Two minds, lying vertically parallel on both the sides of the Sushumna 1975-02-19
19 फ़रवरी 1975
Public Program
Bharatiya Vidya Bhavan, मुंबई (भारत)
Talk Language: English
सुषुम्ना के समानांतर दोनों तरफ स्थित दो मन
मुंबई, भारत, 19-02-1975
कल मैंने आपको हमारी रीढ़ की हड्डी में कुंडलिनी की स्थिति के बारे में और यह क्यों मौजूद है, और इसके कार्य क्या हैं, बताया। ईश्वर ने मनुष्य को अपनी ही छवि में बनाया है और ये सभी चीजें जो मैंने आपको कल बताई हैं, वे सबसे पहले विराट के शरीर में निर्मित हुई हैं, जो कि ईश्वर का वह पहलू है जिसमें वह सब जो निर्मित है, विद्यमान रहता है।
लेकिन हम देखें कि, इंसानों में यह कुंडलिनी किस तरह से आई। जैसा कि मैंने कल आपको बताया था कि शरीर में तीन शक्तियां मौजूद हैं और सबसे महत्वपूर्ण मध्य वाली है जो कि महालक्ष्मी के रूप में अवतरित हुई है जिसने हमें एक अतिमानव के रूप में विकसित होने में मदद की। उस चैनल को सुषुम्ना के रूप में जाना जाता है जो मैंने आपको मध्य में दिखाया है। और नाभी बिंदु और कुंडलिनी के निवास के बीच एक दूरी है। उस चैनल का यह भाग या आप कह सकते हैं कि ऊर्जा यहाँ स्थित रहती है और कुंडलिनी, जिसका उपयोग तब तक नहीं किया जाता है जब तक कि आपको किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका नहीं मिलता है जो आपको आत्म-साक्षात्कार दे सकता है और केवल उसी समय कुंडलिनी उठती है।
ये दोनों मनोवैज्ञानिक रूप से हमारे भीतर मौजूद हैं। एक रचनात्मक शक्ति है जिसके द्वारा हम सोचते हैं, या हम अग्रचेतन मन कह सकते हैं, मन वह डाकिया है जो हर पल चेतन मन से कुछ प्राप्त कर रहा है और अवचेतन मन में डाल रहा है।
उदाहरण के लिए, आप मुझे सुन रहे हैं, आप मेरी ओर ध्यान दे रहे हैं। मैं कुछ बात कर रही हूं, आप इसे मुझसे प्राप्त कर रहे हैं और यह आपके अतीत में जा रहा है। फिर से आप मुझसे प्राप्त कर रहे हैं और यह अतीत में जा रहा है। तो यह अग्रचेतन मन का प्रतिनिधित्व करता है जबकि दूसरा आपके सभी अनुभवों का भंडारण अवचेतन मन है।
हमारे दो मन हैं, सुषुम्ना के दोनों ओर लंबवत पड़े हुए हैं। यह उन सबसे महान तथ्यों में से एक है कि, आपको सुषुम्ना नाड़ी में, वर्तमान क्षण में जाना होगा, और जिसे परमात्मा को खोज रहे अधिकांश लोगों ने नहीं समझा है। और यह क्षण जब तुम मुझे क्षण-क्षण सुन रहे हो, तुम इस चेतन मन को जी रहे हो, उस चेतन मन को देखने के लिए और उस बिंदु पर रहने के लिए अवचेतन में या अग्रचेतन में जाने की आवश्यकता नहीं है।
अग्रचेतन मन को नियंत्रित करने की आवश्यकता नहीं है। यही मन है, न तो आपके लिए अवचेतन मन में जाना आवश्यक है, क्योंकि ये सिद्धियाँ और चीजें पाना ऐसी बात हैं जैसे भुत विदध्या और प्रेत विदध्या पर जाना। दोनों चीजें बिल्कुल भी आवश्यक नहीं हैं, इसके विपरीत, जो लोग इन दिशाओं पर जाते हैं वे कुंडलिनी को देखने में सक्षम हो सकते हैं, वे पिछले दरवाजे से सभी चक्रों को देखने में सक्षम हो सकते हैं, जबकि मध्य में जब आप सुषुम्ना नाड़ी में उन्नति करते हैं तब आपको कुछ भी दिखाई नहीं देता है लेकिन बस आप बाहर छलांग लगा जाते हैं। बाद में आप नीचे भी आ सकते हैं और यह सब देख भी सकते हैं।
उदाहरण के लिए, मैं लंदन में रहती हूं। मेरे घर से, स्टेशन लगभग दस मील की दूरी पर है। कुछ लोग, आगंतुक मुझे मिलने आ रहे हैं, इसलिए मुझे स्टेशन पर उन्हें स्वागत करना है। मैं वहां जाती हूं, उन्हें प्राप्त करती हूं और वे मेरे घर आते हैं, सीधे। आप लंदन के बारे में जानते हैं कि सड़कों पर कोई नहीं दिखता है। यह एक बहुत छोटा सा गाँव है इसलिए सड़कों पर कोई नहीं है। आप किसी से भी नहीं मिल सकते
आप सीधे अपने घर आते हैं, और फिर आप घर के अंदर प्रवेश करते हैं। आप वहां रहते हैं, फिर आप अपने पड़ोसियों को धीरे-धीरे जानते हैं। लेकिन माना कि, कोई मुझे बिना बताए आ जाता है और उसे मेरे घर का पता लगाना पड़ता है। इसलिए वह एक जगह से दूसरी जगह पिछले दरवाज़ों पर जाता है, क्योंकि इंग्लैंड में खासकर लंदन में सामने का दरवाजा खोलने को कोई तैयार नहीं है, लोग डरते हैं। तो वह पिछले दरवाजे पर चला जाता है। एक घर से दूसरे घर में जाकर पूछताछ करता है कि यह घर कहां है, मुझे कहां जाना है? और लोग उसे अंदर बुलाते हैं, उसे चाय देते हैं, कुछ भेंट करते हैं और व्यक्ति वहीं खो जाता है। वह कभी असली घर तक नहीं पहुंच पाता। उसी तरह, वे लोग जो अग्रचेतन विधि अथवा अवचेतन विधि से एक या दूसरी बाजू में जाते हैं वे दोनों किसी और ही चीज में कूद जाते हैं, जिसका मध्य मार्ग से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें दाईं ओर या बाईं दिशा की ओर फेंक दिया जाता है। अनुनाद के लिए (दोनों दिशाओं में हमेशा टकराकर गूंजते रहने के लिए)।
और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चाहते हैं कि आप बहक जाएं, रोके जाएं, फँसाए जाएँ, शोषित [अस्पष्ट] इसलिए वे आपको उस तरफ जाने से रोकते हैं। यही मोह है, जिसे हम सम्मोहन कहते हैं। जब आप किसी व्यक्ति को सम्मोहित करते हैं तो क्या होता है कि उसका ध्यान तुरंत अपने अवचेतन मन में चला जाता है और वह सम्मोहित हो जाता है।
लेकिन हम यह नहीं समझते हैं कि सम्मोहन द्वारा, _
यह केवल हमारा अवचेतन नहीं है जिसमें हम विद्यमान हैं। जब हम सोते हैं तो भी हम अपने अवचेतन में होते हैं, लेकिन कोई सम्मोहन नहीं होता है। वास्तव में अवचेतन मन में, अवचेतन मन से परे, सामूहिक अवचेतन से संबंध है जिसे हम परलोक कहते हैं। सब कुछ जो पूरा मृत है वहां मौजूद है। मरे हुए सभी लोग वहीं मौजूद हैं।
- तो सम्मोहन द्वारा ये लोग आपके मानस में प्रवेश कर जाते हैं, आपके मानस के साथ एक हो जाते हैं, और वे आपके मस्तिष्क में, व्यक्तित्व पर हावी हो जाते हैं और आप बिल्कुल सम्मोहित हो जाते हैं।
फिर आप उस व्यक्ति के साथ जो चाहें कर सकते हैं। विचार शक्ति पूरी तरह से समाप्त हो चुकी होती है, आपका जबरजस्ती मत परिवर्तन कर दिया जाता है। आप इसे संस्कारित करना कह सकते हैं, मुझे लगता है कि यह उससे भी बदतर है। कुसंस्कारित एक बहुत ही नरम शब्द है। वास्तव में, हम कभी भी कुसंस्कारित नहीं होते हैं यदि सीखने के लिए हम आत्मनिर्भर बने। लेकिन हम कुसंस्कारित हो जाते हैं जब हम अन्य लोगों को पढ़ना शुरू करते हैं। जब हम ऐसे लोगों पर गौर करना शुरू करते हैं, उनसे मिलते हैं, उनसे प्रसाद लेते हैं, उनसे खाना लेते हैं।
आपने ऐसे लोगों को डंडा-डोरे और ऐसी चीजों के साथ देखा है। इन सभी चीजों से कुसंस्कार और सम्मोहन के कीटाणु निकलते हैं। मृतक उसी में बैठते हैं। वे मौजूद हैं चाहे आप इसे पसंद करते हैं या नहीं, आप इसे स्वीकार करते हैं या नहीं। यहां तक कि मनोवैज्ञानिक, मेरे पास मेरे शिष्यों के रूप में कुछ बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक हैं, वे मेरे साथ बहस कर रहे थे "आप इसे प्रेतात्माएँ क्यों कहती हैं?" फिर मैंने कहा कि आप इसे क्या कहते हैं? उन्होंने कहा कि यह ऐसा हो सकता है क्योंकि आप उस व्यक्ति को जानते हैं, यह आपके पिता या आपकी माँ हो सकती है।
आपने वे चित्र देखे होंगे जो कि मैंने दिखाए थे, जहाँ वह अपनी माँ की नकल करने की कोशिश कर रहा था।
मैंने कहा कि फिर उन लोगों के बारे में क्या, जिनको आपने कभी नहीं देखा हैं, आप नहीं जानते हैं? आप उस व्यक्ति की तरह बात करते हैं, और यदि आप इसे सत्यापित करते हैं तो आप पायेंगे कि यह सच लगेगा।
लंदन में, मैंने एक पागल खाने का दौरा किया, जहाँ मैंने पाया कि ऐसे मरीज थे जिन्हें वे समझ नहीं सकते थे।
जब मैंने उनसे बात की, तो वे इस तरह बात करने लगे, जैसे किसी ने कहा कि “मैं इस जगह से संबंध नहीं रखता, मैं पेरिस का हूं, और मैं वहां रहता हूं और यह बात हुई, और एक दुर्घटना हुई और मैं मर गया। और यह महिला पेरिस आई थी और मैं उतर गया - उस पर ”मैंने इस महिला से पूछा कि क्या हुआ और उसने कुछ नहीं कहा। वह जानती नहीं थी कि वह सदमे में है। फिर हमने पूछताछ की। मैंने उन्हें पता लगाने के लिए कहा। और ऐसे और ऐसे व्यक्ति थे जो एक दुर्घटना से, ऐसी जगह पर मर गए। और यह महिला वहां गई थी और उसे एक सदमा लगा था क्योंकि उसका पति कहीं खो गया था और वह सदमे की स्थिति में थी और यह सदमा खाया हुआ प्रेत उस में चला गया। लेकिन ऐसे सभी प्रेत जो आपके मानस में प्रवेश करते हैं, सबसे वंचित लोगों में से एक होते हैं, पूरी तरह से साक्षात दुराचारी, भ्रष्ट व्यक्ति होते हैं। वे उन सब में सबसे खराब प्रकार के लोग होते हैं जिनके बारे में आप सोच भी सकते हैं।
वे हर तरह के झूठ बोल सकते हैं। वे संसार में जो भी संभव है वैसा बुरा कर सकते हैं। मेरा मतलब है कि ऐसा जानवर भी नहीं कर सकते जो की वे कर सकते हैं। जो अच्छे लोग होते हैं वे कभी शरीर में प्रवेश नहीं करते हैं लेकिन कभी-कभी वे आसपास चक्कर लगाते घूमते हैं।
उदाहरण के लिए, किसी की मृत्यु हो गई है, या पत्नी की मृत्यु हो गई है या माँ की मृत्यु हो गई है, विशेषकर माँ की। यदि बहुत बचपन में माँ की मृत्यु हो जाती है, तो माँ बेटे या बेटी को नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि वह उसकी रक्षा करना चाहती है। वह हर समय बच्चे के साथ रहती है, लेकिन वह उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है। लेकिन निश्चित रूप से, यह बच्चे के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है [अस्पष्ट] और माँ के मँडराने के कारण बच्चे कि आत्म-अभिव्यक्ति प्रभावित होती है ।
मुझे इन 6-7 वर्षों के दौरान लोगों के साथ अपने प्रयोगों के दौरान पता चला है कि आपके हाथों पर आप महसूस कर सकते हैं कि किसी व्यक्ति पर ऐसा कोई प्रभाव है। यह किसी पर भी हो सकता है, यहां तक कि सबसे धार्मिक या अमीर व्यक्ति को भी।
और कभी-कभी यह उस व्यक्ति को हो सकता है जिसे सदमा लगा हो, जो किसी तरह के मानसिक तनाव के तहत है।
लंदन में, एक संगठन है जिसे यूनिवर्सल क्यूरेटिव सेंटर के नाम से जाना जाता है या ऐसा ही कुछ डॉ.लेंग के द्वारा किया है। यह डॉक्टर मौजूद नहीं है, काफी समय पहले उसकी मृत्यु हो गई। इसके जैसे कई अन्य संगठन हैं। मैं आपको एक उदाहरण दे रही हूं। काफी समय पहले उनकी मृत्यु हो गई। बेशक, वे ईमानदार लोग हैं, वे सच कहते हैं, वे झूठ नहीं कहते हैं, लेकिन वे इस तरह की चीजों के प्रभावों को नहीं जानते हैं। इस व्यक्ति की लंदन में मृत्यु हो गई और उसने सोचा कि उसकी अभिव्यक्ति या वह जो भी करना चाहता था वह पूरा नहीं हुआ और वह असंतुष्ट था।
इसलिए जब एक सैनिक वियतनाम में लड़ रहा था, तो वह किसी बात से सदमे में आया था। इस डॉक्टर ने उस सैनिक के अस्तित्व में प्रवेश किया और उससे कहा कि “तुम मेरे बेटे के पास जाओ और उसे अपना दवाखाना खोलने के लिए कहो और मैं उससे बात करूंगा। आप चिंता न करें। ”। और उसने इस आदमी को पागल कर दिया, उसे असहाय हो कर लंदन जाना पड़ा। वह एक अशिक्षित सैनिक था। उन्होंने जाकर अपने बेटे से इस बारे में बात की, और उससे कहा कि "मैं ऐसा -ऐसा हूं और बेहतर हो कि तुम अपनी डिस्पेंसरी को इस तरीके से खोल सकते हो, मैं अपना काम शुरू करना चाहता हूं और अपने ऑपरेशन भी।
वह चकित था, यह एक गँवार सिपाही था और उसने कभी नहीं देखा था कि सर्जरी क्या है। वह कैसे सर्जरी करने जा रहा है? तो, उसके अंदर के व्यक्ति ने उससे कहा "नहीं, मैं तुम्हारा पिता हूं, मेरा विश्वास करो"। और उसने उसे बहुत सारे रहस्य बताए जो बेटे और पिता के बीच गुज़रे। और वह काफी आश्वस्त था और उन्होंने इस युनिवर्सल उपचार केंद्र को खोल दिया या जिसे आप कह सकते हैं। आप इसे कोई भी नाम दे सकते हैं।
और वे लोगों का इलाज करने लगे। उन्होंने कहा कि लगभग 5 बजे या अमुक समय पर आप कुछ महसूस करेंगे और दुनिया में कहीं भी 5 बजे जब उन्होंने आपको पत्र भेजा, कि आपकी जगह 5 बजे मैं प्रकट होऊंगा, व्यक्ति को कंपकंपी महसूस हुई। व्यक्ति को शरीर में भयानक कंपकंपी महसूस होती है और व्यक्ति ठीक और बेहतर महसूस करता है और कई चीजें ठीक हो जाती हैं। लेकिन बाद में एक या दो साल बाद वह व्यक्ति neurosis विक्षिप्तिता से पीड़ित होने लगेगा। उनके लिए हर तरह की मुसीबत आ गई और उनके परिवार ने सारा सोभाग्य गवां दिया, सभी तरह की परेशानियों देखी और उनके शरीर में दर्द होने लगा और सब कुछ हुआ। ये सभी बातें पूर्ण सत्य हैं। हमारे पास उस केंद्र से आये मरीज हैं जिनका इलाज़ स्वयं मैंने किया है।
ये प्रेतात्माएं हैं जो आपके शरीर में प्रवेश करती हैं और आपको ठीक करती हैं। और ऐसे सभी उपचार में विश्वास मत करो। आपको अपनी शक्तियों से ठीक होना चाहिए जो आपकी कुंडलिनी है जो यहां स्थित है। जो आपकी बैटरी को रिचार्ज करने वाली है। इन सभी उपचारों पर निर्भर न करें जो लोग आपको दे रहे हैं कि "ओह, मैं आपको कुछ मंत्र दूंगा, आप इसे यहां डाल दें"। उन मंत्रों का अर्थ प्रेतात्मा के अलावा और कुछ नहीं है। मैं इसे आपको साबित कर सकती हूं।
शुरुआत में मेरे साथ रहने वाले कई लोग, जब मैंने उन्हें इसके बारे में बताया, मेरे खिलाफ रहे थे लेकिन धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि यह हममें एक बात है। यह काम कर रहा है। बुरी ताकतों और दैवीय ताकतों के बीच बहुत बड़ा युद्ध चल रहा है।
आप यह देख नहीं पाते। उनके पास अब एक रणनीति है, एक अद्भुत रणनीति, जैसा कि सभी चतुर, चालाक, बेकार लोगों कि होती हैं; इस पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में आना, भगवान का नाम लेना, और पांचवें स्तंभ के रूप में कार्य करना है। मान लीजिए, रूसी लोग अमेरिका पर आक्रमण करना चाहते हैं, या अमेरिकी रूस पर आक्रमण करना चाहते हैं। वे अमेरिकियों के नाम अपना लेते हैं, वहां अमेरिकियों की तरह रहते हैं, या वे रूसियों का नाम ले सकते हैं, और रूसियों की तरह रह सकते हैं।
वे उन लोगों को भगवान, अवतार, सभी प्रकार के नाम से पुकारते हैं। लंदन में, किसी ने मुझे बताया कि ईसा-मसीह आ गये हैं।
मैंने कहा “सच में? मुझे नहीं पता था। आप कैसे मानते हैं कि वह ईसा-मसीह है? ”
"क्योंकि वह कहते हैं कि, वह ईसा-मसीह है"।
मैंने कहा कि हर कोई कह सकता है। उसमें इतना महान क्या है? “कोई ईसा-मसीह नहीं आये।
वह कहते हैं, 'मैं ईसा-मसीह हूं' '।
मैंने कहा कि ईसा-मसीह की बहुत सरल परीक्षा है। तुम पता लगा लो। “आप उसे तत्वों को नियंत्रित करने के लिए कहें। क्या वह तत्वों को नियंत्रित कर सकता है? "
ईसा-मसीह तत्वों को नियंत्रित करते थे। अगर कोई कहता है कि "मैं आदिशक्ति हूँ"। आप उससे पूछें "क्या आप लोगों की कुंडलिनी को नियंत्रित कर सकते हैं?" यदि आप नहीं कर सकते, तो आप आदिशक्ति नहीं हैं। ये सभी संकेत और लक्षण हमारी किताबों में पहले से ही दिए गए हैं।
हमें इन लोगों पर विश्वास नहीं करना है, जो भी वे हमें बताते हैं, ये नकली लोग हैं। हमें यह समझना होगा कि यह सब हमारी किताबों में दिया गया है।
समस्या यह है कि यह आधुनिक पीढ़ी सबसे अशिक्षित है। यदि आप मार्कंडेय स्वामी द्वारा लिखी गई एक सरल पुस्तक ‘देवी महात्म्यम’ पढ़ते हैं, तो आप जानेंगे कि इसमें ये सभी चीजें दी गई हैं जैसे कि, एक व्यक्ति को कैसे पहचाना जाए, कि वह एक अवतार है या अवतार नहीं है।
बेशक, एक अवतार लेने वाली शक्ति भी है जिसने अवतार लिये हैं कल जिसके बारे में मैंने आपको बताया और जो अवतार लेने जा रहा है|
लेकिन आपको पता होना चाहिए कि अगर इन लोगों ने कुछ भेष धारण कर लिया है, तो अवतार भी गुप्त रूप से काम करने के लिए कुछ भेष धारण करने जा रहा है। आप वे लोग हैं जिन्हें पता होना चाहिए कि ऐसे किसी व्यक्ति का आकलन कैसे किया जाए जो सच्चा है और जो असत्य है। वे कौन लोग हैं जो इस दुनिया में आकर सभी अच्छी शक्तिओं, सभी रचनात्मक ताकतों को नष्ट कर देते हैं और पूर्ण विनाश की स्थापना करते हैं। आपको आकलन करना है।
आपको यह पता लगाना होगा और यही वह बल है जिसके बारे में मैं बात कर रही हूं जिसे हम अनिष्टकारी शक्तियां कहते हैं।
वे काम पर है। मेरा विश्वास करो, शायद तुम इसे पसंद ना करो क्योंकि तुम, जो कुछ भी तुम्हारे लिए नया होता है उसे बस अस्वीकार करते हो। जबकि, यह मौजूद है। आपको आश्चर्य होगा कि, बॉम्बे के इस शहर में कि कई केंद्र ऐसे हैं जो अन्य लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं।
आप जाकर उस व्यक्ति को कुछ पैसे दें। वह आपसे कुछ पैसे लेगा और वह उस व्यक्ति के दुश्मनों पर माया फेंक सकता है। यहां तक कि पांच रुपये के लिए ये गंदे लोग किसी अन्य व्यक्ति पर एक जादू कर सकते हैं, और वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।
आप इस दुनिया में भोजन के बिना रह सकते हैं, लेकिन ऐसे पापी जीवों के साथ, भगवान ही जाने कि इन लोगों के साथ क्या होने जा रहा है। मैं हमेशा कहती हूं कि उन्हें माफ कर दो। यह एक भयानक पेशा है जिस पर ये लोग काम कर रहे हैं।
वे आपको चमत्कार दिखाएंगे। आपको लगेगा कि जो भी हुआ यह बहुत बड़ी बात है। यह सब इन नकारात्मक शक्तियों के माध्यम से काम करता है। आप उनसे सावधान रहें। वे आपको चमत्कार दिखाएंगे। सभी प्रकार के चमत्कार दिखाए जा सकते हैं। आप यह सोचकर कि वे बहुत महान लोग हैं, उन का विश्वास करना शुरू कर सकते हैं,
सहज योग उस समय आया है जब आप लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। आपके पुरखे बेहतर जानते थे। उस समय सहज योग नहीं आया था जहाँ वे कभी साधु पर विश्वास नहीं करेंगे -
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं।
मेरे अपने परिवार में एक बार एक बहुत ही दिलचस्प घटना हुई थी जब एक शादी हो रही थी, और जो बाराती लोग आए थे वे बहुत उधम मचाने वाले लोग थे। आप जानते हैं कि यूपी के लोग चीजों के बारे में बहुत उत्पाती हो सकते हैं। उन्होंने कहा हमें दही वड़े खाने हैं। आप इसे इतनी जल्दी नहीं बना सकते हैं और उन्होंने कहा कि इसे बनाना बहुत मुश्किल है। लेकिन एक भिगड़ बाबा हैं जो शहर के बाहर बैठे थे। "हम उसे बुला सकते हैं और वह यह कर देगा"
इसलिए उन्होंने भिगड बाबा को बुलाया और भिगड़ बाबा आए और कहा कि "अभी शहर में कोई दही वड़ा नहीं है, लेकिन बेशक मैं तुम्हें दही वड़ा ला दूंगा, लेकिन आपको मुझे अगले क्षण दूर जाने की अनुमति देनी चाहिए।"
उसने सारे दरवाजे बंद कर दिए, एक खिड़की उसने खुली छोड़ दी और वह बैठ गया। कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला और उन्होंने देखा कि दही वड़ा पड़ा हुआ है। स्वाभाविक रूप से हर कोई इतना चिंतित था, कि उन्होंने दही वड़ा लिया और इसे वितरित करना शुरू कर दिया।
लेकिन जब वे वापस लौटे तो यह देख भिगड़ बाबा गायब हो गए थे, वहाँ से अच्छी तरह से। खिड़की से वह भाग गया है।
अगले दिन, महार आप जानते हैं कि हमारे पास ये महार लोग होते हैं। बेशक, अभी भी हम कुछ लोगों के अछूत होने के उस गंदे तरीके के साथ जारी हैं। वे मेरे पास आए और उन्होंने इन बर्तनों को देखा, जिन्हें हम कुल्लह्ड कहते हैं। और उन्होंने कहा कि हमारे स्थान से ये दही वड़े कौन लाया हैं? हम वहां खाना खा रहे थे और अचानक सब गायब हो गए। इसे यहाँ कौन लाया है?
और सभी बाराती इतने नाराज और क्रोधित हो गए कि उन्होंने कहा "यह क्या है। ये महारों से दही वड़े लाए हैं और आपने हमें महारी दही वड़े दिए हैं। ”और तब उन्होंने महसूस किया कि भिगड़ बाबा क्यों भाग गए थे।
वे सूक्ष्म रूप लेते हैं। वे सबसे पहले, उन्हें नियंत्रित करते हैं। वे श्मशान (कब्रिस्तान) में जाते हैं। वे हर जगह जाते हैं। इनमें से अधिकांश विभूति जो आ रही हैं, श्मशान से आ रही हैं। इसे मत खाओ
भगवान के लिए इन विभूतियों (भभुत) को कभी मत खाओ। आपका यह चक्र (भवसागर) पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। अपना दिमाग खोलो। लोगों को खाने के लिए किस भगवान ने विभूति दी? यह भिगड़ बाबा भाग गए थे। मेरी इच्छा है कि वे सभी भाग जाएं। किसी समस्या को हल करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन यह आप ही हैं जो इन सब बातों पर विश्वास कर लेते हैं। एक बहुत अमीर आदमी है जो मेरे पास आया था और उसने कहा कि किसी सज्जन ने मुझे दिया था, किसी बाबाजी ने मुझे एक बहुत बड़ी हीरे की अंगूठी दी थी। मैं सज्जन को बहुत अच्छे से जानती थी।
मैंने कहा आपके पास पहले ही कितनी रिंग हैं?
उन्होंने कहा कि मुझे भी नहीं पता।
मैंने कहा कि फिर आपने अंगूठी क्यों मांगी।
उन्होंने कहा “माताजी, मैंने कभी अंगूठी नहीं मांगी। लेकिन सज्जन ने मुझे दे दिया। और मुझे लगा कि यह आशीर्वाद है।
मैंने कहा "उसने आपके ड्राइवर को क्यों नहीं दिया जो एक गरीब आदमी है।" फिर मैंने कहा लेकिन अब आप मेरे पास क्यों आये हो। तुम्हारे बाबा ने तुम्हें अंगूठी दी है। तुम घर बैठो। तुम उसके भजन करो रात दिन | अपने भजन गाओ उसकी प्रशंसा करो, उस प्रभु की स्तुति करो जिसने तुम्हें अंगुठी दी है।
तो वह व्यक्ति बहुत परेशान हो गया और उसने कहा "तब मुझे आपको सब कुछ बताना होगा जिस कारण मैं आया हूं।"
मैंने कहा क्या बात है?
उन्होंने कहा कि मेरे घर से कई हीरे गायब हैं।
मैंने कहा बहुत अच्छा। मैंने कहा आप अगली बार अपनी पत्नी को ले कर आये, मैं उससे बात करुँगी, पत्नी आ गई और मैंने उस में से उसकी बाधा निकाल दी और मैंने उससे कहा अब बात करते हैं।
मैंने पूछा यह आपको क्या हो रहा है? उसने कहा कि मेरे सिर में कोई है [अस्पष्ट] (इस अंगूठी में बैठा हुआ है ऐसा मुझे लगता है?) जो मुझे बता रहा है कि यह सब सांसारिक चीजें बेकार हैं। तुम उन्हें बाबा को दे दो, यह सब बाबा को दे दो। और मैं बाबा को दे रही हूं। देखिये, वह महिला एक लेडी डॉक्टर है। वह कोई साधारण महिला नहीं है। वह एक शिक्षित महिला है, बहुत महान प्रतिभा की महिला चिकित्सक है।
मैं आश्चर्यचकित थी, मैंने कहा कि आपके दिमाग को क्या हुआ है? क्या आपने उसे बेच दिया है? केवल एक बात के बारे में सोचें, कि वह चीज जो पत्थर हैं जो बेकार चीजें हैं, आपके लिए बेकार चीजें हैं, वे श्री बाबा जी के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?वह उन्हें क्यों ले जा रहा है और आप उसे पत्थर क्यों दे रही हैं। इससे उसके दिमाग पर झटका लगा। वह अपने होश में आई।
उसने कहा “ओह, मैंने इसके बारे में कभी नहीं सोचा। और हर बार जब मैं जाती तो मुझसे पूछता है कि तुम कितने लायी हो? "
आपके दिमाग में यही होता है। आप मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।लोग आपको संन्यास लेने के लिए कहेंगे। बहुत अच्छी तरह से आप सभी एक संन्यास लेते हैं और अपने पैसे दे देते हैं। मैं आपके आयकर का प्रबंधन करूंगा, साथ आओ।
संन्यास लेने का बहुत अच्छा तरीका है। यह वही है जो ये लोग आपके साथ कर रहे हैं और यह इस देश में और विदेश में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
जब मुझे लोग मिलते हैं और जब मैं उन्हें कुंडलिनी जागरण देने की कोशिश करती हूं, तो वे कहते हैं "माताजी, हम अभी उनके व्याख्यान के लिए गए थे"
"और फिर?"
"नहीं, एक बार मैंने वहां नृत्य किया।"
"और क्या?"
"नहीं, मैंने अभी बहुत कुछ नहीं किया है मैंने केवल एक हजार रुपये का भुगतान किया है।
मैंने कहा “बहुत अच्छा आपने अपने सिर पर बैठे पांच या छह प्रेतों के लिए एक हजार रुपये का भुगतान किया है।
आपके पास कोई स्वतंत्रता नहीं बची है। एक आदत से दूसरी कंडीशनिंग में आप जाने के इच्छुक हैं, लेकिन उस व्यक्ति के पास नहीं, जो आपको मुक्त होने के लिए कहेगा। आप एक व्यक्ति के साथ रहेंगे, जो आपको किसी चीज का आदी बना देगा। यह बहुत अच्छी बात है कि केवल नाचने से ही आपको ईश्वर की प्राप्ति होती है। काम करने की बहुत ही अद्भुत चीज।
एक सज्जन हैं जो बहुत बार अमेरिका जाते हैं। उसने बहुत पैसा भी बनाया है। वह तुम्हें मंत्रमुग्धता में डाल देता है। उनका एक शिष्य भारत आया और उसने मेरे बारे में पता लगाया और फिर वह मुझे मिलने के लिए लंदन आ गया। उसका नाम मिस्टर जीन है। उन्होंने मुझसे कहा कि "माताजी, मेरे पास एक बहुत अजीब बात है जो मेरे साथ हो रही है।
मैंने कहा क्या हुआ। ?
"उन्होंने कहा कि मैं ऐसे - ऐसे व्यक्ति का शिष्य हूं"।
तो, फिर क्या हुआ? तुम्हारी क्या दिक्कत है?
उन्होंने कहा कि समस्या तब है जब मैंने उनके अनुसार ध्यान करना शुरू किया। मैं मदहोशी में आ गया। और जब मैं उस मदहोशी से वापस आया, तो मुझे लगा कि मुझे अपने माता-पिता को मार देना चाहिए। वे किसी काम के लिए अच्छे नहीं हैं, मुझे अपने माता-पिता चाहिए ही क्यों? मुझे उन्हें मारना चाहिए। वे मेरे लिए कौन हैं?
“लेकिन मैंने आंकना शुरू किया। यह धर्म नहीं है। ऐसा किसी ने नहीं किया। राम ने अपने माता-पिता की बात मानी। अपने माता-पिता को किसने मारा है? मैं इसके बारे में सोचने लगा। इसलिए जब मैं दोबारा मदहोशी में गया, और जब में इससे वापस आया और मुझे लगा कि मुझे खुद को मारना चाहिए।" और उसने कहा मैंने कई बार खुद को मारने की कोशिश की है। कई बार मैंने मारने की कोशिश की है। वह एक अमीर आदमी का बेटा है। और मेरे पिता ने मुझे आपसे मिलने के लिए भारत भेजा। आप वहां नहीं थी इसलिए मैं यहां आया हूं।
मैंने उनसे पूछा "जीन आपके गुरु ने आपको क्या बताया, क्या मंत्र?" तो उन्होंने मुझे एक बहुत बड़े ऋषि का नाम बताया। श्रंग एक बहुत ही महान ऋषि थे जो पुत्र प्राप्ति के लिए दशरथ द्वारा किए गए यज्ञ के लिए जिम्मेदार थे।
मैंने कहा कि इस तरह के महापुरुष मानस में कैसे प्रवेश कर सकते है, असंभव ? तो मैंने श्रृंग का नाम लेने के लिए कहा। आप इसे कैसे करते हो?
इसलिए उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं और श्रृंग, श्रृंग नाम लेना शुरू कर दिया। तुरंत ही वह दैत्य, एक भयानक व्यक्ति उसके चेहरे पर आया, मैं देख सकती था। उसकी दो भयानक आँखें और बहुत बड़े दांत थे और उसके पास एक, केवल एक गेंडे का सिंग था। वह भी आप जानते हैं, श्रृंग के नाम से जाना जाता है। श्रृंग का अर्थ सींग भी होता है।
और यह एक सींग वाला यह दैत्य था। इसलिए मैं इन सभी ट्रिक्स को अच्छी तरह से जानती हूं। मैंने इस श्रीमान श्रृंग को बांध दिया, मैं उसे घर ले आयी, और मैंने उसे एक केंद्र पर बाँध दिया, डरें नहीं। (हँसी)। कुछ भी गंभीर बात नहीं है। जब माँ होती है तो उसे आपको सब कुछ बताना होता है।
मैंने उसे एक पेड़ से बांध दिया और मैंने कहा कि श्रीमान श्रृंग कृपया मुझे बताएं कि आप क्या कर रहे हैं। वरना मैं तुम्हें कभी नहीं छोडून्गी। मुझे पता होना चाहिए कि वह क्या है। जैसा कि आप किन्ही जासूसों को पकड़ते हैं और आप वह सब पता निकालते हैं जो पृथ्वी के दूसरी तरफ हुआ है। मिस्टर श्रृंग असलियत के साथ सामने आए। उन्होंने मुझे बताया कि हम दूसरे पक्ष वाले हैं, नकारात्मक पक्ष हमारे विनाश के साम्राज्य को, अभाव के साम्राज्य का निर्माण करने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए हम कुछेक राक्षसों में से एक के लिए काम कर रहे हैं। और उसने मुझे उस राक्षस का नाम बताया जो एक समय देवी दुर्गा द्वारा मारा गया था।
और यह व्यक्ति लगभग हजारों राक्षसों के संपर्क में है, लेकिन कुछ ही हैं जो मानव के मानस में प्रवेश कर सकते हैं। तो मैं इस के लिए प्रशिक्षित हूँ कि, जब भी मुझे पुकारा जाए क्योंकि शरीर सूक्ष्म हैं। मैं उन लोगों के पास आता हूं, मैं उनके मानस में प्रवेश करता हूं, उनका मार्गदर्शन करता हूं, और मेरे माध्यम से मैंने अन्य लोगों के मानस में इन अन्य राक्षसों को डाला। तो चीजें विस्तार करने लगती है।
आप आश्चर्यचकित होंगे कि, लोग भीड़ लगाये हैं किसलिए? आपमें उस आत्मा का परिचय पाने के लिए| वे आध्यात्म का ऐसा परिचय देते हैं। लोग नहीं जानते कि उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है। जैसे यह उस आत्मा का परिचय है जिस पर वे विश्वास नहीं करते। वे इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वे ऐसे ही चलते रहेंगे और आगे बढ़ेंगे।
लेकिन फिर मैंने कहा “ऐसा क्यों है? ऐसा क्यों है कि तुमने इस व्यक्ति को क्यों आत्महत्या करवाना चाहा? "
उसने कहा, "ऐसा इसलिए क्योंकि, हम अधिक मृत लोगों को चाहते हैं। हम चाहते हैं कि मरे हुए ज्यादा से ज्यादा लोग हमारी मदद करें ताकि हम मनुष्यों के मानस में प्रवेश कर सकें ”। और फिर क्योंकि उसने अपने माता-पिता को मारने से इनकार कर दिया था, इसलिए हम उसे मारना चाहते थे|
और फिर तुम आखिर चाहते क्या हो?"
उन्होंने कहा कि "संयुक्त राज्य अमेरिका में आपराधिकता की एक महामारी होगी"। और यह एक सच्चाई है। वे तब काम करते हैं जब वहाँ ड्रग्स होते हैं। आप ड्रग्स लेते हैं, आपकी जागरूकता ख़त्म हो जाती है और तुरंत वे अंदर प्रवेश करते हैं।
चीजों को करने का यह एक बहुत ही शानदार तरीका है। और, यहाँ मैं अकेले ही अपने आधे -अधूरे मन वाले शिष्यों के साथ खड़ी हूँ। क्योंकि मैं उन्हें लुभाती नहीं। वे स्वतंत्र हैं, अपनी स्वतंत्रता में बिल्कुल स्वतंत्र हैं। अपनी पूरी जागरूकता में उन्हें इसे स्वीकार करना होगा और इसे अपनाना होगा और इसका अभ्यास करना होगा और प्यार की जंग में आगे बढ़ना होगा। हम एक तरफ प्यार का प्रचार कर रहे हैं दूसरी तरफ नफरत है, लेकिन वे प्यार का नाम लेंगे और उस पर प्रहार करेंगे। यही कारण है कि आप पाएंगे कि वे हमेशा खुद विरोधाभासी हैं। अन्य कोई प्रमाण नहीं है। लेकिन आप उनके दिमाग में एक दुखदायी आत्मा पाएंगे। धर्म की बात करने वाले व्यक्ति को बहुत शांतिप्रिय, स्नेही, दयालु, मददगार व्यक्ति बनना पड़ता है। जबकि ये धार्मिक लोग-अगर आप उन के बारे में पता करें, तो वे अपनी पत्नियों को मारेंगे, अपने बच्चों को मारेंगे, जिसे भी संभव हो हर किसी को पीटेंगे। यदि यह संभव है, तो वे हत्या भी कर सकते हैं।
क्योंकि भीतर एक भ्रष्ट व्यक्तित्व है। और अंत में वे बुढ़ापे के कारण सठियाया हुआ होंगे। वे पागलपन से मर जाएंगे। कलियुग में इस समय हम विनाश के इस कगार पर इतने नाज़ुक खतरे में खड़े हैं। मैं आपको कहानियां नहीं सुना रही हूं। मेरा विश्वास करो, यह ऐसा ही है। यदि आप इस युग का, सत्य और प्रेम और आनंद में, सुंदर युग में, पूर्ण परिवर्तन चाहते हैं। आज अपनी मर्ज़ी से चुनाव करना आपके हाथ में है।
आपको साहस जुटाना होगा और यह जानना होगा कि आप ही इस काम को करने के लिए चुने गए व्यक्ति हैं। ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। ईश्वर के आनंद को स्वीकार करने के अलावा कुछ नहीं करना है। उनके हाथों का खिलौना मत बनो।
कल जैसा कि मैंने आपसे कहा, कि जब आपको आत्म-साक्षात्कार होता है, तब आप अपने अचेतन मन में कूद जाते हैं। फिर आप पाते हैं कि ये आपकी उँगलियों से निकलने वाले वायब्रेशन हैं, जब मैं बोल रही हूँ उस दौरान आप अपने हाथ खोल कर मेरी तरफ रख सकते हैं, तो कोई बात नहीं। यह मदद करता है।
आप पाएंगे कि चैतन्य, शांत वायब्रेशन आपकी ओर बह रहे हैं। कृपया अपने हाथ खोलें। कुछ भी गलत नहीं है। जिद्दी मत बनो। आप अपने अस्तित्व में बहुत ठंडी हवा का प्रवाह पाएंगे। मैं तुम्हें शीतल कर रही हूं, जिससे तुम स्वस्थ और शांत हो जाओ। यह एक सम्मोहन नहीं है, आप जानते हैं। बिलकुल जागरूक। आप मुझे सुन रहे हैं, मैं क्या बात कर रही हूं। और अपने हाथों पर, आप पाएंगे कि इन चक्रों का प्रतिनिधित्व अभिव्यक्त किया गया है। ये चक्र वे केंद्र हैं जिनके बारे में मैंने आपसे बात की। वे बिलकुल वहां हैं। उदाहरण के लिए यदि आपके पास दस लोग हैं और उनकी आँखे बंद कर दी गई हैं, अगर उन्हें एक आदमी का परीक्षण करना था, तो आपने उन्हें एक साथ रखा-उन सभी को एक साथ रखा, पांच बच्चों को भी रखा और जब आप उनसे पूछेंगे कि क्या बात है तो वे सभी एक उंगली उठाएंगे [श्री माताजी] उसकी दाहिनी विशुद्धि उंगली को इंगित करती है]। इसका अर्थ है कि दाहिने हाथ पर विशुद्धि चक्र पर पकड़ा हुआ है।
आप उस व्यक्ति से पूछते हैं "क्या आप गले की किसी परेशानी से पीड़ित हैं?" वे कहते हैं, "मैं कई वर्षों से पीड़ित हूँ" यदि आप अपने वायब्रेशन उसके विशुद्धि के चक्र पर दूर से ही पीछे से डालते हैं, तो यह चक्र खुल जाएगा और आप पाएंगे कि वह वायब्रेशन प्राप्त करना शुरू कर देगा। यहां हमने आप के लिए प्रदर्शित किया है, लेकिन मुझे नहीं पता कि अगर आप देख पा रहे हैं या नहीं, तो मैं आपको अपने हाथों से दिखाऊंगी कि ये दाहिने और बाएं दो हाथ हैं। मैंने आपको बाएं हाथ की तरफ ऋणात्मक पक्ष बताया है या हम कह सकते हैं कि वह पक्ष चंद्र नाड़ी का है। और यह दायाँ सूर्य नाडी का है।
मध्य में जहां वे मिलते हैं वे देवता हैं। अब इस हाथ को पांच उंगलियां मिली हैं। यह मूलाधार चक्र है, आप देख सकते हैं, और ये तीन चैनल हैं जिन्हें हम जानते हैं कि कौन सा पक्ष हृदय है और कौन सा पक्ष महाधमनी है जिसे आप स्वाधिष्ठान चक्र कह सकते हैं। यह हृदय चक्र है और यह स्वाधिष्ठान चक्र है जो ब्रह्मदेव द्वारा निर्देशित है और यह शिव द्वारा निर्देशित है।
अब अगर यह छोटी उंगली जल रही है तो आपको बाएं हाथ की तरफ, हृदय पर, पता होना चाहिए कि अंग हृदय पर कोई समस्या है। यदि आप आत्मसाक्षात्कारी है,-(अन्यथा नहीं) और आप शिव का नाम लेते हैं या यदि आप ओम नमः शिवाय ’कहते हैं। तब आप पाएंगे कि समस्या दूर हो जाएगी और व्यक्ति ठीक हो जाएगा। यह पूरी तरह से स्वचालित है। आपको इसके लिए इस बात को समझने के लिए कोई शिक्षा प्राप्त नहीं करनी है। छोटे बच्चों के लिए मैंने देखा है, वे थोड़ा जलते हुए देखते हैं, वे रगड़ते हैं। वे अपनी उंगलियों को रगड़ते हैं आप पाते हैं कि व्यक्ति ठीक हो गया है। बच्चे बहुत सरल हैं, बहुत सरल हैं और यह उनके साथ बहुत तेजी से काम करता है।
अब केंद्र में नाभी चक्र है जो सौर जाल solar plexus को नियंत्रित कर रहा है। यहां यह बीच वाली बड़ी उंगली में है। यह नाभी चक्र है। अब, यह केंद्र जब आपके हाथ में जलने लगता है, तो नाभी चक्र की सभी समस्याओं को इसके माध्यम से दर्शाया जाता है।
यह उंगली तर्जनी , मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ, विशुद्धि चक्र यहाँ है। इसके लिए किसी शिक्षा की आवश्यकता नहीं है। केवल एक चीज जो आपको करने की ज़रूरत है, अपनी ऊँगली उठायें, अगर आप इसे इस तरह से करते हैं। यहां तक कि सबसे अशिक्षित भी इसे कर सकता है। आपको बस निश्चित ही अच्छे से इसे करना है। यह सत्य और तथ्य है और विज्ञान है।
मैं आपको कहानियां नहीं सुना रही हूं। तुम आकर स्वयं पता लगाओ। हाथ का यह हिस्सा, अगर यह तपना शुरू हो जाता है या ये भाग यहां जलने लगते हैं, तो यह आप को पूर्वजों से प्राप्त एक विरासत है। इसलिए आपको अपने दिल में स्थित अपने माता-पिता से विदा होने के लिए कहना होगा। हो सकता है कि आपकी माँ या आपके पिता मँडरा रहे हों, या इस चक्र या इस अंग या विरासत में कुछ घटित हो रहा हो। यह उंगली अब बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यहां सूचित कर रही है।
आप अवश्य ही जानते होंगे कि जब कभी भी आपको परमात्मा से आवेदन करना होगा या उनपर छोड़ना हो, आपको इस उंगली का उपयोग करना होगा, और इस उंगली पर,आज्ञा चक्र है, जो एक घुमती हुई रॉड की तरह है। यहाँ सामने की तरफ क्राइस्ट है, और यहाँ पर श्री गणेश, भैरव और हनुमान हैं। उनमें से दो यहां शामिल होते हैं लेकिन वास्तव में ईसा-मसीह नियंत्रित कर रहे है। यदि यह चक्र पकड़ा जाता है, तो आपको ईसा-मसीह का नाम लेना होगा और यह काम करेगा। यह खुल जाता है। ये शैतान जो अपनी शैतानी ताकतों को काम में ले रहे हैं, इस चक्र या नाभी चक्र के माध्यम से काम कर रहे हैं क्योंकि यही वे दो जगह हैं जहां वे प्रहार करते हैं।
वे इसे विपरीत दिशा में घुमा कर और अंदर कुछ फेंक देते हैं ताकि, आप तपस्वी बन जाएं। एक अन्य दिन मेरे पास कोई सज्जन आए, जो मुझसे मिलने आए, मेरे साथ बहुत बहस करने लगे क्योंकि उन्हें लगा कि वह बहुत ज्ञानी हैं।
मैंने पूछा, "आपका गुरु कौन है?" और उसने मुझे पुना में किसी का नाम दिया। मैंने कहा "ठीक है अपने हाथ सामने रखो" और उसने हिलना शुरू कर दिया। और बाद में,
उन्होंने कहा "मैं अब सख्त हुआ जा रहा हूँ, माताजी"
मैंने कहा "मैं आपको फ्रीज़ नहीं कर रही हूँ, मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मैं आपको फ्रीज़ नहीं कर रही हूँ। यह तो आपके भीतर ही कोई है जो आपको ठंडा कर रहा है। यह दूर हो जाएगा
"उन्होंने पूछा, "क्या करना होगा”?
मैंने कहा, "क्या आप अपने गुरु कि जूता पट्टी कर सकते हैं"?
उन्होंने कहा "यह बहुत ज्यादा है"
मैंने कहा कि आपको यह करना होगा। तुम कोशिश करो। तुम कोशिश करो। तो मैंने उसे बताया कि कैसे जूता पट्टी करी जाती है| यह कुरान-ए-शरीफ में लिखा है। [अस्पष्ट]। ये बातें कुरान-ए-शरीफ में दी गई हैं। मैंने कहा "आप अपने जूते अपने पैरों से निकालते हैं, और उससे वहां मारते हैं। मैं आपको बताऊंगी कि इस नाम के चरों ओर एक गोला बना कर कैसे करें। "
और यह व्यक्ति इसे सहन नहीं कर सका, वह कुछ भी नहीं कर सका।
उन्होंने कहा कि "मैं कैसे पीट सकता हूं?"
मैंने किसी और से इसे करने के लिए कहा और वह तुरंत सामान्य हो गया। मैंने पूछा " शुरुआत में आपने अपने गुरु को कितने पैसे दिए हैं?"
उन्होंने कहा "केवल सात हजार रुपये"।
मैंने कहा “केवल? और क्या?"
उन्होंने कहा, '' सोलह साल तक माताजी, मैंने ऐसा ही कष्ट झेला है। मैंने अपनी नौकरी खो दी है, मेरे पास कोई पैसा नहीं है, मैंने जो कुछ भी मेरे पास था उसे दिया।
लंदन में मुझे बहुत से लड़के, युवा लड़के, अंग्रेजी लड़के और अमेरिकी लड़के और जर्मन लड़के मिलते हैं, जिनके पास पहनने के लिए जूते भी नहीं हैं क्योंकि उन्होंने इन गुरुओं को अपना सारा पैसा दे दिया है, और गुरु बड़े रोल्स रॉयस में घूमते हैं उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए। उनके माता-पिता ने इन बच्चों को संतुष्ट करने के लिए अपनी सारी संपत्ति बहा दी है।
और फिर गांजा, ये सभी चीजें इन गुरुओं के पास गुप्त तरीके से उपलब्ध हैं। उनके लिए धर्म का अर्थ कुछ भी नहीं, कोई भी पवित्रता नहीं है। वे महिलाओं के साथ इश्कबाजी करेंगे। आखिर वे गुरु हैं, हाँ वे सभी कृष्ण हैं। वे सभी श्री कृष्ण के अवतार हैं जो वे मुझे बताते हैं। इसलिए वे महिलाओं के साथ इश्कबाज़ी कर रहे हैं। एक सज्जन ऐसे थे जिन्होंने मुझे बताया कि वह कृष्ण के अवतार थे। मैंने उससे कहा कि अगर मैं तुम्हारी दाढ़ी को पकड़ लूं तो तुम हिल जाओगे। पांच साल की उम्र में कालिया को मारने वाले कृष्ण| तुम किस बारे में बोलते हो? और आप हैरान होंगे, मैंने उसे श्राप नहीं दिया था लेकिन एक दिन के बाद किसी ने उसकी दाढ़ी को पकड़ लिया, और वह आधे घंटे तक नाचता रहा। यही मैंने लोगों से सुना।
श्री कृष्ण हैं। श्री राम हैं। ये सभी दुश्मन हैं। कंस ने जन्म ले लिया है, रावण ने जन्म ले लिया है और खुद को भगवान के नाम से संबोधित कर रहे हैं। तो इस हाथों में, आप इन दो हाथों में स्वयं ही देख सकते हैं ये भगवान के मंदिर हैं। ये दोनों हाथ भगवान के मंदिर हैं। भक्ति में, यदि वास्तविक भक्ति में आप उनसे मांगे, तो आपकी भक्ति साकार हो जाती है। यह अवतार बन जाती है, और यह आपको बचाने के लिए, और आपको मुक्ति देने के लिए इस धरती पर आते है।
ये दोनों हाथ गलत काम करके खराब नहीं करने हैं। वहाँ देवता बैठे हैं। जब आप दूसरों की सेवा करने की बात करते हैं, तो याद रखें कि आप किसी और की नहीं, बल्कि खुद की ही सेवा कर रहे हैं। सहज योग एकमात्र विधि है जिसके द्वारा आप इस सामूहिक सेवा को ‘अकर्म’ में करते हैं। आप लोगों का स्वत: ही उपचार कर रहे हैं। आप उनकी स्थितियों में सुधार कर रहे हैं, आप उनके मन में सुधार कर रहे हैं, आप उन्हें शांति दे रहे हैं, उनके पारिवारिक जीवन में सुधार हो रहा है। वे पवित्र लोग हैं। वे विवेकवान लोग हैं, वे स्वस्थ लोग हैं, वे सुंदर लोग हैं। और कौन सा दूसरा सामाजिक कार्य आप कर रहे हैं? सबसे बड़ा सामाजिक कार्य यह है जो, आप दूसरों के लिए कर सकते हैं। सीधे खड़े हो कर चैतन्य देना, जो आपके माध्यम से प्रसारित है।
आप बस उस ईश्वरीय शक्ति के माध्यम बने रहें। और न केवल आप दे रहे हैं बल्कि यह आपको आनंद, पूर्ण आनंद देता है। यह कैसे आपको पूरा आनंद देता है? मैं आपको बताऊँगी। यह बहुत कम है।
हमारे अस्तित्व के पास तीन आयाम हैं: भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक अस्तित्व। अस्तित्व के ये तीन प्रकार हमारे भीतर मौजूद हैं जिन्हें हम जानते हैं और कम से कम आप विश्वास करते हैं। जिस चौथे को हम नहीं मानते हैं वह धार्मिक है, कोई बात नहीं है। लेकिन जब हम हमारे शारीरिक अस्तित्व के बारे में विचार करते हैं, हम शरीर को आराम देकर शरीर का आनंद लेना चाहते हैं। लेकिन इस प्रयास में जब हम आदतें बनाते हैं, तो हम ऐसे जीवन के गुलाम बन जाते हैं। इस प्रकार के जीवन के दास क्यों बनें जबकि हम राजा हो सकते हैं। फिर हम चीजों का स्वामित्व रखने लगते हैं। उदाहरण के लिए, मालकियत का भुलावा एक सिरदर्द की तरह आप पर काम करता है और आप तनाव और तनाव और तनाव का विकास करते हैं।
क्योंकि जब मैं यह सब देखता हूं तो मुझे लगता है कि “हे भगवान मैं इसे घर कैसे ले जाऊंगा?, मुझे पैसे कैसे मिलेंगे? मैं कहां जाऊंगा, कैसे करूंगा? ” ऐसे सभी विचार आपके अंदर आते हैं। आप संगीत सुनते हैं, आप सोचने लगते हैं कि संगीतकार कौन है, कौन गा रहा है, वह क्या गा रहा है, क्या वह सही है या गलत है। बीच में सब विचार हैं।
लेकिन अगर आप निर्विचार जागरूकता में, मौन में जब पूर्ण स्वतंत्रता में विचार का तरंग न हो उस संगीत को सुन रहे हैं। कलाकार आपके सामने अपना दिल उंडेल दे रहा है। उस कलाकार के माध्यम से जो भी आनंद मिलता है, वह आपको ऊपर से नीचे तक आप पर आनंद वर्षा करती हुई महसूस होती है। आनंद आप पर आ रहा है। आप कुछ भी नहीं कहते| मौन, सृजन का मौन, आनंद एक हो जाता है, आप कि पहचान बन जाता है|
और आपको आनंद की अनुभूति होती है। मानसिक खोज में भी हम बाहर खोज रहे हैं। विज्ञान में हमें यह पता चलता है, विज्ञान में हमें वह पता चलता है कि यह हमने पाया। क्या हमने जो पाया उससे हम खुश हैं? आप नहीं। यह आपको खुशी नहीं देगा। और आत्मा बाहर है। आप एक सिद्धांत का पता लगाते हैं, इसे बाहर फेंक दिया जाता है। तुम दूसरा खोज लेते हो, उसे भी बाहर निकाल दिया जाता है।
लेकिन यह सिर्फ परम ज्ञान पर ही प्रतिक्रिया देता है। फिर पूरी बात किताब की तरह खुली हो जाती है। और सबसे बड़ा ज्ञान यह होता है कि: आपको लगता है कि हम सब एक हैं। सुंदर मोतीयों के इन सभी दानों में से केवल एक धागा गुजर रहा है। केवल एक धागा। और एक बार जब आप उस धागे पर पहुँच जाते हैं, तो आप भगवान के साथ एकाकार हो जाते हैं। उनका ज्ञान सबसे बड़ा ज्ञान है। और तब सारा ज्ञान भीतर तक भर जाता है, क्योंकि अब तुम उस अवस्था पर हो, जहां से ज्ञान प्रस्फुटित होता है। ज्ञान का पूरा पुस्तकालय आपके लिए खुला है। जब भी आप कुछ जानना चाहते हैं, बस उस सागर में थोड़ा रूमाल डुबोएं और आप इसे जानते हैं। आप उस ज्ञान के साथ एकाकार हो जाते हैं, इसलिए आपको भावनात्मक पक्ष में भी आनंद मिलता है। आपका भावनात्मक होना, आप अपने पति से प्यार करती हैं। पति मर जाता है मतलब तुम खत्म हो। आप अपनी पत्नी से प्यार करते हैं। पत्नी की मृत्यु का मतलब है कि आप अपने बच्चों को खत्म कर रहे हैं
अपने पति और बच्चों पर आस्था का विचार। यदि पति मर जाता है तो आप पति के लिए रो रही होंगी लेकिन वैसे कभी आप वह नहीं करेंगी जो वह जीवन भर चाहता था। विरोधाभास देखें। यह सोच और ज्ञान और प्रेम है। तीनों के बीच कोई समानता अथवा मेल नहीं है। यहां तक कि अगर आप तर्कसंगत रूप से भी समझें, "हाँ, मेरे पति ने ऐसा कहा, कि मुझे यह करना चाहिए था, मुझे यह करना चाहिए था, और वह इसे करना चाहते थे"
लेकिन फिर भी शारीरिक रूप से, आप कहेंगे I ओह, मैं नहीं कर सकता। ’इन तीन चीजों के बीच कोई एकीकरण नहीं है। और ऐसा प्रेम जो, किसी व्यक्ति विशेष के प्रेम में बंधा होता है, प्रेम का रस, वह एक फूल में समाप्त हो जाता है, पूरे वृक्ष को मार सकता है और फूल अपने आप मर जाता है। ऐसे सभी प्रेम, वास्तव में प्रेम की मृत्यु है। लेकिन वह प्रेम जो बस बहता है, वह प्रेम जो बिना मांगे बहता है, जैसे कि धूप, वह प्रेम जो सिर्फ देता है, और उस आनंद के प्रवाह से भर जाता है और आनंद को बहाने के लिए बहता है — परमात्मा का असीम प्रेम तुम्हारा हो सकता है यह क्षण — जो बह रहा है, यह प्रणव, यह ओंकार, यह रूप, यह सूर्य प्रकाश। यह आपके माध्यम से बह रहा है जो एक तरफ सभी लोगों को, स्थूल को नियंत्रित कर रहा है- रचनात्मक भाग को, दूसरी तरफ, मृत चीज़ों के सभी भंडारण और तीसरी तरफ आपका उत्थान।
तीनो रूपों में वही प्रणव कार्य कर रहा है, आदिशक्ति का बल। माताजी आदिशक्ति हैं, हमारे पिता की जीवन संगिनी है।
परमात्मा आप को आशिर्वादित करें।
मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि आप कुछ समय के लिए ध्यान में बने रहें।
कल, कुछ लोगों को वायब्रेशन मिले और यह बहुत अच्छा था। मैंने आज सुबह उन्हें देखा, मैं बहुत प्रसन्न हुई। आज भी मैं यही आशा करती हूं कि आप इसे प्राप्त करें और कल सुबह ध्यान के लिए आएं। आने की कोशिश करें क्योंकि वहां हम पता लगा सकते हैं। खुद को थोड़ा समय दें। मैं जानती हूं कि आप सभी बहुत महत्वपूर्ण काम करने में व्यस्त हैं, लेकिन थोड़ा सा समय आप खुद को भी दे सकते हैं। आपको खुद को थोड़ा समय देने की कोशिश करनी चाहिए। आप वे लोग हैं जिन्हें पहले डॉक्टर बनना चाहिए, और फिर आप अन्य लोगों का इलाज कर सकते हैं। आप उपचार कर सकते हैं और आप उन्हें सुधार सकते हैं। आप उन्हें जागृति दे सकते हैं और बोध भी। इन तीन दिनों में, मैं पूरी बात नहीं कर सकी। यदि आप मुझे पूरा वर्ष दें तो भी यह असंभव है। और लोग पाँच साल से मेरे साथ हैं और हर बार जब वे कहते हैं "माताजी, यह हम नहीं जानते थे, कि हम वह नहीं जानते थे।" अब, परेशानी यह है कि मैं चाहती हूं कि आप खुद को ज्ञानी बनाने के लिए ज्ञान के पिपासु बने ताकि आप स्वयं जाने कि मैं किस बारे में बात कर रही हूं। मैं तुम्हें नहीं बताऊँगी। आप अपने गुरु हैं। मैं केवल एक माँ हूँ जो बच्चे के जन्म के बाद, कुछ समय के लिए बच्चे की देखभाल करती है। फिर जब आप बड़े हो जाते हैं, तो आप परिपक्व हो जाते हैं, कोई भी आपको प्रभावित नहीं कर सकता है। आप नबी (सिद्ध)हैं। फिर अपने बच्चों को बढ़ते हुए देख कर माँ गौरवान्वित होती है।