Address to IAS officers wives association

Address to IAS officers wives association 2000-04-08

Location
Talk duration
77'
Category
Public Program
Spoken Language
English

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

The post is also available in: English.

8 अप्रैल 2000

Public Program

New Delhi (भारत)

Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Reviewed

पब्लिक प्रोग्राम , आईएएस ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन , नयी दिल्ली , भारत के सत्य साधकों को मेरा प्रणाम । 08-04-2000.

वर्तमान, समय जिसे ‘घोर कलियुग’ का समय कहते हैं और, सभी प्रकार की भयानक चीज़े हम यहाँ देखते – सुनते है, समाचार पत्रों में पढ़ सकते हैं। यह सच्चाई है कि हम एक बहुत बुरे समय से गुज़र रहे है।इस के अतिरिक्त हम बहुत ही निम्न स्तर के लोग मिलते हैं, जिन्हे हम अति निम्न जीवन-मूल्य वाले लोग कह सकते है।परंतु ऐसी भविष्यवाणी बहुत,बहुत ही समय पहले की गई थी कि इस वर्तमान समय में ही वे लोग जो सत्य खोज रहे है इन गिरी कंदराओं में, हिमालय, सभी प्रकार के विस्मृत स्थानों में, वे सत्य को पा लेंगे। यह सब पहले से ही अनेकों महान ज्योतिष ज्ञानियों द्वारा , संतो द्वारा भी वर्णित है। तो वर्तमान में हम बहुत ही भाग्यपूर्व परिस्थिति में स्थापित हैं। मैं यह अवश्य कहूँगी कि मुझे उन समस्त लोगों के लिए अत्यधिक प्रेम है , जो आएस और आइपीस और अन्य सिविल सेवाओं में हैं क्योंकि मैं जानती हूँ कि उन्हें किन परिस्तिथियों में से गुज़रना पड़ता है, यह बहुत उथल पुथल और त्याग से भरा हुआ जीवन है ; पत्नी के लिए भी , परंतु मुझे हमेशा आभास होता था कि यह युद्ध में लड़ रहे एक सैनिक की तरह हैं। हम यहाँ इस देश का निर्माण करने के लिए हैं। मेरे पति पहले विदेश सेवा में थे , मैंने कभी सेवाओं के बारे में नहीं सुना था और यह सब इसलिए मैंने कहा अब ये विदेशी सेवाएँ कैसी होगीं परंतु मैंने कहा मैं किसी विदेश में नहीं जाने वाली हूँ, हमें अभी अभी स्वतंत्रता मिली है और हमें यहाँ काम करना है , हमें इस देश के लिए कई काम क्रियान्वित करने होंगे। इतना ही नहीं अपितु मुझे आभास प्रतीत हुआ कि सिविल सेवा इस देश की रीढ़ की हड्डी है। उन्हें सभी बुरे परिणाम झेलने पड़ते है, , सभी तकलीफे , सभी बोझ सहन करने पड़ते हैं , और साथ ही साथ इन पर देश के निर्माण का भी एक बड़ा उत्तरदायित्व होता है। और इसलिए मैंने अपने ,मुझे कहना चाहिए सभी प्रयास किये कि मेरे पति आईएएस के लिए चयनित हो जाए और किसी न किसी कारण हमने काफी पैसे और सब कुछ खो दिया , मैंने कहा “ठीक है”! किसी भी परिस्तिथि में मैं रह सकती हूँ परंतु विदेशों में रहना और अपनी ऊर्जा वहाँ पर नष्ट करना व्यर्थ है। अब समय है हमारे लिए यहाँ रहने का और मेरे विचार में यह राष्ट्र भक्ति ही एक मात्र ऐसी चीज़ है जिसके द्वारा हम सिविल सेवाएँ करते हुए जी सकते हैं , अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए और यह भी कि हम इस देश की सरकार की मंत्रालय हैं , यधपि जिसे समय समय पर अलग अलग पार्टियों के द्वारा चलाया जाता है। यहीं मैंने सीखा कि महिलाओ को बहुत ही सहनशील त्यागी और स्वयं को प्रसन्नचित्त रखना होता है। अब एक प्रश्न है कि हम यहाँ इस सेवा में क्यों हैं , हम विशेष लोग हैं इसमें कोई संदेह नहीं है , हमारे पास विशेष शक्तियां हैं इसमें कोई संदेह नहीं है, परंतु शक्तियों का दुरूपयोग किये बिना आप क्या हैं ,कुछ भी नहीं। यदि आप इसका दुरूपयोग करते हैं तो ये उचित नहीं है, और यदि आप इसका प्रयोग नहीं करते हैं तो आप शक्तिहीन है। वास्तव में यही स्थिति होती है , परंतु आनंद और प्रसन्नता और संतुष्टि इस सत्य से आती है कि आप अपने देश के लिए काम कर रहे हैं। इसलिए यह देशभक्ति, जिसे मैंने अपने माता पिता से और महात्मा गाँधी से भी आत्म -सात किया था, मुझे आभास हुआ कि हम इस प्रकार से कार्य करने के लिए कर्तव्यनिष्ठ होते हैं कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति कुछ ऐसा करे जो बहुत रचनात्मक हो और जो बहुत उपयोगी हो परंतु साथ ही ऐसा करते समय इतनी कठिन परिस्थिति होने के कारण में हम सभी प्रकार की समस्याओं को उत्पन्न कर लेते हैं और इसी के विषय में मैं आपसे बात करने जा रही हूँ। पहली बात यह है हम कुछ देखते हैं, हम प्रतिक्रिया करते हैं । यह प्रतिक्रिया हमारे भीतर दो समस्याएं पैदा कर सकती हैं, पहली है संस्कार और दूसरी अहंकार , दोनों ही कष्टप्रद हैं और वे हमे बहुत बेचैन और तनावपूर्ण बनाते हैं। मुख्य बात यह है कि ऊर्जा जिसकी आवश्यकता विचार करने और भविष्यवादी योजनाओ के लिए होती है इस चक्र से । सहज योग व्यक्ति ले मध्य मार्ग से आता है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा पैदा करता है जिसे हम निरंतर उपयोग में लेते रहते हैं। हम अपने दिमाग पर ज़ोर डालना चाहते हैं और उसकी ऊर्जा का निरंतर उपयोग करते रहते हैं पर हम यह नहीं जानते कि इस ऊर्जा को वापिस अपने चक्र में प्रतिस्थापित कैसे किया जाता है। यह चक्र इतने सारे अंगो की देखभाल कर रहा है कि इस भविष्य वादी जीवन के लिए मस्तिष्क की इस ऊर्जा का यह अतिप्रवाह कई समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, न केवल तनाव अपितु कई अन्य समस्याओं को भी पैदा कर सकता है क्योंकि यह ऊर्जा समाप्त होने लगती है और जब हम संघर्ष कर रहे होते हैं तो ये ऊर्जा एक प्रकार से समाप्त होने लगती है अथवा हो सकता है हम अपने भीतर अत्याधिक असंतुलन विकसित कर लें। मैं नहीं जानती कि क्या इन्होंने कुण्डलिनी का चित्र लगाया है , आप यहाँ स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि हमारा स्वचालित(स्वतंत्र) तंत्रिका तंत्र तीन नाड़ियों में है , और या तो हम दायीं ओर जा सकते हैं या बायीं ओर परंतु मध्य में होने पर हम दाएं और बाएं नहीं जा सकते। यदि आप बहुत अत्याअधिक भविष्य वादी हैं और यदि आप अतिशयता में सोचते हैं यदि आप बहुत अधिक कार्य कर रहे हैं तो यह दायां पक्ष बढ़ जाता है और यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है समझ ने की , हम संतुलन खोने लगते हैं। पहली बात जो इस प्रकार के व्यक्ति के साथ घटित होती है कि उसका लिवर बहुत ख़राब हो जाता है ,उसका लिवर संतुलन खो देता है क्योंकि यह चक्र है जो लिवर की देखभाल करता है। अब लिवर की गर्मी जब बनने लगती है तो यह ऊपर की ओर बढ़ना शुरू करती है ।इसीलिए हमें अस्थमा , बहुत ही गंभीर प्रकार का अस्थमा हो सकता हैं और अब यह असाध्य है परंतु इसका इलाज हो सकता है यदि आप उस व्यक्ति को संतुलित कर सकते हैं तो ये सरलता से ठीक किया जा सकता है। यह अस्थमा,और यदि यह नहीं होता है तो फिर यह गर्मी हृदय की ओर चली जाती है। बचपन में यदि आप कमज़ोर हृदय के साथ पैदा हुए हो या ऐसा कुछ तो बात समझ में आती है, परंतु यदि एक २१-२२ साल की उम्र कोई लड़का जो टेनिस खेलता है और बहुत शराब भी पीता है और वे सब, उसे एक घातक दिल का दौरा पड़ता है, बहुत घातक , और वह मर जाता है। परंतु यदि ऐसा नहीं हुआ तो धीरे धीरे वह एक “भारी दिल का दौरा” पड़ने की ओर अग्रसर हो रहा है। यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है परंतु विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ यह जटिल होना शुरू हो जाता है। इसलिए हमारे लिए यह एक सामान्य रोग है कि हमारा हृदय संकट में है। तो आप पेसमेकर इस्तेमाल करेंगे , फिर यह फिर कुछ और। अपेक्षाकृत यदि आप सहज योग अपना लेते हैं तो आपको अपने हृदय के विषय में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, यह एकदम उत्कृष्ट स्थिति में रहेगा। तो एक और बात है जो आपके साथ घटित हो सकती है आपके मस्तिष्क पक्ष में , कि यदि आपका दायां पक्ष अतिशयता में है तो हमारा बायीं पक्षीय मस्तिष्क प्रभावी हो जाता है और हमें नीचे के अंगों का पक्षाघात हो जाता है जिससे हमारा हाथ पूर्णत्या मृत हो सकता है और टांग भी मृत हो सकती है परंतु यह पक्षाघात गंभीर भी हो सकता है जो सम्पूर्ण दाएं पक्ष को प्रभावित कर सकता है मुँह से लेकर सिर तक , ये सम्पूर्ण हिस्सा हाथ भी टाँगे सभी जगह लकवा हो जाता है। अतः यह एक अन्य समस्या जो उन लोगो के साथ हो सकती है जो स्वयं को संतुलित रखने के लिए चिंतित नहीं रहते, इसलिए ये सभी गम्भीर रोग हैं मैं कहूँगी शरीर के ऊपरी भाग में। शरीर के निचले हिस्से में यह गर्मी अग्नाशय की ओर से बढ़ती है इसलिए अग्नाशय से आपको मधुमेह हो जाता है तत्पश्चात यह थोड़ा और नीचे की ओर जाती है और तिल्ली में , आपको रक्त कैंसर भी हो सकता है। सहज योग ने निश्चित रूप से रक्त कैंसर का उपचार किया है , इसे ठीक किया जा सकता है। उसके बाद यह गुर्दो को भी प्रभावित कर सकती है , गुर्दे बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं और आपको गुर्दे की परेशानियां भी विकसित हो सकती हैं और आप गुर्दा प्रत्यारोपण करवा सकते हैं परन्तु ये अधिक सफल नहीं होता। तत्पश्चात यह आपके पेट में आ जाता है जहाँ आपको कब्ज़ हो सकता है और आप हमेशा क्रोध और झुँझलाहट में रहते हैं। ये सभी बातें दायीं पक्षीय व्यक्ति के साथ घटित होती हैं कि वह उसपर नियंत्रण नहीं रख पाता क्योंकि वह अपनी योजनाओं और सभी बातों के साथ इतना व्यस्त है कि उसके मस्तिष्क को कोई आराम ही नहीं है और इसलिए वह चिढ़ चिढ़ा हो जाता है जब वह कुछ ऐसा देखता है जो उसकी इच्छा या उसकी योजनाओं के अनुसार नहीं हो रहा है। इन सब के साथ यह दाएं पक्ष की समस्या मेरे विचार में एक बहुत गंभीर समस्या है जिसका हम सभी सामना कर रहे हैं। अब यह होता है जैसा मैंने आप को बताया हमारी प्रतिक्रियाओं से आता है,और हमारी प्रतिक्रियाएं हमारे मन की वजह से होती है ,अब यदि आप का मन प्रतिक्रिया करता है तो इस मन को प्रतिक्रिया करने से कैसे रोकना है?आइंस्टीन ने पहले से ही बताया था कि जब वह सापेक्षता के सिद्धांत को खोजने का प्रयास कर रहा था , तब वह ऐसा करते हुए इतना थक गया था कि वह बगीचे में चला गया और साबुन के बुलबुलों के साथ खेलना आरम्भ कर दिया और “अचानक ही”वह कहता है, “किसी अज्ञात द्वारा सम्पूर्ण चीज़, पूर्ण वैज्ञानिक विवरण मेरे मन में प्रवेश कर गया “ जिसे उसने ‘ टोशन क्षेत्र’ कहा। हम सभी के पास यह ‘रूहानी क्षेत्र’ है। वह सूक्ष्म ऊर्जा जो हमे चारो ओर से घेरे हुए है जो हमारी देखभाल करती है , और मैं इसे ‘परमात्मा का प्रेम’ कहती हूँ जो हर प्रकार से हमारी सहायता करता है स्वयं को संतुलन में बनाये रखने में , अपने आपको समृद्ध बनाने में और परम ज्ञान प्रदान करने में, सापेक्ष ज्ञान नहीं अपितु परम ज्ञान। तो यह ‘ज्ञान मार्ग’ है हम वास्तविक ज्ञान की बात कर रहे हैं। अब ये ‘रूहानी स्थान’ एक अद्भुत स्थान है क्योंकि यह कुण्डलिनी जब ऊपर की ओर उठती है तब यह न केवल सभी 6 चक्रों को पोषित करती है, उन्हें प्रकाशित करती है और उन्हें समग्र बनती है अपितु आपको आइंस्टीन के इस टोशन क्षेत्र से जोड़ती भी है। आप अचानक आश्चर्य चकित हो जाते है, कि यह कैसे घटित हुआ कि आपको समस्याओं के इतने सारे समाधान प्राप्त हो जाते हैं जो सुलझ नहीं सकती है। आपका स्वभाव परिवर्तित हो जाता है , आप इतने शांत हो जाते हैं ,अर्थात् आप वह साक्षी भाव विकसित कर लेते है क्योंकि अब आप अपने मन से परे चले जाते हैं , आप प्रतिक्रिया नहीं करते आप देखते है, आप मात्र देखते हैं और अवलोकन करते हैं, और प्राथमिक रूप से आप का चित अत्यंत शक्तिशाली बन जाता है। यह सब चीज़े आपके भीतर ही विध्यमान हैं लेकिन सोचिए हमें प्राप्त करना है,कहिए कुछ प्रकाश, इसे जोड़ना होगा। मैं यहाँ बोल रही हूँ इस उपकरण को मुख्य साधन से जोड़ना होगा अन्यथा यह बेकार है । ठीक उसी प्रकार हमें भी जुड़ना होगा, हमें यह निश्चय करना है कि हमें उस दिव्य शक्ति से जुड़ना चाहिए। एक बार जब आप उस दिव्य शक्ति से जुड़ जाते हैं तो एक अदभुत परिवर्तन आपके भीतर घटित होता है। सबसे पहले आपके हाथ बोलना शुरू करते हैं , क़ुरान में लिखा गया है कि पुनरुथान के समय ‘कियामा’ आपके हाथ बोलेंगे ,इसलिए मैं कहती हूँ हम मुस्लिम स्त्रोत के इस स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हैं। अर्थात आपके हाथो पर , इन पांचो उँगलियों पर , यहाँ और यहाँ सात स्थानों पर आप अपने चक्रों की अनुभूति कर सकते हैं। उसके बाद आप दूसरों के चक्रों को भी अनुभूति कर सकते हैं क्योंकि आप एक सामूहिक व्यक्तित्व बन गए हैं, दूसरा कौन है ? आप अपनी उंगलिओं के सिरों पर सभी को महसूस कर सकते हैं। एक व्यक्ति आपको पूरी तरह से ठीक दिखाई दे सकता है , सामान्य लग सकता है परंतु आपको आभास होता है नहीं नहीं वह नहीं है। कुछ गंभीर बात है उस व्यक्ति के विषय में। उँगलियों के पोरों पर आप इसकी अनुभूति कर सकते हैं कि उस व्यक्ति के साथ क्या दोष है। अब यदि आप किसी भी प्रकार से इस ज्ञान में निपुणता प्राप्त करते हैं , अधिक से अधिक आपको एक महीने का समय लगेगा , यदि आप ऐसा कर लेते हैं तो आप दूसरे की कुण्डलिनी भी उठा सकते हैं, इस प्रकार से जैसा वे कहते हैं सहज योग 86 देशों में फैल चुका है। यह फैल गया है ,निसंदेह यह 86 देशो में फैल गया है परंतु मैं इन सभी देशो में नहीं गई हूँ , मैंने इन सभी देशो का भ्रमण नहीं किया है। मैं अवश्य गई हूँ , हो सकता है लगभग 20 देशो में , परंतु लोग जिन्हें आत्म साक्षात्कार मिल गया उन्होंने इन देशो में, वे इन स्थानों में गए और अन्य लोगों को आत्म साक्षात्कार दिया। अब कल्पना कीजिये बेनिन नाम का एक देश अफ़्रीका में है वहां 7000 सहज योगी हैं और वे सब मुसलमान हैं और उन सबने आत्म साक्षात्कार प्राप्त किया इसका तात्पर्य नहीं है कि यह कदापि अब आप एक मुस्लिम नहीं रहें , आप वही हैं परंतु आप ‘मूल तत्व’ से परिचित है तो आप प्रत्येक धर्म का सम्मान करते हैं , आप सभी अवतरणों का सम्मान करते हैं क्योंकि अब आपको धर्म के बारे में सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है ,अपने बारे में और पूरे ब्रह्माण्ड के बारे में , आप इसे अपनी उँगलियों के पोरों पर अनुभव कर सकते हैं। उदहारण तया, मान लीजिये एक आदमी आता है, मैं कहूँगी कि एक बार जब मेरे पति नगर न्यायाध्य्श थे , दो महिलायें पिछले दरवाज़े से मेरे पास आयीं और उन्होंने कहा कि देखिए अब ये पुलिस के लोग हमे संकट में डाल रहे हैं, हम अच्छी महिलाएं हैं ,हमने कुछ नहीं किया है , मैंने केवल उनका चैतन्य महसूस किया मैंने अपने पति से कहा कि मेरे विचार में, आप लोग उनके साथ कुछ अन्याय कर रहे हैं , वे सही हैं। तो उन्होंने कहा कि “हस्तक्षेप न करें” , मैंने कहा कि मैं हस्तक्षेप नहीं कर रही हूँ परंतु मैं आपको ये साबित कर दूंगी कि ये लड़कियां निर्दोष हैं और सरल लड़कियां हैं और अनावश्यक रूप से आप लोग सोच रहे हैं कि वे बुरी महिलायें हैं। तो मैं उनके साथ चली गयी , उस समय वास्तव में हमारे पास केवल एक ही कार थी , इसलिए मैं रिक्शा से उनके साथ उस स्थान पर गई, जहाँ उस व्यक्ति ने लिख रखा था कि वे बुरी लड़कियां हैं, अतः मैंने जाकर उससे पूछा कि क्या यही वे दो लड़कियाँ हैं जो आपके ऊपर वाले फ्लैट में रह रही हैं? क्या ये वही लड़कियां हैं जिन्होंने ऐसा किया था? उसने कहा बिलकुल भी नहीं, ये तो बहुत अलग हैं ये वे नहीं हैं, फिर मैं वापिस आकर उनसे कहा कि देखो मैंने इन्हे चैतन्य द्वारा आँका था और वे बुरी लड़कियां नहीं हो सकती थी इसलिए कभी -कभी हम लोगों को दण्डित भी करते हैं , हम लोगो से क्रोधित भी हो जाते हैं जो उस प्रकार के व्यवहार के योग्य नहीं होते क्योंकि हमें ज्ञात नहीं है कि वे कौन हैं। हम अनुचित मार्गों का भी अनुसरण करते है , हम जाते हैं , हम कई चीज़ो में खो जाते हैं क्योंकि हम नहीं जानते कि सही मार्ग क्या है।अब कुण्डलिनी कि इस घटना होने के साथ , निश्चित रूप से आप शारीरिक रूप से ठीक हैं , शारीरिक रूप से आपकी समस्याएं हल हो जाती है , शारीरिक रूप से आपको व्याकुल होने की आवश्यकता नहीं है, वास्तव में इसमें कोई अधिक कठिनाई नहीं है कि लोगो को शारीरिक रूप से ठीक किया जाये , हमारे पास एक अस्पताल भी है जहाँ वे लोगो से कमरे के शुल्क के अलावा और कोई खर्चा नहीं लेते हैं ,जहाँ कभी कभी उन्हें रहना होता है और बहुत अच्छे कमरे,डॉक्टर्स भी निःशुल्क कार्य करते हैं और बहुत अच्छी तरह से कार्य संपन्न करते हैं कि बहुत संख्या में लोगो को स्वस्थ किया गया है। हमारे पास दुनिया भर से लोग आते हैं , बहुत उच्च पदस्थ लोग वहां आते हैं और वे ठीक हो रहे हैं और उसके लिए आपको सम्पूर्ण भावनाओं को जानने की आवश्यकता नहीं है।की उन में क्या दोष है , निदान के लिए उन्हे डाल दिया जाता हैऔर उस निदान में ही रोगी बीच में ही मर जाता है , परंतु यहाँ केवल उंगलियों के पोरों पर आप जान जाते है कि उस व्यक्ति में क्या दोष है , आपको उस व्यक्ति को बताने की आवश्यकता नहीं है कि उसमें क्या दोष है आप जान जाएँगें कि इसका इलाज कैसे करना है और इसे कैसे क्रियान्वित करना है। आज ही हमारे एक मित्र मुझे मिलने आये थे उम्र में मुझसे बहुत छोटे थे पर बहुत बूढ़े और दीन दिख रहे थे।और उन्होंने बताया,” मुझे पक्षाघात हुआ है।“ वह एक ऐसे अन्य व्यक्ति उस श्रेणी में से थे जो बहुत मेहनत करते हैं , अत्यधिक मेहनत , और लगभग बीस मिनट के भीतर ही उनकी कुण्डलिनी ऊपर उठने के बाद, उनका चेहरा ठीक हो गया, उनके हाथ ठीक हो गए और उन्होंने बताया कि “मैं छड़ी के बिना नहीं चल सकता हूँ ।“ मैंने कहा “ठीक है अब आप चलो ,तो उन्होंने चलना शुरू कर दिया। मैंने ऐसे लोगो को भी दौड़ते हुए देखा है जो यहाँ ‘व्हील चेयर’ पर बैठकर आते हैं। यह बहुत आश्चर्यजनक है परंतु हमे ज्ञात होना चाहिए कि यह हमारे देश का ज्ञान है, ऐसा नहीं है कि दूसरों को ज्ञात नहीं था, वे जानते थे, परंतु बोलीविया में मैं आश्चर्य चकित हो गई, बोलीविया इतनी दूर है और लोगो ने वहाँ मुझे बताया कि हम चक्रो के बारे में हम जानते हैं , हम सब कुछ जानते हैं परंतु हमें यह नहीं ज्ञात है कि कुण्डलिनी को कैसे ऊपर उठाना है , वे ‘कुण्डलिनी’ शब्द भी जानते थे , इसलिए मैंने सोचा कि मुझे अवश्य पता लगाना चाहिए कि आपको ये सब किसने बताया है, दो संत भारत से आये थे , बहुत बहुत समय पहले। मैंने सोचा शायद मछिंदरनाथ और गोरखनाथ समस्त स्थानों पर गए थे , वे यूक्रेन भी गए थे , तो उन्होंने हो सकता है उन्हें इस कुण्डलिनी और उसके जागरण के बारे में बताया होगा परंतु उन्होंने कहा कि हमें ज्ञात नहीं है कि कुण्डलिनी का उत्थान कैसे किया जाए। जब एक बार आप एक सहज योगी के रूप में अधिकृत हो जाते हैं तो आप किसी भी व्यक्ति की कुण्डलिनी को उठा सकते हैं , आप किसी भी व्यक्ति का उपचार कर सकते हैं , आप जो कुछ भी करना चाहते हैं वे कर सकते हैं, जहाँ तक शारीरिक पक्ष का प्रशन है यहाँ तक कि मानसिक पक्ष भी , मैंने देखा है कि तनाव मनुष्य के मानसिक पक्ष के कारण अधिक होता है जहाँ आप बहुत तनावग्रस्त होते हैं , क्रोध करते हैं ,और नाराज़ होते हैं या फिर आप अत्यंत शांत हो जाते हैं और आप नहीं जानते हैं कि स्थिति को कैसे संभाला जाए। यह भी आपके मन की एक प्रतिक्रिया ही है जो इसे क्रियान्वित करती है परंतु यदि आप मन से परे चले जाते हैं तो आप आश्चर्य चकित हो जायेंगे, वे विचार जो आपके मन में आते हैं वे एक पूर्ण सत्य हैं आपके पास आने वाले समाधान पूर्णत्या उत्तम हैं और वे लोग जो आपके विरोध में हैं वे भी आपके मित्र बन जाते हैं ,और जो लोग आपको बहुत परेशान कर रहे हैं वे भी बहुत बहुत, मधुर बन जाते हैं। यह एक मानव का परिवर्तन और कायाकल्प है।उस दिन मेरे साथ एक समाचार पत्र का भद्र व्यक्ति था जिसका नाम श्री अब्बास था। अतः वह अति आक्रामक था, उसने मुझसे बड़ा विचित्र प्रशन पूछा कि आप को कैसे ज्ञात हुआ कि आप दिव्य हैं ? मैंने कहा आप कैसे जानते हो कि आप एक इंसान हो? उसने मुझे देखा ,मैंने कहा देखा क्योंकि मैं प्रतिक्रिया नहीं करती थी मैं मात्र देखती थी और उसे पता चल गया कि मैं दूसरों से भिन्न हूँ और मैंने इस बात का दिखावा करने का प्रयास नहीं किया, इसे कोई भी व्यक्ति इस तरह से समझना नहीं चाहता। आपको यह सिद्ध करना होता है, यही है सर्वोत्तम ढंग, जिससे ‘सहज योग’ बताया जा सकता है। तब उसने कहा “मुझे इसका प्रमाण कैसे मिल सकता है ?” उसने कहा “मैं किसी भी रूढ़िवाद में विश्वास नहीं करता।“ “ठीक है,किसी भी रूढ़िवाद में विश्वास मत करो, परंतु क्या तुम्हें अपने आप में विश्वास हैं ?” “ हाँ, हाँ बिल्कुल ,और उसी पल उसकी कुंडलिनी जागृत हो गयी, तो उसने कहा, "यह क्या हो रहा है? यह क्या, कैसे यह ठंडी हवा मेरी उंगलियों में बह रही है , यह कैसे है ? " मैंने कहा कि यह आपके तालु भाग में (ब्रह्मरंध्र) से बाहर की ओर बह रही है और वह पूरी तरह से परिवर्तित हो गया ,उसने कहा कि जो कुछ भी मैंने आपसे सवाल पूछा, मैं नहीं पूछूंगा, यह सब निरर्थक है, " हम बेवकूफ थे, “अब मैं एक समझदार व्यक्ति बन गया हूँ , " आप देखिए, यह कुण्डलिनी वास्तव में आपको तराश देती है , वास्तव में आपको परिवर्तित कर देती है l अब वे कहते है कि हमारे में षडरिपु हैं , काम, क्रोध , मद , मत्सर , लोभ , मोह l वे केवल ‘छह’ कह रहे हैं , परंतु आजकल अनेक हैं , परंतु जैसा कि मान्यता है की ये छः हैं। इसलिए , एक बार जब आप प्रेम की इस दिव्य शक्ति के साथ जुड़ जातें है , ये समस्त चीजे स्वत: ही छूट जाती हैं, ये बेकार हैं, कोई ईर्ष्या नहीं, कोई प्रतिस्पर्धा नहीं, कुछ भी नहीं । हमारे यहां विदेश सेवा में भी कई लोग हैं, और उन्होंने हमें बताया कि लोग उनसे बहुत खुश हैं । मैंने कहा “क्यों ? क्योकि हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं , वे सब राजदूत बन रहे हैं , यह और वह परंतु कोई भी हम से रुष्ट नहीं हैं , क्योकि हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं। जब मन प्रतियोगिता के बारे में सोचना शुरू कर देता हैं, यह किसी भी गलत दिशा में जा सकता हैं, किसी भी अँधेरी गली में अथवा वास्तव में यह बहुत अधिक एक भिन्न व्यक्ति बन सकता हैं, परंतु इस के पाने से आप मध्य में हैं , स्वयं आपके भीतर पूर्ण सन्तुलन होता हैं और सभी प्रकार की उत्कंठा, सब कुछ छूट जाता हैं, आप लालायित नहीं होते, आप में लोगो के प्रति लालसा नहीं होती , आप कोई महान लोक – प्रसिद्धि या किसी भी अन्य चीज के प्रति चाह नहीं रखते। आप स्वतः ही इतना संतुलित हो जाते है और आपको कोई चिन्ता नहीं है कि क्या घटित हो रहा है और यह कि आप भयभीत नहीं होते हैं , उदाहरण के लिए, यदि आप पानी में खड़े है तो आप तल के बारे में चिन्तित है , ठीक परंतु मान लो की आप नाव में खंडे है, तो आप आधार (तल)का भी आनंद ले सकते हैं l परंतु मान ले कि आप तैरना सीख लेते हैं, तो आप पानी में कूद सकते हैं और आप लोगो को बचा सकते हैं l इसी प्रकार सहज योग कार्य करता हैं, सरल तरीके से ,जैसा कि मैंने कहा हैं कि मुझे आप लोगों के लिए अपार चिंता है, हमेशा थी ,परंतु हमारे पति के सख्त नियमों के कारण, मैं उनके कार्यालय के लोगो को छू नहीं सकती थी, मैं उनसे बात नहीं कर सकती थी, मैं किसी से मिल नहीं सकती थी, भले ही वह आईएएस कार्यालय से जुड़ा हुआ चपरासी ही क्यों न हो, वे इस बारे में बहुत सख्त थे, मैंने कहा ,”ठीक हैं, मैं किसी और क्षेत्र में प्रयास करुँगी । परंतु सौभाग्य से अब वह सेवा-निवृत हो गए है ,अब मैं आप लोगों से बात करने के लिए भी स्वतंत्र हूँ ; आश्चर्य की बात है l अन्यथा, वे मुझे आप लोगों से बात करने की अनुमति कभी नहीं देते, क्योंकि वे सोचते कि यह उचित नहीं है ,आपको बनाए रखना चाहिए, हमें एक निश्चित दूरी बनाए रखनी चाहिए l तो यहाँ तक कि सामाजिक समारोह में भी और इन सभी स्थानों पर, मुझे हंसी आती थी, जिस प्रकार से लोग विषयों पर चर्चा और बाते करते थे ; आपको ज्ञात हैं और मैं चुप रहती थी, इसलिए उन्होंने सोचा कि शायद मुझे अंग्रेज़ी भाषा भी नहीं आती ; शायद हो सकता है। मैं इतनी चुप रहती हूँ क्योंकि मैं किसी भी कार्य के योग्य नहीं हूँ। परंतु अब वहीं सब लोग, वहीं महिलाएं और सज्जन अब ध्यान कर रहे हैं । अब ध्यान के लिए आपको, अपने आपको किसी भी चीज के साथ बांधने की आवश्यकता नहीं हैं, आपकों बहुत अधिक समय नहीं देना हैं, यहाँ तक कि सोने से पहले दस मिनट , आप ध्यान करते हैं आप इतना शांत अनुभव करेंगे I और बिल्कुल,पूर्ण रूप से, पूरी तरह से, आप अपनी समस्याओं से बाहर निकल जाते हो, अपने विचारो से मुक्त हो जाते हों, पूर्णतया शांत चित्त, कोई विचार नहीं हैं, जो निर्विचार समाधि हैं, जैसा पहले से ही हमें सी.युंग द्वारा बताया गया हैं I आपको ज्ञात हैं कि युंग फ्रायड का एक शिष्य था I जिसके (फ़्रायड) विरोध में उसने (युंग) विद्रोह किया था और उसने मातृ शक्ति के बारे में बात की थी I हम भारतीय, आप जानते हैं कि शक्ति के पुजारी हैं। आजकल जैसा कि यह नवरात्री चल रहे हैं, परंतु हमने कभी भी माँ के प्रेम के संदेश को नहीं समझा हैं I यह माँ का प्रेम ही हैं जो मुझे लगता हैं, कार्यन्वित होता हैं और आप भी एक माँ स्वरूप बन जाते हैं, बहुत दयालु , बहुत करुणामय I कैसे एक इंसान, मैं नहीं जानती, कैसे एक मनुष्य किसी दूसरे प्रति क्रूर हो सकता हैं जो पीड़ित है, संकट मे हैं, जो गरीबी में हैं। वह प्रेम जो आपके अंतनिर्हित है बस एक सागर की भाँति बहने लगता है और आप अति उदार बन जाते हैं I और मैंने जितने भी उदार लोगो को देखा हैं, उनकी भी हमेशा बहुत अधिक देखभाल होती है। I मैं आपको अपने पिता का एक उदाहरण दूँगी जो एक बहुत उदार व्यक्ति थे, बहुत, बहुत अधिक उदार व्यक्ति और एक बार क्या हुआ, वह हमेशा कहा करते थे, घरों को कभी बंद नहीं करो I हमें अपना घर कभी बंद नहीं करना चाहिए, हमेशा खिडकियाँ खुले रखें, दरवाजे खुले रखें , उन्होने कहा, कोई चोर यदि आप उन्हें कहते कि कोई चोर आ सकता हैं I वह कहते कि उन्हें आने दो, आखिरकार उन्हे किसी चीज की आवश्यकता होगी, इसी कारण वे आ रहे हैं I इसलिए वे सभी दरवाजे खुले रखा करते थे। और एक दिन एक चोर आया और उसने दरवाज़ा खोला, दरवाज़ा तो खुला ही था। उनके पास एक बड़ा, वह संगीत प्रेमी थे इसलिए उनके पास एक बड़ा ग्रामोफ़ोन था जिसमें एक बड़ी सी भोंपू जैसी चीज़ थी।दरवाज़ा तो खुला ही था, वह उस ग्रामोफोन को ले गया I तो अगले दिन वे बहुत गंभीरता से बैठे थे तो मेरी माँ ने कहा कि “अब आपको उस के लिए खेद है?” , नहीं , नहीं , नहीं वह मैं खरीद सकता हूँ, परंतु मुझे यही दुःख है कि , यह आदमी संगीत का पारखी लगता हैं, वह ग्रामोफोन ले गया हैं, अब वह क्या बजाएगा क्योंकि वह कोई रिकोर्ड नहीं ले गया हैं I तो, मेरी माँ ने कहा “ठीक हैं, आप अखबार में विज्ञापन दे दीजिए, जो व्यक्ति ग्रामोफोन उठा कर ले गया हैं कृपया आओ और आकर रिकोर्डस ले जाओ ताकि वह ग्रामोफोन का आनंद ले सके I मेरा अभिप्राय हैं कि मैंने ऐसे लोग देखें हैं; मैंने सचमुच में देखे हैं अतिउदार लोग और उस समय जब गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम की घोषणा की थी, वे न केवल जेल गए थे अपितु उन्होने अपना सब कुछ त्याग दिया, जो उनके पास था। हम विशाल बड़े घरों में रहा करते थे ,फिर हम एक प्रकार की झोपड़ियों में स्थानांतरित हो गए, हम आनंद ले रहे थे क्योकि आप जानते हैं वह आनंद हमारी ‘राष्ट्र भक्ति’ का था और इसने उस समय हमारी मदद की थी I महात्मा गांधी की मदद की गई थी क्योकि उस समय के लोग इसी प्रकार के थे I अब आज के समय, स्थिति यह हैं, यह पश्चिम के प्रभाव से आ रहा है बहुत ज्यादा यह, इसका बहुत अधिक ठीक हैं, इसमें कुछ भी अनुचित नहीं हैं, कुछ भी गलत नहीं हैं। हमे आना चाहिए, हमें समृद्ध होना चाहिए, हमारे देश को समृद्ध होना चाहिए, हमें और अधिक चीजे बनानी चाहिए मैं इससे सहमत हूँ I परंतु यह लालसा समाप्त हो जाएगी I अब यह लालसा विपरीत दिशा में चली जाती है I,जैसे, मुझे इस महिला को क्या देना चाहिए, अब मुझे इस सज्जन के लिए क्या करना चाहिए I मेरा अभिप्राय हैं कि अब चिंता दूसरे पक्ष की ओर चली जाती हैं, क्या करें, मुझे क्या देना चाहिए कि उन्हें अनुचित प्रतीत न हो I क्योकि, कभी कभी, आप जानते हैं इन सरकारी नौकरों को चूंकि वे बहुत सख्त होते हैं, इसलिए यदि आप उन्हें देते हैं तो वे सोचते हैं, मैं उन्हें रिश्वत दे रही हूँ, मैंने कहा कि यह रिश्वत नहीं हैं, मैं केवल इसलिए दे रही हूँ क्योंकि मैं आपको देना चाहती हूँ, इसलिए क्या आप इसे रखेंगें, बहुत अधिक प्रयास के बाद वे उसे लेंगे I परंतु आप जानते हैं कि यह आपके प्रेम की अभिव्यक्ति का एक ढंग हैं और इस प्रेम के साथ मैं आपको बताती हूँ, आप बहुत लोकप्रिय हो जाएँगें, बहुत लोकप्रिय होंगे अपने कार्यालय में , अपने कर्मक्षेत्र में, पूरे देश भर में लोग इसे याद रखेंगें कि यही वह आदमी था जो वास्तव में हमारी देखभाल करता था, जिसने आप के लिए इतना कुछ किया हैं। यदि आपको कोई सरोकार नहीं हैं, आप केवल अपने बारे में और इस में चिन्तित होंगे I सभी महिलाएँ जो आईएएस की पत्नी हैं, बहुत –बहुत धन्यवाद मुझे आमंत्रित करने के लिए I परंतु मैं आपको बताना चाहूँगी कि महिलाओं को अपने पतियो की सहायता करनी होगी, ,उन्हें यह समझने का प्रयत्न करना करनी चाहिए कि उनकी (पति) ) ऊर्जा शक्ति की ऊर्जा है उन्हें यह शक्ति पुरुषों को देनी चाहिए ताकि वे बेहतर कार्य कर सकें। परंतु कभी –कभी मुझे हस्यापद अनुभव होते हैं, जो मैं आपको बताऊँगी , जो बहुत रोचक बात , पहली बार हुई, पहली बार मैं आपकी वरिष्ठता, कनिष्ठता , कुछ भी , मुझे अधिक जानकारी नहीं थी, समझ में नहीं आता था I जब मैं दिल्ली आयी और तब मेरे पति यहाँ शास्त्रीजी के लिए कार्य करने आए, तो हम एक समोरह में मिले I मेरी एक मित्र से मिलें जो मेरे कॉलेज में थी, तो उसने मुझसे पूछा, “अरे ! आप यहाँ कैसे हो निर्मल” मैंने बताया कि , “मेरे पति यहाँ आए हैं”, पूछा कि “वह क्या कर रहे हैं ?“ मैंने कहा कि “वह एक सरकारी कर्मचारी हैं I “ “हर कोई यहाँ सरकारी कर्मचारी हैं परंतु वह क्या कार्य रहे हैं ? “ मैंने कहा कि मैं वह तो नहीं जानती परंतु वह यहाँ कुछ हैं I” “आप कहाँ रहते हैं ?” पहली बात उसने पूछा।, मैंने कहा कि” मीना बाग में रहती हूँ “I ओ----- मीना बाग !! “आपके पति क्या काम करते हैं ? आपने एक बहुत बेहतर पति मिल सकता था I अपने एक ऐसे व्यक्ति से क्यों शादी की हैं जो आपको मीना बाग में ले गया, “बाबा मुझे नहीं पता था कि मीना बाग इतना बुरा था आप देखिए क्योकि शास्त्रीजी ने, हमें यहाँ आने के लिए कहा और वहाँ कोई घर नहीं था इसलिए उन्होने हमें मीना बाग दिया “I मैंने सोचा कि मीना बाग में रहना बहुत बुरा था, जिस तरह से वह -बात कर रही थी, फिर उसने कहा,” ठीक हैं, यह सज्जन जो आ रहे हैं, यह लंबे सज्जन, आपको ज्ञात हैं कि वह बहुत बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं, आप किसी भी प्रकार से उनसे बात करने का प्रबंध करो, वह आपके पति को एक बहुत अच्छा कार्य दिला देंगे और आपको एक घर मिल जाएगा ।“ और जो वहाँ आए वे आए वे मेरे पति थे I हें भगवान !!! उसने कहा” “आप उन्हें जानती हैं” ? मैंने “हाँ “कहा I “कैसे”? “वह मेरे पति हैं” I उसके बाद उसने मुझसे बात नहीं की, मुझसे ऐसा कभी नहीं कहा I यह जानना कि हम मीना बाग में रहते हैं, अपने आप में एक बुरी बात थी I यह चीजों के बारे में काफी बड़ी जानकारी हैं I केवल वही लोग जिनका इतना निश्चित वेतन होता हैं, वे मीना बाग में रहते हैं I यह वास्तव में असंभव हैं I यहाँ तक कि मेरा अभिप्राय हैं, पता नहीं कि एक राज्य अधिकारी ही इतना अधिक जानता है,परंतु वह महिला जानती थी कि मीना बाग एक आईएएस अधिकारी के लिए नहीं था क्या आप कल्पना कर सकते हैं ? इसलिए, महिलाओ की इन सब में लीप्तता का कोई लाभ नहीं हैं I मैं इस संगठन के बारे में सुनकर बहुत प्रसन्न हूँ कि यह इतना अच्छा रचनात्म्क कार्य कर रहा हैं I मैं वास्तव में बहुत प्रसन्न थी और मैं स्वयं, वे कहते हैं, मैं एक समाजवादी हूँ क्योंकि मैं हमेशा सामाजिक समस्याओ के बारे में सोचती हूँ और किसी भी तरह या अन्य रूप में , एक समाजवादी हूँ, ठीक है क्योकि यह एक सामूहिक संवेदना हैं और जब मैंने सुना कि ये लोग इस तरह का काम कर रहे हैं, मैंने कहा “अद्भुत!”।मैं सोच भी नहीं सकती उन दिनो के बारे में जब महिलाऐँ किसी और विषय पर बात किया करती थीं वे सामाजिक विषय पर कभी नहीं बात करती थी और यह बहुत कठिन था कि उन्हें समाज-कार्य समझाया जाए। विचित्र प्रकार का वातावरण था, ब्रिटिश लोगों ने अपनी विरासत को हमारे सिर पर लाद दिया था और हम अत्यंत उसके लिएआकृष्ट थे उनसे I उदाहरण के लिए मैं कहूँगी कि यह उनके लिए विचार करना संभव नहीं था कि वे कुछ उच्च या बेहतर की कल्पना करें ,तो में अध्यक्ष थी नेत्रहीन, ‘ नेत्रहीन समाज के मित्र’ और उसके लिए वे एक कार्यक्रम करने जा रहे थे और ये नेत्रहीन लोग अभिनय करने जा रहे थे और राज्यपाल श्री चेरियत वहाँ आने वाले थे I जब वह आए तो वे लोग जानना चाहते थे उनके समीप कौन बैठेगा ! अध्यक्ष होने के नाते , निसंदेह दूसरों लोगों ने मुझे बैठने के लिए कहेंगें । शेष लोगों ने झगड़ा करना और लड़ना और चर्चा करना इतना अधिक शुरू कर दिया इतनी अधिक, कि मुझे इतना आतंक लगा, मैंने सोचा कि अब थोड़ा विनोद किया जाए, यही समस्या को हल करने का सबसे अच्छा तरीका हैं। तो, मैंने कहा ठीक हैं हम राज्यपाल के शीर्ष पर एक बड़ा तख़्ता लगाएंगे, और आप सब उस पर गोरैया की तरह बैठ जाना।, इससे उनका सारा क्रोध गायब हो गया और वे ठीक हो गए । इसलिए, मैं यह कह रही हूँ कि अब महिलाओ की गुणवता बदल गयी है, आप इसे बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते है कि गुणवता में परिवर्तन आ गया है, यधपि आप सोच सकते हैं कि वे अपेक्षाकृत आत्म केन्द्रित हैं या जो कुछ भी आप सोचें। परंतु एक बात मैंने अनुभव की है कि वे अब समाज के लिए विचार करती हैं I वे पढ़ती हैं, वे समझती हैं कि इस देश में क्या चल रहा हैं I मैं कहूँगी कि इन दिनो हमारा देश बहुत बड़ी उथल – पुथल में है, बहुत बड़ी मानसिक अशांति ये सभी चीजे हमे और सहायता करेगी इस समस्या का समाधान करने में ,इतनी सारी समस्याओ को हम सुलझा सकते हैं I एक बार जब इन में से कुछ समस्याओ का समाधान हो जाता है मुझे विश्वास हैं कि हम महानतम देशो में एक देश होगे । हमारे यहाँ प्रतिभा की कोई कमी नहीं हैं, कोई कमी नहीं हैं, हमारे यहाँ कठिन परिश्रम की कोई कमी नहीं हैं , केवल “ उजास्कत तंत्र दुर्लधायमसो” अर्थात् कि ऐसा कोई भी नहीं है,कोई ऐसा व्यक्ति मिलना मुश्किल कठिन है व्यक्ति जो उन्हें ‘योजना ‘में उतार सकता हैं एवं यदि ऐसे व्यक्ति को उसका आत्म- साक्षात्कार प्राप्त हो जाता हैं तो वह अत्यधिक आत्मविश्वासी, अति शांतिमय अपने भीतर में बन जाता है l वह इससे परेशान नहीं होता हैं कि दूसरे क्या कर रहे हैं और ये सब आपको बदल सकता है, एक सुंदर व्यक्तित्व में परिवर्तित कर सकता हैं। l आप अपनी सभी विनाशकारी आदतों को त्याग देते हैं पूर्णत्या, आप बस अपनी विनाशकारी आदतों को छोड़ देते हैं I मुझे यह कहना नहीं पड़ता हैं कीं त्याग दे,मैं कभी नहीं कहती। मैं कभी नहीं कहती l यदि मैं ऐसा कहती हूं, आधे लोग शायद मुझे छोड़ कर जा सकते हैं परंतु मैंने रातोंरात लोगो को देखा हैं, लंदन में, बारह लोग आए थे जो मादक पदार्थ ले रहे थे, वे नशीले पदार्थों के आदी थे, उन्होने एक रात में ही मादक पदार्थ लेना छोड़ दिया एक रात भर में !!!!! क्या आप कल्पना कर सकते हैं I मैं आश्चर्य चकित थी कि वे रातोंरात इसे कैसे छोड़ सकते हैं I हमारी समस्याएँ मादक पदार्थ की , अन्य सभी चीजों की, हम उन्हें बिना किन्ही कठिनाइयों के सुलझा सकते हैं I और आपको रखा गया हैं, आपको इसीलिए स्थापित किया गया हैं उस प्रकार के कार्य करने के लिए I आपकी स्थिति बहुत अच्छी है क्योंकि आपका एक दायित्व हैं, बहुत बड़ा दायित्व, और उस उत्तरदायित्व को समझना होगा I यदि हम अपना उतरदायित्व नहीं समझते तो आप कुछ नहीं कर सकेंगें। परंतु एक बार जब आप अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर लेते हैं , आप ऐसा करेंगें, आप बेहद जिम्मेदार हो जाएगे और साथ ही आप को अपने सिर पर उस दायित्व के बोझ की अनुभूति नहीं होगी। और आप अत्यधिक, पूर्णत्या तनावमुक्त अनुभव करेगे और ऐसे व्यक्ति से मिलने पर, आप कभी –कभी आश्चर्यचकित होते हैं, चेहरा बदल जाता है , शरीर में परिवर्तन आ जाता है, सभी चीजों में ,परिवर्तन घटित होता हैं और आप आश्चर्यचकित होते हैं, ये सब, ये सब आपके अन्तनिर्हित हैं ! ये सब आप को मिल गया हैं ! ये सब कार्यान्वित हो रहा हैं, मात्र एक बात हैं, हमें अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करना है। यह हमारे आन्तरिक अस्तित्व का अति ज्ञान हैं, एक अति सूक्ष्म ज्ञान I मैं प्रार्थना करती हूँ और आपको बहुत – बहुत धन्यवाद, सभी महिलाओ को भी मुझे यहाँ बुलाने के लिए। यह एक बहुत ही अनूठा अनुभव मेरे लिए हैं, क्योकि मुझे कभी विदित नहीं होता कि आईएएस के लोग इस प्रकार की सूक्ष्म चीज के लिए इतने ग्रहणशील हो सकते हैं, परंतु वे ऐसे हैं I बंबई में, मैं आश्चर्यचकित थी, जब मैंने बंबई में यह कार्यक्रम किया था l अब वे नियमित रूप से एक हॉल में ध्यान के लिए, जो उनके पास हैं l आश्चर्य हैं , वे यह कैसे कर सकते हैं मैं नहीं जानती, परंतु वे ऐसा कर रहे हैं, जिस तरह से उन्होने मेरा स्वागत किया l वास्तव में मैं सदैव कहा करती थी कि बंबई के आईएएस लोग बहुत, बहुत घमंडी हैं, मुझें कहना चाहिए बहुत अभिमानी l वे आपकी और ध्यान नहीं देंगें, वे आपकी ओर देखेंगे नहीं, परंतु मुझे आश्चर्य हुआ, वे इतने विनम्र हो गए हैं, इतनेअच्छे l मैं नहीं जानती कि क्यों बंबई में उन्होने इस प्रकार की ‘श्रेष्ठता मनोग्रंथि’ अथवा ऐसा कुछ और विकसित कर लिया हैं, हमारे पास उनके विषय में बहुत बुरी सूचनाएँ थीं परंतु अकस्मात् वे इतना बदल गए हैं और उसी प्रकार आप सभी को बदलना चाहिए और आप इतने सामूहिक हो जाते हैं, यह संयुक्त नहीं है, , यह ‘सामूहिक’ हैं और आप मात्र एक दूसरे की सहायता iकरने और उस प्रकार का एक जीवन जीने के विषय में सोचते हैं और दुनियाभर में हमारे भाई बहनें हैं, जहां भी आप जाते है,आप कहीं भी जाए आप उन्हें आपके लिए इंतजार करते हुए पाऐगे l वे भी यहाँ आते हैं। lएवं जब वे यहाँ आते हैं, वे हमारी इस मातृभूमि को छूते हैं, वे इस ‘भारत भूमि’ को अपने होठो से छूते हैं और उसे चूमते हैं l मैंने उनसे पूछा कि “आप ऐसा क्यों करते हैं ?” “ क्योकि यह एक ‘योग भूमि’ हैं, यह एक विशेष देश हैं,यह एक योग भूमि हैं,” यहाँ हमें अपनी जागृति प्राप्त हुई है और आप आश्चर्य चकित होंगें कि यह देश एक योग भूमि है। एक बार में अपने पति के साथ यात्रा कर रही थी और मैंने उनसे कहा कि हम भारत पहुँच गए हैं, उन्होने पूछा कि, आपको यह कैसे मालूम ? “मैं सब ओर चैतन्य देखती हूँ, आप देख सकते हैं l” वे सत्यापित करने के लिए पायलट के पास गए, सत्यापित करने के लिए कि मैं जो कह रही थी वह सही था या नहीं l पायलट ने कहा कि “सर, हम पंहुच गए, हम पहुँच गए l” मैंने कहा देखो, एक हमारा परिवेश है जिसमें आध्यत्मिकता विधमान हैं l सब कुछ जो लिखा गया हैं हमें उसे सत्यापित करना होगा l क्यों कुछ स्थान स्वयंभू हैं, आप इसे कैसे पहचान सकते हैं, जहाँ कही भी आप जाओ वहाँ एक मंदिर हैं वहाँ एक मंदिर है, आप कैसे करते हैं ? आप इसकी अपनी उँगलियो के पोरों पर अनुभूति कर सकते हैं l अब आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मक्का में एक बड़ा पत्थर हैं, एक काला पत्थर l मोहमद साहब ने कहा था कि किसी भी पत्थर की पूजा मत करो क्योंकि लोग मूर्तियाँ या यह सब बना कर पैसा कमाया करते थे परंतु इस पत्थर, के बारे में उन्होने कहा, आपको इसके चारों ओर चक्कर लगाना चाहिए l मुसलमानों के लिए इस पत्थर के चारों ओर चक्कर लगाना ,यह सबसे बड़ी बात हैं l अब उनसे पुछो कि आप क्यों जाकर पत्थर की पूजा करते हो, उन्हें ज्ञात नहीं l परंतु मुहे ज्ञात हैं, क्योकि हमारे शास्त्रो में यह लिखा हुआ है कि यह एक मक्केश्वर शिव हैं । इसे शिव कहा जाता हैं, चैतन्य भी , मैं यह कहती हूँ, यह चैतन्य लहरियाँ बहना शुरू हो गयीं l यह एक मक्केश्वर शिव है l एस पत्थर में शिव तत्व हैं, यह शिव का ही चैतन्य हैं और यह एक सत्य हैं l उस दिन मैंने मराठी भाषा में बहुत अच्छे लेख में पढ़ा कि इस्लामी धर्म आने से पहले वहाँ शिव की पूजा की जाती थी l परंतु जिस प्रकार से वे ऐसा कर रहे थे क्योंकि वे सभी प्रकार के मंदिरो में जा रहें थे और अनुषठान, बहुत सारे अनुष्ठान और उस कर्मकांड के कारण, मोहम्म्द साहब ने कहा कि पत्थर की पूजा मत करो। परंतु हमारे यहाँ स्वयंभू हैं, हमारे पास यथार्थ में स्वयंभू है, परंतु जब आप जाकर अपने चैतन्यलहरी के साथ सत्यापित करेंगे तो आप जान जायेंगे वे स्वयंभू हैं।आप सभी आत्म साक्षात्कार पाने के योग्य हैं, आप सभी | आपका अतीत चाहे कुछ भी रहा हो, कोई अंतर नहीं पड़ता, हमें वर्तमान में रहना चाहिए l अतीत समाप्त हो गया हैं, भविष्य का अस्तित्व नहीं हैं, आप वर्तमान में रहेंगें ।और यही सत्य हैं जिसे आप सभी चैतन्य लहरी से अनुभव कर सकते है....अपने को पूरे जीवन परेशान करती है लिए, इसलिए किसी को भी ऐसा कोई विचार नहीं करना चाहिए कि मैंने यह गलत किया हैं, मुझे साक्षात्कार कैसे प्राप्त हो सकता है, यह अनावश्यक है। आपको नहीं चाहिए, कभी नहीं चाहिए, कभी भी नहीं सोचना चाहिए कि आप दोषी हैं l यदि आप ऐसा होते तो आप जेल में होते, परंतु आप यहाँ आए हैं l तो अपने आप को दोषी मत समझे, स्वयं का आंकलन ना करे। आप अपने आप को नहीं जानते l यह स्वयं को जानना हैं, आप को यह करना होगा तथा आंकलन ना करें l आपको स्वयं के लिए बहुत अधिक सम्मान और प्रेम होना चाहिए ओर मुझे विश्वास हैं यह आज रात कार्यान्वित होगा, जैसी इन लोगो की इच्छा थी, परंतु जो लोग आत्म साक्षlत्कार नहीं पाना चाहते हैं, मैं कहूँगी, वे जा सकते हैं क्योंकि मैं नहीं चाहती वे दूसरों को परेशान करे l

मान लो कि यदि आप इसे पाना नही चाहते ,यह आप पर लादा नही जा सकता है, इसे माँगा जाना चाहिए, किसी को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, आप इसके लिए भुगतान नहीं कर सकते, आप इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकते परंतु यदि कुंडलिनी ऊपर नहीं उठती है, तो ठीक हैं | हमारे यहाँ ध्यान केंद्र है, जहाँ आप जा सकते हैं और इसे ठीक करा सकते हैं | हो सकता हैं चक्रो में कुछ दोष हो जिसे आप नहीं जानते हैं और वे इसका पता कर लेंगे | तो, इसमे थोड़ा सा ही समय लगेगा, बहुत थोड़ा समय, अपने आप पर विश्वास रखें | सबसे पहले, अपने आप पर विश्वास रखें और यह कार्यान्वित होगा | पहले मेरे विचार में दूसरों को क्षमा करना कठिन है | आप देखें पश्चिमी लोग वे स्वयं को क्षमा नहीं कर सकते और भारतीयों के लिए ठीक इसके विपरीत , वे दूसरों को माफ नहीं कर सकते | मुझे नहीं पता इस प्रकार से भिन्न ? मेरा अभिप्राय है, दृष्टिकोण ,परंतु हमे स्वयं को भी माफ कर देना चाहिए | परमेश्वर ने आपको मनुष्य के रूप में बनाया है इस तरह नष्ट होने के लिए नहीं, इस तरह बिखरने के लिए नहीं, अपितु अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए |(--------) आपको केवल इस प्रकार मेरी और अपने हाथ रखने है | मेरे विचार में यदि आपने जूते पहन रखे हैं, तो आपको इन्हें उतारना होगा । इससे हमारी बहुत सहायता होती है, हम दिल्ली में बेठे हैं, जहाँ , यहाँ इस भारत भूमि में इस योग भूमि में यह बहुत तेजी से कार्य करता है। इस देश में यह बहुत तेजी से कार्य करता है और आप लोगो के साथ भी क्योंकि आप इस देश से बहुत प्रेम करते हैं, आप इस देश के लिए इतना कड़ा परिश्रम करते हैं, इसलिए यह बहुत तेजी से कार्यन्वित होता है | इसलिए कोई शंका ना करें, केवल अपने दोनों हाथों को इस प्रकार रखें | मैं पुनः अनुरोध करूंगी, आपको स्वयं अपने को और दूसरों को क्षमा कर देना चाहिए | यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो यहाँ आपका जो चक्र है इसे हम विशुद्धि चक्र कहते है, ये अवरुद्ध हो जाएगा ।अर्थात् अपराध भाग अवरुद्ध हो जाता है और यदि आप क्षमा नहीं करते हैं, तब यह आज्ञा चक्र अवरुद्ध हो जाएगा | (-----)कृपया इस तरह से अपने हाथ रखो, थोड़ा नीचे | अब, पहले आपको अपनी उँगलियों के सिरों पर और अपने अंगूठे पर भी कुछ ठंडी या गर्म हवा का आभास होगा, फिर हथेली में आप ठंडी या गर्म हवा अनुभव करना आरम्भ करते है | कुछ लोग यह सोचना शुरू कर देते है कि यह वातानुकूल का प्रभाव है, इसका वातानुकूल से कोई लेना-देना नहीं है | इसलिए, कृपया अपने आप पर विश्वास रखे | अब कृपया अपन दाहिना हाथ मेरी ओर करो और नीचे झुकाएँ , अपना, अपना सिर थोड़ा नीचे की ओर झुकाएँ और अपने बाएँ हाथ से अपने ब्रहमरन्ध्र क्षेत्र के शीर्ष पर ,जिसे तालु कहा जाता था, अनुभव करे, क्या वहाँ से ठंडी या गर्म हवा बाहर आ रही है ?| अब कृपया अपने सिर को थोड़ा नीचे झुकाएँ और अपने आप से देखिए, अपने हाथ घुमाएँ , हो सकता है यहाँ बहुत दूर तक आ रही हो , या फिर बहुत समीप से परन्तु सिर के ऊपर हुये हाथ न रखें अपितु थोड़ा ऊपर की ओर रखें, कृपया थोड़ा घुमाएँ , थोड़ा आगे पीछे किनारों पर घुमाए और अपने आप देखिए कि वहाँ से ठंडी या गर्म हवा जैसी कुछ आ रही है क्या | यह गर्म है अर्थात् आपने क्षमा नहीं किया; इसका अभिप्राय केवल इतना है कि आपको वास्तव में कहना होगा कि मैंने क्षमा किया | आपको कुछ भी नहीं करना है बस आपको अपने हृदय में कहना है कि मैं सबको माफ करता हूँ , यह एक बहुत महान गुण है | अब कृपया अपने बाएँ हाथ को मेरी ओर करे और अपने दाहिने हाथ से दुबारा देखे कृपया अपने सिर को थोड़ा झुकाये और अपने आप से देखिए, आपके सिर से ठंडी या गर्म हवा निकल रही है क्या, बस अपने आपसे देखिए | कृपया अपना दहिनां हाथ फिर से मेरी ओर रखें, दाहिना हाथ अधिक है,इसलिए दाहिने हाथ को इस तरह रखें और आपने आप से देखिए | (------) अब फिर से मेरी ओर दोनों हाथ करें और विचार मत करिए, कोई विचार न करें आप एक क्षण के लिए भी सोचना बंद कर सकते हैं, यह बहुत अच्छा है, इसे ‘निर्विचारिता’ कहते हैं | इसके बाद की स्थिति में आप ‘निर्विकल्प ‘बन जाते हैं, जब आपको कोई संशय नहीं रह जाता , तब आप निर्विकल्प जागरूकता में स्थित हो जाते हैं, जहाँ आपको विश्वास है आपने प्राप्त कर लिया हैं, आपको विश्वास है कि आप सब कुछ कर सकते है,यही वह स्थिति है जहां आपको अग्रसर होना है | अब जिन लोगो को अपनी उंगलियों पर ठंडी या गर्म हवा अथवा तालू भाग से ठंडी या गर्म हवा का आभास हुआ है कृपया अपने दोनों हाथ ऊपर उठाए। आपमें से अधिकांश को यह प्राप्त हो गया है, आपमें से अधिकांश को यह प्राप्त हो गया है | बधाई हो और जिन्होंने नहीं पाया है उन्हे भी मिल जाएगा | यदि आपको केवल हमारे थोड़ा किसी एक ध्यान केंद्र पर जाना पड़ेगा अथवा आप चाहें तो उनमें से कोई भी आ सकता है और आपको आत्म साक्षात्कार दे सकता है | मेरे विचार में इसमे कोई अवरोध नहीं है परंतु कई बार ऐसा होता है की यह ( कुण्डलिनी) उठती नहीं है | वह आपकी माँ है, व्यक्तिगत माँ, उसका कोई अन्य बच्चा नहीं है | यह कुंडलिनी आपके बारे में सब कुछ जानती है, वह आपकी आकांक्षओ को जानती है, वह आपके अतीत को जानती है, वह सब कुछ जानती है | इसके अतिरिक्त वह आपकी शारीरिक समस्याओं से भी अवगत हैं, वह बहुत दयालु है | आपकी माँ होने के नाते उसने आपको जन्म दिया, उसने स्वयं अपने ऊपर सभी प्रसव कष्ट लिए, यह कुंडलिनी ही है जो अपने प्रेम के कारण उस ममतामयी प्रेम से वह सब कुछ करती है स्वयं बस कार्यान्वित हो जाता है, यह कार्यान्वित होता है क्योकि आप यहाँ इसी के लिये उपस्थित हुए है | हम सभी के लिए परिवर्तित होने का समय आ गया है , सुंदर लोगों की एक नई पीढ़ी में शामिल होने का , यह एक अद्भुत समय है | यदि मैंने अब तक कुछ भी किया है, वह यह है कि मैंने समूहिक जागरूकता के लिए एक मार्ग खोज निकाला | यही एकमेव कार्य मैंने किया है | अन्यथा यह तो पहले से ही ज्ञात था, ‘नाथपंथी’ इसे किया करते थे | इन लोगों के बारे में ज्ञान काफ़ी प्रचलित था | परंतु मैंने जो किया वह यह कि मैंने यह जानने का प्रयास किया है कि मनुष्यों में किसी समस्या के क्रम परिवर्तन एवं संयोजन क्या हैं और वे सभी इसे क्यों प्राप्त करते हैं ? यह सामूहिक घटना सम्पूर्ण संसार के लिए एक महान आशीर्वाद है | फिर से में आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी, आपकी विनम्रता है कि आपने मुझे यहाँ आमंत्रित किया | यदि आपके कोई भी प्रश्न है और यदि आप कुछ समय दे सकते हैं, मैं जानना चाहूंगी कि क्या आपके कोई सवाल है |

(---------------)

प्रश्न: माताजी, मैं जानना चाहती थी कि क्या हमे ध्यान के लिए एक निश्चित आसन में रहना है या आप किसी भी तरह से ध्यान कर सकते हैं ?

(-----------------)

श्री माताजी : नहीं कुछ भी नहीं हैं, कोई शैली नहीं है, कुछ भी नहीं है | आप जैसा चाहे बैठ सकते है; आप कुर्सी पर बैठ सकते है , आप कर सकते है, मेरा अभिप्राय है, कोई शैली नहीं है, कुछ भी नही है | मैं आपका सवाल समझ नहीं पायी कि आप क्या कह रही है तो मैं उनसे पूछ रही थी | यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं हैं, आप समझ सकते है, आप अब इन सब चीजों से परे हैं, आपकों कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है कि आप कैसे बेठें, आप क्या करे, कुछ भी नहीं, आप कही भी पसंद अनुसार बैठ सकते हैं | यदि आप चाहते हैं तो आप जमीन पर बैठ सकते हैं, यदि आप चाहते हैं तो आप कुर्सी पर बैठ सकते हैं, कही भी, यह सब समाप्त हो गया है | क्षमा करें, मैं आपके प्रश्न को समझ नहीं सकी | यह कोई समस्या ही नहीं है | “ आप तो निर्बंध हैं, मस्त हुए तो फिर क्या बोले, है ना | ’’

प्रश्न-माताजी, आजकल इतने गुरु हैं, कोई दूसरों को कैसे विश्वास दिलाएगा, यदि मुझे किसी को आपके पास आने के लिए कहना है तो मैं उन्हें कैसे बताऊँ ?

श्रीमाताजी: आपको विश्वास दिलाने की आवश्यकता नहीं हैं, मैं कहना चाहती हूँ कि उन्हे समझाने कि कोई आवश्यकता नहीं है क्योकि वे आपको कुछ विशेष, बहुत भिन्न रूप में देखेंगे और वे आपसे पूछेंगे कि आप इतने शांतिमय कैसे हैं, आप इतने अच्छे कैसे हैं, उन्हें बताने की जरूरत नहीं है, बस वे आपके चरित्र, आपकी शैली को देखेंगे और वे आपसे अत्यधिक प्रभावित होंगे |

(----------)

बहुत सकारात्मक प्रश्न है, बहुत बहुत ही सकारात्मक, क्योकि एक बार जब आप इसे पा लेते है आप चाहते है दूसरे भी इसे पाये क्योंकि आप दूसरों को कष्ट में पाते है | हमारे पास यहाँ एक सज्जन हैं जो आप के लिए गीत गाना चाहते है, मुझे आशा है कि आप इसका आनंद लेंगे और मुझे लगता है कि गीत सुकून देगा | यह ऐसे गायक हैं, जिनके कोई गुरु नहीं थे, किसी से भी संगीत नहीं सीखा है, परंतु सहज योग के बाद, इनके भीतर से संगीत की कला विकसित हुई है | लोग कवि बन जाते हैं, सभी प्रकार की चीजें घटित होती हैं, उनमे से यह भी एक है जिन्होने संगीत में बड़ी सफलता प्राप्त की है।किसी गुरु के पास जाए बिना, संगीत में क-ख-ग जैसा कुछ भी सीखे बिना।

........इति...........

New Delhi (India)

Loading map...