We Have To Be Transformed

We Have To Be Transformed 2001-07-14

Location
Talk duration
85'
Category
Public Program
Spoken Language
English

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

14 जुलाई 2001

Public Program

Royal Albert Hall, London (England)

Talk Language: English | Translation (English to Hindi) - Draft

रॉयल अल्बर्ट हॉल में सार्वजनिक कार्यक्रम। लंदन (यूके), 14 जुलाई 2001.

मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप में से कुछ ने सत्य पाया है, आप में से कुछ ने इसे पूरी तरह से नहीं पाया है, और आप में से कुछ ने इसे बिल्कुल नहीं पाया है। लेकिन अगर आप आज की स्थिति में चारों ओर देखते हैं, तो आपको सहमत होना पड़ेगा कि बड़ी उथल-पुथल चल रही है। देशों के बाद देश सभी प्रकार की गलत चीजों को अपना रहे हैं। कोल्ड वॉर जारी है, लोग एक-दूसरे को मार रहे हैं, खूबसूरत जगहों को नष्ट कर रहे हैं, एक-दूसरे का गला काट रहे हैं। वे सभी मनुष्य ईश्वर द्वारा निर्मित हैं। सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उन्हें बनाया है और उन्हें मानवीय जागरूकता के इस स्तर पर लाया है।

इस मोड़ पर कोई यह नहीं देख पाता है कि हम सामूहिक रूप से कहां जा रहे हैं। यही है, हमें कहाँ पहुँचना है - या क्या यही हमारी नियति है? क्या यही मनुष्य की नियति है, भूमि या किसी और चीज की खातिर आपस में संघर्ष कर नष्ट हो जाना? पूरी दुनिया को एक मानें, और सोचें कि क्या हो रहा है: हर दिन जब हम अखबार पढ़ते है तो, भयानक खबरें सुनते हैं कि, हर दिन लोग बिना किसी तुक और कारण के आपस में भयानक बर्ताव कर रहे हैं ।

हमें सोचना होगा, नियति क्या है? हम कहां जा रहे हैं? क्या हम नर्क जा रहे हैं या स्वर्ग जा रहे हैं? हमारी स्थिति क्या है? क्या हम इसमें मदद कर सकते हैं? मनुष्यों के साथ क्या गलत है वे अभी भी अज्ञान के पूर्ण नियंत्रण में हैं। मैं इसे अज्ञानता कहूंगी। और उस अज्ञान में, उस अंधेरे में, वे ये भयानक काम कर रहे हैं। कोई भी यह समझना नहीं चाहता है कि हम जो कर रहे हैं वह पूर्ण विनाश के अलावा कुछ नहीं है। क्या यह हमारी नियति है, कि हम पूरी तरह से नष्ट होने वाले हैं? हम क्या अच्छा कर रहे हैं? किसी प्रकार की राष्ट्रीयता या शायद किसी धर्म के नाम पर - ऐसी सभी प्रकार की चीजें जो अच्छी हैं - लेकिन हम सभी गलत काम कर रहे हैं। लड़ाई। लड़ाई ही इकलोती बात नहीं है। हम घृणा करते हैं। कोई भी व्यक्ति जो हमारी घृणा को उत्तेजित कर सकता है, वह बहुत प्रशंसनीय है, बहुत पसंद किया जाता है, और उसके मार्गदर्शन में हम समूह बनाते हैं।

यह सब इसलिए आ रहा है क्योंकि यह अंतिम न्याय है। मैंने आपको बताया है कि यह अंतिम निर्णय है। और यह अंतिम निर्णय वास्तव में तय करेगा कि किसे बचाया जाए और किसे पूरी तरह से समाप्त किया जाए। यह बहुत गंभीर बात है। जो लोग जागरूक हैं, उन सभी को इसके बारे में सोचना चाहिए। यहां पर थोड़ी मरम्मत यहाँ थोड़ी मरम्मत वहाँ से मदद मिलने वाली नहीं है। जो भी आप कोशिश करें, जहाँ तक और जब तक आप मनुष्य को परिवर्तित नहीं करते हैं, तब तक उन्हें बचाया नहीं जा सकता। यह परिवर्तन एक असंभव बात नहीं है - यह मुश्किल नहीं है। यह परिवर्तन का समय है, यह परिवर्तन का मौका है। और हमारे भीतर उस शक्ति को रखा गया है, जिसका कि ताओ ने भी वर्णन किया है, हमारे भीतर रहस्यमय स्त्रैण शक्ति है। उन सभी ने इसका वर्णन किया है, मैं ऐसा कहने वाली पहली व्यक्ति नहीं हूं; लेकिन शायद कोई भी अब तक इसे समझने या इसे स्वीकार करने में सक्षम नहीं हो पाया है, कि यह घटना आपके साथ घटित होना चाहिए।

आप न केवल मनुष्य होने के लिए पैदा हुए हैं, बल्कि आपको महा-मानव होना होगा। आपको स्व का आनंद लेना है। आपका जीवन सुखद होना चाहिए, आनंदित होना चाहिए। यह अभिशाप नहीं होना चाहिए: सुबह से शाम तक इस बारे में चिंतित, उस के बारे में चिंतित। इस के लिए तुम्हारी रचना की गई है। परमेश्वर का ऐसे लोगों को बनाने का कोई इरादा नहीं था जो हर समय चिंतित रहेंगे कि कैसे झगड़ा किया जाए, कैसे लड़ा जाए, कैसे बचाया जाए; बल्कि ऐसे लोग जो पूर्ण सद्भाव, शांति और आनंद में रहेंगे। इसलिए हम निर्मित हैं। यह हमारी नियति है - अर्थात, यह मैं केवल आपको बता नहीं रही हूं, बल्कि यह एक तथ्य है। तो हमें होना है, हमें रूपांतरित होना है। यह परिवर्तन कठिन नहीं है। लेकिन मैं जो पाती हूँ कि, लोग किसी भी चीज से संतुष्ट हो जाते हैं। हिंदू मंदिर जाएंगे; वे सोचेंगे, "ओह, हमने बहुत अच्छा काम किया है।" ईसाई चर्च में जाते हैं; वे सोचेंगे कि उन्होंने बहुत अच्छा किया है। मुसलमान जाकर प्रार्थना करेंगे और सोचेंगे कि वे महान हैं। उन्होंने क्या हासिल किया है? कृपया अपना सामना करें। अपनी सीमाओं का सामना करें। अपने क्लेशों का सामना करें। अपनी समस्याओं का सामना करें और खुद देखें कि: क्या आप अपनी समस्याओं को हल कर पाए हैं? क्या आप विपत्तियों से खुद को बचा पाए हैं? हो सकता है कि बड़ी विपत्तियाँ उन लोगों को नष्ट करने के लिए आ सकती हैं, जो नुकसान कर रहे हैं, हो सकता है। यही ईश्वर की इच्छा हो सकती है। लेकिन आपकी इच्छा क्या है? आप ऐसा क्यों नहीं सोचते हैं कि "मुझे एक ऐसा व्यक्ति बनना है जो एक स्त्रोत्र है, जो आनंद और प्रेम का स्रोत है"?

मैं केवल बात नहीं कर रही हूं, बल्कि मैं चाहती हूं कि आप सभी अपना आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करें। क्या है आत्मसाक्षात्कार - अपनी आत्मा को जानना है। आप अपने आप को नहीं जानते। तुम्हें पता नहीं है। आप अपने आत्मा को जाने बिना इस दुनिया में रह रहे हैं - क्या आप कल्पना कर सकते हैं? आप नहीं जानते कि आप क्या हैं। तुम नहीं जानते कि तुम आत्मा हो, और तुम ज्ञान के स्रोत हो, शुद्ध ज्ञान के।

मैं पाती हूँ कि, लोग एक सभा में बैठ, किसी बाबा जी की बात सुनकर जो उन्हें कुछ कहानी सुना रहे हैं, बहुत खुश हैं। ऐसा करना आपको वास्तविकता और सच्चाई देने वाला नहीं है। यदि आप वास्तविकता और सच्चाई चाहते हैं, तो कृपया यह समझने की कोशिश करें कि आपके साथ कुछ घटित होना है, कुछ परिवर्तन होना है। आप अभी तक पर्याप्त कुशाग्र नहीं हैं, आपको ऐसी संवेदनशीलता नहीं मिली हैं, जब तक आप उस अवस्था तक नहीं पहुंच जाते हैं - जिसके लिए आपको अपना परिवार नहीं छोड़ना पड़ता है, आपको अपने बच्चों को छोड़ने की ज़रूरत नहीं है, आपको अपने घर त्याग कर जंगल जाने की ज़रूरत नहीं है। यह सब करने की कोई जरूरत नहीं है। यह कहना अच्छा है कि "ठीक है, आप सभी संन्यास ले लो और वह सब जो आप की सम्पति है मुझे दे दो।" यह कितना मूर्खतापूर्ण विचार है।

आज ये आपात स्थिति हैं। हम एक बहुत ही आपातकाल स्थिति में रह रहे हैं - समझने की कोशिश करें। और मैं आपको चेतावनी देना चाहती हूं कि यदि आप अपने आप में गहन होकर पता नहीं लगते हैं कि, आप क्या हैं, और स्वयं को परिवर्तन में नहीं ले जाते, तो कुछ भी संभव है। तमाम तरह की बीमारियां सामने आ रही हैं, बच्चों की हर तरह की नई समस्याएं सामने आ रही हैं, तमाम तरह की राष्ट्रीय समस्याएं हैं, सभी तरह की अंतरराष्ट्रीय समस्याएं हैं, जिसमें लोग असहाय हैं। इसलिए हमें इससे बाहर निकलना होगा और एक ठोस, सच्चाई का व्यक्तित्व बनना होगा। हम नहीं जानते कि सत्य क्या है। हम उन जानवरों से भी बदतर हैं जिनकी आँखें खुली हैं, जबकि हमारी आँखें बंद हैं। किसी भी तरह से खुद की निंदा नहीं करना है, बल्कि आपको सचेत और जागरूक करना है कि इंसान को बदलना है। अन्यथा यह सिर्फ ऐसा है जैसे कि, तुम मेरे व्याख्यान पर आये हो, कल तुम दूसरे व्याख्यान में आते हो। यह एक अच्छा नित्य का मनोरंजन है। लेकिन जब मैं प्रारब्ध को देखती हूं, तो मुझे नहीं पता कि कितने बर्बाद हो जाएंगे, कितने खत्म हो जाएंगे। उनके साथ क्या होगा? उन्हें क्या-क्या बीमारियाँ होंगी, उन्हें क्या-क्या समस्याएँ होंगी? उनके बच्चों का क्या होगा, उनके देश का क्या होगा और पूरी दुनिया का क्या होगा?

बस अपनी दृष्टि को विस्तृत करो। मेरी दृष्टि यह है कि दुनिया के सभी लोगों को परिवर्तित होना चाहिए। खुद हमारे भीतर हमारे शत्रु हैं, और जब वे जिहाद की बात करते हैं, तो वे बात करते हैं कि आप अपने अंदरूनी शत्रुओं से अपने भीतर लड़ते हैं। ये दुश्मन क्या हैं? इन दिनों, सबसे बुरा लालच है। लोभ है। उस लालच के साथ लोग जो चाहे कर सकते हैं। सभी तरह की चीजें लालच से हो रही हैं। उनके पास पैसा होगा, उनके पास सभी प्रकार की सुविधाएं होंगी, लेकिन फिर भी यह लालच एक ऐसी शैतानी इच्छाशक्ति है कि, आप वह नहीं देखते जो की आपके पास है। बल्कि आप और अधिक चाहते हैं | अधिक से अधिक लोगों को धोखा देकर, अपनी सरकार को धोखा देकर, सभी को धोखा देकर और इसका प्रबंध करते हैं।

फिर, एक और बुरी बात है कि हमारे पास क्रोध है। क्रोध आपको चीजों को उस तरह देखने की अनुमति नहीं देता है जैसे वे हैं। हम छोटी-छोटी चीजों के लिए क्रोध विकसित करते हैं: जैसे आप इस देश में आए हैं - मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो अलग-अलग रंग के कारण नाराज हैं। मैं समझ नहीं पाती। भगवान ने अलग-अलग रंग बनाए हैं; अन्यथा हम सभी एक जैसे दिखते, जैसे कि फौजी और जीवन दुखदायी होता। तो रंग प्रकृति द्वारा बनाया गया है। तो गोरे या अश्वेत - क्या अंतर है? मुझे अभी समझ नहीं आया। चूँकि ऐसी मान्यता चल रही है। इस मान्यता के साथ हम आपस में लड़ रहे हैं। गोरे अश्वेतों से लड़ रहे हैं, और गोरे गोरों से लड़ रहे हैं। और फिर वे धूप में अपनी त्वचा को जलाने के लिए भी जाते हैं, जिससे त्वचा के कैंसर हो जाते हैं। मुझे अभी समझ नहीं आया। कोई बुद्धिमानी नहीं है, हमारे अंदर यह जानने योग्य कोई संतुलन नहीं है कि हम क्या कर रहे हैं। हम इस अनमोल समय को क्यों बर्बाद कर रहे हैं, जब हमें परिवर्तन लाना है? यह क्रोध किसी भी चीज के प्रति हो सकता है; किसी भी बात पर व्यक्ति क्रोध विकसित कर सकता है। यह एक मानवीय असफलता की तरह है, जो बहुत आम है। छोटी से छोटी बात के लिए लोग गुस्से में आ सकते हैं। और वे इसे पसंद करते हैं, क्योंकि इसके साथ वे दूसरों पर अत्याचार कर सकते हैं; वे आक्रामक हो सकते हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि उनके भीतर यह गुस्सा हो, और उस गुस्से के साथ वे दूसरों पर हावी होने की कोशिश करते हैं। यह सबसे बड़ी समस्या है: हम दूसरों पर हावी क्यों होना चाहते हैं, क्यों हम दूसरों पर अत्याचार करना चाहते हैं और क्यों हम दूसरों पर नियंत्रण रखना चाहते हैं? जब हम खुद को नियंत्रित नहीं कर सकते; हम दूसरों को नियंत्रित क्यों करना चाहते हैं? क्या ज़रुरत है?

फिर, वहाँ लगाव हैं: उनके घरों के लिए, उनकी भूमि के लिए, उनके बच्चों के लिए, सब कुछ करने के लिए। लेकिन कल आप यहाँ नहीं होंगे। तुम खुले हाथों से जाओगे। आप अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकते। इसलिए चीजों के प्रति ऐसा लगाव: वे अपनी कारों के बारे में, अपने घर के बारे में, इसे बनाए रखते हैं। लेकिन खुद अपने बारे में क्या? क्या तुम ठीक हो? अंदर, क्या आप बिल्कुल शांत, शांतिपूर्ण और आनंदित हैं? आप दूसरों को नाराज़ करने में अपनी ऊर्जा क्यों बर्बाद कर रहे हैं? यही जीवन का संकेत है जो नष्ट भी हो जाएगा। यदि आप किसी अन्य व्यक्ति को देखते हैं, तो वह कहता है, कमजोरी, पैसे के अलावा, महिलाओं के प्रति - बहुत आम है - या महिलाओं में पुरुषों के प्रति। आकर्षक बनना, किस लिए? हर किसी को बूढ़ा होना है। महिलाओं के पीछे दौड़ने, विपरीत लिंग के पीछे भागने से आपने क्या हासिल किया है? आपको न आत्मसम्मान का बोध है, न सम्मान का भाव है। यदि आप हैं - जब तक आप बहुत अच्छे कपड़े पहनते हैं तो आप अद्भुत व्यक्ति माने जाते हैं। यह तरीका नहीं है। हमें आत्मनिरीक्षण करना होगा और स्वयं देखना होगा कि: हम अपनी ऊर्जा को निरर्थक चीजों में बर्बाद क्यों कर रहे हैं?

मैं जितने लोगों से मिलती हूं, वे वास्तव में आधे पागल हैं और बहुत दूर चले गए हैं; उनमें से कुछ पूर्ण पागल हैं। और वे मुझे क्या बताते हैं, कि वे एक विशेष महिला और एक विशेष पुरुष या किसी भी व्यक्ति से शादी करना चाहते थे, और यही उन्हें मिला। मेरा मतलब है, कितना नाजुक! यह बहुत शानदार नहीं है। तुम्हें अपने भीतर बहुत, बहुत मजबूत होना है। स्वयं को महसूस करो। आपका स्व आत्मा है, आपके भीतर सर्वशक्तिमान ईश्वर का प्रतिबिंब है। आप बहुत मजबूत हो सकते हैं, आप बहुत स्वस्थ हो सकते हैं और आप बिल्कुल संतुलित हो सकते हैं, यदि आप आत्मा बन जाते हैं। आपने आत्मा और आध्यात्मिक जीवन के बारे में बहुत कुछ सुना है - लेकिन क्या आप उस अवस्था तक पहुंच गए हैं?

यहां तक ​​कि जब आप पढ़ते हैं, कहते हैं, ज़ेन प्रणाली, ताओ प्रणाली, बाइबिल, कुरान, कुछ भी, क्या आप जानते हैं कि आत्मा के उस स्तर तक कैसे पहुंचें? अभी तक नहीं। अभी तक नहीं। तुम्हें जानना है कि; क्योंकि तुम बहुत महान हो, तुम बहुत मूल्यवान हो, और तुम बहुत सुंदर हो। लेकिन आपको इसकी जानकारी नहीं है। आपको वो बनना है। वह बनना बहुत महत्वपूर्ण है, और उसके लिए पहले से ही सर्वशक्तिमान परमात्मा ने आपके भीतर व्यवस्था की है जिसे कुंडलिनी कहा जाता है, जिसे जागृत किया जा सकता है, और इसका जागरण आपको आत्म-साक्षात्कार दे सकता है, आपको आत्म-ज्ञान प्रदान कर सकता है जिसे हम आत्म-ज्ञान संस्कार कहते हैं। ” यही आपके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है, यह है। और जब यह मुफ़्त है - आप इसके लिए भुगतान नहीं कर सकते, तो आप कितना भुगतान कर सकते हैं? - जब यह बिल्कुल मुफ्त है, तो क्यों नहीं आप अपना आत्म-साक्षात्कार पाते हैं, और क्यों नहीं आप उन्नत होते हैं? बजाय धर्म के नाम पर लड़ने के।

हर धर्म ने कहा है कि "आप अपने आप को जाने।" मोहम्मद साहब ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है, "पुनरुत्थान के समय आपके हाथ बोलेंगे।" वे क्या बोल रहे हैं? हिंदुओं को इसके बारे में पता है, कि हमें अपना आत्मबल प्राप्त करना है। इन बाबाओं को सुनने और उन्हें पैसे देने का कोई फायदा नहीं है। इस तरह के सभी अनुष्ठान जो हम करते रहे हैं, हमारे पूर्वज करते रहे हैं उनसे: हमने क्या हासिल किया है? कुछ भी तो नहीं।

इसलिए, अब हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि हमें अपना विकास करना है, आत्म-साक्षात्कार तक पहुँचना है। अगर हम परिपूर्ण होते तो कोई समस्या नहीं होती। अगर हम स्वयंभू लोग होते तो कोई समस्या नहीं होती। सभी प्रकार के स्वार्थ, सभी प्रकार की सीमाएँ हमने स्वयं पर डाल दी हैं, सभी प्रकार की जड़ताएं और अहंकार जो हमारे जीवन को चलाते आ रहे हैं और हमें बर्बाद कर रहे हैं, हमें इसे खत्म करना होगा। और एक बार तुम उसके पार हो जाते हो, तुम एकाकार हो जाते हो। किसी को आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि आप एकजुट हो जाएं। आप सभी गलतफहमियों को खो देते हैं। आपकी गलतफहमी यह है कि, "हम इस देश के हैं, हम इस धर्म के हैं, हम उसी के हैं।" आप कुछ भी नहीं हैं। आप का संबंध परमात्मा के राज्य से है। यही आपको हासिल करना है, और आपको वहां होना चाहिए। लेकिन अगर आपको कहानी-सुनना पसंद है, तो इसका कोई अंत नहीं है। लेकिन आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। समय बीता जा रहा है। मैं अब यहां आखिरी बार आयी हूं, मुझे नहीं पता, बीस साल के करीब । मैंने बहुत मेहनत की, लेकिन मुझे क्या लगता है कि लोगों को अहसास नहीं है कि, उनसे क्या अपेक्षित है | वे ऐसे लोगों को पसंद करते हैं जो बस कुछ बहुत सरल कहेंगे - ठीक है, यह थोड़ा मनोरंजन है।

तो पूरी मानवता को समझना होगा कि विनाश की नियति से बचना है। पूर्ण विनाश से बचना है। और सबसे सरल है कि, आप परमात्मा के राज्य में प्रवेश करें - जो बहुत आसान है: आपको कुछ भी भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है, कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है। आप अपना आत्म-साक्षात्कार करते हैं, और फिर घर पर आप लगभग दस मिनट ध्यान लगाकर बिताते हैं। केवल आपका दिमाग हर समय आपके दुर्व्यवहार को उचित ठहरा रहा है। मैं इसे "दुर्व्यवहार" इसलिए कहती हूं क्योंकि यह आपके खिलाफ है। यह परमात्मा की इच्छा के खिलाफ है, यह मानवता के खिलाफ है और यह सभी मनुष्यों को नष्ट कर देगा। इन सभी गलतफहमी को दूर करना होगा, और आपको यह जानना होगा कि हम सभी एक हैं। हम सभी एक हैं, हम सभी वैश्विक हैं, हम रंग, नस्ल या धर्म, राष्ट्र से अलग नहीं हैं - नहीं। हम सब एक हैं, और यह कि ऐसा नारे लगाने या चिल्लाने से स्थापित नहीं होगा, बल्कि होना ऐसा चाहिए कि एकता को अपने भीतर महसूस किया जाए। यह कृत्रिम नहीं है। इसे वास्तविक, बहुत वास्तविक एकाकारिता होना चाहिए, और ऐसा तब होता है जब आप यह महसूस कर लेते हैं कि, आप पूर्ण के अंग-प्रत्यंग हैं।

धर्म आपको जागरूकता के इस स्तर तक लाया है - लड़ाई के लिए नहीं, हत्या के लिए नहीं। क्यों क्यों? इंसान ने खुद को मोड़ दिया है। धार्मिकता के पूर्ण अज्ञान के कारण। खुद के पूरे लालच के कारण: खुद के, या अपने परिवार के, या अपने रिश्ते के। आप खुद को परिसीमित क्यों करना चाहते हैं? आप आत्मा हैं। आत्मा सागर है, ज्ञान का सागर है, प्रेम का सागर है, सभी आशीर्वादों का महासागर है।

इसलिए हमें फैसला करना है। आज मुझे आपसे निवेदन करना है, कि इतना समय नहीं बचा है। हमें यह तय करना होगा कि हमें आत्मा बनना है। यही सभी धर्मों ने सिखाया है। लेकिन यह कैसे करना है, यह इतना समझाया नहीं गया था, और यह काम नहीं किया। उनमें से कुछ को यह मिल गया, लेकिन उन्हें बाहर कर दिया गया। उन्हें कोई नहीं सुनता था। यहां तक ​​कि लोगों ने उन्हें मार डाला और यातनाएं दीं, उन्हें सूली पर चढ़ाया।

लेकिन अब, कृपया, आप सभी अपने जीवन के मूल्य को समझने की कोशिश करें। आप इंसान क्यों हैं? आप क्यों बनाए गए हैं? इसके पीछे उद्देश्य क्या है? क्या हम निरर्थक विचारों से संचालित होने वाले हैं? क्या हम सभी प्रकार के विभाजन कारकों द्वारा नष्ट होने जा रहे हैं? नहीं, नहीं, हम सभी अपना आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने जा रहे हैं, और हम अपने जीवन के मूल्य को समझने जा रहे हैं। समस्या यह है, आप अपने बोध को इस अर्थ में प्राप्त करेंगे कि आपके भीतर शक्ति का उदय होगा। यह बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित है; वास्तव में, परमात्मा एक महान निर्माता हैं। वह कितने संतुलित है और कैसे काम करते हैं यह उल्लेखनीय है। प्रत्येक व्यक्ति में वह किया गया है। ऐसा घटित होना ही, पर्याप्त नहीं है। आप प्रवेश करते हैं, उदाहरण के लिए, एक महल में, फिर आप चक्कर लगाते हैं और खुद देखते हैं कि आप कितने सुंदर हैं, भगवान ने आपके लिए कितनी सुंदर चीजें बनाई हैं। फिर उसमें पनपते हैं। एक बार जब आप उसमें विकसित हो जाते हैं, तो आप महसूस करेंगे कि आप कौन सी बड़ी चीज हैं: सबसे बड़ा रत्न, सबसे बड़ा व्यक्ति, इतना प्यारा। ऐसे कुछ हुए हैं - वे सिर्फ मूर्तियाँ बन गए हैं। कोई भी यह समझने की कोशिश नहीं करता कि वे क्या कर रहे थे, कैसे थे।

इसलिए, आज रात हमें अनुभव, आत्मा का अनुभव हो सकता है। बहुत ही असामान्य, दुर्लभ चीज है। ऐसा कभी नहीं हुआ करता था। लेकिन अब ऐसा है, तो इसका फायदा क्यों नहीं उठाया जाए? कृपया, इसके लिए तैयार रहें, इसे स्वीकार करें, इसे लें, और बनें। बनना ही मुद्दा है। तुम जो बन जाते हो वही मुख्य बात है। और इस पूरी मानव सभ्यता से आप जो समझते हैं, वह आपकी समस्या है, मेरी नहीं। मैं आपकी मदद कर सकती हूं। मैं इसे कार्यान्वित सकती हूं। इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करूंगी कि आप अब आत्म-साक्षात्कार के लिए तैयार रहें। यह बहुत बेहतर है, लेकिन जो नहीं करना चाहते हैं उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता है। इसलिए यह बेहतर है कि ऐसे लोग हॉल छोड़ दें, यदि वे नहीं चाहते हैं तो हॉल छोड़ दें। परमात्मा आप सबको आशिर्वादित करें।

सबसे पहले, आपको कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है - इसका अर्थ यह भी है कि जो कुछ मैंने भी कहा है, उसे भी मत सोचो। अपने विचारों को बहुत शांत रखने की कोशिश करें, और मुझे यकीन है कि आप सभी को अपना आत्म-साक्षात्कार मिल सकता है। लेकिन कितने प्रगति करेंगे ? क्योंकि आपको अनुवर्ती कार्यक्रमों में आना चाहिए, तो आपको केंद्रों में आकर इसका अभ्यास करना होगा - और यह काम करता है। थोड़ा सा समय आपको खुद को और इस वैश्विक समस्या को देना होगा। आपको खुद को उसी के लिए समर्पित करना होगा। बहुत महत्वपूर्ण है: आपको खुद को समर्पित करना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको संन्यासी बनना है या आपको चौबीस घंटे व्यस्त रहना है - कुछ भी नहीं। लेकिन यह समर्पण आपको खुद के साथ, एवं पूरे ब्रह्मांड के साथ ऐसा एकाकार बना देगा कि मुझे आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि आप समर्पित हों - आप खुद ही समर्पित होंगे। यदि आप आत्म-साक्षात्कार नहीं करना चाहते हैं तो कृपया यहाँ न रहें। तुम्हें कुछ नहीं होगा। यदि आप आत्म-साक्षात्कार नहीं चाहते हैं तो कृपया हॉल छोड़ दें।

आपको ऐसा करना है कि, करना कुछ भी नहीं है; अपने हाथों को मेरे तरफ़ रखना। बेशक, अगर आप जूते पहने हैं तो बेहतर तरीका है की उन्हें बाहर निकाल दें, क्योंकि धरती माता बहुत महत्वपूर्ण है। कृपया दोनों हाथों को मेरे तरफ़ रखें। आपको प्रार्थना करने की ज़रूरत नहीं है, आपको कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है; ऐसे ही अपने हाथ मेरे तरफ़ रखो। अब कृपया अपनी आँखें बंद करें। क्या यह महत्वपूर्ण है। कृपया अपनी आँखें बंद करें।

यह शक्ति, कुंडलिनी, त्रिकोणीय हड्डी में रखी होती है, जिसे त्रिकास्थि के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है "पवित्र", और यह पैरासिम्पेथेटिक के छह केंद्रों से गुजरती है, और अंत में फॉन्टनेल हड्डी क्षेत्र के माध्यम से भेदन करती है जो आपके सिर में एक नरम हड्डी थी। जब आप एक बच्चे थे तब, आपके सिर में यह एक नरम हड्डी थी। यह उस में से भेदन करती है, और ईश्वरीय प्रेम की सर्व-व्यापी शक्ति की सूक्ष्म ऊर्जा में प्रवेश करती है। वे इसे भिन्न-भिन्न नामों से पुकारते हैं। वे इसे "परमचैतन्य" कहते हैं - कुछ इसे "चैतन्य" कहते हैं। कुछ इसे "रुह" कहते हैं। आप इसे किसी भी नाम से पुकार सकते हैं - प्रेम, ईश्वर का प्रेम है। एक बार जब आप स्वयं अपने साथ जुड़ जाते हैं, तब आप अपनी उंगलियों पर किसी प्रकार की हवा महसूस करना शुरू करते हैं। कुछ लोग पहले गर्म हो जाएंगे, कोई फर्क नहीं पड़ता; लेकिन फिर यह ठंडा हो जाता है और आप पवित्र भूत(होली घोस्ट) की ठंडी हवा प्राप्त करते हैं, जैसा कि वे इसे कहते हैं। और वह बहने लगती है।

अब आप अपना बायां हाथ उठा कर अपने फॉन्टनेल हड्डी क्षेत्र के ऊपर रख सकते हैं। अपनी आँखें बंद रखें, और स्वयं महसूस करें कि क्या आपके सिर से ठंडी या गर्म हवा निकल रही है। आप अपना हाथ हिला सकते हैं। अब अपने दाहिने हाथ से महसूस करें कि क्या आपके फॉन्टनेल हड्डी क्षेत्र से ठंडी या गर्म हवा निकल रही है, जो आपके बचपन में हड्डी नरम थी। अपने आप को देखो। अपना सिर झुकाओ; झुकना बेहतर है कृपया अपना सिर झुकाएं। फिर से अपना दाहिना हाथ मेरे तरफ़ रखें और बाएं हाथ से स्वयं महसूस करें कि क्या आपके सिर से ठंडी हवा निकल रही है। यदि यह गर्म है तो सब ठीक है, कोई फर्क नहीं पड़ता। यह तुम्हारे भीतर की गर्मी के कारण आ रहा है।

अब उन सभी को जो अपने हाथों या अपनी उंगलियों पर या फॉन्टनेल हड्डी क्षेत्र से बाहर ठंडी या गर्म हवा महसूस करते हैं - यह असली बपतिस्मा है - कृपया अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं। जरा सोचिए: आप वे सैनिक हैं जो दुनिया को उसके विनाश से बचाने जा रहे हैं। अपने महत्व को समझने की कोशिश करें। आप अपना हाथ नीचे रख सकते हैं। व्यावहारिक रूप से सभी ने इसे महसूस किया है। इसका मतलब है कि आप अपने आध्यात्मिक जीवन को पाने के लिए पहले से ही परिपक्व हैं। आप इसके कगार पर हैं। इसीलिए आपको यह मिला। यह वास्तविकता के लिए अंतिम छलांग है।

अब, आपको पता होना चाहिए कि यह क्या है, आप क्या हैं, आपकी आत्मा क्या है और आप क्या कर सकते हैं; आपकी शक्तियाँ क्या हैं, आध्यात्मिक शक्तियाँ क्या हैं। इसके लिए सबसे पहले मैं आपसे अनुवर्ती कार्यक्रम में आने का अनुरोध करूंगी, और उसके बाद आप उन केंद्रों में से जो आपके करीब हैं और इस पर काम कर रहे हैं, किसी एक में शामिल हो सकते हैं । हमें पूरी दुनिया के लिए काम करना है। आपको पता होना चाहिए कि अस्सी देश हैं जो सहज योग का अनुसरण कर रहे हैं। और आश्चर्यजनक रूप से, बेनिन जैसा अश्वेत बहुल देश में, हमारे पास बीस हज़ार सहज योगी हैं। केवल तीन साल पहले मैंने वहां शुरुआत की थी। और इंग्लैंड में करीब सोलह वर्ष से अधिक समय से मैं यहाँ काम कर रही हूँ, और उसके बाद भी: हर समय, हर साल। लेकिन किसी तरह उनका विकास बहुत अधिक है, लेकिन सूक्ष्म विकास नहीं, अपने भीतर नहीं। विकास भीतर होता है, और आप आनंद लेंगे, वास्तविकता का बहुत आनंद पायेंगे। वास्तविकता सुंदर है, बिल्कुल सुंदर है।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करें।

वे एक गीत गाना चाहते हैं जो भारत में एक संत द्वारा बारहवीं शताब्दी में लिखा गया था और सभी गांवों में गाया जाता है, लेकिन कोई भी इसका अर्थ नहीं जानता है। तात्पर्य यह है कि “हे माता, मुझे योग दो, 'जोगवा’ - मुझे योग दो। मैं अपनी बुरी आदतें छोड़ दूंगा। मैं अपना क्रोध छोड़ दूंगा। मैं त्यागता हूँ... ”आपको ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है। अब आप अपने आप छोड़ देंगे। प्रकाश, जो आपके पास है, स्वयं, आप स्वचालित रूप से छोड़ देंगे। आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपको ध्यान करना होगा। लगभग दस मिनट, यह ज्यादा नहीं है। ("जोगवा" आप गा सकते हैं?) वे बहुत आनंद से भरे हुए हैं इतने कि, वे गाते जाते हैं, हर समय गायन करते रहना चाहते हैं।

Royal Albert Hall, London (England)

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