What is the Kundalini and how it awakens

What is the Kundalini and how it awakens 1979-01-09

Location
Talk duration
72'
Category
Public Program
Spoken Language
Hindi, Marathi

Current language: Hindi, list all talks in: Hindi

The post is also available in: English, Marathi.

9 जनवरी 1979

Public Program

Bharatiya Vidya Bhavan, मुंबई (भारत)

Talk Language: Hindi, Marathi | Transcript (Hindi) - Draft | Translation (Marathi to Hindi) - NEEDED

Talk in Hindi at the Bharat Vidya Bhavan, Mumbai, Maharashtra, India. 9 January 1979.

[Hindi transcript until 00:49:05]

सबको फिर से मिल के बड़ी ख़ुशी होती हैं | मनुष्य पढता है लोगो से सुनता है बड़े बड़े पंडित आ करके लोगो को भाषण देते हैं | इस संसार में परमात्मा का राज्य हैं परमात्मा न सृष्टि है | ऐसे हाथ करिये बैठे राहिएए जब तक में भाषण देती हूँ उसी के साथ ही कुण्डलिनी का जागरण हो जाता है | आज में आपसे ये बताने वाली हूँ की कुण्डलिनी क्या चीज़ है और उसका जागरण कैसे होता है | कल मेने आपसे बताया था मानव देह हम आज देख रहे हैं इस मानव देह को चलाने वाली शक्तियां हमारे अंदर प्रवाहित हैं | उन गुप्त प्रवाहों को हम नहीं जानते हैं | जिनके कारन आज हमारी सारी शक्तियां ये शरीर मन बुद्धि अहंकार सारी चीज़ो का व्यापर करती हैं उनके बारे में जो कुछ भी हमने साइंस से जाना है वो इतना ही जाना है की ऐसी कोई स्वयंचालित शक्तियां है जिसको की ऑटोनॉमस सिस्टम कहते हैं जो इस कार्य को करती हैं और जिसके बारे में हम बोहत ज्यादा नहीं बता सकते | की वो शक्ति कैसी है और किस तरह से वो अपने को चलाती है | किसी भी चीज़ को जानने का तरीका एक तो ये होता है की अँधेरे में उस चीज़ को खोजिये जैसे आप इस कमरे में आये है और यहाँ अंधेरा है इसको धीरे धीरे टटोलिये जानिये की ये क्या है कोई दरवाजे से आये कहने लगे की ये की ये एक खम्बा है और कोई उस दरवाजे से आये और कहते हैं की वो एक पर्दा है | जो उस तरफ से आये वो कहते हैं की ये किताबे हैं अँधेरे की खोज जो होती है वो अपूर्ण होती है इतना ही नहीं अष्पष्ट होती है और वो अधूरी होने वजह से बोहत गलत भी साबित हो जाती है | समझ लीजिये की इस कमरे को किसी ने खम्भा मान लिए उसने इस कमरे के बारे में कुछ भी नहीं जाना | इस तरह से साइंस में लोग खोजते है ऑब्जेक्टिविटी उसे कहते हैं , ऑब्जेक्टिव नॉलेज वो इस तरह से होता है | और दूसरी एक जान ने की क्रिया हो सकती है समझ लीजिये कमरे में हम आये हम इसे अच्छे से जानते हैं इस कमरे को हम जानने वाले हैं और हम इसके मालिक हैं इसके सब स्विच वैगरह हम जानते हैं जैसे ही आप इस कमरे में आ जाइये हम एकदम से बत्ती जला देते हैं और आप सब कुछ देखने लग जाते हैं | ये दूसरी रीत है की जिस से की आप परमात्मा को जान सकते हैं जिस से की आप सत्य को जान सकते हैं | लेकिन इस तरह से प्रकाश करने वाली शक्तियां बोहत कम हुई हैं इसके कारन जो कुछ भी आपका ज्ञान है वो अधूरा है लेकिन मनुष्य को यह सोचना चाहिए साइंटिस्ट को भी यह सोचना चाहिए की आज हम एक छोटे से अमीबा से जो इंसान बने हैं वो किसलिए क्यों क्या वजह है | समझ लीजिये की हम एक इस तरह का खम्बा बनाते हैं उसके लिए फिर एक दूसरा खम्बा बनाते है फिर एक इस तरह की चीज़ लगते हैं उसमे इस तरह से जोड़ देते हैं तो दूसरा आदमी पूछता है की ये किसलिए इसकी वजह क्या है क्यों आप ऐसा बना रहे है | जब हम ये प्रश्न अपने से पूछते हैं की हम क्यों मॅन्युष बनाये गए इसका कोई उत्तर हमे नहीं मिलता है साइंस में मिल भी नहीं सकता है हम इसलिए मनुष्य बनाये गए क्युकी हम कोई न कोई तरह का विशेष इंस्ट्रूमेंट हैं | कोई व्यवधान हैं कोई साधन हैं | हम किस चीज़ के साधन है ये हम नहीं जानते इतनी सुंदर आकृति मनुष्य की बनायीं गयी हैं उसके अंदर की रचनाएँ इतनी सुन्दर है अगर एक मनुष्य की आँख ही देखा जाये तो उसमे इतनी सूक्षम से सूक्ष्तम चीज़े बनायीं गयी हैं | एक छोटे से सेल से ले करके इतनी सुन्दर काया अगर रची गयी है उसमे कोई न कोई अंतर और हेतु होना चाहिए और जब तक हमे उस हेतु का पता नहीं लगता है तो हम लोगो को जान लेना चाहिए की ये हेतु भी नहीं है इस से आगे हमे कही जाना है या कही हम रुके हुए हैं | जैसे की कल मेने आपसे बताया था की जब तक आप इसे main से नहीं लगाइएगा तब तक इसका अर्थ नहीं लगता है उसी प्रकार आपको जब तक main से नहीं लगाया जायेगा आपका कोई अर्थ नहीं लगता है | लेकिन इसके अंदर जिस प्रकार वो वयवस्था रखी हुई है की इसे main से लगाया जा सकता है उसी प्रकार मनुष्य के अंदर भी वयवस्था है की उसे main से लगाया जा सकता है | कुण्डलिनी वही चीज़ है वही लीड है वही तार है जिसको की main से लगाया जाता है | ये तो सर्वसाधारण एक जड़ एक बात है लेकिन हम ये कह सकते हैं सूक्षम में हमारे अंदर एक वो शक्ति है जो सुप्त रहती है और जब हमारी वो स्थति आ जाती है की जब हम उस परमात्मा की सर्वयापी शक्ति से एककाकार हो जाये उस वक़्त ये शक्ति स्वयं ही उठकर के हमे उस से एकाकार कर देती है | क्युकी ये मृत चीज़ है ये मारी हुई चीज़ है इसलिए हमे इसे जोड़ना पड़ता है | और क्यों की हम इसलिए ये जीवंत प्रक्रिया हमारे अंदर स्वयं ही घटित हो जाती है सहज का मतलब है स मैंने आपके साथ ज मैंने पैदा हुआ आप ही के साथ पैदा हुई ये शक्ति है जिसके कारन ये योग ये मिलान घटित होता है | इसमें आप अपने अंदर बसी हुई आत्मा को जानते है | ये प्रक्रिया सहजयोगा की है ये शक्ति हमारे अंदर त्रिकोणकर अस्ति में स्तिथ है इस पर भी अनेक वाद-विवाद तर्क होते रहते है जो लोग अँधेरे में खोजते है वो ऐसा ही करते है | अंधे लोगो का वैशिस्ट ये होता है की देखते कुछ नहीं बस बाते करते रहते है क्युकी आँख तो होती नहीं है तो मुँह से ही जो कुछ काम करना है | करो ये तर्क वितर्क की चीज़ नहीं है ये साक्षात् है आप अपने आप से कुण्डलिनी को देख सकते है उसका स्पंदनद देख सकते है उसका चढ़ना देख सकते है | उसकी प्रकिर्या देख सकते हैं और अपने अंदर उसका जो कुछ भी प्रादुर्भाव होता है जो effect होता है उसे भी आप जान सकते हैं जब ये घटित होता है| तभी आप जान सकते हैं की संसार में सर्वयापी शक्ति है या नहीं है| ये जो भी बाते परमात्मा के गयी हैं वो सच है या नहीं उस से पहले आप अधूरे हैं आप पुरे नहीं हैं | आप उस से पहले जान ही नहीं सकते इसलिए आत्मा को जाने बैगर कोई भी अगर इंसान कहे की मैं धर्म के रस्ते पैर चल रहा हूँ तो वो गलत है क्युकी वो जानता ही नहीं है, की धर्म का रस्ता क्या है ज्यादा से ज्यादा जो बड़े ऊँचे लोग हो गए हैं| वो बता गये हैं की सच बोलो अच्छे से रहो और इस से आपका धर्म स्थापित हो सकता है किन्तु उस रस्ते पैर आप चल नहीं सकते आप प्रगति नहीं कर सकते आप धर्मातीत नहीं हो सकते| उसके लिए ये घटना घटित होना जरूरी है और इसीलिए जो लोग परमात्मा को जाने बगैर परमात्मा की बात करते हैं , या आत्मा से संबधित हुए बगैर परमात्मा की बात करते हैं वो उसी तरह के है जो की मेरा अगर कनेक्शन अगर आपसे नहीं हो और मैं आपसे बोल रही हूँ और आप उसको सुन ही नहीं रहे है मैं पता नहीं क्या बात कर रही हूँ | आप चाहे परमात्मा के नाम पे किसी भूति का वर्णन कर रहे हो , या परमात्मा क नाम पर आप कोई गलत ही चीज़ को पकडे हैं उसको आप देख नहीं सकते क्युकी आप अंधे हैं | परमात्मा को जान ने के लिए आपकी खुलनी चाहिए | आप आत्मा से ही परमात्मा को हैं | और कोई इसका तरीका है ही नहीं | आत्मा को जान ने के लिए आपकी जो मन्युष चेतना है , human awareness जो है उसको उस हाड तक पूछना चाहिए आत्मा स्थित है | अब आपकी human awareness कहाँ तक है?

जानवरो से आपकी awareness ऊँची है | ऐसा लोग कहते हैं लेकिन awareness आपको प्राप्त होनी चाहिए | अब लोग जो हैं कहते हैं मन्युष जो है यही आखरी awareness है इसके बाद कोई हैं ही नहीं , अगर जानवर से ऊँची awareness है तो हो सकता है इस से भी ऊँची कोई चेतना (awareness ) हो सकती हैं | इस से जो ऊँची चेतना है उसमे क्या घटित होना चाहिए उसके बारे में भी साइकोलॉजी में भी कुछ कहा जाना चाहिए | साइंस के इतने फायदे हैं की कहा जाये जो सहजयोगा का स्टेटस बन गया है, यहाँ जा कर साइंस रुक जाता है | वही सहजयोग काम आता है | साइकोलॉजी में लोगो का ये कहना है जैसे यूँ जैसे एक बोहत बड़े साइकोलॉजिस्ट हो गए हैं जैसे राइट िसिस्ट उन्होंने अनेक लोगो के स्वपन आदि अनुभवों से निदान लगाया की हमारे अंदर कोई न कोई ऐसी शक्ति है या तो बाह्य में कोई शक्ति है जो स्वरवापि है उसे ये युनिवेर्सल unconcious कहते हैं जो स्वप्न में हमारा मार्गदर्शन करते हैं | स्वप्न में लीजिये एक आदमी है वो अगर देखता है की मैं रात दिन अपने लड़के सामने झुकता हूँ उसको नमस्कार करता हूँ इसका अर्थ ये होता है की वो आदमी उस बच्चे के बारे में सतर्क किआ जाता है की ये बच्चा आदरनिये है उसका आदर करो | अगर कोई लड़की है उसको कोई ऐसा स्वपन आता है की उसकी माँ राक्षसिन है तो उस लड़की को ये चेतना मिलती है की तुम्हारी माँ तुम्हे खराब खराब कर रही है तुम्हारा लाड कर रही है तुम्हे खराब कर रही है उस से तुम चेतित हो जाओ | ऐसे अनेक एक्सपेरिमेंट उन्होंने किए हुए हैं और उनकी बोहत बड़ी सोसाइटीज भी हैं लंदन में , उसका बोहत बड़ा संगठन है | और उनको लोग बोहत ऊँचे किस्म के साइकोलॉजिस्ट समझते हैं | ऐसे अनेक और भी हैं जिन्होंने इस चीज़ को माना है की एक ऐसी शक्ति है जो यूनिवर्सल unconcious नाम से जानी जाती है , unconcious (अचेतन ) इसलिए की क्युकी वो हमारे चेतन मन में नहीं है | जब वो हमारे चेतन मन में आ जाएगी तो वो concious हो जाएगी | सहजयोग से आप इस यूनिवर्सल concious को या इस सार्वभौमिक सुपत चेतन को अपने अंदर चेतन कर सकते है | आपके concious mind में आ सकता है जिसको की आप स्वयंचालित शक्ति कहते हैं उसकी चालना आप कर सकते हैं | यानि हमारे अंदर की ये जो सुपत शक्ति है जिसे कुण्डलिनी कहते हैं जोकि ३. ५ कुण्डलों में हमारे त्रिकोणकर अस्थि में सुपत रहती है उसकी जागृति हो कर के जब वो हमारे मेरुदंड से निकल कर के और हमारे सहस्त्रार से निकल कर के इस जगह से जिसे की हम तालु कहते हैं |

उसको छेद करके और उस सर्वाव्यापी शक्ति से एकाकार हो जाती है तब हमारे अंदर भी सर्वाव्यापी शक्ति बहने लग जाती है | ये जब घटना घटित होती है तब हमारे अंदर जो सात चक्र हैं , ये हमारे सात अंगो को बताते हैं ,जिसको की एक साधारण तोर से हम कहते हैं की हमारा physical ,mental ,emotional, spritual being जो है | उस सब को चेतित कर्क उसको समग्र intigrate देती है | मनुष्य में intigration नहीं है , अगर कोई काम हम अपनी बुद्धि से ठीक समझ के करते है तो हमारे मन नहीं गवाही देता की ये ठीक काम है , वो कहता है नहीं ये ठीक काम नहीं है | अगर हम कोई मन से काम करते है तो शरीर कहता है की बाबा हमारा तो उठने का मन नहीं है | हम नहीं करने देंगे | लेकिन जब सात चक्रो को लांग करके , छह चक्रो को पार करके , सातवाँ चक्र तो सिर्फ बैठा ही है , लाँग करके जब ये शक्ति हमारे भ्रमरंद को छेद देती है तब हमारे अंदर की ये जो विविध हैं , तबीयतें हैं aspects हैं , वो सब एकाकार समग्र हो जाते हैं , और दूसरे उस सर्वव्यापी शक्ति से हम एकाकार हो जाते हैं, अनेक बार मैं इसको बता चुकी हूँ की सर्ववायपि शक्ति किस प्रकार है | जैसे माला के अंदर एक सूत्र चला जाता है | लेकिन हर मनका अलग दिखाई देता है उसी प्रकार हमारे सबके अंदर से गुजर के गयी है ,सर्ववायपि शक्ति हमारे अंदर सबके अंदर गुजर के गयी है | लेकिन सबके अंदर थोड़ी थोड़ी सी जगह है (gap ) जब ये जगह कुण्डलिनी लांघ लेती है तब वो पूरा सूत्र पूरा हो जाता है और जब आपका चित्त मन के पे रहता है यानि की बाहर रहता है तब आप सोचते हैं आप अलग हैं आप अलग हैं लेकिन जैसा ही आपका चित्त उस सर्ववायपि सूत्र में एककाकर हो जाता है तब ये घटित होता है लेक्चर बाजी नहीं है तब ये घटित होता है की आप दुसरो के साथ भी एकाकार हो जाते हैं उसमे फिर लेक्चर देने की जरूरत नहीं है UNO की स्थापना करने की जरूरत नहीं है की हम सब भाई -बहन हैं | फिर हम हमारी उँगलियों पर देख सकते हैं की इनके कौन से चक्र पकडे हैं और हमारे कोण से चक्र पकड़े हैं | सब हम आपस में देख सकते को और हम ये भी देख सकते हैं की हमारे अंदर कौन सी कमजोरियां हैं | हमारे कौन से चक्र खराब हैं हम अपने को देख सकते हैं (सेल्फ-नॉलेज ) और हम दूसरों के भी देख सकते हैं और हम एकता से महसूस करते हैं की उनको तकलीफ हो रही है हमारी ऊँगली में भी तकलीफ हैं और चाहे तो उसे ठीक करदे , या हम इसे मसल दे इनकी तकलीफ यही हो जाएगी | अब दिखने को चीज़ ऐसी लगती है की कोई जादूगरी है लेकिन हैं ही जादूगरी पहले ही मेने आपसे कहा की में जो बात आप से कह रही हु वो जादूगरी चीज़ है | आउट ऑफ़ द ब्लू है आजकल की दुनिया को देखते हुए कोई समझ नहीं सकता है की कितनी कमाल की चीज़ है और कितनी ऊँची चीज़ है | और अभी तक हम पुरे तरह से अज्ञान में बैठे हुए हैं जब आप इस चीज़ को पा लेते हैं तभी आपको असली ज्ञान आ जाता है और तभी आपको बड़ा आश्चर्य होता है जब आपके सत्य प्रकट होते हैं और सत्य क्या प्रकट होता है आप पर आप देखने लगते हैं की आप कुछ भी नहीं करते आप सिर्फ मरी हुई चीज़ो का काम करते हैं जैसे अगर कोई पेड मार गया तो आप फर्नीचर बना देते हैं और आप सोचते हैं की आपने बड़ा भरी काम कर दिया कुछ पत्तर ले आये बिल्डिंग खड़ी करदी आप सोचते आपने बड़ा भारी काम कर दिया लेकिन एक भी जीवंत क्रिया आप नहीं कर सकते | सारा ही कार्य संसार का सारी ही प्लानिंग परमात्मा की शक्ति करती है | परमात्मा का चित्त करता है | और जब आप उस चित्त में एकाकार हो जाते हैं तो आपको आश्चर्य होता है की आप भी किस तरह से शक्तिशाली हो जाते हैं | और आपकी स्वयं शक्ति किस तरह से बहने लगती है हमारे लंदन में एक साहब थे उनसे कहा की तुम यहाँ बैठे बैठे सबको जान सकते हो , उसने कहा कैसे ? अच्छा मेने कहा तुमको किस के बारे में जानना है की हमे अपने पिता के बारे में जानना है हमने कहा की उनकी धरना करो उनके तरफ ऐसे हाथ करो हाथ करते ही सार उनके राइट हैंड साइड इस और की ऊँगली में बड़ी जोर का दर्द और जलन होने लगी , ये ऊँगली जो है विशुद्धि चक्र है राइट साइड में माने कुछ तो प्रॉब्लम है विशुद्धि चक्र का और ये जो निचे की और है फादर (पिता ) की साइड में, ये मदर की साइड है यहाँ पे , मेने कहा तुम अपने फादर को फ़ोन करके पूछो , उन्होंने करा फादर को फ़ोन तो उनकी माँ ने फ़ोन लिया वो स्कॉटलैंड में थे , उन्होंने कहा तुम्हारे फादर बोहत बुरी तरह से ब्रोंकिट्स से बीमार पड़े हैं | मेने कहा अच्छा चलो यहाँ ही हम उनका ट्रीटमेंट करते हैं | क्युकी ये विश्वव्यापी शक्ति है उसका इशारा आपके हाथो पर आ जाता है , लेकिन ये नहीं की कोई साहब आ रहे हैं हमे पूछे की माता जी ये बताओ घोड़े का नंबर क्या है ? ऐसे भी बेवकूफ बड़े होते हैं जिनको की अक्ल ही नहीं रहती है की परमात्मा को क्या पूछना चाहिए कहेंगे की घोड़े का नंबर बताओ , नहीं तो कहंगे की अच्छा बताओ मेरे लड़का होगा या लड़की होंगी ? बोहत तो बोलेंगे की इनकम टैक्स में मैं छूट जाऊंगा के नहीं ऐसे ऐसे बेवकूफ लोगो के लिए नहीं ये , ये समझदार लोगो के लिए है बुद्धिमान लोगो के लिए है वाइज लोगो के लिए है | ऐसे वैसे बेवकुफो के लिए ये चीज़ नहीं है , जो ऐसे बेवकूफ लोग होते हैं उनसे हम भागते है ५०० मील दूर | लेकिन कोई वाइज आदमी हो उसके लिए रात दिन मेहनत करते हैं | तब ये शक्ति आपके अंदर जागृत हो जाती है , जब ये शक्ति आपके अंदर जागृत हो जाती हैं धीरे धीरे आप इस से एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं | अब आप अगर समझ लीजिये आप पैदाइशी ही पार हैं आप इस शक्ति से प्लावित हैं और आप पैदा हैं लेकिन तो भी आप नहीं जानते की कौन सी ऊँगली में अगर चमक आये तो क्या मतलब है बोहत से लोग कहते हैं तो कही नहीं जाती मेरे हाथ में पता नहीं क्यों जलन सी आने लग जाती है इस से ज्यादा तो कुछ नहीं जानती वो कौन से चक्र हैं कौन सी ऊँगली है उसका क्या मतलब होता है | हर एक चीज़ का क्या मतलब होता है उसका इलाज क्या है उसका निर्वाण क्या है , कुंडलिनी को कैसे उठाना चाहिए की कौन सी कौन सी तकलीफे हैं किस किस तरह से हर तरह की कुण्डलिनी को ऊपर उठाया जा सकता है और किस तरह से उसको स्थिर करना चाहिए उसको जमाना चाहिए किस तरह से सारे संसार में इसके धीरे -धीरे धागे किस तरह से बाँधने चहिए | ये बड़ा भरी ज्ञान है इसको बताने के लिए कोई तो इंसान चाहिए के नहीं , इसीलिए इसको बताने के लिए हम इस संसार में आये हैं क्युकी हम जानते हैं ये सब आप जब हमसे आगे मिलिएगा तब जानिएगा की हम बोहत कुछ जानते हैं किताब हम नहीं लिखते लेकिन जानते हम बोहत हैं और ये भी जानते हैं की आप लोग भी इसको जान सकते हैं ,हुआ भी है | हर एक चीज़ को आपसे बताने वाले हैं गुप्त से गुप्त भी सारी बाते आपको बता कर इसकी मास्टरी करा सकते हैं | यहाँ ऐसे बड़े बड़े पहुंचे हुए लोग बैठे हैं आपके पीछे साधारण से साधारण कपडे पहनते है वो कोई सिंघ लगा के नहीं घूमते की भगवे वस्त्र पहन करके घूमते की साहब हम बड़े डंडे आये हुए सन्यासी किधर से जो असल होता हैं उनको क्या जरूरत है की वो इश्तिहार लगा ले बैठे अपने , जो सूरज होता है क्या वो इस्तहार लगा के बैठा है की में सूरज हूँ | अरे वो सामने दिखाई दे रहा है की वो सूरज है इसी प्रकार ये घटना अंदर की है बाह्य की, बहार की नहीं हाँ लेकिन बहार ऐसे इंसान के मुख पर तेज आ जाता है उसकी परकीर्ति में शान्ति आ जाती है , उसके अंदर की जो कुछ आदते हैं वो अपने आप छूट जाती हैं प्रेमय हो जाता है उसका सवभाव चंचलता स हाट जाता है आराम से वो सोता है परमात्मा के राज्य में वो आनंदमय रहता है कभी बोर नहीं होता वो , दुसरो को दुःख नहीं देता , सबको सुख देने में लगन होता है और आनंद विभोर रहता है हमेशा वर्तमान में रहता है किसी को परेशान नहीं करता है उसकी जो भी इम्पेर्फेक्शन है उसको करेक्ट करते रहता है हर समय जो भी उसकी कमियां हैं उनको ठीक करते रहना | उसकी शारिरिक कमियां , भौतिक ,मानसिक , सब वो ठीक कर सकता है अपनी भी और दूसरे की भी और परमात्मा का सच्चा अर्थ वो समझता है अपने अंदर और उसके अंदर परमात्मा की सच्ची शक्ति की चलना होती है जो परवाह बहने लग जाता है तो उसके अंदर से अनेक कार्य ऐसे हो जाते हैं की आश्चर्य होता है जैसे की ऊँगली न घुमा दी दी तब परमात्मा का चमत्कार देखने को मिलता है जो असली चमत्कार है | इस तरह अंगूठी उठा के आपको पकड़ा दी | ऐसे फालतू चमत्कार में जिसकी श्रद्धा हो उनका यहाँ कोई काम नहीं | जो मनुष्य सच्चा होता है वो परम की बात करता है ये पत्थरों की बात नहीं सचाई की बात है उसके अंदर फिर कोई temptation नहीं रह जाता उसमे धर्म अपने आप जागृत हो जाता है अपने घर में संतोष पता है वो उसके अंदर लक्ष्मी की भी कृपा होती है , लक्ष्मी की मेने कहा पैसे की नहीं , लक्ष्मी और पैसे में बड़ा ही अंतर होता है अनेक उसके फायदे होते हैं उसके बारे में कल जो सेमिनार होगा उसके बारे में details (विस्तृत) बताऊँगी | लेकिन सबसे बड़ा फायदा ये होता है मनुष्य अपने बारे में जान जाता है उसका अर्थ क्या है वो इस संसार में क्यों आया है | वो ये जान जाता है वो एक साधन है जो परमात्मा के हाथ में खेल रहा है जैसे की एक आर्टिस्ट के हाथ में एक कुंजली या उसका ब्रश खेलता है उसी तरह से मनुष्य बन जाता है उसके अंदर से ये शक्ति अव्याहत बहती है | उसके बाद फिर ओछी बातें , जड़ बातें , छोटी बातें , सब गिर जाती हैं , फूल से आप फल हो जाते हैं आप mature हो जाते हैं | आपकी priorties (मूल्य -अमूलय ) आपके बदलते हैं | किस चीज़ को महत्त्व देना चाहिए किस चीज़ को नहीं ये अपने आप ही घटित होने लगता है | फिर लेक्चर देने की जरूरत नहीं है आप कोई सा भी गलत काम करें फ़ौरन आपको पता चल जायेगा की मेने ये गलत काम किआ , आपको अच्छा नहीं लगेगा फ़ौरन आपके हाथ में उँगलियाँ आपकी काटने लग जाएँगी आपको, मज़्ज़ा नहीं आएगा | जिंदगी का मज़्ज़ा आने लग जाता है सबसे पहले जो चीज़ होती है कुण्डलिनी के जागरण से जब चक्र को छेद देती है | कल में आपको सब बताऊँगी चक्र वक्र कौन से हैं क्या हैं लेकिन जब आज्ञा चक्र को कुण्डलिनी छेद देती है तो आपमें निर्विचारिता आ जाती है बिच में आ जाते है एक तरफ से आपके गत विचार हैं जिस से आप conditioned हैं या आपका past है जिस से आप सोचते रहते हैं की करूँगा परसो क्या करूँगा इन दोनों को बीचो बिच आप आ जाते हैं निर्विचार हो जाते हैं क्युकी present में कोई भी विचार नहीं रहता आप जागृत हैं अव्यय हैं लेकिन आप निर्विचार हो जाते हैं | जैसे ही कुण्डलिनी भ्रमरंद को छेद देती है वैसे ही आपके अंदर से ये शक्ति बहने लग जाती है यानि पहली मर्तबा ये जो आत्मा की चैतन्य शक्ति है वो आपके अंदर से इस तरह से बहने लग जाती है की आपकी जो nerves हैं central nervous system जो चेतना शक्ति स्त्रोत है वही शक्तिमय हो कर के आपको बताता है | अभी तक आपके लिए सिर्फ ये हाथ मात्र था उसके बाद आपके अंदर से ये शक्ति बह कर के आपको बताती है आप स्वयं ही instrument हो जाते है आप ही उसको चलाने वाले और आप ही उसको जान ने वाले हो जाते हैं अभी तक मनुष्य की चेतना में चाहिए हमारे मज़्ज़ा तंतु की जो हमारे उत्क्रांति हुई है एवोलुशन हुई है चीज़ आ जाती है एक नया आयाम नया dimension आता है जिसके कारन हम ये महसूस करने लग जाते है हम ये फील करने लग जाते हैं खोखली चीज़ है और हमारे अंदर से कोई tremendous powerful शक्ति जो की प्रेम मय है बहने लगती है | इसके लिए कोई आपको brain wash देने की जरूरत नहीं इसके लिए कोई आपको समझाने की जरूरत नहीं होती हमारे यहाँ मेरी नातिन २. ५ साल की है वो पैदाइशी पार है चारो मेरे ग्रैंड चिल्ड्रन पैदा पार हैं मेरे बच्चे नहीं हैं लेकिन वो हैं और वो उड़ाती चिड़िया पहचानते हैं | अभी एक इंग्लैंड की एक सहजयोगिनी आयी थी इतनी सी २. ५ साल की मेरा क्या पकड़ा तो उस से कहने लगी लेफ्ट विशुद्धि और लेफ्ट नाभि , ये दोनों तुम्हारी पकड़ी हुई है वो हैरान हो गयी उसने कहा की में ठीक करती हूँ तुमारा , जो बच्चे आजकल संसार में आ रहे हैं जो की विशेष बच्चे दिखाई देते है वो असल में पार बच्चे हैं बोहत बड़े बड़े जीव इस संसार में आ रहे हैं उनको समझने के लिए जरूरी है की आप भी पार हो जाइये नहीं तो आपको समझ में भी नहीं आएंगे ये कहाँ की बात कर रहे है आप कहेंगे की हैं कुछ समझ में नहीं आता है ये बच्चे जो हैं वो सहजयोग करते हैं आपकी पीठ पैर चढ़ जायेंगे आपकी विशुद्धि को मारेंगे हमेशा बन्दुक लेके ठा ठान आपकी ऐसे मारते रहेंगे | हम समझ नहीं पाते इस चीज़ को क्युकी हमारा ज्ञान तब पूरा होता है जब हमारे अंदर की आँखे खुल जाती हैं सो ये कुण्डलिनी जब उठति है तब सबको प्रकाशित करती हुई चक्रों को प्रकाशित करती हुई हमारी चेतना को भी प्रकाशित करती हुई भरमरंद को छेद देती है | आत्मा का स्थान हृदय है लेकिन उसकी सीट हृदय में होते हुए भी उसका स्थान सदाशिव का यहाँ पर है जिस वक़्त वो जागृत हो जाता है तो जिस समय ये चीज़ यहाँ एक क्षेत्रज के नाम से है वो वह जागृत हो जाती है हमारे ब्रेन अंदर जो चीज़ हमारे ब्रेन के अंदर है वही हमारी चेतना अंदर है इसलिए वो हमारे चेतना में आ जाती है इसीलिए जो यूनिवर्सल conciounes है | जो सुप्त चेतन है वह चेतन हो जाता है | इस तरह की प्रक्रिया सहज है , "सहज समाधी लागो "| सहज ही होना चाहिए , अगर वो चीज़ सहज नहीं है तो वो जीवंत हो ही नहीं सकती | क्युकी जितनी भी महत्वपूर्ण चीज़े है समझ लीजिये आपका स्वाश लेना है इसके लिए अगर आपको किताबे पढ़नी पड़ती तो अभी तक न जाने आपका क्या हाल हो गया होता | जो भी महत्वपूर्ण संसार की जितनी भी चीज़े हैं वो सब सहज ही हैं | इसीलिए आपके अंदर की जो प्रक्रिया है जो ऐवोलुशन की आखरी चीज़ है वो भी सहज है और आप ही के अंदर बनि हुई है और ये परमात्मा क ही हाथों से होने वाला है | आपके करने से कुछ नहीं होता आपके करने से कोई बीज भी नहीं उग सकता तो आपकी कुण्डलिनी आपके करने से कैसे निकलेगी? जीवंत चीज़ तो आपने एक भी नहीं की आज तक लेकिन जब आप पार हो जाते हैं तब ही आप जीवंत चीज़ करते हैं | तब आप दूसरों की कुण्डलिनी भी उठा सकते हैं इतना ही नहीं पर आप जिस जगह हाथ रख दे , ऐसे ऐसे चमत्कार है इसके एक तो में आपको बताउंगी उसके बाद हम लोग ध्यान करेंगे | जैसे की हमारे राहुरी में वहाँ पर एक बड़ा भारी agricultural (कृषि ) यूनिवर्सिटी है | उसमे बोहत से साइंटिस्ट लोग पार हो गए उन्होंने एक्सपेरिमेंटेशन शुरू कर दिया , गेहूं पर,चावल पर, गाय पर तो कहने लगे की एक भारतीय गाय को उन्होंने वाइब्रेशन का पानी दिआ , विब्रेटेड तो इतना आश्चर्य हुआ की वो जो भारतीय गाय थी वो एक ऑस्ट्रिलियन गाय जितना दूध देने लगी | और बड़ा ही उसका स्वाद बोहतअच्छा था वैसे भी ऑस्ट्रिलियन गाय का इतना अच्छा दूध नहीं होता जैसे की भारतीय गाय का होता है वो तो वैसे भी प्रेम से देती है और शकल भी उनकी फरक होती है अगर आप इंग्लैंड की गाय देखे तो आप कहेंगे ये सफ़ेद भैंस है उसके गाय के जैसा मुँह नहीं होता जैसे हिन्दस्तानी गाय के जैसा मुँह पर जो प्रेम होता है उनका भैंस के जैसा मुँह होता है क्युकी उनको बिलकुल mechanise (मशीनी ) बना दिया गया है | गेंहू के बारे में बता रहे थे , की उन्होंने कुछ गेहूं viberate वाटर से उगाये तो बड़े बड़े मोती के दाने गेहूं के दाने निकल कर आये उसके बोरे उन्होंने भर कर के गोदाम में रखे हुए हैं | बोहत बड़ा गोदाम था और उसमे और भी चीज़े रखी थी दुनिया भर की चीज़े उनको ये आचार्य हुआ की जो चूहे थे उन्होंने सब हर एक तरह के बोरो को अपने दांत लगा दिए और बोहत से बोरों में से खाया यहाँ तक की जो पैंट होता है जो सीड को , सीड के तेल निकलने के बाद जो बच जाता है जिसे सीड कहते हैं उसमे तक चूहों ने दांत लगाए लेकिन ये जो बोरे रखे थे ये ऐसे के ऐसे रखे थे वो उनको भी समझ में आया की ये विब्रेटेड हैं | फिर ये भी समझ में आ जाता है कोन सी चीज़ असल है कौन सी चीज़ नक़ल है | जैसे की मूर्ति पूजा अब अषटविनायक हम कहते हैं स्वम्भू हैं के नहीं हैं , कैसे पता करे आप जाके वाइब्रेशन देख लीजियेगा पता चल जायेगा हैं के उनके अंदर से वाइब्रेशन हैं | और बाइबिल में भी कहा है की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए क्युकी जो पृथ्वी बनाती है वो स्वयंभू है , अगर मूर्ति बनाएंगे तो उसमे दोष आ जाते हैं लेकिन realization (आत्मा-साक्षत्कार ) के बाद आप किसी भी मूर्ति में वाइब्रेशन दे सकते हैं , जैसे की इस को आप देखे मेने इसमें जागृति दी हुई है , ये भी अब स्वयंभू के बराबर है | यानिकी पत्थर को भी realization देके आप स्वम्भू बना सकते हैं | लेकिन जैसा आप चाहे वैसे आप नहीं कर सकते, अब हर एक चीज़ का अर्थ निकलता है | वहाँ पर एक गावं है उस गावँ के पास में जमीन में एक ऐसा पत्थर निकल आया की इस पत्थर की वजह से पानी की बंद धारा नहीं बाँध पाते थे , कुछ समझ में नहीं आता था कितनी भी लोग कोशिश करें वो गिर जाये वो ढह जाये , तो उन्होंने वह देखा की जमीन में से कुछ पत्थर निकल आये हैं , कुछ पता नहीं इस में से क्या शक्ति है की वह , अंग्रेज लोगो की बात है , इंग्लिश लोगो की उन्होंने सोचा ये जगह को छोड़ दो और बंधारे को इस तरह से ले आओ , इस तरह से कोशिश की जैसे की straight (सीधा) बंधारा नहीं हो पाया | उन्होंने वो जगह छोड़ कर , इधर से और उस तरफ से बंधारा दे दिया | जब मैं वहां गयी उस जगह पर तो उन्होंने कहा माताजी बताइए यहाँ क्या चीज़ है , तो मेने कहा तुम वाइब्रेशन देखो , वो जगह सहस्त्र जैसी है , जैसे साहहस्त्रा से वाइब्रेशन आते है वैसे वह से आते हैं मेने कहा ये वाइब्रेशन ये तो स्वम्भू चीज़ है इस वाइब्रेशन के ऊपर तुम कुछ बंधोगे तो वो बंधेगी कैसे ? स्वम्भू है | स्वम्भू लिंक वैगरह से आ रहे होंगे , वाइब्रेशन आ रहे होंगे तो उन्होंने कहा होगा लो भाई | मैं कश्मीर गयी थी जाते जाते रस्ते में मुझे बोहत वाइब्रेशन आये तो मेने ड्राइवर से कहा की भाई यहाँ कोई मंदिर है क्या पुराना कोई चीज़ है यहाँ मूर्ति है , तो उसने कोई चीज़ नहीं है माताजी मेने कहा अच्छा गाड़ी रोक दी मेने कहा पता तो करो क्या हैं यहाँ , तो उसने कहा हाँ यहाँ कुछ है मुसलमानो का मेने कहा क्या है मुसलमानो का ? चलो देखते है क्या है हम वह पहुंचे तो हमने कहा क्या है यहाँ पर इतनी बड़ी मस्जिद बना के राखी है तो कहने लगे हज़रात इकबाल है यहाँ पर मोहमद साहब क सर का एक बाल वह रखा है उसे सुनते ही में तो ध्यान में चली गयी , एक बाल के इतने वाइब्रेशन , जिसे लेकर ये गधे मुसलमान लड़ रहे , ऐसे हम गधे हिन्दू भी आपस में लड़ते हैं पता तो कुछ भी नहीं है और लड़ते रहते हैं | अरे धर्म के नाम पर लड़ने का क्या मतलब है , उसके पीछे काटमार हो गयी उस से पूछो की ये मोहमद साहब का एक बाल है के नहीं बताओ क्या प्रूफ है , चाहे किसी और का बाल हो क्या प्रूफ है ? दिल्ली में हज़रात निजजामुदिन साहब हैं वो पार आदमी थे | वो पार हैं तो साड़ी दुनिया के लिए पार हैं किसी के बाप की सत्ता नहीं है , शिरडी के साईनाथ मुसलमान थे , पार थे , दत्तात्रेय स्वयं साक्षत्कार थे | जब तक तुम पार ही नहीं हो तुम कैसे जानोगे तुम्हारी आँखे ही नहीं , कैसे जानोगे , कह रहे की तुम मुसलमान और तुम हिन्दू | कहा से तुम हिन्दू हुए अभी तो ठुमरी कुण्डलिनी भी जागृत नहीं हुई , ये जन-संघ वाले कह रहे हिन्दू है इनसे जेक पूछो की भाई तुम क्या बात कर रहे हिन्दू की अभी तक तुम पार ही नहीं हुए कुछ नहीं हिन्दुइस्म क्या चीज़ है और तुम बना क्या रहे हो राजकीय दल , धरम के नाम पर राजकीय दल | धर्म के नाम पर राजकीय दल कैसे बन सकते हैं , धर्म धर्म होता है ही धर्म एक सूत्र के हैं | एक ही तत्व के हैं उनमे कोई अंतर नहीं है ,एक ही शक्ति है , जैसे में कहती हूँ एक ही पेड पर फूल लगते हैं एक ही शक्ति होती है पर कुछ लोग उन फूलो को तोड़ कर आपस में लड़ते हैं ,वो फूल मर जाते हैं , जो जीवन्तं नहीं वो धर्म नहीं है और जो मरा हुआ है वो बिलकुल व्यर्थ है | उसको धरम के नाम से पुकारना ही बिलकुल व्यर्थ है | हिन्दू धर्म क्या है इस्लाम क्या हैं ,सब कुछ आप सहजयोग मैं आने के बाद आप देखते हैं ही विर्क्ष के फूल है और सब के सब आपके अंदर बसे हैं , आप मुसलमान भी हैं , हिन्दू भी हैं , क्रिस्चन भी हैं , आपके अंदर मुहम्मद साहब भी हैं , आपके अंदर ईसामसीह भी हैं और आपके कृष्ण भी हैं | इस सब का पता सिर्फ जबानी ही नहीं है , आप सब को एक्सपेरिमेंट करना होगा में आपको बताउंगी की कृष्ण कौन थे और उनका आपसे क्या रिश्ता था | क्रिस्ट कौन थे , वो सब एक थे और यहाँ पागलो के जैसे लठम -लाठी हो रहे हैं , मेरे तो समझ में नहीं आता में इसने पागलों को मैं क्या कहूं। इसा मसीह ने कहा है "Those who are not againest me are with me "( जो मेरे खिलाफ नहीं है वो सब मेरे साथ हैं ) अब इन पोप साहब से जाके पूछो ये कि ये कौन हैं , उनको तो अपनी पड़ी हुई है ,इसा मसीह के पास कितने कपडे थे ? इनको डायमंड्स लगाने के थे ये अपने डायमंड्स बना रहे है , आज के शंकराचार्य भी सुनते हैं की वो छत्र बना रहे हैं , इतना सा तो है इतना बड़ा छत्र जब धड़ से आके सर पर गिरेगा तो सब शंकराचार्य निकल आएगी , और वो जो शंकराचार्य आदि थे उनसे पूछो की उनको अपनी माँ की लाश जलाने के लिए लकड़ियाँ तक नहीं थी और ये आज बना रहे हैं ये जैन मुनियों से जाके पूछो , महावीर कहाँ और ये कहाँ जस्ट ओप्पोसिशन में जाके खड़े हुए हैं और हम उन्ही के पैर छू के सोचते हैं की हम परमात्मा को पा लेंगे सब सीधे नरक के द्वार उतरने वाले हैं सीधे और आप भी उसी के साथ चले जाइएगा इसलिए सतर्क होने की जरूरत है , धर्म को असलियत में पाना है , किसी भी धर्म की निंदा वही करता है धर्म के बारे में कुछ भी नहीं जाना है , जैसे आप धर्म के पुरे प्रकाश में आ जाते हैं आश्चर्य चकित हो जाते हैं की कितना सुन्दर सामंजस्य और संतुलन और पूरी तरह से उसकी बैठक है, ये सब झगडे ख़तम हो करके मनुष्य एक सम्पूर्ण संसार में विचरण करने लग जाता है जहा पर हर एक देश के हर एक प्रान्त के हर एक धर्म के, हर तरह के रेस के काले , गोरे सबके अंदर एक ही परमात्मा की शक्ति विचरण करती हुई नज़र आती है , तभी कहा जाता है की आप परमात्मा साम्राज्य में प्रवेश कर गए हैं जहा पर ऊंच नीच इस प्रकार का कोई भी भेद नहीं पाया जाता और सब उसकी छत्र छाया में आनंद से अपने जीवन को एक सुन्दर सा बोहत ही मनोहर सा जोकि कभी भी विशवाश नहीं हो सकता इस तरह का महल बनता है , आशा है आप सभी लोग सहजयोगा में अनेक उपलब्धियां पाने के बाद दुसरो को भी इसका पूरा पूरा फायदा देंगे और इस चीज़ के लिए इसकी सराहना करेंगे इसमें विश्वाश रखेंगे की ये सच्ची चीज़ है इसमें कोई सर्कस नहीं है , कोई एडवेर्टीस्मेंट (विज्ञापन) नहीं है आपके सामने अज़्ज़िज़ी नहीं है कोई तमाशेबाज़ी नहीं है सच्ची चीज़ है , सच्ची का वर्ण करे ये जो इतनी अच्छी चीज़ जो परमात्मा ने आपके लिए बनायीं है जो आपको पाने का है आपको अधिकार है वही हम आपको दे रहे हैं , आपकी ही पूंजी हम आपको दे रहे हैं , आपकी ही सम्पदा हम आपको दे रहे हैं , आपकी ही सत्ता , सिर्फ समझा रहे है बेटे चाबी कैसे खोलने की है और फिर अपनी सम्पदा देखो | जो असल है वही पाने का है , और कुछ भी पाने का नहीं है , जब वो पा लेता है आदमी तो उसको पाने के बाद सारे आनंद तुछ लगते हैं , जैसे कोई अमृत को पाने के बाद गंदे नाले की और , अपने आप हो जाता है में आपसे ये नहीं कहूँगी ये नहीं करो वो नहीं करो , सिग्रेटे मत पियो फलाना मत करो , पार होने के बाद आप ही छोड़ देंगे लेकिन अगर आप सिग्रेटे पिटे हैं मुश्किल होती है यहाँ (विशुद्धि ) पर कुण्डलिनी रुक जाती है तो मेहनत करके उसको हम खोल भी सकते हैं कल ही एक साहब कह रहे थे माताजी में १५ साल तम्बाकू खाता था कमाल है और आप ने मुझे १ मिनट में पार कर दिया , मैं तो कहता हु सम्पदा मेरी थी , आपकी नज़र पड़ी और मैं एक मिनट में पार हो गया १५ साल तम्बाकू खाता था, मैंने कहा उसके बाद थोड़े असर तो आये न उसके , हाँ उसके बाद थोड़े असर आये लेकिन में साफ़ भी कर गया | तो सहजयोग में और दूसरे योगो में इतना अंतर है की पहले ऐसा होता था की धीरे धीरे सफाई करो , सब ठीक करो , ये ठीक करो , धीरे धीरे उसे रगड़ते रहो , फिर से जनम लो फिर से रगड़वाओ , और उसके बाद जब ठीक हो जाये तो उसका डीप जलाओ | अब हमको तो उतावली हो गयी है हमने कहा उल्टा शुरू करो , एक होता है मोटर रिपेरिंग करो ठीक करो फिर चलाओ फिर स्टार्ट नहीं होती फिर ठीक करो फिर स्टार्ट नहीं होती , दूसरा तरीका ये है की आप अगर होसियार आदमी हैं तो आप अपने को स्टार्ट तो कर दो फिर उसी कुण्डलिनी से अपने आप को आप ठीक करो, ऊपर से निचे तक उसी कुण्डलिनी की शक्ति से अपने को आप ठीक भी कर सकते हैं | तो पहले आपको जागृत करदो आत्मा से परिचित करा दो उसके बाद आप ही अपने को ठीक करते रहो | ये दूसरा तरीका का क्युकी आजकल जेट योग है इसलिए कुण्डलिनी भी इसी तरह होनी चाहिए , लेकिन बार बार जैसे मेने पहले भी कहा था बार बार यही कहूँगी हालाँकि बोहत ही जल्दी कुण्डलिनी बोहत जल्दी भरमरंध को छेद देती है लेकिन आपके अंदर बोहत कम्प्लीकेशन आ जाती हैं | आप शेहर में रहने वाले लोग हैं आपसे ग्रामीण लोग ज्यादा सुलझे हुए लोग हैं , आप लोग जरा से उलझे हुए हैं , कॉम्प्लिकेटेड लोग हैं आपको थोड़ा टाइम लगेगा , इसलिए कुण्डलिनी फिर जाती है उसको रिपेयर करती करती है फिरसे से जा कर के ऊपर निचे उतरती है, इसलिए थोड़ा उसको टाइम देना पड़ेगा और अगर आपने उसको टाइम दिया उसको समझा , उसको समझ लिए पुरे तरीके से कर लिए तो फिर स्थिरता आ जाएगी | क्युकी ये बोहत सूक्षम चीज़ है और इसको सूक्ष्मता से ही करना होगा | आप किसी को परशान हो तो आप पूछे उसके बाद हम ध्यान करेंगे | पूछिए थोड़ा बोहत प्रश्न पूछने चाहिए | हाँ , क्या आप तो कबसे कुबल रहें हैं क्या हो गया ? आप तो पार हो गए न ? कल पार हो गए थे के नहीं ? फिर क्या ? हाँ |

Bharatiya Vidya Bhavan, Mumbai (India)

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