We are all seeking 1978-03-20
Current language: Hindi, list all talks in: Hindi
20 मार्च 1978
Public Program
Caxton Hall, London (England)
Talk Language: English
हम सभी इच्छुक हैं
सार्वजनिक कार्यक्रम, कैक्सटन हॉल, लंदन, 20 मार्च 1978
ग्रेगोइरे ने इतनी सारी बातें कह दी हैं कि मैं वास्तव में नहीं जानती कि उसके बाद क्या कहना है। सच में अवाक। मुझे पता है कि यह एक सच्चाई है और आपको इसका सामना करना होगा, हालांकि मैं इसके बारे में संकोचशील हूं।
तुम सब खोज रहे थे, और मुझे लगता है कि जब से मुझे याद पड़ता है, तब से मैं किसी ऐसे व्यक्ति से नहीं मिली जो खोज नहीं रहा था। वे पैसे में, सत्ता में ख़ोज कर रहे होंगे। लेकिन उनमें से बहुत से लोग वास्तव में कुछ इससे भी परे की तलाश कर रहे थे। पश्चिम में, मैंने हमेशा महसूस किया कि पुराने और प्राचीन काल के सभी महान संत जो परमात्मा की तलाश कर रहे थे, पैदा हुए हैं। मैं देख सकती थी , जिस तरह से आपने भौतिकवाद को नापसंद किया है; जिस तरह से आपने जीवन के बारे में एक तरह की समझ हासिल की है... नई बात है।
ईसा-मसीह के समय में कुछ कोढ़ी और कुछ बीमार लोगों को छोड़कर ऐसे लोगों को देखना संभव नहीं था। अन्य कोई नहीं था जो उसे देखने को तैयार हो। निःसंदेह समय बदल गया है। लेकिन, इस तलाश में कई लोगों ने बहुत सारी गलतियां की हैं। गलतियों को हमेशा माफ किया जा सकता है। उन्हें ठीक किया जाना चाहिए।
मैं इसके साथ पैदा हो हूं। मुझे पता था कि मुझे यह करना है और मुझे पता था कि मुझे एक दिन लंदन में रहना होगा। मैं कह सकती हूँ कि वे सभी लोग जो बहुत ऊँचे, उन्नत दर्जे के हैं, जो जीवन की नीरसता में नहीं रहते हैं, जो गुरु के रूप में घूमते और पैसा कमाते हुए नहीं हैं, जो पंडित और मंदिर पुजारी लोग, होने का दावा नहीं करते हैं। जो तुम सब से दूर रहते हैं, अपने आप को जंगलों में छिपाते हैं, वे जानते थे कि यह होना ही था। वे इसके बारे में जानते थे। लेकिन जब पश्चिम में इच्छा शुरू हुई, तो मांग की तरह आपूर्ति आ गई। हमारे यहां कितने सहजयोगी बैठे हैं। मैं कहूंगी कि वे असली साधक हैं क्योंकि उन्होंने असत्य को अस्वीकार किया, अवहेलना कर दी।
कुछ चीजें हैं, आप इसे बहुत आसानी से पहचान सकते हैं जब हमारे सामने, ईसा-मसीह का जीवन है, जिसके द्वारा आप यह पता लगा सकते हैं कि कौन सच्चा व्यक्ति है और कौन नहीं। यह मुश्किल नहीं है। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति आपसे धन लेता है, वह परमेश्वर का व्यक्ति नहीं हो सकता है। जो व्यक्ति ईश्वर का है, वह पैसे या किसी चीज के बारे में अधिक विचार नहीं करता। अगर वह अमीर है, तो वह एक अमीर व्यक्ति की तरह रहता है। अगर वह गरीब है, तो वह एक गरीब व्यक्ति की तरह रहता है; लेकिन दिल से वह एक राजा है। ईसा-मसीह एक बढ़ई का पुत्र था। मैं उनके चित्र देखती हूं और गहनों से सजी उनकी माता के चित्र देखती हूं। उसके पास बदलने के लिए केवल दो वस्त्र थे। शायद यह कभी महसूस नहीं हुआ कि पैसे से परमात्मा को नहीं खरीद सकते। ईश्वर और धर्म के नाम पर चीजें इतनी आगे बढ़ गई हैं कि मैं मनुष्य को ईश्वर के बजाय विज्ञान को अपनाने के लिए दोष नहीं देती।
इतनी गलत व्याख्या की गई है, कोई समझ सकता है। लेकिन जब दुनिया में इतनी सारी झूठी चीजें हैं - प्रतियां - तो किसी को पता होना चाहिए कि कुछ होना चाहिए जो ... निरपेक्ष हो। होना ही पड़ेगा। लंदन को हृदय के रूप में वे सभी लोग मानते हैं जिनके बारे में मैं वर्णन करती रही हूं, सम्पूर्ण विश्व में वे लोग जो महान संत हैं। मुझे कभी-कभी यह देखकर दुख होता है कि कैसे इंग्लैंड के लोग इस महान देश के मूल्य को नहीं समझ पाए हैं। इस देश में, बहुत पहले, बहुत पहले, यहां तक कि ईसा के आने से भी पहले, लोगों ने कुंडलिनी के साथ काम किया है। आपका स्टोनहेंज कुंडलिनी के अलावा और कुछ नहीं है। वायब्रेशन इस देश में युगों से काम कर रहे हैं।
मैं केवल यहां आपको उनका परिचय कराने के लिए हूं। कोई सज्जन हैं जिन्हें मैंने इस कुंडलिनी की नकल करते हुए देखा है, जो हमने आपके लिए पहले से ही बनाए हैं, सभी चित्र और सब कुछ, आपको देखने और समझने के लिए वे कहाँ हैं, चक्र क्या हैं और उन पर कौन से देवता शासन कर रहे हैं। आपको मुझे स्वीकार नहीं करना चाहिए, भले ही ग्रेगोइरे ने आपको इन सब बातों के बारे में बताया हो। गलत हो सकता है। कोई भी अंध विश्वास आपको वास्तविकता की ओर नहीं ले जाने वाला है, बिलकुल नहीं।
"बस मुझ पर विश्वास करो" कहना, एक गलत शैली है। आपको नहीं करना चाहिए। लेकिन तुम्हें मेरा अस्वीकार भी नहीं करना चाहिए। इसे खुला रखें। चूँकि आप खोज रहे हैं और अगर मुझे आपको सिर्फ इसलिए प्रबुद्ध करना है क्योंकि आपको अन्य लोगों को प्रबुद्ध करना चाहिए, तो किसी को इसके बारे में आहत महसूस नहीं होना चाहिए। किसी को तो करना ही होगा। आप इस जगह पर हो सकते हैं या मैं आपकी जगह पर हो सकती हूं। कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि कोई मोमबत्ती है, जो प्रबुद्ध है, तो वह अन्य दीप को प्रकाशित कर सकती है यदि वे तैयार हों।
शायद, हो सकता है, कि मैं इस व्यवसाय के सभी गुर जानती हूँ। हो सकता है कि मुझे इसके बारे में पूरी जानकारी हो। मैं इस काम के लायक हो सकती हूं, इसके बारे में सब कुछ जानने के लिए। आइए हम इसके बारे में बहुत गंभीर न हों, सिर्फ इसलिए कि ग्रेगोइरे ने इतनी गंभीर टिप्पणी की है। यह सिर्फ एक खेल है। यह सिर्फ एक नाटक है। यह उतना गंभीर नहीं है जितना हम सोचते हैं। इसे एक खेल सामान होना चाहिए क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है।
वे सभी चीजें जो महत्वपूर्ण हैं हमारे लिए सबसे आसान हैं - उदाहरण: हमारी श्वास। मान लीजिए कि सांस लेना सीखने के लिए, अगर आपको बारिश में कैक्सटन हॉल जाना है, पूरे रास्ते चलना है, एक बड़ा व्याख्यान सुनना है और फिर इसके बारे में सीखना है, तो आप ख़त्म ही हो जाएंगे। इसी प्रकार यदि हमें सिर के बल खड़े होकर या पूरी दुनिया को त्याग कर या, मैं नहीं जानती, ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट और हर तरह की चीजों पर नृत्य करके अपनी बोध प्राप्ति प्राप्त करनी है, तो जो खोज रहे हैं उन्हें भगवान ही बचाये।
इसे बेहद सरल होना चाहिए - उस तरह से काम करना होगा - क्योंकि अगर विकास पूर्ण हो गया होता, तो हम भ्रम में नहीं पड़ते। यह पूर्ण नहीं है, इसलिए हम भ्रमित हैं। 'पशु अवस्था तक, इसके बारे में सोचने का कोई सवाल ही नहीं है। इंसान बनने के बाद ही आप इसके बारे में सोचना शुरू करते हैं। केवल मानवीय स्तर पर ही आपको इसके बारे में सोचने की आजादी दी जाती है। पशु हर समय सामूहिक चेतना में रहते हैं - इस अर्थ में वे इसके प्रति सचेत नहीं होते हैं, लेकिन वे इससे प्रेरित होते हैं।
[रिकॉर्डिंग में रुकावट, श्री माताजी एक किताब की बात कर रहे हैं]
कि पूरी प्रकृति इस तरह से काम करती है जैसे कि कोई आयोजक है जो उनके समन्वय, उनके सामंजस्य, उनके कामकाज की व्यवस्था कर रही है। इतना ही नहीं बल्कि एक चीज की मौत दूसरे को जीवन देने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, प्रकृति में जमीन को नाइट्रोजन देने के लिए पत्तियों को जमीन पर गिरना पड़ता है। फिर से, फिर से पुनर्निर्मित होने के लिए, कह सकते हैं ... आप कह सकते हैं, पेड़ के शरीर में पुनर्जीवित होकर फिर से अपने नए पत्ते और उसके खिलने के लिए।
सभी प्रकार के ... हम कह सकते हैं, वास्तविक प्रयोग उन्होंने [लेखक] दिए हैं; लेकिन अगर आप अब जाकर इसे पढ़ते हैं तो आपको पता चलेगा कि वह सिर्फ उस सामूहिक अस्तित्व के बारे में बात कर रहा है, जो वहां मौजूद है, जिसमें हम सब स्वयं मौजूद हैं, और वह हर तरह से हमारी देखभाल कर रहा है; और कैसे प्रकृति में सब कुछ अन्योन्याश्रित है; जानवर कैसे समझते हैं; और कैसे हर अमीबा और पैरामीशियम - एक एककोशिकीय कोशिका है - यह भी समझता है: उसका समूह क्या कर रहा है और संकेत क्या हैं और वह इसे कैसे प्राप्त करता है; मधुमक्खियां कैसे समझती हैं कि शहद कहां है और वे कैसे जाते हैं और उसी तरह वापस आ जाते हैं - कोई रोड-मैप नहीं है, कुछ भी नहीं है।
मीलों एक साथ वे कैसे यात्रा करते हैं? यह बहुत दिलचस्प है। और इस तरह की कई किताबें हैं, जो आप किसी भी जीवविज्ञानी से पा सकते हैं - पियरे लेकोम्टे डू नोय वह एक महान जीव विज्ञानी हैं, मुझे कहना होगा। जीव विज्ञानी, क्योंकि वे जीवन से संबंधित हैं, मुझे लगता है कि वे बिंदु के बहुत करीब हैं।
एक और युंग है जिसने सामूहिक चेतना के साथ प्रयोग किया था। उनका कहना है कि जहां तक प्रतीक का संबंध है, ऐसे सपने हैं जो सार्वभौमिक रूप से समान हैं। वे जो प्रतीक देखते हैं, चाहे वे यहां हों या भारत में या ऑस्ट्रेलिया में या टिम्बकटू में। वे सभी... डीकोड होने पर... एक ही बात व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए यदि उसे भय, सदभावना, कुछ भी व्यक्त करना है, तो वह उसे व्यक्त करता है।
यह आश्चर्यजनक है। आखिर कोई तो है जो इन प्रतीकों को उस वातावरण में फेंक रहा है जहां हम रहते हैं। हमारे अचेतन से, वे कहता हैं, ये आ रहे हैं। लेकिन ये सब चीजें उन लोगों की खोज की तरह हैं जो अंधेरे में जांच कर रहे हैं: वे यहां कुछ ढूंढते हैं और वहां कुछ पाते हैं, आप वहां कुछ पाते हैं और आप इसे एक साथ रखते हैं। इन सभी चीजों को एक साथ रखा जा सकता है। इन सभी चीजों को एक साथ जोड़ा जा सकता है, एक साथ एकीकृत किया जा सकता है और बहुत आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है, यदि आप अपना आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं।
स्व तुम्हारे भीतर है, तुम्हारे हृदय में है। आपका स्व। आप जानते हैं कि कोई है जो आपके बारे में सब कुछ जानता है। कोई तो है। यदि आप किसी की हत्या करते हैं, तो वह जानता है। यदि आप कुछ भी करते हैं, तो वह जानता है। और जो जानता है वह आत्मा है। अब जब हम परमेश्वर की बात करते हैं, तो लोगों ने पहले ही परमेश्वर को नकार दिया है: वे कहते हैं, "ईश्वर कहां है? चलो देखते हैं।" आत्म-साक्षात्कार के बिना, तुम उसे नहीं जान सकते। आप उन्हें इन सभी तथाकथित कंडीशनिंग के माध्यम से नहीं जान सकते हैं जो हमारे अंदर हैं। जैसे हम चर्च जाते हैं और प्रार्थना करते हैं, मंदिरों में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं, गीत और मंत्र गाते हैं और यह और वह। नहीं।
आप उसे इन बातों के माध्यम से नहीं जान सकते क्योंकि फिर भी आप बाहर हैं। आपको अंदर आना होगा। इन सभी चरणों के दौरान, सब कुछ, आपको अंदर आना है, दरवाजे के अंदर बैठना है और इसे प्राप्त करना है। आत्म-ज्ञान यह ज्ञान नहीं है कि: आप पापी हैं, आप किसी भी चीज़ के लिए अच्छे नहीं हैं या आप राजा हैं या आप ऐसे और ऐसे हैं। यह सब बाहर है। आत्मज्ञान वह है, कि तुम एक यंत्र हो। आप एक उपकरण हैं और आपको उस गतिशील व्यक्तित्व की गतिशील शक्तियों के लिए कार्य करना है, विशाल व्यक्तित्व जिसे हम सर्वशक्तिमान ईश्वर कहते हैं। तुम वह हो।
केवल एक बात यह है कि उपकरण अभी तक उससे जुड़ा नहीं है। मैंने कहा 'जानवरों की अवस्था तक हम इसके साथ एकाकार हैं। हमें कोई समस्या नहीं है। केवल जब हम इंसान बनते हैं तब [ऊपर दिखाया गया है?] वहां आप दाहिना काला और दूसरी तरफ सिर में पीला रंग देखते हैं।
ये दो गुब्बारे हैं, जो हमारी गतिविधि, अहंकार और प्रति-अहंकार के साथ बढ़ते हैं। और वे हमारे सिर को पूरी तरह से ढक लेते हैं, जिससे यह फॉन्टानेल हड्डी, जो बचपन में एक नरम हड्डी होती है - आपने बच्चों को देखा है कि वे सामूहिक चेतना के साथ इतने अधिक एकाकार हैं - जब यह वहां कठोर हो जाती है तो, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये दोनों मिलते हैं और एक दुसरे पर छा जाते हैं। मनुष्य इसी तरह का ही बना है। उसे आजादी दी गई है। उसे 'मैं' दिया गया है। वह इस विशेष चीज को विकसित करता है। उन्हें स्वतंत्रता दी गई है क्योंकि यह अब विकास की अंतिम अवस्था है। मनुष्य को स्वयं कूदना पड़ता है-समझकर।
तुम नहीं जानते कि अमीबा से इस अवस्था तक तुम मनुष्य कैसे बने। लेकिन मनुष्यों को यह जानना होगा कि वे स्वयं के साथ कैसे एकाकार हो जाएँ और कैसे वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करें। यह उनका अधिकार है और इस अधिकार को पाने के लिए उन्हें स्वतंत्रता होनी चाहिए और उन्हें अपनी बुद्धि और विवेक, अपना मिजाज़ विकसित करना चाहिए, - उस स्वतंत्रता का उपयोग कैसे करें। इस प्रयोजन के लिए, हमारे अस्तित्व में पहले से ही एक अवशिष्ट शक्ति है, जिसे कुंडलिनी कहा जाता है, रीढ़ के आधार पर। ये वहां है।
अब, कई सहज योगियों, मैं कहूंगी कि हजारों, अमेरिका और भारत में, और अन्य जगहों पर, उन्होंने अपनी आंखों से उस रीढ़ पर कुंडलिनी की स्पंदन को देखा है। यदि किसी रोग से पेट में रुकावट हो या कोई अन्य परेशानी हो तो यह धड़कन बहुत अधिक भारी होती है और आप कुंडलिनी को स्पंदित होते हुए देख सकते हैं। साफ़ - साफ़। कुंडलिनी के उठने पर स्पंदन ऊपर की ओर बढ़ता है। आप वह भी देख सकते हैं। आप विभिन्न चक्रों को भी महसूस कर सकते हैं - जो केंद्र हैं - जो रीढ़ की हड्डी के अंदर रखे गए हैं, बाहर नहीं जैसा कि कुछ किताबों में लिखा है।
उन्होंने कुंडलिनी के बारे में हर तरह की अजीबो-गरीब बातें लिखी हैं। जिसको जो लिखने का मन हुआ उसने लिखा है। किताबों से उन्होंने कुछ लिया है, इतनी बड़ी, बड़ी किताबें लिखी हैं। यह चौंकाने वाला है क्योंकि यह बहुत सूक्ष्म और पवित्र चीज है। सबसे शुभ। जिस तरह से उन्होंने कुंडलिनी को संभाला है उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
सबसे ऊंचे और पवित्रतम का अपमान किया गया है, इस तरह के आधे-अधूरे लोगों ने सिर्फ कुछ पैसे कमाने के लिए बर्बाद कर दिया है। आप अपना पैसा कब तक अपने साथ रखते हैं? क्या आप इसे जीवन भर अपने साथ रखने जा रहे हैं? लोगों को धोखा देने के लिए या कुछ लोगों पर हावी होने के लिए - इस दुनिया में भगवान के नाम पर, कुंडलिनी के नाम पर सभी तरह के काम किए गए हैं। यह वास्तव में कभी-कभी मुझे आश्चर्यचकित करता है, कैसे लोग वास्तव में गंभीरता से उपदेश दे रहे हैं और भगवान के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, शरीर पर हीरे पहने हुए हैं ... जो किसी और के पैसे से खरीदे गए।
और हम विचारक, जिनके पास दिमाग है, ऐसी स्थिति को कैसे स्वीकार कर सकते हैं जहां हम पाते हैं कि, जो लोग इन सभी चीजों में इतनी रुचि रखते हैं और दूसरों से प्राप्त करके दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें सचमुच गुमराह किया गया है। यह एक दुखद बात है। यह सबसे दुखद कहानी है। यह मेरे हृदय को झकझोर देता है, लेकिन मुझे लगता है कि निर्दोष, सरल, साधक... सबसे बड़े शिकार हुए हैं। वे रहे हैं - पैसे के लिए, प्रतिशोध के लिए| साथ ही शैतानी ताकतें भी उभर आई हैं। वे भी शोषण का भी प्रयास कर रहे हैं। वे अपनी पूरी ताकत में आए हैं, अपनी पूरी पलटन में वे यहां हैं। आप लोगों के लिए यह समझना कठिन है कि कैसे आप धीरे-धीरे उनके चंगुल में और उनके जबड़ों में घसीटे जाते हैं और वे आपको जकड़ने वाले हैं। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि भगवान ने इस सृष्टि को नष्ट करने के लिए नहीं बनाया है। उसने तुम्हें नष्ट होने के लिए नहीं बनाया है। स्वयं भगवान से अधिक शक्तिशाली कुछ भी नहीं है और यह कार्यान्वित होने ही वाला है और आप सभी इसे प्राप्त करने जा रहे हैं। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है। मुझे कोई संदेह नहीं है। हो सकता है कि आप में से कुछ को आज यह न मिले। संभवतः। लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि कल आपको यह नहीं मिलेगा। आपको मिलेगा और आप सभी को यह पाना ही चाहिए क्योंकि आप साधक हैं|