Public Program

Public Program 1973-01-25

Lieu
Durée du discours
10'
Catégorie
Programme public
Langues parlées
Hindi
Audio
Vidéo

Langue actuelle: Hindi. Discours disponibles en : Hindi

Le discours est également disponible en : Anglais, Français, Italien, Russe

25 जनवरी 1973

Public Program

Bordi (भारत)

Talk Language: Hindi | Transcript (Hindi) - Draft

सो आपके स्वाधिष्ठान चक्र पे कोई सी भी गड़बड़ हो तो ये अंगूठे आप ठीक कर सकते हैं। अंगूठे से। अब आपको अपना महत्व देखना है कि आप क्या हैं? आप शीशे के सामने खड़े हो जाएं ऐसे पोज़ करके, आप के अंदर चेंज (बदलाव) आने लगना शुरु हो जायेगा। आपका जो रिफ्लेक्शन (प्रतिबिंब) शीशे में पड़ रहा है उसी से आप समझ सकते हैं कि आप क्या चीज हैं? अपना खुद ही प्रतिबिंब आप देखें शीशे में, उसकी ओर देखते रहें। अब आप अपने स्वाधिष्ठान को रगड़े, ऐसे दबाएं [श्री माताजी किसी से बात करते हुए] आपको हाथ पे यहाँ पे उसका थ्रोबिंग आ जायेगा। इसको दबाते जाइए। या उसको sooth करें। स्वाधिष्ठान चक्र की सब तकलीफे आपकी जो भी हैं वो दूर हो जाएँगी। तो अंगूठे पर स्वाधिष्ठान चक्र का स्थान है।

उससे ऊपर मणिपुर चक्र का स्थान, बीच वाली ऊँगली पर है। ऐसे लाइन से नहीं है। जैसा है वैसा है। बीचवाली ऊँगली पर है। आपकी अगर बीचवाली ऊँगली जलती है तो जरूर आप देख लेना वो जो आदमी सामने बैठा है उसके नाभि चक्र की पकड़ है। अपने यहाँ कुमकुम लगाना आदि वगैरह जो कुछ भी है [श्री माताजी साइड में किसी से बात करते हुए –ये सेंटर, this is मणिपुर] इसलिए खाना खाते वक्त कभी भी ये ऊँगली हम लोग ऊपर नहीं रखते हैं। हमेशा ये साथ में आनी पड़ती है। ये ऊँगली भी ऊपर करके बहुत लोग खाना खाते है वो बहुत गलत बात है। चारों पांचों उंगलियों से खाना चाहिए। इसलिए कांटा-छुरी से खाना योग की दृष्टी से गलत है। क्योंकि आपके हाथ में वाइब्रेशनस हैं पर realised लोगों के लिये। पर जिनके अंदर भूत-बाधा है उनके लिये कांटा-छुरी से खाना बहुत अच्छी बात है। [श्री माताजी मराठी में बात कर रही हैं। ] ये मणिपुर चक्र है। उसके बाद मणिपुर के बाद आप जाते है अनाहत चक्र पे। ये बहुत नाजुक चक्र है। [श्री माताजी साइड में किसी से बात करते हुए – ये आपकी छोटी ऊँगली पे है ] किसी को भी हार्ट का कोई प्रॉब्लम हो, या कोइ बड़ा आदमी बहुत रोमंटिक हो, औरतों के पीछे भागता हो तो रोज़ इसे रगड़े। सुबह से शाम। जिसको ऐसी वीकनेस (कमजोरी) है वो उसको रगड़ते बैठे। जिसको शराब की वीकनेस (कमजोरी) है वो नाभि चक्र को रगड़े। ये दारू! दारू! [श्री माताजी मराठी में बात कर रही है – जिसको हार्ट चक्र की प्रॉब्लम है वो सरस्वती की पूजा करे। ] स्वाधिष्ठान चक्र नाभि के नीचे है। मूलाधार के बारे में बताती हूँ। अच्छा जिसको मूलाधार चक्र की तकलीफ़ होएगी वो यहाँ रगड़े। और वो गणेशजी की पूजा करे। जिसको मूलाधार चक्र माने सेक्स का प्रॉब्लम होयेगा वो गणेशजी की पूजा करे। [श्री माताजी साइड में किसी से बात करते हुए – ये स्वाधिष्ठान चक्र उसके ऊपर मणिपुर चक्र – सोलर प्लेक्सस। मणिपुर चक्र, नाभि चक्र, सोलर प्लेक्सस सब सेम (एक ही) है]। वो इसको रगड़े और वो जिस आदमी को खाने की बहुत लालसा होती है। माने स्वाधिष्ठान चक्र में आदमी बहुत ग्रोस हो जाता है । स्वाधिष्ठान चक्र की ट्रबल बहुत ग्रोस रहती है । उसमें वो अन्न बहुत खाता है। बहुत ज्यादा अन्न खाता है । क्वांटिटी बहुत ज्यादा होती है । और बकवास बहुत करता है । ऐसा जो आदमी जो बहुत ज्यादा अन्न खाता है उसके लिये स्वाधिष्ठान चक्र पे वो अगर सरस्वती की और दृष्टि करे तो उस में [नोट क्लियर] आ जायेगा। क्रिएटिव हो जाना चाहिए। पेंटिग करना शुरु कर दे। डायवर्जन आ जायेगा। सब्लीमेशन हो जायेगा।

उसके बाद मणिपुर चक्र वाला जो आदमी होता है उसको खाने में इंटरेस्ट होता है। पोलिटिशियन का नाभि चक्र ख़राब रहता है। खुराफात करना। इधर से गए उससे कुछ पूछ लिया उधर कह दिया है ये नाभि चक्र के लक्षण है। ऐसा जिसका टेम्परामेंट रहता है जिसकी दृष्टि काफ़ी खुराफाती रहती है। बैठे बिठाए चैन नहीं आ रहा जब तक किसी के घर में जाके आग़ न लगाये तब तक चैन नहीं आएगा। ऐसा जो भी आदमी हो, दूसरे भला देखते नहीं बनता है आदि चीजें हैं वो अपना नाभि चक्र ठीक करे। फिर जो आदमी लूज़ली बोलता है। जिसको किसी के लिए रिसपेक्ट (इज्जत) नहीं । खास कर जो सहज योग के बारे में जो बोलता है लूजली वो अपने नाभि चक्र को ठीक करे। ऐसा आदमी खाने का कनोइज़र होता है। खाता नहीं बहुत ज्यादा। पर ये कि कनोइज़र होता है। पर उसको कि जैसे चाय बढ़िया ही चाहिए। फलाना चाहिए, ढिकाना चाहिए। तो जरा नज़ाकत से बताइये। औरतों के मामलों में भी वो बड़ा नज़ाकत वाला होता है। पहले ग्रोस होता है स्वाधिष्ठान पे और फिर उस पे उसे इस तरह की औरत चाहिए वो चाहिए। उस मामले में चोईस और ये सब चीज आ जाती है। उस आदमी को श्री विष्णु की शरण में आना चाहिए। श्री विष्णु का अर्थ सिंबॉलिक है उसका रिलेशन कोइ हिन्दू मुस्लिम, क्रिश्चयन से नहीं। तो क्या? संसार का वो पालन करते हैं। तो जिसका हमको पालन करने का है ऐसा सोच लिया। जैसे माँ जो होती है वो नखरा नहीं करती। किसी माँ को अगर नखरा बहुत हो तो चार पांच बच्चे पाल ले। जिस औरत को खाने पीने की बहुत पर्टीक्यूलारिटी होती है वो बच्चों को नहीं संभाल सकती। क्योंकि बच्चे पौटी करेंगे, पेशाब करेंगे तो उसको उसकी घिन चढ़ेगी। वो जबर्दस्ती अगर बच्चों को पाल ले आँठ नौ बच्चों को तो फौरन ठीक। अपने को करेक्ट करने का रहता है। अपनी और देखें। अगर हम बहुत ज्यादा घिन आती है सबसे। मुझे उसकी घिन लगती है उसकी घिन लगती है वो आठ दस कुत्ते पाल ले। काम ख़त्म। पालन करे। [श्री विष्णु जैसे] और दूसरा ये है कि वो राजयोग में उतरे। तो उनको फ़ायदा होता है। राजयोग से मेरा मतलब वो नहीं होता कि लक्ष्मी की सौष्ठव की ओर जाएं [नोट क्लियर] अभी लक्ष्मी का सौष्ठव से मेरा मतलब पैसा से नहीं। अभी लक्ष्मी का भी बहुत बड़ा अर्थ है। उसपे अभी नहीं आयेंगे। ये हुआ आपका मणिपुर चक्र। अब मणिपुर चक्र से ऊपर आप आये । ब्रह्मा, विष्णु, महेश ह्रदय पे आप आये।

Bordi (India)

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