Kundalini will take you to the Truth

Kundalini will take you to the Truth 2000-09-04

Location
Talk duration
51'
Category
Public Program
Spoken Language
English
Live Translation
Italian

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

The post is also available in: English, Italian.

4 सितम्बर 2000

Public Program

Parchi di Nervi, Genoa (Italy)

Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Reviewed

2000-09-04 सार्वजनिक कार्यक्रम, जेनोवा इटली

मैं सभी सत्य-साधकों को प्रणाम करती हूँ।

हमें यह जानना होगा कि वह सत्य क्या है जिसे हम खोज रहे हैं।

सत्य यह है कि आप एक शरीर नहीं है,मन, ये भावनाएँ , और न ही आपकी बुद्धि परंतु आप एक आत्मा है, जिसे हम ‘स्व’ कहते हैं। ऐसा प्रत्येक शास्त्र में लिखा गया है कि आपको ‘स्व’ को पाना है। जब तक आप स्वयं अपने को नहीं जान लेते, तब तक आप परमेश्वर को नहीं जान सकते। यही मुख्य कारण है कि हमारे यहां भगवान के नाम पर इतने झगड़े, युद्ध होते हैं। परंतु अब आपके लिए अपने ‘स्व’ को जानना बहुत सरल हो गया है।

जैसा कि उन्होंने आपको बताया गया है कि आपकी त्रिकोणकार अस्थि में एक शक्ति निहित है जिसे हम भारत में ‘कुंडलिनी’ कहते हैं । कुंडल का अर्थ होता है कुण्डलीय आकार और क्योंकि यह साढ़े तीन कुंडल में होती है, इसे कुंडलिनी कहा जाता है। यह सभी धर्मों में कहा गया है; कि आपके पास यह आंतरिक शक्ति है जिसके द्वारा आप अपने ‘स्व’ को जान सकते हैं। यदि इसे जागृत किया जा सकता है तो यह छह चक्रों में से गुजरती है, जैसा कि आपको बताया गया है । ये छह चक्र आपके शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक अस्तित्व के लिए हैं। इतना ही नहीं बल्कि वे आपके आध्यात्मिक अस्तित्व को भी बनाए रखते हैं।

यह कुंडलिनी वास्तव में आपकी अपनी माँ है। वह आपकी व्यक्तिगत मां है। वह आप के भीतर विध्यमान रहती है जागृत होने के अवसर की प्रतीक्षा करते हुए । और जैसे आपकी माँ ने जब आपको जन्म दिया, तो उसने सभी समस्याओं को झेला। कुण्डलिनी, उसी प्रकार से, आपके आत्मसाक्षतकार को क्रियान्वित करती है। इस जागृति से, जैसा मैंने आपको बताया था, शारीरिक अवस्था सुधर जाती है,अर्थात् आपके सभी रोग दूर हो जाते है। मानसिक रोग भी ठीक हो जाते हैं। और यह बुद्धि जो आपको अत्यधिक अहंकार देती है, यह उसका भी समाधान कर सकती हैं । सर्वे जो भी आपके षडरिपु हैं जैसे , वासना, लालच, घृणा , ये सब बस छूट जाते हैं। जब यह आपके स्निग्ध-हड्डी ब्रह्मरंद का छेदन करती है तो आपको प्राप्त होता है,हम कह सकते हैं, बपतिस्मा (दीक्षा) का साकार होना। यह यथार्थ है, यह मात्र एक नाटक नहीं है, यह कोई अनुष्ठान जैसा नहीं है, परंतु यह वास्तव में घटित होता है, कि आप अपने तालू भाग से बाहर आ रही शीतल लहरियों को अनुभव करते है। यहां तक कि बाइबिल में यह कहा गया है कि, ' मैं तुम्हारे सामने , आग की लपटों के रूप में दिखाई दूँगी।“ कहना चाहिए ऐसा ही है,जब तालू भाग प्रबुद्ध हो जाता है और यह आग की लपटों की भाँति दिखाई देता है।

हमारी सभी समस्याएं हल हो सकती हैं यदि आप ‘स्व’ हो जाते है, जब आपको आत्म- साक्षात्कार प्राप्त हो जाता है। यहां तक कि असाध्य बीमारियां जैसे कैन्सर और ये सब ठीक हो सकते हैं। सभी मानसिक समस्याएं, विवाहित जीवन की समस्याएं भी और अन्य समस्याएं, बाह्म में, सभी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। और आप एक बहुत ही शांतिपूर्ण, आनंदमय व्यक्ति बन जाते हैं । विशेषतः हमारे युवालोग इतने कुंठित होते हैं कि वे नशा एवं सभी प्रकार की चीजों को अपना लेते हैं । ज्यादातर वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपनी खोज से निराश हैं । परंतु कुंडलिनी जागरण के बाद उन्हें पूर्ण रूप से अपने अस्तित्व का आनंद प्राप्त होता है। और ये आदतें छोड़ बस छूट जाती हैं ।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने आपको आत्मबोध पाने के लिए बनाया है। जैसे अंधेरे में होता है, हम खो जाते हैं ,और हम हर तरह के गलत काम अपने साथ और दूसरों के लिए कर रहे होते हैं । परमात्मा की शक्तियां पूर्ण प्रेम और करुणा की हैं परंतु हमें दैव्य शक्ति से जुड़ना होगा। यह दैवी शक्ति सर्व-व्याप्त है। यह बहुत सूक्ष्म है, हम इसे अन्यथा अनुभव नहीं कर सकते, परंतु आत्मसाक्षात्कार के बाद हम इसे निश्चित रूप से अनुभव कर सकते हैं । इस्लाम धर्म में भी मोहम्मद साहिब ने कहा है कि जब ‘कयामत ‘ (पुनरुत्थान) का समय आएगा तो आपके हाथ बोलेंगे । इसका अर्थ है कि आपकी उंगलियां और आप के ये छठे और सातवें चक्र हैं, (ये पांच उँगलियाँ हाथ में, छठे और सातवें चक्र हैं) जो आपको बताते हैं कि आपके साथ क्या गलत है । एक बार जब आप अपने चक्रों के बारे में जानते हैं, तो आपको आत्म-बोध होता है।

अब यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकते हैं तो फिर आप दूसरों के चक्रों को भी ठीक कर सकते हैं । क्योंकि आप में एक नई जागरूकता आ जाती है जिसे हम ‘सामूहिक चेतना’ कहते हैं। आप दूसरों के चक्रों की अनुभूति कर सकते हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति 'अन्य' नहीं है। वास्तव में, हम वैश्विक हो जाते हैं और हमारा इस वैश्विक समुदाय के साथ एकाकार हो जाता हैं । अर्थात् शांति आपके भीतर आती है। हम मन से परे चले जाते हैं जो संस्कार है, या कभी-कभी अहंकार होती है, और जब आप प्रबुद्ध हो जाते हैं, तो आप चीजों को इतनी स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और आप सर्वव्यापी दिव्य शक्ति की सूक्ष्म क्रियाशीलता को अनुभव कर सकते हैं। तब आप समझ सकते हैं कि ये सभी धर्म क्या हैं,वे क्या सिखा रहे हैं और कैसे वे सब एक ही हैं। यह प्रेम और करुणा, यह शक्ति जो पूरी दुनिया को एकजुट कर रही है, वह आपके भीतर है। यह आपका अपनी शक्ति है।

कुंडलिनी जागरण के लिए आपको कुछ भी भुगतान नहीं करना होता। यह एक बहुत ही सरल विधि है जिसके द्वारा आप अंकुरित होते हैं और आप एक बड़े पेड़ के रूप में विकसित होते हैं। लोग देखते है आप इतने शांतिपूर्ण, प्रेम,करुणा और आनंद से भरपूर हैं और वे आपसे पूछना चाहते हैं, ' यह कैसे हुआ आप के साथ?

इन दिनों सभी प्रकार की भयावह घटनाएँ घटित हो रही हैं। यह देखना असहनीय है, कभी-कभी ,वे बच्चों के साथ कैसे दुष्कर्म करते हैं। बच्चे परमेश्वर का ऐसा सुंदर वरदान हैं, और वे उनके साथ दुष्कर्म करना चाहते हैं। वे ऐसा अंधेरे के कारण ही करते हैं । वे बहुत दुष्ट भी बन सकते हैं। क्योंकि, देखिए, यदि वहाँ कोई प्रकाश नहीं है और आपको बाहर जाना है तो आप कई लोगों को पैरों तले रौंद सकते हैं। ऐसा कहा गया है कि यह अंतिम निर्णय का समय है। अब यह चयन आपके ऊपर है कि क्या आप दिव्य अथवा दुष्ट बनना चाहते हैं। यह आपके लिए एक अति महान अवसर है अपना आत्मबोध प्राप्त करने के लिए ।

मैंने आने एवं यहाँ निवास करने के लिए इटली देश का चयन किया क्योंकि इतालवी लोगों का हृदय बहुत विशाल है । मुझे अफ़सोस है कि मैं इतालवी भाषा बोलना नहीं जानती परंतु शायद मैं भविष्य में बात करने में सक्षम हो सकती हूं । अन्यथा, मैं छह-सात भाषाएँ जानती हूं परन्तु दुर्भाग्यवश इतालवी नहीं, परंतु मैं प्रेम और करुणा की भाषा में बात कर रही हूँ ‘सामूहिक चेतना की’ । और जैसा कि आपने कहा है कि आप निर्विचारिता में जागरूक हो गए हैं। आप देखते नहीं है अपितु सम्पूर्ण के साक्षी मात्र बन जाते हैं। साक्ष्य बन कर आप प्रत्येक विषय में निहित सूक्ष्म आनंद को समझते हो और जीवन इतना आनंदमय बन हो जाता है, चाहे आप जवान हो या बूढ़े चाहे आप अश्वेत हैं या शेवत । आपका मानव तत्व अति सुंदर है; हमें बस यही खोजना होगा ।

मैं उन सभी पत्रकारों की आभारी हूँ जिन्होंने आ कर मेरा इतने संतुलित ढंग से साक्षात्कार किया। ऐसा वास्तव में जेनोवा में इतने विस्तार से घटित हुआ है । शायद यहाँ समीप में समुद्र आप को यह संतुलन की भावना देता है ।

मैंने पूरी दुनिया में हजारों व्याख्यान दिए हैं क्योंकि सहज योग अब 80 देशों में कार्यान्वित है। और सब यह होने के बाद भी अभी भी है वहां इतना कुछ इतने सारे लोगों को बताया जाना शेष है क्योंकि यह परम ज्ञान है । आप अपनी उंगलियों के पैरों पर दूसरों के बारे में अनुभूति कर सकते हैं जो संपूर्ण है।

हाल ही में , अमेरिका में एक बहुत बड़ा संगठन है जिसे ‘स्वास्थ्य संगठन’ कहा जाता है और वहाँ डॉक्टर यह देखना चाहते थे कि क्या सहज योग के माध्यम से निदान किया जा सकता था। यह वाशिंगटन में स्थित एक ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ‘ है । एक सहज योगिनी थी जो स्वयं डॉक्टर नहीं थी, चिकित्सा में शिक्षा प्राप्त नहीं थी तो एक डॉक्टर ने उससे पूछा, ' मेरी समस्या कहां है?’ तो इस योगिनी ने उसकी ओर हाथ किए और कहा, “तुम्हारे हृदय में कुछ गड़बड़ है।“और वह आश्चर्यचकित हो गया क्योंकि एक महीने पहले उसकी सर्जरी हुई थी और बाईपास हुआ था ।

अब यदि आप अपने हृदय का उपचार करना जानते हैं, तो यह काफी सरल है। एक बार जब आप ‘ स्व’ बन जाते हैं तो कुछ भी कठिन नहीं है क्योंकि ‘दिव्य’ की सभी शक्तियां आपके माध्यम से कार्यान्वित हो सकती हैं। और इतने अधिक चमत्कार हैं, जिनका मैं आज वर्णन नहीं कर सकती, परंतु इतने सारे चमत्कार जो आपके जीवन का इतनी अच्छी प्रकार से क्रियान्वन करते हैं।

मैं उन लोगों, सहज योग के युवाओं को धन्यवाद देना चाहती हूं , जिन्होंने आपके आत्म-साक्षात्कार के लिए इस सुंदर कार्यक्रम का आयोजन किया है । जेनोवा, मैं हमेशा आना चाहती थी परंतु उन्होंने यह संभव बनाया है कि मैं आप सभी से मिल पायी।

अब आप बहुत कुछ जान जाएँगे , सम्पूर्ण ज्ञान ,आप सहजयोग द्वारा प्राप्त कर सकते हैं । आपको इसके लिए भुगतान नहीं करना है परंतु आप जो कर सकते हैं कि सब कुछ सत्यापित करें और फिर इस पर विश्वास करें ; किसी अंध विश्वास की आवश्यकता नहीं है।

मैं आप सभी की बहुत आभारी हूं कि आप यहाँ आए और मैं आप सभी से यहां मिल पायी ।

अब हम आत्मसाक्षात्कार का सत्र कर सकते हैं, जिसमें केवल 10 मिनट लगेंगे ।

परंतु जैसा कि मैंने आपसे कहा था, आपको चयन करना होगा ; मैं इसे आप पर लाद नहीं सकती । जैसे आप एक बीज को अंकुरित होने के लिए बाध्य नहीं कर सकते, मैं आप पर आत्म साक्षात्कार लाद नहीं सकती । यह आपकी अपनी साधना ( इच्छा) का आशीर्वाद है।

अब समय आपके सब के लिए आ गया है दिव्य बनने का। स्वयं अपना आनंद उठाने का । दूसरों को आप का आनंद लेने का। करुणा और प्यार; यह दिव्य शक्ति जब एक बार आप के माध्यम से बहती है, तो आप दूसरों के लिए बहुत सारी अच्छी बातें कर सकते हैं।

मैं उन सभी लोगों से अनुरोध करूंगी जो अपना ‘आत्मबोध’ नहीं चाहते हैं कृपया यहाँ से चले जाए; यही बेहतर होगा।

यदि आपके कोई प्रश्न है, आप मुझे लिख सकते हैं, मैं उत्तर देने का प्रयास करूँगी।

मैं वास्तव में इटली में रहती हूं, बहुत समीप , कबेला नाम के स्थान पर; आप सभी का वहाँ स्वागत हैं ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

जैसा कि मैंने आपको बताया कि यह बहुत बहुत ही सरल है । आपकी जो भी उम्र हो, जो कोई भी धर्म आप अनुसरण कर रहे हैं,जो कुछ भी आप की आस्था रही है, वे सब, आप में कोई रुकावट नहीं करेंगे क्योंकि कुंडलिनी शक्ति बहुत महान है और वह आप को सत्य की ओर ले जाएगी । हमें मानव की समस्याओं और वैश्विक समस्याओं का समाधान करना होगा ।

अतः सर्वप्रथम मैं अनुरोध करना चाहती हूँ कि आप अपने जूते बाहर निकाले क्योंकि यह पृथ्वी माँ एक बहुत महान चीज़ है ।आरम्भ में ही वे हमारी समस्याओं को सोख लेती हैं।

आपको बस मेरी ओर अपने हाथ रखना होंगें, इस तरह, क्योंकि ये उंगलियों के सिरे अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के अंतिम छोर है और वे आपके चक्रों, आपके सूक्ष्म केंद्रों को प्रदर्शित कर रहे हैं ।

(अपने आप से -----------“ इन्हें अपनी जागृति मिल गई है।“)

इतालवी लोगों के लिए बहुत आसान है साक्षात्कार पाना!!

अब पहली बात, मात्र एक अनुबंधन जो आप में है, सबसे पहले, अपने आप को माफ कर दें। यदि आप दोषी अनुभव करते हैं यह बहुत गलत है क्योंकि यह बायीं पक्ष में इस चक्र को अवरुद्ध करता है । यदि आपने कुछ गलतियां की हैं यह अतीत में था । हम वर्तमान की बात कर रहे हैं। तो कृपया अपने आप को क्षमा कर दें,पूर्णत्या। कैसे? अपने हृदय में कह कर, “ मैंने अपने आप को क्षमा किया ।“

अन्य बात जो आपको करनी है सबको क्षमा कर दो और आप ऐसा कैसे करेगें, बस यह कहकर, “मां मैंने सबको माफ क्षमा किया । “ इसके अलावा, तार्किक रूप से, आप क्षमा न करके क्या करते हैं? चाहे आप माफ करते हैं, या माफ नहीं करते हैं,इसका कोई औचित्य नहीं है।परंतु यदि आप क्षमा करते हैं तो एक सुरक्षित स्थिति है, की आप क्रोध, या घृणा, अथवा इसी प्रकर की किसी चीज़ से पीड़ित नहीं होते। तो बस उन्हें माफ कर दो, दूसरों को माफ कर दो। यही उनकी समस्याओं से छुटकारा पाने का सबसे उत्तम तरीका है ।

अब बस थोड़ी देर के लिए अपने हाथ सीधे मेरे हाथ मेरी ओर रखें।(बस थोड़ा ऊपर, थोड़ा और ऊपर.)

अब, कृपया कर के अपनी आँखें बंद करें और अपना दाहिना हाथ ब्रह्मरन्ध्र के ऊपर रखें, अपना सिर झुकाएँ। थोड़ा सा अपना सिर झुकाएँ।

अब अपना दाहिना हाथ मेरी ओर रखें और बाएं हाथ से आप देखें, अपने सिर के ऊपर , तालू भाग में,, जो आपके बचपन में एक नरम हड्डी थी, यदि वहाँ कोई ठंडी अथवा एक गर्म हवा बाहर निकल कर आ रही है।

आप अपने हाथ को थोड़ा ऊंचा करके घुमाएँ और किनारों पर ,और आप देखेंगे कि क्या गर्म, या ठंडी हवा आ रही है। यह गर्म है क्योंकि आपने माफ नहीं किया है, अपने आप को अथवा दूसरों को।

बाद में, आपको इसके बारे में सब कुछ ज्ञात होजाएगा।

अब अपने बाएं हाथ को मेरी ओर रखें और दाएं हाथ से, आप सिर को झुकाएँ, दाहिने हाथ से, आप देखें कि क्या आप को अपने तालू भाग से बाहर आने वाली ठंडी या गर्म हवा की अनुभूति हो रही है? जो आपके बचपन में एक नरम हड्डी थी।

अब अपने दोनों हाथ मेरी ओर रखें । आपको ठंडी हवा की अनुभूति होगी, या अपने हाथों पर गर्म हवा, या उंगलियों पर अनुभव करेंगे । आप में से कुछ लोगों को हवा हाथों से आ रही होगी, हाथों के नीचे से ।

कृपया, अब अपनी आँखें खोलो। जिन लोगों ने अपनी उंगलियों पर, अपनी हथेली पर, या तालू भाग से बाहर निकलती हुई ठंडी हवा महसूस की है, कृपया अपने दोनों हाथों को ऊँचा उठाएं ।

सम्पूर्ण जेनोवा को प्राप्त हो गया है, मेरे विचार में। बहुत सुंदर, अति सुंदर।

Parchi di Nervi, Genoa (Italy)

Loading map...