Just mere awakening of the Kundalini is not sufficient 1981-03-29
29 मार्च 1981
Public Program
Sydney (Australia)
Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Draft
कुण्डलिनी जागरण हो जाना मात्र ही पर्याप्त नहीं है
सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 29 मार्च 1981।
मोदी ने अवश्य ही बहुत स्पष्ट रूप से आपको बताया होगा कि सहज योग में कैसे विकास किया जाए क्योंकि वह उनमें से एक हैं जिन्होंने अपने विकास को सुनिश्चित करने के लिए वास्तव में बहुत सकारात्मक कदम उठाये हैं। अब बोध के बारे में एक सरल बात समझनी होगी कि, केवल कुंडलिनी का जागरण पर्याप्त नहीं है, यह केवल शुरुआत है। आपको अपना बोध प्राप्त होता है लेकिन आपको वृक्ष बनना होगा, आपको विकसित होना होगा, आपको बनना होगा। यदि आप विकसित नहीं हो सकते हैं तो आपने वह हासिल नहीं किया है जो आप बनना चाहते थे। और ध्यान के साथ और ध्यान के बारे में समझ के साथ आप बहुत तेजी से बढ़ते हैं, बहुत तेजी से । अब हमारे पास जो कुछ बाधाएं हैं, उनमें से एक है, जिसे मैंने देखा है, जो सहज योग में ही निर्मित हैं। उनमें से एक यह है कि आप इसे इतनी आसानी से प्राप्त कर लेते हैं कि आप इसे हल्के में लेते हैं। यह इसके ढांचे में ही है, केवल सहज रूप से निर्मित। आप देखते हैं कि जो कुछ भी आपको इतनी आसानी से मिल जाता है आप उसे हल्के में लेते हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि जब आपकी आंखें होती हैं तो आप अपनी आंखों की कीमत नहीं जानते, आप इसे हल्के में लेते हैं। लेकिन जब आपके पास नहीं होती हैं तो आप आंखों की कीमत जानते हैं, ऐसा ही है। तो जब आप वायब्रेशन खो देते हैं और जब आप सहज योग से बाहर निकल जाते हैं, तो आप को बहुत अधिक नुक्सान होने का अनुभव होता हैं और फिर आप सहज योग में वापस आ जाते हैं। जैसे कोई व्यक्ति अमीर बन जाता है, वह धन का आनंद लेता है और फिर आप उसे गरीब बनाते हैं तो उसे और अधिक महसूस होता है। तो यही सुधार करने वाला बिंदु है।
लेकिन यह बिल्कुल सच है कि सहज में अपने आप में यह बात रचित है कि यह सब बहुत अनायास होता है और आपको एकदम निष्क्रियता में मिल जाता है। तो, हो सकता है कि आप में से बहुत से लोग इसे गँवा दें क्योंकि आप पा सकते हैं कि यह बस आपको किसी कारण से मिल गया है। मैंने उन लोगों के बारे में भी जाना है जो वायब्रेशन पाने के बाद कहते हैं, "अब यह ठीक है मुझे सहज योग की आवश्यकता नहीं है, मैं अपने दम पर हूं।" फिर वे कुछ परेशानियों और कुछ समस्याओं के साथ खोटे सिक्के की तरह वापस आ जाते हैं और फिर बाहर निकल जाते हैं। अब मैं कहूंगी कि मोदी उन पहले बारह लोगों में से एक हैं जिन्हें आत्मसाक्षात्कार हुआ, मैंने उन पर दो साल काम किया उसके बाद, जबकि आपको इतने कम समय में बोध हुआ। दो साल मैंने पच्चीस लोगों पर काम किया है, जिनमें से बारह को बोध हुआ, आप कल्पना करें, दो साल! जैसा कि मैंने आपको बताया कि, लंदन में मैंने छह लोगों को आत्मसाक्षात्कार देने के लिए चार साल तक काम किया है। लेकिन एक बार विशिष्ट गुणों के क्रमपरिवर्तन और संयोजन की निश्चित संख्या वाले लोग, एक बार जब वे बोध प्राप्त कर लेते हैं, तो मैं देखती हूं कि बोध की दर बहुत तेजी से बढ़ती है। पहले हम कभी भी कार्यक्रम में किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं रखते थे जो किसी अन्य गुरु के पास रहा हो, बस उनसे बचें। यहां तक कि यह मोदी खुद लोगों को बताते थे कि आज कोई कार्यक्रम नहीं है, कोई कार्यक्रम नहीं है। और वे मुझे फोन करते और पता लगाते कि एक कार्यक्रम था और उन्हें अनुमति क्यों नहीं दी गई।
उन्होंने कहा, "माँ, आप देख रहे हैं, हमें सिरदर्द होता है। वे हमारी गर्दन तोड़ते हैं और वे हमें परेशान करते हैं और वे किसी काम के नहीं हैं।
लेकिन अब, स्थिति बहुत अलग है। एक बार जब हम सामूहिकता की अपनी ताकत बना लेते हैं तो हमारे पास इतने सारे चैनल होते हैं, चीजें बहुत अलग तरीके से काम कर रही होती हैं। इसलिए मोदी अपने आत्मसाक्षात्कार की जितनी कीमत करेंगे, उससे कहीं अधिक आप इसे सामान्य रूप से लेंगे। क्योंकि जैसा कि आप देख रहे हैं, उदहारण के लिए पहले तो एक साधारण तेल का दीपक भी कठिन था। इसलिए लोगों के लिए तेल का दीपक बहुत महत्वपूर्ण था। वे यह सुनिश्चित करते थे कि वे सारा तेल इस्तेमाल कर ख़त्म न करें और वे बहुत सावधान थे। लेकिन आज हमें कोई समस्या नहीं है, हमारे पास बिजली है जिसे हम यूँही मिल गयी मान लेते हैं। बिजली जाने के बाद ही हम जानते हैं कि बिजली क्या है। उसी तरह तुम्हारा बोध भी जब खो जाता है तो तुम उसकी कीमत समझते हो। लेकिन मान लीजिए कि आपने अभी इसे छुआ ही है और फिर आप इसे गँवा देते हैं, तो आप को इतना अहसास नहीं होता हैं। लेकिन अगर आपको यह मिल गया, फिर आपने इसका आनंद पाया और फिर आप इसे खो देते हैं और आप इसे फिर से चाहते हैं, तो सबसे अच्छी बात यह होगी कि, आप लगातार अपने विकास की ओर बढ़ते रहें। अब मेरे जाने के बाद लोगों में यही डर है कि लोग शक करने लगते हैं। उन्होंने कहा, " लोगों के साथ ऐसा हुआ कि, वे शक करने लगे।"
संदेह क्या? आपका खुद पर शक करना ही मुख्य बात है। तुम विश्वास नहीं कर पाते कि, तुम बोध प्राप्त कर सकते हो। यह बुनियादी है। तुम मुझे देखते हो, तुम्हे ऐसा लगता है कि, तुम साक्षात्कार कैसे प्राप्त कर सकते हो? जो बहुत उच्च सिद्ध आत्माएं हैं केवल वे ही जानते हैं कि, आप आत्मसाक्षात्कारी है, वे जानते हैं कि आपको साक्षात्कार दिया गया है, लेकिन वे कभी-कभी मुझसे पूछते हैं, "आपने उन्हें साक्षात्कार क्यों दिया। उन्होंने ऐसा किया क्या है?" चूँकि तुम भी इसी तरह सोचते हो, मेरा मतलब है कि हमें अभी कुछ और भी देखना है। हम कैसे बोध प्राप्त कर सकते हैं, यही अविश्वास कठिनाई है।
आपको अपने आप पर विश्वास नहीं है। यही आपको खुद पर भरोसा रखना है और फिर आपको मुझ पर भी भरोसा होगा। क्योंकि ऐसे बहुत से तरीके हैं, जिनसे आप इस बात की परख कर सकते हैं। सबसे पहले, आप तस्वीर से या अपने दिल में मुझसे, मेरे बारे में, मेरे रिश्ते के बारे में सवाल पूछ सकते हैं, जो भी आप सोचते हैं, जो भी आप सोचते हैं, अपनी कल्पना डालें और देखें कि आपको क्या लगता है कि मैं कौनक्या हो सकती हूँ। ऐसा प्रश्न पूछें। आपके वायब्रेशन जवाब देंगे। अपनी कल्पना को आखिरी तक फैलाओ, आप मेरे बारे में आखिरी शब्द क्या सोच सकते हैं। देखिए, कुछ लोग यह कहते हुए शंका करेंगे कि, "कुंडलिनी जागरण बहुत कठिन है, यह आसान नहीं है।"
हाँ यह सच है, यह आसान नहीं है, यह मनुष्य के लिए बहुत कठिन बात है। आप ऐसा नहीं कर सकते, यह एक सच्चाई है। आपको किसी जंगल में किसी गुरु के साथ कई दिनों तक कार्यरत होना पड़ता है, बिल्कुल अकेले, बिना किसी से मिले, चक्रों द्वारा अपने चक्रों पर काम करना, कभी भूखा रहना पड़ता है, कभी खाना पड़ता है, कभी सांस लेना पड़ता है, हर तरह का काम करना पड़ता है। और तब गुरु काम कर सकता है। लेकिन कोई ऐसा भी हो सकता है जो किसी तरह माहिर गुरु हो, कोई हो सकता है। कुंडलिनी आपके भीतर होली घोस्ट(पवित्र आत्मा) है। तो कोई ऐसा भी हो सकता है जो काम कर सकता है और यह वही है। ये बातें आपको संदेह में डालती हैं, क्योंकि आप इस पर विश्वास नहीं कर सकते।
अपने संबंध में आप इस पर विश्वास नहीं कर पाते। आप ईश्वर में विश्वास कर सकते हैं, आप पवित्र आत्मा में विश्वास कर सकते हैं, आप ईसा-मसीह में विश्वास कर सकते हैं, लेकिन आप यह विश्वास नहीं कर पाते कि, इसका आपके साथ कोई संबंध है, कि आप इतने महान हो सकते हैं, कि आप अपनी अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं। तो बस इसे महसूस करें और इसका आनंद लें। सबसे पहली बात, इस पर विचार करने मत लग जाओ, इसलिए मैं कहती हूं, "मत सोचो।" क्योंकि जैसे ही आप सोचना शुरू करेंगे, आप में मिस्टर थॉमस जाग उठेंगे और कहेंगे कि "नमस्कार, यह आत्म-साक्षात्कार नहीं हो सकता।" श्री थॉमस महान थे, आप देखिए। क्राइस्ट के सभी शिष्य थे और मुझे वे सभी प्रकार, क्रमपरिवर्तन और संयोजन और कुछ जुडास जैसे भी मिलते हैं, लेकिन वे मुश्किल से ही कभी पाए जाते हैं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है और कुछ थॉमस के हैं, और इन थॉमस को स्वयं मसीह द्वारा कुड़कुड़ाने वाली आत्माओं के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने कहा, "ये बड़बड़ाने वाली आत्माएं हैं," और वे बड़बड़ाते हैं और एक बड़बड़ाती आत्मा आपके पास आती है, और आप में पूर्व से स्थित एक अन्य बड़बड़ाती आत्मा उससे हाथ मिलाती है और आप सभी एक साथ बड़बड़ाने लगते हैं, सोचने लगते हैं। अब उस समय आपको तर्कसंगत आधार पर जो करना चाहिए वो बहुत आसान है। मैंने अब तक क्या किया है? मैंने सब कुछ कर लिया है, क्या मुझे ठंडी हवा मिली? क्या मुझे आत्मज्ञान प्राप्त हुआ? क्या मैंने अपनी शक्तियों को महसूस किया? क्या मैं खुद को और दूसरों को महसूस कर पाया हूं? चूँकि, आप देखते हैं कि आपको अभी भी पूरी तरह से बोध अनुभूति नहीं हुई है, आप किसी अन्य व्यक्ति के वायब्रेशन को महसूस करने में सक्षम नहीं हो पाए हैं, न ही आप अपने स्वयं के वायब्रेशन को महसूस कर पाएंगे। लेकिन यहां बहुत सारे लोग हैं जो आत्मसाक्षात्कारी हैं और वे आपके चैतन्य का अनुभव कर सकते हैं, और वे इसे सत्यापित कर सकते हैं।
मान लीजिए वे आपसे पूछते हैं, "तुम्हारे पिता कैसे हैं?"
इंग्लैंड में एक सज्जन थे, उन्होंने आकर मुझसे कहा, "हर कोई मुझसे मेरे पिता के बारे में क्यों पूछ रहा है?"
मैंने कहा, "क्योंकि एक विशेष चक्र है जो पकड़ रहा है," और मैंने एक बच्चे को बुलाया, मैंने कहा अब मुझे बताओ, "कौनसा चक्र पकड़ रहा है?" उसने इस ओर इशारा किया और मैंने कहा, "यह चक्र है।" सब इस चक्र की पकड़ बता रहे हैं, यह पिता का चक्र है इसलिए वे तुम से तुम्हारे पिता के बारे में पूछ रहे हैं।
उसने कहा, "हाँ, वह मर चुके है और वह कैंसर से मर गये और उनको यह और वह था," और हमें उसका इलाज करना पड़ा।
उदाहरण के लिए, एनोरेक्सिया एक बीमारी है जिसे इस केंद्र के इलाज से ठीक किया जा सकता है। यह इतना गहरा ज्ञान है और यह इतना व्यापक ज्ञान है। क्योंकि एक बार जब आप किसी पेड़ में स्थित उस के रस को जान लेते हैं जो सभी पत्तियों और उसके सभी सिरों तक जाता है और यदि आप रस को चला सकते हैं, तो आपका चित्त भी उस रस के साथ-साथ चल सकता है, आप पूरे पेड़ को जान सकते हैं। तुम पत्तों को नहीं जान सकते और फिर वृक्ष को नहीं जान सकते। आप कितने पत्ते गिन सकते हैं? लेकिन पेड़ को जानने के लिए सबसे अच्छा तरीका होगा रस तक पहुंचना। एक पेड़ का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है उसके रस तक पहुंचना, है ना? उसी तरह जब आप अंदर से बाहर जाते हैं तो आप पाते हैं कि आप खुद को और दूसरों को अच्छी तरह से जानते हैं। यह बहुत आसान है छोटे बच्चे भी इसे कर सकते हैं।
तो पहला संदेह आपके बारे में आता है, "ओह, यह उनमें से एक है" क्योंकि वहाँ एक गुरु खरीदारी चल रही है, आप देखिए। एक गुरु की खरीददारी चल रही है, एक यात्रा है, आप एक गुरु से दूसरे गुरु के पास जाते हैं, ईएसपी और जैसा आप उन्हें कहते हैं, सभी प्रकार की चीजें, माध्यम, और वे सभी प्रकार की चीजें जो वे शवों या किसी भी चीज के साथ करते हैं। ये सब चीजें जो आप कर चुके हैं और आपने इसे पा लिया होगा। तो अब अचानक आपको एक मंदिर में आना है, जहां आप कुछ भी भुगतान नहीं करते हैं और आपको केवल आशीर्वाद मिलता है। तो इस पर विश्वास नहीं कर पाते हैं, आप इस पर विश्वास नहीं कर पाते, यह आपके भरोसा करने की सीमा से परे है। ऐसा होता है आप भ्रमित हो जाते हैं| आप सभी पहले से ही भ्रमित हैं, लेकिन भ्रम पर यह समझ कर विजय पायी जा सकती है कि, आपके साथ कुछ घटित हो रहा है, बस प्रतीक्षा करें और देखें, इसे मौका दें। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे हम आपको सहज योग से बांध सकें, क्योंकि यहां कोई सम्मोहन नहीं है। सहज योग के साथ यह एक और स्वाभाविक समस्या है।
मुझे यह कहना चाहिए कि दूसरी समस्या यह है कि आप जो पसंद करते हैं उसे करने के लिए आप बहुत स्वतंत्र हैं, बिल्कुल स्वतंत्र, कोई बंधन शक्ति नहीं है सिवाय इसके कि आप अपनी माँ के प्यार को महसूस करें। मान लीजिए कि आप अपने हाथ में वायब्रेशन महसूस नहीं कर रहे हैं, तो आपको सहज योग से बांधने का कोई तरीका नहीं है, कुछ भी नहीं। हम सिर्फ सलाह देते हैं "आगे बढ़ो, यह काम करेगा, इसे काम करने दो।" कोई शुल्क नहीं है, कोई पंजीकरण नहीं है, कोई बाध्यता नहीं है, कुछ भी नहीं है। यह आपकी अपनी मर्जी है। अगर आप लगे रहना चाहते हैं तो आप टिक सकते हैं, अगर आप दूर जाना चाहते हैं तो आप दूर जा सकते हैं। आप पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं है। कुछ शुल्क या किसी भी चीज़ के साथ आपके नाम का कोई पंजीकरण नहीं है, मेरा मतलब है कि आप कुछ भी भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं हैं। यदि आप कुछ भुगतान करते है, तो आप महसूस करते हैं, "ठीक है, मैंने इसके लिए भुगतान किया है, इसलिए अच्छा या बुरा मुझे इस के माध्यम से गुजरना होगा। माना की आप कोई नाटक देखने जाते हैं जो बहुत ही बकवास हो लेकिन फिर भी आप कहते हैं कि, चूँकि मैंने भुगतान किया है तो मुझे देखना चाहिए | लेकिन आप सहज योग के साथ ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि आपने भुगतान नहीं किया है। कोई आपको मजबूर नहीं करेगा, कोई भी आपको फोन करता नहीं रहेगा कि, "आओ, कृपया साथ आओ," और वह सब।
तो रवैया बदलना होगा कि, मुझे ही हासिल करना है। जैसे कि, कहीं कोई खूबसूरत जगह है। अब वह खूबसूरत जगह किसी को निमंत्रण नहीं भेजती, सब वहां जाते हैं। लेकिन अगर आपने अभी तक सहज योग की सुंदरता को इस तरह से नहीं जाना है और इसका पूरा आनंद नहीं लिया है, तो आपको बार-बार जाना होगा और खुद ही देखना होगा। यह आपकी ओर से एक स्वेच्छिक क्रिया है, न कि सहजयोगियों या सहज योग के तरफ से। यह आपके चरणों में गिरने वाला नहीं है। कि कृपया सहज योग में आएं, कृपया कुछ दान करें, ऐसा कुछ नहीं । यदि आप आते हैं तो आपका स्वागत है, यदि आप नहीं आते हैं, तो आपका स्वागत है। इसके विपरीत, आपको आश्चर्य होगा कि सहज योग में स्वीकृति से अधिक अस्वीकृति है। वह भी सहज निर्मित है। मैंने कुछ लोगों को देखा है जो बहुत ही कपटी किस्म के हैं, वे सहज योग से स्पर्शरेखा की तरह बाहर फिंक जाते हैं।
एक सज्जन थे जो बंबई में हमारे लिए बहुत समस्याजनक थे और हमें नहीं पता था कि उनके साथ क्या करना है और उनका वहां से ट्रांसफर हो गया और हमें उनसे छुटकारा मिल गया। तो आप सहज योग से स्पर्शरेखा की तरह बाहर निकल जाते हैं और हम परेशानी से बच जाते हैं। क्योंकि आपको समझना चाहिए, यदि आपको कोई समस्या है, यदि आप ठीक नहीं हैं तो सहजयोगियों के लिए आपको ठीक करना एक समस्या है। यह बिल्कुल उल्टा है, यदि आप इसे समझते हैं, तो आप समझेंगे कि कार्यान्वित क्या करता है। उदाहरण के लिए अगर मुझे किसी का इलाज करना है तो यह मेरे लिए समस्या है न कि उस व्यक्ति के लिए जो बीमार है। अब अगर पेड़ को बढ़ना है तो माली की समस्या है पेड़ की नहीं। तो पेड़ को यह देखना चाहिए कि वह माली के साथ सहयोग करे और खुद का विकास करे। अगर यह समझ विकसित हो जाए कि मुझे ही हासिल करना है, मुझे ही आगे बढ़ना है, माँ को मुझसे कुछ हासिल नहीं करना है, वह चाहती हैं कि मैं अपनी सारी शक्तियाँ अभिव्यक्त कर सकूँ। वह चाहती है कि मैं इसके माध्यम से विकसित होऊं, यदि यह रवैया विकसित होता है तो आप उत्थान के लिए कड़ी मेहनत करेंगे और आप इसे पूरा करेंगे। लेकिन इसके विपरीत यदि आप अहंकार में खड़े होकर कहते हैं, "क्यों, मैं ऐसा क्यों करूं?"
इस बाधा को दूर करने के लिए आप देखिए, हमें कुछ चरणों का निर्माण करना होगा। यही मोदी मुझसे कह रहे थे। कि तुम पहले निर्विचार जागरूकता में आओ, सुनिश्चित करो कि मौन स्थापित हो गया है। कुछ चीजें हैं जो आप बहुत बाद में करते हैं, वहां हर किसी को अनुमति नहीं है, क्योंकि सत्य का भार केवल उन्ही लोगों द्वारा वहन किया जा सकता है जो इसे सहन करने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं। इसलिए मैं आपको यह नहीं बताने जा रही हूं कि मैं कौन हूं, जब तक आप एक निश्चित अवस्था तक नहीं पहुंच जाते, क्योंकि आप प्रकाश को सहन नहीं कर सकते। ईसा-मसीह के साथ यही हुआ। उन्होंने उसे सूली पर चढ़ा दिया क्योंकि वे उसे सहन नहीं कर सके। मनुष्य तो ऐसे ही हैं, प्रेम के अवतार को भी सह नहीं सकते। वे प्यार को भी सहन नहीं कर सकते, यह उनके लिए बहुत ज्यादा है। यहां तक कि अगर आप उन्हें बहुत अधिक प्यार देते हैं तो वे परेशान हो जाते हैं, वे परेशान हो जाते हैं, वे इसे सहन नहीं कर सकते।
तो आपको सहज योग की समझ के एक निश्चित स्तर पर आने के लिए खुद को तैयार करना होगा। यह एक अवस्था है, जिसे आप हासिल करते हैं। यह एक अवस्था है। आपको किसी के द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाना है ... लेकिन यह एक ऐसी स्थिति है जहां आप दूसरों को आत्मसाक्षात्कार देना शुरू कर देंगे और जिस तरह से आप बात कर रहे होंगे, आप बिल्कुल अलग शैली के होंगे जैसे कि आप पूरी तरह से निर्लिप्त हो गए हैं। आप कहेंगे "यह जा रहा है, यह आ रहा है।" होता है। आप यह नहीं कहेंगे कि यह मेरी मां को मिलनी चाहिए, मेरे पिता को मिलना चाहिए, आप ऐसा कभी नहीं कहेंगे। क्योंकि आप समझेंगे कि सहज योग की समस्या यह है कि यह 'किसी' को दे नहीं सकता।
जैसे धूप चमक सकती है, यह तो खुद पेड़ों को ही खुद को धूप में उजागर करना होगा और इसका लाभ उठाना होगा। धूप आपके पीछे यह सुनिश्चित करने के लिए नहीं दौड़ने वाली है कि आप इसे प्राप्त करें। यह यहाँ बिंदु है कि, यह धूप पूरे दिन चमकेगी और आप इसे प्राप्त कर लें। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह आपसे अनुरोध करते हुए हर समय आपके पीछे भागेगी, "ओह कृपया मुझे प्राप्त करें, ओह कृपया मुझे प्राप्त करें, इसे लें, इसे लें"। और यह बात बहुत स्पष्ट रूप से समझनी होगी कि, यह आप ही हैं जिन्हें इसके लिए प्रार्थना करना है, और कोई भी आप पर कुछ भी थोपने वाला नहीं है। इसके विपरीत, यदि कोई कुछ और कहने की कोशिश करता है तो तुम्हारा अहंकार वैसा ही हो जाता है। इसलिए सावधान रहने की कोशिश करें।
मुझे यह जानकर भी बहुत खुशी हुई कि सभी अहं उन्मुख समाजों में मैंने देखा है कि सहज योग चमत्कारिक तरह से काम करता है। क्योंकि पहली चीज जो वे देखते हैं वह है उनका विशाल अहंकार। और यह इसके बारे में एक बहुत ही सकारात्मक बात है, क्योंकि एक बार जब आप अपने अंदर स्थित इस भयानक गुब्बारे को देखना शुरू कर देते हैं, तो आप बस अपने आप को देखना शुरू कर देते हैं और आनंद लेते हैं, "ओह मिस्टर सो एंड सो अब अपने अहंकार के साथ हो जाओ।" आप देखते हैं कि यह एक बहुत ही दिलचस्प जीवन है जो कि आप जीना शुरू करते हैं। यदि आप अपना अहंकार देख पाते हैं, तो यह बहुत अच्छा संकेत है। अगर आप अपना अहंकार नहीं देख पाते हैं तो खतरा है। लेकिन कुछ अपने प्रति-अहंकार को भी देख पाते हैं यदि वे ग्रसित हों। देखिये, चूँकि ग्रसित होने की आवृति बहुत कम हो जाती है इसलिए सामान्य और असामान्य अवस्था के बीच बड़ा अन्तराल होने से लोग देख पाते हैं कि, कैसे वे अचानक ग्रसित हो जाते हैं साथ ही आप स्पष्ट रूप से देख पाते हैं की आप असामान्य हैं| यह देखकर आप खुद ही आंकलन करना शुरू करते हैं, "हे भगवान, मैं फिर से पकड़ा गया हूं, मैं फिर से खो गया हूं," और आप वापस सामान्य हो जाते हैं। पूरी बात खुद के बारे में वास्तविकता की एक बहुत ही सुंदर समझ बन जाती है और आप हर समय खुद पर हंसते हैं। हर समय आप अपने आप पर हंसते हैं और आप हर चीज पर हंसते हैं और आप देखते हैं कि पूरा मजाक चल रहा है कि कैसे लोग गंभीरता से बेतुकी बातों में लिप्त हो रहे हैं और कैसे यह इतना बड़ा मजाक है कि, आप खुद उन चीजों की चिंता कर रहे हैं जिनका कोई मतलब नहीं है, जिनका की कोई महत्व नहीं है।
जैसे मैं पहले पेरिस गयी और लोगों ने मुझसे कहा, "माँ वे तुम्हें बहुत पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि उनका मानना है कि जो व्यक्ति इतना प्रसन्न है वह अज्ञानी है। आपको एक प्रसन्न व्यक्ति नहीं होना चाहिए। आपको रोता हुआ बच्चा होना चाहिए ताकि वे आप पर विश्वास करें। वे सभी दुखी हैं, बहुत दुखी लोग हैं, बेहद दुखी हैं और यदि आप उन्हें बताते हैं कि आप एक खुशमिजाज व्यक्ति हैं तो वे इस तरह की बात से चौंकने वाले हैं।"
मैंने कहा, "वास्तव में यह बहुत दुखी है, मुझे (अश्रव्य) होने दो। मुझे उनके बारे में कुछ करने दो" और मैंने उन्हें उनके दुखड़ों पर इतना हंसाया कि वे ठीक हो गए और वे समझ गए कि आनंद बस हमारे ही पास है। आपको बस अपने दिल में झांकना है और आपको अपने आनंद का स्रोत मिल जाएगा और फिर पूरी चीज हवा में गायब हो जाती है। लेकिन यह कार्यान्वित होना चाहिए, यह घटित होना चाहिए। इसे करने का कोई त्वरित तरीका नहीं है, इस अर्थ में कि मैं कहूँ कि, "ठीक है, आप मुझे पांच रुपये या पांच डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर दें और आपको मिल जाए।" नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, आप मुझे कोई भी धन राशि दें यह कार्यान्वित नहीं होगा | यह मेरी अपनी बेटियों के साथ कार्यान्वित नहीं हुआ है, आपको आश्चर्य होगा। मैंने उन्हें कभी मजबूर नहीं किया या मैंने उनसे कभी नहीं पूछा। मेरी केवल दो बेटियाँ हैं, उन्हें आत्मसाक्षात्कार नहीं है, मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। जब वे इसके लिए मांगेंगी तो वे इसे प्राप्त करेंगी। लेकिन मेरे चार पोते-पोतियां जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी है।
और उन सब में से बड़े ने एक ने एक दिन बहुत गंभीरता से कहा, "वैसे तो, आप गलतियाँ कर ही नहीं सकती, मुझे पता है, लेकिन अच्छा होता अगर आपने उन्हें बचपन में बोध दिया होता।"
आप देखते हैं कि, यह ऐसा है कि आप इन बातों को किसी पर थोप नहीं सकते और आपको बहुत निर्लिप्त दृष्टिकोण रखना होगा। आप एक साधक हैं, आपकी माँ हैं और आप हैं लेकिन वे आपकी ज़िम्मेदारी नहीं हैं, आप उन्हें सहज योग के बारे में बता सकते हैं। लेकिन अगर वे आपका विरोध कर रहे हैं, तो बेहतर होगा कि उन्हें अकेला रहने दें, वे खुद आ जाएंगे। जब वे आपके भीतर परिवर्तन देखेंगे, तो अवश्य आएंगे। इसलिए उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो। अपने सिर को परेशान मत करो। बस उन्हें अकेला छोड़ दो और तुम चकित हो जाओगे कि वे तुम्हें इतनी अच्छी तरह से बदलते और इतनी अच्छी तरह से कार्यरत देखेंगे और वे खुद को बदल देंगे और वे आपके पास आएंगे और आपसे पूछेंगे, "तुम इतने परिवर्तित और रूपांतरित कैसे हो?" आप देखिए, फायदे का प्रमाण वहाँ होते हुए फायदे का दिखना, लोगों का परिवर्तन होते देखना है। और यह परिवर्तन, तुम इतने अचानक अपने में आता देख कर चकित हो जाओगे कि तुम चकित हो जाओगे।
लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया, कि बाईं तरफ इच्छा है या आप प्रति-अहंकार कह सकते हैं, कुछ करने की इच्छा। और दाहिना पक्ष वह अहंकार है जिसे हम खुश करने की कोशिश करते हैं, और जो खुश महसूस करता है और जिसके द्वारा हमारी महत्वाकांक्षाएं होती हैं। लेकिन मध्य में ऐसा करने की इच्छाशक्ति है। और यह इच्छा शक्ति आपको बढ़ानी होगी, "मुझे यह करना है, मुझे यह करना है।" शुरुआत में आपको थकान महसूस होगी क्योंकि
तुम्हारा बायां दिल कमजोर है, तो मैं तुम्हें बताऊंगी कि यह कैसे करना है। 'तो अगर आप थके हुए हैं तो अपने बाएं दिल को ऊपर उठाने का तरीका जानें। देखिए आजकल ज्यादातर लोग बहुत थके हुए लोग हैं। वे बात करते हैं, "आह," वे बैठते हैं "आह।" वे नहीं कर पाते, मेरा मतलब है कि वे बहुत थके हुए हैं, पूरी तरह निढाल लोग। सुबह से शाम तक तुम क्या कर रहे हो, कुछ नहीं। धूप में बैठे-बैठे ही तुम थक गए हो, केवल आलस्य करते ही तुम थक गए। क्यों, थक क्यों गए? सबसे पहले क्योंकि आप एकीकृत नहीं हैं, आप अपने आप से लड़ रहे हैं। तुम्हारा दिमाग तुम्हारे हृदय से लड़ रहा है, तुम्हारा हृदय तुम्हारे लीवर से लड़ रहा है। दूसरे, आप सोच रहे हैं और अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं। इसलिए आपको सीखना होगा कि अपने हृदय को कैसे व्यवस्थित किया जाए, अपने हृदय को शांत करने के लिए उसका उत्थान करने के लिए क्या करना होगा और अपनी आत्मा से ऊर्जा कैसे प्राप्त करनी है। एक बार जब आप ऐसा करना शुरू कर देंगे तो आपकी थकान दूर हो जाएगी। तब तुम्हारी आक्रामकता भी कम हो जाएगी और तुम चकित रह जाओगे कि तुम बस सब कुछ देखोगे। न तो आप आक्रामक होंगे और न ही आप आक्रामकता लेंगे और पूरी प्रतिक्रिया बहुत अलग होगी।
तब हर चीज का एक अर्थ होता है, आपकी भावनाओं का एक अर्थ होता है। मान लीजिए आज आप पोलैंड के लिए एक भावना रखते हैं, जो संकट में है, तो आप सभी को अभी प्रार्थना करना चाहिए, "माँ पोलैंड की समस्या का समाधान करें।" चूँकि मेरी कोई इच्छा नहीं है आप देखते हैं, मैं इच्छाविहीन हूं, आपको प्रार्थना करना है और यह कार्यान्वित होती है, आप चकित होंगे क्योंकि आपका चित्त अब प्रबुद्ध है, यह बस काम करता है। आपको इसकी इच्छा करनी होगी और यह कार्यान्वित होती है। आपको इसके लिए काम करना होगा और यह कार्यान्वित होती है। और बहुत सी चमत्कारी बातें लोग आपको बताएंगे, बस उन पर विश्वास करें कि यह सब सच है। धन की समस्या हल हो गई, अंत: स्थित लक्ष्मी तत्व के कारण, वित्तीय समस्याएं हल हो गईं, सामाजिक समस्याएं हल हो गईं, पारिवारिक समस्याएं हल हो गईं, क्योंकि आप हल हो गए हैं। आप के संबंध में देखें तो सब कुछ समस्याग्रस्त लगता है। जब आपकी समस्याएं हल हो जाती हैं तो सब कुछ हल हो जाता है। यह इतना आसान है। हमें स्वयं को हल करना है और इसका समाधान कुंडलिनी के जागरण से होता है।
अब मैं आपसे कुछ प्रश्न पूछे जाने की उम्मीद करती हूँ और फिर मैं चाहती हूं कि आप सहज योगियों के साथ समूह में जाएं और उनसे अंतरंग स्तर पर बात करें और साथ ही आप मुझे अपनी समस्याएं बताएं। अगर आपको कोई अंतरंग समस्या है तो आप मुझसे भी बात कर सकते हैं। लेकिन सबसे अच्छा यही है कि आपस में बात करें।
मैं चाहती हूं कि वारेन यह व्यवस्था संभाले कि वह इन सभी समूहों को ठीक से संगठित करता है।
लेकिन मुझे अब आपके द्वारा सहज योग के बारे में कुछ प्रश्न पूछा जाना अच्छा लगेगा।
प्रश्न: गर्भपात पर कोई कैसे हंस सकता है?
डब्ल्यू: वह गर्भपात के बारे में बात कर रहा है, आप यह मान रहे हैं कि यह बुरा है?
श्री माताजी: मैं यह नहीं कह रही हूं कि आपको हंसना है, मैंने कहा कि आपको हंसना नहीं चाहिए, इसका मतलब है कि आप बेअक्ल, मूर्खतापूर्ण बातों पर हंसते हैं, आप देखिए। लेकिन गर्भपात पर मैं समझ नहीं पा रही हूं, आप देखिए। यह इस देश में बहुत ही अजीब स्थिति है। चूंकि यहाँ जन्म दर माइनस है और आपके यहाँ गर्भपात हो रहे है।
Question: क्या भारत में ज्यादा गर्भपात होता है
श्री माताजी : ज्यादा नहीं, लोग इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते, वे इससे नफरत करते हैं। और आप जानते हैं कि परेशानी इस प्रकार है। आप लोगों के कोई संतान नहीं होती है इसलिए हमें भार अपने ऊपर रखना पड़ता है। आप देखिए क्या कर सकते है? कोई यहां पैदा नहीं होना चाहता, वे यहां पैदा नहीं होना चाहते क्योंकि दिल में प्यार नहीं है। देखिए, उस दिन जब किसी ने मुझे डॉक्टरों के बारे में बताया तो उनमें से कुछ कसाई थे, मुझे विश्वास नहीं हुआ। क्योंकि कम से कम भारत में डॉक्टर किसी भी तरह से कसाई नहीं हैं। मैं चौंक गयी; ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां सब कुछ कसाई कर्म बन गया है, क्योंकि हृदय अहंकार से आच्छादित है। कोई भावना नहीं बची है। आपको हृदय को ऊपर उठाना होगा। यह महत्वपूर्ण है, एक बार जब आप हृदय को ऊपर उठाते हैं, तो आप देखेंगे कि, आप यह सब बकवास बर्दाश्त नहीं कर सकते, आप जानते हैं। आप गर्भपात क्यों कराना चाहते हैं मैं अभी भी समझ नहीं पा रही हूं?
प्रश्न: क्या यह स्वाधिष्ठान चक्र को प्रभावित करता है?
श्री माताजी : ओह, यह कई चक्रों को प्रभावित करता है, मेरा मतलब है। कोई था जिसे मैं जानती थी जो हमेशा दायें हृदय की पकड़ से ग्रसित होता था, मुझे आपको यह बताना चाहिए, बहुत अच्छे इंसान, हमेशा राईट हार्ट की पकड़। उनके पिता एक अच्छे इंसान थे, सब कुछ ठीक था, उनसे पूछा, "आप को दायें हृदय पर कैसे पकड़ हो रही है?" उसकी शादी नहीं हुई थी और जब वह मेरे बहुत करीब आया तो उसने मेरे सामने कबूल किया कि, "मैं एक महिला के साथ रहता था और उसे बच्चा होने वाला था और वह गर्भपात के लिए गई और मैंने मान लिया, और तब से मुझे पूरी बात का बहुत दुख हो रहा है।" लेकिन जीवन के प्रति पूरा नजरिया बदलना होगा तभी आप इन चीजों से बच सकते हैं। आप देखिए यह एक बीमारी का लक्षण है। यह स्वयं रोग नहीं है, गर्भपात रोग नहीं है, यह रोग का लक्षण है।
अब हमारे अंदर बीमारी क्या है कि, हमने बचपन से ही सेक्स के बारे में बहुत ज्यादा बात करते हुए अपने सेक्स को पूरी तरह से खुला छोड़ दिया है। सेक्स में शिक्षा देने की क्या जरूरत है, मैं समझने में असमर्थ रही हूँ? खुले तौर पर, इसके बारे में सिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है, आप देखते हैं, क्या जानवरों को किसी यौन शिक्षा की आवश्यकता होती है, वे अभी भी उत्पादन करते हैं। फिर उन्होंने मुझसे कहा, "वे सेक्स के बारे में सिर्फ इसलिए बताते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सेक्स के बारे में बताकर वे लोगों को सेक्स में जाने से बचा सकते हैं।"
मैंने कहा, "नहीं, वे बच्चों में बहुत अधिक जिज्ञासा पैदा करते हैं।"
उदाहरण के लिए, भारत में हम बच्चों से कभी सेक्स के बारे में बात नहीं करते हैं, वे नहीं जानते, वे कितने मासूम हैं। यहां तक कि जब तक शादी नहीं हो जाती, तब तक कुछ लड़कियों को यह नहीं पता होता है कि सेक्स वास्तव में क्या है, यह कैसे काम करता है और सब कुछ। लेकिन उन्हें बताया जाता है कि यह कुछ गंदी चीज है और वह सब और जब लड़की यौवन में आती है तो यह बताया जाता है और लड़कों को भी, किसी न किसी तरह यह एक बहुत ही अलग समाज है। यह सवाल नहीं आता, लड़कों और लड़कियों के दिमाग में यह कभी नहीं आता। देखिये अगर आप उन्हें पवित्र रखते हैं, जैसे आज भी एक बहन और एक भाई के दिमाग में ऐसा नहीं आता। फ्रायड के आपके दिमाग को खराब करने की तमाम कोशिशों के बावजूद भगवान का शुक्र है ऐसा मुझे कई बहनों और भाइयों को कहना चाहिए, बल्कि आज भी भाई-बहन के रिश्ते हैं। उसी तरह यह उनके दिमाग में बिल्कुल भी नहीं आता। और जब वे शादी करते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि यह क्या है। और इसलिए वे कहते हैं कि ये कोणार्क और ये सभी स्थान बनाए गए थे जहां वे युवा दुल्हनों और युवाओं को देखने के लिए ले जा सकते थे। इसे कूमारी कार मंदिर कहा जाता था, इसका मतलब है कि विवाहित महिलाएं जब कुंवारी नहीं थीं, वहां जाकर उन जगहों को देख सकती थीं कि यौन क्रिया क्या है और वे इस शुरुआती यौन जीवन से बहुत थक गए हैं, मेरा मतलब है कि आप सभी प्रकार की कलाबाज़ियों में जाते हैं तब फिर। क्योंकि आप इतने थके हुए हैं तो आप विकृतियों में चले जाते हैं। मूल बातें गलत हैं। हम काम कला विशेषज्ञ बनने की बहुत कोशिश कर रहे हैं। सेक्स पॉइंट होने की कोई आवश्यकता नहीं है जो आप पहले से ही हैं। लेकिन आप केवल सेक्स पॉइंट नहीं बनना चाहते हैं, है ना? मुझे नहीं पता कि क्या आपको लगता है कि हर प्रयास का अंत यही है, हर बात वहीं जा कर समाप्त होना चाहिए। हो सकता है कि वह विज्ञापन और यह सब आपके पास बहुत ज्यादा आ रहा हो क्योंकि उन्हें लगता है कि इन चीजों का फायदा उठाकर वे आपकी मदद करेंगे। लेकिन यह ऐसी विकृत चीज है और
(साधक बीच में आकर श्री माताजी से पूछता है कि भारत में लोगों को नसबंदी के लिए ट्रांजिस्टर रेडियो जैसा उपहार दिया जा रहा है। क्या इसका कोई उद्देश्य है? इसका एक उद्देश्य है... ..)
डब्ल्यू: ओह, मुझे खेद है कि इसका एक और बिंदु है...। वह भारत के बारे में बात कर रहे हैं जहां वे एक ट्रांजिस्टर रेडियो देते हैं...।
श्री माताजी : वे यही कोशिश करते हैं, यह भी है, आप देखिये, पाश्चात्य विचार भारत आते हैं। ओह, उन्होंने उनकी नसबंदी करने के लिए हर तरह की कोशिश की। ओह! इस तरह वह महिला (इंदिरा गाँधी)अपना पिछला चुनाव हार गई, पिछले चुनाव में उसने अब उसके लिए अपने कान पकड़ लिए हैं। आप देखिए, वे सभी पाश्चात्य लोग हैं जिन्हें आप देखते हैं, वे इन सभी तरकीबों को आजमाने की कोशिश करते हैं...। लोग इसे पसंद नहीं करते आप देखिये। एक दूल्हा है जो अपनी शादी के लिए गया था और बेचारे ने देखा कि वहां नसबंदी के लिए लोगों की एक टीम खड़ी थी। वह बस से कूद गया और वह हमेशा के लिए गायब हो गया, कोई नहीं जानता कि वह कहां है, गायब हो गया। 'और उन्होंने उन लोगों की भी नसबंदी की जो बहुत बूढ़े थे और जिनकी शादी भी नहीं हुई थी, आप देखिए। यह बहुत अजीब है, इतना अंधाधुंध है, मुझे लगता है कि वे कुछ भूतों से ग्रसित थे, मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या कहा जाए।
आप देखते हैं कि भारत में जनसंख्या एक समस्या है लेकिन अब क्या करें, आपको समस्या का समाधान करना चाहिए। और वहाँ कुछ बहुत ही मज़ेदार तरीके से काम कर रहा है, मुझे आपको बताना चाहिए। मैं कोलंबिया गयी, मैंने पाया कि इनमें से बहुत से नॉर्वेजियन कोलंबियाई बच्चों को अपने साथ ले जा रहे हैं। और वे नॉर्वे के बच्चों, नॉर्वे के लोगों और कोलंबिया के इन बच्चों से बहुत अलग लग रहे थे।
मैंने उनसे पूछा, “तुम इन बच्चों को क्यों लाते हो, कहाँ ले जा रहे हो? उन्होंने कहा "हमने उन्हें अपनाया है"।
मैंने कहा, "आप खुद अपने क्यों पैदा नहीं करते? अपने खुद के पैदा करना यह बेहतर होगा।" "नहीं, हम इसकी प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहते हैं, तैयार लेना बेहतर है।"
तो आपको तैयार बच्चे देने के लिए विकासशील देशों में यह सब होने की आपूर्ति शुरू हो गई है। अगर अजीब नहीं है, तो यह मजेदार चीजें चल रही हैं, तत्काल बच्चे।
प्रश्न: यदि एक चक्र अवरुद्ध है और आप चक्रों को साफ करते हैं तो क्या आप उस कर्म चक्र को उलट-पलट नहीं कर रहे हैं जिससे एक व्यक्ति को गुजरना पड़ता है?
श्री माताजी: बहुत अच्छा विचार, क्योंकि मुझे लगता है कि आप लोग... मुझे पता है कि सवाल यह है, कि वह कह रहे हैं कि यदि आप चक्रों को साफ करने की कोशिश करेंगे तो आप कर्म चक्र को उलट-पलट कर देंगे और देखिये,जो कुछ हैं, वह ऐसा है कि, पश्चिम में विचित्र बातें प्रसारित की जा रही हैं कि, आपके अपने कर्म हैं और हम गुरु हैं इसलिए आपको अपने कर्मों से गुजरना होगा, आपको अपने कर्मों के लिए परिणाम भुगतना होगा। अब, यह सिद्धांत ईसा-मसीह के आने से पहले ठीक था, उनके आने के बाद नहीं। और फिर वे यहाँ क्यों हैं? हम उन्हें भुगतान क्यों कर रहे हैं, किसलिए? बेहतर होगा कि आप उन्हें निकाल बाहर करें। उनकी कोई कीमत भी नहीं हैं क्योंकि वे सिर्फ आपसे पैसे लेते हैं, और हमें अपने कर्मों से गुजरना पड़ता है। वे आपको नचाते कूदाते हैं, हर तरह की चीजें करवाते हैं। हममें भूत डालते हैं और कहते हैं, "आप अपने कर्मों को भुगत रहे हैं। हमें क्यों भुगतना चाहिए?" कम से कम उन्हें हमारे कर्मों के लिए भुगतना चाहिए,-कम से कम।
अब ईसा-मसीह ने आपके लिए यही किया है। उन्होने इन सभी कर्मों, तुम्हारे कर्मों को अपने ऊपर ले लिया है। उन्होने हमारे लिए रास्ता बनाया है, इसलिए तुम्हें उसके पास से गुजरना होगा। एक बार जब आप उसके पास से गुजरते हैं, आज्ञा चक्र के माध्यम से, आपके कर्म उसके द्वारा शोषित कर लिए जाते हैं, यानी की आपका अहंकार। यह एकमात्र अहंकार है जो कहता है कि आपने यह गलत किया है, और वह गलत है। आप देखिए कि, कोई जानवर ऐसा नहीं सोचता। वह सोचता है कि, यह उसका अपना स्वभाव है, जैसा उसे होना चाहिए। लेकिन केवल मनुष्य ही सोचते हैं कि मैंने यह गलत किया है, मैंने वह गलत किया है। मैंने यह अच्छा किया है, वह बुरा इसलिए कि हमारे पास अहंकार है। लेकिन जब आपकी कुंडलिनी आपके आज्ञा चक्र से गुजरती है तो आपका अहंकार शोषित हो जाता है, आपका प्रति-अहंकार शोषित हो जाता है। क्राइस्ट ने एक झटके में दोहरा काम किया है, यह बहुत महान है। इसलिए उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था, यह होना ही था। उसने तुम्हारे सारे कर्म अपने ऊपर ले लिए और उसे नरक में डाल दिया। तो तुमने जो भी कर्म किए हैं वे सब शोषित हो जाते हैं। लेकिन द्वार पूरी तरह से खुलना चाहिए।
शुरुआत में ऐसा होता है कि केवल एक धागा ऊपर आता है, आप देखिए, और अहंकार पूरी तरह से शोषित नहीं हो पाता है, इसलिए कभी-कभी यह ऊपर आ जाता है और वह सब। इनसे छुटकारा पाने का सबसे अच्छा हथियार है दूसरों को क्षमा करना। क्षमा सबसे बड़ा हथियार है जो ईसा-मसीह ने हमें दिया है, जिसका हमें उपयोग करना होगा, क्षमा करना, क्षमा करना और क्षमा करना है। यह एक बहुत अच्छा तरीका है, लॉर्ड्स प्रेयर आपके आज्ञा चक्र का समाधान है, आप चकित रह जाएंगे। अपनी आज्ञा चक्र को खोलने के लिए आपको प्राप्ति के बाद लॉर्ड्स प्रेयर करनी होगी। तब तुम निर्विचार जागरूक हो जाते हो। बोध के बाद, मैं फिर कहती हूं, बोध से पहले नहीं, इसका कोई अर्थ नहीं है। बोध से पहले तुमने जो कुछ भी कहा है वह कर्मों में चला गया है। बोध होने के बाद ही आप बपतिस्मा पाते हैं और यहां (तालू भाग में)एक छिद्र प्राप्त करते हैं और आपके सभी कर्म उसी से निकल जाते हैं। साथ ही आप पाएंगे कि जब आपको आत्मसाक्षात्कार होता है तो बहुत गर्मी निकलती है, आप देखिये, ये वही कर्म हैं, जो निकल रहे हैं। गर्मी को निकल जाने दें और सारे कर्म समाप्त हो जाएँगे। यह इस प्रकार है| यही आत्मज्ञान है।
अंडे के एक खोल में जैसा एक अंडा होता है, यह बहुत भिन्न होता है, लेकिन जब वह नन्हा चूजा बन जाता है और मां अंडे की नोक तोड़ देती है तो एक नया पक्षी बिना किसी कर्म या अंडे की गंध के बाहर आ जाता है। इतना साफ और अच्छा, सब कुछ किसी सुंदर स्वरुप में परिवर्तित हो गया। यह इस के समान है, यह पुनर्जन्म है। इस तरह हम एक नया व्यक्तित्व, एक नया प्राणी बनते हैं। तो अपने बोध के बाद अपने कर्मों को भूल जाना उचित ही है उसने ऐसा कहा है कि, "वह तुम्हारे पापों के लिए मरा।" क्या उसने नहीं किया? और पाप की प्रतिफल भय है। यदि आपके भीतर अभी भी अपने कर्मों का भय है, तो अब भी आप पाप कर रहे हैं। इस बारे में कोई डर नहीं होना चाहिए।
कोई अपराध बोध मत रखो, मैं तुमसे कहती रही हूं कि कोई अपराध बोध मत करो। तुम क्या कर सकते हो? आप कौन से पाप कर सकते हैं? किसी प्रकार का भय न रखें| यह बहुत सामान्य है जैसा कि मैंने उस दिन तुमसे कहा था, बायीं विशुद्धि, मुझे इसके बारे में काफी बात करनी है। ऑस्ट्रेलिया में, अमेरिका में और सभी पश्चिमी देशों में, दोषी महसूस करना बहुत आम है। वहाँ सब कुछ ढह जाता है और कोई भी आज्ञा के माध्यम से उत्थान नहीं कर सकता है क्योंकि यह यहाँ बाईं विशुद्धि पर गिर जाता है जहाँ आप दोषी महसूस करते हैं। आप किस बारे में दोषी महसूस कर रहे हैं? और ईसा-मसीह इस धरती पर क्यों आए? आप स्वयं को दोषी महसूस करके उनके अवतरण को बर्बाद कर रहे हैं। उसने तुम्हारा सारा दोष अपने ऊपर ले लिया है। तुम क्या सोचते हो की वह कौन था? वह ओंकार था, वह प्रणव था, वह शब्द था, वह वह शक्ति थी। वह किसी भी चीज़ से लिप्त नहीं है, लेकिन वह सब कुछ ले जा सकता है जिसे आप पाप समझते हैं, क्योंकि वह पाप रहित है, वह इतना शुद्ध, बेदाग है।
ठीक है, क्या इससे आपको कुछ उम्मीद मिलती है? या फिर भी तुम अपने ही दुखों में लिप्त हो?
प्रश्न: क्या आप हमें आहार के बारे में कुछ गाइड दे सकते हैं।
श्री माताजी : आहार? ठीक है। यह आहार सिद्धांत भी कुछ भयानक ब्राह्मणों से आ रहा है जो आप देखते हैं। उनकी बात मत सुनो। वे इस धरती पर अब तक पैदा हुए सबसे महान राक्षस हैं। शैतान, राक्षस दैत्य हैं। वे नरक की तरह खाते हैं, वे इतना खाते हैं और वे हमेशा तुमसे कहते हैं, "ऐसा मत करो और वैसा न करो।" आप अपनी पसंद की कोई भी चीज़ खा सकते हैं, सिवाय उन जानवरों का मांस जो आपसे बड़े हैं, न खाएं। मेरा मतलब है कि अन्यथा आप ऐसी मांसपेशियों विकसित कर लेंगे जिसमें अजीब आकृति और चीजें होंगी। अपने से छोटे जानवरों को खाओ, यही बात है। और यदि तुम उन पशुओं को खाते हो, तो उनमें करुणा और वह सब कुछ नहीं होता। यह ठीक है, वे सब्जियों की तरह हैं, चीजों की तरह हैं, इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप उन्हें नहीं मारते हैं, वे मशीन में मारे जाते हैं और वह सब, आपको वह खाना है, और आपको इसकी आवश्यकता है, आपको खाना पड़ता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आप शाकाहारी हैं तो आपको मांसाहारी बन जाना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है।
तुम जो भी खाओ, खा सकते हो। खाने से आपकी आत्मा बदलने वाली नहीं है। आत्मा न खाती है, न खाती है। आत्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता सिवाय इसके कि तुम्हारे शरीर को जो की दीप है। तो अगर आपको बत्ती को ठीक रखना है, तो आपको दीपक को ठीक रखना होगा और उसके लिए अपने आप की तुलना में बहुत बड़ा जानवर नहीं खाना चाहिए। उदाहरण के लिए भारत में गाय का मांस नहीं खाते, क्योंकि, "क्या आपने कभी भारतीय गायों को देखा है, वे बहुत कोमल हैं।" और गायें घर में हैं, मां की तरह ही वे अपने बच्चों को दूध पिलाने लगती हैं। हर दिन वे गायों का दूध ले रहे हैं इसलिए उनमें भावना विकसित हो जाती है, आप देखें। और इसलिए वे नहीं खाते, आप देखते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आपकी ऑस्ट्रेलियाई गायें हैं तो मुझे नहीं लगता कि वे ऐसी हैं। क्योंकि जो मैंने देखा है वो मुझे कभी-कभी भैंसे लगती हैं। मेरी पोती की तरह, वह इंग्लैंड आई और उसने मुझसे पूछा, "माँ, दादी, इंग्लैंड में भैंसें सफेद क्यों होती हैं?" हाँ, तो ठीक है। लेकिन आप आहार पर नीचे आ जाएंगे। आप देखेंगे यह अलग होगा, आप धीरे-धीरे देखेंगे। लेकिन इसकी चिंता न करें। धीरे-धीरे सब कुछ बहुत छोटी-छोटी चीजें छूट जाती है। लेकिन आप खुद को विकसित होने दें।
प्रश्न: अंडे? और इसी तरह?
श्री माताजी : ओह, अंडे आपके लिए बेहतर होंगे, ढेर सारे। लेकिन अगर आपको लीवर समस्या है तो, अंडे खाना अच्छा नहीं है। अंडे बहुत गर्म होते हैं, सूअर का मांस अन्यथा अच्छा होता है लेकिन लीवर की समस्या वाले लोगों के लिए अच्छा नहीं है। देखिए आपको समझना चाहिए कि हर व्यक्ति अलग होता है। अब आज मैं एक ऐसी महिला से मिली जो बहुत ही बाएं तरफ है। तो मुझे उससे कहना पड़ा, "तुम सूअर का मांस, अंडे सब कुछ ख सकती हो। आप देखिए कि आप किस प्रकृति के हैं। भारतीय आयुर्वेद भी ऐसा ही है। वे प्रकृति जानना चाहते हैं, किसी व्यक्ति का चरित्र वह कैसा है। हम विभिन्न प्रकार के जानवरों से विकसित हुए हैं। मैंने रात को देखा। आप देखते हैं कि निशाचर लोगों को बहुत अधिक मांस खाना चाहिए, जो निशाचरों की ओर से विकसित हुए हैं, आप देखिए। बाएं तरफ वाले लोग, जो डरे हुए और भयभीत हैं और जो बिल्कुल भी अहंकारी नहीं हैं, आप देखिए। इस तरह के लोगों को अधिक मांस और चीजें लेनी चाहिए लेकिन जो बहुत अधिक आक्रामक हैं उनके लिए सब्जियां लेना बेहतर समझा जाता हैं। अभी ठीक है, सवाल क्या है?
प्रश्न: क्या क्षमा करने से अमीरों का अमीर होना और गरीब का गरीब होना बंद हो जाता है?
श्री माताजी : यह बिल्कुल, बिल्कुल करता है। सहज योग वह चीज है जो समाज को संतुलित करती है। जो गरीब हैं वे तुलनात्मक संपन्न हो जाते हैं और अमीर समझते हैं कि उन्हें साझा करना चाहिए। स्वेच्छा से वे अपना धन साझा करना शुरू करते हैं| लेकिन आप बहुत चमत्कारी तरीके से सच में अमीर बन जाते हैं। अब यहाँ एक लड़की है और मैं चाहूंगी कि वह आपको बताए कि उसके साथ क्या हुआ, यह चमत्कारी है। लेकिन वह एक ऑस्ट्रेलियाई है और वह झूठ नहीं बोलती है आप उसे बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और वह आपको बताएगी कि उसके साथ क्या हुआ था। वह कहाँ गई है? चेरिल आगे आओ। क्या वो यहां है?
नहीं, उसे बताने दें, बेहतर है, वह ऑस्ट्रेलियाई है, वे उस पर अधिक विश्वास करेंगे। लेकिन कभी भी किसी भारतीय पर भरोसा न करें जो और भी बुरा है। आप जानते हैं कि कुछ गुरुओं ने कुछ भारतीय भूतों, भारतीय आत्माओं को अंग्रेजी लोगों और अमेरिकियों और यूरोपीय लोगों में पेश किया है और मुझे लगता है कि वे भारतीयों की तरह ही व्यवहार करते हैं। वे धोखा देंगे, वे गबन करेंगे, वे चीजें छीन लेंगे, महिलाओं को नहीं, वे उन महिलाओं को नहीं छूएंगे आप देखिए। लेकिन वे चीजों को छू लेंगे, वे खाली डिब्बे ले जाते हैं, यह ठेठ भारतीय है आप देखिए। बल्कि हैरानी की बात है, हाँ कुछ हैं, मैंने उन्हें ऐसे ही देखा है। एक भारतीय की तरह व्यवहार करने वाले पश्चिमी व्यक्ति के साथ ऐसी चीजें होते हुए देखना आश्चर्यजनक है, अवश्य ही वह इन गुरुओं द्वारा डाले गए भूतों के कब्जे में होना चाहिए।
तो अगर आप मुझ पर विश्वास करते हैं तो मैं आपको बता सकती हूं कि, उसने क्या कहा है, यह वास्तव में चमत्कारी है, बहुत चमत्कारी है, आप देखिए। चेरिल मुझसे कह रही थी कि वह भारत आना चाहती है और उसके पास पैसे नहीं हैं। तो उनकी बेटी भारत आने के लिए बहुत उत्सुक थी और उन्हें नहीं पता था कि क्या करना है, उनके पास पर्याप्त पैसा नहीं था। तो उन्होंने बस इतना कहा, "माँ हम भारत आना चाहते हैं, क्या आप हमारे लिए इसकी व्यवस्था कर सकती हैं, बस।" और ऐसा हुआ कि इस लड़की ने घर में एक सामान्य गहना, एक ब्रेसलेट स्कूल में बेचने के लिए ले लिया था, जब भी उनके यहाँ मेले होते थे। तो उसने इसे मेले के स्टाल के लिए लिया और शिक्षक ने कहा, "मुझे लगता है कि यह सोना है।" उसे विश्वास नहीं हो रहा था। वह इसे घर ले आई और उन्होंने इसका मुल्यांकन करवाया उन्होंने पाया कि उस चीज़ की कीमत उन दोनों की यात्रा के लिए खर्च करने के बराबर थी। लेकिन ये कुछ भी नहीं है. और फिर उसे घर में कहीं से कुछ पैसे मिले, कहीं मुझे नहीं पता कि उसे कुछ पैसे कैसे मिले और उसने ब्रेसलेट भी नहीं बेचा। और वह अभी भी उसके पास है, उसने कहा, "अगली यात्रा के लिए।" मैंने कहा, "मुझे आशा है, आप इसे बेच देंगे।" "शायद नहीं।" जैसा कि आप देखते हैं, चीजें काम करती हैं, क्योंकि आपकी लक्ष्मी तत्व, आपकी भलाई का चक्र प्रबुद्ध हो जाता है और फिर आपकी देखभाल की जाती है।
इतनी बातें होती हैं। जैसे आज उन्होंने मुझे बताया कि इस तरह की बहुत सी बातें उनके साथ हो रही हैं और मैं भी। तुम देखो जब ये लोग आए, मैंने उनसे कहा था, ठीक है, तुम मुझे दे दो, तुम्हारे रहने के लिए इतने पैसे की आवश्यकता हो सकती है। बहुत कम था, उनके भारत में होने के लिहाज़ से बहुत कम था, आप देखिए भारत भी अब बहुत महंगा होता जा रहा है। और जब मैं भारत गयी तो मैंने पाया कि यह बहुत महंगा हो गया है, कोई फर्क नहीं पड़ता मैंने कहा, "मैं इसे बैंक में रखूंगी। "इसे वहाँ रहने दो।" और कोई मुझसे पूछता है, "यह लो, तुम्हें यह चाहिए, इसे लो, अब खर्च करो," और यह ठीक था। मैं प्रबंधन कर सकी थी, देखिए कि उसने क्या किया, और उनमें से बहुतों ने ऐसा किया है। इसकी देख-रेख की जाती है। आप सही जगहों पर जाते हैं, आपको सही चीजें मिलती हैं, आप ज्यादा खर्च नहीं करते हैं, आप खर्च करने के लिए पछताते नहीं हैं और आपके पास जो कुछ भी है उसके लिए आप खुश महसूस करते हैं। आप बहुत खुशी महसूस करते हैं, गिनती की चिंता नहीं करते लेकिन अगर आप बजट बनाते हैं तो आपके पास था। आप अपने दिमाग को बजट की चिंता में ना लगायें, आप कितना खर्च करने जा रहे हैं, आपको आश्चर्य होगा। आप उन चीजों पर नहीं जाएंगे जो अनावश्यक हैं, बेकार हैं लेकिन आप कुछ ऐसा खरीदेंगे जो बहुत अच्छा हो और आखिरकार ये चीजें आपके द्वारा बेचने के समय बहुत कीमती होंगी। ऐसी कई बातें हुई हैं। बहुत सी बातें हुई हैं।
प्रश्न: ऑस्ट्रेलिया भविष्य के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
वारेन: शायद श्री गणेश के बारे में?
श्री माताजी : केवल एक चीज कि, मैं अहंकार को लाड़-प्यार नहीं करना चाहता।
प्रश्न: क्या ऑस्ट्रेलिया धन्य है?
श्री माताजी : बहुत-बहुत, बहुत-बहुत धन्य। यह एक बहुत ही धन्य स्थान है, जिसे विशेष रूप से बनाया गया है। ऑस्ट्रेलिया बनाया जाने वाला पहला महाद्वीप था और अगर मैं इस प्रश्न का उत्तर देने की हिम्मत करूँ, तो मुझे आशा है कि आप मुझ पर विश्वास करेंगे और अहंकार की यात्राओं में नहीं पड़ेंगे। ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा स्थान है जिसका प्राचीन पुराणों में वर्णन है कि एक महान संत को ऑस्ट्रेलिया भेजा गया था और एक और स्वर्ग बनाया गया था। और उस संत को त्रिशंकु कहा जाता है जो आपका दक्षिणी क्रॉस है ... आप उसे क्या कहते हैं? यह दक्षिणी क्रॉस दिखाता है और आप केवल ऑस्ट्रेलिया से दक्षिणी क्रॉस देख सकते हैं। यह पुराणों में से एक है, वेदों में भी इसका उल्लेख है और उससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया वह स्थान है जहां गणेश हैं। पहला मूलाधार चक्र है, पहला केंद्र ऑस्ट्रेलिया में है। आपको कितना विवेकवान होना चाहिए। क्या तुमने मुझे सुना?
वारेन: (प्रश्न) वह ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों के बारे में आपकी राय चाहती थी।
श्री माताजी : ओह, शुरूआत में वे अच्छे लोग रहे होंगे, मुझे इस पर यकीन है। वे बहुत अच्छे और पवित्र लोग और अच्छे लोग रहे होंगे लेकिन मुझे लगता है कि बाद में वे बहुत अधिक जंगलों और चीजों के कारण विचलित हो गए, उन्हें प्रकृति का डर बहुत ज्यादा लगने लगा। उन्होंने उन चीजों की पूजा की होगी, जो शुरूआत में अच्छी थीं और बाद में कुछ चीजें जैसे आत्माएं और यह। इस के अलावा जिस तरह उन लोगों ने शवों को जिस तरह से उन्होंने निपटाया वह कुछ गलत रहा होगा। तो हो सकता है कि वे इन भूतों और आत्माओं वगैरह को उत्तेजित बनाने के आदिम तरीकों में, एक बाएं तरफा कार्रवाई में चले गए हों लेकिन ऐसा ऑस्ट्रेलिया में न्यूनतम हुआ होना चाहिए, अफ्रीका में भयानक है।
अफ्रीकी देशों में यह बहुत अधिक है लेकिन यह कम से कम होना चाहिए क्योंकि आप देखते हैं, गणेश का चक्र बाईं ओर से जुड़ा हुआ है, आप देखते हैं कि यह अधिक बाईं बाजु है, है ना? तो कोई भी बाईं तरफ अधिक बहक सकता है, यही वह है। और आज भी मुझे लगता है कि एक तरह की छिपी हुई हीन भावना है जो आस्ट्रेलियाई लोगों में काम करती है। वे पश्चिम की नकल करने की कोशिश करते हैं, वहां नकल करने के लिए कुछ भी नहीं है, उनके पास कुछ भी संवेदनशील नहीं है। उन्हें आपसे सीखना होगा। आप देखते हैं कि यह हमारे पास थोड़ी हीन भावना ऐसी है कि, सभी बेहतरीन चीजें पश्चिम में हैं। यह गलत है, आप कई मायनों में बहुत बेहतर हैं। कम से कम आपने अपना आधार तो नहीं खोया है। तो मैं किसी भी समुदाय के बारे में सामान्य टिप्पणी नहीं करूंगी, लेकिन इस बात की संभावना है कि वे भी बहुत अच्छी तरह से उत्थान ले कर उभर सकते हैं। मेरा मतलब है कि वे उस बाएं पक्ष पन से बाहर निकल सकते हैं।
भारत में भी हमारे दक्षिण में बड़े समुदाय हैं जहां लोग बहुत अधिक कर्मकांड वगैरह के साथ जीवन जीते हैं और प्रेतात्माओं वगैरह को आकर्षित करने के लिए बायाँ पक्ष वाला व्यवहार किया है,और उन्हें तलिस्म और वह सब कुछ देते हैं। उन्होंने वह सब किया है जो वे कर रहे हैं, जैसे जादू टोना, डायन डॉक्टर और वह सब। वे जरूर कर रहे होंगे, लेकिन इसे ठीक किया जा सकता है, इसमें कोई समस्या नहीं है। जैसे पश्चिम के लोग अति विकसित और बहुत अहंकार उन्मुख और दाहिनी ओर हैं। दोनों चरम मामले हैं, लेकिन आप सुधार कर सकते हैं। जो लोग बायीं ओर होते हैं वे आसान होते हैं क्योंकि उन्हें आगे बढ़ना होता है लेकिन अहंकारी के लिए पीछे की ओर जाना मुश्किल होता है।
लेकिन अगर हम वहां ऐसा कर सकते हैं तो यहां क्यों नहीं, तो गंवाया कुछ भी नहीं है। इन बातों को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। इंसान सभी एक जैसे ही होते है, सभी के पास कुंडलिनी होती है, बस। जब तक आपके पास कुंडलिनी है, मुझे कोई समस्या नहीं है।
Question: क्या मिर्च खाने में कोई खराबी है ?
श्री माताजी : नहीं, यह कुछ लोगों को बहुत अनुकूल होती है। कुछ लोगों को अवश्य लेना चाहिए, जिन्हें सर्दी-जुकाम होता है, उनके लिए यह एक अच्छा विचार होगा, कब्ज से पीड़ित के लिए यह एक अच्छा विचार है। लेकिन किसी भी चीज का ज्यादा सेवन न करें। लेकिन यह कुछ लोगों के लिए अच्छा है, कुछ लोगों के लिए कुछ अच्छा है, कुछ लोगों के लिए कुछ चीज़ें
अच्छी होती है, आपको बस यह पता लगाना है। जिन लोगों को कब्ज़ हो जाता है उनके लिए हर समय थोड़ी सी हरी मिर्च का सेवन करना बेहतर होता है, यह विटामिन सी से भरपूर होता है। यह विटामिन सी से भरपूर होता है यह उन लोगों के लिए अच्छा होता है जिन्हें सर्दी बहुत जल्दी लग जाती है।
प्रश्न: क्या आप माहिकारी नामक शिक्षण के बारे में कुछ जानते हैं।
श्री माताजी : मैं जानती हूँ। आप देखिए, महिकारी की बात थी, जिस व्यक्ति ने माहिकारी शुरू की थी, वह एक आत्मसाक्षात्कारी थे, हालांकि इतनी अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं थे। मैं उनके बोध से पहले उनसे मिली हूं और मैं सोचती हूँ कि, उन्हें यह बोध केवल मेरे माध्यम से हुआ है, जो कुछ भी था। मैं ऐसा कुछ भी दावा नहीं करना चाहती। लेकिन केवल एक चीज यह है कि वह सुसज्जित नहीं था, अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं था। जैसे यहाँ कोई भी व्यक्ति जिसे बोध होता है वह कुछ न कुछ करने लगता है। और उनकी बेटी मुझे लगता है, लोगों को गुमराह करती है क्योंकि वह एक आत्मसाक्षात्कारी नहीं है। वह बहुत धन-केंद्रित हो गई, उसने इसे लगाना शुरू कर दिया, यह उनमें से हर एक के साथ हुआ है। लेकिन बेचारी, यह वाला नहीं था, उसे अभी बोध हुआ ही था कि, वह अवतार भी नहीं था, आप देखिए।
यहां तक कि जो अवतार इस धरती पर आए हैं जैसे ईसा मसीह, जैसे मोहम्मद साहब, जैसे राम, कृष्ण ऐसे महान अवतार देखते हैं, वे सबसे शुद्ध पवित्र थे। यहां तक कि उन लोगों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया है और लोगों ने ऐसे संगठन खड़े किए हैं, जो सिर्फ पैसे कमाने के धंधे हैं। हर चीज़ को किसी भी तरह आदमी पैसे बनाने में बदल डालता है। मैं नहीं जानती कि कैसे, यह कुछ ऐसा है जो मनुष्य के साथ होता है जिसे आप देखते हैं। फिर वे ताबीज़ देना शुरू करते हैं, फिर वे देना शुरू करते हैं यह,वो, क्रॉस, इसका मतलब है कि यह हर समय एक पैसा बनाने वाला धंधा है। आप देखिए यही परेशानी है।
वॉरेन: उसने कहा कि आप बहुत सही हो।
श्री माताजी : और इस प्रकार की गलत वृत्ति या पथ-प्रदर्शन से आप अपनी बहुत सी शक्तियाँ, यहाँ तक कि साधारण, सामान्य शक्तियाँ भी खो सकते हैं, क्योंकि ऐसा होता है, आप गलतियाँ कर सकते हैं, आप बहुत कुछ कर सकते हैं। तुम्हें पता है मैंने लोगों को देखा है, एक लड़की जिसे मैंने आत्मसाक्षात्कार दिया था वह एक ऐसी महिला के पास चली गई जो एक माध्यम थी। वह "हो, हो, हो, हो" इस प्रकार से करती थी , ऐसा, और यह बात। और उसने उसे एक ताबीज दिया और वह लड़की वास्तव में अंधी हो गई, वास्तव में अंधी। अब वह अंधी है, उसकी आंखें खुली हैं, मेरा मतलब है कि मुझे अभी भी उसका इलाज करना है। उसके बारे में मुझे यही रिपोर्ट मिली है।
प्रश्न: क्या आप हरे- कृष्ण संगठन के बारे में भी यही कहेंगे?
श्री माताजी : ओह, अब तुम मुझे विवाद में खींच रहे हो। लेकिन मैं आपको दूसरे तरीके से बताउंगी। तुम देखो, अगर तुम किसी का नाम पुकारे चले जाओ तो, उदहारण के लिए, तुम्हारा ही नाम भी,क्या यह ठीक लगेगा? तो फिर ईश्वर इसे कैसे पसंद कर सकते हैं? ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट पर आप खड़े हो जाते हैं, आपको जगह भी देखनी चाहिए, वे उन चीज़ों को भी बेचते हैं जो विग की तरह दिखती हैं, वे उन्हें बाजार में विग की तरह बेचते हैं। वे सर मुंडा लेते हैं और कभी-कभी वे विग पहनते हैं। देखो यह कोई दिखावा नहीं है, यह कुछ ऐसा है जिसे भीतर ही घटित होना है। यह वह शो नहीं है जिसे आपने धारण कर रखा है, ऐसा कुछ घटित होना चाहिए। आप देखते हैं कि उनमें से ज्यादातर की मंजिल गले के कैंसर से पीड़ित होने की होती है| और बहुत हिंसक, बहुत हिंसक लोग हैं। वे भिखारी हैं, परम परजीवी हैं।
वॉरेन: (जगुआर) महंगी कारों के साथ।
श्री माताजी : आप देखिए, यह बहुत अच्छा है,
मैं इंग्लैंड में किसी से मिली और मैंने उससे कहा, "तुम यहाँ क्या करते हो?" उन्होंने कहा, "मैं अफीम का सौदा करता हूं।" मुझे डर लग गया।
मैंने कहा, "अफीम, तुम अफीम का सौदा कैसे करते हो?"
"अन्य लोगों का पैसा,"
मैंने कहा, "यह बहुत अच्छा है, दूसरे लोगों का पैसा।"
आप देखते हैं कि आप एक उद्यम प्रारंभ कर सकते हैं। यह बहुत आसान है क्योंकि आप ऐसे साधक हैं जो युगों-युगों के इतने महान साधक हैं और आप कितने अनाड़ी हैं, बहुत अच्छे हैं। तुम कहीं भी जाओ, वे एक आसन लेंगे, वहाँ भगवा वस्त्र धारण कर बैठेंगे, कुछ घेरे पर, दूसरा साथी पंखा चला रहा होगा। ओह, यह वाले बहुत महान है, सीधे काशी से आ रहा है। फिर भयानक लोगों से कोई लेना-देना नहीं है। काशी अब सबसे खराब जगहों में से एक है। तो आप सब जाकर प्रणाम करें। यह सब ऐसा ही है। मेरा मतलब है, आप इन सर्कस से मोहित क्यों हो जाते हैं, क्या आप इनसे परेशान नहीं हो जा रहे हैं?
हमारे पास नॉर्वे की एक महिला थी, यह वाली कहानी बहुत दिलचस्प है। वह मेरे घर आई, मेरे साथ रही, बहुत बुरी तरह ग्रसित थी, और उसने मुझे एक लामा की कहानी सुनाई जो नॉर्वे आए।
पहले उसने इन सभी नॉर्वेजियनों से कहा, "देखो, अगर मुझे नॉर्वे आना है तो आपको एक जगह पूर्णत: संगमरमर लगे फर्श के साथ बनानी होगी।"
अब ये देखो। वे ऐसे परजीवी हैं जो ये लामा हैं। पहले उन्होंने इन गरीब तिब्बतियों का खून चूसा है और अब वे इन नार्वे के लोगों का खून चूसने को तैयार हैं। अब आप इन गरीब युवाओं को देख रहे हैं, मुझे कहना चाहिए कि पश्चिम के युवा वास्तव में अमीर नहीं हैं क्योंकि उनके माता-पिता हैं, उन्हें उस तरह पैसे नहीं देते हैं जैसे कि हम आप अपने बच्चों को देते हैं। तो उन्होंने खुद को भूखा रखा, उन्होंने केवल आलू और यह और वह खाया और इन भयानक लोगों के लिए इस फर्श को बनाने के लिए खुद को एक साल तक भूखा रखा। और यह आदमी आया था तुम देखो, उसका मुंडा सिर और वह सब। वह वहीं रहा और इस महिला ने मुझे बताया कि उसे जा कर और तीन महीने में उसे बस एक हजार बार उसे प्रणाम करना पड़ा। एक हजार बार। कल्पना कीजिए, बस जाने के लिए, वैसे ही वह समाप्त हो जाएगा, यहां तक कि तीन बार भी आपको खत्म करने के लिए पर्याप्त है। और तीन महीने उसने किया। और वह मेरे साथ सुबह से शाम तक बहस कर रही थी।
मैंने कहा, "देखो, वह मुझसे बहस कर रही है, मेरा दिमाग खा रही है और यहाँ तुम उसे प्रणाम कर रहे हो।" वे किसी को भी लामा के पास नहीं जाने देते थे, वो महान सातवें पायदान पर कहीं हवा में लटके बैठे थे। क्या आप जानते हैं कि यह बहुत ही सामान्य है, जितना अधिक आप दृश्य से गायब होते हैं, जितना ही अधिक आपको मिलने में कठिनाई होती है, लोग सोचने लगते हैं कि,अवश्य ही कुछ महान है, "ओह, हो! मैंने उसकी झलक देखी है
भयानक बात, "ऐसा लोग सोचते हैं। आप देखते हैं कि यही वो बात है कि, जो वे आप से भावनात्मक रूप से खेलते हैं, जिसे आप भावनात्मक ब्लैकमेल कहते हैं। यह वही है।
वे (हम उन्हें चमचा कहते हैं)आपको सबसे पहले बताएंगे कि वे हैं। वे आएंगे और तुमसे कहेंगे, "ओह, यह बहुत कठिन है, तुम्हें पता है। हो सकता है वह आपको कोई इंटरव्यू न दें, और आपको कम से कम पांच सौ रुपये खर्च करने होंगे, देखिए यह आसान नहीं है, यह बहुत मुश्किल है। पांच सौ के साथ सिर्फ आपको अपनी तस्वीर भेजनी चाहिए,” यह सब बकवास है। अगर तुम गंगा नदी हो तो तुम्हें कौनसी चीज़ मैला कर सकती है, क्या तुम्हें गंदा कर सकता है, क्या तुम्हें अपवित्र बना सकता है? अगर आप यहां शुद्धि के लिए हैं तो कुछ भी आपको अशुद्ध नहीं कर सकता। एक दो तीन चार, अब जिसने अभी तक प्रश्न पूछा ही नहीं उसे पूछना चाहिए।
प्रश्न: ऐसा लगता है कि, गुज़रे वर्षों में हमने अपने आप पर विश्वास करने की शक्ति जो कि हमारे पास मिस्र के समय में थी खो दी है लेकिन हम गलत हो गए...
वारेन: सवाल अपने भीतर शक्ति के नुकसान से संबंधित है, शायद मिस्र के दिनों में हमारे पास ये शक्तियां थीं, ऐसा लगता है कि हमने खुद पर विश्वास करने की शक्ति खो दी है।
श्री माताजी : मुझे नहीं पता कि उस समय आपके पास इतनी शक्तियाँ थीं या नहीं। लेकिन, आप देखिये, मिस्र के लोग में जो शासक थे अहंकार में अधिक लिप्त थे, और दास बाई ओर बहुत अधिक थे, क्योंकि वे उन शासकों की बात मानते थे। तो संवेदनशीलता उनमें आत्माओं से आई, सीधे स्वयं से नहीं। और उनमें से कुछ वास्तव में, बहुत ही आत्मसाक्षात्कारी थे और आप आश्चर्यचकित होंगे कि, जिन जगहों पर यदि ये चरम हालात हों, तो वे एक अवतार को बेहतर ढंग से समझते हैं।
जैसे कि, अगर तुम एलएसडी बहुत अधिक ले रहे हो, तो तुम मुझ से केवल रोशनी निकलते हुए देखोगे, तुम मुझे नहीं देख पाओगे। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने प्रभामंडल वगैरह देखा होगा, अगर आप दाहिने बाज़ू की तरफ बहुत ज्यादा हैं। यदि आप बायें पक्ष में हैं तो आप भयभीत होंगे, आप मेरे सामने कांप रहे होंगे और आप मेरे पिछले जन्मों को देख सकते हैं और आप काफी भयभीत होंगे क्योंकि आपको पता चल जाएगा कि यह क्या है। इसलिए उन्होंने अवतारों को बेहतर ढंग से समझा, लेकिन विकासवादी ढंग से आप उनसे कहीं अधिक ऊंचे हैं। यद्यपि तथाकथित स्वतंत्रता जिसका आपने दुरुपयोग ही किया है, के कारण आप को भ्रम अधिक है । लेकिन समग्र रूप से मुझे लगता है कि यह बहार का समय है। केवल एक चीज जो आपको पता होनी चाहिए कि आप एक साधक हैं और आप एक साधक हैं तो आपको इसे प्राप्त करना चाहिए और यदि आप इसे प्राप्त कर लेते हैं तो आपको आश्चर्य क्यों होना चाहिए। लेकिन यह ऐसा हो गया है जैसे खोज़ एक फैशन जैसा हो गया है, यहां खोजना, वहां खोजना, लेकिन, देखिये खोज़ को आप कहीं समाप्त नहीं करते है। देखिये आप खुंटी ठोकते जाते हैं| आप बस एक जड़ता के साथ चले जा रहे हैं, भले ही आप खुंटी ठोकना बंद कर दें, फिर भी आप ऐसे ही चलते चले जाते हैं। यह ऐसा है, आप देखिए, यह एक ऐसी शैली जिसे आपने इस से उस तक, उस से उस तक जाते हुए विकसित कर ली है और आप इसे रोक नहीं पाते।
प्रश्न: मुझे रूडोल्फ स्टेनर के दर्शन के बारे में आपकी राय और दूसरी भारत में पापा टैक्स सुंगर की आपकी अवधारणा में दिलचस्पी होगी।
ये सभी भूत और उसी तरह की चीजों पर खेल रहे लोग हैं, बस इतना ही मैं कह सकती हूं।
(श्री माताजी साधक से पूछती हैं कि स्टेनर क्या कहते हैं और वे लाख शब्द कहते हैं।)
शब्द, शब्द, शब्द और शब्द, वह क्या कहता है? हो सकता है एक बोध प्राप्त आत्मा हो लेकिन वह क्या कहता है?
(साधक श्री माताजी को यह बताने की कोशिश करते हैं कि वे किस बारे में लिखते हैं।)
वह खलील जिब्रान की तरह एक आत्मसाक्षात्कारी हो सकता है, आप देखिए उसके वायब्रेशन अच्छे हैं। हो सकता है वह हो, लेकिन फिर भी देखिये, आपको साक्षात्कारी आत्मा बनना है। पढ़ना कि, ज़ेन भी वही सब है। झेन हो या और कोई चीज़ है, और कुछ नहीं बस आत्मसाक्षात्कार है। लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि ज़ेन का मुखिया स्वयं बिना बोध पाये पूरा ज़ेन पढ़ लेता है, और वह एक निराशाजनक व्यक्ति है।
मैंने अभी उससे बात की और उसने कहा, "ओह, उसे बोध नहीं हो सकता।"
वह उस बिंदु पर दृढ़ है। कल्पना कीजिए कि ज़ेन का मुखिया ऐसा कह रहा है, और उसने कहा कि हमारे पास केवल छब्बीस कश्यप थे जो छह शताब्दियों में हमारे पास थे, क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं। और वह अपने आत्मसाक्षात्कार को नहीं लेगा और वह बहुत डरा हुआ था।
उन्होंने मुझे स्वीकार किया, ठीक है, लेकिन उन्होंने कहा, "मैं आपकी तुलना में कहीं नहीं हूं, मां।" "इस में क्या है? लेकिन मैं कह रही हूं कि आप प्राप्त कर सकते हैं।"
वारेन: 'स्टेनर', आज्ञा और स्वाधिष्ठान पर पकड़ा हुआ है।
श्री माताजी : तो किसी ऐसे व्यक्ति को पढ़ना अच्छा है जो एक आत्मसाक्षात्कारी है, लेकिन बेहतर होगा कि आप स्वयं इसे प्राप्त करें। आप स्टीनर बन जाते हैं, ठीक है। मैं जो कह रही हूं, तुम साक्षात्कारी आत्मा बन जाते हो। और आप अपने खुद के अनुभवों के बारे में लिख सकते हैं। जी बोलिये।
प्रश्न: साधक दादाजी के बारे में राय पूछते हैं।
श्री माताजी : दादाजी, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
वारेन: कलकत्ता में
श्री माताजी : वह पहले से ही जेल में है। नहीं, वह पुणे में था जहां उसे गिरफ्तार किया गया था, यह दादाजी। यह मेरे विचार से हुआ, मुझे नहीं पता, लेकिन मैंने इसके बारे में सुना। मुझे नहीं पता कि यह कब हुआ। नहीं, यह किसी राजनीतिक कारण से नहीं था। लेकिन उन्हें कुछ आयकर चीजें मिलीं और वह सब और बहुत कुछ, मुझे नहीं पता, मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन वह गिरफ्तार है जो मुझे पता है। इस तरह की चीजें हैं लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि जो कुछ भी असत्य है, वह धीरे-धीरे सामने आता है। वे जो कुछ भी बताते हैं, जो भी कहानी वे बताते हैं, जो कुछ भी वे कोशिश कर सकते हैं, वे आपको लुभा सकते हैं, हो सकता है कि आप उनमें रुचि रखते हों। लेकिन वे स्वयं अपने अंत को प्राप्त होते हैं। क्योंकि जो असत्य है उसका अंत है और सत्य अनंत है, यह आनंद है, यह शाश्वत है। सत्य शाश्वत है।
प्रश्न : संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के रूप में आप क्या देखती हैं ?
श्री माताजी : यह एक पेचीदा प्रश्न है। मेरे पति महासचिवों में से एक हैं। बेहतर होगा कि मैं न बोलूं, ठीक है। होने दो. हम इसके बारे में देखेंगे, इस पर काम करेंगे। कुछ तरकीबें हमें खेलनी हैं।
प्रश्न: क्या आप कृष्णमूर्ति के बारे में जानते हैं?
श्री माताजी : ओह, बहुत, वह दूसरा है। कृष्णमूर्ति एक और ब्ला, ब्ला, ब्लाह हैं। मैं आपको कृष्णमूर्ति के बारे में अच्छी तरह बताऊंगी। आप देखिए कृष्णमूर्ति करते क्या हैं? वह इसी बात को कहते हैं जो मैं कहती हूं कि "झूठे गुरु हैं।" लेकिन मैं यह नहीं कहता कि असली नहीं हैं। यदि असत्य है, यदि कृत्रिमता है, तो वास्तविक होना ही चाहिए है। अगर कृत्रिम फूल हैं तो असली फूल भी होना ही चाहिए| तो वह आपको दूसरे पक्ष के प्रति पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देता है और वह ऐसा कहकर आपके अहंकार को बढ़ा देता है कि, "ओह, आप इसे पा सकते हैं," तो आप समाप्त हो गए। वह एक अंधा है जो दूसरों को अंधेपन की ओर ले जाता है।
(एक साधक कृष्णमूर्ति के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र श्री माताजी से करता है। वह व्यक्तिगत रूप से उससे मिला और उनसे पूछता है कि "आप जो करते हैं वह क्यों करते हैं" और कृष्णमूर्ति ने कहा कि, " क्या गुलाब पूछता है क्यों?"
श्री माताजी : मेरा मतलब है कि, इसमें (गुलाब में) कोई जागरूकता नहीं है,
यह इसका सीधा सा जवाब है। एक गुलाब को जागरूकता नहीं होती। किसी भी तरह से 'वह' गुलाब नहीं है। वह सिर्फ 'कांटे' हैं जो मैं जानती हूं। जो लोग उसके पास से आए हैं, उनका समय बहुत खराब रहा है, मुझे आपको बताना चाहिए। आप देखते हैं कि वे वास्तव में इतने उदास और इतने भयानक हैं। हमारे पास एक वास्तुकार था; मेरा मतलब है कि उसका जीवन बर्बाद हो गया था। उनमें से कई से मैं मिली हूँ, भयानक वे बहुत बहस बाज़ हैं।
मैं आपको इसके बारे में सबसे अच्छा उदाहरण बताऊंगी क्योंकि आप आगे लाए हैं। एक साथी था जो मुझे मिलने आया था, वह अपने गुरु का पोता है। उनके गुरु थे योगानन्द, योगानन्द, क्रियायोगी, आप देखिए। वह दादाजी के पोते थे या कुछ और, बाबाजी, दादाजी कहलाते थे तो बाबाजी
वहां हैं। यह बाबाजी, उनका पोता, आप देखिए, उनके योगानंद के गुरु कोई और थे, और वे इस साथी के पुत्र थे, लेकिन मेरा मतलब उनके गुरु का पोता है, इसलिए बाबाजी का परपोता। तो पूरा परिवार क्रिया योगी था और उसने सभी क्रिया योग किया और वह सब कुछ उसने किया था। वह वहां गया और वह बहुत डर गया। एक दिन उन्होंने इस कृष्णमूर्ति को देखा जो कहते हैं कि, "कोई क्रिया और वह सब नहीं होना चाहिए, आप देखिये, कि आप अपने गुरु हैं," और यह और वह।
तो उसने सोचा, "हे भगवान, मैं क्या कर रहा था?"
इसलिए उन्होंने क्रिया योग छोड़ दिया और श्री कृष्णमूर्ति के पास आए।
उन्होंने कहा, "मैं ऐसा विशेषज्ञ बन गया कि मैंने कृष्णमूर्ति से बेहतर बात की।"
और सभी हैरान रह गए और कहा, "दूसरा कृष्णमूर्ति आ रहा है और मैं वहां से भाग आया। मैंने सोचा, "अब यह बात मेरे साथ हो रही है।"
और वह मेरे पास आया, तुम्हें आश्चर्य होगा कि मैं उसे आज तक आत्मसाक्षात्कार नहीं कर पायी हूँ। मुझे आपको यह बताना होगा, वह मेरे पास अभी भी अक्सर आता है। अक्सर, बहुत बार वह मेरे पास आता है। मैंने अभी तक उसे आत्मसाक्षात्कार नहीं दिया है। कल्पना कीजिए कि इस बाबाजी के पोते को जो सहन करना पड़ता है, मुझे नहीं पता कि उनके साथ क्या बुरा किया गया है, मुझे उनके लिए बहुत खेद है।
प्रश्न: क्या आप रजनीश को जानते हैं?
श्री माताजी: वह एक और भयानक है। ऐसी चीज के लिए आपको गुरु की आवश्यकता क्यों है? आप उस्ताद हैं। वह मूर्ख है, जो आप जानते हैं उसकी तुलना में वह कुछ नहीं जानता। लेकिन आप देखते हैं कि आपने क्या सोचा, कि आप के अंदर इंसान हैं, आप दोषी महसूस करते हैं कि आप जानवरों के साथ सेक्स की बात करते हैं, इसके साथ सेक्स, यह, वह। अगर आप में कुछ छिपा बैठा है, तो इस विकृति और समलैंगिकता में कुछ गड़बड़ है, यह वह और वह सब। तो आपने सोचा कि एक गुरु होना बेहतर है कम से कम वह इसे प्रमाणित करेगा। लेकिन वह आपको नरक में जाने के लिए दौड़ते हुए दो जम्प दिलवाने वाला है, मैं आपको बताती हूं। और वह बात करता है, बस वहीं और वह बात करता है, "कि तुम अथाह गड्ढे में जाओगे," बाइबिल में एक अथाह गड्ढा नरक है। आप देखते हैं कि वह एक तरह से बहुत ईमानदार है, वह ऐसा कहता है।
उसने कहा, "तुम अथाह गड्ढे में जाओगे।"
उसने ईसा-मसीह की इस हद तक आलोचना की है कि उसने कहा कि मसीह के अपनी ही माँ के साथ बुरे संबंध थे। ओह उस हद तक उन्होंने मोहम्मद के अपनी बेटी के साथ खराब संबंध के बारे में कहा। वह हर तरह की बातें कर रहा है और आप जानते हैं कि लोग इसे प्रकाशित करते हैं। उसे ऐसा प्रचार मिल रहा है। वह उन लोगों को पैसे देता है जो वे मेरे खिलाफ लिखते हैं और हर तरह के काम करते हैं। भारतीय उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं, वे उससे नफरत करते हैं, वे चाहते हैं कि वह बाहर निकल जाए लेकिन वह इतना स्थानीय है | वह एक फूल को सूंघ नहीं सकता है और वह खुद को भगवान कहता है, अर्थात गॉड। किसी किताब में आप देखें, कहीं भी पढ़ते हैं, कोई भी भारतीय किताब जहां उन्होंने भगवान का वर्णन किया है, भगवान के नाम, वे हजार नाम हैं, विष्णु के या देवी के, कोई भी। उनमें से कम से कम पंद्रह या बीस नाम ऐसे हैं जो वर्णन करते हैं कि, वे फूलों के शौकीन हैं, वे सुगंध के शौकीन हैं, वे सुगंधित हैं। कि वे कमला के शौकीन हैं, चम्पा उन्हें यह पसंद है कि सब कुछ है और यह आदमी उन्हें देख भी नहीं सकता है, अगर आप उसे एक फूल दिखाएंगे तो वह भाग जाएगा। वह कहीं भी अगरबत्ती जलाना सहन नहीं कर सकता। जब आप वहां जाते हैं तो वे देखते हैं और आप उसे मिलने के लिए केवल फिनाइल डाल सकते हैं। मुझे लगता है कि वह एक बाथरूम क्लीनर है, वह यही है। जिस तरह से वह बहुत डरा हुआ है। मुझे नहीं पता था कि उसे जो पसंद है बाथरूम की गंध है। और वह सब गंदी बातें करता है, बहुत गंदा आदमी, गंदा है मैं तुम्हें यह नहीं बताना चाहती कि वह क्या करता है लेकिन मुझे पता है कि वह क्या करता है।
प्रश्न: क्या आप सतूरी और समाधि का अर्थ समझा सकते हैं।
श्री माताजी : वह झेन है। आप देखिए, झेन की सतूरी समाधि के समान ही है लेकिन यह एक है, आप देखते हैं कि झेन थे जैसा कि मैंने आपको बताया था छह शताब्दियों के दौरान कि छब्बीस थे और उन्होंने जो कुछ भी लिखा था वह लोगों ने कभी नहीं समझा। क्योंकि वे साक्षात्कारी आत्मा थे, उनमें से कुछ का जन्म साक्षात्कारी के रूप में हुआ, कुछ को साक्षात्कार प्राप्त हुआ। अब जब तुम भी बोलोगे तो लोग तुम्हें समझ नहीं पाएंगे, यह बहुत आश्चर्य की बात है। लेकिन ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपकी भाषा बदल जाती है। अब वे इसे कहते हैं सतूरी यह समाधि ही है लेकिन
यह इतना स्पष्ट रूप से नहीं दिया गया है, तो, वे लोगों को इस के बारे में इतना साफ़ ठीक से नहीं समझा सके| यह इतना सुस्पष्ट नहीं है|
अब हमारे सहज योग में सबसे पहले हमारे पास निर्विचार समाधि है। समाधि, धी का अर्थ है जागरूकता, और समाधि का अर्थ है प्रबुद्ध जागरूकता। निर्विचार का अर्थ है विचार रहित। निर्विचार प्रबुद्ध जागरूकता पहली बात है, स्पष्ट है। सहज योग बहुत स्पष्ट व्यावहारिक है, इसका एक-एक शब्द। आप इसे इतने स्पष्ट रूप से देखते हैं कि इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है। यहां तक कि, अगर आप सहज योग को जानते हैं तो आप बाइबिल को बेहतर समझ पायेंगे, ज़ेन बेहतर, सब कुछ बेहतर क्योंकि आपकी आंखें इसके प्रति खुली हैं, ठीक है। तो पहली बात है निर्विचार समाधि। निर्विचार समाधि के साथ, जब यह आपके आज्ञा चक्र को पार करती है तो आपको निर्विचारिता मिलती है, जिसका अर्थ है जब आपका अहंकार नीचे खींच लिया जाता है। इससे आपको शक्तियां मिलती हैं। जैसा कि आप देखते हैं कि यदि आप डिप्टी गवर्नर बनते हैं तो आपको शक्तियां मिलती हैं यदि आप गवर्नर बनते हैं तो आपको शक्तियां मिलती हैं। आपको मिलने वाली पहली शक्ति उपचारात्मक शक्तियाँ हैं। आप ठीक हो जाते हैं और आप दूसरों को रोग मुक्त कर सकते हैं।
बहुत से लोग जिन्हें मैंने ठीक किया है वे सहज योगी नहीं हैं, वे वास्तव में बेकार लोग हैं। उसी कारण से मैंने लोगों को ठीक करना छोड़ दिया है क्योंकि वे सिर्फ इलाज के लिए आते हैं, वे ठीक हो जाते हैं और गुम हो जाते हैं। जो प्रकाश नहीं देने वाले हैं, उन्हें सुधार करने से क्या लाभ? आप देखते हैं कि आप उन दीपों की मरम्मत नहीं करते हैं जो काम नहीं करने वाले हैं। लोगों का इलाज करना यह एक भयानक चीज है जिसे आप लोगों को ठीक करते हुए देखते हैं, लेकिन आप इलाज करते हैं।
आप लोगों को स्वचालित रूप से रोगमुक्त करने लगते हैं उनकी कुण्डलिनी उठा कर ना की भूतों के माध्यम से। यहाँ, एक अन्य प्रकार फैथ हीलर वगैरह जैसी सब बकवास नहीं है।
साथ ही ऐसे व्यक्ति के साथ कुंडलिनी एक बिंदु तक उठ सकती है। लेकिन व्यक्ति को उस बिंदु पर नहीं रुकना चाहिए और ऊपर जाना चाहिए। क्योंकि दायीं और बायीं ओर की प्रवृति में आपको या तो अतिचेतन या आपके अवचेतन के अनुभव होने लगते है जो बहुत आकर्षक हो सकते हैं और आप उनमें काफी खो सकते हैं। तुम रोशनी देखना शुरू करते हो, तुम कुछ अलग देखना शुरू करते हो, तुम मेरे चारों ओर एक आभा देख सकते हो। मेरा मतलब है कि आप बहुत सी चीजें देखते हैं, आप मेरे अतीत में कुछ और भी देख सकते हैं, जो वहां नहीं होनी चाहिए। आपको इसके बारे में भूल जाना चाहिए। जब प्लेन पकड़ने के लिए आपको एयरपोर्ट जाना होता है, उस समय आसपास की सारी चीजें न देखें, इस सब की कोई दरकार नहीं है।
बहुत से लोग उस बिंदु पर खो जाते हैं जब वे आज्ञा पर रुकते हैं, यदि आपने यहां ध्यान केंद्रित किया है तो यह और अधिक हो सकता है क्योंकि यह टूट गया है या यदि आपने इस तीसरे नेत्र वगैरह का धंधा किया है जो आप उस पक्ष में जा सकते हैं। यह काफी खतरनाक हो सकता है। आप देखें कि क्या आप किसी प्रकार की सनसनी के लिए अपनी समाधि का उपयोग करते हैं। तो आपको नहीं करना चाहिए। मेरा मतलब है कि सभी विवेकवान लोगों को इस गतिविधि का उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, जहां तक संभव हो, कहें, "नहीं, हम इसे नहीं देखना चाहते हैं। हम कोई अतिचेतन संवेदना वगैरह नहीं चाहते हैं," । फिर आप ऊंचे उठते हैं और फिर आप लिम्बिक क्षेत्र में अपनी मौन को महसूस करने की कोशिश करते हैं और आपको अपने सिर से निकलने वाले वायब्रेशन को महसूस करना होता है। यह कंपन है जब वे बह रहे हैं, यह सबसे अच्छी अवस्था है, जब आपने अपने ब्रह्मरंद्र में भेदन किया है।
तो दूसरे चरण की शुरुआत होती है निर्विकल्प समाधि में विकसित होने से, जो ऑस्ट्रेलिया में कई सहज योगियों ने हासिल किया है, जिसे निर्विकल्प कहा जाता है, जहां कोई संदेह नहीं है। आपके पास सहज योग के बारे में कोई संदेह नहीं बचा है, आपके पास अपने बारे में कोई संदेह नहीं बचा है। यह एक अवस्था है, यह मानसिक या तर्कसंगत रूप से नहीं है बल्कि यह एक अवस्था है। जहां आप इसे इतनी स्पष्ट रूप से देखते हैं, सफेद सफेद है, आपको संदेह नहीं है कि मेरी आंखें सफेद या काली दिखा रही हैं, आप देखिए। वह अवस्था प्राप्त होती है जिसे निर्विकल्प कहा जाता है जहां कोई विकल्प नहीं है, आप सिर्फ जाते हैं, व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ते हैं और यह सबसे अच्छी अवस्था है जहाँ आप वास्तव में तेजी से विकसित होते हैं क्योंकि आप इतने नियमित और संतुलित हैं और उस अवस्था को प्राप्त करना होगा। तो चीजों को नकार कर उस अवस्था को प्राप्त करने का प्रयास करें, "नेति, नेति, वाचिन्य निगमूर," "यह नहीं, यह नहीं, यह नहीं,"ऐसा कहकर, और आप उस अवस्था तक पहुँच जाते हैं, यह बहुत स्पष्ट रूप से दिया गया है। आप देखिए परेशानी यह है कि इनमें से कई किताबें जो इतनी महान हैं, उनका अनुवाद कभी नहीं किया जाता है, लोग उनके बारे में नहीं जानते हैं। अब सहज योग में आने के बाद आप उनसे रूबरू होंगे और आप देखेंगे कि इसमें कौन से सत्य हैं और कैसे सहज योग इसे सत्यापित और सिद्ध करता है।
प्रश्न: आपके साथ रहने वाले लोगों पर आपका क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिन्हें बोध प्राप्ति नहीं है। उस प्रकार के वातावरण में साक्षात्कारी आत्मा का क्या प्रभाव होता है?
श्री माताजी : तुम देखो अगर तुम्हारे पास पत्थर हैं और अगर तुम्हारे पास जीवित पेड़ हैं, तो पत्थरों को सूर्य से कुछ नहीं मिलता है लेकिन पत्ते कुछ प्राप्त करते हैं, है ना, वे अधिक संवेदनशील होते हैं, बस इतना ही फर्क है।
फिर सहज योग में एक संभावना है कि आप पत्थरों को जीवित प्राणियों में बदल सकते हैं, किया जा सकता है। हां, क्योंकि वे देखते हैं, आप देखते हैं कि वे आपको देखते हैं, वे उस मूल्य को समझते हैं जो आप हैं, धीरे-धीरे, तर्कसंगत रूप से वे समझना शुरू करते हैं, फिर वे किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, फिर वे सहज योग में आते हैं, तब उन्हें बोध होता है, यह उस तरह से काम करता है। लेकिन साधकों के साथ यह बहुत अलग है, साधक इसमें कूद पड़ते हैं। वे इसके बारे में सोचते नहीं हैं, वे बस इसे प्राप्त करते हैं। वे इसे इतनी तेजी से प्राप्त करते हैं कि वे इसके बारे में नहीं सोचते, वे इसे प्राप्त करते हैं। इसलिए वे इतने संवेदनशील हैं, यही अंतर है।
प्रश्न: क्या हम अपने प्रियजनों की मदद कर सकते हैं जो कुछ भी नहीं सुनना चाहते, खासकर सहज योग के बारे में?
श्री माताजी: आप देखिए कि दूसरा कोई नहीं है जो आप किसी की मदद करते हैं, वे सब आपके भीतर हैं। इसके विपरीत, जो सहजयोगी हैं, उन्हें साथ में रखना बेहतर होगा, क्योंकि जो सहज योगी नहीं हैं वे तुम्हें परेशान करेंगे, यह एक समस्या होगी, उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ दो, वे ठीक हो जाएंगे, वे आ जाएंगे। उन्हें अपने आप आने दो आप उन्हें मजबूर नहीं कर सकते, वे प्रिय हैं, अब आप अपनी प्राथमिकताएं बदल देंगे, आप समझेंगे कि जो वास्तव में प्रिय हैं वे वास्तव में आपके भाई-बहन नहीं हैं। जैसा कि ईसा-मसीह ने कहा है, "कौन मेरे भाई-बहन हैं?" अब हमें वह प्रश्न पूछना है। क्योंकि आप दूसरी भाषा बोलते हैं, आप एक भिन्न व्यक्तित्व हैं, ऐसा नहीं है कि आप उन्हें छोड़ देते हैं, बल्कि वे मौजूद रहते हैं। लेकिन उन्हें आप जैसी जागरूकता प्राप्त नहीं है तो यह बिलकुल एक अलग बात है। लेकिन आप उनकी एक तरह से मदद करते हैं, धीरे-धीरे वे आपको देखते हैं लेकिन अगर आप उन्हें जबरदस्ती करेंगे तो वे भाग जाएंगे। उन्हें इसके बारे में कुछ भी बताने या मजबूर करने का कोई फायदा नहीं है, लेकिन आप अपनी संतुष्टि और प्रसन्नता दिखाते हैं और आपकी उन्नति और अन्य लोग इससे प्रभावित होते हैं और वे आपके पास आते हैं।
प्रश्न: आप कैसे कर सकते हैं.. क्या आप उनकी मदद करते हैं?
श्री माताजी: हाँ, मैं करती हूँ। लेकिन आपको उन्हें अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए और कहना चाहिए, "माँ, आप मदद करती हैं। अगर आप मदद करने की कोशिश करते हैं, तो मैं इसे आप पर छोड़ दूंगी।":
वारेन: (प्रश्न) वह नहीं समझ सकता कि आप क्यों कहते हैं कि ईसा-मसीह हमारे लिए मरे। वह हमारे लिए क्यों मरे?
श्री माताजी : मूर्ख लोगों के साथ वह और क्या कर सकते थे? उन्होंने उसे सूली पर चढ़ा दिया, उन्होंने ऐसा नहीं कहा कि, "तुम आओ और मुझे क्रूस पर चढ़ाओ," क्या उन्होंने, आप देखिये? वे मूर्ख, भयानक लोग, गधे हैं। वे उन्हें समझ नहीं पाए, पत्थर जैसे वे थे क्या करना है? उन्होंने उसे सूली पर चढ़ा दिया, उन्होंने थोड़े ही माँगा था। परन्तु जब उन्हें सूली पर चढ़ाया गया तो वे पाप जो उन्होंने उसे सूली पर चढ़ाते समय किए थे, क्षमा किए जाने थे। यह वही है। वह थे, उन्होंने क्या किया? आप देखिए कि, वह आपकी वजह से मरे क्योंकि आप जैसे लोगों ने ही उन्हें सूली पर चढ़ाया था। आप उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। जब आपको आत्मसाक्षात्कार हो जाता है तो आप भिन्न व्यक्ति होते हैं, फिर आप पुनर्जीवित हो जाते हैं। उनका संदेश पुनरुत्थान था, न कि सूली पर चढ़ना, लेकिन यह इन लोगों की मूर्खता को दर्शाता है, है ना। मेरा मतलब है कि आप फिर से ऐसा कर सकते हैं मैं नहीं कह सकती, ऐसे लोग हैं।
वारेन: प्रश्न: क्या प्यार और स्वीकृति का प्रयोग करना संभव है जब वह कहती है .. आप लोगों का आकलन कर रहे हैं कि वे सही हैं या गलत।
वारेन: हम चैतन्य का उपयोग कर रहे हैं।
श्री माताजी : मैं आकलन नहीं कर रही हूं, आप आकलन कर रहे हैं क्योंकि जब आप अपने स्पंदन प्राप्त करते हैं तो आप स्वयं को आंकने लगते हैं। आप देखिए, मैं इसे नहीं आंक रही हूं, यह केवल आपका अपना निर्णय है। यह आपका अपना फैसला है। क्या आप अपनी ठंडी हवा हाथों में महसूस कर रहे हैं? अगर नहीं, तो होने दो। मैं आपको जज नहीं कर रही हूं, आप इसे खुद जज कर रहे हैं। ठीक है तो आप खुद को जान जाओगे। जैसे अभी हाल आप परख रहे हैं कि आपको वायब्रेशन प्राप्त नहीं हो रहे हैं।
प्रश्न: क्या यह सच है कि इंदिरा गांधी को देवी के रूप में पूजा जाता है?
श्री माताजी: अरे नहीं, यह सब राजनीतिक बातें हैं, आप देखिए, भारतीय लोग ऐसे ही हैं।
वॉरेन: यह बेकार है।
वारेन: (प्रश्न) वह इस बात को लेकर भ्रमित है कि आपने शुरुआत में प्यार और स्वीकृति के बारे में बात की थी, लेकिन फिर जब लोगों के नाम सामने आए, तो हम अक्सर उनका मजाक उड़ाते थे।
श्री माताजी: आह गुरुओं के बारे में? आह, तो यह बात है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है। आप लोगों के साथ ऐसा बहुत है। आप देखिए कि, आपके साथ आप सब के साथ यह हैं कि, आपने एक दर्शन विकसित कर लिया है जहां आप कहते हैं कि कोई भी बुरा नहीं है, सब कुछ ठीक है। यह काम करने के लिए एक बहुत अच्छा दर्शन है क्योंकि आप भी इस चीज़ में फिट होते हैं। कि तुम्हारे बारे में भी कुछ भी बुरा नहीं है, है ना? यह इसी तरह होता है। आपको याद है कि जब ईसा-मसीह इन भयानक लोगों की आलोचना कर रहे थे तो उन्होंने उनसे पूछा, "आप कैसे उनकी आलोचना करते हैं? वे तो तुम्हारी निन्दा नहीं करते।”
फिर उसने कहा, "क्या शैतान अपने ही घर के विरुद्ध बात करेगा?"
एक नकारात्मक शक्ति काम कर रही है, बहुत सक्रिय है और आपको न केवल उपहास करना है बल्कि इन चीजों से छुटकारा पाना है क्योंकि वे आपकी विनाशकारी शक्तियों के रूप में कार्य कर रहे हैं और वे आपको नष्ट कर देते हैं, मैं उन्हें बहुत स्पष्ट रूप से देखती हूं और मुझे आपको बताना होगा। तो प्यार का मतलब यह नहीं है कि मैं एक सांप से प्यार करता हूं, क्या तुम जा कर किसी सांप से प्यार करोगे, सबसे पहले एक सांप को समझना चाहिए। उसी तरह हमें समझना होगा कि बुरे लोग होते हैं, यह सच है। पश्चिम में यही बहुत है, मैं देखती हूं, "ओह, आप सभी से प्यार करें" यह बिलकुल उचित है। लेकिन आप सांप से प्यार नहीं करें, क्या आप करते हैं? जाओ और लो, सांप से पूछो, "मैं तुमसे प्यार करना चाहता हूँ।" वह आपको अभी खत्म कर देगा।
आप में से कितने ही लोगों को इन लोगों ने इतना नुकसान पहुंचाया है और मुझे आपको ठीक करना पड़ता है। आप नहीं जानते कि मुझे किस दौर से गुजरना पड़ता है, जब आप इन लोगों से प्रभावित होते हैं तो आपको ठीक करने के लिए इतना काम करना पड़ता है। आप नहीं जानते कि मैंने सुबह से शाम तक कितना काम किया है। आज सुबह छह बजे से शुरू होकर मैं यहाँ आई तब तक बस दस मिनट में मुझे अपनी साड़ी बदलनी पड़ी और मैं यहाँ थी। ये अन्य गुरुओं और चीजों से दुष्प्रभावित होते हैं और मुझे इसे बाहर निकालना पड़ता है। मैं जानती हूं कि उन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। तुम्हें कुछ पता नहीं है।
प्रश्न: पवित्र शास्त्रों के जाप और गायन में आपको क्या आपत्ति है?
श्री माताजी : बिल्कुल नहीं, किसने कहा कि मुझे आपत्ति है, मुझे नहीं है लेकिन, तुम्हें समझना चाहिए कि बिना यह समझे कि कौन से जप की आवश्यकता है, यह एक औषधि की तरह है। जप एक मंत्र है। मंत्र का अर्थ है एक ऐसी चीज जो आपके भीतर किसी विशेष चीज को ठीक करने के लिए ध्वनि के रूप में कार्य करती है, ठीक है। यह आप कह सकते हैं ध्वनि चिकित्सा, ठीक है। अब आपको यह जानना होगा कि किस चक्र के लिए कौन सी दवा की जरूरत है, आपको यह भी पता होना चाहिए कि आपको या किसी और से समस्या कहां है। मेरा मतलब है कि यह बेतरतीब ढंग से जप होगा, कभी-कभी यह सभी दवाओं के अंधाधुंध पीने जैसा होगा, आप देखिए। सभी दवाओं की बोतलों को अपने पेट में लेकर बिना समझे खाली कर देना। जप तो हम भी करते हैं लेकिन हम जानते हैं कि कहां, क्या जप करना है। आप देखिए, अंधाधुंध नहीं, बस ऐसे ही नहीं। और यह बहुत खतरनाक है क्योंकि जब तुम जप करते चले जाते हो तो, जैसे, राम का नाम या कृष्ण का नाम।
अब जब आप कृष्ण का नाम कहते हैं, कृष्ण यहाँ (विशुद्धि पर ) हैं, यदि आपकी कुंडलिनी यहाँ तक नहीं पहुँची है यदि आप कृष्ण का नाम लेते हैं तो यह स्वयं कृष्ण के लिए बहुत, बहुत कष्टप्रद होता है और वे पीछे हट जाते हैं, सो जाते हैं। वह कभी-कभी जम जाता है और उससे आपको चक्रों की समस्या हो जाती है और कभी-कभी आपको गले का कैंसर हो जाता है, यह बहुत गंभीर है। तो सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि आपकी कुंडलिनी कहां है, कहां गई है, कहां रुकी है। तब आपको पता होना चाहिए कि समस्या क्या है, फिर आपको पता होना चाहिए कि वास्तव में इस्तेमाल किए जाने वाले जप क्या है, ठीक है, और फिर उस हिस्से को ठीक करें। आप देखते हैं की, यह एक बड़ा विज्ञान है, जिसे सहज योग में समझना है, यह बिना सोचे समझे नहीं है।
आप पीड़ित हैं, आपको सबसे पहले, आप जिस भी परेशानी से पीड़ित हैं, उसे समझना चाहिए। देखिये, कई लोग जो ईसाई हैं, वे आज्ञा को पकड़ लेते हैं, मैंने आपको बताया है, वे पकड़ते हैं क्योंकि यह अनधिकृत है। क्राइस्ट, हम उसके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि, मुझे नहीं पता कि क्या कहूँ, कोई जुनूनी फल एक पेड़ में लटका हुआ है। क्या हम जानते हैं कि वे कौन है? एक प्रोटोकॉल है, महान प्रोटोकॉल है। ब्रह्मा, विष्णु महेश भी उन तक नहीं पहुंच सके। तो हमारे लिए, चूँकि हमें लगता है कि हम ईसाई परिवारों में पैदा हुए हैं और क्योंकि चर्च ने हमें तथाकथित प्रमाण पत्र दिया है, क्या आपको लगता है कि हम हर समय उनके नाम का जप करने और उन्हें परेशान करने के लिए अधिकृत हैं? और हम किस बात की प्रार्थना करते हैं? क्या हम अपनी आत्माओं के लिए प्रार्थना करते हैं? क्या हम अपने बोध प्राप्ति देने के लिए कहते हैं? क्या हम पुनरुत्थान के लिए प्रार्थना करते हैं? नहीं, हम क्या मांगते हैं? कुछ बेमानी।
प्रश्न: अभ्यासरत अध्यात्मवादियों के बारे में आपकी क्या राय है।
श्री माताजी : बहुत खतरनाक, कभी उनके पास मत जाना। उन्हें कभी भी बांस के डंडे से भी न छुएं, वे भयानक चीजें हैं। आप देखते हैं, यह समझना बहुत आसान है कि यदि आप किसी भी क्षेत्र से कभी भी जुड़ जाते हैं, और कोई अन्य उस क्षेत्र से जुड़ा होता है तो आप उसके संपर्क में आ जाते हैं और उस क्षेत्र से आप पर कोई अंधाधुंध आक्रमण हो सकता है। आपको नहीं पता होगा कि आप पर कौन आ रहा है। इसलिए उनके पास कभी न जाएं। हो सकता है कि आप अपने मृत पिता से बात करना चाहें, आप उनसे बात करना चाहते हैं। क्यों? उन्हें मुक्ति दो, उन्हें स्वतंत्र करो, तुम उनसे बात क्यों करना चाहते हो? अब उन्हें अकेला रहने दो, उन्हें स्वयं निर्णय लेने दो कि वह क्या करना चाहते है। आप क्यों उन्हें त्रिशंकु रखना चाहते हैं? यह बहुत अधिक है, यह बहुत अधिक भार है। फिर जो भी आप चाहते हैं, जब आप उसके लिए किसी माध्यम का उपयोग करते हैं तो आप नहीं जानते कि उसे कोई और मिल सकता है। यह आपके बच्चों के लिए भी बहुत खतरनाक है, इस तरह से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। मेरा मतलब है कि, विशेष रूप से कैंसर आप विकसित करते हैं, यह मल्टीपल स्केलेरोसिस या वैसा ही कुछ भी। ये सब अध्यात्मवादियों से आते हैं। ये सब अध्यात्मवादी हैं, ये गुरु अध्यात्मवादी ही हैं। वे मानते हैं कि प्रेतात्माएँ हैं, वे उन प्रेतात्माओं को संभाल लेंगे जो वे काम कर रहे हैं, ये बहुत खतरनाक चीजें हैं जो मैं आपको किसी समय बता सकती हूं कि वे कैसे इसे कार्यान्वित करते हैं और वे इसे कैसे वश में करते हैं। यह बहुत खतरनाक है। वे पिशाच की तरह हैं, जिसे आप वैम्पायर कहते हैं। अधिक आश्चर्य की बात यह है कि अंग्रेजी भाषा में ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जो हमारे पास नहीं हैं, जैसे जादू टोना और चुड़ैलों को सजा दी जाती थी, हर तरह की चीजें होती हैं। इंग्लैंड में, वे इन सभी चीजों के बारे में अलौकिक और यह सब बात करते हैं लेकिन फिर भी मुझे नहीं पता कि वे इसमें कैसे जाते हैं।
वारेन: रास्ते में किसी ने मुझसे एक सवाल पूछा। क्या माध्यम बनना गलत है? यह पिछले प्रश्न से संबंधित है, तो शायद आप उस माँ का उत्तर दे सकें?
श्री माताजी: हे भगवान, मुझे बताने की जरूरत नहीं है, प्रेतात्माओं के हाथों में खेलना बहुत गलत है। आप पूरी तरह से गुलाम होते हैं; आप नहीं जानते कि आपके साथ क्या होता है। भयानक, यह समस्याएं पैदा करता है बिल्कुल आप एक असामान्य व्यक्तित्व हैं। ऐसा कभी नहीं करे। यह पाप है, पाप है। यदि आप मेरे वचनों को वास्तव में स्वीकार करते हैं तो यह भयानक है, ऐसा कभी न करें।
प्रश्न: पश्चिमी आध्यात्मिकता और पूर्वी आध्यात्मिकता में क्या अंतर है?
श्री माताजी : अब इस अध्यात्म शब्द का अर्थ इन अध्यात्मवादियों से है आपका?
वॉरेन: नहीं, दर्शनशास्त्र।
श्री माताजी : एक ही है, आत्मा एक ही है। सार्वभौम है, कोई भेद नहीं है, मुझे कोई भेद नहीं लगता। अध्यात्म का अर्थ है वह आत्मा जो आत्मा है, आपका मतलब वह आत्मा है जो आत्मा है, एक...।
प्रश्न: मैं आत्मा की खोज के बारे में अधिक बात कर रहा हूँ।
डब्ल्यू: आत्मा की ख़ोज
श्री माताजी : खोज एक ही है। लेकिन अब आप जिन भारतीय को देखते हैं, आधुनिक भारतीय एक तरह से विकसित हो रहे हैं, आप देखिए, उन्हें उस ऊंचाई तक जाना है, यह देखने के लिए जहाँ कि खुद आप लोग उतरे हैं। देखिए वे दौड़ को छोटा भी कर सकते हैं, वे चाहें तो इस दौड़ को छोटा कर सकते हैं, लेकिन अगर वे चाहते हैं तो, उन्हें भी उन विभिन्न प्रकार की समस्याओं में जाना पड़ सकता है जो आपको उस संपन्नता के साथ थीं और वे वापस आ सकते हैं। लेकिन मैं उन्हें बताती हूं कि, इस दौड़ को छोटा करना बेहतर है। जबकि आपकी समस्या इतनी आसान है क्योंकि आपने अभी खोज लिया है कि भौतिक पदार्थ ही पर्याप्त नहीं है। पदार्थ हमें आनंद नहीं देता, पदार्थ के पीछे दौड़ने का कोई फायदा नहीं। लेकिन फिर भी उनमें से कुछ सेक्स के पीछे भाग रहे हैं और वह सब। उन्हें एक और दौड़ खत्म करना शेष है, एक बार वे यह भी पूरा कर लें तो चीजें बेहतर होंगी। लेकिन इस तरह की सभी खोज में आपने निश्चित ही कुछ गँवा दिया है, इसमें कोई संदेह नहीं है। पदार्थ के माध्यम से गुजरना, सेक्स के माध्यम से गुजरना और शक्ति के माध्यम से गुजरना इन सभी यात्राओं में आप देखते हैं कि आपने कुछ खो दिया है, जिसे सुधार की आवश्यकता है। जबकि भारतीयों को अगर वे अपने विवेक से समझें तो वे बेहतर हो की इस दौड़ को छोटा कर सकते हैं, प्लास्टिक और नाइलॉन में जाने की जरूरत नहीं है। आप देखिए मुझे भारतीयों के लिए इंग्लैंड से नायलॉन की साड़ियां लानी पड़ती हैं, जबकि उनके पास उनके रेशम हैं, वे नायलॉन पहनना चाहते हैं। तो बुनियादी विकास में यही अंतर है। लेकिन भारतीय अगर सहज योग को अपनाते हैं तो वे बहुत अच्छे और आसान हैं, खासकर भारतीय ग्रामीण उत्कृष्ट हैं। आप देखिये, वे यह सब नहीं समझते हैं उन्हें कोई मानसिक समस्या नहीं है। मुझे उनके साथ इन सब बातों पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है, वे इस सब बकवास में नहीं गए हैं इसलिए वे अचानक सुंदर फल बन जाते हैं, बस।
तो यह थोड़ा डिग्री का अंतर है, मैं कहूंगी कि आप दूसरी चरम पर चले गए हैं और आपको अभी भी उस चरम पर जाना है या वे पहले वे संपन्न कर लें और फिर हम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन आपकी खोज बहुत उत्साही, बहुत ईमानदार और सत्य है। एक बात और मैंने हमेशा महसूस की और आज भी मुझे लगता है कि वास्तव में कुछ महान आत्माएं पश्चिम में पैदा हुई हैं, इसलिए ऐसी सच्ची इच्छा है, उनकी इच्छा में बहुत ईमानदारी है। भारतीय, पहले मेरे पास इलाज के लिए आते हैं, इलाज के लिए नहीं तो बच्चे पैदा करने के लिए, नौकरी या पैसे के लिए नहीं तो हर तरह की चीजें ले कर सामने आते हैं। या वे कहेंगे, "मेरी माँ बीमार है, मेरे पिता बीमार हैं, मेरा भाई यह है," यह सब चलता रहता है। लेकिन मैं पश्चिम में बहुत से ऐसे साधकों से मिली हूं जो केवल साक्षात्कार चाहते हैं, निःसंदेह बहुत सुंदर लोग। लेकिन आपने अपनी तलाश में कुछ गँवा दिया है, इसमें कोई शक नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता। कुंडलिनी आपके भीतर की वह प्रबल इच्छा है, जो इसे पूरा करती है।
वारेन: प्रश्न: ऐसा लगता है कि हम जितना सरल जीवन जीते हैं, हम उतने ही बेहतर हैं, यह हमारे लिए बहुत आसान है। हम सोच वगैरह से दूर हो जाते हैं।
श्री माताजी: मैं सहमत हूं कि सरलता एक अच्छा विचार है, लेकिन एक बात है, आपको इसे भी बहुत स्पष्ट रूप से समझना चाहिए क्योंकि हमारे पास मुझे कहना चाहिए,एक हिप्पी था। वह एक असली हिप्पी था, इतना बड़ा हो गया था, उसने इतने बाल उगाए थे और वह सब। वह मेरे पास आया और उस भयानक अंग्रेजी ठंड में शायद ही कुछ पहने हुए थे।
मैंने कहा, "आप अपने साथ क्या कर रहे हैं, आप अपने आप को उचित कपड़ों में क्यों नहीं रखते हैं और बेहतर तरीके से खुद को क्यों नहीं ढक लेते हैं," और मैं वास्तव में उसे समझ नहीं पायी थी।
मैंने कहा, "आप अफ्रीका में नहीं रह रहे हैं, आप इस तरह क्यों कपडे पहने हैं, यह एक आदिम पोशाक की तरह है।" उन्होंने कहा, "मैं आदिम बनना चाहता हूं।"
मैंने कहा, “आप कपड़े पहनकर नहीं बन सकते। तुम्हारा मस्तिष्क इतना विकसित है कि तुम आदिम कैसे हो सकते हो।"
आप देखिये कि, क्या तुम कुछ पहन कर तुम वह बन जाते हो? मेरा मतलब है कि यह सिर्फ एक नाटक है जिसे आप अपने साथ खेल रहे हैं, आप आदिम नहीं हो जाते। बात यह है कि, और फिर समस्या यह है कि, मस्तिष्क उसी तरह सोच रहा है, वही दर और सब कुछ वही है, केवल बदलने से कुछ अच्छा नहीं होता है क्योंकि आपको स्वीकार करना चाहिए जो कि आप हैं। ऐसा कुछ क्यों करें? लेकिन सरल जीवन का मतलब यह तरीका है तो, यह एक और अति है। लेकिन आप बहुत अधिक औपचारिकता देखते हैं जैसे टेल कोट या मॉर्निंग ड्रेस, ग्रे सूट पहनना और फिर किसी चीज़ के लिए एक विशेष प्रकार का गिलास रखना और वह सब बकवास जो आप देखते हैं, बेहतर हो की आप यह सब खत्म कर दें। इसको जारी रखना भी एक अति ही है साथ ही इन सभी छोटी, छोटी बातों और चीज़ों की परवाह करना है ऐसा कुछ आप में विकसित हो गया है| भयानक, और बेकार चीजों वगैरह का संरक्षण जो वास्तव में व्यर्थ है। और फिर सोचना, सोचना, सोचना, सब कुछ सोचना, बैठ जाना और सोचना कि मैं कितना दयनीय हूं और जब कोई भी दुख नहीं है तो तुम बस बैठ कर और सोच कर दुखी बनना। मुझे यहाँ कोई भी चीज़ दयनीय नहीं लगती, वहाँ क्या है?
भारत में इन लोगों को देखिए, जहां लोग इतने खुश हैं, चहकते हैं जैसे पक्षी आनंद ले रहे हैं। उनके पास वह सब कुछ नहीं है जो आपके पास है। तो आप देखते हैं कि भौतिकवाद से बाहर निकलना एक बेहतर विचार है, कहना होगा कि, एक सरल जीवन का मतलब है, लेकिन आपको खूबसूरती से जीना चाहिए। सुंदर का मतलब यह नहीं है कि आपके पास दस तरह की चीजें और वह सब होनी चाहिए। 'खूबसूरती से' कहने का मतलब है कि, आपको एक रुग्ण बदबूदार नहीं होना चाहिए, आप देखिए। स्वच्छ और सुंदर आप मिट्टी से कुछ भी सुंदरता बना सकते हैं; प्यार से आप कुछ भी कर सकते हैं। तो आप देखते हैं कि, यह ठीक है, मेरा मतलब है कि, आप जिस तरह से भी कपड़े पहनते हैं या कुछ भी कोई फर्क नहीं पड़ता यही मैं जो कहना चाह रही हूं कि, जिसे परिवर्तित करना है वह यह आंतरिक चीज है बाहरी नहीं। पुनः यही सहज योग है।