन्होंने इसमें डाला था, उसे हटा दिया गया है।

डॉ वारेन: इसमें कोकीन डालना अब बहुत महंगा है।

श्री माताजी : अब मुझे नहीं लगता कि वे कोकीन डालते हैं। ओह, पहले वे कोकीन डाल रहे होंगे...”

डॉ वारेन: वे करते थे।

श्री माताजी: हां... अब यह है। ठीक है। तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है... बस। अब कितने सवाल

साधक : भ्रांति के बीजों से निपटने का सर्वोत्तम तरीका कैसे हो या कुण्डलिनी स्वयं ही उसकी देखभाल कर लेगी?

श्री माताजी : बिल्कुल। पहले जब प्रकाश आता है, फिर अंधेरा छंट जाता है। आप चकित रह जाएंगे।

अब यह क्या है, माइकल, आप पहले इतने सारे सवाल पूछ रहे थे। आप घर आकर मुझसे अभी पूछ सकते हैं। यह क्या है?

साधक : क्या आप स्वप्न में स्वयं को प्रकट करते हैं?

श्री माताजी : मुझे नहीं पता कि मुझे क्या कहना चाहिए। बहुत सी बातें मैं उन्हें आपके सामने स्वीकार नहीं कर सकती। मुझे माफ कर दो। ऐसा करना पड़ता है। क्या करें? संवाद करने का कोई तरीका है। आपका टेलीविजन मुझे नहीं लेगा।

साधक : पहली बार मुझे कुंडलिनी, चक्रों, इस शब्दावली से परिचित कराया गया है। क्या वहाँ कोई...

श्री माताजी : हाँ, हमारे पास किताबें हैं। आप वह देख सकते हैं...

साधक : इतना ही नहीं, ईसाइयों में कोई और है या [अस्पष्ट] ?

श्री माताजी: बाइबिल में? हां यह है। बाइबल जानकारी देने का एक बहुत ही संक्षिप्त रूप है। मैं मानती हूँ रहस्यमय। इसे रहस्यमय रखा गया था क्योंकि जो कुछ भी क्राइस्ट ने कहा था, उसके लिए भी आपने उन्हें सूली पर चढ़ा दिया था। उन्हें बात करने का भी मौका नहीं दिया गया। तो उन्होंने यह कहा है। परन्तु जैसा उसने कहा, "मैं आग की लपटों की तरह तुम्हारे सामने प्रकट होऊंगा।" कुछ लोग कहते हैं कि क्राइस्ट ने कहा है कि आप अपने उत्थान में देखेंगे, आप पाएंगे, यह सब कुछ है। अब आप पाएंगे कि उसने जो कुछ भी कहा वह सहायक है। यहां तक ​​कि उनकी माताजी ने भी, इस चक्र को खोलने के लिए लॉर्ड्स प्रेयर का उपयोग किया जाता है।

साधक : अलगाव की जगह से बाहर आकर और इस समाज में अधिक भागीदारी करने की चाहत में, लोगों से सीखने और अपनी ऊर्जा फैलाने और देने की चाहत में, मैं काम करने और पैसा कमाने और जो कुछ भी अन्य लोग कर रहे हैं वैसा ही करने की इच्छा और जरूरत में फंस रहा हूं। और यह मुझे खुद से और दूर खींच रहा है। मैं इसे होते हुए देख सकता हूं और साथ ही मैं वास्तव में उत्पीड़ित महसूस कर रहा हूं और फिर भी ऐसा करने की आवश्यकता में फंस गया हूं क्योंकि इस ग्रह पर यही किया जाता है ...

श्री माताजी : बिल्कुल, मैं वही कह रही हूँ। आपको अलग क्यों करना चाहिए? आप संपूर्ण के अंग प्रत्यंग हैं। समाज से अलग होने की जरूरत नहीं है। केवल कम्युनिस्ट अलग-थलग करेंगे। आपको समाज में ही लड़ना होगा। आप जानते हैं कि मैं एक विवाहित महिला हूं, मेरे पोते-पोतियां हैं, मुझे मेरा पति मिला है। दूसरी तरफ मैं बहुत व्यस्त हूँ, बहुत व्यस्त हूँ। इस बार मैं न्यूयॉर्क से इसलिए गई क्योंकि मेरे पति का बहुत बड़ा रिसेप्शन था और मैंने दरवाजे पर खड़े 680 लोगों से हाथ मिलाया। फिर मैं वापस अपना काम करने न्यूयॉर्क वापस आ गयी। तो, मैं अपने बच्चों को हाथ मिलाकर गले लगा रही हूं।

साधक : मुझे यह बहुत थका देने वाला लगता है...

श्री माताजी : आत्मसाक्षात्कार होने से पहले ऐसा होता है, बाद में नहीं। क्योंकि आत्मसाक्षात्कार से पहले तुम [अस्पष्ट] नहीं हो। बोध के बाद यह आपकी आत्मा ही है जो आपकी सभी जरूरतों को पूरा करती है, आपकी जीवन शक्ति और हर चीज की। हम आपको बताएंगे कि इसे कैसे पोषित करना है। आप कभी नहीं थकेंगे। यह एक अटूट शक्ति है जो आप में किया जाता है।

साधक : आपके मार्ग में, बोध कैसे होता है? क्या आप शक्तिपात हैं? क्या आप ऊर्जा संचारित करती हैं?

श्री माताजी: यदि आप ये प्रश्न पूछते हैं, तो मुझे आपको कुछ बताना होगा। मुझे नहीं पता कि मुझे आपको बताना चाहिए या नहीं। क्योंकि, तुम कर सकते हो। यह जानना होगा कि लोग जो कोई भी लोग कुछ बताने की कोशिश करते हैं, उनकी हत्या कर दी गई और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। लेकिन मैं कुछ महान कर रही हूं, जरूर होना चाहिए। मेरे बारे में भी अवश्य ही कुछ होना चाहिए। बेहतर होगा कि आप खुद को खोज लें क्योंकि अगर मैं आपको बता दूं तो आप मुझसे दूर हो सकते हैं और यह काफी अलग हो सकता है। लेकिन मुझे आपके सामने वैसे ही प्रकट होने दें जैसे आप हैं। यह बेहतर है कि हम एक-दूसरे के अनुकूल हों और एक-दूसरे को समान स्तर पर समझें।

साधक : क्या आप इसे कार्यक्रम के अंत में करते हैं?

श्री माताजी : हाँ, हाँ, लेकिन इसे किसी भी नाम से मत पुकारो, नहीं तो इसकी तुलना अन्य चीजों से की जा सकती है। जैसे लोग शक्तिपात करने लगे हैं। कोई भी ऐरा, गैरा और नत्थू खैरा ऐसा कर रहा है।

साधक : कल रात से मेरी ऊर्जा पूरी तरह बदल गई है। मैं वास्तव में हल्का और भारहीन हो गयी थी और यह लगभग ऐसा है जैसे मेरा शरीर पूरी तरह से गायब हो गया है, लगभग अदृश्य होने की क्षमता और जब मुझ पर हमला किया जा रहा था तो मैं इसे अपने शरीर पर महसूस नहीं कर रही थी जैसा मैं इस से पहले महसूस करती थी।

डॉ. वारेन: वह कल रात के बोध के बाद से अपने अनुभव का वर्णन कर रही है, कि वह बहुत हल्का महसूस करती है और उसे लगता है कि वह किसी भी हमले से दूर हो सकती है...

श्री माताजी : हम आपको बताएंगे कि कैसे और अधिक समस्याओं से बचा जा सकता है। कैसे अपने घर से पूरी तरह सुरक्षित बाहर निकलें और कैसे अपना ध्यान अपनी आत्मा पर लगाएं क्योंकि इससे आपको गतिशील शक्तियां प्राप्त होंगी। आपको एकांतप्रिय बनने की जरूरत नहीं है। हम किसी से डरने वाले नहीं हैं।

साधक : स्व-निर्मित साधु होने के नाते मैं 1969 से देश भर में लंबी पैदल यात्रा कर रहा हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मैं राष्ट्रों से संबंधित नहीं हूं और मैं यहां एक कैदी की तरह महसूस करता हूं। मैं जानना चाहता हूं कि क्या इस पृथ्वी पर कहीं भी ऐसा है जहां लोग राष्ट्रीयता से स्वतंत्र रह सकते हैं। हम उस तरह से जीने का चुनाव नहीं करते जिस तरह से समाज रहता है।

श्री माताजी: मेरे बच्चे, मुझे विश्वास है कि, आप को ऐसा इसलिए लगता है आप में कुछ बातें जन्मजात है, इसमें कोई संदेह नहीं है। मैं उस बिंदु को अच्छी तरह समझती हूं। लेकिन आपको आश्चर्य होगा जब आप देखेंगे कि इस समाज में ही वे एक नया समाज बनाने जा रहे हैं। आप अपने भाइयों और बहनों को कैसे छोड़ सकते हैं? अगर मैं तुमसे कहूं, ठीक है, तुम साथ आओ। आप सभी के लिए वहां आ जाने और वहां रहने के लिए हमारे पास भारत में कुछ जगह होगी। लेकिन फिर यहां के लोगों की देखभाल कौन करेगा?

लंदन में हमारे पास अच्छे सहजयोगी हैं और ट्रेसी वहां आकर बहुत खुश होतीं। लेकिन मैंने उससे कहा, "सांताक्रूज के लोगों के बारे में क्या?" तुम चकित होओगे कि, वे सब संत हो जायेंगे| उन्ही लोगों को आप ऐसा करते हुए पाएंगे। ऐसा आप अभी ही पायेंगे| आज रात मैं आपको अमेरिका के बारे में बताऊंगी कि यह कितना महान है। अगर मुझे इसकी महानता का ज्ञान नहीं होता तो मैं इस देश में नहीं आती। मुझे क्यों आना चाहिए?

साधक : अगर हम आज रात नहीं आ सकते हैं तो अपनी शिक्षाओं को कैसे जारी रखें?

श्री माताजी : यदि संभव हो तो यहां रहना बेहतर है। यह एक ऐसी चीज है जिसका अभ्यास आपको अपने दोस्तों और चीजों के साथ रोजमर्रा की जिंदगी में करना होता है। यह कुछ ऐसा है जो हमारे भीतर विकसित होता है। यह कोई ऐसी शिक्षा नहीं है। यह वह वृद्धि है जो होती है।

साधक : अभी इस देश में हमारे पास बहुत शक्तिशाली पुरुष हैं जिनके हाथ में परमाणु युद्ध के माध्यम से पूरे ग्रह को नष्ट करने की क्षमता है। ऐसा लगता है कि वे राक्षसों द्वारा बहकाए गए हैं। मैं जानना चाहता हूं कि इन लोगों तक योग का प्रकाश पहुंचाने में योगी शिक्षक की क्या भूमिका है।

श्री माताजी : जैसा कि मैंने कल तुमसे कहा था, वह मुझ पर छोड़ दो। मैंने उन सभी से निपटा है। मुझे पता है कि उनसे कैसे निपटना है।

साधक : मैंने सुना है कि अतीत के महान योगी अमेरिका में अवतरित हुए हैं।

श्री माताजी: हाँ, यह सच है, छोटे बच्चों। एक बाहर पहरा दे रहा है। आपकी बेटी फिर, जो आपकी गोद में बैठी थी। जबरदस्त, है ना? एक वयोवृद्ध औरत की तरह सभी को देख रही है। कल जो दो लड़कियां अंदर आई थीं, उनमें से एक अभी आ रही है। बहुत महान लोग अभी पैदा हुए हैं। अगर चाहें तो उनमें से किसी एक का पिता बनना चाहिए।

साधक : मैं करूंगा।

श्री माताजी : अच्छा विचार है। हमें सबसे पहले एक अच्छी शादीशुदा जिंदगी रखनी है। उनका विवाह ऐसे लोगों से नहीं होगा जिनका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहता है। तो दूसरा चरण आप सभी की शादी करना होगा।

साधक : मेरे जीवन में जो आदमी है और मैं चाहती हूँ कि हम एक साथ सपने देखें, अपने सपनों में एक दूसरे को खोजें और अपने सपनों को एक साथ पूरा करें। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?

श्री माताजी : तुम वास्तव में साथ क्यों नहीं हो? यही बात है, यह सपना ही है। हकीकत एक सपने की तरह प्रतीत होती है, आप जानते हैं? यह बहुत सुंदर है। वास्तविकता में रहना सबसे अच्छी बात है, हर चीज़ वास्तविकता में, वर्तमान में, हर कोई। जीवन का प्रत्येक क्षण गतिशील है। हम वर्तमान में नहीं जीते हैं। हम भूतकाल में जीते हैं या भविष्य में। आपके पास जो है उसका आनंद लें। लेकिन मैं यूं ही नहीं कह सकती। यह एक घटना है। मैं केवल ऐसा कह नहीं सकती कि तुम वर्तमान में रहो। यह नहीं चलेगा। यह ब्रेनवॉश करने वाली बात है। नहीं, यह तो घटित होना चाहिए।

साधक: माता-पिता के साथ कार्यान्वित होने का सबसे अच्छा तरीका क्या है जो हमारे बारे में चिंतित हैं और हमारे जीवन में हस्तक्षेप कर रहे हैं - उन्हें कैसे संभालना है?

श्री माताजी : मैं आपको बताती हूँ कि प्रेम का जादू कैसे फैलाना है। प्यार के जादू की पट्टी लगाने का एक तरीका है। यह बहुत सरल है। हम इस काम को अंजाम दे सकते हैं। अगर वे शैतान हैं तो वे इसे भूल जाएंगे लेकिन अगर वे इंसान हैं तो वे नज़दीक आ जाएंगे।

साधक : हम कैसे बता सकते हैं कि वे राक्षस हैं या नहीं?

श्री माताजी : जब आपके हाथों में विवेक शक्ति आती है, तो आप वायब्रेशन महसूस करने लगते हैं और राक्षसी लोग आपके हाथों पर छाले दे देते हैं, न केवल गर्मी बल्कि वास्तविक छाले। यदि आप उनकी आंखें देखते हैं, तो राक्षस की आंखों की पुतलियां बिल्ली की आंखों की तरह गायब हो जाती हैं। वे उनकी आंखों में बहुत शक्तिशाली लगते हैं, सम्मोहक की तरह, लेकिन अगर आप उन्हें देखेंगे तो उनकी आंखें गायब हो जाएंगी। कभी-कभी अगर आप उन्हें छूते हैं तो वे बेहोश हो जाते हैं।

साधक: मैं यीशु के दूसरे आगमन और बाइबिल की भविष्यवाणी के बारे में सुनना जारी रखना चाहता हूं और यह कितना सही है क्योंकि आपने ईसा-मसीह विरोधी का उल्लेख किया है। मुझे यह निश्चित भावना है कि कुछ बहुत भारी होने वाला है और बहुत से लोगों को लगता है कि यह पृथ्वी पर स्वर्ग जैसा होने वाला है लेकिन पहले बड़े पैमाने पर विनाश होगा और शायद यीशु का आगमन केवल एक मानसिक मतिभ्रम होगा और वास्तव में वापस नहीं आएगा लेकिन मुझे इस बात का आभास है कि कुछ...

श्री माताजी: यह सही है। यह होने वाला है। लेकिन अभी के लिए मत पूछो। आइए इसे सुलझाते हैं। जितने हो सके उनको हम बचाएं। यह होने जा रहा है, होना ही है, अंतिम परिणिति। तब कोई भी आपको बताने वाला नहीं है, आपको दिलासा देना, उद्धारक, कुछ भी नहीं। हम बस परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने जा रहे हैं और हम अपने दरवाजे बंद कर देंगे और खुश रहेंगे। इसलिए विनाश की चिंता मत करो। बाकी जो कुछ भी नष्ट होना है, वह नष्ट हो जाएगा। लेकिन किसी भी तरह से आप का नहीं है।

साधक : मुझे सिखाया गया है कि मेरे आध्यात्मिक जीवन में आपके स्वभाव और हम कैसे सोचते हैं, में अंतर है। आपकी शिक्षाओं में इसका कोई प्रभाव है।

श्री माताजी : नहीं, बिलकुल नहीं। लेकिन बायाँ, दायाँ और मध्य पथ वास्तविक बातें हैं लेकिन इंसान इन तीन गुणों के क्रमपरिवर्तन और संयोजन से बना है। लेकिन शारीरिक पक्ष के इस बाएं हाथ का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

साधक : जब आप बाएँ और दाएँ पक्ष की बात करते हैं तो मुझे लगता है कि आप विपरीत मस्तिष्क गोलार्द्धों की बात कर रहे हैं।

श्री माताजी : हाँ, आप अहंकार और प्रति अहंकार देखते हैं। बिल्कुल, कोई भी बाएं हाथ या दाएं हाथ का नहीं है, लेकिन हमारी आदतों और तरीकों से हम बाएं या दाएं अधिक जाते हैं। हमारी शैली यह है कि हम इन चरम सीमाओं पर व्यवहार करते हैं और हम ऐसे ही हैं।

साधक : जब आप बाईं ओर कहते हैं तो आप दाएँ मस्तिष्क की बात कर रहे होते हैं?

श्री माताजी : हाँ, बिल्कुल मस्तिष्क का दायाँ भाग। लेकिन असल में इसे अधिक पीछे की तरफ स्थापित किया गया है। यहाँ से यह शुरू होता है [सिर का दाहिना भाग], अधिक पीछे की तरफ। दाहिनी ओर वाला, हालांकि इसे यहां रखा गया है, इसे इस तरह रखा गया है [सामने से बाएं]।

साधक: बाइबिल में कई जगहों पर यीशु ने वापसी का उल्लेख किया है और मुझे नहीं पता कि क्या शास्त्र इसे दूसरा आगमन कहने में सुस्पष्ट हैं, लेकिन जैतून के पहाड़ पर उन्होंने शिष्यों से कहा कि उनके नाम पर कई आएंगे, होने का दावा करते हैं उसे और बहुतों को धोखा दिया जाएगा। भाई भाई के खिलाफ और देश देश के खिलाफ हो जाएगा। आप युद्धों और युद्धों की अफवाहें सुनेंगे, विभिन्न स्थानों पर अकाल, महामारी और भूकंप आएंगे। देख रहे हैं कि आप इनसे परेशान नहीं हैं लेकिन इनका होना जरूरी है। [वह कुछ विनाशकारी और मनुष्य के पुत्र की वापसी के बारे में नए नियम के उद्धरणों के साथ आगे बढ़ता है जो महान शक्तियों के साथ आएगा]।

श्री माताजी: वे ग्यारह रुद्र कहलाते हैं, विनाश की ग्यारह शक्तियाँ जो मैं कल आपको बताऊँगी कि, वे हमारे भीतर कहाँ स्थित हैं।

साधक : जो सच्चा भविष्यद्वक्ता हो सकता है, और जो झूठी भविष्यद्वाणी है, जो उन वस्तुओं से आती है जो देखने में अच्छी लगती हैं, पर वंशागत रूप से अच्छी नहीं हैं उनमे आप कैसे फर्क करती हैं? मैं उल्लेख करना चाहता हूं और, मुझे आशा है, निष्पक्ष रूप से, जो मुझे सन म्युंग मून के शिष्यों, गुरु महाराजी के शिष्यों और लव इज़राइल के अनुयायियों द्वारा बताया गया है। मुझे बताया गया है कि उन के गुरु ही ईसा- मसीह की वापसी है और जबकि बाइबल मुझे बताती है कि यदि कोई व्यक्ति आपके पास आ कर कहता है कि रेगिस्तान में जाओ, क्योंकि मसीह वहाँ है या पहाड़ों से बाहर आता है, तो विश्वास न करें क्योंकि ऐसा नहीं है सच...

श्री माताजी: क्या अब मैं आपको बता सकती हूँ कि जो आप मुझे बता रहे हैं, मैं समझ रही हूँ, कि यह सच है, कि वे सब एक ही बात कह रहे हैं? उन्हें एक ही बात कहनी है। झूठे लोगों को बिल्कुल उस व्यक्ति की तरह होना चाहिए जो एक वास्तविक व्यक्ति है। समस्या यह है कि यह कैसे पता लगाया जाए कि कौन सच है और कौन नहीं। तुम कल यहाँ नहीं थे? नहीं, यही कारण है। मुझे इसे अभी दोहराना है। मैंने शुरुआत में ही बता दिया था कि इसे कैसे पहचानना है।

सबसे पहले आप किसी भी ईश्वर के काम के लिए किसी के पास जाते हैं, आपको पता होना चाहिए कि आप इसके लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा व्यक्ति धार्मिकता की, पवित्रता की, पवित्रता की बात करेगा। [अस्पष्ट और उसके पास विवेक होना चाहिए।] पहला पैसा है [अस्पष्ट] लेकिन क्या आपको कोई समस्या है। उदाहरण के लिए कहें, उन्होंने इस गुरु महाराज जी नामक शख्स के बारे में बताया। भयंकर। मैं उसे इस नाम से नहीं पुकारूंगी। मैं उसे रक्तबीज (राक्षस) कहती हूं। अब यह व्यक्ति, यदि उसका शिष्य है, तो आप इस शिष्य से देखें। उदाहरण के लिए, यदि वह कहता है कि उसके पास कुछ है तो आप उससे कहें, "क्या आप कह सकते हैं कि मेरे चक्रों के साथ क्या मामला है?" उससे पूछें, "क्या आप बता सकते हैं कि आपके अपने चक्रों के साथ क्या मामला है?" अब ये लोग जान गए हैं। वे आपको बताएंगे कि यह कहां है। वे कुंडलिनी को उठा सकते हैं, वे आपको कुंडलिनी का उत्थान दिखा सकते हैं। खुली आंखों से आप कुंडलिनी के उत्थान को देख सकते हैं। बिल्कुल नहीं, बिल्कुल। यदि आप पार हैं तो ऐसा नहीं होता है। लेकिन अगर कोई रुकावट है तो वे देख सकते हैं। आप यहां अपने सिर के ऊपर इसका सबूत महसूस कर सकते हैं। वास्तव में। ना तो आप बस कूदते-फांदते हैं और न ही वैसा ही कुछ करते हैं, लेकिन आप देखते हैं कि ठंडी हवा निकल रही है। यह पवित्र आत्मा Holy Ghost की ठंडी हवा है जिसे प्राप्त करने के बाद आपको महसूस करना है। आपको मजबूर नहीं किया जा सकता है, यह आप ही हैं जिन्हें इसे महसूस करना है। आपको यह करना है।

फिर जब यह आपके साथ हुआ हो, तो प्रश्न पूछें। प्रश्न पूछकर सब कुछ पता लगाया जा सकता है, "क्या ईश्वर है?" आपको अपने हाथ में एक ठंडी हवा मिलेगी, अगर आप एक आत्मसाक्षात्कारी हैं तो बहुत कुछ। लेकिन अगर आप कहते हैं, "क्या यह सज्जन एक सच्ची आत्मा हैं?" आपको गर्मी मिलेगी, या आपके वायब्रेशन थम जाएंगे या आश्चर्यजनक रूप से आपको छाले भी पड़ सकते हैं। आपके माध्यम से बहने वाली पवित्र आत्मा Holy Ghost की इस ठंडी हवा के कारण आपकी जागरूकता उस भेदभाव से सशक्त हो जाती है । आप अपने चारों ओर उस सर्वव्यापी शक्ति को महसूस करने लगते हैं जो आपको पहले महसूस नहीं होती। इसलिए जब ये लोग आपसे बात करना शुरू करें तो आपको पता होना चाहिए कि आपको खुद क्या प्राप्त है। यह मुख्य बात है: तुम्हारे पास क्या है?

अब जैसा उसने कहा, हम उसे सिखाएंगे कि कैसे आत्मसाक्षात्कार देना है। आज आप लोगों को आत्मसाक्षात्कार दिलाएंगे। जिन लोगों ने कल ही ठंडी हवा को महसूस किया है वे भी आज आत्मसाक्षात्कार दे सकते हैं। क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं?

साधक : मैंने बहुत से लोगों को आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक शब्दावली के बारे में बात करते हुए सुना है और मुझे अभी भी बहुत डर दिखाई दे रहा है और मैं सोच रहा हूं कि क्या आप इस बारे में बात कर सकते हैं कि लोग अपने डर का सामना कैसे कर सकते हैं और शायद उन्हें जाने दें।

श्री माताजी : सबसे पहले, मैं महज बात नहीं कर रही हूँ। मैं सुनिश्चित करुँगी की आप इसे प्राप्त करने जा रहा हैं। मुद्दा यह है। यह महज बात नहीं कर रही हूँ। चलो अब हम यह करें। अगर आप मुझसे ऐसी अपेक्षा करते हैं कि, मैं हर समय प्रश्नों के उत्तर देती हुई बातें करूँ ...

साधक : जब हम आसपास होते हैं तो क्या कोई विशिष्ट तरीका है जिससे मैं अपनी बेटी की रक्षा कर सकूं...

श्री माताजी: हाँ, हम आपको वह सब सिखाएँगे।

क्या हम इसे संक्षिप्त कर सकते हैं? बेहतर है आप इसे पायें।

साधक : बात करने से लोग सोचने लगते हैं।

श्री माताजी : हा हा हा हा । उन्होंने यह कहा है। बेहतर होगा कि आप बात न करें। सोचने, सोचने से यह प्राप्त नहीं होगा। तुम सोचते रहे हो, बातें करते रहे हो, बहस करते रहे हो - अब तक तुमने जो कुछ भी किया है। अब बेहतर होगा कि इसे प्राप्त करें और अपने डर और हर बात पर काबू पाएं।

[श्री माताजी आत्मसाक्षात्कार देना शुरू करते हैं]

यह प्रत्यक्ष अनुभव है जो अंतर्जात है, विचार नहीं। उन्होंने जो कहा वह सच है। सोचना आपको और भी बुरा बना देता है। सोचने की बात नहीं है। अब इस तरह अपने हाथ मेरी ओर रखो, इस तरह से बैठें जहाँ आप सहज हों। (वैसे भी मैं इसे फिर से कहूंगी। कृपया इसे बाहर निकालें। थोड़ी सी भारी चीज।)

डॉ वारेन: कोई भारी हार या कुछ भी।

श्री माताजी: और ये रुद्राक्ष [अक्सर विभिन्न रोगों के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले मोतियों के प्रकार] उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिए हैं, न कि निम्न रक्तचाप वाले लोगों के लिए। हर चीज की अपनी जगह होती है।

अब कृपया अपनी आंखें बंद कर लें और दोनों हाथों को मेरी ओर कर लें।

अपनी आँखें बंद करो, बस अपनी आँखें बंद करो और अपने शरीर को मत हिलाओ। इसे स्थिर रखें। आपको इसे स्थिर रखना होगा।

स्थिर, स्थिरता मुख्य बिंदु है। अब तुम्हारा चित्त बिलकुल ढीला है, अपना चित्त ढीला करो। इसे किसी भी बिंदु पर स्थापित न करें। लेकिन अगर आप इसमें मदद नहीं कर सकते हैं, तो आप अपना चित्त अपने सिर के ऊपर रख सकते हैं लेकिन कहीं और नहीं। इसे कहीं भी स्थापित न करें। इसे ढीला रखें। यह बस तरीका काम करेगा।

अपना दाहिना हाथ अपने दिल पर रखो, और सवाल पूछो, "माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?" बस सवाल पूछो।

अब अपने दाहिने हाथ को अपने पेट के आधार पर बाईं ओर रखें। स्वाधिष्ठान चक्र बायीं ओर है। बस बायीं ओर, यह बहुत महत्वपूर्ण है। अब प्रश्न पूछें, "माँ, क्या मैं शुद्ध ज्ञान हूँ?" या, “मुझे शुद्ध ज्ञान दो।” सिर्फ इतना कहो, "माँ, मुझे पावन ज्ञान बना दो।" आप। सबसे पहले यह विश्वास करें कि आप वह हैं। तुम बस उसमें जागृत हो जाओ।

अब पेट के ऊपर तिल्ली के हिस्से के ऊपर थोड़ा ऊपर जाएं। क्या तुम जानते हो? उच्चतर, निकट, पसलियां, पसलियों पर अधिक। पूरा उपर नहीं, पसलियों से थोड़ा नीचे। जोर से दबाएं। बायां हाथ मेरी ओर और दाहिना हाथ। बस यहीं, यहीं। अब आंखें बंद करो, आंखें बंद करो। अपनी आँखें बंद करो, और यहाँ, "माँ, मुझे अपना गुरु बनाओ।" आपका अपना गुरु। आपका अपना स्वामी। "मुझे अपना गुरु बना दो।" अपने दाहिने हाथ को थोड़ा गहरा दबाएं, लेकिन अपनी सांस को रोकें नहीं। जितना हो सके सामान्य रूप से सांस लें... यह आपको 10 बार कहना है। अपने दिल से। "मुझे अपना गुरु बना दो।" यह वास्तव में आपको विवेकपूर्ण बना देता है।

अब इसे और ऊपर उठाएं। इसे अपने दिल के स्तर पर रखें। बायां हाथ मेरी ओर होना चाहिए जैसे कि आप कुछ मांग रहे हों। ऐसे ही। अब दिल की बात कहो, "माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?" कृपया, मुझसे पूछें, "माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?" सिर्फ पूछना। आप में से अधिकांश लोगों को इस समय ठंडी हवा मिलेगी। फिर से 10 बार। (इतने सारे इसे प्राप्त कर रहे हैं।)

डॉ वारेन: यह बहुत अच्छा है, बहुत अच्छा है।

श्री माताजी : अच्छा। बस पूछो, "माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?" 10 बार। (अच्छा?)

फिर से दोषी महसूस किए बिना। मुझे कहना चाहिए, सबसे पहले, कहो, "मैं दोषी नहीं हूं।" यह बेहतर है। अपना दाहिना हाथ, उपर, गर्दन पर, बाईं ओर रखें। गले पर। यह बायीं विशुद्धि है। अब बस इतना कहो, "माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।" 16 बार फिर कहो क्योंकि तुम लोगों की विशुद्ध विशुद्धि बहुत खराब है। मैं कल रात 2 बजे तक क्लियर कर रही थी, तुम्हारी बाईं विशुद्धि। मेरे बच्चों, दोषी महसूस करने के लिए क्या है? तुमने किया ही क्या है? क्या आपने किसी को मारा है? तुम इतने दोषी क्यों हो? यह कहते चले जाओ, "माँ, मैं बिल्कुल भी दोषी नहीं हूँ।" आपका आत्मविश्वास वहां नहीं है। अनावश्यक रूप से आपको एक... (बाईं ओर, बाईं ओर) मिल रहा है, बस आपको बिल्कुल भी दोषी महसूस नहीं करना है। यदि आप दोषी महसूस कर रहे हैं तो आप अपने आप को अकारण दंडित कर रहे हैं। आप खुद को सजा क्यों दे रहे हैं? बस कहो, "माँ, मैं दोषी नहीं हूँ।" अपना दाहिना हाथ यहाँ रखो। अपनी आँखें ठीक से बंद करो। इसे यहाँ नीचे रखो। देखिए, आपके तथाकथित अपराध-बोध की एक प्रकार की गांठ अवश्य होगी। यह सब असत्य है। यह एक बहुत, बहुत बड़ा झूठ है जिसे आप आगे बढ़ा रहे हैं और खेद और पीड़ा महसूस कर रहे हैं। वहाँ क्या भुगतना है? आप बस इतना कहें, "माँ, मुझे कोई कष्ट नहीं है और मुझमें किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं है। मुझे पूरा विश्वास है, मैं एक साधक हूँ और मैं परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने जा रहा हूँ।" (बेहतर?) [अस्पष्ट] मुझे नहीं पता कि आप कितने सालों से ऐसा कर रहे हैं। किसी भी चीज़ के लिए दोषी मत बनो। तुमने जो कुछ किया है, वह कुछ भी नहीं है। मैं प्रेम के सागर, क्षमा के सागर, करुणा के सागर की बात कर रही हूं। और तुम्हारा दोष क्या है? एक तिनका भी नहीं। आह। अब बेहतर।

अब आप दोनों हाथ मेरी ओर रख सकते हैं। और अब कहो, "माँ, मैं सभी को क्षमा करता हूँ।" दरअसल, इसके लिए लॉर्ड्स प्रेयर सबसे अच्छी है। यदि आप सभी लॉर्ड्स प्रेयर जानते हैं तो आप इसे मन ही मन कह सकते हैं और यह तेजी से काम करेगा। क्या आप ऐसा कहेंगे? आइए देखते हैं।

साधक: हमारे पिता, जो स्वर्ग में स्थित है, आपका नाम पवित्र है। आपका राज्य आए, आपकी पृथ्वी पर इच्छा उसी तरह पूरी हो, जैसे स्वर्ग में होती है। आज के दिन हमें हमारी प्रतिदिन की रोटी दो, और हमारे अतिचारों को क्षमा करें जैसे हम उन लोगों को क्षमा करते हैं जो हमारे विरुद्ध अपराध करते हैं। और हमें परीक्षा में न ले, वरन बुराई से बचायें। क्योंकि आपका ही राज्य, शक्ति और महिमा युगानुयुग है। तथास्तु।

श्री माताजी: फिर से। [लॉर्ड्स प्रेयर दो बार और पढ़ी जाती है।]

अब, अपनी बोध प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। आपको प्रार्थना करनी होगी| आपके मांगे बिना मैं आपको नहीं दे सकती। जैसा कि मैंने कहा, स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है। आपको मांगना होगा। अपने दोनों हाथ मेरी ओर रखो और कहो, "माँ, कृपया हमें हमारा आत्मसाक्षात्कार दें।" या, "क्या आप मुझे मेरा बोध दे सकती हैं?" आपको इसके लिए मांगना होगा। सात चक्रों के लिए सात बार। बस अपनी बोध प्राप्ति के लिए मांगे। इसे प्राप्त करना आपका अधिकार है। माँगना आपका अधिकार है.........

Heartwood Community Center, Santa Cruz (United States)

Loading map...