Have you been able to know yourself? 2000-06-16
16 जून 2000
Public Program
New York City (United States)
Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Draft
2000-06-16 सार्वजनिक कार्यक्रम, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका
"... एक साथ वे खोज रहे हैं, खोज रहे हैं खोज रहे हैं परन्तु क्या? और उस खोज से आपको क्या प्राप्त होने वाला है ? आप भली-भांति जानते हैं शास्त्रों में ,उन सभी में, यह लिखा है- आपको स्वयं को जानना है। आप स्वयं को नहीं जानते, यही मुख्य बिन्दु है। सर्वप्रथम आपको स्वयं को जानना चाहिए। अपनी सभी खोजों के साथ, अपने सभी प्रयासों के साथ, सभी प्रकार की कलाबाजियां करके, क्या आप स्वयं को जानने में सक्षम होंगे? हमें यह प्रश्न पूछना चाहिए । मात्र इसलिए ,क्योंकि कभी-कभी आप बहुत अच्छा अनुभव करते हैं, आपको लगता है कि आप बहुत शांतिपूर्ण हैं, या आपको लगता है कि आप हवा में उड़ रहे हैं - ये सभी चीज़ें, ये सब दिखावा है। यह सब दिखावा है और हम इतने वर्षों से यह सब कर रहे हैं । मैं नहीं जानती कि क्या हो जाता है हमारी सोच और हमारी समझ को, जब वह परमात्मा के विषय में हो ।वही दिव्यता जो आपके अन्दर है , उसका आपके ऊपर क्या प्रभाव होना चाहिए जिसके द्वारा ( सर्वप्रथम), आप स्वयं को जानते हैं।
यह देश साधकों से परिपूर्ण है, मैं जानती हूं । और मैं यह पाती हूं कि, एक पूंजीवादी देश होने के कारण, वे सोचते हैं कि परमात्मा को भी ख़रीदा जा सकता है, यहां तक कि गुरुओं को भी ख़रीदा जा सकता है । यदि आप किसी को ख़रीद सकते हैं, अगर आप किसी को पाल सकते हैं, तो वे आपके नौकर हुए ; वे आपके स्वामी कैसे हो सकते हैं? इस पर गहराई से विचार करें और जानें कि आपको अब तक क्या प्राप्त हुआ है, या आप स्वयं को जाने बिना पूर्णरूप से कुसंस्कारों में फँस गए ।
आज, प्रारंभ में, मुझे आपको एक और बात बतानी है कि यह अंतिम निर्णय है। यह अंतिम निर्णय है। इस समझदारी के परिणामस्वरूप, मैं आपसे यह आशा करती हूँ कि आप यह समझने का प्रयास करेंगे कि अब आपके लिए निर्णय लेने और अपनी उत्क्रांति को प्राप्त करने का समय है । यदि आप नहीं करते हैं, तो शायद . अब कम समय शेष है।। मैंने पहले यह नहीं कहा था । मैंने सोचा कि हो सकता है (थोड़ा सा) आप आहत, या सम्भवतः आप व्यथित हो सकते हैं, लेकिन यही वास्तविकता है; और सालों साल लगातार तीस वर्षों से मैं सहज योग पर काम कर रही हूँ और मुझे लगता है कि अमेरिका एक ऐसा देश है जहां वास्तविकता के लिए बहुत कम प्रतिक्रिया है । इसका कारण क्या है? कहते हैं माँ, आप कोई पैसा क्यों नहीं लेतीं? आप मुझे कितना देने जा रहे हैं? यह वह चीज़ है जिसे आप ख़रीद नहीं सकते हैं! आप इस तथ्य की अनुभूति कर सकते हैं: इसे आप ख़रीद नहीं सकते। लोग किसी के व्याख्यान में ,किसी को सुनने के लिए हज़ारों डॉलर व्यय करते हैं, लेकिन आपने उससे क्या प्राप्त किया? आप को उससे क्या मिला? कम से कम जब आप बाज़ार जाते हैं तो आप कुछ समय, कुछ पैसे ख़र्च करते हैं, आप जानना चाहते हैं कि आपको इससे क्या मिला है, लेकिन आपको कुछ नहीं मिला है। मैं कुछ ऐसे लोगों को जानती हूँ जो पूरी तरह दिवालिया हो गए हैं। उनके पास पैसे नहीं बचे हैं, और वह व्यक्ति यह कहते हुए सब लेकर भाग गया कि आपको ' निर्लिप्त ' बनना चाहिए। आप लोगों को निर्लिप्त बनाने के स्थान पर उसे निर्लिप्त होना चाहिए। यही कारण है इस देश में अभी तक भी ऐसे कार्य हो रहे हैं । बहुत सारे आए और चले गए और समाप्त हो गए, लेकिन अब भी कई ऐसे हैं जो लूटने के लिए आए हैं। इसलिए, मुझे आपको बहुत स्पष्ट रूप से बताना है: बहुत सावधान रहें,और समझें कि सहज योग क्या है ।
सह का अर्थ है ' साथ', 'ज ' पैदा हुआ ' आपके साथ यह योग है; परमात्मा का योग। और परमात्मा के साथ यह योग आपका जन्मसिद्ध अधिकार है। सर्वप्रथम, क्योंकि आपका जन्म उस समय हुआ है, जब यह अब एक सामूहिक घटना है । सहज योग छियासी देशों में बहुत विस्तृत रूप में कार्य कर रहा है, लेकिन, यदि आप ख़रीदना चाहते हैं ,तो ऐसा नहीं कर सकते। इस अर्थ में, इसका कोई मूल्य नहीं है क्योंकि यह अमूल्य है। आप किसी अमूल्य वस्तु के लिए भुगतान नहीं कर सकते । यदि आप इसके लिए मूल्य दे रहे हैं, तो यह अनुचित है । यह अनुचित है, और आपने जो कुछ भी किया है, उसे आपको समझना चाहिए(क्योंकि मुझे लगता है कि आप सब बहुत बुद्धिमान लोग हैं): सहज योग बेवक़ूफ़ या मूर्ख के लिए नहीं है, लेकिन यह उन लोगों के लिए है जो इस तथ्य को देखना चाहते हैं कि अपनी खोज के अतिरिक्त उन्होंने कुछ प्राप्त किया है। अन्यथा, यह मात्र एक उन्मत्त दौड़ के समान है ,जो चल रही है। कुछ लोग यहां खोज रहे हैं और मैं भी अचम्भित हूं कि वे कहते है " माँ, आजकल वहां पर एक सेल चल रही है! यदि आप कुछ सस्ता चाहती हैं, वहां पर एक सेल है । मेरा तात्पर्य है, कल्पना कीजिए। आप कैसे इतने निकृष्ट हो सकते हैं? आप उस स्तर तक देवत्व कैसे ला सकते हैं? हमने ईसा मसीह को कितना दिया? हमने मोहम्मद साहब को कितना भुगतान किया? उन सभी ने एक ही बात कही है (एक अलग तरीक़े से हो सकती है, 'समय के अनुसार' जिसे वे समयाचार कहते हैं, आपको समझने के लिए होना चाहिए। लेकिन, इन सबके अतिरिक्त, आपकी खोज में, तथ्य यह है कि आपको स्वयं को जानना होगा, जो केवल किसी प्रकार का मूर्खतापूर्ण कार्य या कुछ करतब दिखाने जैसा नहीं है, बल्कि यह एक अनुभव का यर्थाथी करण है। आपके पास क्या अनुभव था? हवा में उड़ने की तरह, हवा में उड़ने या सड़क पर तीन फ़ीट चलने का क्या लाभ ?(इसकी कोई आवश्यकता नहीं है,) ठीक है यह ऐसी स्थिति है। इस तरह के सभी अजीब विचार आपको दिए गए थे, और आप इसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं? मैं अब आपको सत्य बताने जा रही हूँ: कि इसका इस दिव्यता से कोई लेना-देना नहीं है । लेकिन, आपके परमात्मा ने इस कुंडलिनी को आपके अन्दर स्थापित किया है। आप में से प्रत्येक के अन्दर वह कुंडलिनी है, आप में से प्रत्येक में। इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता कि आप किस धर्म का पालन करते हैं, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता कि आप किस देश में रहते हैं, चाहे वह जीवन में आपकी कोई भी स्थिति हो सकती है, इस कुंडलिनी को आपके परमात्मा द्वारा आपकी त्रिकोणाकार अस्थि में स्थापित किया गया है। आपको केवल मुझ पर विश्वास करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आपको, कम से कम, अनुभव प्राप्त करना चाहिए और यह विश्वास कीजिए कि आप परमात्मा के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति का अनुभव शीतल चैतन्य लहरियों के रूप में कर सकते हैं। यह सभी शास्त्रों में लिखा गया है। बाइबिल में 'पवित्र आत्मा की शीतल लहरियाँ' कहा गया है, 'कुरान में इसे रूह कहा गया है, अनेक ग्रंथों में इसे शीतल लहरियों के रूप में परमेश्वरी प्रेम की शक्ति कहा गया है। लेकिन, बिना कोई अनुभव प्राप्त किए, आप कैसे कहते हैं कि आपने इसे प्राप्त किया है? अगले दिन, मैं एक सज्जन से मिली, वह बारह साल के लिए एक संगठन के साथ थे, और उन्होंने कहा,' मां, मैं अभी भी खोज रहा हूँ। क्यों? बारह साल तक आपको कुछ नहीं मिल सका? मैंने सोचा कि यह अन्तिम था, मैंने कहा: ' क्यों? आपने ऐसा क्यों किया? जो भी अन्तिम है, उसे अपनी उपलब्धि के साथ समाप्त कर देना चाहिए। आपने क्या प्राप्त किया है? एक माँ के रूप में, मुझे आपको स्पष्ट रूप से बताना है कि यदि आप ने इन सभी कलाकारियों से कुछ भी प्राप्त नहीं किया है, अच्छा होगा इसे त्याग दें । आपके पास अपना स्वाभिमान होना चाहिए, आपको अपना मूल्य जानना चाहिए, आपको पता होना चाहिए कि आप इस धरती पर क्यों हैं। आप क्या खोज रहे हैं? न केवल चारों ओर खेलने के लिए और कुछ ख़रीदारी यहाँ और वहाँ करते हैं । वास्तव में, आप अपनी विकासवादी प्रक्रिया के माध्यम से कुछ प्राप्त करें। वास्तव में यह कुंडलिनी, यह एक महानतम चीज़ है।, सब कुछ पूर्णतया , पूर्णतया वैज्ञानिक है। । (इतने सारे वैज्ञानिक अब सहज योग में हैं) । पूर्णतया गणित भी, लेकिन, सर्वप्रथम आपको आत्म साक्षात्कार प्राप्त करना है। सर्वप्रथम, आपको इस शीतल चैतन्य लहरियों का अनुभव करना है, तत्पश्चात् आप इसके विषय में पता लगा सकते हैं. यह क्या है।
मैं आश्चर्यचकित हूं, सभी प्रकार से विकसित व प्रगतिशील होते हुए भी आप यह एक बात कैसे भूल गए हैं कि अभी तक आपने स्वयं को नही जाना है? आप अपने आप को कैसे जानते हैं? जब यह कुंडलिनी उठती है, वह छह चक्रों से होकर गुज़रती है । वह छह चक्रों के माध्यम से गुज़रती है, और तालु भाग में स्थित अस्थि क्षेत्र के माध्यम से, सातवें (जिसे हम कहते हैं) चक्र में प्रवेश करती है, जो वास्तविक अनुभूति है।आप इसे अपने सिर के ऊपर अनुभव कर सकते हैं। मेरा अभिप्राय है, प्रत्येक संत, प्रत्येक सूफ़ी ने इस विषय में बात की है ,यदि आपने उन्हें पढ़ा है । लाओ-त्से ने इस विषय में बात की है, हर किसी ने, बुद्ध ने इस बारे में बात की है-कि आपको आत्म साक्षात्कार होना चाहिए । आत्म साक्षात्कार का अर्थ है स्वयं के बारे में जानना । सभी ने यह बात कही है। किसने कहा है कि आप इसके लिए पैसा दें, और आप इसे छोड़ दें और जंगलों में चले जाएं? किसी ने नहीं। अब, यह एक अति महत्वपूर्ण समय है और आपके जीवन का यह एक अति महत्वपूर्ण विषय है, आपके लिए, आपके बच्चों के लिए, आपके देश के लिए । आपको यह जानना होगा कि आपका मूल्य क्या है। आप क्या हैं? आप इस धरती पर क्यों हैं? क्या आप यहाँ केवल अपने जीवन को निरर्थक नष्ट करने के लिए हैं, इस अमूल्य मानव जीवन को? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता । इसलिए, कुछ ऐसा आपके साथ घटित होना चाहिए, और यह घटित हो रहा है। यह काल्पनिक नहीं है, यह मानसिक नहीं है, बल्कि वास्तविक है।
एक बार जब यह कुंडलिनी उठती है, तो आपको इसके बारे में कुछ भी अनुभव नहीं होता है। इस समय, कुछ पुस्तकें जो मैंने पढ़ी हैं, कुंडलिनी के विरोध में और कुंडलिनी जागरण के विरोध में हैं । वे सभी (मुझे कहना होगा) कुछ चालें चल रहे हैं । विगत तीस वर्षों से मैं सम्पूर्ण विश्व में यह कार्य कर रही हूँ, मैंने ऐसी चीज़ें होती हुई कभी नहीं देखी हैं-जो कुछ भी वे ' कुंडलिनी जागृति ' के रूप में कहते हैं, उन्हें वे विचार कहां से मिले, मैं नहीं जानती । हो सकता है कि उन्होंने कुछ गंदी चालें चली हों और इस तरह से लोगों को हानि उठानी पड़ी होगी, मुझे इस बात का विश्वास है । अन्यथा, वे अभी कभी नहीं हुआ होगा, और तीस साल में मैंने कभी नहीं देखा है, पूरी दुनिया में मैंने कभी नहीं देखा है, तो यह कैसे हो सकता है कि यह उस तरह से है : कि हम कुंडलिनी जागृति से भयभीत हैं? वह आपकी माँ है! वह आपकी अपनी माँ हैं, आपकी व्यक्तिगत माँ । उसका कोई और बच्चा नहीं है। और उन्होंने हमारी माँ की तरह सम्पूर्ण करुणा और प्रेम के साथ हमारे अन्दर सब कुछ अभिलिखित किया है; हम इसे कह सकते हैं कि यह एक टेप रिकॉर्डर के समान है कि ये सब टेप किया जा रहा है- आपकी सभी चिंताएं, आपकी सभी त्रुटियां, आपकी सभी आकांक्षाएं, आपके सभी कुकर्म - सभी कुंडलिनी में हैं, और वह आपको आपका दूसरा जन्म देना चाहती हैं। वह अत्यंत चिंतित है, लेकिन वह आपको कष्ट नहीं देती है। उदाहरण के लिए: जब आपका जन्म हुआ था, तो आपकी मां ने आपको जन्म देने के कष्ट स्वयं सहन किए थे। क्या उन्होंने आपको कष्ट दिया था? इसलिए यह मां कुंडलिनी आपको कष्ट देने वाली नहीं है। वह आपसे प्रेम करती हैं। वह आप के प्रति प्रेम से परिपूर्ण हैं। और जब तक यह घटित नहीं होता, तब तक आप यह नहीं कह सकते कि क्या अनुचित है, कुंडलिनी जागरण या किसी भी चीज़ में क्या ग़लत है, इसलिए कम से कम आपको अपना मन बनाने का प्रयास करना चाहिए कि, आज आप सभी को अपना आत्म साक्षात्कार मिलेगा। आप सभी लोगो को , जैसा कि मैंने आपसे कहा था, उसे प्राप्त करने का आपको जन्मसिद्ध अधिकार है, और आपको इसे प्राप्त करना चाहिए, आपको यह क्यों नहीं मिलना चाहिए?
यह अति भाग्यशाली समय है कि आप यहाँ हैं । ये बहुत ख़राब आधुनिक समय है जिसे घोर कलियुग कहते हैं, और इस दिन, इस समय केवल, आपको अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त करना है, यह पहले से ही भविष्यवाणी की गई है। लेकिन, यह जिस तरह से लोगों को कुछ पसंद नहीं है: कि अचानक ' मैंने कहीं प्रकाश देखा, ' ' मैं हवा में उड़ रहा था, ' यह सब व्यर्थ की बात है । आपको ज्ञानवान् बनना है, सर्वप्रथम। सबसे पहले, जब आप अपने हाथ में शीतल चैतन्य लहरियों का अनुभव करते हैं, तो आप जानते हैं कि यह यहां आपकी उंगलियों पर कहाँ से आ रहा है ?और आपके सात चक्र हैं, ठीक यहाँ पर, सात चक्र। अब, ये दो दाएं और बाएं अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र हैं जो आप देख रहे हैं । और, आप जानते हैं कि जब कुंडलिनी उठती है तो वह आपके परानुकंपी तंत्रिका तंत्र को जागृत करती है, जिसके विषय में चिकित्सक कुछ नहीं जानते हैं। जब यह परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र जागृत होता है तो आप उस परानुकंपी तंत्रिका तंत्र के स्वामी बन जाते हैं। आप अपने भीतर सब कुछ नियंत्रित कर सकते हैं, आप अपने विषय में सब कुछ जान सकते हैं। उदाहरण के लिए: यह आपके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक होने का प्रतीक है ये सभी चक्र, ये सभी केंद्र - भी, आपके आध्यात्मिक होने के लिए। तो, आप अपनी उंगलियों के पोरों (अंग्रेजी भाषा में बहुत अच्छी शब्दावली) पर बहुत आसानी से जान जाएंगे। अपनी उंगलियों के पोरों पर आपको ज्ञात हो जाएगा कि आपके साथ क्या ग़लत है, कौन से चक्र पकड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त, आप पता लगा सकते हैं कि दूसरों के साथ क्या समस्या है, क्योंकि आप वास्तव में सामूहिक बन जाते हैं, न कि इस तरह - ' हम सभी सामूहिक हैं और एक साथ लड़ रहे हैं, ' इस तरह का कुछ भी नहीं । आप वास्तव में सामूहिक हो जाते हैं । सम्पूर्ण विश्व में आप सामूहिक हो जाते हैं। संभव है , आप न्यूयॉर्क में बैठे हों, लेकिन, आप नहीं जानते, कि संपूर्ण विश्व में आपके मित्र हैं । केवल मित्र नहीं, बल्कि वे आपके अपने ही हैं । वे आपके विषय में सब जानते हैं, आप उनके विषय में जानते हैं। यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकते हैं (जो आप सहज योग के माध्यम से कर सकते हैं), तो आप दूसरों के चक्रों को ठीक कर सकते हैं । लोगों को स्वयं पर कोई विश्वास नहीं है मुझे लगता है, जिस तरह से वे सभी व्यर्थ बातें स्वीकार करते हैं । आपको स्वयं पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए और स्वयं के लिए यह जानना चाहिए कि ये शक्तियां आपकी अपनी हैं। इसके लिए, आप को कुछ भी देने की आवश्यकता नहीं है, आप को किसी के अधीन होने की आवश्यकता नहीं है, इस प्रकार का कुछ भी नहीं है, लेकिन आप स्वयं अपने ही गुरु बन जाते हैं; क्योंकि, आप अपने बारे में जानते हैं, फिर आप दूसरों के बारे में जानते हैं, और आप इन चक्रों की समस्याओं से मुक्त होने की विधियाँ भी जानते हैं।
हमारे अन्दर परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र पर स्थित ये अत्यन्त महत्वपूर्ण केन्द्र हैं। मुझे यह अवश्य कहना चाहिए कि व्यक्ति को समझना होगा क पहली गोष्ठी में, मैं आपको इसके विषय में सब कुछ नहीं बता सकती । लेकिन, मैं अचम्भित थी, (अस्पष्ट) देशों की तरह, (वास्तव में) रूस जैसे देश, वे बहुत गहन, गहन लोग हैं । मैं नहीं जानती कि वे इतनी गहनता में कैसे उतर गए हैं? सम्भव है कि इस साम्यवाद ने उन्हें इतना आहत किया हो कि वे अपने अंदर चले गए। बहुत गहनता में। कल्पना कीजिए, एक दिन रूस सहज योग में सबसे महान देश होगा, मैं ऐसा सोचती हूं। निस्संदेह, भारत में, क्योंकि वे जानते हैं कि यह क्या है, मैं भारतीयों के विषय में नहीं कह सकती, लेकिन अन्यथा, रूसी अत्यन्त गहन हैं, और मैं चकित हूं कि अन्य साम्यवादी देशों में यह कैसे नहीं किया जा रहा है, जहां समस्याएं हैं । इसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है। यह आपकी अपनी वृद्धि है, यह आपका अपना विकास है, यह आपका अपना उत्थान है, कि आप स्वयं अपनी एक अवस्था प्राप्त करते हैं; आप कुछ ऐसा बन जाते हैैं जिसके विषय में आप कभी नहीं जानते थे। यह हो जाना मुख्य बात है न कि जो आप करते हैं। चार बजे आप उठते हैं, स्नान करते हैं.. । कुछ नहीं। इन सभी चीज़ों की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है, ये सब कुछ नहीं है, जिसे हम अनुष्ठान के रूप में करते हैं, या हम इसे कह सकते हैं, संस्कृत में इसे कर्मकांड कहा जाता है। उनमें से कई संतों ने इन्हें त्याग दिया है, इन्हें त्याग दिया है कि : ' ये सब नहीं करना है, लेकिन आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें' जो इतना सहज है, इतना सरल है, यह आपका है, लेकिन फिर भी, मैं नहीं जानती कि क्यों लोग आगे नहीं बढ़ते हैं ?
एक और चीज़ है जो घटित होती है: जैसे- लोग आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करते हैं, ठीक है, उसके बाद हम कहते हैं कि 'ठीक है, अब आप हमारे अनुवर्ती कार्यक्रम में जा सकते हैं जहां आप सब कुछ सीखेंगे। आप इस सूक्ष्म ज्ञान में निपुण हो सकते हैं, आपको पूर्ण ज्ञान प्राप्त होगा, और आपको जाना चाहिए और इसे सीखना चाहिए । इसलिए, वे एक या दो दिन के लिए जाते हैं, और वे यह पूछते रहते हैं कि और क्या? आगे क्या? जैसे, अब आपने स्नातक किया है, तो आप कहीं कैसे जा रहे हैं? वास्तव में, ज्ञान आपकी तंत्रिकाओं के माध्यम से कार्य करता है। अब, आप एक प्रोफेसर के समान हो गए हैं, फिर प्रोफेसर क्या कहते हैं?: ' और क्या? उसे बताना है, उसे देना है। यदि हमें सम्पूर्ण विश्व को परिवर्तित करना है, तो जिन्हें साक्षात्कार प्राप्त हुआ है, उन्हें दूसरों की सहायता करनी है। आप सहायता करें। यदि आप इसमें विकसित होते हैं, तो आप सहायता करें। ऐसा नहीं है कि मैं आपको बताती हूं, लेकिन आप सहायता करते हैं, आप देखभाल करते हैं, आप स्वयं सब कुछ व्यवस्थित करते हैं । आप ऐसा करना चाहते हैं क्योंकि आप इतने दयालु और इतने अच्छे हो जाते हैं । और आपके पास शक्तियां हैं, इसलिए आप ऐसा करते हैं। इसके लिए किसी को भी आपको मनाना या आपका मार्गदर्शन करना या आपको अनुशासित करना नहीं है । आप बस इसे प्राप्त करते हैं, क्योंकि आपने अपने अन्दर उस शक्ति को प्राप्त किया है। यह ऐसा है जैसे, आपके पास प्रकाश है तो, ( किन्तु) उजाला नहीं देता है, अब मुझे क्या देखना चाहिए? इसे रोशनी देनी ही है। यदि आप साक्षात्कारी हैं, तो आपको प्रकाश देना है, बस इतना ही; इतना साधारण और अधिक क्या? और क्या...' यहां कोई पाठ्यक्रम नहीं चल रहा है। यह आपका अपना ही अस्तित्व है जो आपके अन्दर है जागृत है, और आपको स्वयं को समझना होगा, आपको यह जानना होगा कि आपको क्या शक्तियां मिली हैं, आप क्या करने में सक्षम हैं । सोचने के लिए : ' हे, मां, कैसे संभव है? हम कुछ भी नहीं हैं, हम हैं... '-ऐसा नहीं है । मैं आपको बता रही हूं, आप महान हैं, आपका जन्म इस समय हुआ है, और आप बहुत ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं जो वास्तविकता है । हमारे पास जो ज्ञान है , वास्तविकता नहीं है । यदि हमारे पास होता तो हम संतुष्ट हो जाते, लेकिन हम नहीं हैं ।
वास्तव में, सर्वप्रथम क्या घटित होता है: आप निर्विचार हो जाते हैं। जब कुंडलिनी इस चक्र को पार करती है, तो आप निर्विचार जागरूक हो जाते हैं। इसका अभिप्राय है कि आप ऐसे व्यक्ति नहीं बनते जो मूर्ख है, लेकिन आप निर्विचारिता में चीज़ों को देखते हैं। आप प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। हमारी अधिकांश समस्याएं प्रतिक्रियाएं हैं । अब, मान लीजिए कि यह एक बहुत ही सुंदर क़ालीन है और मुझे यह पसंद है, लेकिन मान लीजिए कि मैं एक आत्म साक्षात्कारी नहीं हूं। मैं इसे देखती हूं, मैं सोचना प्रारंभ कर देती हूं: ' हे मेरे भगवान! यह कितने का मिला होगा । मान लीजिए कि यह मेरा है, तो मुझे चिंता होगी कि मुझे इसका और सभी प्रकार की चीज़ों का बीमा कराना चाहिए था । लेकिन, मान लीजिए कि मैं एक साक्षात्कारी आत्मा हूं और मैं निर्विचारिता में हूं । फिर मैं क्या करती हूं? मैं केवल देखती हूं, मैं मात्र देखती हूं, और मैं प्रतिक्रिया नहीं करती हूं । और जो आनन्द कलाकार द्वारा इस में डाला गया था वह एकाकार हो जाता है, और आप इसका आनंद उठाते हैं । इसलिए आप आनन्दित होते हैैं, आपको अनुभव मिलता है, आपको आनंद प्राप्त होता है, और आपको शांति प्राप्त होती है । ये बातें बिना शर्त आपके साथ घटित होती हैं, और आप इस पर संदेह नहीं कर सकते । इसके अतिरिक्त, आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है (जैसा कि मैंने कहा है), लेकिन यह एक ओझा के चिल्लाने जैसा नहीं है ' मैं आपका इलाज कर दूंगा ' जैसी कोई बात नहीं! '। यह आपके अपने जन्मजात चक्र हैं जो ठीक हो जाते हैं, और आपको बहुत सुंदर स्वास्थ्य मिलता है। मैं अतिशयोक्ति नहीं करना चाहती, लेकिन यह सत्य है: ऐसे कई लोग हैं जो यहाँ हैं, साथ ही, जो आपको बता सकते हैं कि वे स्वयं सहज योग से कैसे ठीक हो गए! आप स्वयं के गुरु बन जाते हैं। आपको कुछ नहीं करना है। यह स्वयं कार्य करता है । कुछ लोगों का भी विचार है: ' यह हमारे लिए बहुत सूक्ष्म है, मां । इससे अच्छा है कि हम पाँच घंटे के लिए अपने सिर पर खड़े हो सकते हैं-कि हम कर सकते हैं । ' इसलिए, कोई शारीरिक परिश्रम नहीं है, कुछ भी नहीं है । कुंडलिनी आपको कष्ट पहुंचाए बिना, स्वयं उर्ध्वगामी होकर आपको यह अनुभव देगी, मेरा विश्वास करें। सर्वप्रथम स्वयं पर विश्वास रखें, आप देखें, कि ऐसा होगा। और यह घटित होगा, मुझे विश्वास है कि आप सब इसे आज रात यहां प्राप्त कर सकते हैं ।
प्रश्नों का भी कोई अंत नहीं है। दूसरे दिन, मैं उनसे कहती हूँ कि मुझसे प्रश्न पूछें। वे एक के बाद एक प्रश्न पूछने में व्यस्त रहते हैं- 'आप इस गुरु के बारे में क्या सोचते हैं? आप उस मिकी के बारे में क्या सोचते हैं... ', मैंने कहा: ' आपको उन सब से क्या मिलता है? मुझे ज़रा बताएं । ' बस यही। । हर प्रकार के अजीब विचार आपके मस्तिष्क में आते हैं क्योंकि आप अभी भी प्रतिक्रिया कर रहे हैं। आप हर समय प्रतिक्रिया कर रहे हैं, और प्रतिक्रिया के कारण, आपके अंदर संस्कार और आपका अहंकार कार्यान्वित होता है । जैसे आपके संस्कार होंगे वैसी ही आप प्रतिक्रिया करेंगे। यदि आपके संस्कार ऐसे हैं कि आपको कोई चीज़ पसंद नहीं है तो, है, ठीक है, आप इसे पसंद नहीं करेंगे। लेकिन क्यों? आपको पसंद क्यों नहीं है? आप कारण नहीं बता सकते। अन्यथा, यह अहंकार ही है; कि अगर आपका अहंकार बहुत बड़ा है, और तो आप कहेंगे कि ' नहीं! मै इसे समझ नहीं सकता। मैं इसे पसंद नहीं कर सकता । तो कृपया, अपने बारे में जागरूक रहें। । मेरा अभिप्राय है, इस तरह हम अनावश्यक रूप से अहंकारी विचारों से स्वयं को दंडित करते हैं: ' मैं महान हूँ, मैं यह हूँ, मैं वह हूँ कि... ' । और हम एक बहुत ही मिथ्या जीवन जीते हैं। आइए हम वास्तविकता की ओर चलें । और हमें अपने अन्दर इस वास्तविकता को स्थापित करना होगा और शुद्ध विद्या का आनंद लेना होगा।
इसलिए, इस अल्प समय में, (मैं नहीं जानती) मैं आपको सब कुछ समझाना नहीं चाहती। इसके अतिरिक्त, आपको बाद में स्वयं के विषय में जानना चाहिए। यह स्वयं के विषय में एक बहुत अच्छी यात्रा है जब आपको ज्ञात होता है कि आप क्या हैं, आप क्या रहे हैं, और आपको क्या होना चाहिए । तो, यह पुनरुत्थान का समय है जिसके विषय में मैं बात कर रही हूं, जहां आपके हाथों से चैतन्य लहरियां आनी चाहिए (मोहम्मद साहब ने स्पष्ट रूप से कहा है)। मैं उन्हें मुसलमान नहीं मानती, जिनके , इस कियामा के समय में, इस पुनरुथान के समय में, हाथों में शीतल चैतन्य लहरियां नहीं आती हैं । ईसा मसीह ने भी यही कहा है। मेरा अभिप्राय है, ऐसा कोई और नहीं है जिसने यह कहा हो कि ' स्वयं को न जानिए, स्वयं के विषय में ज्ञान प्राप्त न करें। ' (मेरा मतलब है असली लोगों को यह है । झूठे लोगों को केवल पैसे की तलाश है, या, मैं नहीं जानती कि और क्या वे चाहते हैं) । तो, आप एक बहुत ही दयालु और एक अद्भुत, सुंदर, मधुर व्यक्ति बन जाते हैं; न केवल अपने लिए, बल्कि आप सभी के लिए। मैं नहीं जानती कि मैं आपको कैसे बताऊं कि कैसे लोग एक दूसरे के प्रति इतने सुंदर और इतने दयालु बन गए । मैंने उन्हें कभी झगड़ा करते नहीं देखा है (या, खूब मज़ाक़ करके एक दूसरे की टांग खींचते हुए, ।, बस इतना ही ), लेकिन मैंने कभी भी उन्हें लड़ते हुए नहीं देखा है, अपशब्दों का प्रयोग करके । और इस तरह के अच्छे विवाह, और सुंदर बच्चे। हमें बहुत सुंदर संसार बनाना है, और संपूर्ण विश्व को परिवर्तित करना होगा। मैं प्रयत्न कर रही हूँ (मैं अपनी उम्र को जानती हूं, मैं बहुत वृद्ध हो गई हूँ ), इतने वर्षों से मैं प्रयास कर जा रही हूं , करती जा रही हूँ, और मैं चाहती हूं कि इस देश के लोगों को, जो बहुत विकसित और बहुत बुद्धिमान माने जाते हैं, समझना चाहिए कि यह समय उनके लिए उत्तरदायित्व का है कि वे सहज योग को गंभीरता से लें, इसे अपने अंदर स्थापित करें, और संपूर्ण विश्व की सहायता करने का प्रयास करें । अन्य सभी दान व्यर्थ हैं। सभी दान व्यर्थ [अस्पष्ट] हैं । सबसे बड़ा दान लोगों को आत्म साक्षात्कार देना और उसका आनंद लेना है। आपने जो कुछ भी पढ़ा है (मैं जानती हूं कि आप साधक हैं जिन्होंने सभी प्रकार की चीज़ें पढ़ी होंगी), आपने जो कुछ भी किया है, बस उसे भूल जाइए। हम वर्तमान की बात कर रहे हैं। वास्तव में, भविष्य वहां नहीं है, और अतीत को भी ,अतीत को भूल जाइए । एक और बात यह है : कुछ भावनाएँ , जो हम में हैं, वे वास्तव में ग़लत हैं । उनमें से एक है स्वयं को दोषी मानना । हमने दोषी महसूस करने के लिए क्या किया है? यह आकर्षक है! विशेष रूप से पश्चिम में, लोग स्वयं को दोषी मानते हैं. ।यहाँ तक कि,यदि आपसे थोड़ी सी कॉफी फैल गई, वे जीवन भर स्वयं को दोषी मानते हैं । मुझे समझ नहीं आ सकता! लेकिन वे हैं, वे इस बिंदु पर बहुत संवेदनशील हैं: कि ' मैं बहुत दोषी हूं, मां । किस लिए? आपने क्या किया है? आपने कुछ भी ग़लत नहीं किया है, आप दोषी क्यों हैं? यदि आप दोषी हैं, तो आपको भी नहीं आना चाहिए था। आप यहाँ क्यों हैं? - ऐसे ही। अब कृपया दोषी बिल्कुल न अनुभव करें। अतीत में जो कुछ हुआ है, उसके विषय में दोषी अनुभव करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता । आज अतीत को समाप्त कीजिए, अब आपको वर्तमान में होना होगा। दूसरी बात यह है कि : यदि मैं कहती हूं कि कृपया सभी को क्षमा कर दें । फिर आप कह सकते हैं कि क्षमा करना बहुत कठिन है, लेकिन तार्किक रूप से आप क्या करते हैं? क्षमा करें या क्षमा न करें: आप कुछ भी नहीं करते । कुछ नहीं! यह केवल आपका अपना मानसिक विचार है कि ' ओह, मैं क्षमा नहीं कर सकता।परिणामस्वरूप, आपको हानि उठानी पड़ती है। आपको बहुत कष्ट होता है क्योंकि आप क्षमा नहीं करते। तो, क्यों... आप सिर पर? बस क्षमा कर दीजिए, क्षमा कर दीजिए और सबको क्षमा कर दीजिए। बस इतना कहना है कि 'मां, मैं सबको क्षमा करता हूँ', और आप चकित हो जाएंगे कि एक बड़े सिरदर्द से मुक्त हो गए हैं जिसे आप ढो रहे थे ।। मैं आपको आश्वासन दे सकती हूँ, यदि आप अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर लेते हैं: आप जान जाएंगे कि आप कितने सुंदर व्यक्ति हैं, आप कितने अच्छे इंसान हैं। ये सारी भयानक चीज़ें जैसे ईर्ष्या और वासना और लालच और ये सब समाप्त हो जाता है। । आप एक शुद्ध व्यक्ति , शुद्ध प्रेम बन जाते हैं । जो आपका शेष है, वह आपको मिलना ही चाहिए ।
इसलिए हमें सम्पूर्ण विश्व को परिवर्तित करना होगा। हमें इस संसार को अत्यन्त बुद्धिमान, मधुर लोगों की एक सुंदर दुनिया में परिवर्तित करना है।। यह किसी भी कठिनाई के बिना किया जा सकता है यदि आप केवल अपने स्वयं के महत्व को स्वीकार करते हैं, स्वयं को स्वीकार करते हैं । और आत्मा बहुत सुंदर है। आत्मा के प्रकाश में, आप बहुत सारी चीज़ें देख सकते हैं, क्योंकि जब आप उस प्रकाश में आलोकित होते हैं, तो आप स्वयं उन चीज़ों को त्याग देते हैं जो आप में विनाशकारी हैं, और आप सकारात्मक चीज़ों को ग्रहण करते हैं जो आपको सुधारती हैं। और आप कभी असफल नहीं होते, सहज योग में यही मुख्य बात है, आप इसमें असफल नहीं होते । एक बार जब आपको परमात्मा का आशीर्वाद मिल जाता है, तो कभी उद्यम में, हर प्रकार के कार्य को आप करना चाहते हैं, आप कभी असफल नहीं होंगे, क्योंकि आपके लिए सुरक्षा है, वे आपके लिए मार्गदर्शन कर रहे हैं, और साथ ही, पूर्ण ज्ञान जिसके द्वारा आप चीज़ों को स्पष्ट रूप से देखते हैं। मैं नहीं जानती कि मुझे आपको तुर्की के विषय में बताना चाहिए, जहां बड़ा, बहुत बड़ा भूकंप आया था । तुर्की में बहुत सारे सहज योगी हैं। उन्हें मुसलमान माना जाता है, लेकिन वे सहज योगी हैं। और एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई और एक भी सहज योगी का घर नष्ट नहीं हुआ । ऐसा कई अन्य स्थानों पर भी हुआ है, लेकिन यह आपको बताने वाली बात है कि आप सुरक्षित हैं। आप यह विश्वास कर सकते हैं, या नहीं, लेकिन एक बार जब आप अपने हाथ में शीतल चैतन्य लहरियाँ अनुभव करते हैं, तो आप जानते हैं कि आप संरक्षित हैं, यह आपकी देखभाल करेगा। लेकिन, आपको बस इसे अनुभव करना होगा। और कृपया दोषी अनुभव करके स्वयं की भर्त्सना न करें, या, कृपया किसी भी अवसर पर यह कहने का प्रयास न करें कि मां, मैं क्षमा नहीं कर सकता । सहज योग की ये दो शर्तें (यदि आप जानना चाहते हैं) हैं। यह केवल कुछ ही समय में कार्य करेगा, और मुझे लगता है, आपको कुछ और बताने की अपेक्षा, क्यों नहीं आपको आत्म साक्षात्कार दिया जाए, और यह करना बहुत सरल है । एक और बात यह है कि मैं आपको बाध्य नहीं कर सकती, विवश नहीं किया जा सकता । आपको इसकी इच्छा होनी चाहिए, क्योंकि कुंडलिनी आप में शुद्ध इच्छा है। शेष सभी इच्छाएं व्यर्थ हैं, क्योंकि, उनकी पूर्ति होने पर भी हम संतुष्ट अनुभव नहीं करते। लेकिन, यह कुंडलिनी शुद्ध इच्छा है, इसलिए यदि आप इच्छा करते हैैं, तभी यह कार्यान्वित हो सकती है। मैं इसे आप पर ज़बरदस्ती नहीं कर सकती, मैं नहीं कर सकती, और न ही मैं करूंगी । इसलिए जो लोग आत्म साक्षात्कार नहीं चाहते हैं, उन्हें हॉल छोड़ देना चाहिए, यह दूसरों के लिए अच्छा होगा, मैं अनुरोध करूंगी । लेकिन, जो लोग चाहते हैं उन्हें रहना चाहिए और उन्हें आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना चाहिए और फिर इसमें उत्थान प्राप्त करना चाहिए। क्योंकि, जिस प्रकार एक बीज अंकुरित होता है और उसकी जड़ें हैं । अधिक से अधिक आप एक माह में उत्थान को प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन समर्पण और समझ के साथ, यदि आप इसे करते हैं, तो निःसंदेह आप एक गुरु बन सकते हैं, मुझे इस पर विश्वास है: आप सभी गुरु बन सकते हैं और आप अपने परिवार की सहायता कर सकते हैं, अपने पड़ोसियों की सहायता कर सकते हैं, अपने मित्रों की सहायता कर सकते हैं, सम्पूर्ण देश की सहायता कर सकते हैं, अखिल विश्व की सहायता कर सकते हैं। यही आपकी स्थिति है, मेरे विचार से सभी साधकों की यही स्थिति बननी है।
इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि आप सभी को क्षमा करें और दूसरा, दोष भाव न लाएं । तात्पर्य है : स्वयं को क्षमा कर दें । बस स्वयं को क्षमा कर दें। इन दो बिंदुओं पर केवल मेरी बात सुनिए, और आप अच्छा कर पाएंगे।